हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

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लाला का दिमाग़ इस वक़्त चाचा चौधरी से भी तेज दौड़ रहा था...
वैसे तो वो कल से ही प्लान बनाकर बैठे थे की रास्ते में पिंकी को पटाने के लिए ऐसा करेगे..वैसा करेगे...
पर जब टाइम आया तो लाला को कुछ सूझ ही नहीं रहा था, इसलिए वो गहरी सोच में डूब गए थे.

पर लाला के रामलाल का दिमाग़ तो अपने ही हिसाब से चल रहा था...
हमेशा की तरह आज भी लाला ने धोती के अंदर कुछ नही पहना हुआ था...
इसलिए बाईक पर बैठने से और पिंकी की हरकतों से वो रामलाल बिल से साँप की तरह निकल कर अपना फन फेलाकर खड़ा हो गया...
अब नज़ारा ये था की लाला बाईक चला रहा था पिंकी पीछे बैठी थी और लाला का लंड आगे ऐसे खड़ा था जैसे छोटा बच्चा बिठा रखा हो...
एक कंप्लीट फॅमिली की तरह लग रहा था सब कुछ.

लाला अपने लंड को देखकर इसी उधेड़बुन में था की इसे कैसे छुपाऊं ..
अंदर कैसे डालु...
पर तभी उसे पिंकी की चोंकाने वाली आवाज़ सुनाई दी

''लालाजी....बाईक रोकिए....जल्दी....''

लाला ने हड़बड़ाते हुए बाईक रोक दी....
एक पल के लिए तो उन्हे लगा की पिंकी ने आगे झाँककर उनका लंड देख लिया है और डर गयी है...
पर ऐसा कुछ नही हुआ था...
उसकि नजरें तो दूर जा रही एक औरत पर थी...

वो उसकी तरफ इशारा करते हुए बोली : "लालाजी...वो...वो देखिए....''

लाला ने उस तरफ देखा तो एक औरत, जो दूसरे खेतो की तरफ थी, जल्दी-2 चलती हुई एक झोपडे की तरफ जा रही थी...

लाला की नज़रें अब पिंकी जितनी तेज तो रह नही गयी थी...
वो झल्लाकर बोला : "के हुआ री...कौन है वो....''

पिंकी ने डरी हुई सी आवाज़ में कहा : "वो...वो...नाज़िया की अम्मी है....''

नाज़िया की अम्मी..
यानी शबाना...
वो साली यहाँ क्या कर रही है...
ये तो गाँव का बाहरी हिस्सा है...
जहाँ चारो तरफ खेत ही खेत है...
और उसका तो कोई खेत भी नही है और ना ही ऐसा कोई रिश्तेदार जिसका खेत यहाँ पर हो...

लाला : "शबाना....वो यहाँ क्या करने आई है...? ''

लाला की तो बत्ती जल उठी...
वहीं पिंकी डर रही थी की कहीं शबाना ऑन्टी की नज़र उनपर पड़ गयी तो वो गाँव भर में ढिंढोरा पीट देंगी...

पर बेचारी ये नही जानती थी की उसका लाला के साथ क्या संबंध है...
और वो भूलकर भी लाला के खिलाफ ऐसा कोई कदम नही उठा सकती थी जो उसके लिए हानिकारक हो..

लाला ने अपनी बाईक एक पेड़ के नीचे खड़ी कर दी और छुपकर शबाना को देखने लगा...
कुछ ही देर में वो उस झोपडे में घुस गयी जिसकी तरफ वो पागल कुतिया की तरह भागी जा रही थी.

लाला ने पिंकी से कहा : "तू ज़रा यहीं रुक, मैं देखकर आता हूँ की वो क्या करने गयी है अंदर...''

पिंकी की तो पहले से ही फटी पड़ी थी...
वो बोली : "छोड़िए ना लालाजी...हम चलते है...वो देखेगी तो गाँव में बातें बनेगी...मुझे डर लग रहा है...''

पर लाला का दिमाग़ तो दूसरी तरफ ही घूम चुका था...
वो देखना चाहता था की वो वहां करने क्या आई है.

वो पेड़ो के पीछे छुपता -छुपाता उसी तरफ चल दिया...
पिंकी के पास भी कोई और चारा नही था...
वो भी लाला के पीछे चल दी.
वहां पहुंचकर लाला ने चारो तरफ देखा, दूर -2 तक कोई नही था...
झोपड़ी के पीछे की तरफ एक टूबवेल लगा हुआ था, जिसमें से ठंडा पानी कल-कल करता हुआ खेतो में जा रहा था...
लाला उसी तरफ से झोपडे के पास गया
वहीं पर एक बंद खिड़की थी, जिसकी झिर्री इतनी बड़ी थी की अंदर देखा जा सकता था.

लाला ने अंदर देखा तो उसे पूरा खेल समझ में आ गया...
और जैसा की उसने सोचा था, वही हो रहा था अंदर.
शबाना एक मर्द के साथ लिपट कर बुरी तरह से स्मूच कर रही थी उसे...
और इस बंदे को लाला अच्छे से जानता था...
वो नरेश था, जो उन्ही के गाँव मे रहता था...
और ये खेत भी उसी का था...
शायद शबाना की चूत की खुजली या फिर उसकी पैसों की मजबूरी उसे यहाँ तक खींच लाई थी...
वैसे भी लाला की नज़र में वो एक घस्ती ही थी, इसलिए लाला को ज़्यादा अचंभा नही हुआ जब उसने शबाना को ये सब करते देखा...
लाला का लंड तो ये देखते ही फिर से खड़ा होने लगा.

इसी बीच पिंकी को भी उत्सुकतता हो रही थी की अंदर हो क्या रहा है...
लाला ने उसे देखा तो एक ताज़ा सा प्लान उसके दिमाग़ में तुरंत बन गया...
उसने पिंकी को इशारे से अपने पास बुलाया और अपने सामने खड़ा करके उसे चुपचाप अंदर देखने को कहा..
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

पिंकी की नज़रें जब झिर्री से अंदर देखने लगी तो उसकी साँसे अटक कर रह गयी....
उसने तो सोचा भी नही था की उसकी फ्रेंड की माँ ये कांड करने के लिए यहाँ आई है...
और वो उस नरेश को भी जानती थी अच्छे से, उसके पिताजी से मिलने अक्सर घर भी आया करता था...
साला देखने में कितना शरीफ लगता है और हरकते तो देखो इसकी..
अपने से दुगनी उम्र की औरत के साथ ये सब करने में लगा है..

वो शबाना को बुरी तरह से स्मूच कर रहा था....
और उसके देखते ही देखते उसने साड़ी उतार कर नीचे फेंक दी ...
शबाना ने अपना ब्लाउज़ और ब्रा खुद ही खोल कर एक कोने में फेंक दिया
और अपना मोटा मुम्मा पकड़ कर नरेश के मुँह में ठूस दिया...

''आआआआआआआआआआहह.....चूऊस ले सााअले...... इन्हे देखकर ही तेरा लंड खड़ा हुआ करता था ना.....आज अपनी प्यास अच्छे से मिटा ले...''
उसने अपने पैने दांतो से उसके निप्पल्स को जब कुतरा तो वो बंदरिया की तरह उछल कर उसकी गोद में चढ़ गयी....
पिंकी का ये सब देखकर बुरा हाल हो रहा था...
उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था...
अचानक उसने लाला के हाथो को अपने कंधे पर महसूस किया..
लाला ने आगे की तरफ झुकते हुए उसके कान में कहा : "देख ले री छोरी ....ये पढ़ाई भी तेरी उम्र में बहुत ज़रूरी है....आगे चलकर बहुत काम आएगी ये...''

पिंकी ये सुनकर मुस्कुरा दी...
अभी तक जो डर और झिझक उसके अंदर थी वो धीरे-2 निकलने लगी..

उसने सोचा की वैसे भी तो वो यही सब सोचकर आज लाला के साथ बाहर निकली थी की कही बीच में मौका मिला तो उसके रामलाल का अच्छे से मज़ा ले लेगी ...
और ये संजोग तो अपने आप ही बन गया...
भले ही वो पहले डर रही थी की शबाना आंटी उसे लाला के साथ देखकर गाँव में बोल देगी..
पर वो तो खुद ही ये कांड करती फिर रही थी...
ऐसे में उसका डर अपने आप दूर होता चला गया..

और साथ ही जब लाला के सख़्त हाथ उसके बदन से आ टकराए तो पहले की तरह एक बार फिर से गर्म होने लगी...

उसका छरहरा बदन काँपने सा लगा...
उसके निप्पल्स कड़क होकर बाहर निकल आए और चूत से वही चिर-परिचित सी गंध निकल कर लाला को मदहोश सा करने लगी..

पिंकी की आँखे बंद सी हो गयी और उसने अपना सिर पीछे करते हुए लाला के सीने पर टीका दिया...
ये वो पल था जब उसने अपने आप को लाला के हवाले कर दिया था...

लाला का कद उसके मुक़ाबले काफ़ी बड़ा था, इसलिए वो उपर से पिंकी के सीने को उपर नीचे होता देख पा रहा था...
उसके करारे पीनट जैसे निप्पल्स की नोकें उसकी कुरती को फाड़कर बाहर निकल आने को आतुर हो रही थी...
लाला ने बड़ी मुश्किल से अपने फिसलते हाथो को उनपर जाने से रोका..वरना उन्हे वही दबोच कर उनका चूरन बना देने का मन कर रहा था उसका...
थोड़ी देर पहले जो पानी अपनी छाती पर डाला था, उसका गीलापन अभी तक था उस कपड़े पर...

लाला का लुल्ला तो उसकी रसगुल्लियां देखकर एकदम सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया.

और इसी बीच रामलाल ने भी अपना हाथ सॉफ कर दिया...
खड़े होकर जब उसने अपना सिर पिंकी की कसी हुई चूतड़ों पर मारा तो उसकी सिसकारी निकलते-2 बची...

पर असली सिसकारिया तो अंदर से आ रही थी इस वक़्त...
नरेश ने अपना पायजामा और कुर्ता निकाल कर साइड में फेंक दिया था...
और शबाना भी अपने नंगे योवन को उसके सामने परोस कर उल्टी छलांगे मार रही थी...
यानी उसे रिझाने के लिए हर वो काम कर रही थी जो एक मर्द को पसंद होता है...
और लंड चुसवाना तो सबसे पहले आता है उस लिस्ट में.

नरेश ने बड़ी बेदर्दी से उसके बालो को पकड़ कर नीचे धकेल दिया और अपना लंड उसके खुल्ले मुँह में ठूस दिया...

''आआआआआआआआआआआहह.......गल्प........उम्म्म्ममममममम.........पूचहsssssssss ''
वो ज़ोर से चिल्लाया : "चूऊऊस साली.....हरामजादी ....अपनी गांड मटकाते हुए पूरे गाँव में जब निकलती है तो हर लोड़े को देखकर तेरे मुँह में पानी आता है.....अब दिखा...कहाँ है वो पानी.....नहला दे मेरे लंड को उस पानी से.....चूस जा....खा ले......निचोड़ दे इसको......''

उसने शायद दारू पी रखी थी इस वक़्त....
इसलिए बोलते हुए उसकी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही थी....

पिंकी भी ये सुनकर शरमा सी गयी,क्योंकि ऐसे गांड मटकाकर तो वो भी घूमती है पूरे गांव में.

और वही दूसरी तरफ, शबाना तो उसकी कुतिया बनकर भी उतनी ही खुश थी , जितनी उसे किस्स करते वक़्त थी....

वैसे एक बात है, चुदाई की शौकीन औरत को जितना जॅलील करके, गालिया देकर , उसकी चुदाई की जाए तो उसे और भी ज़्यादा मज़ा आता है...
यही हाल इस वक़्त शबाना का हो रहा था...

पिंकी की नज़रें तो उस सीन को देखकर जम कर रह गयी.......
इससे पहले भी उसने निशि की बहन मीनल दीदी को लाला का लंड चूसते हुए छुपकर देखा था झरने पर...
और आज भी वो छुपकर एक और लंड को चूसते हुए देख रही थी....
वो मन में बोली 'हाय....ये देखती ही रहूगी या कभी मुझे भी चूसने का मौका मिलेगा...'

और शायद उसके मन की आवाज़ रामलाल ने सुन ली थी...
जो अब उसकी गांड की दरारों के बीच फंसकर उसे रंगीन मज़े दे रहा था....
इसी बीच लाला का हाथ सरकते हुए उसके पेट तक आ चुका था...
और वो उसे बड़े होले-2 मसलता हुआ, उसकी नाभि को अपनी उंगली से कुरेड रहा था...
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Re: हरामी साहूकार

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पिंकी अंदर से चिल्लाई 'लाला......छेद नीचे है....अपनी उंगली निचले छेद पर लगा......'

पर लाला तो कछुए की चाल की तरह उसकी नाभि ही मसलने में लगा रहा...

पर अंदर का माहौल थोड़ा और गर्म हो चुका था....
बाबूलाल ने शबाना को पकड़कर अपनी खटिया पर लिटा दिया और उसकी टांगे फेला कर अपना गीला लंड एक ही बार में उसकी चूत में घुसा कर उसके उपर औंधा लेट गया.

बेचारी की चीख पूरे खेत में गूँज कर रह गयी....

''आआआआअह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ धिइरे डाआआल रईईईई sssssssss ''



लाला ने भी आज तक इतनी बेदर्दी से किसी की चूत में लंड नही पेला था ...
वो अच्छे से शबाना के दर्द को समझ सकता था इस वक़्त...

पर उस रॅफ तरीके से हो रही चुदाई को देखकर पिंकी का मन एक बार फिर से डाँवाडोल सा हो गया....
और वो सोचने लगी की काश लाला भी उसे इसी वक़्त चोद डाले...
घोड़ी बनाकर पीछे से अपना लोढ़ा अंदर डाले और तब तक उसे चोदे जब तक वो बेहोश ना हो जाए...

ऐसा सोचते-2 , उत्तेजना के मारे उसने लाला के हाथ पर अपना हाथ रख दिया और एक हल्की सी सिसकारी मारी उसने...

लाला समझ गया की माल गर्म हो रहा है...
इसलिए उसने अपने लंड को थोड़ा और आगे करते हुए उसकी गद्देदार गांड के अंदर घुसा दिया...
पीछे से मिल रही चुभन को महसूस करके उसका सीना और बाहर निकल आया और उसे अंदर करने के लिए उसने लाला के हाथ को पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया...

उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.....क्या फीलिंग थी....

लाला और पिंकी दोनो के लिए...

लाला के लिए इसलिए क्योंकि आज तक उसने इन्हे पकड़ने के सिर्फ़ सपने भर देखे थे....
और पिंकी के लिए इसलिए की आज पहली बार किसी ने उसके इन योवन कलषो को पकड़ा था ...
और वो कोई और नही, दिन रात जिससे सपनो में चुदाई करवाती है , वही लाला है...

और लाला ने आज तक अपनी लाइफ में इतने मस्त मुम्मे किसी के नही पकड़े थे....
एकदम शेप में ...
कड़क...
नुकीले निप्पल से सजे हुए...



उसने दूसरे हाथ से उसकी कुरती के चारो बटन खोल कर उन्हे बाहर खींच निकाला....
जिस तरह का रॅफ तरीका नरेश अपना रहा था अंदर, वही तरीका लाला ने भी अपनाया उन्हे निकालते हुए...
लाला ने जब पिंकी के मुम्मो को कान पकड़कर बाहर खींचा तो बेचारी सीसीया कर रह गयी और पीछे होती हुई उसके रामलाल को थोड़ा और अंदर की तरफ खींच लिया...
और इस बार वो सीधा उसकी चूत से आ टकराया....
उपर और नीचे दोनो तरफ एकसाथ हमला हो चुका था पिंकी पर....
वो थोड़ा और खिसक कर पीछे हुई और लाला के पाइप नुमा लंड पर अपनी चूत को सजाकर बैठ गयी....
लाला ने एक हाथ से उसके पेट को और दूसरे से उसकी छाती को पकड़ा हुआ था....
पिंकी के दोनो पैर हवा में थे और उसने अपने पूरे शरीर को लाला के सुपुर्द कर दिया था इस वक़्त....

लाला ने नीचे झुकते हुए उसके कान को मुँह में भरा और उसे कुत्ते की तरह चूसने लगा...
बेचारी वहीं खड़ी-2 झड़ गयी लाला की इस हरकत से...
उसकी चूत से गरमा गरम मीठा पानी निकल कर बाहर बहने लगा.

पर ये चूत से निकलता पानी तो आने वाले कई लीटर पानी में से एक था...
अभी तो उसे इतने मज़े आने वाले थे की वो खड़े-2 बाबूलाल के खेतो की सिंचाई अपनी चूत से करने वाली थी..

लाला के हाथ जब उसके कोरे और चिकने मुम्मो पर फिसले तो वो आनंद सागर में गोता लगाकर दोहरी सी हो गयी और उसने अपना चेहरा साइड में करके लाला के होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उन्हे चूसने लगी...



लाला भी उत्तेजना मे काँप रही इस यौवना के बरफी जैसे मीठे होंठो को चूस्कर एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया...
इस वक़्त तो वो दोनो ये भी भूल चुके थे की वो शबाना की रंगरेलियां देखने के लिए वहां छुपे हुए थे....
अब तो उन्हे बस अपनी मस्ती से मतलब रह गया था....

वो जिस अंदाज से, लाला के लंड पर दुल्हनिया बनकर बैठी थी, उसकी मादकता में चार चाँद लग रहे थे उसी वजह से...

लाला का एक हाथ जो उसके पेट पर था वो धीरे-2 नीचे की तरफ सरकने लगा...
उस गुफा की तरफ जिसे आज तक किसी मर्द ने नही देखा था...
एक हाथ से उसकी कचीली चुचिया मसलता हुआ, होंठो से उसके मुँह की शराब पीता हुआ जब लाला का खुरदुरा हाथ उसकी चिकनी चूत के मुहाने तक पहुँचा तो उसे ऐसा लगा जैसे रेलगाड़ी के इंजन की भट्टी में हाथ जा रहा है उसका...

झुलसा देने वाली गर्मी निकल रही थी उसमे से...
पर अपनी परवाह किए बिना लाला ने अपना हाथ उसकी चिकनी चूत पर लेजाकर रख ही दिया और फिर वही हुआ जिसका डर था...
पिंकी के मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकल गयी...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......उम्म्म्ममममममममम...''

और ये इतनी तेज थी की अंदर चुदाई पर लगे नरेश और शबाना को भी सुनाई दे गयी...
शबाना : "ये...ये कैसी आवाज़ थी.....''

नरेश का लंड तो उसकी फुददी में धंसा पड़ा था...
वो धक्के देता हुआ बोला : "अर्रे होगा कोई कुत्ता या बंदर....इस बकत यहां कोई नही आता.....तू इधर ध्यान दे बस...मैं झड़ने ही वाला हूँ ....''

इतना कहकर वो फिर से उसकी चूत कुटाई में लग गया...



लाला और पिंकी भी घबरा से गये थे...
पर लाला को पता था की ऐसी हालत में दोनो का बाहर आना संभव नही है, और इसलिए उनसे डरने वाली कोई बात नही थी...

वो उधर फिर से अपने काम में बिज़ी हुए और इधर लाला अपने काम में.

अपनी बीच वाली उंगली से जब लाला ने पिंकी की चूत को कुरेदना शुरू किया तो वो उसकी गोद में किसी पानी से निकली मछली की तरह छटपटाने लगी..

''ओह लाला........जी........उम्म्म्ममममममममममम........''

इस बार उसने अपनी आवाज़ पर कंट्रोल किया हुआ था....
वो एक बार फिर से अंदर वालो को ये जतलाना नही चाहती थी की बाहर कोई उनका खेल देख रहा है..

लाला की उंगली धीरे-2 उसकी रसीली चूत में अंदर की तरफ जाने लगी...
गाँव में एक कहावत मशहूर थी की कुँवारी के लिए तो लाला की उंगली ही लंड समान है...
और वो कहावत आज सच हो रही थी पिंकी के मामले में...
उसे ऐसा लग रहा था की लाला आज उसकी चूत को अपनी उंगली से ही ककड़ी की तरह फाड़ देगा...
जो वो हरगिज़ नही चाहती थी...
इसलिए उसने लाला के हाथ को वही रोक दिया और बोली : "नही लालाजी....ऐसे नही....उंगली के बदले रामलाल को डालना अंदर...तब मेरी कुँवारी मुनिया खुश होगी...''

लाला समझ गया की उसने भी अपनी पहली चुदाई के सपने देखे होंगे...
इसलिए उसने अपनी उंगली वापिस बाहर खींच ली...
पर बाहर निकालकर वो उसकी चूत के चेहरे को रगड़ता ज़रूर रहा अपनी उंगली से...
जो पिंकी को एक बार और झड़ने के लिए पर्याप्त था...

वो बिलबिलाती हुई सी, लाला की उंगली पर ही , अपनी चूत का झरना खोलकर झड़ने लगी...



लाला ने उसके होंठो को एक बार फिर से चूसते हुए उसकी आवाज़ को अंदर ही घोंट दिया...
वरना ऐसी उम्र की लड़कियो को झड़ते हुए चीखने में कितना मज़ा आता है, ये उससे अच्छा और कौन जानता था..

यहाँ पिंकी झड़ी और अंदर वो दोनो...
अच्छे से चुदवाकर वो अपनी टांगे फेलाकर उस झोपड़े में नंगी पड़ी हुई थी...



बस लाला का झड़ना बाकी रह गया था...

लेकिन इस वक़्त वहां कुछ और होना संभव नहीं था...
वैसे तो लाला चाहता तो उन दोनो को अंदर जाकर रंगे हाथो पकड़ सकता था..
पर इसमे लाला का कोई फायदा नही होने वाला था...
और वैसे भी , पिंकी उसके साथ थी, ऐसी सुनसान दोपहरी में वो उसके साथ क्या कर रही है, इस बात का जवाब भी तो देना पड़ता..

इसलिए अंदर जब उन दोनो ने कपड़े पहनने शुरू किए तो लाला और पिंकी भी अपना-2 हुलिया ठीक करके वहां से निकल लिए..
और बाइक पर बैठकर आगे चल दिए...

अभी तो पूरा दिन पड़ा था...
और उन दोनो की झिझक भी अब खुल ही चुकी थी..
असली मज़ा तो अब आने वाला था दोनो को.
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Re: हरामी साहूकार

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यहाँ पिंकी झड़ी और अंदर वो दोनो...
अच्छे से चुदवाकर वो अपनी टांगे फेलाकर उस झोपड़े में नंगी पड़ी हुई थी...बस लाला का झड़ना बाकी रह गया था...

लेकिन इस वक़्त वहां कुछ और होना संभव नहीं था...वैसे तो लाला चाहता तो उन दोनो को अंदर जाकर रंगे हाथो पकड़ सकता था..पर इसमे लाला का कोई फायदा नही होने वाला था...और वैसे भी , पिंकी उसके साथ थी, ऐसी सुनसान दोपहरी में वो उसके साथ क्या कर रही है, इस बात का जवाब भी तो देना पड़ता..

इसलिए अंदर जब उन दोनो ने कपड़े पहनने शुरू किए तो लाला और पिंकी भी अपना-2 हुलिया ठीक करके वहां से निकल लिए और बाइक पर बैठकर आगे चल दिए...

अभी तो पूरा दिन पड़ा था...और उन दोनो की झिझक भी अब खुल ही चुकी थी..असली मज़ा तो अब आने वाला था दोनो को.

***********
अब आगे
***********

और इस बार पिंकी के बैठने में ज़मीन-आसमान का अंतर आ चुका था...
बुलेट के दोनो तरफ टांगे कर रखी थी अब उसने..
अपने दोनो मुम्मो को लाला की कठोर पीठ पर धँसाकर लाला की छाती को जकड़कर बैठी थी वो...
जैसे कोई युगल प्रेमिका बैठती है शहर में अपने यार के पीछे.

लाला की पीठ झुलस रही थी,
जहाँ पर पिंकी की चूत थी वहां से गर्म हवा निकलकर लाला की पीठ की सिकाई कर रही थी...
इसी बहाने लाला को पीठ दर्द से आराम मिल रहा था...
और वही थोड़ा उपर पिंकी के बिना ब्रा के चुच्चे ड्रिल मशीन की तरह छेद करने में लगे थे...
पर लाला उसे भी एंजाय कर रहा था.

अब तो पिंकी का मन और चूत बस यही चाह रहे थे की लाला किसी तरह उसके अंदर अपना लोटिया पठान जैसा लंड पेल दे ताकि उसे परम आनंद की प्राप्ति हो जाए, जिसके लिए आधी से ज़्यादा दुनिया पागल है, वो मज़ा ले सके वो भी..

और यही सब लाला के दिमाग़ में भी चल रहा था...
शबाना की लाइव चुदाई देखकर और पिंकी जैसी कच्ची चूत को पाकर लाला अब इसी जुगाड़ में था की ऐसी कोई जगह मिल जाए जहाँ जाकर इसके साथ मजा लिया जा सके.
एक बार तो उसने सोचा की बाइक वापिस मोड़ ले और अपने घर जाकर उस नमकीन माल को गोडाउन की बोरी पर पटक कर चोद डाले..
पर अचानक उसे ध्यान आया की उसी गाँव में उसके बचपन का एक दोस्त भी रहता है...
जो उसी की तरहा रंडवा था...
अकेला भी...
उसके घर जाकर कुछ बात बन सकती है.

यही सोचकर उसने बाइक को रेस दी और दुगनी तेज़ी से दूसरे गाँव की तरफ चल दिया और जल्द ही वो वहां पहुँच भी गये..

वहां जाकर सबसे पहले तो पिंकी ने वो बुक्स खरीदी जिनके लिए वो वहां आई थी वरना वापिस जाकर माँ को क्या बोलती...
और फिर लाला उसे लेकर अपने दोस्त के घर की तरफ चल दिया..
पिंकी भी बिना कोई सवाल पूछे अपने मस्ताने लाला के पीछे बैठकर चल दी...
अब तो उसकी चूत ऐसे कुलबुला रही थी जैसे पानी में उबलता हुआ अंडा...
कूद-2 कर खुद ही चिल्ला रही थी उसकी चूत की अब सहन नही होता लालाजी...
चोद ही डालो अब तो.

लाला का वो दोस्त, हुकम सिंह , उसी की तरह चौड़ा और बलिष्ट था...
अपने गाँव में उसकी बहुत धाक थी...
लाला ने जब दरवाजा खड़काया तो कुछ देर लगी खुलने में और जब दरवाजा खुला तो अपने दोस्त लाला को सामने खड़ा देखकर हुकम सिंह ज़ोर से चिल्लाया

''ओए लाले...मेरी जान....हा हा.....आज मेरी याद कैसे आ गयी.....ओये दिल खुश कर दिया यारा...''

और अपने बचपन के साथी को गले से लगाकर उसने गोद में उठा लिया...
लाला जैसे पहाड़ को अपनी बाजुओं से उठा लिया, इसी बात से उसकी ताक़त का अंदाज़ा लगाया जा सकता था..

अच्छी तरह से मिलने के बाद जब हुकम सिंह की नज़र सहमी हुई सी पिंकी पर पड़ी तो उसने फुसफुसा कर पूछा : "ओये लाले...ये कौन है...इस चिड़िया को कहाँ से पकड़ लाया...''

उसकी बात करने के अंदाज से सॉफ पता चल रहा था की हुकम सिंह अपने दोस्त लाला के रंगीन मिज़ाज के बारे में अच्छे से जानता है..

लाला मुस्कुराया और धीरे से उसके कान में कहा : "बस..ये समझ ले की ये चिड़िया को पकड़ने में काफ़ी पापड़ बेले है ...आज जाकर इसने लाला का दाना चुगा है...''

हुकम सिंह ज़ोर से हंस दिया और बोला : "ओये लाले, तू आज भी नही बदला...पहले जैसा हरामी का हरामी ही है..''

सब अंदर आकर बैठ गये..
हुकम सिंह ने अपना घर काफ़ी आलीशान बना रखा था...
टेबल पर बियर की बोतलें पड़ी थी यानी वो भरी दोपहरी में मजे ले रहा था...
अकेले रहने वाले ऐसे जवान बुड्ढे के पास यही तो एक काम होता है..

पर उसके अलावा भी वो कुछ कर रहा था...

अंदर जाते ही उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई : "भूरी... ओ री भूरी...चल बाहर आ जा...इससे डरने की ज़रूरत नही है री..ये तो मेरा यार है...दूसरे गाँव से आया है ये....चल बाहर आ जा...''

और लाला और पिंकी ने देखा की एक डरी सहमी सी औरत किचन से बाहर निकल कर हुकम सिंह के पास जाकर खड़ी हो गयी.

देखने में वो करीब 35 साल की लग रही थी...
एकदम भरा हुआ सा शरीर, घाघरा चोली पहनी हुई थी उसने
और चोली में से उसके मोटे मुम्मे उबल कर बाहर आ रहे थे.



और फिर वो लाला को देखकर मुस्कुराया और बोला : "ये भूरी है लाला...मेरे घर का काम यही संभालती है आजकल...''

उसके कहने का अंदाज ही ऐसा था की सॉफ पता चल रहा था की कैसा काम संभालती होगी वो..
और लाला तो उसी की जात का आदमी था, वो तो पहले ही समझ चुका था की उनके आने से पहले उसका दोस्त हुकम सिंह उसके साथ क्या कर रहा था...

भूरी उन दोनो के लिए पानी लाई और जब चाय के लिए पूछा तो लाला ने बियर की बोतल की तरफ इशारा करके कहा : "भाया , तू खुद तो ये पी रहा है और मुझे चाय पिलाएगा अब...''

हुकम सिंह समझ गया और उसने भूरी को इशारा करके अपने और लाला के लिए बियर मंगवा ली और पिंकी के लिए केम्पा ।

दोनो पीने लगे और अपनी पुरानी बाते याद करके ठहाके भी मारते रहे..

इन सबके बीच पिंकी अपने आप को बड़ा ही असहज महसूस कर रही थी...
कहाँ तो वो पूरी तरह से गर्म होने के बाद भरी दोपहरिया में चुदने के सपने देख रही थी और कहां ये लाला उसे अपने दोस्त के घर लेकर आ गया..

उन लोगों का भी मूड खराब किया और पिंकी का भी.

क्योंकि इतना तो पिंकी भी समझ गयी थी की वो औरत लाला के दोस्त के साथ क्या कर रही थी उसके घर..
पिंकी ने जब भूरी से नज़रें मिलाई तो वो मुस्कुरा दी...
शायद ये सोचकर की लाला उस छोटी सी बकरी को जब चोदेगा तो वो कितना मिमियाएगी...
इन साले बुड्ढ़ो की किस्मत बड़ी सही होती है...
थोड़े पैसे होने चाहिए जेब में और काम करने लायक लंड ..
तब देखो, इनसे हरामी दुनिया में कोई और मिल जाए तो बात है..
आज कल की जेनेरेशन को भी पीछे छोड़ देंगे ये तब.

पर अभी के लिए तो पिंकी की चूत कुलबुला रही थी..
वो लाला को रुक-रुककर इशारे भी कर रही थी की यहां से जल्दी चलो, कही ढंग की जगह पर जाते है और मुश्किल सें आये इस कीमती समय का सदुपयोग करते है..

पर लाला तो अपनी ही धुन में लगा हुआ था...
और आज भी हमेशा की तरह वो कुछ और ही सोचने में लगा था..

कल तक वो जिस पिंकी के रसीले जिस्म को देखकर लार टपकाया करता था, वो आज खुद अपनी चूत रगड़ती हुई उसके पीछे घूम रही थी...
पर अब भी लाला को वो पर्फेक्ट सिचुएशन नही मिल पा रही थी जिसमें वो पिंकी के कुंवारेपन को हर लेना चाहता था...

हालाँकि निशि जब उसके पास आई थी तो उसने यही निश्चय किया था की वो दोनो को एक साथ ही चोदेगा ...
पर इस वक़्त तो निशि का वहां पर आना संभव नही था और वापिस जाकर चुदवाने के लिए पिंकी अभी राज़ी नही थी..
उसे तो लंड चाहिए था...
अभी के अभी.

इसलिए लाला ने बीच का रास्ता निकाल लिया...
वो जानता था की लंड और चूत तब तक ही झटके मारते है जब तक उनका पानी नही निकल जाता और एक बार और अगर पिंकी का पानी निकल जाए तो कम से कम आज के लिए वो शांत हो ही जाएगी...

लाला ने भूरी की तरफ इशारा करके हुकम सिंह से पूछा : "ये और का-2 काम कर लेती है...ज़रा हमें भी तो दिखा...''

हुकम सिंह ने पिंकी की तरफ देखा तो लाला बोला : "इसकी चिंता ना कर तू...एक बार तू भूरी को चालू कर दे बस...फिर इस छोरी का भी कमाल देख लियो...''

हुकम सिंह की तो बाँछे खिल गयी ये सोचकर की पिंकी जैसी कच्ची कली के हुस्न का दीदार करने को मिलेगा आज...
इसलिए उसने झट्ट से भूरी को इशारा करके अपने पास बुलाया और अपने सामने बैठने को कहा...
वो समझ तो गयी थी की वो उससे क्या करवाना चाहता है इसलिए झिझक रही थी...
पर जब हुकम सिंह ने कड़ी आवाज़ में दोबारा हुकुम देकर उससे कहा तो वो झट्ट से उसके कदमो में जाकर बैठ गयी...

पिंकी बेचारी उन लोगो का तमाशा देख रही थी....
उसकी समझ में कुछ भी नही आ रहा था...
वो तो उस तरफ सोच भी नही रही थी क्योंकि उसे लग रहा था की वो औरत ऐसे लाला के सामने कोई ग़लत हरकत क्यों करेगी भला.

पर उसके बाद जो हुआ, उसे देखकर पिंकी तो अपनी केम्पा पीनी ही भूल गयी...
बॉटल उसके मुँह से ही लगी रह गयी जब भूरी ने आगे बढ़कर हुकम सिंह के इशारे पर उनकी धोती में छुपे उनके शैतानी बच्चे के कान खींचकर उसे बाहर निकाल लिया...
वो था हुकम सिंह का बोराया हुआ लंड.
जिसकी चाँदी की चमक लाला के लंड से भी ज़्यादा थी...
शायद वो उसे रोज देसी घी से चोपड़ता था..
कंजूस लाला की तरह सरसो के तेल से नही.

और इससे पहले की वो अपनी आँखे उस चमकीली चीज़ से हटा पाती, हुकम सिंह ने बड़ी बेदर्दी से भूरी का सिर पकड़ कर अपना लंड उसके मुँह में पेल दिया.....
बेचारी घिघिया कर रह गयी...
और उसका 8 इंची लंड अपने मुँह में लेकर उसे चूसने लगी...

भूरी की पीठ लाला की तरफ थी....
लाला ने आगे हाथ करके उसकी डोरी वाली चोली को खींच दिया और जैसे ही डोरी खुली, उसकी चोली ढीली होकर उसके जिस्म पर लटक गयी...

लाला को तो बहुत मज़ा आया पर उसकी इस हरकत से पिंकी को बहुत गुस्सा आया...
उसके सामने होते हुए लाला भला कैसे दूसरी औरत को देखकर अपनी लार टपका सकता है...

और तभी उसे मीनल दीदी की बात याद आई की मर्द को अपने काबू में करने का बस यही एक मंत्र है की उसे अपने अलावा किसी और का होने ना दो...
उसे प्यार करते वक़्त, उसके साथ सैक्स करते हुए पूरी तरह से डूब से जाओ उसमें बस...
फिर वो दूसरी औरत की तरफ नज़र भी नही फिराएगा...

बस फिर क्या था...
उसने केम्पा की बॉटल पटकी और उठकर सीधा लाला की गोद में जाकर बैठ गयी...

हालाँकि एक अजनबी के सामने ये सब करना काफ़ी मुश्किल था पर अंदर से सुलग रही पिंकी के पास इसके अलावा कोई और चारा भी नहीं रह गया था क्योंकि लाला ने जब भूरी की चोली खोली तो हुकम सिंह ने बाकी का काम करते हुए उसकी चोली पूरी तरह से उतार दी...
उसे निकाल फेंका..
और अब वो टॉपलेस होकर हुकम सिंह का आलीशान लंड चूस रही थी...



और लाला की नज़रें जो अभी तक भूरी के रसीले जिस्म से चिपकी हुई थी एकदम से पिंकी की तरफ मुढ गयी...
बियर का हल्का सरूर होने लगा था लाला पर..
उपर से पिंकी जैसी कक़ची चिनार लोंड़िया उसकी गोद में आकर बैठी तो उसके सब्र का बाँध टूट गया और उसने एक ही झटके में उसे पकड़ कर ज़ोर से स्मूच करना शुरू कर दिया...



ये चुम्मा इतना तगड़ा था की बेचारी पिंकी की साँसे अटक कर रह गयी...
उसे तो लग रहा था की लाला उसके जिस्म की ऑक्सिजन निकाल कर खुद पी रहा है...
अगर उसने खुद को ज़बरदस्ती चुदवाया ना होता तो वो मर ही जाती...

पर उसके होंठ चूसने के बाद वो हरामी लाला रुका नही...
उसने उसकी कुरती को पकड़ कर एक ही झटके में निकाल फेंका और उसे भी भूरी की तरह टॉपलेस कर दिया और फिर वो उसके नन्हे अमरूदों पर टूट पड़ा...
हालाँकि भूरी के मुक़ाबले उसके फलो में उतना गुदा नही था पर इन्हे चूसने का अपना ही मज़ा था...
और ये बात सिर्फ़ लाला ही जानता था की इन्हे चूसने में उसने कितने पापड़ बेले है...

एक पराए मर्द के सामने पिंकी उपर से नंगी हो चुकी थी और इस बात ने उसके अंदर एक अलग ही रोमांच भर दिया था...
उसने नज़र घुमा कर हुकम सिंह की तरफ देखा जो उसी को नज़रें फाड़े देख रहा था...
हालाँकि उसके पास तो अपनी बंदी थी जो इस वक़्त उसका लंड चूस रही थी पर फिर भी उसकी नज़रें पिंकी के जवान जिस्म पर ही थी...
और वो उसके नन्हे बूब्स की एक झलक पाने के लिए अपनी सीट पर इधर - उधर होकर उसे देखने में लगा था..

और उसकी इस बेचैनी को देखकर पिंकी को बड़ा मज़ा आ रहा था...
वो लाला की गोद में दोनो तरफ पैर करके बैठ गयी और उनकी कमर को जकड़ लिया...
इस वक़्त पिंकी ये भी भूल चुकी थी की वो एक ऐसे मर्द के सामने अपना नंगापन दिखा रही है जिसे वो आज ही मिली है...

पर इस वक़्त उसे उस मर्द से ज़्यादा अपने वाले मर्द की तरफ ध्यान देने की ज़्यादा ज़रूरत थी..
यानी लालजी की तरफ,
जो उसके मुम्मो को ऐसे चूस रहा था जैसे आज वो उनका दूध निकाल कर ही मानेगा...



लाला के पैने दाँत अपने निप्पल्स पर महसूस करके पिंकी की मस्ती बदती जा रही थी और लाला की गोद में बैठे-2 ही उसने उन्हे अपनी छाती से चिपका कर अपना शरीर पीछे करना शुरू कर दिया...
और तब तक पीछे करती रही जब तक उसका सिर नीचे नही लटक गया और तब उसने हुकम सिंह का चेहरा उल्टा होकर देखा जिसके ठीक सामने पिंकी की जवान और नशीले रस में डूबी छोटी-2 दो बॉल्स थी...
जिन्हे लाला बड़े ज़ोर-शोर से चूस रहा था...
कभी दाँयी वाली तो कभी बाँयी वाली...

हुकम सिंह को देखकर पिंकी ने उसे एक आँख मारी और मुस्कुरा दी....
बेचारा वहीँ का वहीं झड़ कर रह गया...



''आआआआआआआआआआआआहह......साआआआआआाअली......... इतना जल्दी तो पूरी लाइफ में आज तक नही झड़ा था.....अहह......क्या गर्म माल है रे लाला.....तो कैसे झेलता है इसको....''

लाला ने अपना सिर उपर उठाया और बोला : "साले ...ऐसे माल को झेलने के लिए बादाम खाने पड़ते है....तेरी तरह नही की दारू पीकर पड़ा रहे....और अभी तो इस लोंड़िया की शुरुवात है...कुँवारी है ये....जब चुदेगी तब देखियो इसके जलवे......''

लाला की बात सुनकर उसका ढलक रहा लंड फिर से अकड़ कर बैठ गया...

वो बोला :"हाय .....ऐसे कड़क माल की सील तोड़ने में कितना मज़ा आएगा लाले.....चल जल्दी से तोड़ आज...यही पर...मेरे सामने.....मैं भी तो देखु की कितनी मस्ती है इसमें ...''

उसने जब ये बात कही तो पिंकी का दिल धाड़-2 बजने लगा....
एक पराए मर्द के सामने नंगी होकर चुदने के ख़याल मात्र से ही उसकी चूत से पेशाब निकल गया.....
जिसमें उसकी चूत का रस भी शामिल था...

वो लाला की तरफ नशीली नज़रों से देखने लगी....
की अब लाला क्या करेगा.
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Re: हरामी साहूकार

Post by Kamini »

स्वतंत्रता दिवस और श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएं.....🙏🏻🙏🏻
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