बहू की चूत ससुर का लौडा complete

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Rohit Kapoor
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

Post by Rohit Kapoor »

थोड़ी देर बाद दोनों फिर से गरम हो गए और एक राउंड की और चुदाई शुरू की। आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनों थक कर नंगे ही लिपट कर सो गए।

सोने के पहले डॉली को याद आया कि कैसे बातों बातों में वो पापा को बता बैठी थी कि वो अक्सर नंगी ही सोती है रात को। वह मुस्कुराई और सो गयी।

अगले दिन वो फ़्रेश हुई और अपनी ब्रा पहनी और नायटी डाली और सोची कि आज ताऊजी और मम्मी आएँगे। । इसके बाद वह आदतन पेटिकोट पहनने लगी, तभी उसे पापा की बात याद आइ । वह मुस्कुराई और सोए हुए जय को देखी जो कि नंगा ही पड़ा था और उसका लम्बा हथियार उसकी जाँघ के साथ एक तरफ़ को साँप जैसे पड़ा था।और पता नहीं क्यों वह पेटिकोट पहनते हुए रुक गयी और उसने उसे नहीं पहना। पैंटी तो वो पहन ही नहीं रही थी। वह शीशे के सामने ख़ुद को नायटी में देखा और फिर मुड़कर अपने पिछवाड़ा को देखा और सच में वह ख़ुद पर ही मुग्ध हो गयी। उफफफ क्या मादक थे उसके चूतड़ । वह थोड़ा मटक कर चली, उफफफफ क्या कामुक तरीक़े से हिल रही थे उसके गोल गोल चूतड़। बेचारे पापा का क्या हाल होगा आज? वह यही सोचते हुए मुस्करायी और बाहर आयी और किचन में चली गयी।

राज सुबह मॉर्निंग वॉक से वापस आया और अपना ट्रैक सूट खोलकर बनियान में आ गया। फिर उसने अपनी चड्डी भी उतारी और लूँगी पहनने लगा। तभी डॉली की आवाज़ आइ: पापा जी चाय बन गयी है। आ जाइए।

राज अपनी लूँगी पहनते हुए बोला: आ रहा हूँ बहु।

राज बाहर आया तो डॉली टेबल पर बैठ कर चाय रख कर बैठी थी। वो दोनों चाय पीने लगे।

राज: रात कैसे बीती? कल तो दिन भर की घटनाओं से तुम बहुत गरम हो गयी थी, जय से मज़े करी होगी ख़ूब सारा?

डॉली: आपको अपनी बहू से ऐसी बातें करते शर्म नहीं आती? मुझे आपसे बात ही नहीं करनी ।

राज: अरे बहू ग़ुस्सा क्यों कर रही हो। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। चलो ग़ुस्सा थूक दो । अच्छा अपनी मम्मी और ताऊजी को क्या खिलाना है? डिनर तो हम बाहर ही करेंगे। शाम के लिए कुछ मँगाना हो तो मुझे बता देना।

डॉली: ठीक है शाम को समोसा और जलेबी ला दीजिएगा।
राज: ज़रूर बहू। यह ठीक रहेगा।

चाय पीने के बाद डॉली उठी और कप लेकर किचन में जाने के लिए मुड़ी और राज के लौड़े ने झटका मारा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मटक रही है आज बहू की गाँड़ । एक गोलाई इधर जा रही है तो दूसरी उधर। आऽऽहहह उसने अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबा दिया । फिर वह खड़ा हुआ और किचन में जाकर डॉली को देखने लगा। वह स्टोव में कुछ पका रही थी। राज दबे पाँव उसके पीछे आके उसकी नायटी को पास से देखा। नायटी का कपड़ा उसके चूतरों की गोलाइयों पर कुछ इस तरह से सटा था कि वह पक्की तरह से कह सकता था कि उसने पेटिकोट नहीं पहना हुआ था। उसका लौड़ा लूँगी के अंदर पूरा खड़ा था।

अब राज उसके पास आया और डॉली को अहसास हुआ कि कोई पीछे खड़ा है, वो पलटने लगी, पर राज ने उसके कंधे पकड़ कर उसे घूमने नहीं दिया और अब वह उसकी कमर में हाथ रखकर उसने अपने दोनों हाथ उसने पेट पर रख दिए और उसे ज़ोर से जकड़ लिया। अब वह पीछे से उसके पिछवाड़े से सट गया ।उसका खड़ा लौड़ा अब उसकी गाँड़ से टकरा रहा था। डॉली हल्की आवाज़ में चिल्लाई: पापा जी मुझे छोड़ दीजिए। प्लीज़ हटिए।

राज ने बेशर्मी से अपने लौड़े को उसके चूतरों पर रगड़कर मस्त होकर बोला: आऽऽऽह बहु , तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ कि तुमने मेरी बात मान ली और पेटिकोट नहीं पहना।

अब वह पीछे को हुआ और फिर डॉली के चूतरों को दोनों हाथों से दबोच लिया और उनको दबाने लगा। वह बोला: उफफफफ क्या मक्खन जैसा माल है जान। सच में ऐसी गाँड़ आज तक नहीं सहलाई। ह्म्म्म्म्म्म।

डॉली: उइइइइइ माँआऽऽऽ पापा जी छोड़िए ना। हाय्ययय दर्द हो रहा है ना।

राज ने उसे छोड़ दिया। डॉली बोली: पापा जी आपको इस तरह की हरकत नहीं करनी चाहिए। आपने कहा था कि आप मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करेंगे। फिर ये सब क्या है?

राज: बहु , असल में मैं ख़ुशी में अपना आपा खो बैठा था, क्योंकि मेरे कहने पर कल तुमने पैंटी नहीं पहनी और आज मेरे कहने पर पेटकोट भी नहीं पहनी ।मैंने सोचा कि शायद तुम मेरे रंग में रंगने को तैयार हो। चलो कोई बात नहीं , हम और कोशिश करेंगे तुम्हें जीतने की।

डॉली: आप बाहर जाइए और मुझे अपना काम करने दें।

राज मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु चला जाता हूँ , बस एक बार तुम्हारी मीठी सो पप्पी ले लेता हूँ। यह कह कर उसने डॉली को बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूमने लगा। और उसके हाथ उसके मस्त चूतरों पर घूमने लगे। डॉली ने उसे धक्का दिया और बोली: आपको क्या हो गया है? आप समझते क्यों नहीं,कि यह सही नहीं है।

राज बेशर्मी से मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु , मैं और इंतज़ार करने को तैयार हूँ।पर एक बात कहूँगा कि तुम्हारी गाँड़ मस्त मुलायम है जान।

इसके बाद राज अपने कमरे में चला गया। डॉली ने आकर जय को उठाया और उसको चाय दी। चाय पीने के बाद जय फ़्रेश होकर बाहर आकर सोफ़े पर बैठकर पेपर पढ़ने लगा। डॉली को किचन में जाते देखकर वह उसे बुलाया और बोला: अरे आज तुम्हारे चूतड़ बहुत मटक रहे हैं , क्या बात है? यह कहकर वह उसकी गाँड़ पर हाथ फेरा और मस्ती से बोला: आऽऽह पेटिकोट नहीं पहना है, इसलिए बिचारे उछल रहे हैं। ये सही किया तुमने जो की पेटिकोट और पैंटी नहीं पहनी हो। सच में मस्त इधर से उधर हो रहे हैं जैसे मचल रहे हों यह कहने के लिए कि आओ मुझे मसलो और दबाओ।

डॉली: छोड़ो मुझे गंदे कहीं के। कुछ भी बोले जा रहे हैं आप।

जय: एक बात बोलूँ , सच में तुम बहुत ही सेक्सी स्त्री हो।मैं बहुत क़िस्मत वाला हूँ जो तुम मेरी बीवी हो।

डॉली हँसकर बोली: अच्छा जी, मैंने आज पेटिकोट नहीं पहना तो मैं सेक्सी हो गयी। वाह जी । और आपके साथ तो मैं रात भर नंगी भी पड़ी रहती हूँ, उसका क्या?

जय: वो दृश्य भी मस्त मज़ा देता है और ये दृश्य भी मस्त मज़ा देरहा है । ये कहकर उसने एक बार फिर उसकी गाँड़ दबा दी और उठा और नहाने के लिए जाने लगा। और जाते जाते बोला: चलो ना आज साथ में नहाते हैं। कई दिन हो गए साथ में नहाए हुए। चलो ना जानू।

डॉली मुस्कुरा कर बोली: अच्छा चलो आज आपको नहला देती हूँ। पर आप कोई शरारत नहीं करना। ठीक है?

जय: अरे बिलकुल नहीं करूँगा। वैसे भी मुझसे शरीफ़ आदमी दुनिया में कोई और है ही नहीं है।

डॉली: हाँ जी पता है मुझे कि आप कितने शरीफ़ हो। अब चलो और नहा लो।

जय अपने कमरे में जाकर अपने कपड़े उतारा और नंगा ही बाथरूम में दाख़िल हुआ। डॉली भी अपने कपड़े उतारी और बिलकुल नंगी होकर बाथरूम में घुस गयी। वहाँ जय उसको अपनी बाहों में भींच लिया और चूमने लगा।

डॉली: आपको नहाना है या ये सब करना है।

जय: ये सब भी करना है और नहाना भी है। वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।

डॉली ने शॉवर चालू किया और दोनों एक दूसरे से चिपके हुए पानी में गीले होने लगे। फिर डॉली ने साबुन लिया और जय की छाती में लगाना चालू किया। वह चुपचाप साबुन लगवा रहा था। डॉली ने छाती के बाद उसके पेट में साबुन लगाया। फिर वह उसकी बाहों में साबुन लगायी। फिर वह उसकी गरदन और पीठ में भी साबुन लगायी। वो नीचे बैठ कर उसके पैरों और जाँघों में भी साबुन लगाई। अब वह उसके सख़्त चूतरों पर भी साबुन लगायी। फिर वह अपने हाथ को उसकी गाँड़ के छेद और चूतरों की दरार में डालकर वह साबुन लगायी। और जय का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। फिर जय को घुमाई और उसके बॉल्ज़ और लौड़े में भी साबुन लगायी। उसने उसके सुपाडे का चमड़ा पीछे किया और उसको भी अच्छी तरह से साफ़ किया। फिर वह उठी और शॉवर चालू किया। उसने जय के बदन से साबुन धोना शुरू किया। जल्दी ही वह पूरी तरह से नहा लिया था। उसने उसके लौड़े और बॉल्ज़ के साथ ही उसकी गाँड़ में भी हाथ डालकर सफ़ाई कर दी थी। जय का लौंडा उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था।

जय: चलो अब मैं तुमको नहा देता हूँ।

डॉली: नहीं बाबा, मैं ख़ुद ही नहा लूँगी। चलो आप बाहर जाओ मैं अभी नहा कर आती हूँ।

जय हँसते हुए अपना लौड़ा सहला कर बोला: अरे इसका क्या होगा? इसका भी तो इलाज करो ना।

वह हँसकर बोली: यहाँ ही इलाज करूँ या बिस्तर पर चलें?

जय: अरे यहीं करो ना। यह कहते हुए उसने डॉली को कंधे से पकड़कर नीचे बैठाया। वह नीचे बैठी और उसके लौड़े को मुँह के पास लाकर उसे जीभ से चाटी और फिर चूसने लगी। दस मिनट चूसकर वह उठी और जय ने उसे दीवार के सहारे आगे को झुकाया और पीछे से उसकी मस्तानी गाँड़ को दबाते हुए उसकी बुर में ऊँगली की और फिर वहाँ अपने लौंडे को सेट किया और धीरे से लौड़ा अंदर डाल दिया और डॉली की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ निकल गयी। फिर वह उसकी नीचे को झुकी चूचियों को दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। फ़च फ़च की आवाज़ों से बाथरूम गूँजने लगा। साथ ही ठप्प ठप्प की आवाज़ भी आने लगी जो कि जय की जाँघें और डॉली के मोटे चूतरों से टकराने से निकल रही थी। उधर डॉली भी मज़े से आऽऽऽऽहहहह जीइइइइइइइइ बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्यू मैं गयीइइइइइइइइइइइ । जय भी ह्म्म्म्म्म्म मैं भी झड़ गयाआऽऽऽऽऽऽऽ । फिर डॉली टोयलेट की सीट पर बैठी और पेशाब करने लगी। जय उसके उठने के बाद ख़ुद भी पेशाब करने लगा। फिर वह शॉवर लिया और बाहर आकर तैयार होने लगा। तब तक डॉली भी नहा करके बाहर आयी और तैयार होकर किचन में गयी।
थोड़ी देर बाद सब नाश्ता करने लगे।

राज: बेटा शाम को जल्दी आना , तेरी सास और उसके ज़ेठ आने वाले हैं। रात को हम डिनर भी बाहर करेंगे।

जय: ठीक है पापा जी। मैं आ जाऊँगा।
फिर वह दुकान चला गया।

राज उसके जाते ही बोला: बहु ,तुम आज बड़ी जल्दी नहा ली। मैं तो तुमने नायटी में देखकर ही मस्त हो रहा था और तुम साड़ी में आ गयी। लगता है दोनों साथ में ही नहाए हो? कभी हमारे साथ भी नहाओ।बड़ा मज़ा आएगा।

डॉली कुछ नहीं बोली और उठकर जाने लगी।

राज: बहु मेरा तो आज जैसे समय ही नहीं कट रहा है । पता नहीं कब शाम होगी और तुम्हारी सेक्सी मम्मी आएगी और आऽऽऽऽह मेरी रात रंगीन करेगी। यह कहकर उसने बड़ी बेशर्मी से अपना लौड़ा दबा दिया। तभी डॉली का फ़ोन बजा और उसने देखा कि उसकी मम्मी का फ़ोन था।

डॉली: हाय मम्मी ।

रश्मि: हाय , कैसी हो बेटी?

डॉली: मम्मी मैं ठीक हूँ। आप कब निकलोगी?

रश्मि: हम पाँच बजे तक आएँगे बेटी। तुम्हारे लिए क्या लाएँ?

डॉली: मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आप लोगों से मिलना हो जाएगा।

राज ने डॉली से फ़ोन माँगा और बोला: अरे भाभी जी हमसे भी बात कर लीजिए। सिर्फ़ बेटी ही आपकी रिश्तेदार है क्या? हम तो भी आपके समधी हैं।

रश्मि सकपका कर: अरे मुझे क्या पता था कि आप भी उसके साथ बैठे हो। कैसे हैं आप?

राज: मस्त हैं और आपको याद कर रहे हैं। इंतज़ार है शाम का जब आप आएँगी और हम आपसे मिलकर मस्त हो जाएँगे।

रश्मि: कैसी बातें कर रहे है? डॉली भी तो होगी वहाँ?

राज ने डॉली को आँख मारी और कहा: अरे वो तो अपने कमरे में चली गयी है शायद बाथरूम आयी होगी।

डॉली उसकी मंशा समझकर उठने लगी, पर राज ने उसे पकड़कर अपनी बग़ल में बिठा लिया और फ़ोन को स्पीकर मोड में डाल दिया। अब बहु के कंधे को सहलाता हुआ फिर बोला: जान, रात में तुमको बहुत याद किया और मूठ्ठ भी मारी। तुम तो मुझे याद ही नहीं करती होगी।

डॉली हैरत से ससुर को देखी कि कितनी अश्लील बात कितने आराम से कह दिए।

रश्मि: अरे आपने मूठ्ठ क्यों मारी? मैं आ तो रही हूँ आज आपके पास। वैसे रात मुझे भी बड़ी मुश्किल से नींद आयी। एक बात बोलूँ?

हतप्रभ डॉली के कंधे सहलाता हुआ राज बोला: हाँ हाँ बोलो ना?

रश्मि: आप जैसी मेरी नीचे वाली चूसते हो ना , आज तक किसी ने भी वैसी नहीं चूसी। उफफफफ मस्त कर देते हो आप।

राज अब उत्तेजित होकर अपना लंड दबाया और डॉली को उसका आकार लूँगी से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। उसने फ़ोन अपनी एक जाँघ पर रखा था। जोश में उसने डॉली के कंधे को ज़ोर से दबा दिया। डॉली की सिसकी निकल गयी। पर उसने अपने मुँह पर हाथ रख कर उसे दबा दिया।

राज: अरे क्या नीचे वाली लगा रखा है। उसका नाम बोलो मेरी जान।

रश्मि हँसकर: आप भी ना,मैं बुर की बात कर रही हूँ।

राज डॉली को आँख मारा और बोला: और क्या मैं तुम्हारी चूचियाँ अच्छी तरह से नहीं चूसता?

डॉली साँस रोक के सुन रही थी कि उसकी मम्मी कितनी अश्लील बात कर रही थी। वह फिर से उठकर जाने की कोशिश की पर राज की पकड़ मज़बूत थी, वह हिल भी नहीं पाई। रश्मि: अरे वो तो आप मस्त चूसते हैं। सच आपके साथ जो मज़ा आता है, किसी और के साथ आ ही नहीं सकता। इसीलिए तो बार बार आ जाती हूँ आपसे करवाने के लिए?

अब डॉली को भी अपनी बुर में गीलापन सा लगा। और राज ने भी कल जैसे ही आज भी अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था और उसे मसल रहा था। डॉली की उत्तेजना भी बढ़ रही थी, उसके निपल्ज़ एकदम कड़े हो गए थे।

राज उसके कंधे से हाथ नीचे लेजाकर उसके ब्लाउस तक पहुँचा और उसकी बाँह सहलाते हुए उसकी एक चूची को साइड से छूने लगा।

राज: क्या करवाने आती हो, जानू साफ़ साफ़ बोलो ना।

रश्मि: आऽऽऽह आप भी ना, चुदाई करवाने आती हूँ और क्या? आऽऽऽह अब मैं भी गरम हो गयी हूँ आपकी बातों से । अब बंद करूँगी फ़ोन, नहीं तो मुझे भी बुर में ऊँगली करनी पड़ेगी।

डॉली का मुँह खुला का खुला रह गया। उफफफफ मम्मी को क्या हो गया है। कितनी गंदी बातें कर रही हैं। उसकी आँख राज के मोटे लौड़े पर गयी।

राज: आऽऽऽऽह मेरा भी खड़ा है। चलो फ़ोन बंद करता हूँ। ये कहते हुए उसने फ़ोन काटा। और फिर जो हरकत राज ने की, उसके लिए डॉली बिलकुल तैयार नहीं थी। राज ने डॉली का एक हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रखा और उसे दबाने लगा। दूसरे हाथ से वह उसकी ब्लाउस के ऊपर से एक चूची दबाने लगा। और अपना मुँह उसके मुँह पर रख कर उसके होंठ चूमने लगा। डॉली इस अचानक से हुए तीन तरफ़ा हमले से हक्की बक्की रह गई और उसके मुँह से गन्न्न्न्न्न्न की आवाज़ निकलने लगी।

राज अपने हाथ से उसके हाथ को दबाकर अपना लौड़ा दबवा रहा था। और चूची भी दबाए जा रहा था। डॉली ने अपने बदन को ज़ोर से झटका दिया और अपने होंठों से उसके होंठों को हटाने की कोशिश की और कुछ बोलने को मुँह खोला। राज ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और अब डॉली और ज़ोर से फड़फड़ाई और अपने को छुड़ाने के लिए ज़ोर लगाई। राज को आँखें डॉली की आखों से टकराई। डॉली की आँखों में आँसू आ गए थे। राज ने आँसू देखे और एकदम से पीछे हटकर बैठ गया। उसने दोनों हाथ भी हटा लिए।

राज का लौड़ा अभी भी उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था। डॉली उठी और क़रीब भागती हुई अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गयी और इस सदमे से बाहर आने की कोशिश करने लगी। वह करवट लेती हुई लम्बी साँसें ले रही थी। उसके बदन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। उसकी बुर गीली थी और एक चूची जो राज दबाया था ,वहाँ उसे कड़ेपन का अहसास हो रहा था। तभी इसे अहसास हुआ कि वो अकेली नहीं है। वो जैसे ही घूमी और पीठ के बल हुई, राज उसे बिस्तर पर बैठे नज़र आया। वो सहम गयी। पर राज मुस्कुराते हुए बोला: बहु, मैं अपना अधूरा काम पूरा करने आया हूँ।
डॉली: कौन सा अधूरा काम?

राज ने उसकी दूसरी चूची पकड़ ली और दबाते हुए बोला: मैंने एक ही चूची दबाई थी, अब दूसरी भी दबा देता हूँ।

डॉली उसके हाथ को पकड़ती हुई बोली: पापा जी आज आपको क्या हो गया है? क्या मेरा रेप करेंगे? हाथ हटाइए।

राज: नहीं बहु, मैं कभी रेप कर ही नहीं सकता वो अभी अपनी लाड़ली बहु का? ये कहते हुए उसने उसकी चूचि छोड़ दी। और बोला: लो बहु अब बराबर हो गया। दोनों चूचियाँ बराबर से दबा दीं।

डॉली हैरानी से उसे देखती हुई बोली: पापा जी आप जाइए यहाँ से । आज तो आप सारी लिमिट पार कर गए हैं।

राज हँसकर: अरे बहु, अभी कहाँ लिमिट पार की है। आख़री लिमिट तो तुमने साड़ी में यहाँ छुपा कर रखी है जिसे पार भी करना है और प्यार भी करना है। ये कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को मूठ्ठी में लेकर दबा दिया।

डॉली उछल पड़ी और बोली: आऽऽह पापा जी ये क्या कर रहे है? छोड़िए ना प्लीज़। उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाथ हटाइए।

राज हँसता हुआ उठा और बोला: बहू , अभी तो कई लिमिट पार करनी है। चलो अब आराम करो मेरी नन्ही सी जान। यह कहकर वो अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से मसलकर बाहर चला गया। डॉली सन्न होकर लेटी रही। वह सोचने लगी कि आज पापा जी को क्या हो गया था जो वो इस हद तक उतर आए।

तभी जय का फ़ोन आया और वो अपनी बुर के ऊपर से साड़ी ठीक करके बोली: हाँ जी कैसे हैं?

जय: बस तुम्हारी याद आ रही थी, आज सुबह की चुदाई में तुम्हारी गाँड़ पीछे से बहुत मस्त लग रही थी। वही याद कर रहा था।

डॉली सोची कि बाप बेटा दोनों एक से हैं। वह बोली: छी, फ़ोन पर भी आप यही बात करते हैं। काम कैसा चल रहा है?

जय: बहुत बढ़िया। अच्छा, आज असलम का फ़ोन आया था, कह रहा था कि खाने पर आओ।

डॉली: कौन असलम? वही बीवी बदलने वाला?

जय हँसकर: हाँ वही असलम। अरे भाई उसे और भी काम है बीवी बदलने के अलावा।

डॉली: मुझे नहीं जाना उसके घर खाना खाने को। क्या पता उसकी बीवी पर आपका दिल आ जाए और फिर आप मेरे पीछे पड़ जाओगे कि जानू चलो बीवियाँ बदल लेते हैं। मुझे नहीं जाना।

जय हँसकर: वाह क्या कल्पना की है? लगता है तुम भी यही चाहती हो।

डॉली: आओ घर वापस, बताती हूँ कि मैं क्या चाहती हूँ।

जय हँसते हुए: अरे जान, ग़ुस्सा मत करो, मैं मना कर देता हूँ । कह दूँगा फिर देखेंगे कभी और दिन। अब तो ठीक है?

डॉली: हाँ ठीक है। आपने खाना खा लिया?

जय: बस खाने जा रहा हूँ।

डॉली: चलो अब मैं भी खाना लगाती हूँ। चलो बाई।

जय: हाँ पापा जी को भी भूक़ लगी होगी।बाई।

डॉली सोची कि पापा जी को तो बस एक ही चीज़ की भूक़ है उसकी इस जगह की। उसने अपनी बुर को सहलाकर सोची।उसकी बुर का गीलापन बढ़ने लगा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ यह कैसी फ़ीलिंग़स है कि एक तरफ़ तो उसे लगता है कि यह सब ग़लत है। पर दूसरी तरफ़ यह शरीर ग़लत सिग्नल भी दे देता है।जैसे अब भी उसकी चूचियों में मीठा सा दर्द हो रहा था मसले जाने का। और यह कमीनी बुर तो बस पनियाना ही जानती है। अब आज शाम को मम्मी और ताऊजी के आने के बाद भगवान ही जानता है कि क्या होने वाला है इस घर में? वह सोची और उठकर खाना लगाने किचन में चली गयी।
उस दिन शाम को रश्मि और अमित को लेने राज बस अड्डा गया। रश्मि बस से उतरी तो वह उसे देखता ही रह गया । काली साड़ी में उसका गोरा बदन क़हर ढा रहा था। छोटा सा ब्लाउस आधी चूचियाँ दिखा रहा था और उसकी गहरी नाभि उस पारदर्शी साड़ी में बहुत आकर्षक लग रही थी। वह अपना सामान उठाने झुकी तो उसकी सामने की क्लिवेज़ देखते ही बनती थी। दोनों गोलायीयाँ जैसे अलग अलग से मचल रही थीं बाहर आने के लिए।

अमित भी आकर राज से गले मिला और रश्मि भी उसके पास आकर नमस्ते की। राज ने उसका हाथ पकड़कर दबाया और बोला: आऽऽऽंह जानू क्या क़ातिल लग रही हो?

रश्मि: हा हा आपका चक्कर चालू हो गया। आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो।

राज अमित से बात करता हुआ रश्मि के पीछे चलने लगा। उफफफ क्या मस्त चूतड़ हैं। कैसे मटक रहे हैं। कार में बैठने लगे तो रश्मि को आगे बैठने को कहा। अमित पीछे बैठा। कार चला कर वह रश्मि को बोला: आज तो काली साड़ी में तुम्हारा गोरा बदन बहुत चमक रहा है। उसने रश्मि की जाँघ दबाकर कहा।

रश्मि: आप ही तो बोले थे की सेक्सी साड़ी पहनना , तो मैं ये पहन ली। आपको अच्छी लगी चलिए ठीक है।

वह राज के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखी और दबाने लगी।

राज : और अमित भाई क्या हाल है? हमारी जान का ख़याल रखते हैं ना?

अमित: हाँ जी रखते हैं। पर ये तो आपको बहुत याद करती रहती है।

राज: सच मेरी जान? ये कहते हुए उसने रश्मि की बुर को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।

रश्मि मज़े से टाँगें फैला दी ताकि वह मज़े से उसको सहला सके। वह बोली: अरे घर जाकर ये सब कर लीजिएगा । अभी कार चलाने पर ध्यान दीजिए।

राज: क्या करें सबर ही नहीं हो रहा है। देखो कैसे खड़ा है तुम्हारे लिए? राज ने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाकर कहा। रश्मि भी आगे आकर उसके पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठी। फिर बोली: आऽऽह सच में बहुत जोश में है ये तो। फिर वह उसे एक बार और दबाकर अपनी जगह पर आके बैठी और बोली: आज तो ये मेरी हालत बुरी करने वाला है। सब हँसने लगे।

घर पहुँच कर रश्मि डॉली से लिपट गयी और प्यार करने लगी। डॉली भी सब कुछ भूलकर उससे लिपट गयी। फिर डॉली अमित से मिली और अमित ने भी उसे प्यार किया।
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

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अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और डॉली चाय बनाने चली गयी। राज पहले ही समोसे और जलेबियाँ ले आया था। वह उसे सजाने लगी, तभी रश्मि किचन में आयी और डॉली से बोली: बेटी ख़ुश हो ना यहाँ? जय के साथ अच्छा लगता है ना? तुमको ख़ुश तो रखता है?

डॉली: उफ़्फ़ मम्मी आप भी कितने सवाल पूछ रही हो। मैं बहुत ख़ुश हूँ और जय मेरा पूरा ख़याल रखते हैं।

रश्मि: चलो ये बड़ी अच्छी बात है। भगवान तुम दोनों को हमेशा ख़ुश रखे।

डॉली: चलो आप बैठो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ।

रश्मि भी उसकी मदद करते हुए नाश्ता और चाय लगाई। सब नाश्ता करते हुए चाय पीने लगे।

रश्मि: जय कब तक आएँगे?

राज: उसको आज जल्दी आने को कहा है आता ही होगा।

डॉली: मम्मी आपका सामान रचना दीदी वाले कमरे में रख देती हूँ। ताऊ जी आपका सामान पापा जी के कमरे में रख दूँ क्या?

राज: अरे बहु तुम क्यों परेशान होती हो, मैं भाभी का समान रख देता हूँ , चलो भाभी आप कमरा देख लो। और हाँ बहु तुम जय को फ़ोन करो और पूछो कब तक आ रहा है।आओ अमित जी आप भी देख लो कमरा।

तीनों रचना वाले कमरे में सामान के साथ चले गए। डॉली जय को फ़ोन करने का सोची। तभी उसे महसूस हुआ कि ये तीनों कमरा देखने के बहाने उस कमरे में क्यों चले गए। शायद मस्ती की शुरुआत करने वाले हैं। मुझे बहाने से अलग किया जा रहा है। ओह तो ये बात है , वह चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास आइ और हल्का सा परदा हटाई और उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं।

सामने मम्मी पापा जी की बाहों में जकड़ी हुई थी और दोनों के होंठ चिपके हुए थे ।पापा जी के हाथ उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ पर घूम रहे थे। ताऊ जी भी उनको देखकर मुस्कुरा रहा था और पास ही खड़ा होकर मम्मी की नंगी कमर सहला रहा था। फिर राज रश्मि से अलग हुआ और उसकी साड़ी का पल्ला गिराकर उसकी ब्लाउस से फुली हुई चूचियों को दबाने लगा और उनके आधे नंगे हिस्से को ऊपर से चूमने लगा।
उधर अमित उसके पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए जा रहा था

डॉली की बुर गरम होने लगी और उसके मुँह से आह निकल गयी। तभी पापा जी ने कहा: अरे क्या मस्त माल हो जान। सच में देखो लौड़ा एकदम से तन गया है।

मम्मी: आज छोड़िए अब मुझे, रात को जी भर के सब कर लीजिएगा। फिर हाथ बढ़ाके वह एक एक हाथ से पापा और ताऊ के लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली: देखो आपकी भी हालत ख़राब हो रही है, और मेरी भी बुर गीली हो रही है।

पापा नीचे बैठ गए घुटनो के बल और बोले: उफफफफ जान, एक बार साड़ी उठाके अपनी बुर के दर्शन तो करा दो। उफफफ मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए।

डॉली एकदम से हक्की बक्की रह गयी और सोची कि क्या उसकी बेशर्म मॉ उनकी ये इच्छा भी पूरी करेगी। और ये लो मम्मी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दिया। पापा की आँखों के सामने मम्मी की मस्त गदराई जाँघें थी जिसे वो सहलाने लगे थे। और उनके बीच में उभरी हुई बिना बालों की बुर मस्त फूली हुई कचौरी की तरह गीली सी दिख रही थी। पापा ने बिना समय गँवाये अपना मुँह बुर के ऊपर डाल दिया और उसकी पप्पियां लेने लगे। मम्मी की आँखें मज़े से बंद होने लगी। फिर उन्होंने पापा का सिर पकड़ा और ही वहाँ से हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बस करिए। डॉली आती होगी।

पापा पीछे हटे और डॉली की आँखों के सामने मम्मी की गीली बुर थी। तभी पापा ने उनको घुमाया और अब मम्मी के बड़े बड़े चूतड़ उसके सामने थे। डॉली भी उनकी सुंदरता की मन ही मन तारीफ़ कर उठी। सच में कितने बड़े और गोल गोल है। पापा ने अब उसके चूतरों को चूमना और काटना शुरू कर दिया। मम्मी की आऽऽहहह निकल गई। फिर पापा ने जो किया उसकी डॉली ने कभी कल्पना नहीं की थी। पापा ने उसकी चूतरों की दरार में अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चाटने लगे।उफफगग ये पापा क्या कर रहे हैं ।मम्मी भी हाऽऽऽय्यय कर रही थी। फिर वह आगे बढ़के उससे अपने आप को अलग की और अपनी साड़ी नीचे की और बोली: बस करिए आप नहीं तो मैं अभी के अभी झड़ जाऊँगी। उफफफफ आप भी पागल कर देते हो।

पापा उठे और अपने लौड़े को दबाते हुए बोले: ओह सच में बड़ी स्वाद है तुम्हारी बुर और गाँड़ । वाह मज़ा आ गया।
मम्मी: आप दोनों ऐसे तंबू तानकर कैसे बाहर जाओगे। डॉली क्या सोचेगी। आप दोनों यहाँ रुको और थोड़ा शांत होकर बाहर आना । यह कहते हुए मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से रगड़ी और बाहर आने लगी। डॉली भी जल्दी से किचन में घुस गयी। उसकी सांसें फूल रही थी और छातियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर गीली हो गयी थी। तभी रश्मि अंदर आइ और डॉली उसे देखकर सोची कि इनको ऐसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि ये औरत अभी दो दो मर्दों के सामने अपनी साड़ी उठाए नंगी खड़ी थी और अपनी बुर और गाँड़ चटवा रही थी।

रश्मि: बेटी जय से बात हुई क्या? कब आ रहा है वो? कितने दिन हो गए इसे देखे हुए?

डॉली: हाँ मम्मी अभी आते होंगे। दुकान से निकल पड़े हैं।

तभी जय आ गया और उसने रश्मि के पाँव छुए। तभी राज और अमित कमरे से बाहर आए और ना चाहते हुए भी डॉली की आँख उनके पैंट के ऊपर चली गयी और वहाँ अब तंबू नहीं तना हुआ था। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वह अपने ताऊजी और ससुर के लौड़े को चेक कर रही है कि वो खड़े हैं कि नहीं! छी उसे क्या हो गया है, वह सोची।

फिर सब बातें करने लगे और जय के लिए रश्मि चाय बना कर लाई। जय: मम्मी आप बहुत अच्छी चाय बनाती हो, डॉली को भी सिखा दो ना।

डॉली ग़ुस्सा दिखाकर बोली: अच्छा जी , अब आप ख़ुद ही चाय बनाइएगा अपने लिए।

सब हँसने लगे। राज: जय मुझे तो बहु के हाथ की चाय बहुत पसंद है। वैसे सिर्फ़ चाय ही नहीं मुझे उसका सब कुछ पसंद है। पता नहीं तुमको क्यों पसंद नहीं है।

रश्मि चौक कर राज को देखी और सोचने लगी कि राज ने डॉली के बारे में ऐसा क्यों कहा?

जय: अरे पापा जी, डॉली को मैं ऐसे ही चिढ़ा रहा था।

फिर सब बातें करने लगे और फिर राज ने कहा: चलो डिनर पर चलें?

जय: जी पापा जी चलिए चलते हैं, मैं थोड़ा सा फ़्रेश हो लेता हूँ।

रश्मि: हाँ मैं भी थोड़ा सा फ़्रेश हो आती हूँ।

राज: चलो अमित, हम भी तैयार हो जाते हैं।

इस तरह सब तैयार होने के लिए चले गए।

राज और अमित सबसे पहले तैयार होकर सोफ़े पर बैठ कर इंतज़ार करने लगे। तभी रश्मि आयी ।उसके हाथ में एक पैकेट था। और एक बार फिर से दोनों मर्दों का बुरा हाल हो गया। वह अब टॉप और पजामा पहनी थी। उफफफ उसकी बड़ी चूचियाँ आधी टॉप से बाहर थीं। उसने एक चुनरी सी ओढ़ी हुई थी ताकि चूचियाँ जब चाहे छुपा भी सके। वह मुस्कुराकर अपनी चूचियाँ हिलायी और एक रँडी की तरह मटककर पीछे घूमकर अपनी गाँड़ का भी जलवा सबको दिखाया। सच में टाइट पजामे में कसे उसके चूतड़ मस्त दिख रहे थे अब वह हँसकर अपनी चुन्नी को अपनी छाती पर रख कर अपनी क्लिवेज को छुपा लिया।

राज: क्या माल हो जान।वैसे इस पैकेट में क्या है?

रश्मि: मेरी बेटी के लिए एक ड्रेस है। उसे देना है।

फिर वह डॉली को आवाज़ दी: अरे बेटी आओ ना बाहर । अभी तक तुम और जय बाहर नहीं आए।

जय बाहर आया और बोला: मम्मी जी मैं आ गया। आपकी बेटी अभी भी तैयार हो रही है।

रश्मि: मैं जाकर उसकी मदद करती हूँ । यह कहकर वह डॉली के कमरे में चली गयी। वहाँ डॉली अभी बाथरूम से बाहर आयी और मम्मी को देखकर बोली: आप तैयार हो गयी ? इस पैकेट में क्या है?

रश्मि: तेरे लिए एक ड्रेस है। चाहे तो अभी पहन ले। रश्मि ने अब अपनी चुनरी निकाल दी थी।

डॉली उसके दूध देख कर बोली: मम्मी आपकी ये ड्रेस कितनी बोल्ड है। आपको अजीब नहीं लगता ऐसा ड्रेस पहनने में ?

रश्मि: अरे क्या बुड्ढी जैसे बात करती हो ? थोड़ा मॉडर्न बनो बेटी। देखो ये ड्रेस देखो जो मैं लाई हूँ।

डॉली ने ड्रेस देखी और बोली: उफफफ मम्मी ये ड्रेस मैं कैसे पहनूँगी? पापा और ताऊ जी के सामने? पूरी पीठ नंगी दिखेगी और छातियाँ भी आपकी जैसी आधी दिखेंगी। ओह ये स्कर्ट कितनी छोटी है। पूरी मेरी जाँघें दिखेंगी। मैं इसे नहीं पहनूँगी।

रश्मि: चल जैसी तेरी मर्ज़ी। तुझे जो पहनना है पहन ले, पर जल्दी कर सब इंतज़ार कर रहे हैं।

डॉली ने अपने कपड़े निकाले। उसने अपना ब्लाउस निकाला और दूसरा ब्लाउस पहनना शुरू किया। रश्मि उसकी चूचियाँ ब्रा में देखकर बोली: बड़े हो गए हैं तेरे दूध। ३८ की ब्रा होगी ना? लगता दामाद जी ज़्यादा ही चूसते हैं। यह कहकर वह हँसने लगी ।

डॉली : छी मम्मी क्या बोले जा रही हो। वैसे हाँ ३८ के हो गए हैं। फिर उसने अपनी साड़ी उतारी और एक पैंटी निकाली और पहनने लगी पेटिकोट के अंदर से।
रश्मि: अरे तूने पुशशी पैंटी तो निकाली नहीं? क्या घर में पैंटी नहीं पहनती?

डॉली शर्म से लाल होकर: मम्मी आप भी पैंटी तक पहुँच गयी हो। कुछ तो बातें मेरी पर्सनल रहने दो।

रश्मि: अरे मैंने तो अब जाकर पैंटी पहनना बंद किया है, तूने अभी से बंद कर दिया? वाह बड़ा हॉट है हमारा दामाद जो तुमको पैंटी भी पहनने नहीं देता।

डॉली: मामी आप बाहर जाओ वरना मुझे और देर जो जाएगी। रश्मि बाहर चली गयी। साड़ी पहनते हुए वो सोची कि उसने पैंटी पहनना पापाजी के कहने पर छोड़ा या जय के कहने पर? वह मुस्कुरा उठी शायद दोनो के कहने पर।

तैयार होकर वो बाहर आयी। साड़ी ब्लाउस में बहुत शालीन सी लग रही थी। रश्मि ने भी अभी चुनरी लपेट रखी थी।

राज: तो चलें अब डिनर के लिए। सब उठ खड़े हुए और बाहर आए।

जय: पापा जी मैं कार चलाऊँ?

राज: ठीक है । अमित आप आगे बैठोगे या मैं बैठूँ?

अमित: मैं बैठ जाता हूँ आगे। आप पीछे बैठो ।

अब राज ने रश्मि को अंदर जाने को बोला। रश्मि अंदर जाकर बीच में बैठ गयी। डॉली दूसरी तरफ़ से आकर बैठी और राज रश्मि के साथ बैठ गया। तीनों पीछे थोड़ा सा फँसकर ही बैठे थे। रश्मि का बदन पूरा राज के बदन से सटा हुआ था। राज गरमाने लगा। जगह की कमी के कारण उसने अपना हाथ रश्मि के कंधे के पीछे सीट की पीठ पर रखा और फिर हाथ को उसके कंधे पर ही रख दिया और उसकी बाँह सहलाने लगा। उसका हाथ साथ बैठी डॉली की बाँह से भी छू रहा था। डॉली ने देखा तो वह समझ गयी कि अभी ही खेल शुरू हो जाएगा। रात के ८ बजे थे ,कार में तो अँधेरा ही था। तभी राज ने रश्मि की बाँह सहलाते हुए उसकी चुन्नी में हाथ डाला और उसकी एक चूचि पकड़ ली और हल्के से दबाने लगा। डॉली हैरान होकर उसकी ये हरकत देखी और उसने रश्मि को राज की जाँघ में चुटकी काटकर आँख से मना करने का इशारा करते भी देखी। पर वो कहाँ मानने वाला था। अब उसने डॉली की बाँह में हल्की सी चुटकी काटी और फिर से उसे दिखाकर उसकी मम्मी की चूचि दबाने लगा और उसने डॉली को आँख भी मार दी।

डॉली परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगी। अब राज ने थोड़ी देर बाद रश्मि का हाथ लेकर अपने लौड़े पर रखा और रश्मि उसे दबाने लगी। फिर वह अपना हाथ रश्मि की चूचि से हटा कर डॉली की बाँह सहलाने लगा। डॉली चौंक कर पलटी और उसकी आँख रश्मि के हाथ पर पड़ी जो कि राज के पैंट के ज़िपर पर थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी भी ना,कितनी गरमी है इनमे अभी भी। तभी राज का हाथ उसकी चूचि पर आ गया। वह धीरे से उसको घूरी और उसका हाथ हटाते हुए बोली: पापा जी जगह कम पड़ रही है तो मैं टैक्सी में आ जाती हूँ।

रश्मि ने झट से अपना हाथ हटा लिया।

जय: क्या हुआ? आप लोग आराम से नहीं हो क्या?

राज: अरे नहीं बेटा, सब ठीक है। मैं ज़रा हाथ फैलाकर बैठा तो बहु को लगा कि मैं आराम से नहीं बैठा हूँ। सब ठीक है तुम गाड़ी चलाओ। वो डॉली को आँख मारते हुए बोला।

फिर थोड़ी देर बाद उसने रश्मि का हाथ अपने लौड़े पर रख दिया जिसे वो दबाने लगी। और वह रश्मि की दोनों चूचि बारी बारी से दबाने लगा। डॉली ने देखा और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसने सोचा कि जब वो दोनों इसमें मज़ा ले रहे हैं तो वो भला इसमें क्या कर सकती है।

थोड़ी देर में वो एक शानदार रेस्तराँ में पहुँचे। जय और अमित बाहर आए और डॉली और रश्मि भी बाहर आ गए। राज अपनी पैंट को अजस्ट किया कि क्योंकि उसकी पैंट का तंबू ज़रा ज़्यादा ही उभरा हुआ दिख रहा था। वो भी वहाँ हाथ रखकर बाहर आया। ख़ैर डिनर टेबल तक पहुँचते हुए उसका लौड़ा थोड़ा शांत हो गया था।

टेबल गोल थी। राज के बग़ल में रश्मि बैठी और उसकी बग़ल में अमित बैठा। उसकी बग़ल में जय और फिर डॉली बैठी। डॉली के बग़ल में एक कुर्सी ख़ाली थी।
राज: अमित थोड़ा सा ड्रिंक चलेगा?

अमित: यार परिवार के साथ अटपटा लगता है।

राज: अरे इसने अटपटा की क्या बात है? सब अपने ही तो हैं। बोलो रश्मि, अगर हम पिएँ तो तुमको कोई आपत्ती है क्या?

रश्मि: मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। जय से पूछ लीजिए।

जय: पापा जी लीजिए ना जो लेना है। और उसने वेटर को आवाज़ दी।

राज ने उसे दो पेग व्हिस्की लाने को कहा। फिर उसके जाने के बाद अमित बोला: जय अभी तक लेनी शुरू नहीं की क्या?

जय: ताऊ जी कॉलेज में एक दो बार लिया था। पर आप लोगों के सामने हिचक होती है।

राज: अरे बेटा अब तुम जवान हो गए हो। इसमें हिचकना कैसा? चलो तुम्हारे लिए भी मँगाते हैं। पर बेटा, इसको कभी भी आदत नहीं बनाना। कभी कभी ऐसे अवसरों पर चलता है।

फिर वह रश्मि से बोला: भाभी आप भी वाइन ट्राई करो ना। आजकल बहुत आम बात है लेडीज़ का वाइन पीना।

अमित: हाँ रश्मि ले लो ना वाइन। यह तो सभी औरतें आजकल लेती हैं। बोलो मँगाए क्या?

रश्मि हँसकर : मैंने तो आज तक कभी ली नहीं है। मेरे दामाद जी बोलेंगे तो लूँगी नहीं तो नहीं लूँगी।

जय हँसकर: मम्मी जी आप भी ट्राई करिए ना।फिर डॉली से बोला: डॉली तुम भी लो ना थोड़ी सी वाइन।

डॉली: ना बाबा , मुझे नहीं लेना है। मम्मी को लेना है तो ले लें।

राज ने वाइन भी मँगा ली। डॉली के लिए कोक मँगाया।

अब सबने चियर्स किया और पीने लगे। रश्मि: ये तो बहुत स्वाद है। डॉली तू भी एक सिप ले के देख।

डॉली ने थोड़ी देर विरोध किया पर जब जय भी बोला: अरे क्या हर्ज है एक सिप तो ले लो। तो वो मना नहीं कर पाई और मम्मी की वाइन के ग्लास से एक सिप ली।

रश्मि: कैसी लगी?
डॉली: अच्छी है मम्मी। स्वाद तो ठीक है।

फिर क्या था उसी समय राज ने डॉली के लिए भी एक वाइन का ग्लास मँगा लिया। अब सब पीने लगे। क्योंकि रश्मि और डॉली पहली बार पी रहे थे जल्दी ही उनको नशा सा चढ़ने लगा। सभी जोक्स सुनाने लगे और ख़ूब मस्ती करने लगे। जल्दी ही पीने का दूसरा दौर भी चालू हुआ। डॉली ने मना कर दिया कि और नहीं पियूँगी। पर राज ने उसके लिए भी मँगा लिया।

दूसरे दौर में तो जय को भी चढ़ गयी। अब वो भी बहकने लगा। डॉली ने अपना दूसरा ग्लास नहीं छुआ। बाक़ी सब पीने लगे। अब अडल्ट्स जोक्स भी चालू हो गए और सब मज़े से थोड़ी अश्लील बातें भी करने लगे। डॉली हैरान रह गयी जब जय ने भी एक अश्लील जोक सुनाया।

रश्मि भी अब बहकने लगी थी। राज उसे बार बार छू रहा था और वह भी उसको छू रही थी। जय भी डॉली को छू रहा था। डॉली को बड़ा अजीब लग रहा था। वह बार बार उसकी जाँघ दबा देता था।

तभी खाना लग गया। सब खाना खाने लगे। राज ने रश्मि को एक और वाइन पिला दी जो कि डॉली ने भी पी थी। खाना खाते हुए अचानक राज अपने फ़ोन पर कुछ करने लगा और फिर डॉली के फ़ोन में कोई sms आया । वह चेक की तो पापाजी का ही मेसिज था: बहु, चम्मच गिरा दो और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे देखो ।

डॉली ने राज को देखा तो उसने आँख मार कर नीचे झुकने का इशारा किया। डॉली ने उत्सुकतावश नीचे चम्मच गिराया और उसको उठाने के बहाने से टेबल के नीचे देखी और एकदम से सन्न रह गयी। उसने देखा कि पापा जी की पैंट से उनका लौड़ा बाहर था और मम्मी की मुट्ठी में फ़ंसा हुआ था। अमित ताऊजी का हाथ मम्मी की जाँघ पर था और वह काफ़ी ऊपर तक क़रीब बुर के पास तक अपने हाथ को ले जाकर मम्मी को मस्त कर रहे थे।
मम्मी अपने अंगूठे से मोटे सुपाडे के छेद में अँगूठा फेर रही थी और लौड़े को बड़े प्यार से मूठिया रही थी। छेद के ऊपर एक दो प्रीकम भी चमक रहा था। अचानक मम्मी ने प्रीकम को अंगूठे में लिया और वहाँ से हाथ हटाइ।
उफफफफ क्या हो गया है इन तीनों को? डॉली सीधी हुई और राज ने फिर से आँख मारी। तभी डॉली ने देखा कि रश्मि राज को दिखाकर अपना अँगूठा चूसी और प्रीकम चाट ली। डॉली बहुत हैरान थी मम्मी के व्यवहार पर। फिर उसने रश्मि की चूचियों की ओर इशारा किया जो कि उसके टॉप से आधी नंगी दिख रही थी क्योंकि नशे के सुरूर में उसकी चुन्नी गले में थी। फिर उसने एक sms किया और डॉली ने पढ़ा। लिखा था: जय को देखो , उसकी आँखें अपनी सासु मा की चूचियों पर बार बार जा रही हैं।

डॉली चौंकी और कनख़ियों से जय को देखी और सच में वह बार बार मम्मी की आधी नंगी चूचियों को देखे जा रहा था। उसे बड़ा बुरा लगा। पर वह कुछ बोल नहीं पायी एकदम से। फिर धीरे से वह उसे बोली: क्या कर रहे हो? मम्मी को क्यों घूर रहे हो? छी शर्म नहीं आती।

जय झेंपकर: कुछ भी बोल रही हो? मैं कहाँ घूर रहा हूँ।

डॉली ने टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसके लौड़े को चेक किया तो वो पूरा खड़ा था। वो फुसफुसाई : ये क्या है? आप मेरी मम्मी को गंदी नज़र से देख रहे हो और ये आपका खड़ा हथियार इस बात का सबूत है।

जय: अरे नहीं जान ये तो बस ऐसे ही खड़ा हो गया है। आज रात को मज़ा करने का सोच कर।

डॉली: झूठ मत बोलो चलो घर आज तो आपसे मैं बात ही नहीं करूँगी ।
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Rohit Kapoor
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

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जय उसकी जाँघ दबाकर मुस्कुराया। फिर सबने खाना खाया। और राज ने बिल पे किया और सब उठ गए। सब हल्के नशे में थे। नशा जय और रश्मि को ही ज़्यादा हुआ था। जय ने बहुत दिन बाद पी थी और रश्मि ने पहली बार और वो भी तीन पेग वाइन पी ली थी। डॉली की निगाह पापा जी के पैंट के सामने वाले भाग पर गई और वहाँ अभी भी तंबू बना था। फिर अमित ताऊजी का भी थोड़ा फूला सा ही था वह हिस्सा और जय का भी खड़ा ही था। उफफफ आज इन मर्दों को क्या हो गया है। जय मुश्किल से चल पा रहा था। बाहर आकर अमित बोला: गाड़ी मैं चलाउंगा। जय को तो चढ़ गयी है। जय उसके बग़ल में बैठकर सो गया। पीछे डॉली के बैठने के बाद राज जल्दी से बीच में बैठ गया और रश्मि आख़िर में बैठी।

डॉली समझ गयी की पापा जी अब अपने कमीनेपन पर आ जाएँगे। रात के दस बज चुके थे और अंधेरे का फ़ायदा तो उसने उठाना ही था । वह रश्मि की चूचि के नंगे हिस्से को चूमने लगा। और खुलकर उसे दबाने लगा। उसका दूसरा हाथ डॉली की जाँघ को सहला रहा था । डॉली ने उसे हटाने की कोशिश की तो वो उसकी भी चूचि दबा दिया। डॉली आऽऽऽह कर उठी। रश्मि जो नशे में आँख बंद करके मज़ा ले रही थी , आँख खोलकर पूछी: क्या हुआ बेटी?

डॉली: कुछ नहीं मम्मी। सिर टकरा गया था खिड़की से।

राज मुस्कुराकर फिर से उसकी चूचि दबाया। डॉली फुसफुसाई: आप हाथ हटा लो नहीं तो मैं चिल्ला दूँगी।

राज अपने हाथ को हटाकर उसके गाल को चूमा और फुसफुसाया: बहु कब तक तड़पाओगी ? चलो छोड़ दिया। पर रात को अपनी मम्मी की चुदाई देखने आना। मैं एक खिड़की खुला छोड़ूँगा। देखना कितनी मस्त रँडी की तरह चुदवाएगी हम दोनों से । आओगी ना बहु शशी?

डॉली मुँह घुमाकर बाहर की ओर देखने लगी। उसने कोई जवाब नहीं दिया। फिर अचानक उसने महसूस किया कि उसकी बुर अब काफ़ी गीली हो चुकी थी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो चुके थे। हमेशा की तरह उसे अपने आप पर ग़ुस्सा आया कि वह क्यों इतनी उत्तेजित हो जाती है?
तभी घर आ गया। और सब घर में पहुँचे। डॉली ने देखा कि अब सिर्फ़ पापा जी का ही तंबू तना था बाक़ी शांत हो चुके थे। जय अपने कमरे में आया और अपने कपड़े उतारकर सो गया। जल्दी ही वह नशे के कारण सो गया। डॉली ने भी अपने कपड़े बदले और नायटी पहनी और नीचे आदतन पैंटी और पेटिकोट भी नहीं पहनी। वह बाहर आके किचन में पानी लेने गयी। तभी रश्मि भी नायटी में आयी और डॉली अपनी मम्मी को देखती ही रह गयी । उसके निपल्ज़ सिल्क नायटी से खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे। वह नीचे भी कुछ नहीं पहनी थी।
डॉली: मम्मी आपने ब्रा उतार दी है क्या?

रश्मि: हाँ बेटी मैं आजकल नायटी के नीचे कुछ नहीं पहनती। अब सोना ही तो है, पानी लेने आयी थी।

डॉली सोची कि कितना सफ़ेद झूठ बोल रही है। अभी पापा जी और अमित से चुदेंगी ये रात भर। और क्या सती सावित्री बन रहीं हैं।

फिर दोनों अपने अपने कमरों में चली गयीं।

डॉली अपने कमरे में आकर जय को देखी तो वो नशे के मारे सो रहा था। वह सोचने लगी कि आज तो मम्मी की ज़ोर की बैंड बजने वाली है। पापा जी और ताऊ जी तो आज उनकी ज़बरदस्त चुदाई करेंगे। नशा तो उसने भी पहली बार किया था इसलिए वो भी थोड़ी सी भ्रम की स्तिथि में थी।उसे याद आया कि कैसे पापा जी का लंड मम्मी मूठिया रही थी और बाद में प्रीकम भी चाट लीं। उसकी बुर उन दृश्यों को याद करके पनियाने लगी।
वह फिर से जय को देखी और अचानक उसकी बुर की खुजली उसके दिमाग़ पर हावी हो गयी और वह उठ खड़ी हुई और उसने मम्मी की चुदाई को देखने का निश्चय किया। पापा जी ने उसे कहा ही था कि वो एक खिड़की खुली रखेंगे ताकि वह अपनी मम्मी की चुदाई देख सके। वह बाहर की ओर जाने को निकली फिर रुक गयी और अपनी खिड़की से चुपचाप रश्मि के कमरे के दरवाज़े को देखने लगी।

उधर रश्मि पानी पीकर एक बोतल और लेकर अपने कमरे में गयी। वह बाथरूम से फ़्रेश होकर बाहर आइ। उसने बाथरूम में अपनी बुर और गाँड़ का हिस्सा ज़रा ज़्यादा ही अच्छी तरह से साफ़ किया क्योंकि उसे पता था ये मर्द आज पागल होकर उसकी चुसाई और चुदाई करेंगे। नशे की हालत में वह और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी। उसने अपनी गीली हुई जा रही बुर को तौलिए से फिर से साफ़ किया।
तभी फ़ोन पर राज का sms आया: जान आ जाओ, हम दोनों नंगे पड़े हुए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। वह मुस्कुराई और फिर वह चुपके से बाहर आयी और जय के कमरे की ओर झाँकी। कोई हलचल ना देख कर वह चुपचाप राज के कमरे में जाकर घुस गयी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर ली।

डॉली ने उसे चोरों की तरह पापा जी के कमरे में जाते देखा और ख़ुद भी उसके पीछे वह पापा के कमरे की खिड़की की तरफ़ गयी। पापा ने अपना वादा निभाया था, खिड़की का एक पट खुला था और उसपर पर्दा लगा था। उसने हल्के से पर्दा हटाया और अंदर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ऐसे दृश्य की उसने कल्पना भी नहीं की थी। अंदर पापा और ताऊ पूरे नंगे लेटे हुए थे और अपने अपने लौड़े सहला रहे थे जो पूरे खड़े थे। मम्मी उनके सामने सिर्फ़ एक नायटी में अपना बदन मटक कर कमरे में चल कर दिखा रही थी। उसके दूध और गाँड़ बुरी तरह हिल रहे थे। तभी पापा ने मोबाइल में एक अश्लील भोजपुरी गाना लगा दिया और मम्मी को नाचने को कहा।

मम्मी अश्लील तरीक़े से अपनी छातियाँ और कुल्हे मटका कर नाचने लगी। तभी पापा बोले: अरे यार नायटी उतार कर नाचो ना। हम भी तो नंगे पड़े हैं। मम्मी मुस्करायी और अपनी नायटी उतार दी और पूरी नंगी होकर किसी रँडी की तरह अपनी छातियाँ उछालकर नाचने लगी। उफफफ क्या घटिया दृश्य था। डॉली का मन वित्रिश्ना से भर गया। पापा बोले: जान गाँड़ मटका कर दिखाओ ना। वह उनके सामने आकर चूतड़ मटका कर नाचने लगी। फिर पापा बोले: ज़रा झुक कर अपनी बुर और गाँड़ दिखाओ ना जानू।

मम्मी आगे को झुकी और अपने चूतरों को ख़ुद ही फैला कर अपनी बुर और गाँड़ दोनों मर्दों को दिखाने लगी। डॉली ने ध्यान से देखा कि मम्मी लड़खड़ा भी रही थीं। ओह इसका मतलब है कि ये शायद वाइन का ही असर है कि वो इस तरह की हरकत कर रही हैं। तभी पापा ने अपना लौड़ा हिलाते हुए कहा: आओ जान चूसो हम दोनों का लौड़ा। आओ।

डॉली ने देखा कि मम्मी थोड़ा सा झूमते हुए बिस्तर पर बैठी और राज का लौड़ा पहले पकड़कर प्यार से सहलाई और फिर जीभ से सुपाडे को चाटी और फिर मुँह खोलकर चूसने लगी। फिर अमित का लौड़ा भी चाटने लगी। अब बारी बारी से दोनों के लौड़े और बॉल्ज़ चाट और चूस कर दोनों मर्दों को मस्त करने लगी।
राज उठ कर बैठा और उसके हाथ उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबा रहे थे। फिर राज ने कहा: जानू, आओ ६९ की पोजिसन में आ जाओ।यह कहते हुए वह फिर से लेट गया। अब रश्मि अपनी जाँघों को फैलाकर अपनी बुर राज के मुँह पर रखी और राज
उसे चाटने लगा और जीभ से चोदने लगा। रश्मि भी उसके लौड़े को चूसने लगी। डॉली ने देखा कि वह अब डीप थ्रोट दे रही थी।डॉली सोची कि जय भी कई बार उसे डीप थ्रोट के लिए बोलता है पर वह तो कर ही नहीं पाती क्योंकि उसकी साँस ही रुक जाती है । और यहाँ मम्मी कितने आराम से और मज़े से पापा जी को डीप थ्रोट दे रही हैं। तभी मम्मी की उइइइइइइ माऽऽऽऽऽ निकलने लगी, लगता है पापा उनके clit को छेड़ रहे हैं जीभ से। जय भी ऐसे ही उसकी चीख़ निकाल देता है। उसका अपना हाथ अपनी बुर के ऊपर चला गया और वह वहीं कपड़े के ऊपर से अपनी बुर को सहलाने लगी ऊँगली डालके।

उधर ताऊजी भी अब मम्मी की छातियाँ मसल रहे थे ।मम्मी उनका लौड़ा भी सहलाने लगी। अब राज बोला: जानू चलो अब चढ़ो मेरे ऊपर और मेरा लौड़ा अंदर करो । फिर अमित से बोला: क्या भाई तुम गाँड़ मारोगे या मुँह में दोगे इसको।

अमित: गाँड़ ही मार लेता हूँ। यह कह कर वह तेल की शीशी लेकर अपने लौड़े पर लगाने लगा। तब तक रश्मि अपनी बुर राज के लौड़े पर रख कर उसको अंदर करने लगी थी। जल्दी ही वो अपने चूतड़ उछालकर चुदवाने लगी। तभी अमित आया और उसके हिलते चूतरों को दबाने लगा। राज ने रश्मि को रुकने को कहा: रुको जानू, अमित आप गाँड़ में तेल लगाओ और डालो अपना लौड़ा अंदर। अमित ने दो ऊँगली में तेल लिया और उसकी गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगे। डॉली ने देखा कि मम्मी आराम से गाँड़ में दो उँगलियाँ डलवा रहीं थीं। फिर अपने तेल लगे लौड़ेको अमित ने उसके गाँड़ के छेड़ पर लगाया और दो धक्कों में पूरा अंदर कर दिया मम्मी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर मस्त हो कर अपने चूतड़ उछालने लगी। अब कमरा फ़च फ़च और ठप्प ठप्प और पलंग की चूँ चूँ की आवाज़ों से गूँजने लगा। मम्मी आऽऽऽह और हाय्य्य्य्य्य कहकर चुदवा रही थी और डबल चुदाई का मज़ा ले रही थी।डॉली ने अब अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर में दो ऊँगली डाल ली थी और उनको बुरी तरह से हिला रही थी। उधर मम्मी की चीख़ें बढ़ने लगीं और वह जल्दी ही आऽऽऽंह्ह्ह्ह्ह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और अमित भी अब अपनी गाँड़ ज़ोर ज़ोर से हिलाकर धक्का मारने लगा और हम्म कहकर झड़ने लगा। राज भी नीचे से धक्के मारने लगा और वह भी आऽऽआह कहकर झड़ गया। यह देखकर अब शायद डॉली की बुर पानी छोड़ने को तैयार थी। वह अब अपनी बुर के clit को सहलाने लगी और अपनी चीख़ दबाकर झड़ने लगी। तभी शायद उसके बदन के हिलने के कारण पर्दा हिला और राज की आँख खिड़की की तरफ़ गयी और उसकी आँख डॉली की आँख से मिली और वह मुस्कुराया और झड़ कर पास में करवट में पड़ी रश्मि की मोटी गाँड़ दबा दिया।डॉली शर्मा कर वहाँ से भाग कर वापस अपने कमरे में आयी।

जय अभी भी सो रहा था। उसने लम्बी साँस ली और चुपचाप लेट गयी और उसकी आँखों के सामने उसी चुदाई के दृश्य घूम रहे थे। उसने मम्मी की आँखों में एक अजीब सी संतुष्टि देखी थी। क्या इस तरह से चुदवाने में सच में इतना मज़ा आता है। वो तो हमेशा से यही मानती है कि हम जिसे प्यार करते हैं उसके साथ ही चुदाई में सुख मिलेगा। पर यहाँ तो उलटा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि परपुरुष के साथ ज़्यादा मज़ा है। वह लेटी हुई सोची कि अब तक तो मम्मी की दूसरे राउंड की चुदाई भी चालू हो चुकी होगी। पापा जी ने उसे चुदाई देखते हुए देख लिया है और इस बात का वो ज़रूर फ़ायदा उठाएँगे। तभी उसकी इच्छा हुई कि एक बार और देखे कि वो अब क्या कर रहे हैं? पर पापा जी तो खिड़की की तरफ़ देखेंगे ही ये जानने के लिए कि वो वहाँ खड़ी है या नहीं? उफफफ वो क्या करे? मन कह रहा है कि एक बार और देखना चाहिए। फिर वह उठी और धीरे से खिड़की के पास पहुँची और धीरे से पर्दा हटाकर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। पापा नीचे लेटे थे और मम्मी उनके ऊपर पीठ के बल अपने हाथों के सहारे आधी लेटी थीं और उनकी जाँघें फैली हुई थीं। उनके चूतड़ पापा के मुँह पर थे। पापा उनके चूतड़ फैलाकर गाँड़ चाट रहे थे। मम्मी की बुर पूरी खुली हुई साफ़ दिखाई दे रही थी जो कि नमी के कारण चमक रही थी।ताऊ जी अपना लौड़ा सहला कर उनकी चूचियाँ चूस रही थे। फिर वो भी आकर अपना मुँह उनकी बुर में घुसेड़कर उसे चूसने लगे। मम्मी इस दुगने हमले से उइइइइइइइ कर उठीं। अब वह ताऊ जी का सर अपनी बुर में दबाने लगीं।

डॉली ने मम्मी का मुँह ध्यान से देखा । उनकी आँखें अत्याधिक मज़े से बंद थीं और वो आऽऽऽऽऽह बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽ है आऽऽहहहह हाय्य्य्य्य्य्य । और चूसोओओओओओओओ चिल्लाए जा रही थी।
फिर राज अपना मुँह गाँड़ से हटा कर बोला: चलो अब चुदाई करते हैं। डॉली ने देखा कि पापा ने मम्मी को करवट लिटाया और ख़ुद उनके पीछे चला गया और अपने हाथों से उनके मोटे चूतरों को दबाने लगा और फिर अपने लौड़े पर तेल चुपड़कर उसकी गाँड़ में पेल दिया। ताऊ भी उसके सामने लेट गया और उसकी चूचियाँ चूसते हुए उसकी बुर में अपना लौड़ा डालकर चुदाई में लग गया। अब फिर से मम्मी की सिसकारियाँ गूँजने लगी। मम्मी ने एक टाँग हवा में उठायी हुई थी और आराम से कमर हिला कर दोनों छेदों में लौड़े घुसवा कर मज़े से भरी जा रहीं थीं।और फिर हाऽऽऽऽऽऽय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ आऽऽऽऽऽऽऽहहह । वगेरह चिल्लायीं जा रहीं थीं। मम्मी के हाथ ताऊ के पीठ पर थे और वह उसे सहलाते हुए अब उसकी चूतरों तक ले आइ थीं और उसके चूतरों को ज़ोर से दबा रहीं थीं मानो कह रही हो और अंदर तक डालो। ताऊ और पापा के चूतड़ किसी पिस्टन के माफ़िक़ चल रहे थे और वो भी ह्म्म्म्म्म आऽऽह कर रहे थे। पूरा कमरा चुदाई की आवाज़ों से गूँजने लगा था । और डॉली ने एक बार फिर से अपनी नायटी उठाई और अपना हाथ एक बार फिर से अपनी बुर में डाल दिया था। उसे याद आया कि चुदाई के दौरान कभी कभी जय भी उसकी गाँड़ में ऊँगली करता है। वो हमेशा उसकी ऊँगली वहाँ से हटाकर अपनी चूचियों पर रख देती थी।आज ना जाने उसे क्या हुआ कि वो अपनी गाँड़ में एक ऊँगली ख़ुद ही डाली और आगे पीछे करने लगी।
उसने अँगूठा बुर में और एक ऊँगली गाँड़ में डाल दी और उनको हिलाने लगी।

चुदाई करते हुए राज ने अपना सिर उठाया और खिड़की की तरफ़ देखा और उसकी आँखें फिर से डॉली की आँखों से टकरा गयीं। वह मुस्कुराया और हाथ भी हिलाया। डॉली के तो शर्म के मारे पसीना निकल गया और वह फिर से भाग कर वापस अपने कमरे में आ गयी। अब डॉली के शरीर में आग लगी हुई थी। उसने देखा कि जय अभी भी आराम से सो रहा है। उसने जय को हिलाया और उठाया। जय उठकर बोला: क्या हुआ शशी क्या बात है?

डॉली ने कहा: मुझे नींद नहीं आ रही है। आप तो सोए ही जा रहे हो। यह कहते हुए उसने नायटी के ऊपर से अपनी बुर को खुजा दी। जय मुस्कुराया और बोला: ओह बुर खुजा रही है? आओ शशी अभी शांत कर देता हूँ ।

डॉली: आपने ऐसी आदत डाल दी है कि बिना करवाए नींद नहीं आती है। चलो कपड़े उतारो। मैं भी उतारती हूँ। ये कहते हुए इसने नायटी उतार दी और फिर ब्रा खोलकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। जब वह बाहर आयी तो जय भी पूरा नंगा खड़ा था और वह भी बाथरूम में घुसकर फ़्रेश होकर वापस आया।

डॉली ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगी । वह भी मज़े से उसकी चूचियाँ दबाकर मस्त होने लगा। फिर डॉली उसकी छाती को चूमते हुए उसके पेट को चुमी और फिर वह उसके नाभि में जीभ डालकर उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर नीचे जाकर वह उसके लौंडे को चूसने लगी। उसका लौड़ा अब पूरी तरह से तन गया था। डॉली अब उसके लौड़े पर वैसे ही अपनी बुर रख कर बैठी जैसे मम्मी पापाजी के लौड़े पर बैठी थी। अब वह अपनी कमर उछाल कर चुदवाने लगी। जय भी उसकी हिलती हुई चूचियाँ दबाने लगा।

अचानक डॉली ने अपना हाथ जय के हाथ पर रखा जो कि उसकी छाती पर था। फिर वह बोली : जय, आज मेरे पीछे ऊँगली करो ना। जैसे पहले कभी कभी करते थे।

जय: पर तुम तो हमेशा मेरा हाथ वहाँ से हटा देती थी तो आज क्या हो गया?

डॉली: हाँ पर आज मेरी इच्छा हो रही है। करो ना। लाओ मैं आपकी ऊँगली गीली कर देती हूँ। यह कहकर डॉली ने जय की एक ऊँगली मुँह में लेकर चूसी और उसमें थूक लगा दी ।
जय अब उसकी गाँड़ ने उस उँगली को अंदर डाल दिया। डॉली की चीख़ निकल गयी। वह बोली: उइइइइइ माँ जलन हो रही है।

जय ऊँगली निकाल कर बोला: वो तेल उठाना ज़रा। डॉली ने उसे चुदाई करते हुए तेल पकड़ा दिया। अब जय अपने ऊँगली में तेल लगाया और फिर से उसकी गाँड़ में ऊँगली डाला। अबके डॉली हाऽऽऽय्य कर उठी। इसमें सच में बहुत मज़ा आ रहा था। वह बोली: उफ़्फ़ बहुत मज़ा आ रहा है। आप ऐसे ही ऊँगली करते रहिए। अब वह और ज़ोर ज़ोर से अपनी गाँड़ हिलाकर चुदवाने लगी। जल्दी ही वह लम्बे धक्के मारने लगी। नीचे से जय भी अपनी कमर उछालकर उसकी बुर में लौड़ा जड़ तक पेल रहा था। फिर दोनों आऽऽऽहहह करके झड़ने लगे और एक दूसरे से चिपक गए।

जय ने उसकी गाँड़ से ऊँगली निकाली और उसे सूँघने लगा और बोला: उफ़्फ़ क्या मस्त गंध है तेरी गाँड़ की।

डॉली ने उसको एक चपत मारी और कहा: छी कुछ भी करते है आप। जाओ हाथ धो के आओ।

जय हँसते हुए बाथरूम चला गया। डॉली वहीं नंगी लेटी हुई पिछले कुछ घण्टों में आए ख़ुद के बदलाव के बारे में सोचने लगी। उसने अपनी टाँग उठाई और अपनी बुर और गाँड़ पर हाथ फेरकर सोची कि सच में मुझे कुछ होने लगा है। जय बाथरूम से बाहर आया तो वो भी फ़्रेश होकर वापस आइ और जय के साथ नंगी ही लिपट कर सोने लगी।

तभी पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो जय को बोली: वो आपका ख़ास दोस्त असलम आजकल आपसे बात करता है क्या?

जय चौंक कर बोला: अरे आज उसकी कैसे याद आ गयी? हाँ करता है बल्कि वह तो तुमको मिलने की भी बात करता है। वह तो हम दोनों को खाने पर भी बुला रहा है।

डॉली: खाने पर जाएँगे तो वह बीवियों की अदला बदली की बात तो नहीं करेगा?

जय: करना तो नहीं चाहिए। पर अगर वह तुमको पसंद आ गया तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा। वो हँसने लगा।

डॉली: आपको भला क्यों ऐतराज़ होगा। आपको भी तो काजल मिल जाएगी मज़े करने के लिए।

फिर दोनों हँसने लगे और एक दूसरे को चूम कर सोने की कोशिश करने लगे। जय सोच रहा था कि डॉली में अचानक आए इस परिवर्तन की वजह क्या है? आज वो गाँड़ में ऊँगली डलवायी और अब असलम की बात , वो भी इस समय? कुछ तो बात है। वो सोचते हुए सो गया। डॉली भी सोच रही थी कि उसे अचानक से आज असलम क्यों याद आ गया? वो तो कभी भी दूसरे मर्द से चुदवाने का कभी सोची ही नहीं। यह सब सोचते हुए वह भी सो गयी।

समाप्त |
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