मैं बाजी और बहुत कुछ complete

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rajsharma
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Re: मैं बाजी और बहुत कुछ

Post by rajsharma »

Rohit Kapoor wrote: 20 Jul 2017 11:47 super hot update Raj bhai
shubhs wrote: 19 Jul 2017 21:02 बिल्कुल शुक्रिया
Kamini wrote: 19 Jul 2017 21:04mast update
rangila wrote: 19 Jul 2017 22:37 Bahut achha update hai Raj bhai
Reich Pinto wrote: 20 Jul 2017 01:07 ohhhhhhhhhh super hot erotica

dhanyawad dosto
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: मैं बाजी और बहुत कुछ

Post by rajsharma »

अजब ही आलम था तब। इसी पागलपन में मेरा हाथ बाजी की योनी पे जा पहुंचा और मैंने उनका मम्मा चूसने के साथ योनी को भी रगड़ना शुरू कर दिया। अपनी योनी पे रगड़ पड़ते ही बाजी अचानक से अपनी सिसकी को नही रोक पाई "ओह आह आह मत किया करवो नहीं मानते क्यों नहीं आह।।।" बाजी का एक हाथ वैसे ही मेरे सिर को अपने बूब की ओर दबाता रहा और दूसरा हाथ उन्होंने मेरे उस हाथ पे रख दिया जो उनकी योनी पे था। । कितनी ही देर मेरी उंगलियां बाजी की योनी के लिप्स के बीच चलते चलते अपना जादू दिखाती रहीं और बाजी को होश-ओ-हवास से बेगाना करती रहीं। बाजी की सांसों में, तड़प में, अदाओं में मानो कुछ नशा और मज़ा भरा था। ऐसे ही नशे की हालत में अचानक मैंने बाजी केबूब्स से अपना मुंह उठाया और नीचे हो के बैठ गया।

इससे पहले कि बाजी मेरे अगले इरादे को जानतीं, मैंने अपना और दीदी का हाथ उनकी योनी से अलग किया और अपने होंठ उनकी योनी पे सलवार के ऊपर से ही रख दिए और उनकी योनी को सलवार के ऊपर से ही चूम लिया और अपनी ज़ुबान को उनकी योनी पे फेर दिया। । । बाजी को मुझसे इस हरकत की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी। । । यह भी सच था कि जहां वह मेरी इस हरकत से परेशान हुईं वही उन्हें मेरी इस हरकत से आनंद भी पहुंचा "" ओह आह आह हाय सलमान नहीं करते, हटो यहाँ सेआह आह हटो नाआह उम्म्म "" बाजी ने नीचे की ओर हल्के से झुकते हुए मुझे पीछे करने की कोशिश की और इस कोशिश में उनकी योनी और अधिक मेरे मुंह पर दबती चली गई। मैं बाजी की गीली योनी को उनके गीले सलवार के ऊपर से अपने होंठ और जीभ की मदद से और अधिक गीला करता चला गया। । "" आह आह हाह आह ओह मम हम मम नहीं करो ना "" दीदी की नशे में डूबी आवाज़ में काफी गुस्सा सा था। । ।


बाजी के गुस्से पे में उठ खड़ा हो गया और अपने होंठ इस बार उनकी गर्दन पे जा टीकाये, और उनके बूब्स को दोनों हाथों में लेकर दबाने लगा। मेरा लंड इसी मदहोश हालत में उनके पैरों के बीच में जा पहुंचा। मेरा लंड सलवार के अंदर शायद लोहे से भी अधिक कठोर हालत में था। । इसी मदहोशी में जाने कब और कैसे मेरे लंड की केप बाजी की योनी से टकराई पर शायद यहीं पे हम दोनों का बस हो गया, क्योंकि उसी पल ही बाजी ने अपनी टांगों को जोर से भींचा और कांपना शुरू हो गईं और मैं उनके बूब्स को जोर से दबाते हुए अपने लंड की टोपी को अपनी योनी और पैरों के बीच में रगड़ते रहने की नाकाम कोशिश करते हुए डिस्चार्ज हो गया। । । ।


दिन अपनी निर्धारित गति से गुजरते जा रहे थे। । । । बस एक मिलन ही था जो बहुत कुछ हो जाने के बाद अब भी अधूरा था। । मिलन का वह स्थान जो मैं पाना चाहता था, उस स्थान को पाने के लिए अनुमति मुझे मेरीबाजी नहीं दे रही थी। । उस स्थान पे पहुँचने से बहुत पहले ही मुझे वह रोक देती थी और मैं एक तरह से प्यासा ही रह जाता था।


मेरी और साना बैठकें उस पेड़ के पीछे वैसे ही जारी थीं। शुरू की तरह अब साना में काफी हद तक शर्म कम हो चुकी थी, पर फिर भी अब तक उस मासूम की हया की चादर को नोच कर दूर करने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था। ।

एक दिन ऐसे ही हम दोनों कॉलेज के उस पेड़ के पीछे खड़े एक दूसरे की जीभ से जीभ और होंठों से होंठ मिला रहे थे और मेरे हाथ साना की कमीज में घुसे उस केबूब्स दबाने में व्यस्त थे। । । । हम दोनों खूब मस्ती में डूबे बहके हुए थे कि इसी मस्ती में ही बहकते हुए मैंने साना की कमीज को ऊपर उठाने की कोशिश की। । साना ने रोज की तरह आज भी मुझे रोकने की कोशिश की कि: ऊपर नहीं करो न प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज आह प्लीज़। । मुझे साना पे बहुत गुस्सा आया और अचानक गुस्से में और साना से हो रही मस्तियों के नशे में ही बहकते हुए मैंने कहा: साना मुझसे बात मत करना, हाथ पीछे करो अपने। । । साना मेरे गुस्से से घबरा गई और नशे से गुलाबी हुई अपनी खूबसूरत आंखों को बंद करते हुए अपना सिर पेड़ के साथ लगा लिया और अपने हाथों को मेरे कंधों पे रख दिया।


मैंने आराम से साना की कमीज को ऊपर करना शुरू किया कि इतने में वह आराम से बोली: प्लीज़ मत उठाओ ना प्लीज। । पर मैं अपना काम पूरा कर चुका था। । साना के गोरे , तने और मोटे मम्मे मेरी आँखों के सामने थे। काफी खूबसूरत मम्मे थे साना के। । मुझे साना के नग्न और प्यारे प्यारे मम्मे देख कर रहा न गया और मैंने आगे हो उस का एक सुंदर मम्मा अपने मुँह में ले लिया। । अपना मम्मा मेरे मुंह में महसूस करके साना तड़प उठी "" आह आह मम आह सलमान क्या कर रहे हो आह आह ""

"मेरे मन में पता नहीं उस समय क्या आया कि मैंने कहा" "तुम्हारा मम्मा चूसने जा रहा हूँ" ""

"" "आह आह मम हम जानी बहुत बेशरम हो गए हो तुम"

"साना के नरम मोटे मम्मे को मस्ती और मज़े मे समर्पित चूसे जा रहा था।। उसकी सिसकियाँ मेरे कानों से टकरा कर मुझे मस्त कर रही थी।।

अपनी दोस्त को पेड़ के साथ खुले आसमान केनीचे में उसके मम्मे चूसने में मस्त था। । । साना की शर्म शायद अपनी जगह कायम थी परबूब्स को चूसने से वह भी बहुत मजे में डूबी हुई थी। । धीरे धीरे उसके दोनों बूब्स को मुंह में ले के चूसने लगा। । । मेरा लंड गर्म और कठोर हालत में मेरे अंडरवियर में मचल रहा था। । कितनी ही देर में साना के बूब्स को चूसता रहा चातटा रहा और फिर मुझे जाने क्या सूझी और मैंने उसके दोनों मम्मों पे हाथरखे और उसके होंठों में होंठ डाल दिए। उसके मम्मों को दबाते दबाते और उसके होंठों को चुसते चूमते हुए मैंने अंडरवियर में मौजूद लंड उसके पैरों के बीच में रगड़ना शुरू कर दिया। । । अब शायद मामला मेरी बर्दाश्त से बाहर था और साना भी अब शायद मेरी इन हरकतों को बर्दास्त नहीं कर पा रही थी। इसलिए वह अपने घुटनों से ऊपर वाले हिस्से को आगे पीछे करती हुई और मैं अपने लंड को उसके पैरों के बीच में दबाता हुआ फारिग होता चला गया। । । । । । । ।

हर बार की तरह आज भी जब मेरे मन के ऊपर से वासना का छाया पर्दा हटा, तो मेरे अंदर दो आवाज़े आने लगी, मुझे अपनी आत्मा की आवाज सुनाई देने लगीं। । । आज आत्मा की वजह से जो बेचैनी मेरे अंदर पैदा हो रही थी, ऐसी बेचैनी आज तक मेरे सीने में पैदा नहीं हुई थी मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा, इतने जोर से कि जैसे अब वह मेरे अंदर रहना ही नहीं चाहता हो। मैं पसीने में सराबोर हो गया। । मेरी हालत बहुत अजीब सी हो गई। इतने में मेरे सेल पे मेसेज आया। जब मैंने मेसेज ओपन किया तो वह मेसेज किसी और का नहीं, मेरे प्यार मेरी चाहत, मेरी जान का था। मेसेज था "" तुम ठीक हो ना? ""

मेसेज पढ़ मेरा दिल चाहा कि मैं जा के उस के कदमों में गिर पडूं और अपने इस पाप की माफी मांगू । हां शायद इसी को तोकहते हैं आत्मा से आत्मा का रिश्ता कि यहाँ जब मेरी आत्मा तड़पी, तो वहां उसकी आत्मा ने भी उसे हिला के रख दिया। । ।
साना मेरी इस हालत को देख परेशान हो गई और पूछा "तुम ठीक तो हो ना?"

"हां मैं ठीक हूँ तुम जाओ में आता हूँ"

"नहीं तुम ठीक नहीं लग रहे हो, क्या हुआ है तुम्हें अचानक"

"मैं ठीक हूँ प्लीज़ तुम जाओ "

साना वैसे ही परेशान हालत में वहां से चली गई, क्योंकि वह जानती थी कि मेरी जब तक इच्छा न हो तब तक मैं कोई बात नहीं बताता। । । साना के जाने के बाद मैंने दीदी को रिप्लाई किया और कहा कि "मैं ठीक हूँ, क्यों क्या हुआ?" ((मैं मानव जिज्ञासा के तहत उनसे पूछा))

उनका रिप्लाई आया "" वैसे ही अचानक दिल घबराया था मेरा" "

आज प्यार ने मुझे अपनाएक अजब सा ही जहां दिखा डाला। । मैं अपने खेल को जो साना के साथ खेल रहा था, समाप्त करने के लिए दूरी और यह सोच लिया कि समय पे में यह सच भी बता दूँगा कि मैंने तो कभी उससे प्यार किया ही नहीं था।

जीवन का ये मोड़, तो उनके प्यार भरे पलों में डूबे, जैसे मैंने कभी सोचा भी नहीं था। आत्मा की हत्या क्या होती है यह समय ने मुझे दिखा दिया। आज हिना बाजी की शादी हुए 2 सप्ताह बीत चुके थे। जीते जी मरना बहुत सुना था, पर इस एक लाइन में कितना दर्द, कितनी शिकायत, कितने दुख, कितनी वहशत छिपी है इसका मुझे कभी अंदाज़ा भी नहीं था। यह प्यार जब हुआ था मुझे, तब पत्थर दिल पिघलाने में जो मुश्किलें मैं ने देखी, जो दर्द, मैंने देखा, वह दर्द और मुश्किलें मुझे आज एक चींटी से भी कम लग रही थीं शायद .क्यों कि आज जब वहशतो के काले बादल मेरे ऊपर आके छा जाते, जब दुख किसी हथौड़ों की तरह मेरे पे चोट लगाते जब दर्द खून की जगह मेरी रग रग में लगता, जब पीड़ा भरी घाटी मुझे आ घेरती तो तब चाह कर भी नहीं मर सकता न जी सकता था । ।
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Re: मैं बाजी और बहुत कुछ

Post by Reich Pinto »

superb immortal love story but a curious turn in end ?

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Re: मैं बाजी और बहुत कुछ

Post by shubhs »

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