हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

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रामलाल का नाम उसकी ज़ुबान से सुनते ही लाला की हँसी निकल गयी : "हा हा......मेरे रामलाल को तो तूने अच्छे से पहचान लिया....बहुत खूब....अब मज़ा आएगा....''

लाला ने आस पास देखा और उसे धीरे से कहा... : "चल तू अंदर गोडाउन में जा ज़रा..मेरे लिए तैयार रहियो...मैं एक मिनट में आता हूँ ..''

लाला की बात सुनते ही उसका शरीर सुन्न सा पड़ गया....
यही सुनने के लिए तो उसके कान तरस रहे थे...
वो झट्ट से दुकान के पीछे बने गोडाउन में दाखिल हो गयी...

पर अंदर जाते हुए उसे लाला की बात याद आई की लालाजी ने उसे तैयार होने के लिए क्यों कहा....
अच्छे से नहा धोकर और तैयार होकर ही तो वो वहां आई थी....

पर अचानक उसे लाला की बात की गहराई नज़र आ गयी....
और उसके चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कान तेर गयी...

"अच्छा ...तो लाला उस तरह से तैयार होने को कह रहा था....ठीक है...हो जाती हूँ लाला के लिए तैयार ..''

और इतना कहते हुए उसने बड़ी बेबाकी से अपनी कुरती पकड़ कर उतार दी....
और कमर पर बँधा घाघरा भी खोलकर नीचे गिरा दिया....

10 सेकेंड भी नही लगे उसे नंगा होकर लाला के कहे अनुसार तैयार होने में ..
गोडाउन की बोरियो के बीच उसका कमसिन और नंगा शरीर एकदम बेपर्दा होकर अलग से दमक रहा था...



तभी उसे दुकान के शटर के बंद होने की आवाज़ आई....
यानी लाला दुकान को बंद करके अंदर ही आ रहा था...
वो झट्ट से चीनी की 3 बोरियों के उपर चड़कर घोड़ी बनकर बैठ गयी....
उसकी रसीली चूत और भरंवा गांड बाहर के दरवाजे की तरफ थी...
जो लाला के स्वागत के लिए एकदम तैयार थी..



वो तो चुदने के लिए पूरी तैयार हो चुकी थी...
पर उसे ये नही पता था की लाला के दिमाग़ में क्या चल रहा है...

उधर लाला की भी हालत खराब थी
एक तरफ तो वो अपने शातिर दिमाग़ में दोनो सहेलियो को एक साथ ही चोदने का इरादा पक्का कर चुका था और उसके अनुसार तो वो निशि को अभी के लिए टरका देना ही चाहता था...

पर उसे क्या पता था की उसने अपनी हुस्न की दुकान के सारे दरवाजे खोलकर लाला के ईमान को डगमगाने के सारे इंतज़ाम कर लिए है...

जैसे ही लाला अंदर घुसा, चीनी की बोरी पर, कुतिया बनकर अपने घुटनो और बाजू पर खड़ी निशि दिखाई दी...
और वो भी एकदम नंगी.



गोडाउन में हमेशा से सीलन की महक रहा करती थी
पर आज निशि ने जैसे इत्र की डिबिया का ढक्कन खोल दिया था अपनी चूत के रूप में
उसमें से एक नशीली सी गंध निकलकर पुर कमरे में फेली हुई थी...
असली सीलन तो निशि की चूत में आई हुई थी अब
जहां से उसका यौवन रस बूँद-2 बनकर टपक रहा था चीनी की बोरी में
और उसे और मीठा बना रहा था...
वैसे किस्मत वाला ही होगा वो जो इस चूत के रस में भीगी चीनी को लाला की दुकान से खरीद कर ले जाएगा..



लाला की तो हालत खराब हो गयी उस उत्तेजना से भरे सीन को देखकर
उन्होने भी शायद ये नही सोचा था की वो इतनी आसानी से नंगी होकर लाला से चुदने को तैयार हो जाएगी...
लाला ने अपनी आँखे बंद की और 2-3 लंबी साँसे ली ताकि वो निशि के नंगे शरीर को देखकर अपने प्लान से ना भटक जाए..

पर लाला का रामलाल धोती में विद्रोह कर बैठा और ज़ोर -2 से चिल्ला उठा ...'अबे भेंन चोद लाला....साले तेरी प्लानिंग के चक्कर में आज ये कच्ची कली हाथ से निकल जाएगी भोसड़ीके ....बदल से अपना फ़ैसला और पेल दे इस छोकरी को यही...घुसा दे मुझे इसकी संकरी चूत में और लूट लेने दे मज़ा एक सीलबंद चूत का.....

पर लाला पर तो जैसे कोई असर ही नही हो रहा था उसकी थिरकन का...
यही फ़र्क होता है जब एक इंसान के पास सैक्स का इतना एक्सपीरियेन्स हो जाता है की वो अपने आप पर ऐसे मौके पर भी संयम रख सकता है.

उसने अपने रामलला का गला धोती में ही घोंट दिया और मुस्कुराते हुए अंदर घुस आया...

लाला : "अर्रे वाह....अब पता चल रहा है की मेरे खिलाये सारे क्रीम रोल तेरे किन-2 अंगो पर जाकर लगे है...''

इतना कहते हुए लाला ने आगे बढ़कर उसकी गांड के तरबूज ज़ोर से दबा दिए..

निशि बेचारी सीसीया उठी...
वैसे ही उसकी चूत का बुरा हाल था
लाला के कठोर पंजे जब उसकी गांड पर लगे तो वो और भी ज़्यादा पनिया उठी..

लाला ने उस बकरी बनी निशि के नंगे शरीर को गोर से देखा...
आज तक उसने जितनी भी चूते चोदी थी उनमे से सबसे कम उम्र की थी ये जो उसके सामने नंगी खड़ी थी...
और ऐसी उम्र में कम उम्र की लड़कियां ही पसंद आती है.

लाला का मन तो बेईमान हो रहा था पर अपने अंदर जो एकबार उसने निश्चय कर ही लिया था की चुदाई नही करनी मतलब नही करनी..

पर रामलाल के बार -2 उकसाने पर उसने ये ज़रूर तय कर लिया की उपर-2 से तो कुछ मज़े ले ही सकता है...
वैसे भी कल रात से ही उसे निशि की चूत को चूसने का मन कर रहा था
और अब तो वो उसके सामने पूरी नंगी थी
उपर से उसकी लिष्कारे मार रही चिकनी चूत से निकल रहे शहद ने उसकी प्यास और बड़ा दी थी...

साथ ही साथ उसे निशि के अनार की तरह लटके नन्हे चुचे भी काफ़ी ललचा रहे थे....
नीचे लटके होने की वजह से वो अपने पूरे आकार में आ चुके थे...
लाला को आज ही आभास हुआ की वो इतने छोटे भी नही है जीतने आज तक वो सोचा करता था...



इसलिए सबसे पहले तो उसने उन चुचियो के नीचे हाथ लगाकर उनका वजन नापा और फिर अपने कड़क हाथो में लेकर उसकी दोनो बूबिया ज़ोर से मसल दी..

''आआआआआआआआआआआआहह..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... दर्द होता है लालाजी....''

लाला ने मन में सोचा 'अब तो ये कहने की आदत तू डाल ही ले भेंन की लौड़ी ...क्योंकि लाला जब भी कुछ करता है तो सामने वाला यही कहता है की दर्द होता है लालाजी...'

और उसने निशि की बात अनसुनी करते हुए अपने हमले जारी रखे...
एक हाथ को वो पीछे की तरफ ले गया और उसकी मांसल गांड को भींचने लगा...
उसे आटे की तरह गूंधने लगा...
और फिर भी उसका दिल नही भरा तो उसने अपनी बीच वाली उंगली उसकी रसीली चूत में पेल दी...

ये तो निशि के लिए किसी लंड से कम नही थी....
आज तक इतनी मोटी चीज़ उसकी चूत में नही गयी थी....
सिवाए पिंकी की जीभ को छोड़कर...
पर वो भी काफ़ी मुलायम थी...
ये लाला तो पता नही किस जन्म का बदला ले रहा था उसके साथ जो इतने रॅफ तरीके से उसके नंगे बदन के साथ खेल रहा था..

एक हाथ से मुम्मे दबाता हुआ, दूसरे हाथ से उसकी चूत और गांड की मालिश करता हुआ लाला अपने लंड को उसके नंगे पेट से रगड़ भी रहा था...

निशि ने थोड़ा तिरछा होकर लाला के लंड को धोती से बाहर खींच लिया और ऐसा करते ही उसका गर्म सलाख जैसा लंड उसके जिस्म से टकरा गया...

निशि को तो ऐसा फील हुआ जैसे वो गर्म लंड उसके शरीर से अपने आप को वेलडिंग कर रहा है....
एक बार् चिपका तो अलग होने का नाम ही नही ले रहा था...

पर जो भी था, अपने जिस्म के साथ लाला का ये बर्ताव भी निशि को अलग ही मज़ा दे रहा था....

उसने तो अपने आप को लाला के सहारे छोड़ दिया था
अब वो उसके साथ कुछ भी कर ले
वो मना करने वाली नही थी...

लाला ने नीचे झुकते हुए उसकी नंगी पीठ को चूम लिया....
वहां पर आए पसीने को उसने जब अपनी जीभ से चाटा तो निशि का नंगा शरीर काँप उठा और वो थरथराती हुई सी चीनी की बोरी पर पेट के बल आ गिरी...

बेचारी से साँस भी नही ली जा रही थी इस वक़्त...
लाला के हाथ उसके चिकने शरीर पर उपर से नीचे तक फिसल रहे थे...
उसकी खुरदूरी जीभ जब उसकी पीठ से होती हुई, उसकी गांड तक पहुँची तो उसके शरीर के सारे रोँये खड़े हो गये... लाला ने उसकी गांड को अच्छे से चाटा, उसे मुँह में भरकर काटा भी और अंत में जब उसने अपनी जीभ की नोक उसकी गांड के छेद पर लगाई तो वो भरभराकर झड़ गयी....



''आआआआआआआआआआआहह लाला.आआआआआआआआआ..... ये क्या कर दिया रे.......अहह....''

लाला ने भी जब देखा की उसके शहद का छत्ता फुट गया है तो उसने अपना मुँह थोड़ा और नीचे कर दिया और उसकी चूत पर होंठ लगाकर उस कीमती शहद को चाटने लगा...

इस वक़्त उसकी जीभ किसी गली के कुत्ते की तरह चपड़ -2 चल रही थी को कई दिनों बाद मिले इस मलाईदार माल की एक भी बूँद वेस्ट नही करना चाहता था.

लाला को जब उसकी चूत के पानी का स्वाद पता चला तो वो और भी ज़्यादा ज़ोर लगाकर उसे खोद-खोदकर निकालने लगा...



गाँव की कच्ची जवानी का खट्टा मीठा पानी मिलना हर किसी की किस्मत में नही होता...
यहाँ तो लाला के पास एक के बाद दूसरी भी तैयार थी...
और आज लाला निशि के साथ भी ये सब इसलिए कर रहा था ताकि वो अपनी आपबीती सुनाकर जल्द से जल्द अपनी सहेली को भी अपने साथ ले आए...
और फिर लाला का असली काम शुरू होना था, चुदाई का..

पर अभी के लिए, लाला की करामाती जीभ को अपनी चूत के दाने पर महसूस करके बेचारी निशि का ऑर्गॅज़म एक बार फिर से नया आशियाना बनाने लगा...
लाला खिसककर उसकी चूत के नीचे लेट गया, अपनी पीठ के बल, चीनी की बोरी पर और उसने निशि की चूत को पकड़कर अपने मुँह पर रख लिया और उसकी कसी हुई गांड को पानी भरे गुब्बारे की तरह दबाता हुआ, उसकी चूत को खाने लगा...



और वो बेचारी
अपनी चीखो को सांतवे आसमान पर पहुँचाती हुई
उसके मुँह की सवारी करके
खुद भी सांतवे आसमान पर जा पहुँची....

और उपर पहुँचकर एक जोरदार चीत्कार के साथ जब उसने अपनी चूत का पानी छोड़ा तो लाला को ऐसा प्रतीत हुआ जैसे उसके चेहरे पर कोई पर्वती बादल फट गया है....
इतने वेग के साथ अंदर का माल निकलकर उसके चेहरे पर बिखरा जैसे तेज प्रेशर के साथ कोई पेशाब कर देता है...

''आआआआआआआआआअहह लाला......... कमाल हो तुम ......उम्म्म्ममममममममम.......... मज़ा आ रहा है.......अहह......अंदर से कुछ हो रहा है.....लाला................अहह......मैं तो गयी....अब........गयी ........अहह''



इतना कहते हुए उसके शरीर ने उसका साथ छोड़ दिया और वो लाला के चेहरे पर ही लूड़क गयी...

एकदम नंगी...
गीली सी...
अपने ही रस में नहाई हुई...
बेसूध सी..
पड़ी थी वो अब, उसी बोरी पर.



लाला का मन तो कर रहा था की उसकी चूत में लंड पेलकर उसे इस नींद से उठा दे और एक बार फिर से इस गोडाउन की दीवारों को एक नया संगीत सुनाए...

पर जैसा की उसने डिसाईड कर लिया था...
अभी के लिए इतना ही बहुत था..

इसलिए,अपने चेहरे ओ एक टावल से सॉफ करके और अपना कुरता बदलकर जब वो वापिस आया तो निशि को उसी हालत में बेसुध सी पाया..

और जैसे ही वो निशि को उसकी मस्ती भरी नींद से जगाने के लिए आगे बड़ा, बाहर से पिंकी की आवाज़ आई..

''लालाजी........ओ लालाजी......अंदर ही हो क्या.....''

पिंकी की आवाज़ सुनते ही लाला की फट्ट कर हाथ में आ गयी..

अंदर उसकी सहेली नंगी पड़ी थी,
भले ही उसे चोदा नही था उसने पर उसकी हालत देखकर तो यही लग रहा था की अच्छे से चुदाई हुई है उसकी...

ऐसे में उसकी सहेली ने उसे यहां देख लिया तो मुसीबत आ जाएगी, क्योंकि निशि भी उसे बिना बताए ही यहाँ आई थी...

ऐसे में लाला को दोनो को मेनेज करना काफ़ी मुश्किल भरा काम होने वाला था.
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Re: हरामी साहूकार

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''लालाजी........ओ लालाजी......अंदर ही हो क्या.....''

पिंकी की आवाज़ सुनते ही लाला की फट्ट कर हाथ में आ गयी..

अंदर उसकी सहेली नंगी पड़ी थी,
भले ही उसे चोदा नही था उसने पर उसकी हालत देखकर तो यही लग रहा था की अच्छे से चुदाई हुई है उसकी...

ऐसे में उसकी सहेली ने उसे यहां देख लिया तो मुसीबत आ जाएगी, क्योंकि निशि भी उसे बिना बताए ही यहाँ आई थी...

ऐसे में लाला को दोनो को मेनेज करना काफ़ी मुश्किल भरा काम होने वाला था.

***********
अब आगे
***********

पिंकी भी कुछ देर तक तो दुकान के बाहर खड़ी होकर लाला को पुकारती रही पर जब अंदर से कोई जवाब नही आया तो वो भी वापिस घर की तरफ चल दी..ये सोचकर की शायद लाला घर पर नही होगा..

अंदर लाला की साँस में साँस आई जब उसने पिंकी के जाते हुए कदमों की आहट सुनी...
वरना वो अभी तक ये डिसायीड ही नही कर पा रहा था की अपनी दुकान का शटर खोले या नही...
खोले तो पिंकी को कैसे समझाएगा की वो शटर बंद करके अंदर क्या कर रहा था...
और इसी बीच अगर निशि अपनी खुमारी से जाग गयी तो उन दोनो का आपस में मिलना तो तय ही था...
ऐसे में निशि का तो कोई डर नही पर पिंकी उसके हाथ से फिसल जानी थी...
क्योंकि एक बार जब दोस्ती के बीच लंड आ जाए तो वो दोस्ती जल्द ही दुश्मनी में बदल जाती है.

और लाला को तो इन दोनों कमसिन लड़कियो को एक ही बिस्तर पर चोदना था...और दोनो को अलग-2 तरीके से पटाकर.

पिंकी के जाने के करीब 5 मिनट बाद जब उसने शटर खोला तो सामने से शबाना आती हुई दिखाई दे गयी..

एक मुसीबत गयी और ये दूसरी आ गयी....
इस साली की चूत में भी खुजली होती रहती है...
हमेशा चूत खुजाति हुई लाला के पास पहुँच जाती है.

शबाना : "लाला जी....आजकल तो आप मेरे यहाँ आना ही भूल गये हो...लगता है उन दोनो करारी छोरियों ने अच्छे से रिझा रखा है आपको आजकल...''

लाला : "अर्रे नही शबाना, ऐसा कैसे हो सकता है.... वो तो ऐसे ही उनके बारे में तुझसे बोल दिया था पिछली बार...मैं क्या इसी काम में लगा रहूँगा...''

शबाना ने आँखे नचाते हुए, अपने मोठे मुम्मों की क्लीवेज़ दिखाते हुए कहा : "रहने दो लालाजी...आप शायद भूल रहे है की मेरी बेटी नाज़िया भी पिंकी और निशि की क्लास में ही पढ़ती है...सब खबर है मुझे...आजकल क्या खिचड़ी बन रही है उनके साथ तुम्हारी...''



लाला समझ गया की वैसे भी उससे छुपाने में कोई फ़ायदा नही है...
लाला की जिंदगी के आधे से ज़्यादा कांड वो जानती थी...
और लाला ने खुद ही पिछली बार उसकी चुदाई करते हुए उन दोनो हिरणियों के बारे में बताया था...

इसलिए इस बार भी उसने वो कबूल कर ही लिया...

वो बोला : "वैसे तो आज तक तो पूरे गाँव में कोई पैदा ही नही हुआ की लाला को रिझा सके...पर फिर भी ऐसी कलियाँ जब बाग में खिलने को तैयार हो तो मेरे जैसा भँवरा आ ही जाता है उनका रास चूसने...''

शबाना ने बड़ी ही बेशर्मी से अपनी चूत को घाघरे के उपर से ही मसला और बोली : "ओ भंवरे, तेरे उस डंक के लिए तो ये फूलों भरी बगिया भी काफ़ी दिनों से तड़प रही है...आज ज़रा इनका भी रस चूस ले...''

एक तो अपने हुस्न से लदी शबाना का मादक जिस्म उपर से उसके बोलने का अंदाज ही ऐसा होता था की लाला का लंड हमेशा खड़ा हो ही जाता था...
और अभी अंदर जो उसने निशि की चूत चाटी थी, उसके बाद तो उसके लंड को एक चुदाई चाहिए ही थी...

इसलिए वो बोला : "चल ठीक है...तू घर पहुँच...मैं कुछ देर में आता हूँ तुझे डंक मारने...''


वो प्यासी आवाज़ में बोली : "नही लाला...घर पर नही...अंदर ही चल ना गोडाउन में....घर पर नाज़िया है...वैसे भी अब मुझसे सब्र नही हो रहा...''

लाला ने झट्ट से अंदर जाती हुई शबाना का हाथ पकड़ा और उसे रोका..

लाला : "अररी, ऐसे कैसे अंदर भागी जा रही है....दूर गाँव से मेरा एक रिश्तेदार आया हुआ है...वो अंदर ही है...ऐसे घर पर ये सब कांड करना आज संभव नही है...तू घर जा , नाज़िया को बाहर भेजने का इंतज़ाम कर...मैं बस 5 मिनट में आया...''

बेचारी ने बुरा सा मुँह बना लिया...

लाला की भी जान मे जान आई
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Re: हरामी साहूकार

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वरना अंदर गोडाउन में नंगी पड़ी निशि को देखकर तो वो यही समझती की लाला उसे ही चोद रहा था...
भले ही उससे लाला को कोई ख़तरा नही था
पर जो कांड किया ही नही उसमें अपना नाम आए, लाला ये भी नही चाहता था...
एक बार चोद ले, उसके बाद चाहे पता चल जाए शबाना को, उसे कोई चिंता नही थी..

पर शबाना तो कुछ और भी सोच कर आई थी

वो बोली : "चल ठीक है लाला, मैं घर जाकर नाज़िया को कुछ खिला दूँ और फिर उसे बाहर भेजने का इंतज़ाम करती हूँ ...पर तू जल्दी आना...''

इतना कहकर उसने दुकान पर रखे मैगी के 5 पेकेट उठा लिए...
लाला भी कुछ नही बोला...
उसे पता था की उसकी ज़रूरत ऐसे ही पूरी होती है..

और जाते-2 वो लाला से कह भी गयी : "बाकी का समान लेने मैं नाज़िया को भेज दूँगी दुकान पर शाम को...''

लाला मुस्कुरा कर रह गया...
थोड़े से समान के बदले ऐसा रसीला माल चोदने को मिले तो किसका मन खुश नही होगा..

शबाना के निकलते ही लाला तुरंत अंदर गया...
वाहा निशि अपने ऑर्गॅज़म के नशे से बाहर आ चुकी थी...
और उसी चीनी की बोरी पर अंगडाई लेती हुई मुस्कुरा रही थी...
शायद अपने उपर की कैसे लाला के मुँह पर उसने अपनी चूत के फुव्वारे चलाए थे आज...

लाला को देखते ही उसने अपनी बाहें उसकी तरफ फेला दी..
लाला ने भी इस मौके को हाथ से नही जाने दिया और आगे बढ़कर उस नंगी परी को अपने गले से लगाकर एक जोरदार चुंबन जड़ दिया उसके रसीले होंठो पर...

स्मूच करते-2 निशि ने अपना एक हाथ नीचे करके लाला के लंड की तरफ सरका दिया तो लाला ने हंसते हुए उसे अलग किया और बोला : "बस बस मेरी बुलबुल...एक ही दिन में तुझे लाला का लट्ठ अपने अंदर चाहिए...ऐसा ना हो की तेरे घर वालो को आना पड़े तुझे उठाने के लिए...चूत चुस्वाकार तो बेहोश पड़ी रही इतनी देर तक...चूत मरवाएगी तो दिन लग जाएगे तुझे होश में आने में ..''

लाला की बात सुनकर वो भी हंस दी...
पर वो तो यही सोचकर आई थी की आज वो लाला का लंड लेकर रहेगी...

लाला बोला : "देख मेरी जान...ये चुदाई का काम पहली बार बड़ा तकलीफ़ देता है...और इसके लिए चूत को एकदम चिकना और रसीला बनाना पड़ता है...तूने तो देखा है ना मेरा रामलाल...तेरी इस छोटी सी मुनिया में कैसे जाएगा भला वो...जाएगा तो तू इतना चिल्लाएगी की गाँव इकट्ठा हो जाएगा लाला के घर...इसलिए अभी कुछ दिन तक तो लाला तुझे ट्रैनिंग देगा...तेरी चूत की मांसपेशियों की कसरत करवाएगा..उसके बाद चोदेगा तुझे मेरी रानी...अपने रामलाल से...''

लाला की रसीली बाते सुनकर निशि भी मंत्रमुग्ध सी होकर उसे देखती रही और अंत में बोली : "ओोहो....इतना कुछ करना पड़ता है पहली बार में ...मुझ पगली को तो पता भी नही था...पर आप कहते हो तो ये भी कर लूँगी...बताओ..कब से ट्रैनिंग शुरू होगी..और क्या -2 करना होगा मुझे...''

लाला ने उसके नन्हे अमरूद दबाते हुए कहा : "अब एक ही दिन में तू सारा कोकशास्त्र पढ़ लेगी क्या मेरी बन्नो...आज के लिए इतना ही बहुत है...अब तू घर जा और अपनी दोस्त पिंकी को मत बोलियो की अभी तू यहाँ थी...वो आई थी तुझे ढूँढते हुए...ऐसा ना हो की मामला बिगड़ जाए...''

निशि ने भी हां में सिर हिलाकर सहमति जताई...
जाते-2 लाला ने उसे बादाम के तेल की शीशी पकड़ा दी और बोला : "आज से तू रोज सुबह आधे घंटे तक अपनी चूत की मालिश करियो इस तेल से...ये तेरी चूत की मांसपेशियों को वो मजबूती देगा जिससे लाला के लंड को सहने की ताक़त मिलेगी तुझे...समझी...''

उसने तेल की शीशी ली और अपने कपड़े पहन कर हमेशा की तरह अपनी गांड उछालती हुई सी अपने घर की तरफ चल दी.

और लाला ने शटर डाउन किया और चल दिया वो शबाना के घर की तरफ...

इस वक़्त तो उसे शबाना के मोटे तरबूज और उसकी रसीली चूत ही दिखाई दे रही थी जिसे वो जल्द से जल्द खाना चाहता था.

लाला जब शबाना के घर के बाहर पहुँचा तो उसकी बेटी नाज़िया उसे बाहर ही मिल गयी...
उसके हाथ मे 10 का नोट था, शायद शबाना ने उसे आइस्क्रीम के बहाने बाहर भेज दिया था...

लाला ने आज पहली बार गोर से नाज़िया को देखा...
वो भी अपनी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी...
भले ही देखने में वो अभी भी बच्ची ही थी पर उसकी छाती का उभार तो निशि के अमरूदों को भी मात कर रहा था...
आज तक लाला की नज़रें इसपर कैसे नही पड़ी...
शायद उसकी माँ को चोदने के चक्कर में उसे हमेशा घर से बाहर जाना पड़ता था
इसलिए वो उसकी नज़रों से छुपी रही थी...
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Re: हरामी साहूकार

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लाला को देखकर वो बोली : "लालाजी , अम्मी बोल रही थी की आपकी दुकान से समान लेने आना है मुझे...शाम को आउंगी ..अभी तो आइस्क्रीम लेने जा रही हूँ मैं ...''

इतना कहकर वो भी मस्तमगन भंवरे की तरह उड़ती चली गयी वहां से..

लाला ने अपनी आदतानुसार जाती हुई कमसिन नाज़िया के कूल्हे देखे...
और उन्हे देखकर लाला को ज़रा भी निराशा नही हुई...
उसके दोनो डिपार्टमेंट अच्छे से डेवेलप हो रहे थे.

अपनी धोती में नाज़िया के नाम के आए उभार को मसलते हुए वो अंदर चल दिया...
शबाना अपना बिस्तर सही कर रही थी और झुकी होने की वजह से उसकी गांड लाला की तरफ ही थी....
लाला अब इतना उत्तेजित हो चुका था की उसके फेले हुए चूतड़ देखते ही सांड की तरह बौरा गया और आगे बढ़कर उसने अपना खड़ा हुआ लंड उसकी गांड से सटा कर शबाना को उसी अवस्था में दबोच लिया..

''आआआआआआआआआहह लालाजी.......क्या करते हो...दरवाजा तो बंद करने देते....इतनी बेसब्री ही थी तो वहीँ कर लेते ना, गोडाउन में ..''

अब लाला उसे कैसे समझाए की गोडाउन में क्या प्राब्लम थी...

लाला ने उसके घाघरे को धीरे-2 उपर किया और उसकी नंगी गांड उजागर कर दी...



लाला का रामलाल तो वैसे भी धोती में खुल्ले सांड़ जैसा घूमता रहता था
थोड़ा सा किनारा साइड में करके लाला ने अपना कसरती लंड उसकी गांड में पेल दिया और वो आनंद के सागर में डुबकी लगाकर वही बेड पर दोहरी हो गयी..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... लाला.......क्या कसक है तेरे लंड की......कसम से....आज तक इसका कोई तोड़ नही मिल पाया मुझे....''

लाला ने झटके देते हुए उसकी गांड मारनी शुरू कर दी...
उसकी धोती खुलकर अपने आप नीचे जा गिरी...
कुर्ता भी लाला ने खींचकर निकाल दिया...

अपनी गांड मरवाती शबाना ने भी कसमसाते हुए अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और अब वो पूरी नंगी होकर लाला के रामलाल को अपनी गांड में लेकर, अपनी चूत को मसलती हुई किसी घोड़ी की तरह हिनहिनाती हुई अपने बेड पर उछल कूद मचा रही थी...



''आआआआआआआआआहह लाला..........और ज़ोर से मार....अहह.....घुसा दे अपना पूरा लंड मेरी गांड में ......ओह लाला.........चूत में भी डाल ना अपने रामलाल को..........अहह''

उसकी बात मानकर लाला ने अपना लंड निकालकर उसकी चूत में भी पेला...
और वो अपनी गांड का टेंपो आगे पीछे करते हुए फ़चफ़च करके अपनी गांड और चूत दोनो मरवा रही थी..

भले ही इस वक़्त लाला उसकी मार रहा था पर उसकी आँखो के सामने इस वक़्त निशि का नंगा जिस्म ही नाच रहा था....
उसकी वो संकरी सी चूत, जिसे वो कुछ देर पहले तक चूस रहा था, वो उसकी आँखो के सामने थी और उसे यही लग रहा था जैसे वो अपना लंड उसकी चूत में पेल रहा है....
ये एहसास उसे मस्ती के एक नये आयाम पर ले जा रहा था.

लाला और शबाना ये सब कर रहे थे ...
इस बात से अंजान होकर की नाज़िया कब की वापिस आ चुकी है...
और अपनी माँ को घोड़ी बनकर चूत मरवाते देखकर बेचारी आइस्क्रीम खाना भी भूल चुकी है....
उसे ये अंदाज़ा तो था की उसकी माँ और लाला के बीच कुछ चल रहा है...
पर अपनी उम्र के हिसाब से उसने इतना आगे तक का नही सोचा था...

अपनी लाइफ में वो ऐसी बातो से हमेशा से ही दूर रही थी...
यहाँ तक की क्लास में भी जब पिंकी और निशि उसके साथ कुछ गंदी बाते करने की कोशिश करती तो वो वहां से भाग जाय करती थी...
उन दोनो ने ही लाला के मोटे लंड के बारे में उसे बताया था , और वो बात उसने वापिस आकर अपनी माँ से बोल दी थी, माँ को तो पहले से ही लाला के मोटे लंड के बारे में पता था, इसलिए वो ज़्यादा हैरान ना हुई पर उसने अपनी बेटी को पिंकी और निशि से दूर रहने की हिदायत ज़रूर दे डाली

इन्ही सब बातों की वजह से उसे एक औरत और मर्द के बीच के सम्बन्धो का ज़्यादा ज्ञान नही था...
और उन सभी बातो से अंजान किसी जवान लड़की को जब एकदम से लाइव चुदाई देखने को मिल जाए तो उसकी जिंदगी के सारे समीकरण ही बदल जाते है....
आज तक वो जिन गंदी बातो से बचती फिर रही थी, वो आज उसकी आँखो के सामने ही हो रही थी...
लाला कितने भयानक तरीके से अपने लंड को रामलाल कहता हुआ उसकी माँ की चूत में पेल रहा था...
और उसकी माँ भी किसी रंडी की तरह लाला के हर झटके को कबूल करके मस्ती भरी सिसकारियां मारकर उसे और भी ज़्यादा ज़ोर से चूत मारने को उकसा रही थी...



ये सब देखते-2 उसकी चूत में एकदम से गीलापन सा आ गया...
उसने नीचे देखा तो उसकी आइस्क्रीम पिघल कर उसकी छाती पर गिर गयी थी...
और उसके बूब्स से होती हुई नाभि तक पहुँच गयी थी...
पहले तो उसे लगा की वही आइस्क्रीम उसकी सुसू करने की जगह तक भी पहुँच गयी है
पर जब उसने पायजामी को खोलकर अंदर झाँका तो वहां कुछ अलग ही तरह की आइस्क्रीम मिली ...
गर्म आइस्क्रीम...
जो उसकी चूत से बहकर बाहर निकल रही थी...

उसे देखकर बेचारी डर सी गयी और उल्टे पाँव भागकर दूसरे कमरे में चली गयी...
और अंदर से दरवाजा बंद करके ज़ोर-2 से हांफने लगी...
बेचारी को अभी तक समझ नही आ रहा था की ये बिन मौसम की बरसात कैसे होने लगी उसकी चूत से...

इसी बीच लाला के लंड ने भयानक तरीके से उसकी माँ की चूत में विस्फोट कर दिया...
दोनो की गहरी साँसे और ठंडी सिसकारिया पूरे घर में फैल गयी ...
और अपने कमरे में सहम कर बैठी नाज़िया को भी ये सब सुनाई दे रहा था...

उसने अपनी उंगली से टाँगो के बीच से निकल रहे रस को टच किया तो उसके पूरे शरीर में तरंगे सी उठने लगी...
एक मीठा सा एहसास उसकी छातियो पर महसूस हुआ..
जैसे उसके गोल मटोल बूब्स को कोई बड़े प्यार से सक्क कर रहा है....
उन्हे होले - 2 दबा रहा है...
और ये सब महसूस करते हुए उसके हाथ कब अपनी चूत के खुल्ले होंठो में घुस गये उसे भी पता नही चला...
और वो अपनी दोनो उंगलियो से अपनी चूत को ज़ोर-2 से मसलने लगी...
और चूत मसलते-2 उसकी बंद आँखो के सामने उसे लाला दिखाई देने लगा...
एकदम नंगा .....
और वो अपने हाथ में अपने लंड को लेकर खड़ा था और नाज़िया की तरफ देखकर बोल रहा था...
'लेगी क्या...बोल...लेगी क्या मेरे रामलाल को...अपनी चूत में ..जैसे तेरी माँ ले रही थी...'

और अचानक ज़ोर-2 से मूठ मारती हुई नाज़िया के मुँह से फुसफुसाते हुए से शब्द निकले...

''हाआँ.....लाला......हाआँ....लूँगी......ज़रूर लूँगी....''



और इतना कहकर वो भी एक जोरदार धमाके के साथ झड़ने लगी....

शरीर काँप उठा उसका जब उसकी चूत से वो नारंगी पानी बाहर निकला तो....
और अपने ही रस में सराबोर सी होकर वो अपने बेड पर पड़ी हुई मुस्कुराती रही...
लाला के बारे में सोचकर.
और ये सोचकर की ये सैक्स इतना भी गन्दा नहीं था, जितना उसे बताया गया था.
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

शरीर काँप उठा उसका जब उसकी चूत से वो नारंगी पानी बाहर निकला तो....
और अपने ही रस में सराबोर सी होकर वो अपने बेड पर पड़ी हुई मुस्कुराती रही...
लाला के बारे में सोचकर.
और ये सोचकर की ये सैक्स इतना भी गन्दा नहीं था, जितना उसे बताया गया था.

**********
अब आगे
**********

नाज़िया ने अपने नंगे शरीर को शीशे में देखा तो आज वो खुद को ही पहले से ज़्यादा सैक्सी दिखाई दी...
आज तक उसने खुद से अपनी ब्रेस्ट को टच भी नही किया था...
पर आज उनमे जिस तरह की सनसनाहट हो रही थी, उसके बाद नाज़िया के हाथ खुद ब खुद अपने मुम्मो पर आ लगे...

और यही हाल उसकी चूत का भी था, जिसे आज तक उसने कोई इंपॉर्टेन्स नही दी थी
उसी पर हाथ लगाकर आज इतने मज़े लिए थे उसने...
हालाँकि एक-दो बार पहले भी वो मुठ मार चुकी थी
पर आज लाला के बारे में सोचकर जिस अंदाज से उसे मज़े आए थे
वो पहले से बहुत अलग ही थे.

वो गोर से अपने नंगे शरीर के हर एक अंग को देखकर मुस्कुराने लगी...
अब तो वो भी अपनी माँ की ही तरह लाला से खुद को चुदवाना चाहती थी.



कुछ देर बाद लाला वापिस चला गया..
और नाज़िया भी कपड़े पहन कर अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गयी...
उसकी माँ को कुछ पता ही नही चल सका की वो अंदर ही थी.

शाम को शबाना ने जब नाज़िया को कहा की वो लाला की दुकान पर जाकर कुछ समान ले आए तो उसके अंग-2 से चिंगारिया सी निकलने लगी...
जैसे आज ही लाला उसे चोद देगा.

इसी बीच जब सोनी वापिस घर पहुँची तो पिंकी को अपने घर पर ही बैठे पाया...
वो निशि की माँ से ही बातें कर रही थी...
और उसका इंतजार.

निशि को देखते ही वो वहां से उठ खड़ी हुई और दोनो निशि के रूम में आ गये उपर..

वहां पहुँचते ही वो पुलिसिया अंदाज में बोलनी शुरू हो गयी : "कहां थी तू...कब से ढूँढ रही हूँ ...लाला की दुकान पर भी गयी थी पर वो बंद थी...कहीं तू उसके साथ ही तो नही गयी थी...''

निशि मुस्कुराइ और मन में बोली : "थी तो उसके साथ ही पर कहीं और नही, उस दुकान के अंदर ही... और कसम से जानेमन क्या मज़े दिए आज लाला ने...काश तुझे सुना पाती तो तेरी झांटे सुलग कर ब्राउन हो जाती आज...''

पिंकी : "अब ऐसे क्यो मुस्कुरा रही है...बोलती क्यो नही , कहा गांड मरवा रही थी...''

निशि ने उल्टे उसे ही डांटना शुरू कर दिया
"तुझे लाला के सिवा कुछ और सूझता ही नही है ना...जब देखो लाला लाला....अर्रे मुझे और भी तो कुछ काम हो सकता है ना...मैं तो नाज़िया के घर गयी थी, कल साइन्स का प्रेक्टिकल है ना, उसी के बारे में पूछने...समझी..''

पिंकी : "ओोहो ...मैं तो उसके बारे में भूल ही गयी थी....और मुझे लगा की तू लाला के पास......चल छोड़ वो सब...अब ये बता की आगे के बारे में क्या सोचा है...''

निशि : "किस बारे में .. ? ''

पिंकी : "अर्रे वही...लाला के बारे में ..वो तो कल रात यही सोचकर आया था ना की मीनल दीदी है यहाँ पर...और उसके बदले वो तेरे जिस्म से मज़े लेकर चला गया...अब उसे कभी ना कभी तो पता चलेगा ही ना की मीनल दीदी तो अब अपने सैयां के साथ चुदवा रही है...कही ऐसा ना हो की वो ठरकी लाला आज की रात फिर से यहाँ आ जाए...ऐसा हुआ तो मैं तो कहे देती हूँ ...आज की रात मैं लेटूगी तेरी जगह ...साली सारे मज़े तू ही नही लेती रहेगी हमेशा...''

निशि उसकी बात सुनकर फिर से हंस दी...और बोली : "अच्छा जी...और उसका क्या होगा जो कल रात तूने मुझे कही थी की लाला को मेरे बारे में कुछ पता नही चलेगा, क्योंकि मैं मीनल दीदी जैसी दिखती हूँ ....तू अगर वहां लेटी तो वो झट्ट से जान जाएगा की तू पिंकी है...तेरा रंग ही इतना गोरा है की बिना चाँद के भी तेरा चेहरा दमकता रहता है...''

ये सुनकर पिंकी मायूस सी हो गयी...
शायद आज पहली बार उसे अपने गोरे रंग पर गुस्सा आ रहा था..

निशि : "और मुझे नही लगता की लाला अब दोबारा यहाँ आएगा...कल रात तो वो इसलिए आया था क्योंकि मीनल दीदी ने उसे बुलाया था...और कल रात जब मैं मीनल बनकर लेटी थी तो दोबारा आने की कोई बात नही हुई थी...ऐसे में लाला फिर से आने का रिस्क नही लेगा...''

पिंकी : "तभी तो मैं कह रही हूँ की बात आगे कैसे बढ़ेगी ...''

निशि : "वो बात जब बनेगी तब बनेगी..अभी तो कल के साईंस प्रॉजेक्ट के बारे में सोच...''

पिंकी ने अपना मुम्मा ज़ोर से मसला और कांपती हुई आवाज़ में बोली : "यहाँ मेरी जियोग्रफी बिगड़ी पड़ी है और तुझे साईंस प्रॉजेक्ट की पड़ी है...''

निशि : "अब तुझमे इतनी ही आग लगी हुई है तो तू ही कोई प्लान बना ना...तुझे तो पता है की इन मामलो में मेरा दिमाग़ कुछ ज़्यादा चलता नही है...''

पिंकी :"ओक...एक प्लान तो है मेरे दिमाग में पर उससे पहले हमें लाला को ये बताना होगा की मीनल दीदी अपने गाँव चली गयी है ताकि उस तरफ से हम निश्चिंत हो जाए......''

निशि ने मन में सोचा की ये बात भी वो लाला को बता ही चुकी है...
पर इस वक़्त वो पिंकी की बात को काटना नही चाहती थी
वरना उसे पता चल जाता की वो लाला से मिली थी...
इसलिए उसने हाँ कर दी और कुछ देर बाद दोनो लाला की दुकान की तरफ चल दिए..
जाते-२ पिंकी ने उसे अपना प्लान भी समझा दिया और ये भी की इस बार सिर्फ वही मजे लेगी लाला से , जैसे कल रात निशि ने लिए थे अकेले में.

इसी बीच लाला भी शबाना की चुदाई करके वापिस दुकान पर आ ही चुका था...
और दुकान खोलकर वो अपने थके हुए रामलाल को सहलाता हुआ शबाना और उसकी लोंड़िया के बारे में सोच ही रहा था की दूर से उसे फिर से ये दोनो मोरनियाँ आती दिखाई दे गयी..

लाला का रामलाल उनके एहसास से ही कड़क होने लगा
लाला उसे मसलते हुए बुदबुदाया : "इसे भी चैन नही है...साली अभी चूत चटवा कर गयी है, फिर से आ गयी अपनी सहेली को लेकर...''

और ऐसा नही था की लाला उन्हे देखकर गुस्से में ये सब बोल रहा था....
वो तो उसके बोलने का तरीका ही ऐसा होता है...
वरना लाला तो क्या, कोई भी ऐसी हसीन हिरनियों की जोड़ी को देखकर अपना लंड मसलने लग जाएगा..

दोनो दुकान पर पहुँची और लाला अपनी आदत के अनुसार अपने रामलाल को एक हाथ से मसलता हुआ उनसे बोला : "आओ-आओ...तुम दोनो को देखकर मन अंदर तक खुश हो जाता है...''



लाला का मतलब अपने लंड यानी रामलाल से था , जो उन्हें देखकर खुश हो रहा था.
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