हरामी साहूकार complete

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raja
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Re: हरामी साहूकार

Post by raja »

Aaj to update de do mitr. Bahut maza aa rha h
:o :o
raja
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Re: हरामी साहूकार

Post by raja »

Kya kahani h dost. Aaj hi aage ka update dedo to maza aa jaye
:o :o
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

हमेशा की तरह एक ज़ीरो वॉट का बल्ब जल रहा था गोडाउन में, जिसकी हल्की रोशनी में ढंग से किसी का चेहरा देखना भी मुश्किल था...
सीमा का दिल धाड़-2 बज रहा था
उसे सालो पहले की वो सारी बातें याद हो आई जब उसी जगह पर अंधेरे में उसने लाला का वो लंड अंजाने में पकड़ लिया था.
वही सीलन भरी महक आ रही थी गोडाउन से जो सालों पहले थी...
चारो तरफ चावल और चीनी की बोरियां पड़ी थी...
रैक्क में दाल और मसालों के पेकेट लगे थे.

सीमा को याद आ गया की उसी रैक्क को टटोलते हुए उसने लाला का वो तगड़ा लंड पकड़ा था...
वो याद आते ही वो सिहर उठी और अचानक उसे एहसास हुआ की उसकी गांड को कोई छू रहा है...
और इस वक़्त लाला के सिवा और कौन हो सकता था....
सीमा ने मन में सोचा 'ये साला हरामी लाला सीधा ही गांड पकड़ने पर आ गया है...'

पर वो उसका वहम था की वो लाला का हाथ है ...
वो तो रामलाल था,
जो लाला की धोती में खड़ा होकर अपने गोडाउन में आए इस नये मेहमान की गांड को टच करके उसकी गर्मी का एहसास ले रहा था
और ये जानने की कोशिश कर रहा था की उस गांड के पीछे छिपी चूत के मन में क्या चल रहा है..

और सीमा की चूत का हाल तो वो खुद ही जानती थी....
अंदर आते हुए हर कदम के साथ उसकी चूत ने बूँद-2 करके गीला रस उसकी जाँघो पर बिखेर दिया था...
जिसे अपनी साड़ी और पेटीकोट से सॉफ करते-2 वो भी थक सी चुकी थी...

लाला ने उसकी कान में अपनी गर्म साँसे छोड़ते हुए कहा : "कौन सा चावल लेगी सीमा रानी...''

वो हकलाते हुए बोली : "दि...... दिखा ...दो लाला...कोई अच्छा सा....चावल...जो पकने के बाद लंबा निकले...''

लाला ने अपनी घनी मूँछो पर ताव देते हुए कहा : "एक पुराना चावल है मेरे पास...और वो पकने के बाद लंबा भी हो जाता है और मीठा भी...देखेगी तो बात कर...अभी निकालता हूँ...''

लाला ये कह भी रहा था और बड़ी ही बेशर्मी से अपनी धोती में खड़े हुए लंड को मसल भी रहा था...
लाला का इशारा किस पुराने चावल की तरफ था ये तो सीमा समझ ही चुकी थी...
इतने साल बीत जाने के बाद भी उसकी कठोरता को अपने कुल्हो पर महसूस करके ही वो समझ चुकी थी की ये चावल सच में काफ़ी लंबा होगा..

उसका पूरा शरीर काँप सा रहा था...
और उसने सकुचाते हुए अपनी नज़रें नीचे करके लाला के लंड की तरफ देखा, जो कपड़े की हल्की सी आड़ में पूरा विकराल रूप लेकर खड़ा था...
अगर वो कपड़ा हटा दो तो नीचे वो नंगा ही मिलता...
ये सोचते ही उसकी हालत और भी ज़्यादा खराब हो गयी...
एक बार फिर से उसी दोराहे पर खड़ी थी सीमा, जहां से वो 16 साल पहले भाग चुकी थी...
पर आज वही ग़लती दोबारा करके वो इस हाथ आए मौके को छोड़ना नही चाहती थी.

इसलिए थरथराई हुई सी आवाज़ में वो बोली : "ठीक है, दिखा दो लाला...अगर सच में लंबा हुआ तो ले लूँगी...''

और अपनी माँ की इस बात को सुनकर, घी के कनस्तरॉ के पीछे छिपी पिंकी की झांटे सुलग उठी....
आज तक उसने अपनी माँ को एक आदर्श माँ की तरह ही देखा था...
पूरे गाँव में उनका मान सम्मान था...
पर आज वो किस तरह से लाला के सामने इतनी गिरी हुई हरकत कर रही है....
पर वो कुछ कर भी तो नही सकती थी ना...
इसलिए चुपचाप तमाशा देखती रही.

और दूसरी तरफ निशि को उतना ही मज़ा आ रहा था वो सब देखकर...
सीमा आंटी को जितना आदर्शवादी वो समझती थी वो उतनी निकली नही...
कैसे लाला के लंबे लंड को देखकर फिसल गयी थी वो...
उसकी बगल में बैठी पिंकी अपनी माँ की हरकत देखकर कुढ़ रही थी और सीमा अंदर से उतनी ही खुश हो रही थी..

लाला ने जब सीमा के मुँह से वो सुना तो वो मुस्कुरा दिया...
और उसने बड़ी शान से अपने इंडिया गेट का फाटक उपर उठा दिया...
और अंदर से निकला सीमा के हुस्न को सलामी देता हुआ लाला का हरामी लंड...
रामलाल.

जिसे देखते ही बूँद नहीं बल्कि पूरी पिचकारी निकल गयी सीमा की चूत से....
ऐसा लंड तो उसने सपने में भी नही देखा था...
पिंकी के बापू का लंड तो ऐसी हालत में रहता था जैसे सूखा हुआ अदरक का टुकड़ा
और इस बूढ़े हो चुके लाला के लंड में इतनी कसावट देखकर ही वो समझ गयी की उसकी चूत में जाकर उसने कोहराम मचा देना है...

सीमा को अपने लंड की तरफ घूरते हुए देखकर लाला बोला : "देख ले...यही है वो पुराना चावल....और तुझे एक बात बता दूँ की अभी ये पूरा पका नही है....अपने बर्तन में जब इसे डालकर हिलायेगी ना ..तब देखियो इसकी लंबाई ...तब निकलेगी...पूरा पकने के बाद...''

लाला की लच्छेदार बातें सुनकर वो मुस्कुरा दी...
लाला ने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और बोला : "अररी...हाथ में लेकर देख....देखने के थोड़े ही दाम लगते है...''

सीमा का बदन अकड़ सा गया...
ठीक लाला के लंड जैसा..
यानी वो भी अपनी उत्तेजना में आ चुकी थी...
लाला का पुराना चावल यानी उसका कसावदार लंड पकड़कर उसका मन कर रहा था की अब देर ना करे लाला..
बस कूट डाले उसकी चूत को इस मूसल से...

पर पहली ही बार में अपने अंदर की आग को इतनी बेशर्मी से बेपर्दा नही करना चाहती थी वो...
इसलिए सकुचाते हुए सिर्फ़ उस लंड को पकड़कर खड़ी रही.

लाला की तो आँखे बंद हो गयी उसके कोमल हाथो में अपने लंड को देकर..
अभी कुछ देर पहले तक यही लंड उसकी बेटी चूस रही थी...
और अब उसे माँ ने पकड़ रखा है...
लाला भी अपने इस हरामीपन पर मन ही मन हंस दिया.

उसने नज़रें तिरछी करके उन दोनो छिपकलियों को छुपे हुए देखा की कैसे हैरानी भरी नज़रों से वो दोनो लाला का ये खेल देख रही थी..

ये वही लाला था जिसने कुछ देर पहले तक उनकी चुदाई को टाल दिया था...
ये कहकर की वो थका हुआ है...
पर हरामी की हरकतें तो देखो, नया माल आते ही पहले जैसा डट कर तैयार खड़ा था फिर से...
अब ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा की वो सही में चुदाई भी करेगा या नही...
पर अभी के लिए कम से कम वो उसे अपने जाल में पूरा फँसा लेना चाहता था.

और यही सोचकर लाला ने एक झटका देकर सीमा को अपनी बाहो में खींच लिया.

लाला के बदन से आ रही मर्दानी खुश्बू सूँघकर वो अपनी सुध बुध खो बैठी...
और उसका हाथ लाला के लंड पर चलना शुरू हो गया....
वो उसे उपर से नीचे तक सहला रही थी...
उसकी गोटियों का वजन लेकर ये जानने की कोशिश कर रही थी की उसमें से माल कितना निकलेगा.

और लाला तो उसके गदराये बदन को बाहों में लेकर एक अलग ही दुनिया में खो गया...
वो उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाटते हुए बुदबुदाया : "हाय ...सीमा रानी...तुझे पता नही है...तेरे लिए कितने सालो से तड़प रहा हूँ मैं ....आज तो तेरे बदन को चाट कर अपनी प्यास बुझाऊंगा मैं....''

सीमा के बदन में झुरजुरी सी दौड़ गयी लाला की बात सुनकर...
भला उसका बदन भी कोई चाटने वाली चीज़ है....

पर वो नही जानती थी की लाला जो बोलता है वो करके दिखाता है...
लाला ने एक झटके में उसे घुमाकर अपने सामने खड़ा कर दिया...
और अस्त व्यस्त साड़ी में लिपटी सीमा की गांड लाला के लंड पर आ लगी...
और लाला ने अपने दोनो हाथ आगे करके उसके उरोजों पर रख दिए और उन्हे ज़ोर से दबा दिया..

''आआआआआआआआआआअहह.....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... लाला......... मार डालेगा तू तो आज मुझे......''
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

कुछ ऐसे ही शब्द पिंकी ने भी बोले थे,
जब उसने उसे दबोच कर उसके अर्धविक्सित चुचियों को भींचा था..

पर ये तो उसकी माँ थी....
और इन्ही छातियो का दूध पीकर वो बड़ी हुई थी जिन्हे वो इस वक़्त अपने हाथो से मसल रहा था....

लाला ने अपनी गर्म साँसे उसके कान में छोड़ी और फुसफुसाया : "लगता है पिंकी को दूध पिलाने के बाद अभी भी काफ़ी बचा पड़ा है ....''

लाला के मुँह से अपनी बेटी का नाम इस वक़्त सुनकर उसे बुरा तो ज़रूर लगा पर वो कुछ नही बोली...
उपर से लाला के लंड की गर्माहट अपनी गांड पर महसूस करके उसने इस बात को नरंअदाज कर दिया...
वो बोली : "जितना भी बचा है....वो तू पी ले लाला....चावल के बदले यही दाम ले ले आज...''

लाला तो ऐसे सौदे करने में माहिर था...
उसने एक झटके में उसकी साड़ी का पल्लू खींचकर नीचे कर दिया...
और उसके ब्लाउज़ के बटन खोने शुरू कर दिए...

यही वो पल था जब वो बुरी तरह से बिफर गयी....
सीमा की हालत ऐसी हो रही थी की वो ज़ोर से चिल्ला कर अपने अंदर की आग को लाला के सामने पेश करे...
पर वो कर नही सकती थी...

वो पलट कर दीवार के सहारे खड़ी हो गयी और बोली : "ओह्ह्ह लाला......आज जो आग तूने मेरे बदन में जला दी है....इस आग में तुझे झुलसा कर रख दूँगी मैं''

लाला मुस्कुरा दिया....
उसकी आँखो में देखकर ही उसे पता चल रहा था की वो सैक्स के मामले में कितना आगे निकल सकती है..
लाला की आँखो में देखते-2 उसने अपने ब्लाउज़ के बटन खुद ही खोलने शुरू कर दिए...

अंदर उसने ब्रा नही पहनी थी...
इसलिए उसके मोटे दूध से भरे जग निकलकर बाहर आ गये...

उसका दूधिया बदन देखकर लाला पागल सा हुआ जा रहा था...
उसने भी अपना कुर्ता निकाल फेंका..

सीमा ने उसका गठीला बदन देखा और कसमसाते हुए अपनी साड़ी खोलनी शुरू कर दी...
अत्यधिक उत्तेजना की वजह से उसके निप्पल खड़े होकर तीर बन चुके थे
दूर बैठी पिंकी भी उन्हे देखकर सिसक उठी...
और साथ में निशि भी...

अपनी माँ के इन्ही तने हुए मुम्मो को देखकर उसके मन में कितनी बार यही ख़याल आता था की काश उसके भी अपनी माँ की तरह बड़े हो जाए...
आज उन्हे अपने सामने नंगा देखकर उसकी ये इच्छा और भी बलवंत हो गयी...
उसे पता था की अगर लाला का आशीर्वाद उसके उपर इसी तरह बना रहा तो जल्द ही उसके मुम्मे भी अपनी माँ जैसे बड़े हो जाएँगे...
निशि उसके कान में फुसफुसाई : "यार...तेरी माँ की तो सॉलिड छाती है....मेरा तो मन कर रहा है की अभी जाकर इन्हे चूस लू...''

पिंकी ने उसे चुप कराया और उनका खेल देखने लगी..

सीमा ने अपनी साड़ी खोली और उसके साथ ही पेटीकोट का नाड़ा भी..

जैसी बेटी थी वैसी ही माँ भी निकली...
उपर ब्रा नही थी और नीचे कच्छी गायब पाई गयी भेंन की लोड़ी की.

लगता है ये खानदानी बीमारी है इन लोगो की..

पर जो भी था,
लाला जैसे ठर्कियों के लिए तो यही सही था...
उतारने का ज़्यादा झंझट नही रहता ना.

लाला ने उसका नंगा बदन देखा और घोड़े की तरह हुंकारते हुए अपनी धोती निकाल कर पीछे उछाल दी...
जो सीधा पिंकी के सिर पर जाकर गिरी..

नंगा लाला और नंगी सीमा बिजली की तेज़ी से एक दूसरे से जा लिपटे और पुर गोडाउन में उनकी सिसकारिया गूँज उठी...

''ओह लाला.....निचोड़ डालो मुझे...... अंग-2 में दबी इच्छा है...निकाल डालो सब.....अहह''

लाला ने भी अपने नुकीले दांतो से उसकी छाती के माँस को दबोचा और ज़ोर से काटते हुए बोला : "आअहह सीमा रानी.... तुझे निचोड़ने के लिए तो बरसो से तड़प रहा था मैं .... आज आई है तू मेरे कब्ज़े में ... अब देख...तुझे कैसी दुनिया का मज़ा देता हूँ मैं....''

इतना कहते हुए लाला ने अपनी बलशाली बाजुओं का उपयोग करते हुए सीमा को उठा कर चीनी की बोरी पर लिटा दिया...
ये चीनी की बोरिया तो लाला के लिए पलंग का काम करती थी...
उसी पर लिटाकर तो उसने पिंकी की चूत चूसी थी..
जिसका रस शायद अभी भी इन्ही बोरियो में कहीं दबा पड़ा था..

लाला ने उसकी टाँगो को अपने कंधे पर रखा और अपना दाढ़ी मूँछ से भरा मुँह उसकी झांटों से भरी चूत में डाल दिया...
सीमा ने एक जोरदार चीख मारकर लाला के बाल पकड़ कर उसे और अंदर खींच लिया...


''आआआआआआआआहह लाला.....भेंन चोद ....साले .....चूस इसे..... और ज़ोर से चूस.... इसको....''

लाला की लपलपाती जीभ ने उसकी चूत में कहर सा बरपा दिया...
वो अपने पैने दांतो से उसकी चूत के दानो को चुभलाता...
अपनी जीभ से उसकी परत फेलाता और अंदर का निकला पानी गटक जाता...
ये करीब 3-4 बार किया लाला ने...और हर बार वो झनझनाकर झड़ी भी.
और अंत में जब सीमा से सहन नही हुआ तो उसने लाला को खींचकर अपने सामने खड़ा किया और बोरी से फिसलकर नीचे आयी और पंजो पर बैठकर उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...
पिंकी को लगा था की उसकी माँ ये काम शायद ही करे...
क्योंकि ये लंड चूसना तो आजकल की लड़कियों का काम होता है...
पहले की औरतें कहां ये काम करती होंगी...
पर वो ग़लत थी...
शायद उसकी माँ इतनी भी पहले की नहीं थी जितना की वो सोच रही थी...

हालाँकि सीमा का पति भी उससे ये काम करवाता था...
पर उसकी नुन्नी को चूसने में और इस गठीले लंड को चूसने में काफ़ी अंतर था...

और लाला के लंड को अच्छी तरह से लंबा करके सीमा ने कराहते हुए लाला से गुहार लगाई

''अब डाल भी दो लाला....कब से तड़प रही हूँ मैं .....''

और ये वो पल था जब लाला ने अपने दिमाग़ में की हुई सारी केल्कुलेशन को सामने रख दिया....
छूट मारने का मन और ताक़त तो उसमें पहले भी नही थी ..
वरना पिंकी या निशि की कुँवारी चूत से अच्छा भला और क्या हो सकता था...
वो तो बस सीमा को अपने जाल में फँसा कर उपर-2 के मज़े लेकर ये सुनिश्चित कर लेना चाहता था की आगे के लिए वो चुदने के लिए तैयार रहे...

और इसलिए ,
अपनी योजना को रूप देते हुए,
उसने चौंकने का नाटक किया और ज़ोर से चिल्लाया

''अर्रे......पिंकी....निशि ...तुम दोनों ....तुम अंदर कैसे आ गयी...''
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Re: हरामी साहूकार

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अपनी बेटी का नाम सुनते ही सीमा तो फिसल कर नीचे गिर पड़ी...
और नंगी हालत में इधर उधर पड़े कपड़े उठा कर उसने अपनी छाती को ढका...

और तब तक वो दोनो भी आँखे और मुँह फाड़े सामने आकर खड़े हो चुके थे...
उनकी समझ में भी नही आ रहा था की ये लाला ने खुद ही अपना भांडा क्यो फोड़ डाला..

लाला को छोड़कर सबके चेहरों पर हवाइयाँ उड़ रही थी...
लाला मन-2 मुस्कुरा रहा था जिसे देखकर पिंकी अब तक इतना तो समझ ही चुकी थी की ये लाला का कोई मास्टर प्लान है इसलिए उसे जितना समझ आया उसके हिसाब से उसने सकुचाते हुए अपनी माँ से कहा : "माँ ..वो...वो ...आप घर नही थी तो मैं यहां चली आई...निशि की मम्मी ने बताया की तुम चावल लेने यहां आई हो...''

हालाँकि सीमा ने निशि की माँ को ऐसा कुछ भी नही बताया था पर उसने सोचा की शायद उसने उसे लाला की दुकान की तरफ आते देखा होगा, इसलिए इन्हे बोल दिया..

पर इस वक़्त तो उसे अपने नंगेपन पर शर्म आ रही थी...
वो सपने में भी नही सोच सकती थी की बरसों बाद जिस कदम को उठाने की उसमे हिम्मत आई थी , उसके बदले उसे अपनी ही बेटी के सामने ज़िल्लत का सामना करना पड़ेगा..

लाला ने अपने कपड़े पहने और चुपचाप बाहर निकलकर अपनी दुकान पर जाकर बैठ गया...
ताकि पीछे से वो तीनो आपस में निपट ले. क्योंकि अपनी योजना के अनुसार उसने जो करना था वो कर चुका था..

सीमा ने नज़रे झुका रखी थी...
पिंकी अपनी माँ के करीब गयी और अपने हाथ में पकड़ी हुई ब्रा उन्हे पहनाने लगी जो लाला ने उछाल कर उसके सिर पर फेंक दी थी..

ब्रा पहनाने के बाद पिंकी ने उन्हे खड़ा किया और उन्हे पेंटी भी पहनाई...
ऐसा करते हुए जब वो झुकी तो अपनी माँ की खूबसूरत चूत को करीब से देखकर उसके मुँह में पानी आ गया...
उसमे से निकल रही भीनी-2 खुश्बू ने उसे पागल सा कर दिया..
मन तो उसका कर रहा था की इस माँ बेटी के रिश्ते को यहीं लाला के गोडाउन में एक नया आयाम दे डाले पर अभी माँ का मूड सही नही लग रहा था इसलिए उन्हे चुपचाप पेंटी पहनाने के बाद वो उन्हे कपड़े पहनाने लगी..

पिंकी : "माँ ...आप इस तरह से शर्मिंदा मत हो...मैं समझ सकती हूँ की आपने ये किसलिए किया होगा...पिताजी तो आपको ढंग से टाइम नही दे पाते...उनकी उम्र भी हो चुकी है..इसलिए आपने अगर ये सब कर भी लिया तो इसमे आपकी कोई ग़लती नही है....''

सीमा की आँखो से आँसू निकल पड़े...
अपनी माँ के मन की बातें समझने वाली बेटियाँ आजकल कम ही मिलती है..

उसने भीगी आँखो से पिंकी को देखा और फिर निशि को जो अपनी सहेली की बाते सुनकर पहले से ही जवाब के लिए तैय्यार थी..

निशि : "मेरी फ़िक्र ना करो काकी ...आप तो मेरी माँ जैसी हो...आपके बारे में मैं किसी से भी कुछ नही कहूँगी...''

दोनो का अपने प्रति ऐसा प्यार देखकर उसने दोनो को अपने गले से लगा लिया...

वरना अभी कुछ देर पहले तक रंगे हाथो पकड़े जाने के बाद वो यही सोच रही थी की इन दोनो के सामने अब उसकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी...
और इनमे से किसी ने, ख़ासकर निशि ने, अगर बाहर किसी को ये बोल दिया तो वो किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहेगी...

अपना चेहरा और हुलिया ठीक करने के बाद सीमा और वो दोनो बाहर निकल आए...

बाहर निकलते हुए पिंकी ने लाला के चेहरे का हरामीपन देखा जो उन्हे देखकर मुस्कुरा रहा था ,
वो देखकर पिंकी की भी हँसी निकल गयी ...
उनमे से किसी ने भी लाला से कुछ बात नही की और चुपचाप घर की तरफ चल दिए..
जाते हुए चावल तो नही पर एक अजीब सा बोझ लेकर वापिस जा रही थी सीमा अपने घर की तरफ...
पूरे रास्ते उनके बीच कोई बात नही हुई और निशि को उसके घर छोड़ने के बाद वो दोनो भी अपने घर पर आ गयी..

अंदर आने के साथ ही सीमा सीधा बाथरूम में घुस गयी और अपने शरीर का एक-2 कपड़ा निकाल फेंका और ठंडा पानी अपने सिर पर डालकर सुबकने लगी...
आज जो भी उसकी जिंदगी में हुआ था, वो उसके और पिंकी के बीच के रिश्ते पर एक बहुत गहरा प्रभाव डालने वाला था...

पर जो प्रभाव आज लाला ने उसके जिस्म पर डाला था वो भी कम नही था...
एक ऐसा नशा जो उसने आज तक महसूस नही किया था वो आज लाला के उस जादुई लंड को मुँह में लेकर उसने महसूस किया था...
कच्ची शराब की वो बूंदे उसे अपने गले से नीचे उतरती हुई महसूस हुई थी जो दुनिया जहान को पीछे छोड़ देती है और एक दूसरी ही दुनिया में ले जाती है...
इस नशे की गिरफ़्त में आकर आज उसने अपने जिस्म की असली परिभाषा को महसूस किया था...
महसूस किया था की उसका जिस्म इस तरह के मज़े और नशे के लिए ना जाने कब से तड़प रहा था और वो पागल इस दुनिया की लाज शर्म की वजह से उससे आज तक वंचित रही थी....
अच्छा होता की उसने लाला के लंड को उस पहली बार में ही पकड़ कर अपने मुँह या चूत में ले लिया होता तो शायद आज जो उसकी इकलौती बेटी पिंकी है, उसकी रगों में भी शायद इस लाला का खून दौड़ रहा होता...

पर उस सालो पहले की गयी ग़लती के मुक़ाबले आज की हुई ये हरकत उसे ज़्यादा मज़ा दे गयी थी...
क्योंकि आज उसने अपने जिस्म को पूरी तरह से लाला के सपुर्द कर दिया था...
काश आज पिंकी और निशि वहां ना आई होती तो उस लाला के मोटे लंड को अपनी इस गीली चूत में लेकर वो स्वर्ग पा लेती...

उफफफ्फ़.....
क्या कसक थी...
क्या कशिश थी उस लंड में ....
काश एक बार दोबारा मिल जाए तो इस बार वो शायद पिंकी की परवाह भी नही करेगी और बेशर्मी से उसी के सामने लाला के लंड को अपनी चूत में ले लेगी..
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