हरामी साहूकार complete

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Rohit Kapoor
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Re: हरामी साहूकार

Post by Rohit Kapoor »

आप को और आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी व स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाए...
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

वो बोला :"हाय .....ऐसे कड़क माल की सील तोड़ने में कितना मज़ा आएगा लाले.....चल जल्दी से तोड़ आज...यही पर...मेरे सामने.....मैं भी तो देखु की कितनी मस्ती है इसमें ...''

उसने जब ये बात कही तो पिंकी का दिल धाड़-2 बजने लगा....एक पराए मर्द के सामने नंगी होकर चुदने के ख़याल मात्र से ही उसकी चूत से पेशाब निकल गया.....जिसमें उसकी चूत का रस भी शामिल था...वो लाला की तरफ नशीली नज़रों से देखने लगी....की अब लाला क्या करेगा.

*********
अब आगे
*********

माहौल ही ऐसा बन चुका था की लाला भी मस्ती में आ गया...

और लाला को और भी ज़्यादा उत्तेजित करने के लिए उस हरामी हुकुम सिंग ने अपना योगदान भी कर दिया...
उसने अपने सामने कुतिया बनी भूरी को घुमा कर लाला की तरफ कर दिया ताकि वो उसके मोटे ताजे मुम्मे देखकर और भी ज़्यादा मस्ती में आ जाए..

और हुआ भी ऐसे ही....
भूरी के गोरे मुम्मे और भूरे रंग के निप्पल देखकर लाला का लंड धोती फाड़कर बाहर निकलने को आतुर हो गया...



और लाला की गोद में बैठी पिंकी को तो ऐसा लगने लगा जैसे वो किसी झूले पर बैठी है...

उसकी गांड के नीचे अजगर की भाँति मचल रहा रामलाल उसे धक्का देकर उपर उछाल रहा था..

पिंकी भी मस्ती में आकर अपनी चूत वाले हिस्से को रामलाल पर रगड़ने लगी...

वो सिसकारी मारकर लाला से बोली : "उम्म्म्मममम......लाला......एक तो तू और एक तेरा ये रामलाल...... मेरी जान लेकर रहेगे एक ना एक दिन...''

और फिर उसने उछलते हुए लाला के गले में फिर से बाहे डाली और उन्हे चूमने लगी....
अपनी जीभ को उनके मुँह में डालकर अपना रसीला बनारसी पान उन्हें खिलाने लगी.

इसी बीच लाला के हाथ नीचे आए और उसने पिंकी की सलवार निकाल कर नीचे करनी शुरू कर दी..

पिंकी के दिल मे घंटिया नही बल्कि घंटे बजने लगे...
जो ज़ोर-2 से चिल्ला कर कह रहे थे...
पिंकी, आज तो तू चुदी रे...
ये लाला और इसका रामलाल तेरी चूत के परखच्चे उड़ा देंगे.

और यही सब सोचते-2 कब उसकी सलवार निकल कर नीचे जा गिरी उसे भी पता नही चला.

अब वो सिर्फ़ एक नन्ही सी कच्छी में सबके सामने थी.



पिंकी ने पलटकर हुकुम सिंह की तरफ देखा, जिसने शायद अपनी लाइफ में इतनी हसीन और जवान लड़की को ऐसी हालत में नही देखा था...
वो तो मन ही मन अपने दोस्त लाला को इस बात के लिए धन्यवाद बोल रहा था क्योंकि आज उसी की वजह से उसे ये सब देखने को मिल रहा था..

पिंकी के मादक शरीर को देखकर अब वो उसकी नंगी चूत और गांड भी देखना चाहता था...
और यही हाल लाला का भी था...
आज उसकी चूत से वो कच्छी हट जाने के बाद लाला उसे भी पूरा नंगा देखने वाला था...
निशि और नाज़िया जैसी कच्ची जवानियो के हुस्न का दीदार करने के बाद आज पिंकी भी उसके सामने नंगी होने वाली थी...
उसकी उम्र के बुड्ढे के लिए ये बहुत बड़ी एचीवमेंट थी.

और फिर वही हुआ...

पिंकी ने अपनी कच्छी को दोनो तरफ से पकड़ कर धीरे-2 नीचे करना शुरू कर दिया..



पिंकी ने तो आज से पहले यही सोचा था की वो लाला के सामने ऐसे ही नंगी होगी..
पर आज लाला के साथ-2 उसका दोस्त हुकुम सिंह उसे बोनस के रूप में मिल गया था...
एक साथ दो मर्दों के सामने , पहली बार अपने जिस्म को नंगा करने का रोमांच , सिर्फ़ पिंकी ही समझ सकती थी आज...

और फिर धीरे-2 करके उसने अपनी कच्छी पूरी उतार के नीचे फेंक दी...

अब वो पूरी नंगी थी....
जन्मजात नंगी...
जैसी आज से ** साल पहले वो इस दुनिया में आई थी...
ठीक वैसी ही.

उसने ये कर तो दिया पर उसकी इस हरकत का कमरे में मोजूद लोगो पर क्या असर हुआ, इसका उसे अंदाज़ा भी नही था..
उसे तो इसका एहसास तब हुआ जब उसने हुकुम सिंह का चेहरा देखा, जो उसे नंगा देखकर मरने ही वाला था... भूतनिका, साँस लेना ही भूल गया ऐसी जवानी से लाडे शरीर को अपने सामने नंगा देखकर..



पिंकी ने शरमा कर अपनी चूत ढकनी चाही पर लाला ने उसके हाथ पकड़ कर पीछे कर दिए...
आख़िर ऐसी चीज़ रोज-2 थोड़े ही देखने को मिलती है..

लाला की आँखो के सामने तो ताजमहल जीवित हो उठा था...
उसकी संगमरमर जैसी चिकनी चूत ठीक उसकी आँखो के सामने थी..
जिसमें से हल्के नारंगी रंग की बूंदे निकल कर बाहर आ रही थी...



लाला से रहा नही गया और उसने पिंकी के चूतड़ों पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी चूत की दुकान से बह रही देसी शराब पर मुँह लगाकर उसे पीने लगा..

पिंकी ने लाला के सिर पर हाथ रखकर अपनी कुँवारी चूत उसके मुँह में घोंप दी और ज़ोर से चिल्ला कर अपनी खुशी का इज़हार करने लगी..

''ओह लाला................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..............चााचाट ले इसको....... साली बड़े दिनों से तरस रही थी...........अहह.....आज चूस जा इसे पूरा .........डाल दे इसमें अपनी जीईभ......खा जा इसे.....''

उसकी बात का जवाब देने के लिए लाला का मुँह तो फ्री नही था...
पर पिंकी के ठीक पीछे बैठा हुकुम सिंह अपने आप पर कंट्रोल नही रख पाया ये सब देखकर

वो भी चिल्लाया : "हाँ लाले ......घुसा दे इसकी फुददी में अपना मुँह......पेल दे अपनी जीभ अंदर तक....इसे भी तो पता चले की एक मर्द की जीभ जब चूत पर लगती है तो कितना मज़ा आवे है...''

ये सब देखकर भूरी की चूत भी पनिया रही थी...
पिंकी के नंगे जिस्म को देखकर उसे अपनी जवानी की बाते याद आने लगी...
उसकी उम्र में तो वो 2-2 लोंडो से चुदवा लेती थी खेतो में ...
और पिंकी की हरकतें देखकर भी उसे यही लग रहा था की वो दिन दूर नही जब पूरे गाँव के लंडो पर राज करेगी और उनपर नाचेगी ये मयूरी...

और यही सब देखते-2 उसने हुकुम सिंह का लंड एक बार फिर से पकड़ लिया ....
और उसे जोरों से रगड़ने लगी...
एक बार झड़ने के बाद आज तक उसका लंड इतनी जल्दी दोबारा तैयार नही हुआ था जैसे आज हो चुका था...
उसके लंड को देखकर ऐसा लग ही नही रहा था की उसने कुछ देर पहले गाड़े सफेद रंग की उल्टी की है...
एकदम चुस्त दरुस्त सा लग रहा था वो...

भूरी ने अपना मुँह दोबारा अपने मालिक के लंड पर लगाया और उसे चूसने लगा...



''आआआआआआआआआआआआअहह....साआली भूरी....तेरी माँ को चोदू ....... दाँत तो मत मारा कर कुतिया ..... इस उम्र में ये ज़ख्मी हो गया तो कहाँ लेकर घूमूँगा इसे....''

और फिर उसने भी हाथ नीचे करके भूरी का घाघरा उतार दिया....
घाघरे के नीचे वो भी मदरजात नंगी थी....
एक ही बार में उसका हुस्न से लदा जिस्म पूरी कोठी को रोशन कर गया...



वो झुककर हुकुम सिंग का लंड चूस रही थी....
और इसी वजह से उसकी पपीते जैसी फेली हुई गांड लाला को सॉफ दिख रही थी....
और दिख रहे थे उसके दोनो छेद ,
जिन्हे देखकर लाला समझ गया की दोनो छेदों को अच्छे से पेल रहा है उसका दोस्त हुकुम सिंह.

लाला ने पिंकी को सोफे से उठाकर पास ही पड़े एक दीवान पर लिटा दिया......
ताकि वो उसकी चूत की गहराई को अच्छे से नाप सके...

सोफे पर नंगी पड़ी हुई पिंकी लाला को अपनी धोती उतारते हुए देखने लगी..



और जब लाला पूरा नंगा होकर उसकी तरफ पलटा तो पिंकी लगभग चिल्ला ही पड़ी..

''हे भगवान......ये क्या है लालाजी.....इतना बड़ा.....आज तक इतनी पास से इसे देख नही पाई थी अच्छे से.... पर....ये...ये....ये तो मेरी फाड़ ही डालेगा लालाजी.....''

बेचारी की हालत रुंआसी सी हो गयी रामलाल के दर्शन पाकर...

ये बात तो लाला को भी अच्छे से पता थी की वो उसके लंड के प्रहार को झेल ही नही पाएगी....
दूसरे गाँव में आकर उसकी चूत को फाड़ना लाला को सही नही लग रहा था...
बेचारी वापिस जाएगी कैसे...
चूत फड़वाकर, लंगड़ाती हुई जब घर पहुँचेगी तो क्या कहेगी अपनी माँ से...
कहाँ से ये कांड करवाकर आ रही है.

इसलिए लाला ने अभी के लिए उसकी चूत को ही चूस लेना सही समझा..

लाला ने उसकी टांगे फेलाइ और मुस्कुराते हुए कहा : "फ़िक्र ना कर री छोरी ...आज नही चोदुँगा तुझे.... पर इतना मज़ा ज़रूर दे दूँगा की अगली बार खुद से कहेगी की लाला, अब ना सब्र होवे...चोद ही डालो आज मुझे...''

लाला के कॉन्फिडेंस को देखकर पिंकी मुस्कुरा दी
पर अगले ही पल वो मुस्कुराहट एक गहरी सिसकारी में बदल गयी जब लाला ने उसकी नन्ही मुनिया को मुँह में लेकर ज़ोर से चूसा...



''आआआआआआआआआआआआअहह लालाजी......... मररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे........ उफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... क्या मज़ा आ रहा है लालाजी....... ऐसे ही करते रहो.......''

और उसने लाला का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर घिस्स दिया...
लाला की मूँछो की चुभन भी उसे एक अलग तरह का मज़ा दे रही थी...

इसी बीच हुकुम सिंह का लंड पूरा खड़ा हो गया और उसने भूरी को खींचकर अपने उपर बिठा लिया...

सर्ररर की आवाज़ के साथ हुकुम का लंड उसकी जी हजूरी करता हुआ भूरी के खेतो में घुसता चला गया...

''आआआआआआआआआहह.......हुकुम.......म्*म्म्ममममममम......सुबह से तड़प रही थी.....अब जाकर आराम मिला है मुझे भी.....''



पिंकी ने सिर घुमाकर उनकी तरफ देखा, चुदाई करते हुए इंसान कितना अच्छा दिखाई देता है, ये आज ही जाना उसने...

पर ज़्यादा देर तक वो उनकी फिल्म नही देख पाई...
क्योंकि लाला की जीभ ने उसकी चूत में हाहाकार मचा रखा था....
और लाला की जीभ का अत्याचार वो ज़्यादा देर तक सहन नही कर पाई और उसकी चूत ने गिड़गिड़ाते हुए अपने आँसू बाहर फेंकने शुरू कर दिए....
जिसकी एक-2 बूँद को लाला चाट गया....
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

जब वो उठा तो उसका चेहरा और दाढ़ी मूँछे भी उसके रस से भीग कर गीली हुई पड़ी थी..
ऐसा लग रहा था जैसे चाशनी से भरी कड़ाही में मुँह के बल जा गिरा था वो...

लाला का लंड ज्यो का त्यो खड़ा था...
इस बात का पिंकी को बहुत अफ़सोस हो रहा था..

फिर उसने कुछ सोचकर लाला से कहा : "लालाजी...मुझे पता है की आज तो वो सब नही हो पाया जिसके लिए मैने और आपने सोचा था...पर आप निराश ना हो...वो देखो...भूरी का पिछवाड़ा...वहां जाकर अपने अरमान पूरे कर लो...''

पिंकी के मुँह से ये बात सुनकर लाला भी हैरान रह गया....
अभी तक तो वो उसे भूरी की तरफ देखने तक नही दे रही थी और अब खुद ही उसे उसकी गांड मारने के लिए कह रही है....

और ये गांड भी मारते है लड़की की , ये भला उस छोटी सी लड़की को कैसे पता...
अभी तो ढंग से चूत मराई का ज्ञान भी नही हुआ है इसे..

पर ये बात सिर्फ़ पिंकी ही जानती थी...
क्योंकि उसे इस बारे में मीनल दीदी ने ही बताया था की कैसे वो अपनी चूत और गांड दोनो का मज़ा लिया करती है शादी के बाद...
अपना यार हो या पति,
एक ही छेद में डालते-2 वो भी बेचारा बोर सा हो जाता है...
इसलिए ये चेंज काफ़ी मज़ा देता है और रिश्ता भी और मजबूत हो जाता है...

इसलिए उसने उसी बात को सोचकर लाला को ये बात कही थी..

पिंकी की बात सुनकर अपनी चूत मरवा रही भूरी भी मस्ती में भरकर चिहुंक उठी...
ऐसा मौका बार-2 थोड़े ही आता है...
उसे तो अपनी जवानी के दिन फिर से याद आ गये जब खेतो में वो डबल लंड का मज़ा लिया करती थी...
अब तो काफ़ी साल हो गये उन बातो को...
पर आज फिर से उसी की संभावना बनती देखकर उसका दिल पुलकित होकर बस यही कहने लगा..

''अब आ भी जाओ लाला...अब तो तेरी छमिया ने भी इजाज़त दे दी है...ज़रा यहाँ का मज़ा भी लेकर देख...अपने गाँव की औरतों को भूल जाएगा फिर.''

इतना सोचकर उसने अपनी उंगली का इशारा करके लाला को अपनी तरफ बुलाया...
और वो रोबोट की भाँति उसकी तरफ चल दिया.
उसकी गांड मारने.

लाला जब भूरी के करीब आया तो उसने अपनी बाहें पीछे करते हुए लाला के हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर लगा दिए...

और लाला के सिर को नीचे झुकाकर अपने होंठ उसके होंठो से मिला दिए...
ऐसा लग रहा था जैसे खजुराहो की चुदाई वाला सीन हो...
एक भरे स्तनों वाली औरत, अपनी चूत में एक लंड लेकर, दूसरे को पीछे मुँह करके चूम रही थी...
ऐसे विहंगम दृश्य कोई और हो ही नही सकता था..

पिंकी तो पालती मारकर उन दोनो बुड्ढ़ो और उस जवानी से सजी औरत का खेल देखने बैठ गयी...

लाला के हाथ भी नीचे आए और उन्होने भूरी की भूरी घुंडिया मसलकर उनका दूध दोहना शुरू कर दिया...

आअहह आहह करती हुई वो बावरी सी होकर लाला के जिस्म से लिपट गयी...
जैसे नाग नागिन अपने प्रेमी को दबोच कर उससे मज़े लेते है, ठीक वैसे ही...

नीचे लेता हुआ हुकुम सिंह बोला : "अबे लाले....तेरे चक्कर में भूरी ने झटके देने ही बंद कर दिए है....अब जल्दी से इसकी गांड में लंड पेल ताकि मेरा मज़ा खराब ना हो...''

बेचारे को शायद अपने लंड के बैठ जाने का डर था...
जो ऐसी उम्र मे अक्सर हुआ करता है....
वैसे भी बड़ी मुश्किल से वो आज दूसरी बार लंड को खड़ा कर पाया था...
ऐसे में बिना झड़े वो रह गया तो जो उत्साह उसे महसूस हो रहा था अभी तक, वो नही रहता.

लाला ने भी उसकी बात से सहमति जताई और अपने लंड को लेकर वो भूरी के सामने की तरफ आ गया,
ताकि वो उसे चूस्कर गीला कर दे और वो उसकी गांड में आसानी से घुस जाए..

लाला के मोटे लंड को तो वो काफ़ी देर से चूसना चाह रही थी...
इसलिए जैसे ही वो सामने आया वो उसपर टूट पड़ी और ज़ोर-शोर से चूसने लगी...



और जब भूरी ने रामलाल को अपनी थूक से अच्छी तरह से नहला दिया तो लाला ने खुद ही उसके मुँह से उसे निकाल लिया...
हालाँकि वो उसे छोड़ना नही चाहती थी पर अपनी गांड में हो रही खुजली भी तो उसे कम करवानी थी
इसलिए मुँह आए लंड को उसने जाने दिया...

लाला ने उसकी थिरक रही गांड के दोनो पाट पकड़कर जब अपना लंड उसके भूरे छेद पर टीकाया तो वो घोड़ी की तरह हिनहिनाती हुई बिदक सी गयी...
वो इसलिए की उसकी गांड ने देखते ही पहचान लिया की आज उसके अंदर जाने वाला ये लंड अब तक का सबसे मोटा लंड होगा...
और अंदर जाकर वो क्या हाल करेगा उसका, ये तो वो गांड का छेद ही जानता था, इसलिए उसका बिदकना स्वाभाविक ही था..

लाला ने दोनो तरफ के चूतड़ों को दोनो दिशाओं में फेलाया और रामलाल का मुँह उसने भूरी की गांड के छेद में फिट कर दिया...



यहा तक तो सब ठीक था...

पर जब लाला ने अपने घुटने मोड़कर , उसके कंधे पकड़कर , नीचे झुकते हुए पोज़िशन बनाकर एक जोरदार झटका मारा तो बेचारी दर्द से बिलबिला उठी....
लाला का लंड तो अंदर घुस गया पर हुकुम सिंह का लंड चूत से बाहर निकल आया...

अब झटका ही इतना तगड़ा था की एक बार में सिर्फ़ एक ही लंड अंदर रहने की जगह थी..
भले ही छेद अलग-2 थे, पर अंदर जाकर तो एक पतली सी दीवार का ही फ़र्क था बीच में.

हुकुम सिंह का लंड बाहर आ जाने की वजह से लाला को थोड़ा और स्पेस मिल गया और उसने ज़ोर लगाते हुए, उसके चूतड़ पकड़ कर अपना रहा सहा लंड भी उसकी गांड में पेल दिया....
जैसे-2 वो उसकी गांड में घुस रहा था, बेचारी की चीखे पूरी हवेली में गूँज रही थी...
लाला का ये रूप देखकर पिंकी बेचारी अपनी गांड को सहला रही थी और सोच रही थी की चाहते जो भी हो जाए, इस वहशी से अपनी गांड कभी नही मरवाएगी...

और जब लाला का रामलाल पूरा अंदर घुस गया तो नीचे से हुकुम सिंह ने भी अपना लंड उसकी चूत में सरका दिया...
थोड़ा टाइट हो गया था छेद पीछे से एक और लंड घुस्वाकार पर चूत से निकल रही चिकनाई ने सब आसान कर दिया और अब उस भरी हुई औरत भूरी के शरीर में दो-2 लंड थे...
एक हुकुम सिंह का और दूसरे लाला का.

और जब धीरे-2 करके उन दोनो ने घिस्से लगाने शुरू किए तो उसके शरीर से अंगारे से निकलने लगे..

वो ज़ोर-2 से चिल्लाने लगी..
इस बार दर्द से नही बल्कि मस्ती में भरकर.

''आआआआआआआआआआआआआआहह ओह लालजी........मज़ा आ गया......क्या लंड है आपका...... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़......मर गयी रे......फाड़ डाली मेरी गांड पर मज़ा सा बाँध दिया आपने आज.....''



नीचे से उसकी चूत में अपने लंड के झटके मारता हुआ हुकुम सिंह चिल्लाया : "साली...सुबह शाम मेरे लंड का पानी पीती है और गुणगान लाला के लंड के गए रही है...साली कुतिया ...एक नंबर की रंडी है तू.....''

उसकी बात सुनकर भूरी खिलखिलाकर हंस दी
वो भी जानती थी की हुकुम सिंह ये बात मजाक में कह रहा है
वो बोली : "हाय .......तुझे मिर्ची क्यो लग रही है रे.....अब ये लंड है ही इतना मस्त की तारीफ तो बनती ही है....''

हुकुम सिंह के लिए ये नयी बात नही थी..
आज से पहले भी उसने और लाला ने जब भी किसी औरत की चूत मिलकर मारी थी, हमेशा उसने लाला के लंड की ही तारीफ की थी....
अब किसी का लंड शानदार है तो है, इसमें बेचारा हुकुम सिंह भला कर भी क्या सकता था...

पर ये सब देखकर पिंकी ज़रूर मस्ती में आ रही थी.....
उसके निप्पल भी तनकर खड़े हो गए



कुछ देर पहले तक जो अपनी गांड मरवाने के नाम से ही डर सी रही थी अब वो यही सोच रही थी की काश उसकी लाइफ में भी कभी ये पल आए जब वो भी भूरी की तरह खुशनसीब होकर एक साथ 2-2 लंड ले सके...

लाला और हुकुम सिंह बाते भी कर रहे थे और भूरी की बजाने में भी लगे थे...

और जल्द ही हुकुम सिंह ने अपने लंड से पानी निकालना शुरू कर दिया....
इस उम्र में दूसरी बार झड़ रहा था , इसी बात की उसे सबसे ज़्यादा खुशी थी...

लंड उसका फिसलकर बाहर आ गया और पास पड़े कपड़े से उसने उसकी चूत से बह रहा रस पोंछ दिया और साइड में हो गया...

अब लाला और भूरी मैदान में रह गये...
भूरी तो यही चाहती थी की हुकुम सिंह जल्दी झड़ जाए ताकि वो अपने इस नये आशिक से सही ढंग से चुदवा सके... और अब सामने वाला छेद खाली हो गया था तो पीछे से मरवाने का ओचित्या ही नही रह गया था...
वो पलटकर सीधी हुई और लाला के सामने अपनी टांगे फेला कर लेट गयी...

लाला ने उसकी चमचमाती चूत को देखा और मुस्कुराते हुए अपना लंड उसपर टीका दिया...
बाकी का काम भूरी ने लाला को अपने उपर गिरा कर कर लिया और लाला जैसे ही भूरी के बदन पर गिरा, रामलाल बिना किसी पासपोर्ट के भूरी की चूत में घुसता चला गया और तब तक अंदर गया जब तक उसने उस सुरंग का आख़िरी पड़ाव नही देख लिया...



भूरी ने लाला की कमर पर टांगे बाँध दी और उन्हे बेतहाशा चूमने लगी...
लाला को ये हमेशा से पसंद था जब कोई उसे चुदाई के वक़्त स्मूच करे...
बस फिर क्या था, लाला भी उसकी किस्स का जवाब देने में जुट गया और उसकी चूत की कुटाई करनी भी शुरू कर दी उसने...

''आआआआआआआआअहह....उम्म्म्ममममममम......ओह....ओफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़''

बस यही आवाज़ें निकल रही थी भूरी के मुँह से ....
बेचारी की चूत भी आज पहले से ज़्यादा चौड़ी हो चुकी थी...
उसे तो यही चिंता सता रही थी की आज ये लाला उसकी चूत और गांड चौड़ी करके जा तो रहा है पर बाद में तो उसे हुकुम सिंह से ही मरवानी है ना...




ऐसे में वो उसके पतीले में अपनी कड़छी डालकर हिलाएगा तो पता नही उसे मज़ा आएगा भी या नही...
पर अभी तो वो लाला से मिलने वाले मज़े को लेकर काफ़ी खुश थी...
सालो बाद आज वो अपनी चूत को भरा हुआ महसूस कर रही थी..

और जल्द ही लाला ने भी चिंघाड़ते हुए अपने झड़ने की घोषणा कर दी...

''अहह.....हाय री भूवरी......तेरी माँ की चूत साली....इतनी गरम है तेरी चूत भी.........ये ले......मैं तो आया.....''

ऐसे बलिष्ट इंसान के लंड का रस तो वो हमेशा से पीना चाहती थी , इसलिए उसने झट्ट से अपनी चूत से उनके लंड को बाहर निकाला और कुतिया बनकर उनके सामने बैठ गयी अपना मुँह फेलाकर....

और चिल्लाई : "अहह....लालाजी......यहाँ डालो अपना माल...मेरे मुँह में .....''

और लाला ने भी यही किया, अपने लंड को हाथ में लेकर आख़िरी के 2-4 घिस्से उन्होने अपने हाथ से मारे और जल्द ही उनके लंड से झरझराता हुआ सा सफेद पानी निकलकर सीधा भूरी के चेहरे पर गिरने लगा...




ये सब पिंकी के लिए भी सम्मोहन जैसा ही था....
लाला के लंड से निकलते सफेद और गाड़े पानी को जिस अंदाज में भूरी अपने मुँह के अंदर लेकर निगल रही थी वो समझ गयी की वो काफ़ी मजेदार होगा...

और वो था भी...
क्योंकि उसे पीकर तो भूरी बिफर सी गयी...

वो बोली : "हाय...लाला.....लगता है तुम्हारे गाँव का पानी बहुत मीठा है....ऐसी मजेदार मलाई तो मैने आज तक नही खाई........मन तो करता है की इसे हमेशा पीती रहूं ...''

इतना कहकर उसने लाला के पाइप जैसे लंड को मुँह में लिया और बचा खुचा रस भी सुड़क कर निकाल लिया...

पिंकी ने निश्चय कर लिया की चूत मरवाई जाए भाड़ में, लाला के लंड को तो वो कल ही चूसकर रहेगी और मज़ा लेगी उनके लंड से निकली क्रीम का...

सब कुछ शांत होने के बाद सबने अपने-2 कपड़े पहने और मुँह हाथ धोकर लाला और पिंकी वहां से निकल गये...

रास्ते भर पिंकी का हाथ लाला के लंड से नही हटा...
पर अंधेरा होने को हो रहा था और रास्ते में रुककर वो कोई रिस्क नही लेना चाहते थे...

अब दोनो को ही मालूम था की वो दिन दूर नही जब रामलाल और पिंकी की चूत का मिलन होकर रहेगा...

और पिंकी को ये सब अपनी पक्की सहेली निशि को भी तो बताना था और उसके साथ मिलकर उसे लाला के लंड का मज़ा लेना था.......
पर उससे पहले तो कई और किस्से भी होने वाले थे ...
pyasanokar
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Re: हरामी साहूकार

Post by pyasanokar »

Uuuuffff......Kamal ki story
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Kamini
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Re: हरामी साहूकार

Post by Kamini »

MasMast update
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