हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

वो तो निशि को भी देखकर ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे आज के दिन पहली बार दिखाई दी हो...

पिंकी अपनी योजना के अनुसार शुरू हो गयी , उसने निशि को इशारा किया और वो 1000 रुपय लाला के हाथ में देते हुए बोली : "लालाजी ..ये रहे आपके इस महीने के ब्याज के पैसे...''

लाला बोला : "अर्रे, पैसे कहाँ भागे जा रहे थे...आ जाते...''

निशि : "नही लालजी, जो असूल की बात है,वो पहले करनी चाहिए...वो क्या हुआ ना की आज मीनल दीदी अपने मायके चली गयी है, और जाते हुए उन्होने हम दोनो को ये पैसे दिए थे...हमनें सोचा की बेकार में खरचने से अच्छा है की आपके ब्याज के पैसे ही चुका दे...''

दोनो ने बड़ी ही चालाकी से उन पैसो को मीनल दीदी के दिए पैसे बताकर लाला को थमा दिए...
जबकि ये वही बचे हुए पैसो में से थे जो लाला को वापिस करने के बाद बच गये थे दोनो के पास...

वहीँ दूसरी तरफ
मीनल के जाने की खबर सुनकर लाला ने चौंकने का नाटक किया और बोला : "अर्रे...वो कैसे एकदम से चली गयी....अभी कल ही तो.......''

लाला ने जान बूझकर वो बात अधूरी छोड़ दी...
क्योंकि वो जानता था की कल रात की बात इस वक़्त करने से उन दोनो पर क्या बीतेगी..

हुआ भी यही...
दोनो शरमा कर रह गयी.

पर अब मीनल के जाने के बाद पिंकी को अपने लिए भी तो रास्ता सॉफ करना था...
इसलिए वो बोली : "लालाजी , आप अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूं ...''

लाला तो उसकी ये बात सुनकर ही समझ गया की वो ज़रूर अपने मज़े की बात करने वाली है...
क्योंकि कल रात को अपनी सहेली को मज़े लेते देखकर अब उसकी चूत भी कुन्मुना रही थी..

लाला : "हाँ ...हाँ ..बोल पिंकी रानी...बेधड़क बोल ...लाला से कुछ भी बोलने और करने के लिए तुम दोनो हमेशा आज़ाद हो...''

साला ...कह तो ऐसे रहा था जैसे सलमान ख़ान है, जिसपर सारी दुनिया मरती है...

पर अपने रामलाल के बल पर, कम से कम, अपने गाँव का तो सलमान ख़ान था ही वो..

पिंकी : "वो क्या है ना लालाजी, कल स्कूल के बाद मुझे पड़ोस के गाँव तक जाना है, वहां से एक किताब लेनी है जो यहाँ किसी के पास नही मिल रही...अगर आपके पास थोड़ा टाइम हो तो क्या आप मुझे...ले चलोगे...''

लाला को एक बार तो उसकी बात का कोई मतलब समझ ही नही आया...
ये बात सही थी की पास के गाँव में जो किताब की दुकान थी वहां से हर तरह की किताबें मिल जाया करती थी...
पर इस काम के लिए वो लाला को अपने साथ क्यों ले जाना चाहती थी...
ये काम तो दोनो सहेलियां मिलकर भी कर सकती थी...
वहां तक बस भी जाती है और ऑटो भी...
फिर वो लाला के साथ चलने को क्यों कह रही है..

और अचानक लाला का दिमाग़ ठनका ...
वो समझ गया की इसके पीछे क्या वजह है..

यही की कल रात निशि ने तो अपने हिस्से के मज़े ले लिए...
और ऐसा करके वो लाला के साथ अकेले में कुछ टाइम बिताना चाह रही थी...
और ऐसे में मज़े लेना तो बनता ही है..

वैसे भी, लाला के पास बुलेट मोटरसाइकिल तो थी ही...

वो बोला : "अरे, इसमे क्या दिक्कत होगी मुझे...चल दूँगा...इसी बहाने मैं भी थोड़ा निकल लूँगा बाहर...काफ़ी दिन हो गये गाँव से बाहर गये हुए....तू कल स्कूल के बाद मुझे पुलिया पर मिल जाना, वहीं से निकल चलेंगे मेरी मोटर साइकल पर...''

उसने हाँ कहा और मुस्कुराती हुई दोनो सहेलिया दुकान से निकल कर अपने घर की तरफ चल दी...

दोनो बहुत खुश थी,अपनी योजना के अनुसार पिंकी अब लाला के साथ कम से कम 3-4 घंटे रह सकती थी...
और ऐसे में वो ठरकी लाला कुछ ना करे, ऐसा तो हो ही नही सकता था..

लाला अपने काम में लग गया...
और कल के बारे में सोचकर अपने प्लान बनाने लगा..

वो अभी कल के बारे में सोच ही रहा था की नाज़िया उसके सामने आकर खड़ी हो गयी..



एक के बाद एक उसके सामने हुस्न की दुकान के मीठे पकवान सज़ा रहा था उपरवाला...
उसे देखकर वो भी खुश हो गया...

नाज़िया अपने साथ ले जाने वाला समान एक पर्ची पर लिखकर लाई थी, जिसे देखकर लाला बोला : "इसमे तो ज़्यादातर समान अंदर ही है, गोडाउन में ...तू अंदर चलकर निकाल ले, कुछ ना मिले तो मुझे बता दियो ...''

अंदर जाने के नाम से ही नाज़िया का दिल धाड़-2 बजने लगा...
वो समझ गयी की लाला खुद ही अपनी तरफ से उस उसके साथ कुछ करना चाहता है...
वैसे सोचकर तो वो भी यही आई थी, इसलिए उसने कुछ नही कहा और चुपचाप अंदर चल दी...

लाला और रामलाल के लिए इससे अच्छा दिन आज तक नही बीता था
आज के दिन वो पहले से ही निशि की कुँवारी चूत चूस चुका था
उसके बाद नाज़िया की माँ यानी शबाना की गांड और चूत भी जमकर बजा चुका था...
बाद में पिंकी ने खुद ही आकर कल का प्रोग्राम सेट कर दिया था...
और अब ये लाला के बगीचे में उजागर हुई नयी कली नाज़िया...
ये भी अपने हुस्न के जाम लुटाने उसके पास पहुँच गयी है...
इतनी सारी खुशियां तो लाला ने आज तक महसूस नही की थी...

पर उसे भला क्या प्राब्लम होनी थी...
जब सामने से ये कच्ची कलियाँ खुद ब खुद उसके रामलाल की सेवा लेने पहुँच रही है तो उसका तो ये फ़र्ज़ बन जाता है की हर कली को फूल बनाकर ही छोड़े...

बस फिर क्या था
लाला ने शटर डाउन किया और चल दिया कमसिन नाज़िया के पीछे-2
गोडउन के अंदर.
raja
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Re: हरामी साहूकार

Post by raja »

Ruk ku gye yar. Ache story h jalde-2 liko please
:o :o
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

नाज़िया अपने साथ ले जाने वाला समान एक पर्ची पर लिखकर लाई थी, जिसे देखकर लाला बोला : "इसमे तो ज़्यादातर समान अंदर ही है, गोडाउन में ...तू अंदर चलकर निकाल ले, कुछ ना मिले तो मुझे बता दियो ...''

अंदर जाने के नाम से ही नाज़िया का दिल धाड़-2 बजने लगा...
वो समझ गयी की लाला खुद ही अपनी तरफ से उस उसके साथ कुछ करना चाहता है...
वैसे सोचकर तो वो भी यही आई थी, इसलिए उसने कुछ नही कहा और चुपचाप अंदर चल दी...

लाला को भला क्या प्राब्लम होनी थी...
जब सामने से ये कच्ची कलियाँ खुद ब खुद उसके रामलाल की सेवा लेने पहुँच रही है तो उसका तो ये फ़र्ज़ बन जाता है की हर कली को फूल बनाकर ही छोड़े...

बस फिर क्या था
लाला ने शटर डाउन किया और चल दिया कमसिन नाज़िया के पीछे-2
गोडउन के अंदर.

***********
अब आगे
***********

अंदर का अंधेरापन देखकर नाज़िया डर सी गयी....
उपर से जब उसने शटर डाउन होने की आवाज़ सुनी तो उसके अंदर से यही आवाज़ आई 'नाज़िया की बच्ची ...आज तो तू चुदी..'

पर चुदने के नाम से जो रोमांच अब तक उसके अंदर आ रहा था, उसकी जगह इस वक़्त डर ने ले ली थी...
कहां तो उसने सोचा था की वहां जाकर लाला को रिझाएगी...
ये करेगी...
वो करेगी...
पर जब मौका आया तो उसके हाथ पाँव फूल से गये...
उसकी समझ में ही नही आया की वो क्या करे और क्या नही.

वो खड़ी हुई ये सोच ही रही थी की तभी लाला अंदर आया और ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..

लाला को देखकर बेचारी पत्थर की मूरत बनकर खड़ी रह गयी.

लाला ने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसे झंझोड़ते हुए कहा : "क्या हुआ नाज़िया...समान नही लेना क्या...ऐसी बुत्त बनकर क्यों खड़ी है...''

इस वक़्त नाज़िया पर डर पूरी तरह से हावी हो चुका था...

डर, लाला के लंड से चुदने का..

डर, अपनी चूत के फट जाने का...

और डर , उस दर्द को ना सहन करने की हालत में मर जाने का.

पर अब तो वो खुद ही शिकारी के पिंजरे मे आकर फँस चुकी थी...
चाहकर भी उसके मुँह से कुछ निकल नही रहा था और ना ही उसके हाथ पाँव हिल डुल रहे थे...

बेचारी अपनी जवानी के पहले एग्ज़ाम में ही फैल सी होती दिख रही थी.

लाला ने जब उसे ज़ोर से हिलाया तो उसकी आँखे बंद होती चली गयी और उसका शरीर ऐंठ सा गया और वो नीचे गिरती चली गयी...

और वो उसने जान बूझकर किया क्योंकि जब उसकी समझ में कुछ और नही आया तो उसे बेहोश होने का नाटक करना ही सही लगा

वो तो अच्छा हुआ की लाला ने उसकी कमर को पकड़ा हुआ था, वरना वो गोडाउन की धूल चाट रही होती..

लाला भी एकदम से घबरा गया...
उसने गिरती हुई नाज़िया को संभाला और उसे पास ही रखी खाट पर लिटा दिया..
लाला ने उसकी साँसे चेक करी और आँखे खोल कर देखा..
वो सही लग रही थी...

लाला समझ गया की ये किस वजह से हो रहा है...
उसकी उम्र की नाज़ुक कली के सामने उस जैसा हरामी सांड आकर खड़ा हो जाए तो यही अंजाम होगा..

पर उसके हाव भाव को देखकर तो लाला को यही लग रहा था की वो भी मज़े लेने के मूड में आयी है..

इसलिए अभी भी लाला के हरामी दिमाग़ में उसे घर भेजने की बजाए उसके साथ कुछ देर तक मज़े लेने की बात घूम रही थी...
क्योंकि ऐसे हाथ आई चिड़िया को वो ऐसे ही तो उड़कर जाने नही देना चाहता था..

और उसकी आँखे देखकर वो समझ ही चुका था की उसे कुछ नही हुआ है...
आख़िर लाला के पिता गाँव के जाने माने वैद्य रह चुके थे...
उनके साथ रहकर उसने इतना तो सीखा ही था.

वैसे तो ऐसी लौंडियों को लाला अपना लंड सुंघाकर ही खड़ा कर दे..
पर अब जो वो उसके साथ करने वाला था, वो उससे भी थोड़ा बढ़कर ही था..

नाज़िया का छरहरा बदन कमल ककड़ी की तरह उसकी खटिया पर पड़ा था...
लाला ने उसके माथे पर हाथ रखा और धीरे-2 उस हाथ को नीचे लाने लगा...

पहले तो उसके चहेर पर...
फिर गर्दन पर...
और फिर जब लाला के हाथ सरककर उसकी छाती पर आए तो नाज़िया का बदन चरमरा सा उठा...
उत्तेजना के आवेग ने उसपर क़ब्ज़ा करना शुरू कर दिया था..

लाला ने उसके बब्बू गोशे जैसी छातियों को होल से दबाया...
और फिर उसकी पकड़ उनपर तेज होने लगी...
उसने शायद मोटे कपड़े की ब्रा पहनी हुई थी, जिसकी वजह से उसके निप्पल की टोह नहीं ले पा रहा था लाला....
पर उसका भी इंतज़ाम था लाला के पास...

लाला ने अपना हाथ नीचे किया और उसकी टी शर्ट को पकड़ कर उपर कर दिया...
इतना उपर की उसकी ब्रा उसके सामने उजागर हो गयी..

उस ब्रा में क़ैद उन नन्हे कबूतरों को देखकर लाला के मुँह से एक लार टपक कर उसके पेट पर आ गिरी...

नाज़िया का बदन बुरी तरह से जल रहा था
इसलिए उस लार को भाप बनकर उड़ने में पल भी नही लगा.
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

नाज़िया की हालत सम्मोहन में बँधी उस इंसान की तरह थी जो फील तो सब कुछ कर रहा था पर कुछ रिएक्ट नही कर पा रहा था...

आज जिंदगी में पहले बार उसकी अम्मी के अलावा किसी और ने उसके यौवन की ये अनमोल धरोहर देखी थी...

यानी उसके मुम्मे.

लाला तो उनकी कसावट और गोरे रंग को देखकर पागल सा हो गया...
देखने में भले ही बच्ची थी वो पर शरीर के ख़ास अंगो पर आई इस बेशक़ीमती चर्बी ने आज लाला को भी उसका कायल बना दिया था..

लाला ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे थोड़ा सा हवा में उठा लिया...
नाज़िया का बेजान सा शरीर दोनो हाथ फेलाए उपर उठता चला गया...
एक पल के लिए तो उसे लगा की लाला उसे चूम लेगा..
पर ऐसा नही हुआ...
फिर से लाला के हाथ अपनी ब्रा स्ट्रेप पर महसूस हुए...
और इससे पहले की वो कुछ और सोच पाती लाला के अनुभवी हाथ ने एक चुटकी बजाकर उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स खोल दिए...
और उसके नन्हे बूब्स उछलकर उपर की तरफ आ गये...
और अपने चेहरे के इतने करीब आई नाज़िया को ऐसे ही नही जाने दे सकता था लाला..
उसने नाज़िया के पिंक होंठो पर अपने खुरदुरे होंठ रख दिए और उनमे से निकल रहा शहद चाट-चाटकार पीने लगा..

हालाँकि नाज़िया को अपनी छाती और चेहरे पर लाला की दाढ़ी के बाल चुभ रहे थे...
पर अपनी लाइफ की पहली किस्स इतनी उत्तेजना भरे महॉल में करने को मिलेगी, उसने ये सोचा भी नही था..
इसलिए वो उसका आनंद लेने में डूब गयी और बिना आँखे खोले, बेहोशी का नाटक कायम रखते हुए वो लाला के रसीले होंठो में अपने नर्म मुलायम होंठ फंसाकर उनका स्वाद लेने लगी...
और देने लगी.

लाला ने पूरा ज़ोर लगाकर उसके होंठो का सारी पानी सोख लिया अपने अंदर...
और जब उसकी प्यास बुझी तो वो नीचे की तरफ चल दिया...

नाज़िया के बदन को खटिया पर टीकाकार उसने उसकी ब्रा को संतरे के छिल्को की तरहा निकाल फेंका...
और नीचे से जब उसकी नारंगिया लाला की हवस भरी नज़रों के सामने उजागर हुई तो उस अंधेरे कमरे में भी उजाला फैल गया..



नाज़िआ के बदन के सारे रोंये खड़े हो चुके थे , हजारों-लाखो की संख्या में उसके बूब्स के चरों तरफ नन्हे-२ दाने दिखाई देने लगे.

लाला की गोल मटोल आँखो जितने तो निप्पल थे उसके...
इतने मोटे निप्पल तो उसकी माँ के भी नही थे..
पता नही किसपर गये थे वो...
और उपर से उन नारंगियो की अकड़ देखकर लाला अचंभित हुए बिना नही रह सका...
इनका आकार तो निशि की बूबीयों से भी बड़ा था पर जिस अंदाज से नाज़िया की छातियाँ तनकर खड़ी थी , उनका जवाब नही था...



लाला से और सब्र नही हुआ...
पीने के बाद उसे भूख लग आई थी, इसलिए उसने बिना कोई देरी किए अपना चेहरा नीचे किया और उन कच्चे टिकोरों को मुँह में भरकर जोरों से चुभलाने लगा...

''आआआआआआआआआअहह.....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......... उम्म्म्मममममममममम...''

नाज़िया के होंठो ने चुप्पी तोड़ ही डाली
और उसके हाथ भी लाला के सिर के पीछे आ लगे...

अपनी एक टाँग हवा में उठाकर नाज़िया का शरीर हवा में तेरने सा लगा...
और उसने पूरा ज़ोर लगाकर अपना दाँया मुम्मा लाला के मुँह में ठूस कर उसे पूरा का पूरा खिला दिया...




लाला को पता था की उसके इस हमले का कोई तोड़ नही होगा नाज़िया बेबी के पास...
और हुआ भी ऐसा ही...
अपने सेंसेटिव हिस्से पर हमला होता देखकर बेचारी को अपनी बेहोशी के नाटक से बाहर आना ही पड़ा...

''ओह लालाजी ........................ उम्म्म्मममममममममममम............ कुछ हो रहा है..... जी......अहह..... लालाजी........''

लाला ने मन में सोचा 'साली, लालाजी तो ऐसे बोल रही है जैसे मैं इसका बाप लगता हूँ ....हरामन नंगी पड़ी है मेरे सामने, और अभी तक इसके नाटक चालू है...'

लाला ने उपर से नीचे तक उसके बदन को अपने हाथो से रगड़ डाला..

एक पल के लिए तो नाज़िया को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके नंगे बदन पर हज़ारों हाथ तैर रहे हैं....
उसके बूब्स पर....
उसके पेट पर...
उसकी जांघों पर...
उसकी टाँगो पर...
हर जगह लाला के जादुई हाथ महसूस हो रहे थे उसे...



नाज़िया का बदन अकड़ कर रह गया जब लाला ने उसके मोटे अखरोट जैसे निप्पल को मुँह में लेकर चूसा तो....
उसे दाँत से काटने पर वो बिफर सी गयी और उसने लाला की धोती में हाथ डालकर उनके रामलाल का गला पकड़ लिया...

लाला को तो ऐसा लगा जैसे वो उनपर काउंटर अटैक कर रही है...



लाला के लंड की मोटाई ही इतनी थी की वो एक हाथ से तो उसकी पकड़ में आ ही नही रहा था....
उसे दूसरा हाथ लगाना ही पड़ा...
और दोनो हाथ में पकड़ने के साथ ही उसे पता नही क्या हुआ की उसके नशे में पड़कर वो उसे अपने चेहरे की तरफ खींचने लगी...
लाला ने भी उसे निराश नही किया और अपनी धोती खोलकर उसने नीचे गिरा दी और अपना खड़ा हुआ लंड लेकर उसके चेहरे के करीब आकर खड़े हो गए...

''ओह्ह्ह ...तो ये है आपका रामलाल.....उम्म्म्मममम....''

इतना कहकर उसने बड़े ही प्यार से उसकी मुंह दिखाई के रूप में अपना रसीला मुम्मा लाला के लंड से रगड़ दिया
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Re: हरामी साहूकार

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लाला के लंड का सुपाड़ा उसके कड़क निप्पल से रगड़ खाकर उसे अंदर तक गीला कर गया

लाला भी उसके मुँह से अपने दोस्त का नाम सुनकर चोंक सा गया...

वो सोचने लगा की नाज़िया को भला कैसे पता चला उसके लंड का नाम...

पर अगले ही पल उसकी सोच पर गीले, रसीले होंठों ने परदा डाल दिया
जब नाज़िया ने लाला के करकेटे जैसे लंड को मुँह में लेकर ज़ोर से चूसा तो...



देखने मे भले ही चुहिया जैसी थी, पर लाला के अजगर को निगल गयी थी आज ये नाज़िया...

लाला को तो ऐसा लगा जैसे मखमली कपड़े में लिपटाकर उसके लंड की मालिश कर रहा है कोई....
लाला ने आँखे खोली और अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी पयज़ामी का नाड़ा खींच डाला
और एक ही झटके में उसे नीचे खींचकर निकाल भी फेंका...

जैसी सुंदर वो उपर से थी, ठीक वैसी ही नीचे से भी निकली...

एकदम चिकनी चूत ,
बिना कोई बाल की...
और कसे हुए से चूत के होंठ...
जिनमे उंगली डालते हुए भी डर लग रहा था लाला को की कहीं चर्र की आवाज़ के साथ फट्ट ही ना जाए वो..



नाज़िया भी पागला सी गयी जब उसकी चूत पर गोडाउन की सीलन का ठंडा एहसास हुआ तो...
पर जल्द ही वो ठंडा एहसास गर्मी में बदल गया जब लाला ने जगह बनाकर खुद को चारपाई पर गिरा दिया...
और उसकी चूत के उपर अपना चेहरा लाकर रख दिया...

यानी अब दोनो 69 की पोज़िशन में एक दूसरे के अंगो को निहार रहे थे...

लाला के लिए नाज़िया की चूत जितनी छोटी थी , नाज़िया के लिए लाला का लंड उतना ही बड़ा था...

पर इस अजीबोगरीब मेल-जोड़ के बावजूद दोनो की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी...

बस, फिर क्या था, लाला ने अपना गरमा गरम मुँह उसकी रसीली चूत पर लगाया और उसे चूसने लगा...
और चूत के होंठो को अपनी उंगलियो से फेलाकर वो उन्हे ऐसे चूस रहा था जैसे वो उसकी चूत के नही बल्कि चेहरे वाले होंठ हो...
और साथ ही अपने हाथ नीचे लेजाकर लाला ने उसके देसी कुल्हो को ज़ोर-2 से मसला तो वो भी लाला के लंड को लोलीपोप की तरह चूस्टी हुई , बंदरिया बनकर एक ही झटके में लाला के उपर सवार हो गयी और अब प्रॉपर तरीके से दोनो एक दूसरे का लंड और चूत चूस रहे थे..



निम्बू पानी जैसा था उसकी चूत से निकल रहे पानी का स्वाद...
थोड़ा खट्टा...
थोड़ा मीठा..

और नाज़िया भी लाला के विशाल लंड को चूसकर उसके सम्मोहन में बंध सी गयी थी...
और उपर से उसके इर्द गिर्द से निकल रही एक रोबिली सी महक भी उसे अपना दीवाना बना रही थी...
कई लोगो के शरीर से निकलने वाले पसीने की महक में भी एक नशा सा होता है
जो औरतों और लड़कियों को उत्तेजित करता है
लाला भी उन्ही में से एक था....
शायद बरसों से अपने शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करने से ये नशीली गंध निकलनी शुरू हुई थी उसमें से..

लाला ने अपनी बीच वाली उंगली को जब उसकी चूत में उतारना चाहा तो वो बिलबिला उठी....
लाला समझ गया की उसकी कुँवारी चूत तो अभी तक सही से फेली भी नही है...
उसमे उंगली तो जा नही सकती अभी, उसका 10 उंगलियो जितना मोटा लंड कैसे जाएगा...

इसलिए उसे भी निशि की तरह एक बादाम के तेल की शीशी देनी ही पड़ेगी...

पर अभी के लिए तो लाला को जो मिल रहा था
उसी से काम चलाना पड़ेगा...

वैसे इस गोडाउन की भी अजब किस्मत है
आज ही के दिन ये दूसरी कुँवारी चूत थी लाला के सामने
जिसे वो इसी गोडाउन में चूस रहा था...
पूरा नंगा करके इस जवानी की दहलीज पर कदम रख रही नशीली कली को वो अपने होंठों से चूसकर उसका पूरा मज़ा ले रहा था...
और अपने कसरती लंड के देसी घी के स्वाद वाला रसीला पानी उसे पीला भी रहा था...

काफ़ी देर हो चुकी थी दोनो के ऑर्गॅज़म को अंदर ही अंदर भड़कते हुए
और अब उसका निकल जाना ही सही था...

और लाला तो इस खेल का पुराना खिलाड़ी था...
उसने जब उसके गोल चूतड़ पकड़कर ज़ोर से अपने चेहरे पर दबाए और उसकी गांड के छेद को अपने अंगूठे से सहलाया तो उसकी चूत की टोंटी अपने आप खुल गयी और उसमें से ढेर सारी देसी दारू बहकर लाला के चेहरे पर गिरने लगी...

एक बात तो माननी पड़ेगी, इसकी दारू का स्वाद तो शबाना की चूत से निकली बियर जैसा ही था...
चलो कहीं से तो पता चला की ये उसी की औलाद है..

अपनी चूत का रस त्यागने के बाद ज़ोर-2 से चिल्लाती हुई नाज़िया भी लाला के लंड को चूसने लगी...
उसे अपने दोनो हाथो में लेकर मुठियाने लगी....
उसे जादुई चिराग की तरह रगड़ने लगी जैसे उसमें से अभी जिन्न निकलकर सामने आएगा और उसे तृप्त करेगा...

और वो जिन्न आया भी....
एक के बाद एक सफेद धार के रूप में..

उन सफेद पिचकारियों को अपने चेहरे पर फेलाकर वो चिल्ला ही पड़ी...

''ओह लाला......जी.......उम्म्म्ममममममम...... क्या मज़ा आया है आज तो...... आहहह.......... क्या मिठास है आपके रामलाल से निकले रस की.....अहह..... उम्म्म्ममममममममम.... मजा अआ गया आज तो.......''



वो काफ़ी देर तक उन पिचकारियों को अपने चेहरे पर महसूस करके कराहती रही...
अपनी पहली बार झड़ी चूत को लाला के चेहरे पर रगड़ती रही....
लाला की दाढ़ी और मूँछो को अपनी चिकनी चूत पर महसूस करके पुलकित होती रही...

और अंत में वो पलटकर लाला के साइड में आकर लेट गयी...
नाज़िया ने लाला के कंधे पर अपन सिर रखा और उन्हे देखकर मुस्कुराने लगी...

लाला : "साली, तू तो बड़ी ड्रामेबाज है...पहले तो एकदम से बेहोसी का नाटक कर रही थी....बाद में चपर -2 करके हमार रामलाल की चाँदी तक खा गयी....''

वो शरमा गयी लाला की बात सुनकर ...
और बोली : "अब मैं क्या करती लालाजी ....यहां का माहौल देखकर तो मैं डर सी गयी थी....पहले तो यही सोचकर आई थी की आज आपके रामलाल से पूरा मज़ा लूँगी...जैसे आप अम्मी को देते हो...ठीक वैसे ही...''

उसकी बात सुनकर लाला चोंक गया...
वो भी घबरा गयी की ये क्या निकल गया उसके मुँह से...
पर अब कुछ नही हो सकता था..

लाला : "तो इसका मतबल तू जानती है मेरे और शबाना के बारे में ....पर तूने कब देखा...''

नाज़िया : "आज ही.....आज जब मैं आइस्क्रीम लेकर आई तो दरवाजा खुला ही था...मुझे लगा की आप जा चुके हो...पर अंदर आकर देखा तो पता चला की आप जा तो चुके थे...पर बाहर नही...अम्मी की मुनिया के अंदर ....''

लाला भी उसकी चतुराई भरी बात सुनकर मुस्कुरा दिया...

और बोला : "अच्छा, एक बात सच--2 बताइयो ....तुझे मज़ा आया था ना वो सब देखकर....''

बेचारी के होंठ काँप से गये ये बोलते हुए

''मज़ा तो इतना आया था की उसी बकत कमरे में जाकर हमने अपनी ये मुनिया रगड़ डाली थी....आपका नाम लेकर....और सच कहूं ...आज भी यही सोचकर आई थी की चाहे कुछ भी हो जाए...आपके रामलाल को अंदर लेकर मानूँगी...''

लाला ने उसके नंगे शरीर को ऊपर से नीचे तक देखा

और नशीले बदन की शराब को पीते हुए कहा : "रामलाल को अंदर लेना इतना आसान नही है री...अभी तो तुझे रोज इसकी प्रॅक्टिसवा करनी होगी...तभी ये अंदर जाएगा...वरना तेरी अम्मा कहेगी की मेरी बेटी का क्या हाल कर दिया लाला ने....इसलिए अभी के लिए रामलाल को ऐसे ही मुँह और हाथ से मज़े देती रह..जब अंदर जाने का बकत आएगा तो लाला खुद ही बोल देगा....समझी...''

उसने हंसते हुए हाँ में सिर हिलाया और लाला को चूमकर खड़ी हो गयी...
और अपने कपड़े पहनने लगी..
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