हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

इसी बीच रामलाल भी अपना नाम बार-2 सुनकर खड़ा हो चुका था....
और मुँह उठाकर यही देख रहा था की कब उसका मालिक आज्ञा दे और वो इस कच्ची कली की चूत फाड़ डाले...
जब मिंया बीबी राज़ी तो ये लाला काजी बनकर क्यो अपनी टाँग बीच में अड़ा रहा है...

पर उसके पास तो दिमाग़ नही था...
जो लाला के पास था....
और लाला ये बात अच्छे से समझ चुका था की अभी बहुत पापड़ बेलने होंगे इस कली को फूल बनाने के लिए...
और तब तक के लिए उसके पास इसकी माँ तो है ही...
जिसकी चूत वो कभी भी मार सकता है...
और साथ में वो दो हँसो का जोड़ा,
यानी पिंकी और निशि भी तो है,
जो आजकल उसके पीछे दीवानी हुई पड़ी है...

कुल मिलाकर लाला का जैसे आज का दिन बीता था
वैसे ही उसके आने वाले दिन भी बड़े मजेदार होने वाले थे...

खासकर कल का दिन, जब पिंकी उसके साथ दूसरे गाँव जाने वाली थी,
और लाला के दिमाग में एक अच्छा सा प्लान पहले ही बन चूका था.


आज जब पिंकी सोकर उठी तो उसे अपनी चूत पहले से ही गीली मिली...
कारण था रात भर लाला के बारे में सोच-सोचकर अपनी चूत को रगड़ते रहना.

पिंकी के हाथ एक बार फिर से उसी चूत पर पहुँच गये, जिन्हे रगड़ -2 कर उसने रात निकाली थी..

और खुद से ही बतियाने लगी : "हाय लाला.....ये कैसी कसक दे डाली है तूने...कसम से, अभी तो मेरी मुनिया ने तेरे रामलाल के दर्शन नही किए है, जब ये दोनो एक दूसरे को देखेंगे तो क्या हाल होगा, यही सोचकर मेरा अभी से बुरा हाल हो रहा है....उफ़फ्फ़.....कितना तरसाते हो तुम सपनो में भी ....देखो ना, बिना अंदर डाले ही पूरी पनिया गयी है ससूरी.....अहह.......कब दोगे पूरा मज़ा मुझे......कब डालोगे अपना रामलाल.....मेरे अंदर......उम्म्म्ममममम''

और एक बार फिर से वही सिलसिला चल पड़ा जो पूरी रात चलता रहा था.....
और एक बार फिर से उसकी मुनिया ने सुबह की पहली किरण की तरह अपना रज त्याग कर उसकी कच्छी को गीला कर दिया...

अपने ही रंग में सनी हुई सी वो बिस्तर से उठी और टांगे फेला-2 कर बाथरूम की तरफ चल दी...

ऐसे अजीब ढंग से चलते देखकर उसकी माँ ने टोका : "अररी करमजली, जब पता होता है की डेट आने वाली है तो पहले से ही पेडवा क्यो नही लगा कर रखी थी...''

वो हंसते हुए बाथरूम के अंदर दौड़ गयी...
अपनी माँ के दिमाग़ की उपज के बारे में सोच-सोचकर...

खैर, एक बार अंदर पहुँचकर उसने अपने सारे कपड़े निकाल फेंके...
और एक बार फिर से हर रोज की तरह, अपने नंगे बदन को देखकर , उसे अपने हाथो से सहलाती हुई , वो गुनगुनाने लगी...



''ओह लाला.....साले कमीने...तुझे तो पता भी नही है की तू कितना लक्की है....ऐसा बदन तो हेरोइनो का होता है जो तेरे जैसे ठरकी बुड्ढे को मिलने वाला है....पर तेरी भी किस्मत अच्छी है जो इस उम्र में भी तेरे पास रामलाल जैसा दोस्त है, जो तेरा साथ देता है...और उसी की वजह से तेरा भी काम चल रहा है...वरना मेरे जिस्म को पाने के लिए अच्छे -अच्छो को पापड़ बेलने पड़े...''

इतना कहकर वो अपनी ही बात पर मुस्कुरा दी...

लड़कियों के पास जब सुंदर शरीर होता है तो उन्हे गरूर आ ही जाता है.

पर जब उनके बदन की अकड़ निकालने के लिए ढंग के बंदे नही मिलते तो ऐसे लाला जैसे मर्दो की ही चाँदी हो जाती है...

पर जो भी था, पिंकी के लिए तो इस वक़्त लाला ही वो बांका मर्द था, जिसके लिए उसने अपने इस रसीले योवन को संभाल कर रखा था...

और आज इसी रसीले यौवन में डूबी जवानी का इस्तेमाल करके उसे लाला को रिझाना था...
ताकि वो उसका गुलाम बनकर रहे हमेशा के लिए..

पर उस भोली चिड़िया को ये पता नही था की लाला उसका भी बाप है...
उस जैसी चिड़िया को दबोच कर लाला जब अपने लंड का पानी पिलाता है तो वो हमेशा के लिए उसकी गुलाम बनकर रह जाती है...
बड़ी आई लाला को अपना गुलाम बनाने वाली.

चूत तो उसकी हमेशा से ही चिकनी रहती थी, इसलिए उसे अच्छे से साबुन से रगड़ कर वो बाहर निकल आई...
आज के लिए उसने जान बूझकर ब्रा नही पहनी थी...
ताकि अपने योवन का रस वो लाला की भूखी आँखो को पिला सके..
बस माँ के सामने उन्हे ढकने के लिए उसने चुन्नी ले ली थी..

घर से निकलते हुए उसने अपनी माँ बता दिया की वो स्कूल की किताब लेने जा रही है, पर ये नही बताया की दूसरे गाँव जाना है, वरना उसकी माँ उसे अकेले कभी ना जाने देती...
और वैसे भी, एक बार घर से निकल जाओ तो उसे किसी की चिंता नही थी...

वहां से निकल कर जब वो लाला की दुकान पर पहुँची तो हमेशा की तरह अपनी मनपसंद मोरनी को अपनी तरफ आता देखकर लाला ने धोती मे हाथ डालकर अपना नंगा लंड पकड़ कर ज़ोर-2 से रगड़ने लगा
और बुदबुदाया : "हाय ....देख ले रामलाल...ये है वो कड़क माल, जो जल्द ही तुझे चखने को मिलेगा....साली की गांड इतनी फेली हुई है की उसकी चाल देखकर ही मज़ा आ जाता है....काश पीछे की तरह 2 कूल्हे इसके आगे की तरफ भी होते तो आते हुए भी उन्हे मटकते हुए देख पाता और जाते हुए भी....''

लाला अपनी ही बात सोचकर मुस्कुरा दिया....

तब तक अपने सीने को थोड़ा और उभार कर वो दुकान के अंदर आ गयी...

लाला ने अपने लंड को मसलने के बाद , उसी हाथ को पिंकी की तरफ बड़ा दिया और पिंकी ने अपने नर्म मुलायम हाथ लाला के हाथ में देकर उनसे हाथ मिलाया...
ये पहला मौका था जब लाला ने पश्चिमी सभ्यता की तरह हाथ मिलाकर पिंकी का स्वागत किया था...
इसकी 2 वजह थी
एक तो वो उसके बदन की गर्मी का जायज़ा लेना चाहता था और दूसरा वो अपने रामलाल की गंध को उसके बदन से टच करवाकर उसका असर उसपर छोड़ना चाहता था ताकि उस भीनी इत्र जैसी खुश्बू में डूबकर वो सम्मोहित हो जाए...

और ऐसा हुआ भी....

लाला के हाथ को पकड़ कर पिंकी को एक अजीब सी एनर्जी का एहसास हुआ....
लाला के गर्म शरीर और उनके महक रहे हाथ को पकड़कर उसे एक नशा सा होने लगा..

लाला ये सब देखकर मुस्कुराया और बोला : "आ गयी तू....बस थोड़ा टाइम दे मुझे, मैने अपने कपड़े बदलने है...तब तक तू अंदर बैठ आकर...''

इतना कहकर लाला ने उसे अंदर बिठाया और खुद पिछले कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगा..
raja
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Re: हरामी साहूकार

Post by raja »

Jalde kise kabaja bajvavo mitr. Continue update karo Jaldi Jaldi
:o :o
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

पिंकी जहाँ बैठी थी, वहां से लाला का कमरा भी दिखाई दे रहा था,
और उसके कमरे की खिड़की से लाला अपने कपड़े बदलता हुआ दिख गया..

पहले तो पिंकी को लगा की लाला ने जान बूझकर उसे वहां बिठाया है ताकि वो उसे कपड़े बदलते हुए देख सके...
पर फिर उसने सोचा की लाला भला ऐसा क्यों करेगा, ऐसी छिछोरी हरकतें तो लड़कियां करती है...

पर फिर भी एक जिज्ञासा सी हुई उसे, लाला को नंगा देखने की...
पर उसकी फूटी किस्मत तो देखो, लाला ने उसकी तरफ पीठ की हुई थी, इसलिए वो उसके रामलाल को नही देख सकती थी...
पर लाला ने जब अपना कुर्ता और धोती उतार कर साइड में रखी तो पीछे से ही सही, लाला के नंगे बदन को देखकर पिंकी की आह सी निकल गयी....
एकदम गठीला शरीर था लाला का...
और लाला के सुडोल चूतड़ देखकर तो उसका मन हुआ की उन्हे अपने दांतो से काट ले..
गिलहरी बनकर लाला की टाँग पर चढ़ जाए और उसके कूल्हे कुतर डाले...
पर अभी के लिए तो सिर्फ़ एक कसक ही निकल पाई उसके होंठो से...
और उसने अपने कड़क निप्पल्स पर काबू पाते हुए दूसरी तरफ चेहरा कर लिया...

लाला जब तैयार होकर बाहर निकला तो उसे देखकर पिंकी ने सिटी मारी : "लालाजी...आप तो किसी बांके छोरे जैसे तैयार हो गये हो आज...जैसे किसी डेट पर जा रे हो...''

लाला ने भी चुटकी ली : "और नही तो क्या छोरी ..जब तेरे जैसी लोंड़िया साथ में हो तो ऐसे तैयार होना ही पड़े है ....ये डेट-वेट क्या होवे है मुझे ना पता...मैं तो बस इतना जानू की आदमी को हमेशा स्मार्ट दिखना चाहिए और ख़ासकर तब जब साथ में चलने वाली लड़की खूबसूरत हो...तेरे जैसी...''



अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर पिंकी शरमा कर रह गयी...

उसके बाद लाला ने दुकान बंद की और पिंकी को अपनी बाइक पर बिठाकर निकल गया.

वैसे एक बात तो है दोस्तो,
ये लोंड़ियाबाजी के चक्कर में धंधे की वाट लग जाती है...
इनकी लोंडियों की वजह से लाला कितनी बार अपनी दुकान का शटर डाउन कर चुका था...
पर बाद में मिलने वाला फल ही इतना रसीला था की इस वक़्त तो लाला को अपने धंधे से ज़्यादा अपने नन्हे मुन्ने रामलाल की खुराक की ज़्यादा चिंता थी...
जिसके लिए वो ये सब जुगाड़ करने में लगा हुआ था..

बाइक पर बैठी पिंकी ने लाला के कंधे पर हाथ रखे हुए थे...
और उसके दोनो बूब्स लगभग लाला की पीठ से छू भी रहे थे...
एक मर्दाना जिस्म का स्पर्श पाकर उसके नन्हे निप्पल्स भी आज पूरी तरह से खिलकर बाहर आ चुके थे...
और उन निप्पल्स को लाला की पीठ पर रगड़ने से उसे एक अलग ही आनंद की अनुभूति हो रही थी...

खेतो के बीच से निकलते हुए सुनसान से रास्ते से वो दूसरे गाँव की तरफ जा रहे थे...
रास्ता लंबा था इसलिए उसके मन में एक विचार आया...
क्यों न इस रास्ते को थोड़ा रोचक बनाया जाए...

इसलिए लाला से बाते करते-2 उसने धीरे-2 अपने कुर्ते के बटन खोलने शुरू कर दिए...
लाला तो पहले से ही मस्ती के मूड में था क्योंकि उसे पिंकी की रसीली बाते सुनने मे बहुत आनंद आ रहा था...
और बीच-2 में उसके बूब्स की टचिंग भी उसे और उसके रामलाल को खुशी प्रदान कर रही थी..

इसी बीच पिंकी ने अपनी कुरती के चारो बटन खोलकर अपने गले को पूरा फेला दिया और अपनी दोनो छातियो को लाला की पीठ के पीछे नंगा करके खड़ा कर दिया...
लाला को तो इसका आभास ही नहीं था की पिंकी क्या शैतानी कर रही है उसके पीछे बैठकर, वरना वही खेतो में दबोचकर उस बकरी का सारा दूध पी जाता लाला...

पिंकी भी अपनी इस डेयरिंग को करते हुए काँप सी रही थी..
पर खेतो की ठंडी हवा से उसके बदन में जो एक नशा सा फैल रहा था, उसे महसूस करके वो पूरी लगन से ये काम करती रही...

उसने अपनी उन बूबियो को बाहर निकाल कर लाला की पीठ से चिपका दिया ....
लाला को भले ही पता नही चला पर पिंकी की आँखे बंद सी हो गयी...
और उसने लाला के गले में बाहें डालकर उन्हे पकड़ लिया...
ये कहते हुए की रास्ते में गड्डे काफ़ी है, वो गिर ना जाए...

काश, लाला की भी 2 आँखे पीछे की तरफ होती तो वो देख सकता की जिस मछली को फँसाने के लिए वो प्लान बनाता फिर रहा था, अपनी तरफ से तो खुद ही वो उसके काँटे में फँसने के लिए नंगी होकर उससे चिपकी पड़ी है...
पर ऐसा हो नही सकता था ना..
.लाला तो बस इसी बात से खुश हो रहा था की पिंकी के कोमल हाथ उसके गले में आकर लिपट गये थे और उसके शरीर का दबाव अब और ज़्यादा सा वो अपनी पीठ पर महसूस कर पा रहा था..
पर वो उपर से नंगी थी, इस बात का ज्ञान नही था उसे..

लाला और उसके नंगे बदन के बीच सिर्फ़ लाला का रेशमी कुर्ता ही था बस...
पिंकी का तो मन कर रहा था की लाला के कुर्ते को भी उतार फेंके...
ताकि उसकी कसरती पीठ पर अपने नन्हे चूजे जैसे मुम्मे मसल कर वो अपनी जवानी का मज़ा ले सके..

वैसे भी, इसी तरह चलता रहा तो वो अपने निप्पल्स से ही लाला के कुर्ते में 2 छेद कर देने वाली थी....
इतने नुकीले निप्पल्स भी किसी भाले से कम नही होते..

पिंकी अपने साथ पानी की बॉटल लाई थी ताकि रास्ते में अपनी प्यास बुझा सके...
और इस वक़्त तो उसे दुनिया भर की प्यास लगी हुई थी...
उसने वो बॉटल खोली और मुँह खोलकर पानी पीने लगी...
रास्ता खराब था इसलिए पानी उछलकर नीचे गिर रहा था...
सीधा झरना सा बनकर उसके मुम्मों पर...

थोड़े मुम्मे गीले हुए और थोड़ा कुर्ता...
बस फिर क्या था...
पिंकी ने उन गीले मुम्मो को लाला के पारदर्शी हो चुके कुर्ते पर लगाकर ज़ोर से दबा दिया...
जैसे दबाने से टमाटर का रस निकलता है, ठीक वैसे ही पिंकी के मुम्मे रिसने लगे लाला की पीठ से चिपककर ... कपड़ा पतला हो जाने की वजह से लाला के जिस्म का एहसास अब वो अपने नंगे बूब्स पर सही से ले पा रही थी...

पर वो ये भूल गयी की उसकी इस हरकत से लाला के कान खड़े हो चुके थे...
पहले तो उसका अपने मुम्मो को उसकी पीठ पर रगड़ना, फिर अपनी बाहें उसके गले में डालना और बाद मे पानी अपने उपर गिराना...
ये सब संयोग नही था...
और जब लाला को अपनी गीली पीठ पर उसके मुम्मो का एहसास हुआ तो वो समझ गया की हो ना हो, वो अपने बुब्बे निकाल कर बैठी है उसके पीछे...

पर ऐसी हालत में उसे टोकना या रोकना सही नही लगा लाला को...
क्योंकि मज़े तो उसे भी मिल ही रहे थे...
और पिंकी की ये हरकत देखकर वो समझ ही गया की जिस चिड़िया को फँसाने के लिए वो इतने दीनो से दाना फेंके जा रहा था वो तो खुद ही अपनी तरफ से सारी ग्रीन लाइट खोलकर उसकी सेवा में खड़ी हुई थी...
यानी आग तो दोनो तरफ थी पर पिंकी की तरफ की आग कुछ ज़्यादा ही थी...
और ऐसे में तो लाला को सिर्फ़ अपने तेज दिमाग़ का इस्तेमाल करना था, ताकि वो पिंकी के ज़रिए वो सब मज़े ले सके जो उस जैसी जबराट लोंड़िया के साथ मिलने चाहिए...
pyasanokar
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Re: हरामी साहूकार

Post by pyasanokar »

Brother काफी दिन से अपडेट नही आया plz keep it up....
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