हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

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सच ही था....
लाला के रामलाल को देखकर जान देने का ही मन कर रहा था...
या तो उसे अंदर ले लो वरना ऐसे जीने का क्या फ़ायदा ।

लाला ने उनकी आँखो मे छिपी प्यास देखी तो फुसफुसा कर बोला : "अब ये रोज-2 के छोटे-मोटे खेल बहुत हो गये...असली खेल खेलोगे, तभी मज़ा मिलेगा...और तब तुम्हे पता चलेगा की रामलाल कैसे मज़े देता है...''

चाहती तो वो दोनो भी यही थी...
पर जैसा की उन तीनो ने डिसाईड किया था, अभी तो उसी के हिसाब से चलने का समय था...
क्योंकि उन्हे भी पता था की जितनी ज़रूरत उन तीनो को लाला की है, उतनी ही ज़रूरत लाला को उनकी भी है..

और अभी तो लाला को इस बात का भी पता नही था की नाज़िया भी उनके साथ मिल गयी है...

इधर लाला उन्हे रामलाल के गुण गिनवा रहा था, उधर से नाज़िया उसकी दुकान पर आती दिख गयी..

लाला के चेहरे पर परेशानी के भाव आ गये...
वैसे तो उसे किसी का डर नही था, पर अभी तक जो बात छुपी हुई थी,उसी में फायदा दिख रहा था लाला को...
क्योंकि वो भी जानता था की एक लड़की सब कुछ बर्दाश्त कर सकती है, पर अपनी चूत में जाने वाले लंड का बँटवारा नही..

यही वजह थी की लाला ने पिंकी और निशि को अलग-2 करके पटाया...
ये अलग बात थी की अब दोनो मिलकर उसके सामने खड़ी थी...
और लाला भी जानता था की उन दोनो को अलग रखना मुश्किल काम है...
इसलिए खुद ही अपनी धोती का पर्दाफाश करके उसने बेशर्मी से दोनो को एक ही बार में वो फिल्म दिखा दी जो आजतक एक साथ नही दिखा पाया था दोनो को..

पर नाज़िया के आ जाने के बाद उसके खेल में मुश्किल आ सकती थी...
क्योंकि इन दोनो सहेलियो की बात अलग थी और नाज़िया की अलग..

वो ये सब सोच ही रहा था की नाज़िया लाला के सामने आकर खड़ी हो गयी...



लाला ने झट्ट से धोती नीचे कर दी..
पर उसकी धोती में तंबू बनकर अड़ियल टट्टू की तरह खड़ा ही रहा वो हरामी रामलाल..

उन तीनो ने एक दूसरे को देखकर स्माइल पास की
पर लाला का चेहरा देखने लायक था...
जैसे अंदर ही अंदर उन तीनो के सामने खड़े होने की टाइमिंग को समझने की कोशिश कर रहा हो.

लाला की ये उलझन पिंकी ने आसान कर दी..

वो बोली : "लालाजी...आप घबराओ मत...ये भी अब हमारी दोस्त बन गयी है...इसलिए जो भी होगा, हम एक साथ करेंगे...''

लाला तो ये बात सुनकर भोचक्का रह गया...
कहां तो वो दोनो को एक साथ चोदने की बात सोचकर खुश हो रहा था,
और कहा ये एकदम से छप्पर फाड़कर नाज़िया भी उन्ही के साथ मिल गयी और चुदने को तैयार हो गयी...
3 कुँवारी चुतों के ग्रूप के साथ मज़े लेने वाला लाला शायद पहला इंसान था..
उसे तो खुली आँखों से ही तीनो के नंगे जिस्म सामने खड़े दिखाई देने लगे.



अब तो सभी के पत्ते खुल चुके थे...
सारे पर्दे गिर चुके थे और सभी की झिझक भी दूर हो गयी थी...

इसलिए लाला ने फिर से उतनी ही बेशर्मी से अपनी धोती को उपर उठाया और रामलाल के दर्शन तीनो को एक साथ करवा दिए..

एक बार फिर से पिंकी और निशि की साँसे रुकने जैसी हो गयी...
और इस बार नाज़िया भी उनके साथ थी...
उसका भी वही हाल था..

नाज़िया ने तो अपना चेहरा घुमा कर दूसरी तरफ ही कर लिया...

पिंकी : "नाज़िया, ऐसे शरमाने से तेरा ही घाटा है...क्योंकि लाला से अभी यही बात चल रही थी की आगे बढ़ना होगा ताकि असली मज़े मिल सके...''

असली मज़े यानी लंड का चूत से मिलन...
इस बात ने नाज़िया को अंदर तक गुदगुदा कर रख दिया.

उसने शरमाते हुए वापिस रामलाल को देखा...
और इस बार वो देखती ही रह गयी...
नज़ारा ही इतना सैक्सी था ...
रामलाल का चेहरा अपने ही अंदर से निकले पानी में भीगकर दमक रहा था...
मन तो कर रहा था की अभी काउंटर फांदकर अंदर जाए और उसे चूस डाले..

पर तब तक एक कस्टमर आ गया...
और लाला ने धोती नीचे करके उसका सौदा निपटना शुरू कर दिया..

इसी बीच पिंकी उन दोनो को लेकर एक कोने में जाकर बातें करने लगी..

पिंकी : "भई देखो, लाला ने तो अपने इरादे सॉफ कर दिए है...और शायद अंदर ही अंदर हम सभी भी शायद इसी का इंतजार कर रहे है की कब लाला अपने लंड से हमे जन्नत का एहसास करवाए...''

बाकी दोनो ने हाँ में सिर हिलाया..

पिंकी : "पर मुझे लगता है की उससे पहले हमे थोड़े मज़े और लेने चाहिए लाला से...क्योंकि बाद में तो ये सिर्फ एक ही तरह के मजे मिलेंगे....''

निशि और नाज़िया उसकी बात सुनकर कन्फ्यूज़ से हो गये...

निशि : "मैं समझी नही कुछ....इतने मज़े तो ले चुके है लाला से...अब और कौन से लेने बाकी है...''

पिंकी : "वो तो हमने अलग-2 लिए ना...एक साथ तो नही...हमे पहले लाला के साथ एक साथ मज़े लेने है...यानी चुदाई को छोड़कर सब कुछ...ताकि हम तीनो भी एक दूसरे के सामने खुल जाए और अगली बार जब चुदाई हो तो एक दूसरे का साथ अच्छे से दे सके..''

पिंकी की ये बात नाज़िया को सबसे ज़्यादा पसंद आई...
क्योंकि वही अभी तक अपने आपको असहज महसूस कर रही थी....
ऐसे एक दम से वो कैसे अपने आप को चुदाई के लिए पेश कर दे..
और वो भी उन दोनों के सामने ।

पहले उसकी वो झिझक मिटना भी ज़रूरी थी
जो पिंकी और निशि को देखकर उसे आ रही थी.

इसी बीच लाला भी फ्री हो गया और उन्हे पास बुला कर बोला : "तुम तीनो छोरियां वहां क्या ख़ुसर-फुसर कर रही हो...यहाँ लाला और उसका रामलाल खड़े है तुम्हारी हाँ सुनने के लिए...ताकि कोई अच्छा सा महुरत देखकर कार्यकर्म शुरू किया जा सके...''

लाला का बस चलता तो अभी के अभी तीनो को अंदर लेजाकर अपनी चीनी की बोरियो पर फेला कर लिटा देता और एक-एक करके तीनो की चूत में अपने लंड की गोलियां दाग देता..

पर शाम का वक़्त था
और दुकान पर ग्राहक आते ही रहते थे....
वैसे तो लाला ने कभी भी दुकानदारी को तवज्जु नही दी थी चूत के सामने...
पर उसके लिए लड़कियो की रजामंदी भी ज़रूरी थी ना..

पिंकी, जो अभी तक सब कुछ डिसाईड कर ही चुकी थी, वो बोली : "लालाजी ..यहाँ ये सब करना सही नही होगा...हमारी पहचान का कोई भी यहाँ आ सकता है...आप एक काम करो..अपना काम निपटा कर वही आ जाना...झरने के पास...हम वही मिलते है..''

इतना कहकर बिना कोई और बात किए वो तीनो वहां से निकल गयी...

लाला बेचारा उन्हे जाता हुआ देखकर बुदबुदाता रह गया : "अरे, बता तो देती, सभी आज ही चुदोगी या एक एक करके .... ''

वैसे लाला तो ऐसे बातें कर रहा था जैसे सुपरमैन हो, ऐसी उम्र में एक कुंवारी लड़की ने ही उसे दिन में तारे दिखा देने थे, तीनो एकसाथ आयी तो पता नहीं क्या होगा, पर जो भी था, लाला को एक बार ट्रायी जरूर करना था ।

झरने के पास पहुंकते-2 चार बज गये....
वैसे भी इस तरफ कोई आता नही था...और आये भी तो दूर से देखा भी जा सकता था, क्योंकि ये इलाका थोड़ी ऊंचाई पर था. इसलिए वहां खुलकर कुछ भी किया जा सकता था.

और पिंकी तो हमेशा से ही नेचर की दीवानी रही है....
उसका बस चले तो अपनी पहली और हर चुदाई भी वो इस तरह जंगल में , झरने में ..पहाड़ो में ही करवाए...
एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस करती थी वो ऐसी जगहों में आकर.

झरने से गिरते पानी को देखते ही उसके अंदर का जंगलिपन फिर से बाहर आ गया और उसने आनन फानन में अपने सारे कपड़े निकाले और नंगी हो ली..



निशि के लिए तो ये आम बात थी पर नाज़िया उसे ऐसी हरकत करते देखकर हैरान रह गयी...
की कैसे एक जवान लड़की बिना किसी शर्म के अपने कपड़े उतार कर ऐसी जगह पर नंगी हो सकती है...

पर फिर उसे उसका ये करना अंदर ही अंदर अच्छा भी लगा...

लड़कियो को ऐसा ही होना चाहिए...
बिना डर के जीने की आज़ादी होनी चाहिए...
जो मन में आए वो कर देना चाहिए...
अपने अरमानो को कभी दबा कर नही रखना चाहिए...
पिंकी की देखा देखी निशि ने भी अपने कपड़े उतारे और पिंकी के साथ जाकर खड़ी हो गयी....
दोनो के नंगे शरीर देखकर नाज़िया को कुछ-2 हो रहा था.



पिंकी : "अरे नाज़िया, मैने कहा था ना,हमारे ग्रूप में रहना है तो ये शर्म-हया पीछे छोड़नी पड़ेगी...''

लाला के सामने तो उसे नंगा होने मे ज़्यादा टाइम नही लगा था...
पर इन दोनो के सामने वो सकुचा रही थी..

निशि : "रहने दे तू...अभी लाला आएगा ना , वही इसका चीरहरण करेगा अच्छे से...''

पिंकी ने फुसफुसा कर उसे कहा : "लाला तो जब आएगा , तब आएगा, उससे पहले तो मुझे इससे थोड़े मज़े लेने है...''

निशि तो शुरू से ही जानती थी की पिंकी का दिल आया हुआ है उस मुसलमाननी पर...
जब तक वो उसकी कुँवारी चूत नही चूस लेगी, उसे चैन नही मिलने वाला था..

और उसे अपने खेल में शामिल करने के लिए पिंकी के पास एक बहुत अच्छा प्लान था.

पिंकी नाज़िया के करीब गयी और अपने हाथ से उसके गालो को सहलाने लगी...

एक लड़की से मिल रहा इस तरह का स्पर्श उसे अंदर तक सुलगा रहा था..
हालाँकि उसने कभी इस तरह से मिलने वाले मज़े के बारे में नही सोचा था..
पर पिंकी का हाथ लगने मात्र से ही वो समझ गयी की ये इतना भी बुरा नही होने वाला.

और उपर से पिंकी के नंगे जिस्म को इतने करीब से देखकर उसे भी कुछ-2 हो रहा था...
भले ही आज से पहले ऐसा कुछ नही किया था पर आज ना जाने क्यो उसे उसके नंगे बूब्स को देखकर उन्हे चूसने का मन कर रहा था..



पिंकी की नज़रें जब उसकी नज़रो का पीछा करते हुए अपने बूब्स तक गयी तो वो मुस्कुरा दी और बोली : "अच्छे लग रहे है ना....?''

उसने बड़ी ही मासूमियत से हाँ में सिर हिला दिया..

पिंकी : "तुम्हे पता है...इन्हे जब होंठों और दांतो की मदद से चूसा जाता है तो इनमे से मीठा पानी निकलता है...और जिसका निकलता है उसे भी बहुत मज़ा मिलता है..और जो पीता है उसे भी...''

पिंकी की ये जानकारी ने उसकी चूत में खलबली सी मचा कर रख दी...

वो फुसफुसती हुई सी आवाज़ में बोली : "प..प...पर...ये तो....ये तो....जब ..कोई मर्द करे....तब अच्छा लगता है ना...''

अपनी छातियो को लाला से नुचवाने के बाद ये बात तो उसे भी पता थी की उन्हे चुसवाने में काफ़ी मज़ा मिलता है...
पर एक लड़की को दूसरी लड़की के मुम्मे चूसने में भी वही मज़ा मिलता है, ये बात शायद उसे हजम नही हो रही थी..
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Re: हरामी साहूकार

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पिंकी ने उसकी शंका का समाधान करते हुए कहा : "अरी हाँ पगली...लड़कियो को तो पता रहता है की इन्हे कैसे चूसना है क्योंकि वो खुद भी तो मर्द से चुस्वाते वक़्त यही सोचती है की हाँ इतनी ज़ोर से ठीक है...इतना काटा जाए तो मज़ा है...पर मर्द तो साले कुत्ते होते है...उन्हे तो ये मुम्मे एक बार चूसने को मिल जाए तो ऐसा लगता है जैसे वो इन्हे फाड़कर खा ही जाएँगे...इसलिए लड़कियों को अंदाज़ा रहता है की कितनी तेज चूसना है और कैसे ....''

नाज़िया को उसकी बात सही लगी....
लाला ने जब उसके नन्हे कपोलो को चूसा था तो उन दांतो के निशान 3 दिन तक रहे थे उसकी छाती पर...
उस वक़्त तो उनका मर्दन करवाने में उसे भी काफ़ी मज़ा आया था...
पर बाद में जब रात भर दर्द होता रहा था तो बेचारी को नींद भी नही आई थी...

उसकी चुप्पी को हाँ मानकर पिंकी ने उसके सिर के पीछे अपना हाथ लगाया और उसे धीरे-2 अपनी छाती की तरफ खींचने लगी..

और वो भी उसके जादू में फंसकर खींचती चली गयी....
और अंत में जब उसका चेहरा उसके मुम्मे के बिल्कुल सामने आया तो पिंकी का गुलाबी निप्पल उसे गुलाब जामुन जैसा रसीला दिखाई देने लगा....

ऐसा लग रहा था जैसे उस पिंक दाने में से चाशनी निकल कर बाहर आ रही है...
और उसने अगर उसपर मुँह लगाकर उसे चूस नही लिया तो वो सारी चाशनी वेस्ट हो जाएगी...



बस , फिर क्या था, नाज़िया के रसीले होंठ अपने आप खुलते चले गये और उसने पिंकी के पिंक निप्पल को मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया...

और जैसा की पिंकी ने उसे बताया था..
उसमें से एक मीठा तरल पदार्थ निकल कर उसके मुँह में जाने लगा..

उसके हाथ में अपना दूसरा मुम्मा पकड़ा कर उसने उसे भींचने को कहा ताकि उसमे हो रहे मीठे दर्द को भी आराम मिले...

पिंकी : "देखा...मज़ा आ रहा है ना.....बस...अब ऐसे ही चूसती रहो...दबाव उतना ही रखना जितना तुम चाहती हो की तुम्हारे बूब्स पर हो, जब कोई तुम्हे इस तरह से प्यार करे...''

नाज़िया को उसकी बात अब अच्छे से समझ में आ चुकी थी....
वो अपने होंठो और दांतो से उसके निप्पल को उतना ही चुभला और दबा रही थी जितना उसे अपने साथ पसंद था...
और इसका असर साफ़ देखा जा सकता था पिंकी पर...
वो नंगी होकर किसी नागिन की तरह लहरा रही थी....
सिसकारिया मारकर उसे अपनी छाती पर कभी दांये और कभी बाए निप्पल पर घुमा रही थी...

और ऐसा करते-2 कब उसने उसकी टी शर्ट को पकड़ कर उतार दिया नाज़िया को पता भी नही चला....
और ब्रा को भी एक हल्के क्लिक से निकाल फेंका...
अब वो भी उपर से पूरी नंगी थी...



नाज़िया ने पिंकी के मुम्मे फिर से चूसने शुरू कर दिए..



नाज़िया के सुडोल मुम्मो को देखकर पिंकी के साथ-2 निशि के मुँह में भी पानी भर आया...

वो भी उनके करीब आ गयी और उसने अपना मुँह नाज़िया के कड़क मुम्मे पर लगाकर उसे चूसना शुरू कर दिया...

अपनी छाती पर किसी लड़की का पहला स्पर्श उसे अंदर तक गुदगुदा गया...
पर उसे मज़ा बहुत मिला...
और उस मज़े को पिंकी ने दुगना कर दिया जब उसने अपनी छाती से नाज़िया को पीछे हटाया और खुद उसकी छाती को चूसने लगी...

अब आलम ये था की नाज़िया भारी दोपहरी में अपनी स्कूल की सहेलियो से अपनी दोनो छातियो को चुस्वा रही थी और ज़ोर-2 से सिसकारिया मार रही थी...

''आअह ......हाय अल्लाह........मर गयी......उम्म्म्ममममममममम..............मज़ा आ रहा है बहुत........ अहह....... हाय अम्मी.......... मर जाउगि ....ऐसे ही चूसती रही तुम दोनो तो.....''

उन दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और मुस्कुरा दी....

पिंकी ने जैसा सोचा था, वैसा ही मीठास लिए था नाज़िया का नशीला बदन...

एकदम कच्ची शराब जैसा नशा था उसमें..

उसका हाथ खिसककर उसकी चूत पर गया और उसे भी भींच दिया पिंकी ने...

अपने गोडाउन पर हमला होते देखकर वो तो बदहवास सी हो गयी....
आज जितना पानी तो उसने आज तक नही निकाला था अपनी चूत से....
उसकी जीन्स भी गीली हो गयी थी उस रस में डूबकर...
उसे निकाल देना ही सही लगा पिंकी को...

और जब जंगल की ठंडी हवा उसके नंगे कुल्हो से टकराई तो वो अपने पंजो पर खड़ी होकर उस एहसास को महसूस करते हुए थरथरा सी उठी...

ऐसा नशा तो उसे आज तक महसूस नही हुआ था....
शायद शराबी भी इसी तरह के सुरूर में डूब कर मज़े लेते होंगे...
उसे तो बिना शराब के ऐसा मज़ा मिल रहा था...
सच में , इस सैक्स के खेल में उसे बहुत मज़ा मिल रहा था.

जब वो पूरी नंगी हो गयी तो पिंकी उसे लेकर झरने के नीचे आ गयी....
एक साथ तीनो पर ठंडे पानी की बौछारे पड़ने लगी...
उन तीनो के गर्म जिस्मो पर पानी भाप बनकर उड़ने लगा...



पानी की बूंदे तीनो के जवान और नशीले जिस्मो को चूमती हुई चूत को टच करके नीचे गिर रही थी...
वो पानी सीधा पास के खेतो में सिंचाई के लिए जाता था...
और एक बात तो पक्की थी आज, उस मिठास लिए हुए पानी से उगने वाली फसल के इस साल अच्छे भाव मिलने वाले थे किसानो को..

पिंकी ने नाज़िया को एक चट्टान पर लिटा दिया और खुद नीचे होकर उसकी नाभि वाली हिस्से को चूसने लगी...

नाज़िया ने उसके सिर को पकड़कर उपर खींचना चाहा पर वो अपनी जीभ से उसकी नाभि वाले हिस्से को कुरेदती रही....
बड़ी अजीब सी गुदगुदी हो रही थी उसके पेट में...
और लाख कोशिश के बाद भी जब पिंकी उपर आने को तैयार नही हुई तो उसने उसे नीचे की तरफ धकेल दिया...
और यही तो पिंकी भी चाहती थी....
उसे भी काफ़ी देर से नाज़िया की देसी चूत की महक अपनी तरफ खींच रही थी....
नाज़िया ने अपनी चूत के बाल सॉफ नही किए थे...
एक घने बालो का छत्ता सा था उसकी चूत पर...



आज तक उसने सिर्फ़ निशि की चूत ही चूसी थी, जो हमेशा सॉफ रहती थी....
इस तरह से बालो वाली चूत को चूसने का उसका पहला मौका था....
पर बालो की वजह से उसकी चूत थोड़ी और भी रसीली दिख रही थी..
कारण था उसकी चूत से निकल रहा रस और उपर से गिर रहा पानी, जो उन बालो में मोती की बूंदे बनकर अटक गया था...
और वो चमक रही बूंदे, काले बालो के अंदर ऐसी लग रही थी जैसे काले गगन पर तारे टिमटिमा रहे हो...

और उसने अपनी जीभ से उन तारो को समेटना शुरू कर दिया....
कुछ तो फीके तारे थे...यानी पानी की बूंदे
और कुछ मीठे तारे थे यानी उसकी चूत से निकले रस की बूंदे.

और एक बार जब उसे उन मीठी बूँदो का स्वाद चड़ा तो वो पागल सी होकर उन्हे चूसती चली गयी....
अपनी जीभ के फावड़े से खोद-खोदकर उसने उसकी चूत से हर वो बूँद निकाल ली जो उस मिठास में डूबी हुई थी...



इसी बीच निशि ने उसके होंठो पर अपने होंठ लगाकर उसे चीखने से रोक रखा था....
पिंकी की जीभ लगने से जितनी भी सिसकारिया वो ले रही थी या चीखने का प्रयास कर रही थी, निशि ने अपने होंठो से उसके होंठो को दबाकर वो सब रोक रखा था...

जंगल मे मंगल का प्रोग्राम अपने चरम पर था और अचानक थर -2 काँपते हुए नाज़िया की कुँवारी चूत से छम-2 करते हुए सुनहरा पानी निकलना शुरू हो गया...
जो सीधा उसकी चूत चूस रही पिंकी के चेहरे पर गिरा....
ठंडक मे गर्मी का एहसास मिल गया उसे...

और अपना चेहरा अच्छे से सॉफ करके वो उपर आई और निशि के साथ ही अंदर घुसकर वो भी उसके होंठो पर टूट पड़ी....
एक साथ तीनो एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे...
एक दूसरे के जिस्मो पर उनके हाथ फिसल रहे थे....

पिंकी ने नाज़िया के हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिए...
नाज़िया समझ गयी की वो क्या चाहती है...
उसने अपनी उंगलिया उसकी चूत में डाल कर उन्हे मसलना शुरू कर दिया...
पिंकी तो सातवे आसमान पर जा पहुँची...
उसने नाज़िया के सिर को पकड़कर नीचे धकेलना शुरू कर दिया...
उसने भी मना नही किया...
कारण सॉफ था, पिंकी ने भी तो उसकी चूत चूसी थी और अब वो उससे अपनी चूत चुसवाना चाह रही थी..

और जैसे ही नाज़िया के गुलाबी होंठो ने पिंकी की चूत को टच किया....
उसकी चीख पूरे जंगल में गूँज गयी....



इसी पल के लिए तो वो ये सब पापड़ बेल रही थी....
नाज़िया से अपनी चूत चुसवाने के लिए वो कितने टाइम से तड़प रही थी...
आज उसके मन की इच्छा पूरी हुई थी.....
वो आँखे बंद करके अपनी चूत चुस्वाई का मज़ा लेने लगी.

''आआआआआआआआआहह....ओह नाज़िया..............मेरी ज़ाआाआआआं......यस्स........ ऐसे ही चूस इसे......साअली ने बहुत परेशान कर रखा है आजकल..... एक तो वो लाला....उपर से उसका वो रामलाल...... मेरी मुनिया को चैन से रहने ही नही देते...... हमेशा पनीयाती रहती है..... और जब से तुझे देखा है..... तेरे नाम से भी पनिया सी जाती थी..... आज इसे पूरा चाट ले.....मिटा दे इसकी प्यास......... ख़त्म कर दे इसके अंदर का पानी..... अहह...... मरररर गयी रे......... अहह''

और उसकी मुनिया ने तुरंत ही गाड़े और रंगहीन पानी से उसके मुँह को भर दिया......
ये स्वाद तो लाला के लंड से निकले पानी से भी अच्छा लगा नाज़िया को....
इसलिए चपर -2 करके वो सारा पानी पी गयी...

दोनो ने एक दूसरे जो झाड़कर एक दूसरे का पानी पिया और तृप्त भी हो गयी....
पर इन सबमे वो दोनो बेचारी निशि को भूल ही गयी थी...
जो अपनी तरफ से दोनो को संतुष्ट करने के लिए हर तरह की सर्विस बीच-2 में दे रही थी.

उन्होने एक दूसरे को देखा और फिर निशि को उस चट्टान पर लिटा दिया....
पिंकी ने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और नाज़िया ने दूसरी टाँग को अपने कंधे पर रखा...
निशि की रस में डूबी चूत उन दोनो के चेहरे के सामने थी..



दोनो ने एक साथ अपनी जीभ उसकी उस रसीली चूत से छुआ दी....

आज तक एक जीभ से ही पागलो की तरहा चीख मारने का रिकॉर्ड था उसके नाम...
एक के साथ दूसरी जीभ ने तो उसके अंदर एक ज़लज़ला सा ला दिया...
वो गला फाड़कर चीख उठी...

और दोनो के रेशमी बालो को बेदर्दी से पकड़कर उसने अपनी चूत पर ज़ोर से रगड़ दिया....
रगड़ क्या दिया उसे मूली की तरह घिस्स सा दिया अपनी चूत पर...
और उनकी जीभ और दांतो के खुरदुरेपन के एहसास से उसकी बाहर निकली हुई क्लिट पर जो प्रभाव पढ़ रहा था, ये तो सिर्फ़ वही जानती थी....
और जैसा की नाज़िया की चूत से गोलडन पानी निकला था, उसकी चूत ने भी भरभराकर ढेर सारा सोना बाहर उगल दिया....
जिसने उन दोनो के चेहरों को सुनहरे रंग से ढक कर चमका सा दिया...

"आअह ....भेंन की लोड़ियों .......क्या चूसती हो यार तुम दोनो.....उम्म्म्ममममम......... मज़ा आ गया..........और ज़ोर से चूसो......अंदर तक.....''

उत्तेजना में भरकर निशि के नन्हे बूब्स एकदम पत्थर जैसे हो चुके थे




पिंकी जानती थी की उसे जल्द झाड़वाना आसान काम नही है....
उसका सिर्फ़ एक ही इलाज है...
और वो है उसकी बाहर निकली हुई क्लिट...
उसकी चूत से निकल रहा रसीला पानी उसे ललचा रहा था..

उसने उसकी चूत के दाने को मुँह मे भरा और उसे जोरो से चूसना शुरू कर दिया....
अपने दांतो से उसने उसके दाने को चुभलाया भी...
उसे चबाया भी....



ऐसा करते हुए नाज़िया बड़े गोर से उसे देख रही थी...

शायद ऐसी ट्रैनिंग उसे कही और नही मिलने वाली थी...

और जल्द ही उसकी चूत से वो तनाव उत्पान होने लगा जिसके लिए पिंकी इतनी मेहनत कर रही थी.....
और फिर उसने भी अपने अंदर संभाल कर रखा हुआ रज़ कराहते हुए पिंकी के चेहरे पर फेंकना शुरू कर दिया....
पिंकी ने नाज़िया को भी अपने करीब खींच लिया और उसे भी उस स्वादिष्ट और रसीले जूस का स्वाद चखाया...

एक से बढ़कर एक था उन दोनो की चूत का स्वाद...
तभी शायद दुनिया भर के मर्दो को चूत चूसना इतना पसंद है..

और जब थक हारकर वो पीछे हटी तो एकदम से अपने पीछे खड़े लाला को देखकर सहम सी गयी..

जो ना जाने कब से उनके पीछे आकर खड़ा हुआ था और उनकी रासलीला देखकर अपने रामलाल को मसल रहा था...

लाला की हालत इस वक़्त उस मछुवारे की तरह थी जिसके जाल में इस वक़्त 3-3 जलपरियां फंसी हुई थी...
और वो भी पूरी नंगी...
बस उसे ही डिसाईड करना था की अपना लंड वो किसकी चूत में पहले पेले.
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Re: हरामी साहूकार

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mast update
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Re: हरामी साहूकार

Post by Mani »

लाल या लाला मस्त हुआ
Hi
............
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

लाला ने देखते ही देखते अपनी धोती को निकाल फेंका...
और जैसा की पूरा गाँव जानता था और अब तक ये लड़कियां भी समझ ही चुकी थी, उसने अंदर कुछ भी नही पहना हुआ था...

अंदर से सांड़ की भाँति हुंकारता हुआ रामलाल एकसाथ 3 नंगी जवानियां देखकर बेकाबू सा हो रहा था....
होता भी क्यो नही...
55 सालो में पहली बात उसने ऐसा नज़ारा देखा था, जहाँ 20 साल से भी कम उम्र की 3 कच्ची कलियाँ उसके सामने नंगी बैठी थी...

हर एक के अंगो को लाला वासना से भरी नज़रों से देख रहा था....
पिंकी के मुम्मो को देखता तो नज़रें फिसल कर नाज़िया की छाती पर चली जाती...
नाज़िआ को देखता तो निशि की फिसलन से भरी चूत उसे अपनी तरफ खींच लेती...
एक साथ 3 को मेनेज करना आसान काम नही होता किसी के लिए भी...

पर लाला जानता था की उनके साथ कैसे और क्या करना है..

उसने अपना कुर्ता भी उतार दिया ताकि अब उसके और उन जवानियो के बीच कोई अवरोध ना रहे.

लाला का बलिष्ट शरीर और लंड देखकर नाज़िया की रूह तक काँप उठी...
उसके जैसी कमसिन चूत को वो किस अंदाज से चोदेगा, ये सोचकर ही उसकी टांगे काँप रही थी...

लाला ने सबसे पहले उसी की तरफ रुख़ किया...
क्योंकि इस ग्रूप में वही थोड़ी डरी हुई सी लग रही थी.

लाला उसके करीब गया...
उसके कंधे को पकड़ कर उसे उपर उठाया और उसके नंगे बदन को अपने सीने से लगाकर चिपका लिया...

पानी मे भीगी नाज़िया का योवन जब लाला ने अपनी भुजाओ में दबाकर पीसा तो नाज़िया के हर अंग से चटकारे निकालने लगे..
दोनो के शरीर में फंसी हवा के बुलबुले निकलने लगे हर तरफ से...
लाला को तो ऐसा लगा जैसे कोई रेशम की रज़ाई लपेट ली है उसने...
ऐसा कोमल एहसास सिर्फ़ और सिर्फ़ कच्ची कली ही दे सकती है.

लाला ने उसके कूल्हे पकड़ कर मसलना और रामलाल ने उसकी चूत पर अपना चेहरा रगड़ना शुरू कर दिया.

नाज़िया के मुँह से और भी भयंकर वाली सिसकारियां निकलने लगी...
कुछ देर पहले उसकी चूत चाटकर जो मज़ा पिंकी ने दिया था, उससे अधिक मिल रहा था इस वक़्त नाज़िया को...
और लाला की बाँहों में सिसकते-2 उसने खुद ही अपने होंठो को लाला के मुँह में ठूस दिया और उनका गला पकड़ कर ऐसे झूल गयी जैसे लाला अपनी पोती को सैर पर ले जा रहा हो.

लाला ने उसके होंठो की सारी रसमलाई चूसनी शुरू कर दी....
एक-2 चुप्पे में लाला उसके मुँह से 10 एम् एल का रस निकाल कर निगल रहा था...
ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही उसने अंदर से खाली हो जाना था...
इसलिए उसने लाला का सिर पकड़ कर उसे नीचे धकेलना शुरू कर दिया...
अपनी छाती की तरफ.

लाला को और क्या चाहिए था...
इन नन्हे-2 अमरूदों को एक ही बार में मुँह मे भरकर चूसने का अपना ही मज़ा होता है...
लाला ने भी वही किया...
अपना विशाल मुँह खोलकर उसने जब नाज़िया के दाँये मुम्मे को अंदर निगला तो बेचारी उछलकर उसकी गोद में जा चढ़ी ...
पर अपनी लाख कोशिश के बावजूद वो लाला को अपनी छाती पूरी मुँह में लेने से नही रोक पाई...
और वो रोक इसलिए रही थी की ऐसा करवाने में उसे अजीब सी गुदगुदी हो रही थी...
अपने निप्पल को कटवाना अलग बात थी..
पर पूरा मुम्मा लाला के मुँह में घुस्वाना दूसरी बात.

''आअह्ह्ह अहह....... उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ लालाजी....... धीईरए....... थोड़ा थोड़ा ..... चूसो ना............. उम्म्म्ममममममममममम..... पूरा नही रे...... अहह...सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... काटो नही ना.......... उम्म्म्ममममममम''




और ये सब देखकर पिंकी और निशि का जो हाल हो रहा था , उसे बताने की ज़रूरत नही थी...

और पिंकी जानती थी की लाला को अगर ना रोका गया तो उनका नंबर ही नही आएगा...
इसलिए पिंकी ने आँखो का इशारा किया और निशि उसके साथ आगे बढ़कर लाला से लिपट गयी....
एक तरफ से पिंकी और दूसरी तरफ से निशि..
लाला के शरीर पर चारों तरफ से नंगी तितलियों ने हमला कर दिया था.

ऐसा लग रहा था जैसे पुराने बरगद के पेड़ पर नंगी अप्सराएं आकर लिपट गयी है....
तीनो एक से बढ़कर एक थी...
हर किसी की चूत में से गर्म हवा के भभके निकलकर लाला को झुलसा रहे थे...

और लाला जैसा खुशकिस्मत इंसान इस वक़्त पुर गाँव में तो क्या, पूरी दुनिया में नही हो सकता था..
वो कभी पिंकी को चूमता तो कभी निशि को....
एक हाथ से वो नाज़िया के मुम्मे मसलता तो दूसरे से पिंकी के...
और तीनो इस वक़्त अपने पुर शरीर को लाला के बदन से रगड़कर अपना इत्र उसके नाम लिखने में लगी थी...
आज के बाद लाला के बदन से महीनो तक उन तीनो के जिस्मो की खुश्बू आने वाली थी, बशर्ते लाला एक महीने तक नहाए नही...

लाला ने कल-2 बहते पानी के किनारे उन्हे एक बड़ी सी चट्टान पर बिठा दिया और उनकी टांगे खोल दी...
तीनो इतनी समझदार तो थी की एक ही पल में जान गयी की उनके साथ क्या होने वाला है...

लाला ने अपनी अजगर जैसी लपलपाती हुई जीभ से उनकी चुतों को एक-2 करके डसना शुरू कर दिया...
जिसकी चूत पर भी लाला की जीभ लगती वो सुलग उठती....
एक सिसकारी मारकर वो लाला के सर के बाल पकड़कर उसे अपनी चूत के अंदर खींच लेती.

पिंकी : "अहह...... उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ लालाजी....... क्या चूसते हो आप ......... मन करता है पूरी उम्र यही बैठी रहूं और आपसे अपनी चूत चुसवाती रहूं .....''

पर लाला का चंचल दिल जल्द ही वहां से निकलकर अगले शिकार की तरफ बढ़ जाता...
निशि की चूत का भी यही हाल हुआ जब लाला ने उसकी चूत के दाने को मुँह में भरकर चूसा ।

''उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ........ क्या तरीका है आपका लालाजी...... हेयययययय ....................अब तो सहन नही होता...... पूरा काम कर ही दो आज लालाजी...... कर ही दो....''



पर लाला ने उसकी गुहार पर भी गोर नही किया और नाज़िया की जाँघो मे अपना सिर घुसा कर वाहा की दारू पीने लगा
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