हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

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नाज़िया : "हाय ......या मेरे खुदा........ये लाला के मुँह में कैसा जादू है.... मैं तो मदमस्त हो रही हूँ ..... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़....अम्म्मी......ये लाला तो मुझे मार ही डालेगा....''

ऐसा करते-2 लाला ने तीनो की चुतों से देसी शराब चखी ...
पर उन्हे झड़ने नही दिया....
वैसे भी लाला देख ही चुका था की वो तीनो उसके आने से पहले क्या कर रही थी.....
एक बार और उन्हे झाड़ दिया तो वो आगे के खेल के लिए तैयार नही रह पाएगी...

इसलिए तीनो की चूते थोड़ी-2 चाटकर वो उनके सामने खड़ा हो गया...
एक बार फिर से रामलाल को इतने करीब से देखकर तीनो के मुँह में पानी आ गया और वो एकसाथ ही उसपर टूट पड़ी...

किसी के हिस्से में लंड आया तो किसी के हिस्से में बॉल्स आयी
नाज़िआ सबसे छोटी थी, उसके हिस्से में लाला की गांड आयी .



लाला तो बदहवास सा हो गया..
ऐसा लगा जैसे 3 बड़ी मछलियो ने उसके दोस्त रामलाल पर हमला कर दिया है और अपने पैने दांतो से उसे कुतर रही है...
चूस रही है...
सक कर रही है...

पर फिर भी उसे मज़ा बहुत मिल रहा था..

वो तीनो के रेशमी बालो से उन्हे कंट्रोल करता हुआ अपना लंड चुसवा रहा था...



और चुस्वाते हुए वो ये भी सोच रहा था की आज वो इस खेल से आगे बढ़कर ही रहेगा...

जैसा की उसने हमेशा से सोच रखा था, की पिंकी और निशि को एक साथ फँसाकर उन्हे नंगा करके चोदेगा ...
पर ये वो भी जानता था की ऐसी उम्र में वो एक ही कच्ची कली को ढंग से चोद पाएगा..
और यहा तो अब दो नही तीन -2 कुँवारी चूते उसके सामने थी....
बस वो यही सोच रहा था की पहले वो किसे चोदे ।

और इस दुविधा को नाज़िया ने आसान कर दिया...

वो लाला के मोटे लंड को चूसती हुई बोली : "ओह्ह्ह लालाजी .....अब सब्र नही होता.....प्लीज़ इसे मेरी चूत में डाल दो....जैसे अम्मी को चोदा था, वैसे ही चोदो मुझे भी.....अहह''

नाज़िया के मुँह से ये बात सुनकर पिंकी और निशि भी हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी...
जैसे कह रही हो की देखो तो ज़रा, ये कल की आई लोंड़िया हमसे पहले लाला के लंड से चुदना चाहती है..

पर अंदर ही अंदर उनके मन में जो लाला के लंड से चुदने से होने वाले दर्द का डर था, वो भी उन्हे ऐसा करने से रोक रहा था...
नाज़िया में पता नही कहां से इतनी हिम्मत आ गयी थी की वो खुद ही चुदने को बोल रही थी...

इसलिए नाज़िया की बात सुनकर उन्हे यही सही लगा की आज के लिए नाज़िया को ही चुदवा लेना चाहिए लाला से...
ताकि पता तो चल सके की लाला का लंड जब कुँवारी चूत के परख़च्चे उड़ाता है तो कितना दर्द होता है...
उसकी चुदाई देखकर कुछ सीखने को ही मिलेगा उन्हे..
ताकि अपनी चुदाई के वक़्त वो दोनो थोड़ी बहुत एहतियात बरत सके...

लाला ने पिंकी और निशि को देखा तो उन दोनो ने भी अपनी स्वीकृति देकर लाला को नाज़िया की चुदाई करने के लिए उकसा दिया...

बस , फिर क्या था...
लाला की आँखे चमक उठी....

उसने आव देखा ना ताव, नाज़िया को लेकर समतल ज़मीन पर आ गया और 2-4 बड़े से केले के पत्तो को बिछाकर उसपर लेट गया...
बिस्तर होता तो शायद लाला का आसन दूसरा होता..
पर यहा जंगल में यही सही लग रहा था लाला को...
वो ज़मीन पर लेट गया और नाज़िया को अपने उपर आने को कहा...

नाज़िया ने बोल तो दिया था चुदने को पर उसकी भी अंदर से फट्ट रही थी...
पर उसे भी पता था की आज नही तो कल उसे लाला के लंड को अंदर लेना ही है...
वरना वो मर जाएगी...

पर वो ये नही जानती थी की लाला के लंड को लेकर भी वो मरने जैसी ही होने वाली थी...

लाला के दोनो तरफ अपने पैर रखकर वो खड़ी हुई तो उसके घुटने तक तो रामलाल आ रहा था ...
जो इस बात को साबित कर रहा था की वो किसे अपने अंदर लेकर क्या हालत होने वाली है आज उसकी...

खैर, जब ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना..
ये सोचकर नाज़िया ने उपर वाले का नाम लिया, अपनी अम्मी का चुदाई करवाते हुए मस्ती भरा चेहरा याद किया और एक ही झटके में लाला के लंड पर बैठ गयी...

उसे लगा था की वो बैठेगी और वो लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस जाएगा एक ही बार में ...
पर वो नादान ये नही जानती थी की एक नन्ही सी चूत में जब इतना मोटा बाँस जैसा लंड जाता है तो क्या होता है...
वो उसकी चूत के मुहाने पर ही अटक गया...
बेचारी के चेहरे पर हल्का दर्द था पर वो समझ नही पा रही थी की अब करे तो क्या करे...



लाला ने उसकी परेशानी हल कर दी...
पहले तो लाला ने अपने लंड पर ढेर सारी थूक मली...
और फिर उसकी चूत को फेलाकर जब अपने लंड पर लगाया तो एक ही बार में लाला का सुपाड़ा अंदर घुस गया...
नाज़िया के लिए ये एहसास ऐसा था जैसे कार का गियर उसकी चूत में घुसा दिया हो किसी ने...
इतना मोटा सुपाड़ा था लाला के रामलाल का..

पर खेल तो अभी शुरू हुआ था....

लाला ने उसकी पतली कमर पर हाथ रखा और उसे एक ही झटके में नीचे खींच लिया...
रामलाल उसकी चूत की धज्जिया उड़ाता हुआ फक्क देनी से अंदर घुसता चला गया...

और बेचारी नाज़िया की चीख पूरे जंगल में ऐसी गूँजी जैसे किसी हिरनी को शेर ने उसकी गर्दन से पकड़कर दबोच लिया हो...

लहू की एक गर्म पिचकारी ने लाला के लंड का राज्याभिषेक कर दिया....
एक और कुँवारी चूत पर रामलाल के जुल्मो की कहानी लिखी जा चुकी थी...

उसके बाद तो ना ही लाला रुका और ना ही उसका रामलाल..

लाला ने उसे अपने उपर लिटा कर उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और उसकी गांड पर अपने हाथ लगाकर उन्हे मसलते हुए जब उसने पीछे से धक्के मारने शुरू किए तो नाज़िया अपने होश खोती चली गयी...
दर्द की तेज लहरो ने उसका होश ही छीन लिया था...
वो बेजान सो होकर लाला के उपर निढाल सी हो गयी...
पर लाला के लिए तो ये आम बात थी...
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Re: हरामी साहूकार

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मतलब, वो जानता था की उसके लंड का इतना तो आतंक है ही की पहली बार में लड़की का बेहोश होना आम बात थी उसके लिए...
और लड़की उसकी पोती की उम्र की हो तो ये होना तय ही है..

पर जल्द ही लाला के रेलगाड़ी जैसे धक्को ने उसे झंझोड़ कर फिर से होश में ला दिया....
इस बार नाज़िया को कुछ फील ही नही हो रहा था...
उसका पूरा जिस्म सुन्न सा हो गया था...
बस उसे लाला का हिलता हुआ शरीर ही दिख रहा था...
ना तो अपना दर्द महसूस हुआ और ना ही कोई मज़ा..

पर धीरे -2 जब वो सुंनपनं गया तो उसके शरीर में गुनगुनाहट सी होने लगी...
एक साथ हज़ारो चींटियां रेंगने लगी उसके बदन पर...
और मस्ती भरी चिंगारियां निकलने लगी उसकी चूत से....

और तब जाकर उसने अपना मुँह एक बार फिर से खोला...
पर इस बार चीख मारने के लिए नही, बल्कि सिसकारी मारने के लिए..

''आआआआआआआआआआअहह लालाजी...... उम्म्म्मममममममममममममममममममममममममम..... मज़ा आ गया........ उफफफफफफफ्फ़ तो ये होती है चुदाई...... हे........ तभी अम्मी को इतना चस्का लग गया है इसका...... म्*म्म्ममममममम...... अब तो मुझे भी लगेगा.... लालाजी....... रोज चोदना मुझे...... जहां मर्ज़ी.... जैसे मर्ज़ी..... पर चोदना ज़रूर........ अब तो ये मज़े रोज लेने है मुझे....... रोज......''

नाज़िया का ये वाला रूप देखकर पिंकी और निशि के चेहरों पर भी थोड़ी हँसी आई...
वो तो काफ़ी देर से उसकी चूत को फटता देखकर डर सी गयी थी...
पर बाद में मिलने वाले इस मज़े को देखकर वो समझ गयी की पहली बार में जो होना है , वो तो होकर ही रहेगा...
इसलिए जितनी जल्दी हो सके, वो पहली बार करवा लो और बाद में रोजाना मज़े लो...
जैसा की इस वक़्त नाज़िया बोल रही थी...

और फिर तो लाला ने उसे अलग-2 आसनो में चोदा ...
उसे घोड़ी बनाकर...
उसे गोद में लेकर....



और अंत मे जब वो झड़ने वाले थे तो उन्होने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया...
और उसे पकड़कर उन्होने उसे गन की तरह तान लिया...
पिंकी और निशि भी लपककर लाला के सामने पहुँच गयी और लाला ने अपने रामलाल से निकली मलाई से तीनो के चेहरो को नहलाना शुरू कर दिया....
एक के बाद एक पिचकारी मारकर उन्होने तीनो के चेहरो को अपने माल से ढक दिया...



उसके बाद तीनो झरने के नीचे जाकर रगड़ - 2 कर नहाए....
ख़ासकर नाज़िया, जिसकी चूत से अभी तक खून रिस रहा था...

शाम घिरने को हो रही थी, इसलिए सभी ने जल्दी-2 अपने कपड़े पहने और वहां से निकल आए...

लाला के लंड पर कुँवारी चूत का खून लग चुका था अब...
इसलिए वो अब और भी ज़्यादा ख़तरनाक हो चुका था.आने वाली दिनों में और भी ज़्यादा धमाल होने वाला था अब तो.
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Re: हरामी साहूकार

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अब आगे
*************

अगले दिन लाला ने अपनी दुकान नही खोली...
उसके दिमाग़ में जो कैलकुलेशन चल रही थी वो उसके हिसाब से अपने आज के दिन को मौज मस्ती में बदल देना चाहता था.

लाला तो पूरी रात ढंग से सो भी नही पाया था...
3 कसी हुई चुतों में से एक को फाड़ने के बाद उसका हौसला और भी बुलंद हो चुका था...
अब वो बची हुई 2 चुतों को अपने हिसाब से मज़े लेकर मारना चाहता था..

पर उससे पहले उसे वो काम करना था, जिसके बारे में सोचकर उसे रात भर नींद नही आई थी.

इसलिए करीब 10 बजे वो अपने घर से निकला और राशन का कुछ सामान लेकर सीधा शबाना के घर पहुँच गया.

दरवाजा खोलते ही शबाना अपने सामने लाला को खड़े देखकर हैरान रह गयी

शबाना : "अर्रे, लालजी आप...और इतनी सुबह-2 ...''

लाला : "क्यों ...मेरा आना अच्छा नही लगा क्या तुझे....''



लाला ने सारा समान उसके सामने रख दिया, जिसे देखकर उसकी आँखो में चमक आ गयी....
ढेर सारे चावल और दालों के साथ उसमें रिफ़ाइंड का पेकेट भी था, जो कल रात ही ख़त्म हुआ था उसकी किचन में..

शबाना (झेंपते हुए ) : "अर्रे. नही लालाजी...आप भी भला कैसी बाते करते है.... मेरा घर और मेरा शरीर तो हमेशा से ही आपकी राह देखता रहता है...''

लाला ने करीब आकर उसे अपनी बाहो मे जकड़ लिया और उसके होंठो को अपनी जीभ से चाटकर बोला : "तभी तो इतनी सुबह तेरे पास आया हूँ ....कसम से...कल रात से मेरा रामलाल तेरी याद में तड़प रहा है....आज तो तेरी अच्छे से बजाकर रहूँगा...''

शबाना के चेहरे के भाव बदल से गये...
आज तक लाला कभी भी खुद से उसके घर नही आया था...
वही उसे बुला-बुलाकर थक जाती थी की वो आए और उसकी चूत के साथ-2 उसके पापी पेट का भी जुगाड़ कर जाए..
आज तो बिना बोले आ भी गये और समान भी खुद ही ले आए...

उसे लाला का ये रोमॅंटिकपन अच्छा तो लग रहा था पर वो खुलकर लाला के प्यार का जवाब नही दे पा रही थी..

लाला : "अरी क्या हुआ तुझे ? ....आज घर आए मेहमान की सेवा पानी नही करेगी क्या....''

इतना कहकर लाला ने बड़ी बेशर्मी से अपने रामलाल को उसके हाथ में पकड़ा दिया...
शबाना तो एक नंबर की चुदक़्कड़ औरत थी...
लाला को देखकर पहले से ही उसकी चूत में खुजली होनी शुरू हो चुकी थी और लाला ने जब अपना लंड पकड़ाया तो वो बहने ही लगी...

वो सिसकारी मारकर बोली : "उफ़फ्फ़....लाला......तेरे लंड को लेने के तो मैं भी दिन रात सपने देखा करती हूँ ...पर ...''

लाला : "पर ..पर क्या ?''

शबाना : "लाला...वो ...वो आज ...नाज़िया घर पर ही है....वो स्कूल नही गयी....उसकी तबीयत ठीक नही थी...कल शाम से उसका बदन और टांगे दर्द कर रहे है...और इसलिए वो अभी अंदर वाले कमरे में सो रही है बदन दर्द की गोली लेकर.....''

लाला की आँखे ये सुनकर चमक उठी...
क्योंकि लाला ये बात अच्छे से जानता था की आज नाज़िया घर पर ही होगी..

आख़िर लाला के लंड से चुदने के बाद इतनी हिम्मत कहाँ रहती उसमें की वो स्कूल जा पाती आज..

इसलिए बदन दर्द की गोली लेकर लेती हुई है साली अपने बिस्तर पर...

पर लाला ने ऐसा जताया जैसे उसने शबाना की बात सुनी ही नही...
और उसे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया...
बेचारी शबाना ने बड़ी मुश्किल से बाहर का दरवाजा बंद किया...
पर दरवाजा बंद करते हुए भी लाला ने उसे पीछे से जकड़ रखा था...
अपना लंड उसकी गद्देदार गांड में धँसा कर उसके मोटे मुम्मो को निचोड़ रहा था...
उनका रस निकाल रहा था...
उसकी गर्दन पर होंठ अगाकर उसे ड्रॅक्यूला की तरह चूस रहा था..
लाला ने उसका गाउन उठाकर उसके कुल्हो पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया, ये बहुत था उसके अंदर की आग को भड़काने के लिए.



और लाला अच्छे से जानता था की इस रंडी का अपने बदन पर काबू नही रहता जब एक बार उसपर चुदासी चढ़ जाती है तो...

और वो हो भी रहा था...

वो सिसकारते हुए बोली : "ओह लालाजी......आज हो क्या गया है आपको.....उम्म्म्मममममम..... मैं बोल रही हू ना...बच्ची घर पर ही है ....... अहह...... ऐसा मत करो लालाजी....... अपने गोदाम पर चलो.... वहां जैसा कहोगे.... वैसे मज़े दूँगी..... अहह.... ओह लालाजी.....''

लाला ने मन में सोचा 'तेरी बच्ची को अपने इसी लंड से कल शाम को चोदा है मैने...अब वो कली से फूल बन चुकी है...बच्ची नही रही अब...'

और एक बार फिर से लाला ने उसकी बात अनसुनी करते हुए उसे चूमना और निचोड़ना चालू रखा..

वो भी कसमसाते हुए बोलती रही
और लाला ने जब देखा की वो ज्यादा ही गिटर पीटर कर रही है तो उसे घुमाकर उन्होने अपनी तरफ किया और धक्का देकर नीचे बिठा दिया और अपनी धोती में से अपना विशालकाय लंड निकालकर उसके मुँह में ठूस दिया

बेचारी घों-घों करती हुई लाला के लंड को धकेलने लगी..
पर लाला ने उसकी एक ना सुनी और अपना लंड ठूसकर ही माना उसके मुँह में : "चूस साली.....बढ़ बढ़ करने में लगी है हरामजादी ......तुझ जैसी रांड़ को चुप करवाना मुझे अच्छे से आता है...''

लाला के लंड की महक ही ऐसी नशीली थी की बेचारी कुछ बोल ही नही पाई फिर....
और चुपचाप, मज़े ले-लेकर उनके रामलाल को अपनी थूक से नहलाते हुए चूसने लगी...
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Re: हरामी साहूकार

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पर उसकी नज़रें अंदर वाले कमरे की तरफ ही थी....
कही नाज़िया उठकर ना आ जाए बाहर...

आज तक उसने कभी भी नाज़िया के रहते हुए अपने घर पर इस तरह के काम नही किये थे...
वो अपनी बेटी पर अपने कर्मों की छाप नही छोड़ना चाहती थी..

लाला ने बड़ी बेबाकी से अपनी धोती और कुर्ता निकाल फेंका...
और शबाना के सामने पूरा नंगा होकर खड़ा हो गया...
शबाना का तो ये देखकर बुरा हाल हो गया....
ऐसे में कही उसकी बेटी बाहर निकल आई तो उसकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी नाज़िया के सामने...
वो तो अपनी बेटी को कभी मुँह दिखाने के काबिल ही नही रहेगी...

ये सोचकर उसने लाला का लंड मुँह से बाहर निकाल दिया और आख़िरी बार उन्हे समझाने की कोशिश की : "लालाजी....प्लीज़ समझो ना.....मेरी बेटी अंदर ही है..... समझदार हो गयी है अब वो , उठ गयी तो अनर्थ हो जाएगा....''

लाला ने गुस्से में कहा : "अरे क्या बेटी अंदर है, अंदर है की रट लगा रखी है.... आज नही तो कल वो भी तो चुदेगी ही ना... लेगी ना किसी ना किसी का लंड वो भी.... तो लाला का क्यो नही.... चल बुला उसको भी.... देखता हूँ कितनी जवान हुई है वो''

इतना कहकर लाला मदमस्त हाथी की तरह नंगा ही अंदर वाले कमरे की तरफ चल दिया..

और पीछे अपनी आँखे फाड़े
लाला की बातो पर आश्चर्यचकित होकर अपना मुँह खोले
शबाना को ज़मीन पर बैठा छोड़ गया..
और जैसे ही उसे होश आया वो तुरंत भागकर अंदर की तरफ लपकी...

तब तक लाला बेड के करीब जाकर खड़ा हो चुका था...
और बिस्तर पर अस्त व्यस्त हालत में सो रही नाज़िया के जवान जिस्म को देखकर अपना नंगा लंड मसल रहा था..

उसने एक लांग टी शर्ट पहनी हुई थी...
और नीचे सिर्फ़ एक कच्छी...
और सोते वक़्त वो टी शर्ट उसके कूल्हों से भी ऊपर चढ़ी हुई थी
इसलिए उसकी मांसल जांघे सॉफ चमक रही थी..



हालाँकि कल शाम को ही लाला ने उसे नंगा देखा था...
उसे चोदा था...

पर ऐसी हालत में उसे एक बार फिर से देखकर उसका और रामलाल का बुरा हाल हो गया...
और उसका मन किया की अभी के अभी उसे फिर से नंगा करे और चोद डाले.

इसी बीच शबाना भागती हुई सी उसके करीब आई ....
एक नज़र अपनी अर्धनग्न बेटी को देखा और फिर अपना लंड मसल रहे लाला को देखकर बोली : "लाला....ओ लाला....इसके बारे में ऐसा मत सोच लाला.... ये अभी बच्ची है..... स्कूल में पड़ती है अभी तो....तू..तू बाहर चल ना....जो करना है मेरे साथ कर ले....चूत मार...गांड मार...अपना लंड चुसवा ..जो करना है कर ले...पर इसके बारे में अभी ऐसा मत सोच....''

लाला ने घूरते हुए उसकी तरफ देखा और बोला : "तू तो कह रही थी की ये समझदार हो गयी है ...और ये 'अभी' से क्या मतलब है तेरा...''

शबाना सकपका सी गयी उसकी नज़रों में गुस्सा देखकर ...
वो नज़रे नीचे करके बोली : "अभी...अभी मतलब....अभी रहने दो ...जब वक़्त आएगा तो...तो मैं खुद ही .... इसे लेकर तेरे पास आउंगी ....फिर जो करना हो...कर लेना...''

लाला ने हुंकार भरते हुए अपना लंड और ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया...शायद ये सोचकर की कैसे उसके डर ने एक माँ को अपनी ही बेटी का इस तरह से सौदा करने पर मजबूर कर दिया

लाला मन में बोला 'साली , तेरी परमिशन की ज़रूरत नही है लाला को ...और ना ही तेरी इस बच्ची को....कल ही चूत मरवा चुकी है ये अपनी...'

पर शबाना को ऐसे सब कुछ बताने से पहले वो कुछ और देर मज़े लेना चाहता था...

इसलिए उसकी बात को एक बार फिर से अनसुनी करता हुआ वो वही बेड पर बैठ गया और शबाना को अपने सामने बैठने को कहा...

अंदर से गुस्सा तो बहुत आ रहा था उसे, पर लाला के हरामीपन को वो भी अच्छे से जानती थी, उसने एक बार जो ठान ली वो करने से उसे कोई नही रोक सकता...
और उपर से उसे अपनी चिंता भी थी, लाला को इस 'छोटी सी बात' पर नाराज़ करके वो अपना 'राशन पानी' बंद नही करवाना चाहती थी उसकी दुकान से...

इसलिए उसका इशारा देखकर वो उसके करीब आई और नीचे बैठ कर उसका लंड चूसने लगी...

लाला ने उसका गाउन पकड़कर उपर की तरफ खींचना शुरू कर दिया...
उसने भी विरोध नही किया, और खड़ी होकर उसने वो गाउन भी निकाल फेंका, जिसने उसके मादक शरीर को ढक रखा था...



और नंगी होने के बाद जब उसका मदमस्त बदन लाला ने देखा तो उसके मुम्मो को पकड़कर चूसने से खुद को रोक नही पाया
और लाला ने शबाना को अपनी गोद में बिठा कर उसने उसके मुम्मो को ज़ोर से चूस डाला...



शबाना ने भी लाला के सिर पर हाथ रखकर उसे अपनी छाती मे दबाकर खींच लिया...

भले ही आदर्श माँ बनने की लाखों बाते चोद ले वो, अपनी चूत की खुजली के सामने वो सब बेकार थी...
इसलिए एक बार फिर से सब कुछ भूलकर वो मस्ती में आ गयी और सिसकारियां मारकर लाला का साथ देने लगी..

''उम्म्म्ममममममममममममम लाला.............. धीरे चूस इन्हे....... दर्द होता रहता है बाद में .... तेरे जाने के बाद.... अहह....... उम्म्म्ममममममममम...''

और लाला भी जानता था की औरत की मस्ती का दरवाजा उसकी चूत और मुम्मे के दानो को मसलने से ही खुलता है, इसलिए अपना मुँह उसके निप्पल पर और अपना हाथ उसकी चूत के दाने पर रखकर वो ज़ोर से दबाने लगा...

और उसके इस हमले ने शबाना को ये भी भुला दिया की नाज़िया वही सो रही है....
वो तो अपनी ही मस्ती मे डूबकर गला फाड़कर चिल्ला पड़ी : "आहहहहह हह..... ओहह्ह्हह्हह्ह्ह्ह लाला...... भेंन चोद .... लाला....... अहह........ क्या करके मानेगा रे तू आआज्जजज्ज....''

और उसकी वो चीख इतनी तेज थी की नाज़िया की नींद एकदम से खुल गयी....
और आँखे खोलते ही उसने जब अपने सामने ही अपनी माँ और लाला को एक दूसरे में घुसकर चूमा चाटी करते हुए देखा तो वो सन्न सी रह गयी...
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Re: हरामी साहूकार

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पहले तो उसने सोचा की ये कोई सपना है....
पर अपने आप को कचोटी काटकर उसने इस बात का निश्चय किया की वो सच में हो रहा है...
टाइम देखा तो साढ़े दस ही बजे थे अभी...
आधा घंटा पहले ही तो गोली लेकर सोई थी वो...
और सपनो में भी लाला की चुदाई को ही एंजाय कर रही थी वो...
और अचानक उसकी माँ ने चीख मारकर उसकी नींद तोड़ दी...
पर आँख खुलने के बाद तो उसके सपने से भी अच्छी फिल्म चल रही थी उसके सामने...
पर उसकी समझ में ये नही आ रहा था की उसके होते हुए लाला और उसकी माँ ऐसे कैसे कर सकते है...

पर फिर मन ही मन ये सोचकर की 'ये हरामी लाला तो कुछ भी कर सकता है, तू बस सोने का नाटक कर और इनकी चुदाई के मज़े ले' .. वो अपनी आँखे आधी मूंद वैसे ही लेटी रही...और उनका प्रोग्राम देखने लगी.

इसी बीच शबाना की नज़रें नाज़िया को भी देख रही थी....
उसे तो वो बेसुध होकर सोती दिख रही थी...
शबाना ने सोचा की शायद गोली की वजह से गहरी नींद में है वो,
ये देखकर उसे थोड़ा चैन आया की चलो अब पकड़े जाने का ख़तरा थोड़ा कम है..

इसलिए वो पूरी मस्ती में भरकर लाला का साथ देने लगी...

लाला की गोद से फिसलकर वो नीचे आई और घुटनो पर बैठकर उसका लंड फिर से चूसने लगी...
इस बार दुगनी लगन से...
चुदासी में भरकर.



लाला भी एक जोरदार सिसकारी मारता हुआ पीछे हुआ और बिस्तर पर कमर लगाकर लेट गया...
उसका सिर सीधा सोई हुई नाज़िया की गोरी-2 पिंडलियों पर जाकर गिरा, जिन्हे वो बड़े मज़े से तकिया बनाकर लेट गया.

नाज़िया का तो शरीर ही सुलग उठा लाला के बदन को छूकर...
उसकी माँ इस वक़्त वहां ना होती तो उसने उछलकर लाला को वही दबोच लेना था...
और जो काम उसकी माँ कर रही थी, वो खुद ही कर लेना था उसने.

वो ये सोच ही रही थी की उसे अपनी चूत पर लाला की उंगली का एहसास हुआ...

हरामी लाला का हाथ सरकते हुए उसकी कच्छी में बंद चूत को रगड़ रहा था..

नाज़िया ने मन में सोचा 'ये बेटी चोद का लंड लाला आख़िर चाहता क्या है.... एक तरफ मेरे ही कमरे में आकर वो मेरी माँ से लंड चुस्वा रहा है...और उपर से मेरी चूत भी खरोंच रहा है....चल क्या रहा है इस बुड्ढे के दिमाग़ में ...'

पर लाला के मन की बात तो सिर्फ़ लाला ही जानता था..

वो शबाना से लंड चुसवाता हुआ, उसकी बेटी की चूत को रगड़ने में लगा रहा.

भले ही परिस्थति थोड़ी अलग सी थी इस वक़्त, पर लाला के हाथ से अपनी चूत मसलवाते हुए नाज़िया को मज़ा बहुत आ रहा था..

और अचानक लाला ने उसकी कच्छी को साइड में करते हुए अपनी बीच वाली उंगल उसकी चूत में घोंप दी...

दर्द की एक तेज लहर सी उठ गयी उसके बदन में , और काफ़ी मुश्किल से उसने अपनी चीख निकलने से बचाई..



और जैसे ही लाला की मोटी उंगली उसकी गर्म और गीली चूत में घुसी, लाला की आँखे चमक उठी..

उसे ये समझते एक भी पल ना लगा की वो जाग रही है और उनका खेल देखकर गर्म हो चुकी है वो...

और शायद यही लाला भी चाहता था.

उसने अपनी उंगली उसकी चूत में घुमानी शुरू कर दी और ना चाहते हुए भी नाज़िआ ने लाला का हाथ पकड़कर उसे ऐसा करने से रोका , क्योंकि लाला की ये हरकत उसके बदन में कोहराम मचा रही थी, वो चीखना चाहती थी, मचलना चाहती थी, पर अपनी माँ के डर से वो कुछ नहीं कर पा रही थी ,
लाला ने नाज़िया की तरफ देखा, तो उसे अपनी तरफ ही देखते पाया..

दोनो की नज़रें मिली और दोनो के चेहरो पर एक स्माइल आ गयी...

और यही वो पल था जब शबाना की नज़रें एक बार फिर से अपनी बेटी को देखने के लिए उठी ...
ये जानने के लिए की कहीं वो उनकी आवाज़ें सुनकर जाग ना जाए..

पर अपनी बेटी को लाला की तरफ मुस्कुराते देखकर और लाला की उंगली उसकी चूत में देखकर उसने अपना माथा पीट लिया...

लाला का लंड मुँह से निकाल दिया उसने...
और फिर उसके मुँह से सिर्फ़ यही निकला

''या अल्लाह......अब क्या होगा..''

नाज़िया बड़े मज़े से अपनी चूत में लाला की उंगली को महसूस करके सिसक रही थी...
और अचानक उसे एहसास हुआ की उसकी माँ ने लाला का लंड चूसना छोड़ दिया है और वो उसे ही देख रही है..

ये वो पल था जब एक जवान हो चुकी लड़की ने अपनी माँ को पहली बार ये एहसास दिलाया की आज तक वो जिस खेल को खेलती आ रही है, वो भी अब उसे खेलने के लिए तैयार हो चुकी है...
वो खेल जिसमे जिस्म को वो मज़ा मिलता है की अपनी तो क्या अपने आस पास क्या चल रहा है उसकी भी सुध नही रहती..
और उसी नशे में डूबकर आज शबाना अपनी ही बेटी के सामने नंगी होकर अपने आशिक का लंड चूस रही थी.

उसका मन तो हुआ की नाज़िया के थोबड़े पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ लगा दे और लाला को भी अपने घर से धक्के देकर बाहर निकाल दे...
पर तभी शबाना को ये एहसास भी हुआ की उसकी बेटी के सामने उसकी भी तो पॉल खुल चुकी है
आज तक जो बात उसने अपनी बेटी से छुपा कर रखी थी की उसकी पीठ पीछे वो कैसे-2 जतन करके अपना और उसका पेट भारती है, लाला से और ना जाने किस किससे अपनी चूत मरवाती है...
जिसके बदले में उसे मज़े भी मिलते है और पेट भरने के साधन भी...

और अपनी इस हालत के लिए उसने खुद को ही ज़िम्मेदार माना...
लाला तो सला ठरकी है
उसे तो बस चूत चाहिए
इसलिए वो नाज़िया की परवाह किए बिना शुरू हो गया था
पर उसे तो सोचना चाहिए था ना
अपनी बेटी के घर पर होते हुए उसे कम से कम ये सब नही करना चाहिए था...

पर अब तो ये आलम था की उसकी इज़्ज़त भी जा चुकी थी और जिस अंदाज से नाज़िया अपनी चूत में उंगली करवा रही थी, उसे लग रहा था की उसकी बेटी भी उसके हाथ से जा चुकी है..

पर फिर भी , एक माँ होने के नाते, उसने उन्हे टोकना ही उचित समझा
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