हरामी साहूकार complete

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raja
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Re: हरामी साहूकार

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Massssssssssssssst. But update big do or jalde do.
:o :o
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

raja wrote: 22 Aug 2017 12:38 Massssssssssssssst. But update big do or jalde do.
Kamini wrote: 19 Aug 2017 11:55MasMast update
pyasanokar wrote: 18 Aug 2017 21:11 Uuuuffff......Kamal ki story
thanks mitro
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

अब दोनो को ही मालूम था की वो दिन दूर नही जब रामलाल और पिंकी की चूत का मिलन होकर रहेगा...

और पिंकी को ये सब अपनी पक्की सहेली निशि को भी तो बताना था और उसके साथ मिलकर उसे लाला के लंड का मज़ा लेना था.......
पर उससे पहले तो कई और किस्से भी होने वाले थे ...

***********
अब आगे
***********

वापिस पहुँचते-2 अंधेरा घिरने लगा था...
लाला को भी चिंता हो रही थी की ऐसे में उसे पिंकी के साथ कोई गाँव वाला देख लेगा तो लड़की बेकार में बदनाम हो जाएगी..
इसलिए उसने गाँव के बाहर ही उसे उतार दिया, वहां से उसने फटफटिया पकड़ ली जो सीधा उसके घर के बाहर उतारती थी और 7 बजने से पहले-2 वो घर भी पहुँच गयी.

उसकी माँ घर के बाहर खड़ी उसका ही इंतजार कर रही थी...
थोड़ी बहुत डांट पड़ी पर इतना तो चलता ही है, वो चुपचाप अंदर गयी, अच्छे से नहाई और दिन भर की बाते याद करके मूठ भी मारी.



तरो-ताज़ा होकर वो सीधा निशि के घर पहुँच गयी
वो भी उसी का इंतजार कर रही थी क्योंकि उसे भी मालूम था की लाला के साथ पूरा दिन रहने के बाद कुछ ना कुछ तो ज़रूर हुआ ही होगा..

पिंकी को लेकर वो अपने उपर वाले कमरे में चली गयी और दरवाजा बंद करके निशि ने अपने सवालो की बौछार लगा दी..

''क्या हुआ आज.....क्या किया तुमने.....कुछ करा के नही....चुद गयी लाला से या अभी नही....बोल ना....क्या- करा तुम दोनो ने....''

पिंकी उसकी अधीरता देखकर मंद-2 मुस्कुराए जा रही थी...
और उसे सताने में उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था.

इसलिए वो बोली : "कुछ नही यार....लाला तो एकदम बोर इंसान निकला....सारा दिन घूमे, खाना खाया और वापिस आ गये...बस..''

निशि को विश्वास ही नही हुआ...
और पिंकी को मंद -2 मुस्कुराते देखकर वो समझ गयी की वो उसका चूतिया काट रही है...
इसलिए वो उसके उपर कूद पड़ी...
उसे बेड पर लिटाकर उसके पेट पर चढ़ गयी और उसके हाथ दबोच कर उसकी गर्दन पर अपने गीले होंठों से गुदगुदी करने लगी...
पिंकी का हंस-2 कर बुरा हाल हो गया और तब उसने अपनी हार मानते हुए सारी बाते बतानी शुरू कर दी..

सबसे पहले जब उसने ये बात बताई की उसने और लाला जी ने नाज़िया की माँ शबाना को किसी गैर मर्द के साथ चुदाई करते देखा तो उसे विश्वास ही नही हुआ...
और फिर नमक मिर्च लगाकर जब उसने शबाना आंटी की चुदाई की बाते उसे सुनाई तो वो गर्म होती चली गयी..

उखड़ी सांसो से उसने पिंकी से पूछा : "तेरे सामने इतना कुछ हो रहा था और लाला तेरी बगल मे खड़ा था...तुझे कुछ हुआ नही...''



पिंकी को भी वही सीन एकदम से याद आ गया और वो गर्म साँसे छोड़ती हुई बोली : "हाँ यार...हुआ ना...बहुत कुछ हुआ...और वही खड़े होकर मैने लाला का रामलाल पकड़ लिया था...और लाला ने भी मेरी छाती को खूब मसला...इसे नंगा करके चूमा और चूसा भी...''

उसका इतना कहना था और निशि का मुँह खुला का खुला रह गया....
उसे भी लाला के साथ बिताए गये गोदाम वाले पल याद आ गये...
पर लाला को उसने कसम दी थी की वो ये सब पिंकी को नही बताएगी...
इसलिए वो चुपचाप अपनी चूत को मसलती हुई उसकी बाते सुनती रही..



निशि : "फिर....? तूने भी किया क्या वो सब..''

पिंकी : "नही री....वहां खड़े होकर वो सब करना मुश्किल था...इसलिए वहां से निकलकर हम लोग दूसरे गाँव गये और उधर लालाजी मुझे अपने एक दोस्त के घर ले गये...''

निशि की आँखे और भी गोल हो गयी : "लाला का दोस्त....वहां तुझे क्यो ले गया लाला..''

पिंकी : "वो तो पता नही...पर वो साला और भी बड़ा हरामी था...उसके घर पर पहले से ही एक औरत थी, जिसके साथ वो मज़े ले रहा था...और लाला ने ये बात ताड़ ली...बाद में वो औरत हमारे सामने ही अपने मालिक का लंड चूस रही थी...''

निशि मन ही मन सोच रही थी की इतना सब कुछ हो गया और अभी भी पिंकी बोल रही है की वो चुदी नही...
ये बात उसकी हलक से नीचे नही उतर रही थी.

वो चुपचाप पिंकी की बाते सुनती रही...
क्योंकि अब वो फ्लो में आ चुकी थी...
निशि ने देखा की उसकी टी शर्ट के नीचे उसके निप्पल के उभार सॉफ दिखाई देने लगे है....



निशि ने उनपर हाथ रखकर उन्हे मसलना शुरू कर दिया...
पिंकी भी गर्म आँहे भरती हुई बाद की कहानी अपनी सहेली को सुनाती रही...

वो बोली : "उम्म्म.......उन्हे ऐसा करते देखकर तो लाला भी बेकाबू हो गया और उसने वही अपने दोस्त और उस औरत के सामने मुझे पूरा नंगा कर दिया...और मुझे उपर से नीचे तक जी भरकर चूमा...''

निशि तो ऐसा मंज़र सोचकर ही तड़प उठी और उसकी चूत से 2 चम्मच पानी निकलकर बाहर फिसल आया..

पिंकी : "यार....सच में ...आज पहली बार मैं नंगी हुई थी किसी के सामने....और वो भी एक साथ 3 लोगो के....ऐसा रोमांच तो मुझे आज तक महसूस नही हुआ .... लाला ने अपने दोस्त के सामने ही मेरी चूत को जी भरकर चूसा....मेरे मुम्मे उसने ज़ोर-2 से दबाए...उनका दूध भी पिया...और ये सब देखकर उसके दोस्त की हालत भी खराब हो रही थी....वो बेचारा अपना काम भूलकर मुझे ही घूरे जा रहा था...''

निशि : "वो तो घूरेगा ही...एक औरत के मुकाबले जब उसे एक कच्ची कली का नंगा बदन देखने को मिले तो कौन ऐसा नही करेगा.....हाय ....उस बेचारे के बारे में सोचकर ही मुझे हँसी आ रही है...''

पिंकी : "आ तो मुझे भी रही थी...पर बेचारा कुछ कर तो सकता नही था मेरे साथ ...लाला के सामने...इसलिए अपनी वाली को ही अपने उपर बिता कर उसने चोदना शुरू कर दिया....पर इतने करीब से लंड को चूत में जाता देखकर और उसकी चीखे सुनकर मेरी तो हिम्मत जवाब दे गयी....और मैने लाला को वहां सबके सामने चुदाई करने से मना कर दिया....लाला भी मेरी बात मान गया...और उसने अपने आप को शांत करने के लिए मुझे रामलाल थमा दिया...जिसे मैने अच्छे से चूसा...और उसके रस को पीकर तो मेरा बुरा हाल हो गया....उसके रस का स्वाद मेरी ज़ुबान पर अभी तक है...इतना मीठा....इतना ताज़ा....''

"जैसे मीठी क्रीम...".... ये निशि थी जो उसकी बात बीच में ही काटकर अपनी भावनाओ में बहकर ये बोल गयी...

उसे शायद लाला के लंड की छत्त पर की हुई चुसाई याद आ गयी थी...



पिंकी आगे बोली : "और लाला ने जब मेरी चूत चूसी थी ना, उसका तो कोई मुकाबला ही नही.....उसकी घनी दाढ़ी मूँछ जब मेरी चूत पर लगकर मुझे गुदगुदा रही थी.....वो एहसास मैं कभी भूल ही नही सकती....''

इस बार भी निशि बोल पड़ी : "हाँ यार....लाला की दादी मूँछ और उसकी जादुई जीभ......अपने गोदाम के बोरों पर लिटाकर जो उसने मेरी चूत चूसी थी , उसे याद करके तो मेरी मुनिया अभी तक कुलबुला रही है....''

और बोलने के बाद उसे ये एहसास हुआ की वो भावनाओं में बहकर क्या बोल गयी.....
उसने तो चूत पिंकी से छुपकर चुसवाई थी....
जिसका पिंकी को पता भी नही था....
इसलिए वो उसे घूर रही थी.

पिंकी उसे फटी हुई आँखो से देख रही थी....
जैसे पूछ रही हो की कुतिया , तूने अपनी चूत कब चुसवाई.

दोनो एक दूसरे को 10 सेकेंड तक ऐसे ही देखती रही और फिर दोनो खिलखिलाकर हंस दी....

पिंकी समझ गयी थी की उसकी सहेली ने उससे पहले ही बाजी मार ली है...
लाला की वो मीठी क्रीम चाटकर वो उसका स्वाद पहले से ही ले चुकी है और अपनी चूत की मिठास भी उसे चखा चुकी है......
पर इस बात पर उसके साथ लड़ने का कोई फायदा नही था...
इसलिए वो हंस दी थी...
निशि भी अपनी ग़लती को मानकर पिंकी से लिपट गयी....
और लिपटने से पहले उसने अपनी शर्ट के सारे बटन खोल दिए थे, जिसकी वजह से उसकी नंगी छातियो पर लगे नुकीले निप्पल किसी शूल की भाँति पिंकी को चुभ रहे थे...

वो उसे किस्स करती रही और लाला के साथ उसके गोडाउन में हुई सारी कहानी उसे सुना डाली...



जिसे सुनकर पिंकी का भी बुरा हाल हो गया और उसके कपड़े भी एक के बाद एक उतरते चले गये...

कुछ ही पलों में दोनो सहेलियां जन्मजात नंगी खड़ी थी...



पिंकी ने उसे अपने उपर 69 की पोज़िशन में लिटाया और उसकी पान की कटोरी को मुँह में भरकर उसे चूसने लगी.... ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर का सारा मीठापन पानी बनकर उसकी चूत से रिस रहा है.

''उफफफफ्फ़........ तेरी चूत का ये पानी पीकर तो लाला हमेशा के लिए तेरा गुलाम बन जाएगा.....''

पिंकी भी बोली : "और तेरा जूस भी कम नही है....इसका नशा जब उसके सिर चड़कर बोलेगा तो वो सब कुछ भूल जाएगा....''

दोनो एक दूसरे के प्रॉडक्ट की तारीफ कर रही थी...
सहेलियां हो तो ऐसी.



कुछ देर तक एक दूसरे की चूत चाटने के बाद दोनो सीधा हुई और अपनी-2 टांगे एक दूसरे मे फँसा कर अपनी चूत के पेंचे लड़ा दिए...
अब वो अपनी कमसिन कमर को हिला-2 कर अपनी चूत से दूसरी की चूत पर घिस्से लगा रही थी....
खुद को भी मज़े आ रहे थे और दूसरी को भी...



और जल्द ही दोनो लाला और रामलाल का नाम लेते हुए , एक दूसरे मे अपनी टांगे उलझाए, जोरों से झड़ती चली गयी....

झड़ने के बाद दोनो के बूब्स एक दूसरे से और होंठ आपस में ऐसे चिपके जैसे एक जिस्म दो जान हो....
लाला के लंड से निकले सफेद फेविकोल ने जैसे उनके जिस्मो को हमेशा के लिए चिपका दिया हो...



और अच्छी तरह से एक दूसरे की चूत सॉफ करने के बाद दोनो ने अपने कपड़े पहने और अगले दिन स्कूल के बाद लाला की दुकान में चलने का प्रोग्राम बना लिया..

अगली सुबह जब वो दोनो ब्रेक मे एक साथ एक पेड़ के नीचे अपना लंच बॉक्स लेकर बैठी थी तो दूर से उन्हे नाज़िया आती हुई दिखाई दी...

उसे देखते ही पिंकी को उसकी माँ की चुदाई याद आ गयी....
और नाज़िया में भी उसे बड़े होकर एक अच्छी चुदक्कड़ बनने के सारे गुण दिखाई दे रहे थे...
इतनी छोटी उम्र में ही उसकी छातिया काफ़ी बड़ी थी, हालाँकि वो उन्हे ढीले कपड़ो में छुपा कर रखती थी पर एक लड़की की नज़र से वो छुपी नही रह सकती थी...
उसका सेक्सी चेहरा भी किसी भी मर्द को डगमगा देने के लिए काफ़ी था...
ख़ासकर उसके उभरे हुए होंठ, जिन्हे देखकर तो आज पिंकी को भी उन्हे चूमने की इच्छा हो रही थी..

पिंकी को इतनी गोर से नाज़िया की तरफ देखते हुए निशि बोली : "उसे तो तू ऐसे देख रही है जैसे गाँव के हरामी लोंडे हमे देखते है...आँखो से ही चोद देगी क्या उसे...पता है ना पहले भी वो हमारी शिकायत कर चुकी है अपनी माँ से...उससे दूर ही रहना सही है...''

पिंकी मुस्कुराते हुए बोली : "वो बात पहले की थी...जब तक मैने उसकी माँ को चुदते हुए नही देखा था...अब बात दूसरी है....मुझे तो इसे देखकर इसे चूमने का मन कर रहा है...''

निशि ने हल्के गुस्से से उसे झाड़ा : "मैं क्या मर गयी हू जो तू उसे चूमने की बात कर रही है...और ये लड़कियो के साथ मज़े लेने की आदत मत बना लियो...वरना वैसी ही बनकर रह जाएगी...याद रख की हमारा बदन मर्दो के लिए बना है ना की हमारे आपस में प्यार करने के लिए...जो थोड़ी बहुत खुरक हमारी चूत में उठती है ना उसके लिए हम दोनो एक दूसरे के लिए बहुत है...''

पिंकी : "अर्रे...तू समझती नही है यार...मुझे इसमे वैसे कोई इंटरस्ट नही है...पर अब हमारे पास जो उसकी माँ के खिलाफ सबूत है, उससे हम इसकी जिंदगी को दबा रहने से बचा सकते है...देख तो सही इसे...कैसा कातिल जिस्म है इसका...उसकी ब्रेस्ट तो देख...और कैसे मटक कर चलती है, उसकी गांड भी काफ़ी भारी है...इन सबको नाज़िया ने अपनी माँ के डर से बचा कर रखा हुआ है...सोच, अगर ये हमारी कंपनी में आ गयी तो इसके वारे न्यारे हो जाएगे...अपने जिस्म का अच्छे से इस्तेमाल करके वो अच्छे वाले मज़े ले पाएगी...वरना घुट-2 कर अपनी लाइफ जिएगी और एक दिन शादी करके एक ही मर्द के नीचे हमेशा के लिए दबी कर जाएगी...इसका कुछ तो करना पड़ेगा ताकि ये भी हमारी तरह लाइफ के मजे ले सके...''

निशि को उसकी ये समाज सेवा का भाव समझ में नही आ रहा था...
पर पिंकी जानती थी की वो ये सब किसलिए कर रही है...
इसलिए उसने ज़ोर से आवाज़ देकर नाज़िया को अपने पास बुला लिया...



नाज़िया तो 2 दिन से उनके पास खुद ही जाना चाह रही थी...
क्योंकि लाला से मिलने के बाद और अपनी अम्मी को लाला के लंड से चुदने के बाद उसे भी अब पुर मज़े लेने थे और ऐसे में पिंकी और निशि ही उसकी हेल्प कर सकती थी..

इसलिए वो अपनी गांड मटकाती हुई उनकी तरफ चल दी.
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Re: हरामी साहूकार

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mast update
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

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नाज़िया जब उनके करीब आई तो सबसे पहले उसने पहले की गयी ग़लती की माफी माँगी ताकि अब उनके बीच में कोई दूरी ना रहे...
पिंकी तो पहले से ही वो सब बाते भूल चुकी थी इसलिए जल्द ही पुरानी बातो को दरकिनार करके तीनो सहेलियां खिलखिलाकर एक दूसरे से बाते करने लगी..



वो तीनो उठकर स्कूल के पीछे बने एक छोटे से बगीचे में जाकर बैठ गये...
घने झाड़ के पीछे छुपकर, जहाँ बैठकर अक्सर वो स्कूल के पीरियड्स गुल किया करते थे...

उनकी बातें वहां भी जारी रही...
और जैसा की पहले हुआ करता था, कुछ ही देर में पिंकी ने बातो का रुख़ सैक्स की तरफ मोड़ दिया...
और इस बार नाज़िया उन बातो को सुनकर भागी नही और ना ही शरमाई ...
बल्कि बड़े ही चाव से उसकी रसीली बातो को सुनकर उनका स्वाद लेने लगी..

पिंकी : "यार...ये साली जवानी जब से आई है ना, पूरे बदन में एक अजीब सी हरारत होती रहती है दिन भर...मन करता है की नंगी होकर बिस्तर पर लेट जाऊ और कोई जोशीला मर्द आकर मुझे उपर से नीचे तक मसल डाले...अपने सख़्त हाथो से मेरी छातिओ को...मेरी गांड को...मेरी जाँघो को और चूत को ज़ोर से दबाए और उनमें हो रहा मीठा दर्द बाहर खींच निकाले...''

निशि ने उसकी बात पर सहमति जताते हुए कहा : "हाँ यार.....मुझे भी आजकल ऐसी फीलिंग होती रहती है....कल तो क्लास में भी एकदम मेरी मुनिया में से अचानक ही गर्म पानी निकलने लगा... मैथ्स वाले टीचर के सामने ही, उनके बारे में ही सोचकर, और फिर उनकी आँखो से बचकर, मैने अपनी मुनिया को ज़ोर से रगड़ा...तब जाकर शांत हुई वो निगोडी...वरना मैं तो पागल सी हो रही थी...मन कर रहा था की भरी क्लास में सारे कपड़े निकाल कर नंगी हो जाऊँ और पूरी क्लास के लड़के लड़कियां मेरे नंगे शरीर से खेले...मेरी मुनिया को चूसे ...और अपने गरमा गरम पेशाब से मुझे नहला डाले...''

उन दोनो की ये गरम बातें नाज़िया के जवान जिस्म पर क्या प्रभाव डाल रही थी ये दोनो अच्छे से जानती थी....
और वो कहते है ना, एक दूसरे की बाते सुनकर अपने दिल की बाते भी निकल ही जाती है...
वही हो रहा था नाज़िया के साथ भी....

वो भी बेचैनी से अपनी छाती पर चमक रहे निप्पल को रगड़ती हुई बोली : "हाँ यार...तुम दोनो ठीक कह रही हो....परसो मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था....मैने किसी को चुदाई करते हुए देख लिया...और उन्हे देखकर मेरा पूरा शरीर जल सा रहा था....मेरी जाँघो के बीच अंगारे से जल रहे थे...उंगलिया डाली अंदर तो ऐसा लग रहा था जैसे झुलस जाएगी...पर वो नज़ारा था ही ऐसा की मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल सा हो रहा था...मैने अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और भरी दोपहरी में नंगी होकर अपनी चूत को ज़ोर-2 से मसला...और तब तक मसला जब तक वो नदी की तरह बह नही गयी...''



उसकी बाते सुनकर पिंकी और निशि के बदन तपकर लाल से हो गये...

पिंकी ने उसकी जांघो पर अपने हाथ रखे और उन्हे धीरे-2 मसलने लगी...
और बोली : "पूरी बात बता ना नाज़िया...किसे देखा तूने...अच्छे से बता ना...ऐसे मज़ा नही आता...''

नाज़िया सकुचा रही थी...
शायद अपनी माँ की बदनामी के डर से वो उन्हे बोल नही पा रही थी..

पिंकी ने उसे आँखे चुराते देखा तो वो निशि से बोली : "चल निशि ..ये तो आधी अधूरी बातें कर रही है...हम एक दूसरे से कोई बात नही छुपाते...और इसे देख, कितने नखरे कर रही है...जब छुपाना ही है तो बताया क्यों ..और ऐसा करना ही था तो हमारे पास आई ही क्यो...हमसे दूर ही रह अगर ये सब करना है तो...''

इतना कहकर उसने निशि का हाथ पकड़ा और दोनो उठकर चल दी..

''रूको.......मेरा वो मतलब नही था.....वो ...वो मुझे बस.....बदनामी का डर था....इस...इसलिए....नही बता रही थी...''

नाज़िया के मुँह से ये सब सुनकर दोनो की आँखे चमक उठी...
एक पल के लिए तो उन्हे लगा की वो खुद ही चुद चुकी है,
और किसी और की चुदाई को देखने का बहाना कर रही है...

वो दोनो तुरंत वापिस बैठ गयी और बोली : "किसकी बदनामी नाज़िया....हमसे छुपाने की कोई ज़रूरत नही है री...हम किसी को नही बताएँगे ...अपने माँ -बाप की कसम...हाँ ...''

दोनो सहेलियो ने तुरंत कसम खा डाली, ताकि नाज़िया को उनपर विश्वास हो जाए...
और वो हो भी गया.

वो बोली : "ठीक है....ये बात हम तीनो के बीच ही रहनी चाहिए....समझे...''

निशि : "हाँ ...हाँ ..समझ गये....अब बता...किसे देखा तूने....''

नाज़िया ने सकुचाते हुए कहा : "लाला को.....''

लाला का नाम सुनते ही दोनो की आँखे फटी की फटी रह गयी...
इस साले लाला ने इस नन्ही सी चूत को भी नही बख़्शा ....
साला हरामी कुत्ता...

वो दोनो अपनी ही अटकलें लगाकर लाला और नाज़िया की चुदाई के बारे में सोच रही थी की नाज़िया ने आगे कहा : "अपनी अम्मी के साथ....''

उसके ये शब्द एक बार फिर बॉम्ब बनकर दोनो के कानों में गिरे...

उसकी अम्मी तो उनकी नजरों में पहले से ही रंडी का खिताब पा चुकी थी.

यानी, लाला ने नाज़िया की अम्मी, शबाना को चोदा ...

और ये सब नाज़िया ने अपनी आँखो से देखा...

पिंकी : ''ओह्ह ....तो लाला ने तेरी अम्मी को चोदा ....मुझे लगा की उसने तुझे पेल दिया...''

उसकी बात पर निशि खिलखिलाकर हंस पड़ी...
और बोली : "हे हे....लाला का लंड देखा है ना तूने....इसकी मुनिया की तो धज्जिया उड़ा देगा वो अपने रामलाल से...''

नाज़िया दोनो के हंसते हुए चेहरे देखकर ये जानने की कोशिश कर रही थी की उन्होंने लाला का लंड कब देख लिया...
अभी तक तो वो खुद को ही खुशनसीब समझ रही थी पूरे गाँव में जिसने इतनी कम उम्र में लाला का हथियार देख लिया था...
पहले अपनी माँ की चूत में घुसते हुए..
और बाद में उसकी दूकान पर जाकर खुद भी मजे लेकर आयी थी वो.

पिंकी उसे देखकर बोली : "ऐसे फटी आँखो से क्यो देख रही है मुझे....लाला के बारे में तो आधा गाँव जानता है...और हम दोनो तो ख़ासकर...''

इतना कहकर दोनो एक दूसरे के हाथ पर ताली मारकर फिर से हँसने लगी...
नाज़िया इस वक़्त खुद को चूतिया सा बना महसूस कर रही थी...
उन दोनो के सामने अपने आप को बहुत छोटा सा फील किया उसने...
पर उसने अपनी और लाला के बीच वाली बात उन्हें तब भी नहीं बतायी।

फिर पिंकी बोली : "और मैने तो तेरी माँ को भी चुदते हुए देखा है....''

बेचारी नाज़िया का चेहरा देखने लायक था...
वो हकलाते हुए बोली : "कब....किसके साथ...लाला के..?''

पिंकी ने मुस्कुराते हुए ना में सिर हिलाया और धीरे से बोली : "किसी और के साथ....वो है ना नरेश, गाँव के बाहर जिसका खेत है...वही...कल ही तो देखा...मैं जब लाला के साथ दूसरे गाँव गयी थी...तो हम दोनो ने मिलकर देखा...छुपकर...''

और इतना कहकर उसने शुरू से अंत तक की सारी चुदाई गाथा उसे कह सुनाई...
जिसे सुनकर एक पल के लिए तो नाज़िया को विश्वास ही नही हुआ था...
पर ये विश्वास तो उसे तब भी नही हुआ था जब उसने अपनी अम्मी को लाला के सामने घोड़ी बनकर चूत मरवाते देखा था...

पर अंदर से वो भी जानती थी की ये सब वो उसके लिए ही तो कर रही है...
वरना और कौन है जो उसकी पढ़ाई और घर का खर्चा चलाएगा...

पिंकी और निशि ने अपने और लाला के बीच हुए मज़े के बारे कुछ नही बताया...

उसे सोच में डूबा देखकर पिंकी ने उसे समझाते हुए कहा : "अरे , अब तू किस सोच में पड़ गयी....ये सब तो होता रहता है....एक बात याद रखियो मेरी...एक बार इस चुदाई का चस्का लग जाए ना, तो इंसान किसी की फ़िक्र नही करता...फिर चाहे वो मर्द हो या औरत, ये खुजली दोनो को उठती है....हाँ , ये अलग बात है की हम लड़कियां इसे ज़्यादा दिखा नही पाती और ये मर्द साले ठरकी बनकर अपनी हवस दिखाते फिरते है....अगर अंधेरे कमरे में पूछा जाए तो लड़कियां बाजी मार लेंगी टाँगो के बीच होने वाली खुजली को लेकर...''

निशि ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई और बोली : "पिंकी सही कह रही है....लाला और वो नरेश जैसे मर्द इसी वजह से तो इतने मज़े लेते रहते है...और तुम्हारी अम्मी और हम जैसी बेचारी लड़कियां छुपकर ये काम करती फिरती है...फिर भी बदनामी का डर बना रहता है...''

नाज़िया उन दोनो के चेहरे गोर से देख रही थी और ये जानने की कोशिश कर रही थी की वो आख़िर कहना क्या चाहती है...

पिंकी समझ गयी उसके दिल की उलझन को...
और वो बोली : "और इसलिए हमने फ़ैसला किया है की आज से हम अपनी लाइफ को पूरा एंजाय करके जियेंगे...शादी के बाद तो हमारी लाइफ वैसे भी एक खूँटे से बँधकर रहने वाली है...बाद में भी ये सब हो सकता है पर तब मामला रिस्की होता है , अभी के लिए कम से कम कोई ज़्यादा कहने वाला नही है...घर वालो को तो हम संभाल ही लेंगे...बोलो क्या कहती हो नाज़िया...अगर तुम हमारे इस गेंग में रहना चाहती हो तो आज से तुम्हे हमारी जैसी सोच ही रखनी पड़ेगी...यानी हमे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने मज़े के बारे में ही सोचना है...वो कैसे मिलते है...किससे मिलते है, ये सोचकर हमे अपनी जवानी खराब नही करनी ....अगर तुम साथ हो तो बता दो...वरना अभी वापिस जाकर वही बोर सी जिंदगी जियो....''

दोनो दिल थामकर उसके चेहरे को देखने लगे...
नाज़िया ने अपनी हिरनी जैसी आँखे थोड़ी देर के लिए बंद की और फिर अपने गुलाबी होंठ खोलकर बोली : "अगर वो बोर लाइफ जीनी होती तो तुम्हारे साथ यहाँ आती ही क्यो....''

उसका ये कहना था की पिंकी और निशि का चेहरा खिल उठा और दोनो ने अपनी बाहें उसके इर्द गिर्द डालकर उसे हग कर लिया....
और अचानक पिंकी ने वो किया, जिसके बारे में नाज़िया तो क्या निशि ने भी नही सोचा था...

पिंकी ने नाज़िया के होंठो पर अपने होंठ रखे और उन्हे ज़ोर-2 से चूसने लगी....



एक लड़की से पहली बार किस्स करवा रही नाज़िया तो सकपका सी गयी...
पर उसे धीरे-2 उस किस्स में मज़ा आने लगा...

वो भी उसके चेहरे को पकड़कर उसका जवाब देने लगी...
और अचानक नाज़िया को अपने बूब्स पर निशि के हाथो का एहसास हुआ...
उसने जब देखा की पिंकी ये सब करे बिना नही मानेगी तो उसने भी इस खेल में उतरना सही समझा...
आज तक उसने पिंकी का हमेशा साथ दिया था...
आज भला पीछे कैसे रह जाती...

वहां ये सब करने में नाज़िया की गांड पहले तो फट रही थी...
पर अंदर से एक रोमांच भी मिल रहा था की ऐसे खुल्ले में वो इस तरह की गंदी वाली बात कर रही है......

उसे इन सबमे काफ़ी मज़ा मिल रहा था..
ख़ासकर पिंकी से किस्स करवाकर.

उसके होंठो से निकलकर एक मिठास उसके अंदर जा रही थी और उसे भी लग रहा था की वैसी ही मिठास पिंकी उसके मुँह से खींच भी रही है...
एक हाथ दे और एक हाथ ले...
इस लेन - देन में उसे बहुत मज़ा मिल रहा था.

इसी बीच निशि ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए और उसकी ब्रा में क़ैद मुम्मो को अंदर से पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया...

एक आनंदमयी सिसकारी उसके मुँह से निकल पड़ी...
और वो उस आनंद को महसूस करते हुए घास पर लेट सी गयी...
घास में लेटने के बाद उसका सिर तो निशि की गोद में था...
और टाँगो के बीच पिंकी बैठी थी...
ऐसा लग रहा था जैसे आज दोनो मिलकर उसका रेप करने के चक्कर में है..

पिंकी ने अपनी 3 उंगलियाँ नाज़िया के मुँह मे डाली और जब वो अच्छी तरह से गीली हो गयी तो उन्हे नीचे लेजाकर उसकी स्कर्ट में घुसेड दिया...
और जो बात नाज़िया आज तक सबसे छुपाती आयी थी वो आज उन दोनो के सामने आ गयी...
वो बिना कच्छी के स्कूल आती थी हमेशा...

उसकी बिना कच्छी वाली चूत में पिंकी की उंगलिया घुसती चली गयी..



अपनी ही गर्म थूक में भीगी पिंकी की उंगली ने जब उसकी क्लिट को छुआ तो वो हुंकार सी उठी और उसका शरीर उपर हवा में उठने लगा...
जिसे निशि ने अपना मुँह उसके स्तनो पर लगाकर नीचे किया...
बटन खोलने के बाद कब उसकी ब्रा भी नीचे कर दी गयी थी बेचारी नाज़िया को इसका इल्म भी ना हुआ...



अपने शरीर को उन भूखी बिल्लियो से नुचवाती नाज़िया का ऑर्गॅज़म अपनी चरम सीमा पर जा पहुँचा...
और जल्द ही अपनी चूत की पिचकारी से उसने मीठे पानी के फव्वारे निकालने शुरू कर दिए...

''आआआआआआआआआआआअहह......ओह......उम्म्म्ममममममम....''

पिंकी ने बड़ी समझदारी से उसकी स्कर्ट को पहले से ही जाँघो से उपर तक चड़ा दिया था...
ताकि उसके रस में भीगकार स्कर्ट गीली ना हो...
पर जहाँ वो लेटी थी उसके नीचे की घांस चिपचिपी ज़रूर हो गयी.....
अब तो उसमे से जवानी के रस में डूबे फूल उगने वाले थे...



नाज़िया को प्यार का पाठ अच्छे से पढ़ाकर और उसे अपने गेंग मे मिलाकर दोनो काफ़ी खुश थी...

अब पिंकी को अपने इस गेंग की मदद से अपने मिलने वाले मज़े के बारे में सोचना था...
और वो तो पहले से ही डिसाईड था की वो मज़े लाला ही देगा...

इसलिए प्लानिंग करके उन्होने शाम को लाला की दुकान पर मिलने का निश्चय किया..

आज तो शायद लाला और उसके रामलाल को भी नही पता था की उसकी किस्मत में इतना बड़ा सर्प्राइज़ लिखा है.

हमेशा की तरह दोपहर के समय लाला का रामलाल अपना सिर निकाल कर पूरा खड़ा हुआ था...
और आज भी लाला अपना हाथ धोती में डालकर उसे रग़ड़ रहा था..

लाला के लिए तो वही सच्चा दोस्त था...जो उसकी खुशी में हमेशा खड़ा रहता था.

लाला बड़बड़ाता हुआ उससे बाते करने लगा : "अबे हरामखोर...कभी तो शर्म कर लिया कर...शाम होते होते तेरा सजना संवरना शुरू हो जाता है...आज तो सुबह से कोई तितली भी दिखाई नही दे रही....वो दोनो छोरियाँ भी अभी तक आई नही दुकान पर...पता नही कब तक इंतजार करना पड़ेगा...''

बेचारा रामलाल सिर्फ़ 2 बूँद मुँह से निकालने के अलावा कुछ और बोल ही नही पाया..
ऐसे ही लाला अगर उसे रगड़ता रहा तो जल्द ही उसने उल्टी कर देनी थी लाला की धोती में.

पर शायद लाला के दिल की पुकार पिंकी और निशि को सुनाई दे गयी थी....
दोनो अपनी-2 गांड मटकाती हुई उसकी दुकान की तरफ ही आ रही थी.

वो एक जोरदार रगड़ा मारकर रामलाल से बोला : "देख आ गयी वो दोनो हरी मिर्चे...अब तो दोनो को सुराही में उतार लिया है...आज तो तेरी मर्ज़ी चलेगी बेटा...जिसे चाहेगा वही तुझे चूसेगी...पर अब तो ये चूसम चुसाई बहुत हो गयी...जल्द ही इन्हे चुदाई का पाठ पढ़ाना पड़ेगा...''

वो ये बड़बड़ा ही रहा था की दोनो उसके सामने आकर खड़ी हो गयी..



पिंकी ने आते ही पूछा : "कैसे हो ??..''

उसके चेहरे से सॉफ पता चल रहा था की आज वो कैसी शैतानी करने के मूड में है..

लाला : "मैं तो ठीक हूँ ,,,तुम सुनाओ ...''

पिंकी खिलखिलाकर हंस दी और बोली : "अरे लालाजी...मैने आपने थोड़े ही पूछा....मैने तो रामलाल से पूछा...कैसे हो...''

और इस बात पर दोनो सहेलियां एक दूसरे के हाथ पर ताली मारकर हंस दी...
बेचारा लाला खिसियानी हँसी हंसता रह गया....



लाला समझ गया की दोनो ने एक दूसरे को लाला के साथ लिए मज़े के बारे में बता दिया है...
इसलिए अब इस बात को छुपाने का कोई फायदा नही था...
और ये बात लाला को और भी ज़्यादा उत्तेजित कर गयी की अब वो एक साथ दोनो से मज़े ले सकेगा...

कितनी बेशर्मी से पिंकी ने लाला के लंड के बारे में पूछकर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर दिया था...
लाला के लिए पहले से ही उस शेर को अपनी धोती के पिंजरे में संभालना मुश्किल हो रहा था...
पिंकी की इस बात ने उसे और भी भड़का दिया...

लाला भी चालाक था...
उसने उतनी ही बेशर्मी से अपनी धोती को उपर उठाया और खड़े हुए रामलाल को बाहर निकाल कर दोनो के सामने पेश कर दिया

और बोला : "रामलाल के बारे में पूछ रहे हो तो सीधा उससे ही बात कर लो ना...''

दोनो के चेहरे एकदम से लाल पड़ गये....
हालाँकि दोनो को उसे देखने का अपना-2 एक्सपीरियेन्स पहले से ही था
पर एक बार फिर से लाला के लंड को ऐसे अपने सामने खड़ा देखकर दोनो की कच्छियां एकदम से भीग गयी...
निशि ने तो हाथ लगाकर अपनी चूत को रगड़ भी दिया
और सिसकारी मारकर बोली : "हाय लालाजी....ऐसे मत तरसाओ....हमने तो मज़ाक किया था...आप तो जान लेने पर उतारू हो गये...''
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