हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

अपनी ही बेटी के सामने चुदाई !!!!
इस ख़याल से ही उसकी चूत से अवीरल धारा बह निकली....
और वो अपनी चूत के होंठो को रगड़ते हुए ज़ोर-2 से बुदबुदाने लगी...

''आआआआआआआअहह......सस्साआआल्ल्ले लाला.......घुसा इसमे अपना लंड ......डाल ना......कहाँ गया रे अब तू ......घुसा दे ......... कर दे रे कुछ.....आआआआहह......''
और अपनी चूत के दाने को उसने इतनी ज़ोर से रगड़ा की उसकी चीख शायद पड़ोस में नहाते हुए अपनी चूत मसल रही निशि तक भी पहुँच गयी...

और पिंकी तक तो जानी ही थी
जो किचन में आटा गूँध रही थी...
चावल तो लाए ही नही थे वो लाला की दूकान से.

और अपनी माँ की उस चीख को सुनकर वो लगभग भागती हुई सी बाथरूम की तरफ गयी..
ये सोचकर की कहीं उनका पैर तो नहीं फिसल गया...

दरवाजा तो खुला ही रहता था उनके बाथरूम का
इसलिए उसे धकेल कर जैसे ही वो अंदर घुसी, ज़मीन पर मोरनी बनकर बैठी हुई अपनी माँ को टांगे फैलाये अपनी चूत मसलते देखकर वो समझ गयी की वो क्यों चीखी थी..
और मज़े की बात तो ये थी की पिंकी के आने का पता उसे नही चल पाया था...
आँखे पूरी तरह से भींच रखी थी सीमा ने...
शायद उन बंद आँखो के पीछे वो लाला और उसके लंड को इमेजिन कर रही थी..
अपनी माँ को एक बार फिर से अपने सामने नंगा देखकर और उन्हे अपनी चूत मसलते देखकर पिंकी के बदन में एक बार फिर से चींटियां रेंगने लगी...
वही भीनी खुश्बू एक बार फिर से उसे महसूस होने लगी जो गोडाउन में अपनी माँ को कच्छी पहनाते हुए फील हुई थी...
उफ्फ , उसकी माँ की चूत का ये नशा..

और उन्हे लाला के नाम की माला जपते देखकर वो समझ गयी की उनके मन में इस वक़्त क्या चल रहा है...
भले ही लाला के लंड ने उसकी माँ की चूत में प्रवेश नही किया था पर वो उसे इस वक़्त शायद अपनी चूत में ही महसूस करने का ख्वाब देख रही थी..

वैसे देखा जाए तो आज जो चुदाई होते-2 रह गयी वो उसी की वजह से रही थी...
लाला और माँ के गोडाउन में जाने के बाद उन्हे भी वापिस चले जाना चाहिए था...
जो करना था वो कर लेते..
बेकार में उन दोनो ने छुपकर उनकी रासलीला देखनी चाही जो लाला ने खुद ही पता नही क्यो पकड़वा दी...

वो लाला ने क्यो किया इसका उत्तर तो वो बाद मे उनसे ले ही लेगी..
पर अभी के लिए वो लाला की कमी कुछ हद तक ज़रूर पूरी कर देना चाहती थी...
इसलिए उसने चुपचाप अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और एक ही मिनट में वो भी अपनी माँ की तरह पूरी नंगी होकर बाथरूम में खड़ी थी..
और फिर वो खिसककर अपनी माँ के करीब जाकर ज़मीन पर बैठ गयी और बिना किसी आवाज़ और चेतावनी के उसने अपनी माँ के कड़क निप्पल को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया...
अपनी चूत मसल रही सीमा को एक झटका सा लगा...
और उसने जब आँखे खोली तो अपनी बेटी को अपनी छाती का दूध पीते पाया....
एक पल के लिए तो उसे भी समझ नही आया की ये कब और कैसे हुआ और वो ऐसा क्यो कर रही है...
और फिर जब उसने देखा की वो भी उसी की तरह नंगी है तो उसका माथा ठनका ...
और तब उसे समझते देर नही लगी की ये क्या करने आई है वहां ...
शायद उसकी चीख कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से निकल गयी थी और अपनी माँ की ये हालत देखी नही गयी बेचारी से...
इसलिए उसकी हेल्प करने आई है वो यहाँ..
और जिस हालत में सीमा इस वक़्त थी, उसमे तो उसे गुस्सा भी नही आ रहा था...
क्योंकि वो करीबो करीब अपनी उत्तेजना के चरम पर थी...
हालाँकि पिंकी ने उस उबाल को एक बार फिर से नीचे धकेल दिया था पर वो पूरी तरह से शांत नही हुआ था...
उसका शरीर और चूत अभी तक गर्म थे...
और ऐसे में अगर कोई आकर अगर चूची को चूसना शुरू कर दे तो भला किसे बुरा लगेगा...
भले ही वो आपस में रिश्तेदार क्यों न हो...

वो अपनी कांपती हुई सी आवाज़ में बोली : "उम्म्म्म......पिंकी....आअहह..... ये क्या कर रही है मेरी बच्ची .....अहह...छोड़ मुझे......ये ग़लत है.....रहने दे ...''
पिंकी ने उस रसीले फल से अपने होंठ हटाए और बोली : "नही माँ ...वहां लाला के गोगोडाउन में जो भी हुआ वो मेरी ग़लती से था...वरना आज तुम वो सुख भोग चुकी होती जिसके लिए इतने सालो से तड़प रही हो...इसलिए अब ये मेरा फ़र्ज़ है की मैं ही उस ग़लती को सुधारू...और जब तक वो होगा तब तक के लिए मैं आपके लिए वो सब करूँगी जिससे आपको मज़ा मिले...''

सीमा ने कुछ और बोलना चाहा पर पिंकी ने अपने कोमल होंठो को उनके होंठो पर रखकर उनकी बोलती बंद कर दी...और अपनी माँ को वो जोरो से चूसने लगी...


अब ऐसे में वो भला क्या बोल सकती थी ...
मज़ा तो उसे आ ही रहा था, इसलिए उसने भी उस किस्स को एंजाय करना शुरू कर दिया...
एक हाथ तो उसका अपनी चूत में था ही, वो एक बार फिर से हरकत में आया और वो अपने दाने को फिर से रगड़ने लगी..

किस्स तोड़ते हुए पिंकी बोली : "नही माँ ......मेरे होते हुए अब आपको ये मेहनत करने की ज़रूरत नही है...''

इतना कहते हुए वो साँप की तरह बाथरूम के फर्श पर लेट गयी और अपनी लपलपाती जीभ से उसने अपनी माँ की चूत को डस लिया...
और इस बार की चीख पहले के मुक़ाबले और भी तेज थी...
क्योंकि जिस दाने को वो इतनी देर से रगड़ रही थी उसे ही पिंकी ने अपने होंठो के बीच दबा कर चुभला दिया था..

''आआआआआआआआआआआआआहह ओह..... मेरी बच्ची ....... उम्म्म्मममममममममममममम....... ऐसा मज़ा तो लाला ने भी नही दिया था....अहह...... मर गयी रे....... उम्म्म्मममममममममममममममममम...........चूस इसे ....ज़ोर से चूस...''
अपनी माँ की चूत की जिस भीनी खुश्बू को सूँघकर वो उनकी दीवानी हो चुकी थी, वो सुगंध अब थोक के भाव से निकल रही थी सीमा के भोंसडे से....
और उस खुश्बू के नशे में डूबकर वो और ज़ोर से उस दाने को चूसने लगी....
उत्तेजना का वो उबाल जो पहले आते-2 रह गया था, इस बार आया तो उसने अंदर का सारा घी पिंकी के चेहरे पर उड़ेल दिया....
जिसमें नहाकार उसका रूप और भी ज़्यादा निखार गया...

और झड़ते हुए सीमा का शरीर पत्ते की तरह काँप रहा था क्योंकि बरसो की जोड़ी हुई इस उत्तेंजना की पाई-2 लुटाने में उसे एक अलग ही आनंद की अनुभूति हो रही थी..

पिंकी ने अपनी लम्बी जीभ से अपनी माँ की चूत को अच्छे से साफ़ किया और सारा माल निगल गयी
सब कुछ शांत होने के बाद सीमा ने अपनी बेटी को अपने गले से लगा लिया और खूब प्यार किया...
आज जो कमी लाला के गोडाउन में रह गयी थी उसे अच्छे से पूरा किया था पिंकी ने...

आज का दिन उसकी जिंदगी बदलने वाला था...
और आने वाले दिन भी...

उसके भी...
और उसकी बेटी के भी..
SUNITASBS
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Re: हरामी साहूकार

Post by SUNITASBS »

mast
😪
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