हरामी साहूकार complete

Post Reply
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: हरामी साहूकार

Post by Kamini »

mast update
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

पिंकी की माँ सीमा एकटक होकर लाला को देख रही थी...
क्योंकि लाला अभी तक मूर्ति बनकर अपनी जगह बैठा हुआ था...
उसके चेहरे के भाव बता रहे थे की अंदर से उसका क्या हाल हो रहा है...
और कोई होता तो उसे भी वो पिछले ग्राहक की तरह डाँटकर भगा देता, पर पिंकी के होते हुए, उसकी माँ से बदतमीज़ी करने का साहस लाला में नही था...कहीं ऐसा ना हो की अपनी माँ की बेइजत्ती होती देखकर वो उसके गोडाउन से बाहर निकल आए और सारा खेल बिगड़ जाए.

सीमा : "अर्रे, लाला..ये पत्थर सा बनकर क्यों बैठे हो...सुना नही..2 किलो चावल दे दो...40 वाले..''

लाला : "वो.....वो...क्या है ना....''

लाला को इस तरह से हकलाता देखकर सीमा का दिल धाड़-2 बजने लगा...
उसे शायद पिछली बातें याद आ रही थी...
पिछली यानी करीब 16 साल पहले की बाते...
जब वो नयी-2 ब्याह कर इस गाँव में आई थी...
और तब उसे गाँव की दूसरी औरतों ने लाला से दूर रहने को कहा था..क्योंकि वो गाँव की जवान और नयी ब्याही औरतों को चोदने के लिए बदनाम था...पर उसका रोब ही ऐसा था गाँव में की कोई भी उसके खिलाफ बोलने से भी घबराता था..

पर एक बात और भी थी, जो भी लाला के लंड से एक बार चुद जाती थी, वो उसकी तारीफ किए बिना नही रह पाती थी...

सीमा का पति यानी पिंकी का बाप रामदीन भी उसे संतुष्ट रखने में ज़्यादा कामयाब नही था...
इसलिए अपनी सहेलियो की बातें और लाला की चुदाई के किस्से सुनकर उसके अंदर भी कुछ-2 होने लगा था...
और एक दिन वो बिना किसी काम के ही लाला की दुकान पर पहुँच गयी.

उस दिन लाला ने उसे उपर से नीचे तक ऐसे देखा था जैसे आइस्क्रीम की तरह चाट ही जाएगा...
और देखता भी क्यो नही, एकदम नयी नवेली दुल्हन जो उसके सामने खड़ी थी...



लाला : "अरी सीमा...आजा री दुल्हनिया....आख़िर तेरे दर्शन मिल ही गये इस ग़रीब को...कई दिनों से गाँव के लोगो से तेरी सुंदरता के चरचे सुन रखे थे...आज देखकर लगता है की वो सब सच ही कह रहे थे...''

लाला के मुँह से इस तरह पहली ही बार में अपनी तारीफ सुनकर वो अंदर से काफ़ी खुश हुई...
लाला एकदम तगड़ा आदमी था...
करीब 7 फुट का...रोबीला चेहरा...दादी मूँछे नही हुआ करती थी उन दिनों लाला की, पर चेहरे पर रोब उतना ही था.....
और आँखो की चमक बता रही थी की उसके अंदर कितनी आग भरी हुई है..
बस उसी आग का ताप महसूस करके सीमा अंदर तक सिहर उठी.



सीमा : "लाला....वो...वो .... मूँग की दाल लेनी थी...''

लाला : "अर्रे बहुरिया ...तो इसमें इतना घबराकर बोलने वाली क्या बात है....बोलने में डरना कैसा...चल अंदर...''

सीमा : "अंदर ... ?''

लाला : "अररी....मेरे गोडाउन में ...दाल चावल चीनी तो अंदर ही है ना...यहाँ तो बच्चो का समान रखा है सारा...देख बिस्कुट और लॉलीपॉप ..ये तेरे किस काम के...चल अंदर..''

उसने गर्दन हिलाई और अंदर चल दी..
इस बात से अंजान की अंदर जाते हुए लाला की नज़रें उसके कुल्हो पर थी...
जिन्हे मटकता हुआ देखकर लाला ने अपनी धोती में क़ैद रंगीन मिज़ाज रामलाल को ज़ोर से मसल दिया...



अंदर जाकर सीमा ने देखा की वहां तो घुपप अंधेरा था...
इसी बीच लाला ने आकर अपने हाथो से उसकी कमर को थाम लिया.

वो हड़बड़ा कर साइड में हो गयी

लाला : "ओह्ह ...ये गोडाउन का बल्ब भी आज ही फ्यूज़ होना था....अंधेरे में कुछ देखना भी मुश्किल है....अररी बहुरिया....देख ज़रा...वो सामने के रैक्क पर जो दालों के पैकेट रखे है....उनमे से मूँग की दाल ढूँढ ला ज़रा....''

बेचारी सीमा को पता नही था की ये लाला की चाल थी..
जो वो अक्सर अपने नये शिकार पर इस्तेमाल करता था...
और हर बार शिकार उसके जाल में फँस भी जाता था...

लाला का लंड तो हमेशा की तरह एक नये शिकार को देखकर पूरा खड़ा हो चुका था...
इसलिए उसने अपने लंड को धोती से बाहर निकाल लिया...
अंधेरा इतना था की हाथ को हाथ सुझाई नही दे रहा था...
ऐसे में लाला का वो काला भूसंड रामलाल कैसे दिखता भला उस बेचारी को...

वो अपने हाथ आगे करके दीवार से सटे लोहे के रैक्क पर लगे दाल के पैकेट्स को खंगालने लगी...
और ऐसा करते-2 वो धीरे-2 आगे बढ़ रही थी...
लाला थोड़ी दूर जाकर उन दालों के आगे खड़ा हो गया...
और जैसे ही सीमा के हाथ लहरा कर अगले रैक्क की तरफ आए, लाला ने अपना शरीर आगे कर दिया...
सीमा के हाथ लाला के नंगे लंड से आ टकराए...
एक पल के लिए तो उसे कुछ समझ नही आया की वो क्या है..
पर जब लाला ने एक झटका मारकर उस लंड नुमा घोड़े को थोड़ा हिनहिनाया,तब उसे एहसास हुआ की वो क्या पकड़ लिया है उसने , वो बेचारी एकदम से घबरा गयी और उसने हल्की चीख मारकर उसे छोड़ दिया..

लाला : "अर्रे...पगली....काहे डर रही है री....ये कोई बुरी चीज़ थोड़े ही है.... ये तो मज़ा देन खातिर भगवान ने हम मर्दो को दिया है ताकि तुम औरतन को सुख बाँट सके...''

इतना कहकर लाला फिर से उसके करीब आया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे जकड़ लिया...
लाला का लंड सीधा सीमा की चूत को छू रहा था..

सीमा के लिए ये एकदम नया और अजीब था...

इसलिए वो डर रही थी...
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

वो लगभग रोते हुए..गिड़गिड़ाते हुए , लाला से बोली : "ई ना करो लाला....हमार अभी शादी हुई है..हमार जिंदगी बर्बाद हो जाएगी लाला....छोड़ दो हमको...''

लाला ने उसकी कमर से अपना हाथ हटा लिया और बोला : "अर्रे...तू तो ऐसे कह रही है जैसे मैं तेरे साथ कोई जबरदस्ती रहा हूँ ....तू ही दाल लेने आई थी और तूने ही हाथ बढ़ाकर मुझे पकड़ लिया...और अब खुद ही ऐसे चिल्ला रही है जैसे मैने कुछ ग़लत कर दिया है...जाना है तो जा...''

उस वक़्त सीमा की हालत ऐसी हो रही थी की या तो बेशरम बनकर लाला का साथ देकर वहीं चुद ले...
या फिर अपने शरीफपन का ढोंग रचा कर वहां से भाग जाए..

लाला ने तो अपना दाना फेंक ही दिया था...
और उसे पक्का विश्वास था की एक बार उसके लंड को टच करके कोई भी मुँह मोड़कर जा नही सकता ..

सीमा की हालत भी कुछ-2 वैसी ही थी जैसा लाला चाहता था...
उसके निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे...
उसकी मुनिया से गाड़ा पानी निकल कर उसकी जाँघो पर बह रहा था...
पर सीमा का दिमाग़ उसके शरीर की भाषा नही समझ रहा था..
और उसी पाहोपोश में वो लगभग भागती हुई सी गोडाउन से बाहर निकल गयी...

शायद समाज , बिरादरी के डर ने उसके दिमाग़ को वहां से भागने पर मजबूर कर दिया था.

और पीछे रह गया लाला...
जो अंधेरे कमरे में अपने लंड को मसलता हुआ बस यही बुदबुदा रहा था...'साली....कभी तो आएगी मेरे नीचे...कब तक बचेगी.'

एक वो दिन था और एक आज का दिन है...लाला की उसे चोदने की इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकी.

उसके बाद जब भी सीमा और लाला का आमना सामना हुआ, वो चुपचाप नज़र चुरा कर निकल जाती थी...
दुकान में भी कभी कभार समान लेने आती तो समान लेकर वापिस चली जाती...
लाला चाहे एक नंबर का ठरकी था, पर आज तक उसने औरत की इच्छा के विरुद्ध जाकर उसकी चुदाई नही की थी...
इसलिए सीमा को भी लाला ने अपनी लिस्ट से निकाल दिया..
क्योंकि उसे पता था की उसे चुदना होता तो अब तक चुद चुकी होती...
कुछ समय बाद उसकी एक लड़की हो गयी, तो उसने और भी दूरिया बना ली..
शायद अब वो अपनी बेटी पिंकी के साथ उस छोटी सी दुनिया में ही खुश थी...

और इस तरह देखते-2 उन्नीस साल बीत गये...
और आज वही पिंकी उसकी टाँगो के बीच बैठकर उसका लंड चूस रही थी और वही सीमा उसके सामने खड़े होकर चावल माँग रही थी..

''2 किलो चावल दे दो लाला...सुना नही क्या..''

सीमा की इस तीखी आवाज़ ने लाला को यथार्थ के धरातल पर ला पटका...
एक मिनट में ही उसे वो सब पुरानी बाते याद हो आई थी , जिन्हे वो कब का भूल चुका था...
पर वो एक कसक अभी भी उसके दिल में थी की पूरे गाँव में यही एक औरत है जिसने उसका दाना चुगा तो सही पर जाल में नही फँस पाई..

और आज, एक बार फिर से लाला के दिल में वही पुरानी यादें चिल्ला-2 कर कह रही थी की आज मौका है,
कर ले अपने दिल की दबी हुई इच्छा को पूरा...
कर ले लाला...
कर ले.

और पिंकी का इस वक़्त वहां पर होना तो इस घटना को और भी रोमांचक बना देगा...
क्योंकि ये वो चिड़िया थी जो उसका दाना चुग भी चुकी थी और लाला के जाल में अच्छे से फँस भी चुकी थी...
उसके तो उड़ जाने का भी कोई ख़तरा नही था...

और उपर से नाज़िया को उसकी माँ के सामने ही चोदने के बाद , लाला में इतनी हिम्मत तो आ ही चुकी थी की एक बार फिर से एक और माँ -बेटी की जोड़ी को एक दूसरे के रूबरू करके चुदाई का खेल खेल सके...
क्योंकि ऐसा करने में जो रोमांच उसे महसूस हुआ था उसका कोई मुकाबला ही नही था.

पर इससे पहले वो निश्चिन्त कर लेना चाहता था की पहले की सीमा और आज की सीमा में कोई बदलाव आया है या नही...और इसका सिर्फ़ एक ही तरीका था.

लाला ने मन ही मन एक प्लान बनाया और सीमा से बोला : "अररी सीमा रानी...तुझे तो पता ही है, दाल चावल तो सब अंदर के गोडोवन् में ही होते है.... चल अंदर..दिखा देता हूँ तुझे, कौन-कौन सा चावल है मेरे पास...''



ये लाला ने इसलिए कहा क्योंकि आज से पहले भी उसने कई बार अंदर के गोडाउन से समान लाकर उसे दिया था...
आज पहली बार था जब वो उसे एक बार फिर से गोडाउन में चलने के लिए कह रहा था...
और वो लाला ने उसे इसलिए कहा की अगर उसने अंदर जाने से मना कर दिया और लाला को ही चावल लाने को कहा तो उसे समझ जाना चाहिए था की वो अभी भी अपनी उसी जिदद पर अड़ी हुई है...
और अगर वो अंदर चलने के लिए मान गयी तो लाला के लिए उतना ही इशारा काफ़ी था उसे चोदने के लिए..

और वही दूसरी तरफ, लाला की गोडाउन में चलने वाली बात सुनकर सीमा का पूरा शरीर सुन्न सा पड़ गया...
वो समझ गयी की लाला क्या चाहता है..
पर अंदर ही अंदर उसे इस बात की खुशी भी हो रही थी की उसकी इतनी उम्र हो जाने के बावजूद लाला उसके लिए आज भी पागल है...
पिंकी के पैदा होने के बाद तो उसके पति ने लगभग ना के बराबर चुदाई करी थी उसकी...
पर उस बात को भूलकर अपनी बेटी को पालने में उसने अपनी जिंदगी लगा दी...
पर आज लाला की इस हरकत ने उसके शरीर में कुछ सोए हुए अरमान फिर से जगा दिए थे, जिन्हे वो आज तक नजरअंदाज करती आई थी..

इसलिए बिना कुछ कहे वो चुपचाप अंदर के गोडाउन में चल दी..

लाला का दिल तो बल्लियों उछल पड़ा..
और साथ ही उछल पड़ा उसका रामलाल भी जो इस वक़्त पिंकी की गिरफ़्त में था..

पिंकी ने नीचे से फुसफुसा कर कहा : "ओ लाला जी...ये क्या रायता फेला रहे हो...जानते हो ना की वो मेरी माँ है...उन्हे टरकाने के बदले आप अंदर ले जा रहे हो...उन्होने मुझे और निशि को यहाँ देख लिया तो अनर्थ हो जाएगा...भगाओ उन्हे यहाँ से जल्दी...''

वो बेवकूफ़ अभी तक लाला के दिमाग़ में चल रही शैतानी को समझ नही पा रही थी..
पर निशि समझ चुकी थी.

वो बोली : "अरी बुद्धू...तू इतना भी नही समझी...लाला का दिल इस वक़्त तेरे लिए नही बल्कि तेरी माँ के लिए मचल रहा है...जैसे उन्होने नाज़िया और उसकी माँ दोनो के साथ मज़े लिए है...वैसा ही कुछ इरादा उनका तेरे और तेरी माँ के लिए भी है...क्यों .यही बात है ना लालाजी...''

निशि ने तो एक पल में ही लाला के प्लान को पिंकी के सामने लीक कर दिया..

लाला तो खुद ही उसे ये बताने वाला था,
निशि ने जब ये सब कहा तो लाला ने मुस्कुरा कर वो सब कबूल कर लिया..

और ये सब सुनकर और लाला को मुस्कुराता देखकर, पिंकी का तो दिमाग़ ही घूम गया...

इतना हरामी भला कोई कैसे हो सकता है....
जब एक इंसान के पास एक जवान बेटी उसका लंड चूसती हुई बैठी है तो ऐसे में वो उसकी माँ के पीछे कैसे जा सकता है..

और कोई होता तो उसे कोई परवाह नही थी क्योंकि वो लाला के रंगीनमिजाज को अच्छी तरह से जानती थी...
पर वो तो उसकी माँ को चोदने की फिराक में था...
अंदर के गोडाउन में लेजाकर वो उसकी पूजा तो करेगा नही.

उसे तो अपनी माँ पर भी गुस्सा आ रहा था क्योंकि इतने सालो में उसने भी तो लाला के बारे में वो सब सुन ही रखा होगा...
उसके बावजूद वो कितनी आसानी से उसकी बातो में आकर बिना कुछ कहे अंदर चली गयी थी...
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

अब उस बेचारी को अपनी माँ और लाला के बीच की वो पुरानी बाते तो पता नही थी...
लेकिन पता भी होती तो इस वक़्त वो यही सब सोच रही होती जो अब सोच रही है..
उसे तो अपनी माँ से जलन भी हो रही थी..
की जब उसकी बेटी मज़े ले रही है लाला से तो उसका बीच में आने का क्या मतलब उठता है..
मारे जलन के उसका मन तो ये भी कर रहा था की लाला के लंड को काट डाले अपने तीखे दांतो से...
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने उपर कंट्रोल किया.

और उसके मन के अंदर जो चल रहा था, उसकी परवाह किए बिना लाला भी उठकर अंदर के गोडाउन में चल दिया..

और पीछे छोड़ गया अवाक सी होकर बैठी पिंकी को...
जिसे अभी तक ये विश्वास नही हो पा रहा था की उस जैसी जवान लड़की को छोड़कर भला कोई कैसे उस 40 साल की औरत के पास जा सकता है..

लाला के जाने के बाद निशि ने उसे समझाया

निशि : "अररी...तेरा गुस्सा होना जायज़ है...पर ये भी तो सोच की तेरी माँ और लाला की इस हरकत की वजह से हमारा कितना फायदा है..''

पिंकी ने बुरा सा मुँह बनाया और बोली : "फायदा ...? इसमे हमारा फायदा कहाँ से आ गया...''

निशि : "फायदा इसलिए की अगर आज लाला और तेरी माँ के बीच कुछ हो जाता है तो ये सिलसिला आगे भी चलेगा...और भविश्य में अगर तेरी माँ को तुझपर कुछ शक हुआ या उसने तुझे और लाला को चुदाई करते हुए पकड़ लिया तो तेरे पास भी तो कहने के लिए कुछ होगा ना..तू भी तो अपनी माँ को लाला और उनके बीच की ये सच्चाई बताने की धमकी दे सकती है ...''

पिंकी ने मन में सोचा की बात तो वो सही कह रही है..
हालाँकि उसे अपनी माँ पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर अब वो एक औरत की नज़र से वो सब सोच रही थी...
उसे याद है की उसने कई बार रात भर जागकर ये जानने की कोशिश की थी की उसकी माँ और बापू रात में चुदाई करते है या नही...
पर उसे हर बार निराशा ही हाथ लगी थी...
इसका मतलब सॉफ था की उसके माँ बाप के बीच शारीरिक संबंध नाम की कोई चीज़ ही नही थी...
और ऐसे में अगर लाला जैसा बंदा चुदाई की पेशकश करे तो एक प्यासी औरत भला उसे कैसे मना कर पाएगी.

और निशि ने जो बात की थी, उसके हिसाब से अगर माँ को लाला और पिंकी के बारे में पता चल भी जाता है तो शायद उसे उतना बुरा नही लगेगा क्योंकि वो खुद भी तो लाला के साथ वो कांड कर ही चुकी होगी..

पर ये सब तो तब होगा ना जब उसकी माँ लाला से असल में चुदाई करवाएगी...

और ये सब देखने के लिए वो दोनो भी चुपके से अपने घुटनो पर रेंगती हुई अंदर की तरफ चल दी...



जहाँ एक जोरदार चुदाई कांड होने की संभावनाए सॉफ नज़र आ रही थी.
Post Reply