हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

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वो नाज़िया से बोली : "बेशरम....तुझे ज़रा भी लिहाज नही है बड़ों का...चल उठ और बाहर निकल यहां से....''

नाज़िया तो अपनी माँ की आवाज़ का करारापन सुनकर ही समझ गयी की वो कितना गुस्से में ये बात बोल रही है..

उसने लाला की तरफ देखा जो बड़े ही रहस्यमय ढंग से मुस्कुराए जा रहा था...
और अपनी उंगली से उसकी चूत को रगडे भी जा रहा था.

अब वो लाला से तो उस अंदाज बोल नही सकती थी ना...
इसलिए अपनी आवाज़ में थोड़ी नर्मी लाते हुए वो बोली : "लाला....ओ लाला....रहने दे ना इसको....बच्ची है अभी....''

एक बार फिर से 'जवान' हो चुकी नाज़िया के लिए ये अपशब्द सुनकर लाला का खून खोल उठा और उसने नाज़िया की चूत से निकला हाथ सीता शबाना के मुँह में ठूस दिया...
नाज़िया की चूत के रस में भीगी लिसलीसी उंगलियां उसने बड़ी ही बेदर्दी से शबाना के मुँह में ठूसी और फिर वो 'ब्राहमी आँवला तेल' उसके चेहरे पर रगड़ दिया..

शबाना बेचारी सकपका कर रह गयी....
अपनी ही बेटी की चूत का रस उसे ज़बरदस्ती निगलना पड़ा...
उसका मुँह और चेहरा अपनी ही बेटी के रस में नहाकर पूरा महक उठा..

लाला ने गुर्राती हुई आवाज में कहा : "साली...ये देख...ये तुझे किस एंगल से अभी भी बच्ची लग रही है....इसकी चूत से निकले इस रस का स्वाद तो चख ज़रा...कितना रसीला और मीठा है...इसका मतलब की ये पूरी पक चुकी है...तैयार है ये लाला के लंड को लेने के लिए...''

अपनी बेटी की नन्ही सी चूत में लाला के मोटे लंड के जाने की कल्पना मात्र से ही वो सिहर उठी...
उसे लाला से अपनी चूत मरवाते हुए करीब एक साल होने जा रहा था
पर आज भी जब लाला का लंड उसकी चूत में घुसता था तो हर बार पहली बार जैसा ही एहसास देता था...
कारण था उसकी मोटाई और लंबाई जो शायद पूरे गाँव में किसी के पास नही थी...

और ये हरामी लाला उसी लंड से उसकी फूल जैसी बेटी को चोदने की बात कर रहा है...
अर्रे, मर जाएगी वो...
बेचारी सहन नही कर पाएगी उसके रामलाल का बोझ..

इसलिए उसने बिफरते हुए कहा : "लाला...आज तक तूने मेरे साथ जो भी किया वो अलग बात है...उसमे चाहे मेरा स्वार्थ भी है...पर इसमे मेरी बेटी को ना घसीट .... जो करना है तू मेरे साथ कर ...मेरी बेटी को रहने दे अभी...''

लाला ने कटाक्ष भरी आवाज़ में कहा : "तेरे साथ करने के लिए तो पूरा गाँव खड़ा है...ख़ासकर वो गाँव के बाहर जिसका खेत है, वो नरेश....''

नरेश का नाम लाला के मुँह से सुनते ही उसे जैसे लकवा मार गया....
भला लाला को उसके बारे में कैसे पता चला...
वो तो अपना हर कदम फूँक-2 कर रखने वालो में से थी,
ऐसे में भला लाला को उसके और नरेश के बारे में कैसे पता चल गया..

लाला : "नरेश के साथ उस दिन जब तू गाँव के बाहर अपनी चूत मरवा रही थी, तब मैने तुझे देखा था....''

अपनी ही बेटी के सामने अपनी पोल खुलती देखकर वो पानी-2 हो रही थी...
उसका सिर झुक गया...

लाला : "देख, जैसे तू अपनी लाइफ में ना जाने कहां - 2 और कैसे-2 मज़े करती है, वैसे ही मुझे भी वो सब करने का हक है...समझी...और रही बात तेरी इस बेटी की तो एक बात कान खोलकर सुन ले...ये तेरी 'बच्ची' कल शाम ही लाला से चुद चुकी है....और इसलिए इसे अब बार-2 बच्ची कहना बंद कर...अब ये समझदार हो चुकी है...''

लाला ने एक ही बार में माँ -बेटी के राज एक दूसरे के सामने उजागर करके सब कुछ खोलकर रख दिया...
और लाला ने ये जान बूझकर ही किया था, क्योंकि वो जानता था की उसे अगर आगे भी नाज़िया की चूत मारनी है तो शबाना को इस खेल में शामिल करके ही ये काम करना पड़ेगा...

अपनी बेटी के 'जवान' होने की खबर सुनकर उसकी आँखो के सामने अंधेरा सा छा गया...
उसे अपनी पहली चुदाई के वो दिन याद आ गये जब वो अपनी बेटी से भी कम उम्र में अपने यार से चुद बैठी थी...
यानी जैसी माँ थी, वैसी ही बेटी भी निकली..

पर अब इस बात को बड़ाने का कोई फयडा नही था..
क्योंकि शबाना भी जानती थी की लाला को कुछ बोलने का फ़ायदा ही नही है,
वो लक्कड़बुद्धि कुछ भी समझेगा नही और उपर से उससे दुश्मनी लेकर वो उस गाँव में भी रहने लायक नही रहेगी...
एक तो उसका और नरेश के चक्कर के बारे में बताकर लाला ने उसे वैसे ही धमका दिया था और उपर से लाला से मिलने वाली मदद भी हमेशा के लिए बंद हो जानी थी,
ऐसे में उसे और उसकी बेटी को धंधा ही करना पड़ता...
बेटी तो चुद ही चुकी थी, इसलिए लाला के सामने झुककर उसकी बात मानने में ही समझदारी लगी उसे..

शबाना को चुप देखकर लाला उसके करीब खिसक आया और बोला : "देख...तू भी जानती है की मेरी सिर्फ़ एक ही कमज़ोरी है..और वो है सैक्स ..तू अपनी बेटी के साथ मिलकर मुझे खुश रख और मेरा वादा है की पूरी जिंदगी मैं तेरे घर में चूल्हा ठंडा नही होने दूँगा..''

अंदर से निश्चय तो वो पहले से ही कर चुकी थी इसलिए लाला की ये बात सुनकर उसके पास सिर हिलाने के सिवा कोई चारा ही नही बचा था..

अपनी माँ को लाला के सामने सिर हिलाता देखकर सबसे ज़्यादा खुशी तो नाज़िया को हुई थी...
क्योंकि अपनी माँ से हमेशा दब कर रहने वाली नाज़िया अब बिना किसी डर के लाला का लंड ले सकती थी.
और उसी एक्साइटमेंट में वो झट्ट से उठकर बैठ गयी...
उसके चेहरे पर आई खुशी देखते ही बनती थी....
लाला ने भी उसकी खुशी का फायदा उठाया और उसे अपनी गोद में खींच कर उसे चूमना शुरू कर दिया...

अभी कुछ देर पहले तक जिस गोद में शबाना बैठकर अपने होंठ और मुम्मे से चुस्वा रही थी,
वहीं पर इस वक़्त उसकी बेटी नाज़िया बैठ कर वो काम करवा रही थी...
ये वक़्त भी कितनी जल्दी करवट लेता है...

लाला के कदमो में बैठी हुई शबाना उपर मुँह करके अपनी बेटी को वो सब करते देख रही थी की कैसे वो अपनी छातियां लाला के सीने में दबा- दबाकर उनके होंठो को चूस रही है...
और इसी बात से उसे पता चल रहा था की वो कितनी बड़ी रंडी बन चुकी है अभी से..

लाला ने एक ही झटके में उसकी टी शर्ट को उतार फेंका और नीचे हाथ करके उसकी पेंटी भी निकाल दी...
शबाना ने भी शायद पहली बार अपनी बेटी के जवान जिस्म को इस तरह से इतने करीब से नंगा देखा था...
ऐसी तो वो भी नही थी जब वो इस उम्र में थी...
नाज़िआ के हर अंग अच्छे से उभर चुके थे....
लाला की नीयत तो बिगड़नी ही थी.
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Re: हरामी साहूकार

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उन्हे ऐसे चूमा चाटी करते देखकर उसे भी कुछ-2 हो रहा था...

वो सोच ही रही थी की क्या करे की लाला का हाथ उसके सिर पर आ लगा और उसे एक बार फिर से अपने खड़े हुए लंड की तरफ खींच कर वो बोला : "चल...शुरू हो जा फिर से...''

बेचारी करती भी क्या....
लाला के लंड को एक बार फिर से पकड़ा और अपने मुँह में डालकर पहले की भाँति फिर से उसे चूसने लगी..



नाज़िया की मचल रही चूत उसके चेहरे से थोड़ी ही दूर थी...
उसमें से आ रही महक भी उसे काफ़ी उत्तेजित कर रही थी....
पर वो अपनी तरफ से कुछ करना नही चाहती थी.

पर लाला तो कर सकता था ना...
और उसने किया भी.

उसने शबाना के मुँह से अपना लंड निकाला और उसे थोड़ा उपर खींचकर नाज़िया की चूत पर उसका मुँह रखकर ज़ोर से दबा दिया...

शबाना के तो दिल की धड़कन ही रुकने को हो गयी...
उसने तो शायद आज से पहले सपने में भी नही सोचा था की उसे अपनी ही बेटी की चूत चाटनी पड़ेगी...
पर जो भी था, उसे नाज़िया की जवानी से लबालब चूत को चाटने में मज़ा बहुत मिल रहा था...
ऐसा लग रहा था जैसे कच्चा नारियल खोलकर उसमे से ठंडा पानी पी रही है वो
इस उम्र में जो रस निकलता है ना चूत से, उसके स्वाद का तो कोई मुकालबला ही नही है...
एकदम गन्ने के रस जैसी मीठास थी उसकी चूत के रस की...
आख़िर बेटी किसकी थी.

और इसी बात पर इतराती हुई शबाना ने पूरे ज़ोर से नाज़िया के निचले होंठो को कुरेदकर उनका रस निकालना शुरू कर दिया...



उपर से लाला ने उसके नन्हे बूब्स को अपने होंठो से जकड़ रखा था...
ऐसे में नाज़िया के पास सिर्फ़ ज़ोर से चिल्लाने के सिवा कुछ और काम रह ही नही गया था..

''आआआआआआआआआआआआआहह...... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ लालाजी ....... धीरेरए...... ये मेरे बूब्स है..... आपकी दुकान पर रखी ब्रेड नही जो ऐसे चबा रहे हो..... ओह्ह्ह ..... ओह अम्म्मी...... आप तो कमाल का चूसती हो..... उम्म्म्ममममममममममम..... अब तो रोज रात को सोने से पहले.... अहह ...आपसे चुसवाऊँगी ..... उम्म्म्ममममम.....''

अपनी बेटी के मुँह से ये बात सुनकर शबाना की चूत में भी हरारत सी होने लगी...
अब उसकी आने वाली रातें अपनी चूत मसलते हुए नही निकला करेगी...

वो ये सोचकर नाज़िया की चूत चूस ही रही थी की लाला ने उसके मुँह से नाज़िया की चूत को खींच लिया...
बुरा तो उसे बहुत लगा क्योंकि उसे वो सब करने में काफ़ी मज़ा मिल रहा था..

और अचानक उसने देखा की लाला ने अपने रामलाल को नाज़िया की चूत से निकले रस से पूरी तरह से चोपड़ दिया...
और फिर नाज़िया को थोड़ा उपर उठा कर अपने लंड की मिनार पर बिठा लिया...

और ये सब शबाना के चेहरे से सिर्फ़ 5 इंच की दूरी पर हो रहा था...
अभी कुछ देर पहले ही वो लाला को उसकी नन्ही चूत ना फाड़ने की दुहाई दे रही थी
और अभी ही उसे वो सब देखने को भी मिल रहा था...

और जैसा की उसने सोचा था, वैसा कुछ भी नही हुआ...

लाला के लंड ने बड़ी शालीनता से उसकी चूत में प्रवेश किया और उतनी ही सहजता के साथ नाज़िया का शरीर थरथराता हुआ सा नीचे आता चला गया और लाला के 9 इंची लंड को एक ही बार में पूरा का पूरा निगल गया..



और साथ में उसे सुनाई दी नाज़िया की सिसकारिया
जो इतनी मीठी थी की उन्हे सुनकर ही वो अंदाज़ा लगा सकती थी की उसे इस वक़्त कितना मज़ा मिल रहा था..

''आआआआआआआआआआअहह.....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... ओह.... लालाआआआआजी......... उम्म्म्मममममममममम........ अब सही में मज़ा मिला है.... कल जो दर्द था अब वो मज़ा बन चुका है....अहह....... उम्म्म्मममममममम..... चोदो मुझे लालाजी.... चोदो ..... ज़ोर से चोदो ... जैसे मेरी अम्मी को चोदा करते हो.... ठीक वैसे ही.......''

बस...
फिर क्या था...
लाला ने उसके कूल्हे पकड़े और खड़ा हो गया
फिर उसे हवा में उपर नीचे करते हुए उसने ऐसी -2 पटकनियाँ दी अपने लंड पर की उसकी गांड पर लाल-2 निशान पड़ने लग गये...



हर बार जब वो नीचे आती तो उसे ऐसा लगता की एक लंबा सा बंबू उसके शरीर के अंदर जा रहा है और उसे उत्तेजना के शिखर की तरफ धकेल रहा है...

और थोड़ी देर उसे ऐसे ही चोदने के बाद लाला ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया...
उसकी टांगे हवा में उठाई और अपना पठानी लंड उसके अंदर पेलकर एक बार फिर से किसी मशीने की भाँति उसे चोदने लगा..

लाला के हर झटके से नाज़िया को ऐसा लग रहा था की उसके उपर नीचे हो रहे मुम्मे उसका साथ छोड़कर बाहर निकल जाएँगे...
इसलिए उन्हे अपने हाथो से थाम लिया उसने...
पर लाला ने उसके हाथ हटा दिए..
चुदाई करते वक़्त उसे हिलते हुए मुम्मे देखने में काफ़ी मज़ा मिलता था..



और इस मज़े को ये जवान लड़किया और भी बड़ा देती थी..
वरना ढीले मुम्मे तो नीचे ढलके रहते थे उनका उपर नीचे होना तो बहुत कम ही हो पता था..

लाला ने नीचे झुककर उन अनार दानो को चूम लिया और उन्हे चूसते -2 वो चुदाई करने लगा...
और जल्द ही वो अपने मुकाम पर भी जा पहुँचा...
और आख़िर में उसने अपने लंड को बाहर निकाला और अपने लंड के पानी का छिड़काव नाज़िया के गर्म जिस्म पर करके उसे ठंडा कर दिया...



''आआआआआआअहह ले साली....... ये रहा मेरा माआल..... अहह...... खा जा इसे........... मज़ा ले.....''

उसने तो नही पर शबाना ने उपर उठकर अपनी बेटी के पसीने से भीगे बदन पर गिरी मलाई को चाटना शुरू कर दिया...
और उसे चाटकार ऐसे चमका दिया जैसे अभी नहा धोकर निकली हो वो...



लाला की हालत ऐसी हो चुकी थी जैसे उसके अंदर की सारी शक्ति निकाल ली हो इन माँ बेटी ने...

कुछ देर तक लेटे रहने के बाद वो उठा और चुपचाप अपने कपड़े पहन कर बाहर निकल गया...
और पीछे छोड़ गया उन नंगी माँ बेटी को, जिनका दिन तो अभी शुरू ही हुआ था.

लाला के जाने के बाद नाज़िया ऐसे ही नंगी उठकर बाहर तक गयी और दरवाजा बंद करके वापिस आ गयी.

वापिस आकर देखा तो उसने पाया की उसकी माँ शबाना अब उस पलंग पर टांगे पसार कर नंगी लेटी हुई है, जहां कुछ देर पहले तक वो खुद चुद रही थी..

नाज़िया को उसने इशारे से अपने पास बुलाया और बेड पर बिठा लिया

और बोली : "देख बेटी..आज जो कुछ भी हुआ है, वो बात हमारे बीच ही रहनी चाहिए.. क्योंकि ये बात अगर गाँव में किसी को भी पता चल गयी तो हमे ये गाँव छोड़कर कही और जाना पड़ेगा, जो अब मेरे बस का नही है...समझी...और वैसे भी अब तो तू समझदार हो गयी है...इतनी बात तो तेरी समझ में आ ही रही होगी..''
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Re: हरामी साहूकार

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नंगी माँ ने अपनी बेटी को लेटे -2 ताना दे दिया उसकी चुदाई का..

शबाना : "अब ऐसे बुत्त बनकर क्या देख रही है...चल काम पर लग जा...तुझे तो वो बुड्ढा संतुष्ट कर गया, पर मेरी आग तो अभी तक जल रही है...''

बात तो वो सही कह रही थी...
एक तरह से शबाना की चुदाई को उसके मुँह से खींचकर अपनी चूत तक ले गयी थी उसकी बेटी नाज़िया..
ऐसे में शबाना का इस आग में जलना तो बनता ही था..

और नाज़िया ने भी अपनी माँ की बात मानना ही सही समझा...
क्योंकि ऐसे घर बैठे अगर थोड़ी बहुत चूसम चुसाई करने को मिल जाए तो ये सोने पर सुहागा ही होगा उसकी लाइफ के लिए..
और वैसे भी अभी तक तो चूत चूसने में उसे मज़ा ही आया था...
आज खुद की माँ की भी चूस कर देख लेगी की इसमे क्या हर्ज है.



इसलिए वो चुपचाप उठी और अपनी माँ की टाँगो के बीच जाकर लेट गयी...
शबाना ने अपनी जाँघो के बीच उसके सिर को फँसाया और अपनी चूत को उपर करते हुए उसके चेहरे पर ज़ोर से दबा दिया..

अपनी माँ की उस चूत को चूस्कर , जिसमें से वो खुद निकली थी, आज नाज़िया को बहुत आनंद आ रहा था..
सबसे पहली बात तो ये थी की ये भी पिंकी की चूत जैसी मीठी थी...
उपर से इतने सालो से हो रही चुदाई की वजह से वो फूल कर इतनी मोटी हो चुकी थी की उसे चूसते हुए ऐसा फील हो रहा था जैसे कोई फ्रूट छील कर उसके सामने रख दिया हो, और उसकी मिठास को मुँह में लेकर वो बस उसे खाये जा रही थी.



अपनी जीभ को जब नाज़िया ने अपनी माँ की मोटी चूत में उतारा तो वो एक आनंद भरे मजे में भरकर चिल्ला पड़ी..

''आआआआआआआआआआआआआहह......... हाआआआआआन्न्*नणणन्,....... ऐसे ही चूस...... उम्म्म्मममममममम......... वाााआअहह..... क्या मस्त चूस रही है री तू तो...... आहह...कहाँ से सीखा ये तूने...... ह्म्*म्म्ममम.... बोल.....''

उसने अपनी माँ की चूत के रस से भीगा चेहरा उपर उठाया और बोली : "कुछ चीज़े तो लड़कियां अपनी माँ की चूत से ही सीखकर बाहर निकलती है अम्मी..''

ये सुनकर शबाना मुस्कुरा दी और उसका सिर पकड़कर एक बार फिर से उसे उसकी माँ की चूत यानी अपनी फुददी में घुसा दिया..

शबाना को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जीभ नही बल्कि कोई रेशम का कीड़ा चल रहा है उसकी नंगी चूत पर....
जो उसकी चूत के रस में नहाकर और उस नशे में डूबकर लड़खड़ा सा रहा है और इधर उधर गिर रहा है...

नाज़िया का पूरा चेहरा और नाक तक शबाना के रस में डूबकर गीली हो चुकी थी...
और अचानक शबाना का पूरा शरीर अकड़ने सा लग गया...
ये वो संकेत था जिसे नाज़िया को समझने में एक पल भी नही लगा और उसने अपनी जीभ का चप्पू अपनी माँ की नैय्या में बैठकर और ज़ोर से चलाना शुरू कर दिया ....
और जल्द ही उस नदी का बाँध टूट गया जिसमे वो नैय्या चल रही थी....
और कलकल करता हुआ ढेर सारा गाड़ा रस शबाना की चूत से निकलकर नाज़िया के चेहरे पर बरसने लगा..

''ओह........ उम्म्म्मममममममममममममम.......... हाय अल्लाह ....... क्या ग़ज़ब का चूसती है री तू...... अहह.... अब तो रोज की ड्यूटी लगानी पड़ेगी तेरी इस काम के लिए....''



नाज़िया ने भी हंसते हुए अपनी सहमति दे डाली...
भला ऐसा काम करने में उसे क्या परेशानी होने वाली थी.

और वैसे भी अपनी अम्मी की चूत का मक्खन चाटकर ही वो उन्हे पटा कर रख सकती थी, ताकि वो उन्हे भविश्य में होने वाली चुदाइयों के लिए मना न करे..अपनी माँ को अच्छे से संतुष्ट करके वो नहाने चली गयी.

लाला ने जब दुकान खोली तो 12 बज रहे थे...
धंधे की माँ चोद कर रख दी थी लाला ने अपने कारनामो की वजह से..

उसे तो बस 2 बजने का इंतजार था..
और वो बज भी गये...
और जिस बात के लिए उसे इंतजार था वो हो भी गयी...
यानी पिंकी और निशि उसे अपनी दुकान की तरफ आती हुई दिखाई दे गयी..

लाला को देखकर उनकी छाती ऐसे निकल आई जैसे मिल्ट्री में दाखिले का फार्म भरने आयी हो...
और लाला की पारखी नज़रों को ये जानने में एक मिनट भी नही लगा की उन हरामजादियों ने हमेशा की तरह आज भी अपनी शर्ट के नीचे ब्रा नही पहनी है.

लाला अपने लंड को धोती में पकड़कर बुदबुदाया : "भेंन की लोड़ियाँ , मेरी जान लेकर रहेगी अपनी इन अदाओ से..''

दोनो लाला के सामने आकर खड़ी हुई और एक सैक्सी सी मुस्कान बिखेरती हुई पिंकी ने लाला से कहा : "लालाजी...आज तो सुबह -2 ही थके हुए से लग रहे हो...लगता है नाज़िया के घर से होकर आ रहे हो...''

इतना कहकर वो दोनो एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर हंस दी..

लाला : "हाँ ....और सुबह -2 उसे उसी की अम्मी के सामने चोदकर भी आ रहा हूँ मैं ...''

लाला ने जब अपनी शेखी बघारते हुए ये बात उनसे कही तो दोनो के चेहरे देखने लायक थे...
उन्हे पता था की लाला कभी झूट नही बोलता पर इस बात पर उन्हे विश्वास ही नही हो रहा था...
लाला ने उनकी बात का अच्छे से जवाब दे दिया था आज...

और इस कल्पना मात्र से ही की आज फिर से नाज़िया ने लाला का लंड अपने अंदर लिया है, दोनो का शरीर जलन के मारे काँपने सा लगा...
और ये सोचकर की लाला ने शबाना आंटी के सामने ही उनकी सहेली को चोद डाला है , उन दोनो की चुतों से आमपन्ना निकलकर बाहर बहने लगा.

ये लाला तो सच में बड़ा ही हरामी है, ये कुछ भी कर सकता है...

लेकिन अब उन दोनो ने भी सोच लिया था की अपनी चुदाई करवाकर ही रहेगी, वरना ऐसे डरकर पीछे हटे रहने की वजह से तो सारी मलाई नाज़िया ही खाती चली जाएगी और वो दोनो मूर्ख बनकर सिर्फ़ लाला और उसकी चुदाई की कहानियां ही सुनते और देखते रह जाएगे..

इसलिए अपनी उत्तेजना से भरी आवाज़ में पिंकी ने कहा : "लाला...अब बहुत हुआ...अब नही सहा जाता हमसे....जब कहेगा..जहां कहेगा, हम दोनो तेरी सेवा के लिए हाजिर है....''

और लाला तो कब से पिंकी के गुलाबी होंठो से इस बात को सुनने के लिए मचल रहा था...
आज उसकी इच्छा पूरी हुई थी.

लेकिन उम्र का तक़ाज़ा था लाला के साथ...
थोड़ी देर पहले नाज़िया की चूत मारने के बाद उसे कम से कम 10 घंटो का टाइम चाहिए था अपने आप को रिचार्ज करने के लिए..

और ये बात तो वो दोनो भी जानती थी...
लेकिन अपने दिल की बात लाला को बोलकर कम से कम वो अपनी चुदाई की बुकिंग ज़रूर करवा लेना चाहती थी,कहीं ऐसा ना हो की ये भंवरा किसी और की चूत का शहद पीने के लिए उड़ जाए...

उनकी चुदाई कैसे करनी है और कहा करनी है , इसके लिए तो लाला को सोचने का समय चाहिए था...
पर आज वो एक काम उन दोनो से ज़रूर करवा लेना चाहता था..
एक दबी हुई सी इक्चा थी उसके मन की
जब से उसने पिंकी और निशि की जवानी को देखा था
तब से ये बात उसके अंदर दबी हुई सी थी...

और आज उसे पूरा करवाने का अच्छा मौका था...
दोनो उसके सामने भी थी और गिड़गिड़ाकर चुदाई के लिए भीख भी माँग रही थी...
ऐसे में उनका भी मना करने का सवाल ही नही उठता था..

लाला बोला : "अभी के लिए तो ये काम मुमकिन ना हे, पर मैं तुम दोनो को निराश होके जाने ना दूँगा...''

और इतना कहकर वो अपनी कुर्सी से उठा और खड़े होकर गली में दोनो तरफ अच्छे से देखा...
दूर-२ तक कोई नहीं था.

और फिर उन्हे इशारा करके जल्दी से अंदर की तरफ आने को कहा...
उन दोनो को कुछ समझ नहीं आया की ये लाला उन्हे अपने पास क्यो बुला रहा है...
कुछ करने का मन है तो अंदर गोडाउन में ही ले चले ना...
आज तो दोनो कुछ भी करने को उतारू थी...
अपनी कुर्सी के पास बुलाकर उसे भला क्या मिलेगा...

पर इस वक़्त उन्होने बहस करनी उचित नही समझी और चुपचाल काउंटर का फाटक नुमा फट्टा उठाकर अंदर की तरफ आ गयी...
लाला ने उन दोनो की बाहें पकड़कर तुरंत अपने काउंटर के नीचे की तरफ घुसने को कहा...
अभी भी उन दोनो के चेहरों पर जिज्ञासा के भाव थे की आख़िर ये ठरकी बुड्ढा करना क्या चाहता है...
पर बेचारियों के पास लाला की बात को मानने के सिवा कोई चारा भी नही था...
दोनो अंदर घुसकर उकड़ू होकर बैठ गयी...

फिर लाला ने बड़ी शान से कुर्सी को उन दोनो के सामने की तरफ खींचा और बैठ गया...
दोनो उसके पैरो के पास बैठी थी...
अब कुछ-2 उन्हे समझ में आने लगा था की लाला के दिमाग़ में क्या चल रहा है.
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Re: हरामी साहूकार

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लाला ने अपनी धोती को थोड़ा उपर किया और उन दोनो के मुँह पकड़कर अंदर की तरफ खींच लिया...
अब आलम ये था की भरी दोपहरी में वो दोनो जवान छोरियां लाला की धोती के अंदर छुपी बैठी थी...
और उनके सामने था चुदाई के बाद सुस्ता रहा लाला का रामलाल.

इस स्थिति में अब दोनो को मज़ा भी आ रहा था...
दोनो खि-2 करके हंस भी रही थी...
पर लाला ने उन्हे चुप रहने को कहा...
और अपने हाथ से रामलाल को पकड़कर उनके चेहरे पर रगड़ दिया...
बाकी का काम वो दोनो समझ गयी.

पिंकी ने रामलाल को पकड़ा और उसकी भीनी-2 खुश्बू सूंघने के बाद उसे चूम लिया...
लाला अपनी कुर्सी पर बैठा-2 सिहर उठा..




और रामलाल भी अंगड़ाई लेकर उठ खड़ा हुआ की अब भला कौन आ गया..
और जब रामलाल ने उस अंधेरी गुफा में पिंकी और निशि के चेहरे इतने करीब से देखे तो वो भी अपने मालिक को थेंक्स किए बिना नही रह सका...

पर मन ही मन रामलाल भी जानता था की अभी उसमे चुदाई करने की तो ताक़त है ही नही, फिर भला इनसे लंड चुसवाकर लाला को क्या लाभ मिलने वाला है..

पर लाला की बात तो सिर्फ़ लाला ही जानता था..
इसलिए रामलाल भी अपने आपको लाला के भरोसे छोड़कर उन दोनो हसीनाओं के गुलाबी होंठो का मज़ा लेने लगा...


वैसे देखा जाए तो लाला का असली गोडाउन तो यही था, जिसमें डूबकर बैठी पिंकी और निशि उसके असली माल को चूम चाट रही थी..

पिंकी ने रामलाल की गर्दन मरोड़कर अपने कब्ज़े में ली और उसे ज़ोर-2 से चूसने लगी...
लालाजी की गांड भी अपनी कुर्सी से उपर होकर हवा में उठ गयी...
भला अपने लंड पर 2 बिल्लियां चिपटी हो तो गांड भला कुर्सी पर कैसे टिकती उसकी...
दोनों रामलाल को अपने -२ मुंह में लेने के लिए एक दूसरे से लड़ भी रही थी



लाला आँखे बंद किए उस चूसम चुसाई और उन दोनो बिल्लियों के बीच हो रही छीना झपटी का आनंद ले ही रहा था की एक ग्राहक दुकान पर आकर खड़ा हो गया..

और लाला को ऐसे आँखे बंद किए मुँह बनाते देखकर बोला : "अर्रे लालाजी , दिन में ही सपने देख रहे हो क्या...''

लाला की तो फट्ट कर हाथ में आ गयी और उन्होंने तुरंत आँखे खोल दी
आवाज़ सुनकर पिंकी और निशि ने भी रामलाल को मुँह से निकाल फेंका..

लाला ने खिसियाई हुई सी आवाज़ में उस ग्राहक से कहा : "मेरी मर्ज़ी, मैं चाहे कुछ भी करू, तू बोल क्या चाहिए...''

ग्राहक : "लालाजी ...दूध लेना था...''

अब लाला के पास दूध तो था पर अंदर फ्रिज में रखा हुआ था वो
और ऐसी हालत में उठकर वो अंदर जाना नही चाहता था..

इसलिए वो बोले : "दूध नही है...ख़त्म हो गया...''

ग्राहक : "ऐसे कैसे लालाजी ...अभी तो 3 भी नही बजे...आज इतनी जल्दी दूध कैसे ख़त्म हो गया...''

लाला ने गुस्से में भरकर उसे गाली निकाली और बोला : "भेंन चोद, अब मैं तुझे ये भी बताऊँ की कैसे ख़त्म हो गया दूध ...चल निकल यहाँ से...''

लाला की दूड़की सुनकर वो बेचारा भाग खड़ा हुआ...
लाला के गुस्से को तो पूरा गाँव जानता था...उस लड़के को तो समझ ही नहीं आया की इसमें गाली देने वाली क्या बात थी.
पर पिंकी और निशि ही जानती थी की लाला को ये गुस्सा क्यों आ रहा है...ऐसे में कोई भी डिस्टर्ब करे तो गुस्सा तो आएगा ही.

और आज एक बार फिर लाला ने अपनी रंगीलियों की वजह से धंधे की वाट लगाकर रख दी.

लाला ने नीचे हाथ करके उनके चेहरे पर अपना हाथ फेरा और उन्हे पुचकारते हुए कहा : "अर्रे...तुम क्यो रुक गयी...तुम दोनो तो चालू रहो...चलो-2...शाबाश''

इतना कहकर उनके उपर फिर से अपनी धोती डालकर लाला ने उन्हे अपने घेरे में ले लिया...

और वो दोनो फिर से लाला का लंड और गोटियां चूसने में बिज़ी हो गयी...



ऐसी परिस्थिति में ये सब करना उन्हे भी काफ़ी रोचक लग रहा था...
इसलिए लाला को आज वो दोनो अच्छे से खुश करके जाना चाहते थे.

पर उपर वाले को शायद ये मंजूर नही था...

जैसे ही लाला के लंड ने पिंकी के मुँह में जाकर फिर से अकड़ना शुरू किया, एक और ग्राहक की आवाज़ आई : "लालाजी....2 किलो चावल देना...''

और इस बार लाला के साथ-2 पिंकी की भी फट्ट कर हाथ में आ गयी...
क्योंकि ये आवाज़ उसकी माँ की थी.
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