बहू की चूत ससुर का लौडा complete

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Rohit Kapoor
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

Post by Rohit Kapoor »

सूबेदार बोलता चला गया: यार, अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो आज रात ही रचना को भी बिस्तर पर खींच लाएँगे। फिर चारों मज़े से सामूहिक चुदाई करेंगे। क्या कहते हो?

राज: मुझे समझ नहीं आ रहा है कुछ भी। वो अमिता की बुर और गाँड़ की फ़ोटो दिखाओ ना।

सूबेदार: कहा ना फ़ोटो क्या दिखाना है, अभी उसे बुलाता हूँ और जो देखना होगा सब देख लेना साली का।

यह कहकर उसने बाहर आकर अमिता को आवाज़ दी। राज ने देखा कि सूबेदार की पैंट में भी तंबू बना हुआ है।

अमिता रचना से बोली: मैं अभी आइ, पापा बुला रहे हैं।

वह उठकर राज के कमरे में आइ और दरवाज़े के पीछे खड़े सूबेदार ने दरवाज़ा बंद कर दिया। अब सूबेदार आकर राज के साथ बिस्तर पर बैठ गया। अमिता सामने खड़ी हो गयी थी।

उधर रचना सोची कि ऐसी क्या बात है जिसके लिए अमिता को बुलाया है। वो जाकर खिड़की से परदा हटाकर झाँकी और उसका मुँह खुला रह गया।

अंदर सूबेदार अमिता के गाल सहलाकर बोला: अमिता, राज का तुम पर दिल आ गया है। वो तुम्हारी बुर और गाँड़ देखना चाहता है। दिखा दो ज़रा। अपनी पैंटी नीचे करो।

अमिता शर्मा कर बोली: क्या पापा छी मुझे शर्म आ रही है।

सूबेदार: अरे मेरी रँडी बेटी, जैसा कह रहा हूँ करो, पैंटी नीचे करो।

अमिता ने चुपचाप पैंटी घुटनो तक नीचे कर दी। अब सूबेदार ने उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी और रचना के आँखों के सामने उसके मोटे गोल चूतड़ थे। राज की आँखें उसकी बुर पर टिकी थी।

सूबेदार: बोलो मस्त फूलि हुई है ना इसकी बुर ?

राज: हाँ यार बहुत सुंदर है। फिर वह हाथ बढ़ाकर उसकी बुर को सहलाने लगा। अनिता हाऽऽऽय्य कर उठी।

राज: सच में यार मस्त चिकनी बुर है चोदने में बहुत मज़ा आएगा। फिर वह उसको सहलाया और दो ऊँगली अंदर डालकर बोला: आह मस्त टाइट बुर है। अब वो उँगलियाँ निकाल कर चाटने लगा।

सूबेदार: चल साली रँडी अब पलट कर अपनी गाँड़ दिखा।

अमिता चुपचाप पलट गयी। अब रचना के सामने उसकी नंगी बुर थी। उधर राज उसके मस्त गोल गोल चूतरों को सहला रहा था। तभी सूबेदार बोला: अमिता अपनी गाँड़ दिखाओ अंकल को , वो बहुत मस्ती से तुम्हारी गाँड़ मार कर तुमको मज़ा देंगे।

यह सुनकर अमिता ने अपने दोनो चूतरों को फ़ैलाया और राज उसकी गाँड़ के खुले छेद को देखकर समझ गया कि वह अक्सर गाँड़ मरवाती है। अब राज ने उसकी गाँड़ सहलायी और उसमें एक ऊँगली डाला और अंदर बाहर किया। तभी सूबेदार ने उसकी बुर को दबाना शुरू किया। अब अमिता आऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर बोली: अभी छोड़िए ना, रचना, जय और डॉली घर में हैं। बाद में रात को कर लीजिएगा।

अब दोनों ने उसे छोड़ दिया पर सूबेदार बोला: बस एक बार आगे झुक कर अपनी बुर और गाँड़ की छवि तो दिखा दो अंकल को।

वह मुस्कुरा कर आगे झुकी और दोनों अधेड़ मर्द उसकी नंगी जवानी जा हुस्न देखकर मस्ती से अपने लौड़े मसलने लगे। फिर वह उठकर अपनी पैंटी ऊपर की और स्कर्ट नीचे करके कमरे से बाहर आने के पहले अपना हाथ बढ़ाकर एक एक हाथ में दोनों के लौड़ों को पैंट के ऊपर से दबा दी और बोली: रात को मज़ा करेंगे।

रचना भी भागकर अपने कमरे में आयी और बाथरूम में घुस गयी। पिशाब करके उसने अपनी वासना को क़ाबू में किया और वापस कमरे में आयी तो अनिता वहाँ बैठकर टी वी देख रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। रचना के दिमाग़ में एक बात ही चल रही थी कि उसके पापा ने सूबेदार की रचना के बारे में की गई गंदी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही उसे ऐसी बात करने से टोका। इसका मतलब वो भी यही चाहते हैं कि मैं उनके दोस्त से चुदवाऊँ!! हे भगवान , ये सब क्या हो रहा है? वो आज तक अपने पति के अलावा किसी और से नहीं चुदी थी। यहाँ उसके पापा के दोस्त और क्या पता पापा भी उसको चोदने के चक्कर में है।

रचना का सिर घूमने लगा कि ये उसकी ज़िंदगी में कैसा मोड आने वाला है। क्या वो इसके लिए तैयार है ? पता नहीं आज की रात कैसे बीतेगी और उसकी ज़िंदगी में कैसा तूफ़ान आएगा?
शाम के नाश्ते के बाद जय और डॉली एयरपोर्ट के लिए चले गए। राज ने शशी को छुट्टी दे दी और डिनर बाहर एक रेस्तराँ में करने का प्लान बनाया। सब तैयार होकर एक रेस्तराँ के लिए निकले। रचना भी अब अमिता की तरह स्कर्ट और टॉप में ही थी। दोनों की मस्त गोरी जाँघें बहुत मादक दिख रही थीं। कार में दोनों मर्द आगे बैठे और लड़कियाँ पीछे बैठीं।

रेस्तराँ में राज और अमिता अग़ल बग़ल एक सोफ़े पर बैठे और रचना के साथ सूबेदार बैठ गया। हल्का अँधेरा सा था हॉल में और सॉफ़्ट म्यूज़िक भी बज रहा था। कुछ जोड़े डान्स फ़्लोर पर नाच भी रहे थे। राज ने अपने लिए और सूबेदार के लिए विस्की ऑर्डर की और लड़कियों को पूछा किक्या लेंगी।

सूबेदार: वाइन लेंगी और क्या लेंगी? ठीक है ना रचना?

रचना मुस्कुरा दी: ठीक है अंकल ले लूँगी। अमिता क्या लेगी?

सूबेदार: अरे वो तो विस्की भी ले लेती है पर अभी वाइन से ही शुरुआत करेगी।

फिर जैसे जैसे शराब अंदर जाने लगी, माहोल रोमांटिक होने लगा। राज का हाथ अमिता की नंगी जाँघों पर था और वह उसकी स्कर्ट को ऊपर करके सहलाए जा रहा था। अब सूबेदार रचना को बोला: बेटी, अब तुम बड़ी हो गयी हो, विस्की का भी मज़ा लो।

रचना भी सुरुर में आ गई थी: ठीक है अंकल दीजिए , मुझे सब चलता है।

जब सूबेदार ने देखा कि रचना थोड़ी सी टुन्न हो रही है तो वह उसको बोला: क्या मैं अपनी प्यारी सी बेटी को डान्स फ़्लोर में चलने को कह सकता हूँ?

रचना: ज़रूर अंकल चलिए ना डान्स करते हैं।
अमेरिकन सभ्यता का असर भी तो था।

अब वो दोनों डान्स करने लगे। अब सूबेदार ने उसकी कमर में हाथ डालके उसको अपने से चिपका लिया। उसके बड़े बड़े बूब्ज़ सूबेदार की छाती से टकरा रहे थे और वह उसके नंगी कमर को सहलाए जा रहा था। थोड़ी देर बाद सूबेदार ने उसके निचले हिस्से को भी अपने निचले हिस्से से चिपका लिया और रचना को उसके खड़े लौड़े का अहसास अपने पेट के निचले हिस्से पर होने लगा। वो अब ख़ुद भी उसकी मर्दानी गंध से जैसे मदहोश सी होने लगी। तभी सूबेदार ने उसकी बाँह उठाकर नाचते हुए उसकी बग़ल में नाक घुसेड़ दी और उसकी गंध से मस्त होकर बोला: बेटी, तुम्हारे बदन की ख़ुशबू बहुत मादक है।

रचना शर्मा कर: अंकल क्या कर रहे हैं? कोई देख लेगा?

सूबेदार: बेटी, सब अपनी मस्ती में खोए हुए हैं, किसी को दूसरे की कोई फ़िक्र ही नहीं है। यह कहते हुए उसने रचना को अपने से और ज़ोर से चिपका लिया। फिर वह बोला: बेटी, मुझे तुम्हारे पति से जलन हो रही है।

रचना: वो क्यों?

सूबेदार: क्या क़िस्मत पायी है जो उसे तुम्हारे जैसे बीवी मिली है। क्या मस्त बदन है तुम्हारा। वो तो तुमको छोड़ता ही नहीं होगा ना? दिन रात तुमसे लगा रहता होगा?

रचना मुस्कुरा कर: अंकल शुरू शुरू में तो ऐसा ही था, पर अब हमारी शादी को छे साल हो गए हैं , अब वो बात कहाँ?

सूबेदार: बेटी, तुम्हारी जवानी तो अब निखार पर आइ है। फिर वो उसकी कमर से हाथ ले जाकर उसके चूतड़ को हल्के से सहलाया और बोला: देखो क्या मस्त बदन है अब तुम्हारा । हर जगह के उभार कितने मस्त हैं। और फिर वह उसके चूतड़ दबा दिया।

रचना जानती थी कि अगर उसने अभी सूबेदार को नहीं रोका तो बाद में उसे रोकना नामुमकिन हो जाएगा। पर तभी सूबेदार ने झुक कर उसकी टॉप से बाहर झाँक रही चूचियों पर चुम्बन ले लिया और रचना का रहा सहा विरोध भी ख़त्म हो गया। उसकी बुर गीली होकर चुदाई की डिमांड करने लगी। वैसे भी उसे काफ़ी दिन हो गए थे चुदवाए हुए।
रचना: चलिए अब वापस टेबल पर चलते हैं।

उधर राज और अमिता उनको देखे जा रहे थे। जैसे ही वो दोनों डान्स फ़्लोर पर गए अमिता बोली: अंकल सूबेदार साहब आज आपकी बेटी को पटा के ही छोड़ेंगे।

राज ने उसकी जाँघ सहलाते हुए कहा: अच्छा है ना, अगर उसे सूबेदार पसंद है, तो वह उससे चुदवा ले। इसमें बुराई क्या है?

फिर वह अमिता को बोला: बेटी, तुम बाथरूम जाकर पैंटी उतार कर अपने पर्स में डाल लो। मुझे तुम्हारी बुर में ऊँगली करनी है।
अमिता: अंकल पैंटी को एक तरफ़ कर देती हूँ, आप ऊँगली डाल लीजिए। यह कहकर वो थोड़ी सी उठी और शायद उसने पैंटी को एक तरफ़ को कर दिया। अब राज ने उसकी जाँघों के बीच उँगलिया डाली और वो सीधे बुर के अंदर चली गयीं। अमिता की आऽऽऽह निकल गयी। राज की उँगलियाँ जल्दी ही गीली हो गयीं। वह उनको चाटने लगा। तभी अमिता बोली: देखिए अंकल, सूबेदार के हाथ अब रचना के चूतड़ दबा रहे हैं। और आऽऽऽहहह देखिए वो अब उसकी चूचियाँ चूम रहे हैं।

राज का लौड़ा अब पूरा कड़क हो चुका था और अपनी बेटी को अपने दोस्त के साथ मस्ती करते देख वह बहुत उत्तेजित हो रहा था। फिर जब वो दोनों वापस आए टेबल पर तो सूबेदार के पैंट का टेंट साफ़ दिखाई दे रहा था। टेबल पर बैठ कर वो फिर से पीने लगे। इस बार सूबेदार भी बेशर्म होकर अपने हाथ को उसकी नंगी जाँघों पर फेरने लगा। रचना ने भी बेशर्मी से अपनी जाँघें फैला दी और अब उसकी उँगलियाँ उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से छूने लगी। सूबेदार धीरे से रचना के कान में बोला: बेटी, तुम्हारी पैंटी तो गीली हो रही है । सब ठीक है ना?

वो हँसकर बोली: अंकल सब आपका किया धरा है।

सूबेदार ने अब हिम्मत की और उसका हाथ पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से अपने लौड़े पर रखा और बोला: देखो मेरा भी बुरा हाल है। ये तो तुम्हारा ही किया धरा है।

रचना भी बेशर्मी से उसके लौड़े को सहलायी और उसकी लम्बाई और मोटाई का अहसास करके बोली: आऽऽह आपका तो बहुत बड़ा है अंकल।

सूबेदार: क्यों तुम्हारे पति का छोटा है क्या?

रचना: उनका सामान्य साइज़ का है, पर आपका तो बहुत बड़ा है।

ये कहते हुए वह उसका लौड़ा सहलाए जा रही थी। तभी रचना का फ़ोन बजा। उसके पति का फ़ोन था। रचना: हाय कैसे हो?

वो: ठीक हूँ, तुम्हारी याद आ रही है, अब तो शादी भी हो गयी , अब वापस आ जाओ ना।

रचना नशे में थी और उसके आँखों के सामने उसका सामान्य लौड़ा आ गया। अभी भी उसका एक हाथ सूबेदार के लौड़े पर था। ओह भगवान मैं क्या करूँ? एक तरफ़ इतना मस्त लौड़ा है और दूसरी तरफ़ पति का सामान्य सा लौड़ा। वो सोचने लगी कि अंकल की चुदाई भी मस्त होगी। उसकी बुर अब पूरी तरह से पनिया गयी थी। वो बोली: बस अभी पापा अकेले हैं, जैसे ही जय और डॉली होनिमून से वापस आएँगे मैं भी आ जाऊँगी।
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Rohit Kapoor
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

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राज का लंड अभी अमिता के हाथ में था और वह यह सुनकर बुरी तरह से मचल गया कि अभी रचना बहुत दिन यहाँ रहेगी। वो मस्ती से अपनी उँगलियाँ अमिता की बुर में भी डाला और हिलाने लगा। तभी रचना ने मोबाइल बंद किया और टेबल पर रखने लगी तभी वह नीचे गिर गया। वह उठाने के लिए झुकी और उसकी आँखों के सामने उसके पापा की उँगलियाँ अमिता की बुर में हिल रही थीं और उधर अमिता के हाथ उसके पापा के लौड़े पर चल रहे थे। वह ये देखकर बहुत उत्तेजित हो गयी।
फिर मोबाइल उठाकर वह और ज़ोर से उसका लौड़ा दबाने लगी। उधर सूबेदार भी उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। फिर सूबेदार ने जो अंधेरे में बैठा था अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था। अब अमिता उसके नंगे लौंडे को मसल कर मस्ती से भर उठी थी। उफफफ कितना मोटा कड़ा और गरम लौड़ा है। वो सोची और मज़े से भर उठी।

अब सभी बहुत उत्तेजित हो चुके थे। तभी सूबेदार ने एक एस॰एम॰एस॰ लिखा और राज को भेजा। राज ने एस॰एम॰एस॰ पढ़ा। उसमें लिखा था नीचे झुक कर अपनी बेटी की हरकत देखो।
राज ने अपना रुमाल गिराया और उठाने के बहाने नीचे झुका और देखा कि रचना की बुर में सूबेदार की उँगलियाँ चल रही है और वह सूबेदार का लौड़ा मसल रही है, जिसे सूबेदार ने पैंट से बाहर निकाल रखा था। राज तो जैसे पागल ही हो गया था अपनी बेटी की इस हरकत से।

राज: चलो सबका खाना हो गया क्या ? अब घर चलें? दस बज गए हैं।
फिर उसने बिल पटाया और वो चारों अपने कपड़े ठीक करके बाहर आ गए। कार में अमिता राज के साथ बैठी और पीछे सूबेदार और रचना बैठीं। कार के चलते ही सूबेदार ने रचना का टॉप उठाकर उसकी ब्रा से उसकी एक चूचि बाहर निकाल ली और उसको पहले दबाया और फिर मुँह में लेकर चूसने लगा।

राज ने चूसने की आवाज़ सुनी तो पीछे रीयर व्यू मिरर में देखा और रचना के बड़े दूध सूबेदार के मुँह में देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गया। उसने हाथ बढ़ाकर अमिता के दूध दबाने शुरू किए। पर कोई रीऐक्शन ना देखकर वह उसे देखा तो पाया कि वह लुढ़क गयी है।

राज: अरे अमिता तो सो गयी।

सूबेदार: अरे वह दारू नहीं पचा पाती । अब वो सुबह तक बेहोश रहेगी। अब हमारे पास बस एक यही रचना बची है मज़े लेने के लिए।

राज ने शीशे में देखा और पाया कि अब सूबेदार का लौड़ा फिर से पैंट से बाहर था और रचना अब उसे चूस रही थी। राज को लगा कि उसकी पैंट फट जाएगी , उसका लौड़ा इतना कड़क हो चुका था।

घर पहुँचने के पहले सूबेदार और रचना ने अपने कपड़े ठीक कर लिए थे। अब सूबेदार ने अमिता को गोद में उठाया और लेज़ाकर उसको रचना के बिस्तर पर सुला दिया। फिर वह बाहर आया और ड्रॉइंग रूम में सोफ़े पर बैठा और रचना भी अपना पर्स वगेरह रख कर बाथरूम से वापस आकर सोफ़े में बैठी। तभी राज भी आया और सोफ़े पर बैठ गया। एक अजीब सी ख़ामोशी थी कमरे में।

सूबेदार ने ख़ामोशी तोड़ी और बोला: यार साली अमिता तो टुन्न हो गयी अब रचना का हो सहारा है । क्या बोलते हो?

राज : रचना ने ही फ़ैसला करना है कि वह क्या चाहती है?

रचना: अंकल आप इतनी देर से मुझे तंग कर रहे हो और अब क्या ऐसी ही प्यासी छोड़ दोगे?

सूबेदार: बेटी, मैं तेरे पापा की बात कर रहा हूँ। क्या तुम उससे भी चुदवाओगी?

रचना: पापा तो मरे जा रहे हैं मुझे चोदने को, मुझे सब पता है। मैंने आजतक अपने पति के अलावा किसी से भी किया नहीं है। पर आज बड़ा मन है आप दोनों से करवाने का। कहते हुए वह मुस्कुराते हुए एक ज़बरदस्त अंगड़ाई ली। उसके बड़े कबूतर टॉप में फड़फड़ा उठे।

सूबेदार हँसते हुए बोला: वाह बेटी तुमने तो समस्या ही हल कर दी। और वह उठकर उसके पास आया और उसको अपनी गोद में खींचकर उसके होंठ चूसने लगा। फिर वह राज को बोला: आजा यार अब तेरी बेटी का मज़ा लेते हैं। ये कहते हुए उसने रचना का टॉप उतार दिया और ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। तभी उसने अगला ऐक्शन किया और ब्रा भी निकाल दी। अब उसकी बड़ी चूचियाँ दोनों के सामने थीं। वह एक चूचि चूसते हुए बोला: आजा यार अब चूस अपनी बेटी की चूचि , देख क्या मस्त मलाई है । अब राज नहीं रुक पाया और आकर रचना के बग़ल में बैठा और हाथ बढ़ाकर उसकी चूचि सहलाया और फिर वह भी एक चूचि चूसने लगा। रचना ने नीचे देखा कि कैसे उसके पापा और अंकल उसकी एक एक चूचि चूस रहे थे। वह दोनों के सिर में हाथ फेरने लगी।

दोनों मर्द अब उसकी निपल को अपने होंठों में लेकर हल्के से दाँत से काट भी रहे थे। रचना मज़े से आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह करने लगी। उधर दोनों के हाथ उसके पेट से होकर उसकी जाँघ पर घूम रहे थे। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करने लगी। दोनों की उँगलियाँ उसकी बुर के आसपास घूम रही थीं। वह अब अपनी गीली बुर की असहनीय खुजली को महसूस कर रही थी। तभी राज नीचे आकर उसकी स्कर्ट उतार दिया और अब पैंटी का गीलापन देखकर दोनों मर्द मुस्कुरा उठे। फिर राज ने उसकी पैंटी भी उतार दी । अब उसकी जाँघों को अलग करके उसकी बुर को देखा और मस्ती से उसको चूमने लगा। फिर वह उसे जीभ से चाटने लगे। फिर उसने उसकी कमर को और ऊपर उठाया और अब उसकी सिकुड़ी हुई गाँड़ भी उसके सामने थी । वह उसे भी चूमा और फिर से जीभ से चाटने लगा। रचना पागल सी हो गयी थी। सूबेदार उसकी चूचियों पर हमला किए था और पापा उसकी बुर और गाँड़ पर। वह उइइइइइइइइइ हाऽऽऽयय्य चिल्ला रही थी।
अब सूबेदार खड़े हुआ और पूरा नंगा हो गया।

उसका लौड़ा बहुत कड़ा होकर ऊपर नीचे हो रहा था। वह लौड़ा रचना के मुख के पास लाया और रचना ने बिना देर किए उसे चूसना शुरू कर दिया। तभी राज भी खड़ा हुआ और नंगा होकर अपना लौड़ा रचना के मुँह के पास लाया। वह अब उसका भी लौड़ा चूसने लगी। अब वह बारी बारी से दोनों का लौड़ा चूस रही थी।

सूबेदार: चलो बेटी, बिस्तर पर चलो और डबल चुदाई का मज़ा लो। अमिता तो कई बार इसका मज़ा ले चुकी है।

अब तीनो नंगे ही बिस्तर पर आकर लेटे। रचना पीठ के बल लेटीं थी और दोनों मर्द उसकी चूचि पी रहे थे। उनके हाथ उसकी बुर और जाँघ पर थे। उधर रचना ने भी उनका लौड़ा एक एक हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया था। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मोटे और बड़े लौड़े थे। वह सोची कि आज की चुदाई उसे हमेशा याद रहेगी।

अब राज बोला: बेटी, पिल्ज़ ले रही हो ना? कहीं प्रेग्नन्सी ना हो जाए।

रचना: पापा आज आपको एक बात बतानी है। हमने चार साल फ़ैमिली प्लानिंग की थी। पर पिछल दो साल से हम बच्चे की कोशिश कर रहे हैं, पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है। मैंने अपना चेकअप करवाया है, सब ठीक है। आपका दामाद अपनी जाँच के लिए तैयार नहीं है।

राज: ओह तुमने यह तो कभी बताया नहीं बेटी। उसकी बुर सहलाते हुए वह बोला।

अब सूबेदार और राज अग़ल बग़ल लेट गए और वह उठकर दोनों के लौड़े चूसने लगी। फिर वह उनके बॉल्ज़ को सहलाते हुए और चाटते हुए बोली: आपके इतने बड़े बड़े बॉल्ज़ में बहुत रस होगा । आप दोनों आज ही मुझे प्रेगनेंट कर दोगे , वैसे भी मेरा अन्सेफ़ पिरीयड चल रहा है।

राज: आऽऽह बेटी, ज़रूर आज तुम प्रेगनेंट हो ही जाओगी। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या चूसती हो ह्म्म्म्म्म्म्म।

सूबेदार उठा और नीचे जाकर उसकी बुर और गाँड़ चाटा और बोला: यार तू क्या चोदेगा? बुर या गाँड़?

राज: पहले बुर फिर गाँड़।

सूबेदार: तो फिर चल तू लेट जा और रचना तुम उसके ऊपर आकर लौड़े को अपनी बुर में ले लो। मैं पीछे से गाँड़ मारूँगा। यह कह कर वह ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठाकर लाया और अपने लौड़े पर मलने लगा।

राज के लौड़े पर अपना बुर रखकर रचना बैठी और उसका लौड़ा अपनी बुर में धीरे धीरे अंदर करने लगी। अब वो आऽऽऽऽहहह कहती हुई पूरा लौड़ा अंदर कर ली। अब राज उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ दबाने लगा।सूबेदार ने उसकी गाँड़ में क्रीम लगाकर अपना लौड़ा वहाँ सेट किया और धीरे से पेलने लगा। रचना चिल्लाई: आऽऽऽहहहह दुःख रहा है, अंकल आपका बहुत मोटा है।

सूबेदार: बस बेटी बस, देखो पूरा चला गया तुम्हारी टाइट गाँड़ में। आऽऽहाह मज़ा आ गया। फिर वह धक्के मारने लगा। राज भी नीचे से कमर उठाकर उसकी बुर फाड़ने लगा । रचना इस डबल चुदाई से अब मस्त होने लगी। उसके निपल भी मसलकर लाल कर दिए थे दोनों ने।

अब रचना भी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽऽहहह और चोओओओओओओदो आऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ चिल्लाने लगी।

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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

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दोनों मर्द अब मज़े से चोदने में लग गए। पलंग ज़ोर ज़ोर से हिले जा रहा था और फ़चफ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ भी गूँज रही थी।

अचानक रचना बोली: अंकल आप अपना रस मेरी गाँड़ में नहीं मेरी बुर में ही छोड़ना, मैं आज ही गर्भवती होना चाहती हूँ। आऽऽऽह। हाऽऽऽऽऽय्य।

सूबेदार: ठीक है बेटी, जैसा तुम कहो। और वो और ज़ोर से गाँड़ मारने लगा।

अब राज चिल्लाया: आऽऽऽऽऽऽह बेटी मैं गया। और वो झड़ने लगा। रचना भी पाऽऽऽऽऽपा मैं भी गईइइइइइइइइ। कहकर झड़ गयी। सूबेदार ने अपना लौड़ा बाहर निकाला और चादर से पोंछा और रचना के राज के ऊपर से हटने का इंतज़ार करने लगा। जब रचना उठकर लेटी तो वह उसकी टाँगें उठाकर उसकी बुर में अपना लौड़ा डाल दिया। उसकी बुर राज के वीर्य से भरी हुई थी। अब वह भी दस बारह धक्के लगाकर झड़ने लगा। उसका वीर्य भी रचना की बुर में सामने लगा।

रचना आऽऽहहहह करके लेटी रही और बोली: आऽऽऽहब आप दोनों का कितना रस मेरे अंदर भर गया है। आज तो मैं ज़रूर से प्रेगनेंट हो ही जाऊँगी।

फिर सब फ़्रेश होकर लेट कर चूमा चाटी करने लगे। क़रीब एक घंटे के बाद फिर से चुदाई शुरू हुई, बस इतना फ़र्क़ था कि उसकी गाँड़ में इस बार पापा का और बुर में अंकल का लौड़ा था। लेकिन उनका वीर्य इस बार भी उसकी बुर को ही मिला। बाद में सब नंगे ही लिपट कर सो गए।
अगली सुबह शशी आइ तो तीनों नंगे ही सो रहे थे। रचना ने गाउन पहना और दरवाज़ा खोला। उसके निपल्ज़ गाउन में से झाँक रहे थे क्योंकि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। शशी मुस्कुरा कर बोली: रात में हंगामा हुआ क्या?

रचना: हाँ बहुत हुआ और अभी भी दोनों मर्द नंगे सोए पड़े हैं।

शशी हँसकर किचन में चली गयी और चाय बनाने लगी। रचना कमरे में आकर बोली: आप लोग उठो, शशी चाय लाएगी। कुछ पहन लो।

राज: अरे उससे क्या पर्दा? वो सब जानती है। फिर वह उठकर बाथरूम में घुसा। तभी सूबेदार भी उठ गया। फ़्रेश होकर सब सोफ़े में बैठे चाय पी रहे थे तभी अमिता भी उठ कर आइ और बोली: मुझे क्या हो गया था? मुझे कुछ याद नहीं है।

सब हँसने लगे। राज: तुम तो बेहोश हो गयी इसलिए बिचारि रचना हम दोनों को रात भर झेलती रही।

अमिता: वाह, तब तो रचना को मज़ा ही आ गया होगा।

रचना: मेरी गाँड़ बहुत दुःख रही है। मैंने इतने मोटे कभी नहीं लिए।और इन दोनों के तो साँड़ के जैसे मोटे है!

राज रचना को गोद में खींच कर उसकी गाँड़ को सहला कर बोला: बेटी, दवाई लगा दूँ क्या?

रचना: रहने दीजिए, पहले फाड़ दी और अब दवाई लगाएँगे ?

सूबेदार: अरे बेटी बहुत टाइट गाँड़ थी, लगता था कि उद्घाटन ही कर रहे हैं। लगता है दामाद बाबू का पतला सा हथियार है।

रचना: अंकल आपके सामने तो उनका बहुत पतला है। और सच में मेरी ऐसी ठुकाई कभी नहीं हुई।

राज: मतलब मज़ा आया ना हमारी बेटी को? यह कहते हुए उसने उसकी चूचि दबा दी।

रचना: जी पापा, मज़ा तो बहुत आया।

सूबेदार: यार, तूने अमिता को तो ठोका ही नहीं। दोपहर तक जो करना है कर ले, हम लोग आज वापस जाएँगे।

राज: अरे ऐसी भी क्या जल्दी है। कुछ दिन रुको ना।

सूबेदार: नहीं यार जाना ही होगा। कुछ ज़रूरी काम है।

फिर शशी ने सबको नाश्ता कराया और सूबेदार ने शशी की गाँड़ पर हाथ फेरा और बोला: यार मस्त माल है, पर इसका पेट देखकर लगता है की गर्भ से है।

रचना: पापा ने ही इसको गर्भ दिया है, इसका पति तो किसी काम का है ही नहीं।

सूबेदार: वह भाई ये तो बढ़िया है। रचना, तुम भी रात को ही प्रेगनेंट हो ही गयी होगी। अगर नहीं भी हुई होगी तो अगले ४/५ दिन में तुम्हारे पापा कर ही देंगे।
रचना: भगवान करे ऐसा ही हो।

नाश्ता करने के बाद चारों कमरे में घुस गए और इस बार अमिता को राज ने और रचना को सूबेदार ने चोदा। रचना के कहने पर राज ने भी अपना रस रचना की ही बुर में छोड़ा।
दोपहर का खाना खा कर सूबेदार और अमिता चले गए। अब राज और रचना ही थे घर पर। शशी भी चली गयी थी।

अकेले में रचना ने अपने कपड़े उतारे और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गयी। राज हैरान हुआ, पर वह भी नंगा होकर उसके बग़ल में लेट गया। अब रचना राज से लिपट गयी और बोली: पापा, मैं माँ बन जाऊँगी ना?

राज उसे चूमते हुए बोला: हाँ बेटी, ज़रूर बनोगी। पर तुमको जल्दी से जल्दी दामाद बाबू से चुदवाना होगा वरना वह शक करेगा और बच्चे को नहीं अपनाएगा।

रचना: पापा, जय और डॉली ४/५ दिन में आ जाएँगे। तब मैं चली जाऊँगी अमेरिका और उससे चुदवा लूँगी । बस आप मुझे रोज़ २/३ बार चोद दीजिए ताकि मेरे गर्भ ठहरने में कोई शक ना रहे। मुझे बच्चा चाहिए हर हाल में।

राज उसके कमर को सहला कर बोला: बेटी, तुम्हारी इच्छा भगवान और मैं मिलकर ज़रूर पूरी करेंगे। फिर वह उसकी बुर सहलाने लगा। जल्दी ही वो उसकी चूची चूसने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ कर मज़े से उसे चोदने लगा। वह भी अपनी टाँगें उठाकर उसका लौड़ा अंदर तक महसूस करने लगी। लम्बी चुदाई के बाद वह उसकी बुर में गहराई तक झड़ने लगा। रचना भी अपनी बुर और बच्चेदानी में उसके वीर्य के अहसास से जैसे भर गयी थी।

अब यह रोज़ का काम था । शशी के सामने भी चुदाई होती और वह भी मज़े से उनकी चुदाई देखती। शशी लौड़ा चूसकर ही ख़ुश रहती थी। इसी तरह दिन बीते और जय और डॉली भी आ गए। रचना सबसे मिलकर अमेरिका के लिए चली गयी।

आज घर में सिर्फ़ राज, जय और डॉली ही रह गए। शशी का पेट काफ़ी फूल गया था। वह अपने समय से काम पर आती थी।

अगले दिन सुबह राज उठकर सैर पर गया और जब वापस आया तो शशी आ चुकी थी। वह चाय माँगा और तभी वह चौंक गया। डॉली ने आकर उसके पैर छुए और गुड मॉर्निंग बोली और चाय की प्याली राज को दी। राज ने देखा कि वह नहा चुकी थी और साड़ी में पूरी तरह से ढकी हुई थी। उसने उसे आशीर्वाद दिया। चाय पीते हुए वो सोचने लगा कि डॉली के रहते उसे शशी के साथ मज़ा करने में थोड़ी दिक़्क़त तो होगी। वैसे भी वह आजकल सिर्फ़ लौड़ा चूसती थी, चुदाई बंद की हुई थी, डॉक्टर के कहे अनुसार। पता नहीं उसका क्या होने वाला है।

वह जब नहा कर आया तो जय भी उठकर तैयार हो चुका था। डॉली ने नाश्ता लगाया और सबने नाश्ता किया। शशी ने डॉली की मदद की। थोड़ी देर में जय अपने कमरे में गया और डॉली भी उसके पीछे पीछे गयी। फिर वह डॉली को अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा और वह भी उससे लिपट गयी।

डॉली: खाना खाने आओगे ना?

जय: अभी तक तो कभी नहीं आया। पापा से पूछ लूँ?

डॉली: नहीं नहीं, रहने दो। मैं खाना भिजवा दूँगी, आप नौकर भेज दीजिएगा।
जय उसको बहुत प्यार किया और फिर बाई कहकर चला गया।

डॉली ने घर की सफ़ाई शुरू की और शशी से सब समझने लगी। इस चक्कर में शशी भी राज से मिल नहीं पा रही थी ।
तभी राज ने आवाज़ लगायी अपने कमरे से : शशी आओ और यहाँ को सफ़ाई कर दो।

शशी : जी आती हूँ। ये कहकर वह झाड़ू ले जाकर उसके कमरे ने चली गयी।
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Rohit Kapoor
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

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राज ने उसको पकड़ लिया और उसको चूमते हुए बोला: बहुत तरसा रही हो। फिर उसकी चूचि दबाते हुए बोला : अब तो तेरी चूचियाँ बड़ी हो रही हैं। अब इनमे दूध आएगा ना बच्चा होने के बाद। मुझे भी पिलाओगी ना दूध?

शशी हँसकर बोली: अरे आपको तो पिलाऊँगी ही। आपका ही तो बेटा होगा ना।

अब राज बिस्तर पर लेटा और बोला: चलो अब चूसो मेरा लौड़ा।

शशी ने उसकी लूँगी खोली और चड्डी नीचे करके लौड़ा चूसना शुरू किया। क़रीब २० मिनट चूसने के बाद वह उसके मुँह में ही झड़ गया।

डॉली शशी का इंतज़ार करते हुए टी वी देखने लगी। शशी जब राज के कमरे से बाहर आयी तो उसका चेहरा लाल हो रहा था। डॉली को थोड़ी हैरानी हुई कि ऐसा क्या हुआ कि उसका चेहरा थोड़ा उत्तेजित सा दिख रहा था। फिर वह शशी के साथ खाना बनाने लगी।
राज के लिए डॉली की दिन भर की उपस्थिति का पहला दिन था। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि शायद वह अब शशी के साथ जब चाहे तब पुराने तरह से मज़े नहीं कर पाएगा।

डॉली भी दिन भर ससुर को घर में देखकर सहज नहीं हो पा रही थी। उसके साथ बात करने को एक शशी ही थी।

शशी जल्दी ही डॉली से घुल मिल गयी और पूछी: भाभी जी हनीमून कैसा रहा? भय्या ने ज़्यादा तंग तो नहीं किया? ये कहकर वो खी खी करके हँसने लगी।

तभी राज पानी लेने आया और उनकी बात सुनकर ठिठक गया और छुपकर उनकी बातें सुनने लगा।

डॉली शर्मा कर: नहीं, वो तो बहुत अच्छें हैं, मेरा पूरा ख़याल रखते हैं, वो मुझे क्यों तंग करेंगे?

शशी: मेरा मतलब बहुत ज़्यादा दर्द तो नहीं दिया आपको ?ये कहते हुए उसने आँख मार दी।

डॉली शर्मा कर बोली: धत्त , कुछ भी बोलती हो। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं , वो मुझे तकलीफ़ में नहीं देख सकते।

शशी: तो क्या आप अभी तक कुँवारी हो? उन्होंने आपको चो– मतलब किया नहीं क्या?

डॉली: धत्त , कुछ भी बोलती हो, सब हुआ हमारे बीच, पर उन्होंने बड़े आराम से किया और थोड़ा सा ही दर्द हुआ।

शशी: ओह फिर ठीक है। मैं जब पहली बार चु- मतलब करवाई थी ना तब बहुत दुखा था। उन्होंने बड़ी बेरहमी से किया था।

डॉली: इसका मतलब आपके पति आपको प्यार नहीं करते तभी तो इतना दुःख दिया था आपको।

शशी: अरे भाभी, मेरा पति क्या दुखाएगा? उसका हथियार है ही पतला सा । मेरी सील तो जब मैं दसवीं में थी तभी स्कूल के एक टीचर ने मुझे फँसाकर तोड़ दी थी। मैं तो दो दिन तक चल भी नहीं पा रही थी।

डॉली: ओह ये तो बहुत ख़राब बात है। आपने उसकी पुलिस में नहीं पकड़वा दिया?

शशी: अरे मैं तो अपनी मर्ज़ी से ही चु- मतलब करवाई थी तो पुलिस को क्यों बुलाती।

डॉली: ओह अब मैं क्या बोलूँ इस बारे में। तो फिर आप उनसे एक बार ही करवाई थी या बाद में भी करवाई थी?

शशी: आठ दस बार तो करवाई ही होंगी। बाद में बहुत मज़ा आता था उनसे करवाने में।

डॉली: ओह, ऐसा क्या?

शशी: उनके हथियार की याद आती है तो मेरी बुर खुजाने लगती है। ये कहते हुए उसने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर खुजा दी।

डॉली हैरानी से देखने लगी कि वो क्या कर रही है।

डॉली के लिए ये सब नया और अजीब सा था।
फिर वह बोली: अच्छा चलो ,अब खाना बन गया ना, मैं अपने कमरे में जाती हूँ।

राज उनकी सेक्सी बातें सुनकर अपने खड़े लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठा। और इसके पहले कि डॉली बाहर आती वह वहाँ से निकल गया।

डॉली अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि शशी के साथ उसने क्यों इतनी सेक्सी बातें कीं । वह इस तरह की बातें कभी भी वह किसी से नहीं करती थी। तभी जय का फ़ोन आया: कैसी हो मेरी जान? बहुत याद आ रही है तुम्हारी?

डॉली: ठीक हूँ मुझे भी आपकी याद आ रही है। आ जाओ ना अभी घर। डॉली का हाथ अपनी बुर पर चला गया और वह भी शशी की तरह अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से खुजाने लगी।

जय: जान, बहुत ग्राहक हैं आज , शायद ही समय मिले आने के लिए। जानती हो ऐसा मन कर रहा है कितुमको अपने से चिपका लूँ और सब कुछ कर लूँ। वह अपना मोटा लौड़ा दबाकर बोला।

डॉली: मुझे भी आपसे चिपटने की इच्छा हो रही है। चलिए कोई बात नहीं आप अपना काम करिए । बाई ।

फिर वह टी वी देखने लगी।

उधर शशी घर जाने के पहले राज के कमरे में गयी तो वह उसे पकड़कर चूमा और बोला: क्या बातें कर रही थीं बहू के साथ?

शशी हँसकर बोली: बस मस्ती कर रही थी। पर सच में बहुत सीधी लड़की है आपकी बहू । आपको उसको छोड़ देना चाहिए।

राज: मैंने उसको कहाँ पकड़ा है जो छोड़ूँगा ?

शशी: मेरा मतलब है कि इस प्यारी सी लड़की पर आप बुरी नज़र मत डालो।

राज: अरे मैंने कहाँ बुरी नज़र डाली है। बहुत फ़ालतू बातें कर रही हो। ख़ुद उससे गंदी बातें कर रही थी और अपनी बुर खुजा रही थी, मैंने सब देखा है।

शशी हँसकर: मैं तो उसे टटोल रही थी कि कैसी लड़की है। सच में बहुत सीधी लड़की है।

राज: अच्छा चल अब मेरा लौड़ा चूस दे घर जाने के पहले। ये कहकर वह अपनी लूँगी उतार दिया और बिस्तर पर पलंग के सहारे बैठ गया। उसका लौड़ा अभी आधा ही खड़ा था। शशी मुस्कुराकर झुकी और लौड़े को ऊपर से नीचे तक चाटी और फिर उसको जैसे जैसे चूसने लगी वह पूरा खड़ा हो गया और वह मज़े से उसे चूसने लगी। क़रीब १५ मिनट के बाद राज ह्म्म्म्म्म कहकर उसके मुँह में झड़ गया और शशी उसका पूरा रस पी गयी। बाद में उसने लौड़े को जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया। फिर थोड़ा सा और चूमा चाटी के बाद वह अपने घर चली गयी।

दोपहर को क़रीब एक बजे डॉली ने राज का दरवाज़ा खड़खड़ाया और बोली: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राज अंदर से ही बोला: हाँ बेटी लगा दो।

डॉली ने खाना लगा दिया तभी राज लूँगी और बनियान में बाहर आया। डॉली पूरी तरह से साड़ी से ढकी हुई थी। दोनों आमने सामने बैठे और खाना खाने लगे। राज उससे इधर उधर की बातें करने लगा और शीघ्र ही वह सहज हो गयी।

राज ने खाने की भी तारीफ़ की और फिर दोनों अपने अपने कमरे ने चले गए। इसी तरह शाम की भी चाय साथ ही में पीकर दोनों थोड़ी सी बातें किए। शशी शाम को आकर चाय और डिनर बना कर चली गयी। जय दुकान बंद करके आया और डॉली की आँखें चमक उठीं। जय अपने पापा से थोड़ी सी बात किया और अपने कमरे में चला गया। डॉली भी अंदर पहुँची तब वह बाथरूम में था। जब वह बाथरूम से बाहर आया तो वह पूरा नंगा था उसका लौड़ा पूरा खड़ा होकर उसके पेट को छूने की कोशिश कर रहा था। डॉली की बुर उसे देखकर रस छोड़ने लगी । वह शर्माकर बोली: ये क्या हो रहा है? ये इतना तना हुआ और ग़ुस्से में क्यों है?

जय आकर उसको अपनी बाहों में भर लिया और होंठ चूसते हुए बोला: जान आज तो पागल हो गया हूँ , बस अभी इसे शांत कर दो प्लीज़।
डॉली: हटिए अभी कोई टाइम है क्या? डिनर कर लीजिए फिर रात को कर लीजिएगा।

जय ने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और डॉली सिहर उठी और उसे मस्ती से सहलाने लगी। उसका रहा सहा विरोध भी समाप्त हो गया। जय ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और उसके ब्रा में कसे आमों को दबाने लगा। डॉली आऽऽऽऽह कर उठी। फिर उसने उसकी ब्रा का हुक भी खोला और उसके कप्स को ऊपर करके उसकी नंगी चूचियों पर टूट पड़ा। उनको दबाने के बाद वह उनको खड़े खड़े ही चूसने लगा। डॉली उइइइइइइइ कर उठी।

अब उसने डॉली को बिस्तर पर लिटाया और उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी पैंटी के ऊपर से बुर को दबाने लगा। डॉली हाऽऽऽय्यय करके अपनी कमर ऊपर उठायी। फिर उसने उसकी पैंटी उतार दी और उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया । अब तो डॉली की घुटी हुई सिसकियाँ निकलने लगीं। उसकी लम्बी जीभ उसकी बुर को मस्ती से भर रही थी। फिर उसने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद पर रखा और एक धक्के में आधा लौड़ा पेल दिया। वह चिल्ला उठी आऽऽऽऽऽह जीइइइइइइ । फिर वह उसके दूध दबाकर उसके होंठ चूसते हुए एक और धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। अब वह अपनी कमर दबाकर उसकी चुदाई करने लगा। डॉली भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। कमरे में जैसे तूफ़ान सा आ गया। दो प्यासे अपनी अपनी प्यास बुझाने में लगे थे। पलंग चूँ चूँ करने लगा। कमरा आऽऽऽऽहहह उइइइइइइ हम्म और उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ों से भरने लगा। क़रीब दस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ने लगे और एक दूसरे से बुरी तरह चिपट गए।

थोड़ी देर चिपके रहने के बाद वो अलग हुए और डॉली जय को चूमते हुए बोली: थैंक्स , सच मुझे इसकी बहुत ज़रूरत थी।

जय शरारत से : किसकी ज़रूरत थी?

डॉली शर्मा कर उसके गीले लौड़े को दबाकर बोली: इसकी ।

जय: इसका कोई नाम है?

डॉली पास आकर उसके कान में फुसफ़सायी: आपके लौड़े की। ओ के ?

जय हँसकर: हाँ अब ठीक है। फिर उसकी बुर को सहला कर बोला: मुझे भी तुम्हारी बुर की बड़ी याद आ रही थी। दोनों फिर से लिपट गए। डॉली बोली: चलो अब डिनर करते हैं। पापा सोच रहे होंगे कि ये दोनों क्या कर रहे है अंदर कमरे में?

जय हँसक : पापा को पता है कि नई शादी का जोड़ा कमरे में क्या करता है। हा हा ।

फिर दोनों फ़्रेश होकर बाहर आए। डिनर सामान्य था। बाद में राज सोने चला गया और ये जोड़ा रात में दो बार और चुदाई करके सो गया । आज डॉली ने भी जी भर के उसका लौड़ा चूसा और उन्होंने बहुत देर तक ६९ भी किया । पूरी तरह तृप्त होकर दोनों गहरी नींद सो गए।

दिन इसी तरह गुज़रते गए। राज दिन में एक बार शशी से मज़ा ले लेता था और जय और डॉली की चुदाई रात में ही हो पाती थी। सिवाय इतवार के, जब वो दिन में भी मज़े कर लेते थे। अब डॉली की भी शर्म कम होने लगी थी। अब वह घर में सुबह गाउन पहनकर भी रहती थी और राज पूरी कोशिश करता कि वह उसके मस्त उभारो को वासना की दृष्टि से ना देखे। वह जब फ्रिज से सामान निकालने के लिए झुकती तो उसकी मस्त गाँड़ राज के लौड़े को हिला देती। पर फिर भी वह पूरी कोशिश कर रहा था कि किसी तरह वह इस सबसे बच सके और अपने कमीनेपन को क़ाबू में रख सके। और अब तक वो इसमे कामयाब भी था।

एक दिन उसने डॉली की माँ रश्मि को अमित के साथ बुलाया और एक होटेल के कमरे में उसकी ज़बरदस्त चुदाई की। शाम को अमित और रश्मि डॉली से मिलने आए। डॉली बहुत ख़ुश थी। राज ने ऐसा दिखाया जैसे वह भी अभी उनसे मिल रह रहा हो। जबकि वो सब होटेल में दिन भर साथ साथ थे।

फिर वो दोनों वापस चले गए। रात को जय , डॉली और राज डिनर करते हुए रश्मि की बातें किए और जय को अच्छा लगा की डॉली अपनी माँ से मिलकर बहुत ख़ुश थी।

दिन इसी तरह बीतते गए। सब ठीक चल रहा था कि डॉली के शांत जीवन में एक तूफ़ान आ गया।
उस दिन रोज़ की तरह जब सुबह ७ बजे डॉली उठी और किचन में गयी तो शशी चाय बना रही थी । डॉली को देख कर शशी मुस्कुराती हुई बोली : भाभी नींद आयी या भय्या ने आज भी सोने नहीं दिया ?

डॉली: आप भी बस रोज़ एक ही सवाल पूछतीं हो। सब ठीक है हम दोनों के बीच। हम मज़े भी करते हैं और आराम भी। कहते हुए वह हँसने लगी।

शशी भी मुस्कुराकर चाय का कप लेकर राज के कमरे में गयी। राज मोर्निंग वॉक से आकर अपने लोअर को उतार रहा था और फिर वह जैसे ही चड्डी निकाला वैसे ही शशी अंदर आयी और मुस्कुराकर बोली: वाह साहब , लटका हुआ भी कितना प्यारा लगता है आपका हथियार। वह चाय रखी और झुक कर उसके लौड़े को चूम लिया। राज ने उसको अपने से लिपटा लिया और उसके होंठ चूस लिए। फिर वह लूँगी पहनकर बैठ गया और चाय पीने लगा। उसकी लूँगी में एक छोटा सा तंबू तो बन ही गया था।

शशी: आजकल आप घर में चड्डी क्यों नहीं पहनते?

राज : अब घर में चड्डी पहनने की क्या ज़रूरत है। नीचे फंसा सा लगता है। ऐसे लूँगी में फ़्री सा लगता है।

शशी: अगर बहू का पिछवाड़ा देख कर आपका खड़ा हो गया तो बिना चड्डी के तो वो साफ़ ही दिख जाएगा।

राज: जान बस करो क्यों मेरी प्यारी सी बहू के बारे में गंदी बातें करती हो? तुम्हारे रहते मेरे लौड़े को किसी और की ज़रूरत है ही नहीं। ये कहते ही उसने उसकी चूतरों को मसल दिया । शशी आऽऽह करके वहाँ से भाग गयी।

डॉली ने चाय पीकर जय को उठाया और वह भी नहाकर नाश्ता करके दुकान चला गया। उसके जाने के बाद डॉली भी नहाने चली गयी। शशी भी राज के कमरे की सफ़ाई के बहाने उसके कमरे में गयी जहाँ दोनों मज़े में लग गए ।
डॉली नहा कर आइ और तैयार होकर वह किचन में गयी। वहाँ उसे सब्ज़ी काटने का चाक़ू नहीं मिला। उसने बहुत खोजा पर उसे जब नहीं मिला तो उसने सोचा कि ससुर के कमरे से शशी को बुलाकर पूछ लेती हूँ। वह ससुर के कमरे के पास जाकर आवाज़ लगाने ही वाली थी कि उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई पड़ी। वह रुक गयी और पास ही आधी खुली खिड़की के पास आकर सुनने की कोशिश की। अंदर से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ गन्न्न्न्न्न्न्न ह्म्म्म्म्म की आवाज़ आ रही थी। वह धीरे से कांपते हुए हाथ से परदे को हटा कर अंदर को झाँकी। अंदर का दृश्य देखकर वह जैसे पथ्थर ही हो गयी। शशी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसकी साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी। पीछे उसका ससुर कमर के नीचे पूरा नंगा था और उसकी चुदाई कर रहा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ये क्या हो रहा है। क्या कोई अपनी नौकशशी से भी ऐसा करता है भला! इसके पहले कि वह वहाँ से हट पाती राज चिल्लाकर ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। जब उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला तो उसका मोटा गीला लौड़ा देखकर उसका मुँह खुला रह गया। उसे अपनी बुर में हल्का सा गीलापन सा लगा। वह उसको खुजा कर वहाँ से चुपचाप हट गयी।

अपने कमरे में आकर वह लेट गयी और उसकी आँखों के सामने बार बार शशी की चुदाई का दृश्य और पापा का मोटा लौड़ा आ रहा था। वह सोची कि बाप बेटे के लौड़े एकदम एक जैसे हैं, मोटे और लम्बे। पर जय का लौड़ा थोड़ा ज़्यादा गोरा है पापा के लौड़े से। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि छि वो पापा के लौड़े के बारे में सोच ही क्यों रही है !!

फिर उसका ध्यान शशी पर गया और वह ग़ुस्से से भर गयी। ज़रूर उसने पापा के अकेलेपन का फ़ायदा उठाया होगा और उनको अपने जाल में फँसा लिया होगा। पापा कितने सीधे हैं, वो इस कमीनी के चक्कर में फँस गए बेचारे, वो सोचने लगी।

भला उसको क्या पता था कि हक़ीक़त इसके बिपरीत थी और असल में राज ने ही शशी को फ़ांसा थ।

वह सोची कि क्या जय को फ़ोन करके बता दूँ । फिर सोची कि नहीं वह अपने पापा को बहुत प्यार करते हैं और उनके बारे में ये जानकार वह दुःखी होगा। उसे अभी नहीं बताना चाहिए, हाँ समय आने पर वह उसे बता देगी। क़रीब आधे घंटे तक सोचने के बाद वह इस निश्चय पर पहुँची कि शशी को काम से निकालना ही इस समस्या का हल है। वो बाहर आइ तो देखा कि राज बाहर जाने के लिए तैयार था। ना चाहते हुए भी उसकी आँख राज के पैंट के अगले भाग पर चली गयी। पैंट के ऊपर से भी वहाँ एक उभार सा था। जैसे पैंट उसके बड़े से हथियार को छुपा ना पा रही हो। वह अपने पे ग़ुस्सा हुई और बोली: पापा जी कहीं जा रहे हैं क्या?

राज: हाँ बहू , बैंक जा रहा हूँ। और भी कुछ काम है १ घंटा लग जाएगा। वो कहकर चला गया।

अब डॉली ने गहरी साँस ली और शशी को आवाज़ दी। शशी आइ तो थोड़ी थकी हुई दिख रही थी।

डॉली: देखो शशी आज तुमने मुझे बहुत दुःखी किया है।

शशी: जी, मैंने आपको दुःखी किया है? मैं समझी नहीं।

डॉली: आज मैंने तुमको पापा के साथ देख लिया है। आजतक मैं सोचती थी कि तुम इतनी देर पापा के कमरे में क्या करती हो? आज मुझे इसका जवाब मिल गया है। छि तुम अपने पति को धोका कैसे दे सकती हो। पापा को फँसा कर तुमने उनका भी उपयोग किया है। अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारा मैंने हिसाब कर दिया है। लो अपने पैसे और दूसरा घर ढूँढ लो।
शशी रोने लगी और बोली: एक बार माफ़ कर दो भाभी।

डॉली: देखो ये नहीं हो सकता। अब तुम जाओ और अब काम पर नहीं आना।

ये कहकर वो वहाँ से हट गयी। शशी रोती हुई बाहर चली गयी।

राज वापस आया तो थोड़ा सा परेशान था। वो बोला: बहू , शशी का फ़ोन आया था कि तुमने उसे निकाल दिया काम से?
डॉली: जी पापा जी, वो काम अच्छा नहीं करती थी इसलिए निकाल दिया। मैंने अभी अपने पड़ोसन से बात कर ली है कल से दूसरी कामवाली बाई आ जाएगी।

राज को शशी ने सब बता दिया था कि वह क्यों निकाली गयी है, पर बहू उसके सम्मान की रक्षा कर रही थी। जहाँ उसे एक ओर खीझ सी हुई कि उसकी प्यास अब कैसे बुझेगी? वहीं उसको ये संतोष था कि उसकी बहू उसका अपमान नहीं कर रही थी। वह चुपचाप अपने कमरे में चला गया। पर उसकी खीझ अभी भी अपनी जगह थी।

उस दिन शाम की चाय और डिनर भी डॉली ने ही बनाया था। राज डॉली से आँखें नहीं मिला पा रहा था। डिनर के बाद सब अपने कमरों में चले गए। डॉली ने जय को बताया कि शशी को काम से निकाल दिया है। जय ने कहा ठीक है दूसरी रख लो। उसने कोई इंट्रेस्ट नहीं दिखाया और उसकी चूची दबाकर उसे गरम करने लगा।डॉली ने भी उसका लौड़ा पकड़ा और उसको दबाकर पापा के लौड़े से तुलना करने लगी। शायद दोनों बाप बेटे का एक सा ही था ।जल्दी ही जय चुदाई के मूड में आ गया और उसे चोदने लगा। डॉली ने भी सोचा कि इनको क्यों बताऊँ फ़ालतू में दुःखी होंगे, अपने पापा की करतूत जानकार।

चुदाई के बाद दोनों लिपट कर सो गए। पर डॉली की आँखों में अभी भी पापा का मस्त लौड़ा घूम रहा था और वह भी सो गयी।
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

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उधर राज की आँखों से नींद ग़ायब थीं । वह सोचने लगा कि कहीं बहू ने सब बातें जय को बता दी होगी। फिर सोचा नहीं वह नहीं बताएगी। वह चाहेगी कि बाप बेटे में कोई दूरी ना हो। यह सब सोचते हुए वह सो गया।
अगले दिन डॉली सुबह उठकर चाय बनाई और राज के कमरे का दरवाज़ा खटखटाई और बोली: पापा जी चाय लाऊँ?

राज देर तक सोने के कारण आज वॉक पर भी नहीं गया था । वह उठा और उसकी लूँगी में मॉर्निंग इरेक्शन का तंबू बना हुआ था। वह बोला: मैं अभी बाहर आता हूँ वहीं पी लूँगा।

डॉली ने चाय डाइनिंग टेबल पर रखी और ख़ुद चाय पीने लगी। थोड़ी देर बाद राज बाहर आया तो हमेशा की तरह डॉली ने उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग किया। राज ने उसे आशीर्वाद दिया और चाय पीने लगा। उसने देखा कि आज भी वह गाउन पहनी थी पर वह अब उसे वह टाइट हो रही थी क्योंकि वह अच्छा खाने और शायद बढ़िया चुदाई के चलते थोड़ी भर रही थी। उसकी चूचियाँ गाउन को दबा रही थी और उसके चूतरों के उभार भी गाउन से मस्त दिखने लग रहे थे।हालाँकि उसने कपड़े सही पहने थे और उसमें से कोई अंग प्रदर्शन नहीं हो रहा था। पर गाउन से भी वह बहुत मादक लग रही थी। राज की लूँगी में हलचल शुरू हो गयी। इसलिए वह उठकर वहाँ से चला गया।

राज अपने कमरे में आकर डॉली की जवानी का सोचकर गरम होने लगा । फिर वह सोचा कि उसे अपना ध्यान बटाना होगा ।ये सोचकर वह तैयार होकर बाहर चला आया और नाश्ता करके घर से बाहर जाने लगा। डॉली और जय अभी नाश्ता कर रहे थे।

डॉली: पापा जी आज मैं आपके साथ सब्ज़ी वग़ैरह लेने जाना चाहती हूँ , आप ले जाएँगे क्या? वो क्या है ना, मुझे यहाँ का कुछ पता नहीं है ना, इसीलिए आपकी मदद चाहिए। पड़ोसन कह रही थी कि जयजी चौक का सब्ज़ी बाज़ार सबसे अच्छा है।

राज: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं , मैं थोड़ी देर में आता हूँ तब चलेंगे। पर जयजी चौक में तो बेटी बहुत भीड़ होती है।

यह कहकर राज अपने एक दोस्त से मिलने निकल गया। उसकी पास ही में एक दुकान थी चश्मों की जिसमें उसका एक पुराना दोस्त पटेल बैठा था। पटेल उसे देखकर बहुत ख़ुश हुआ और बोला: अरे यार आज रास्ता कैसे भूल गए? आओ बैठो।

राज उसके पास बैठा और दोनों पुराने दिनों की बातें करने लगे। तभी बातें राज की बीवी की मौत की ओर चली गयीं। पटेल बोला: यार , भाभी जी ने तुझे धोका दे दिया। एकदम से चली गयी।

राज : हाँ यार एकदम से अकेला हो गया हूँ।

पटेल: यार सच में बहुत मुश्किल है बिना बीवी के रहना। हालाँकि इस उम्र में रोज़ मज़े नहीं करना होता है पर हफ़्ते में एक दो दिन तो मज़े का मूड बन ही जाता है। उसपर बीवी का ना होना सच में मुश्किल होता होगा।

राज: क्या तू सच में अभी भी भाभीजी के भरोसे ही है क्या? यहाँ वहाँ मुँह भी तो मारता होगा?

पटेल: अरे अब तुमसे क्या पर्दा भला। तुम्हारी भाभी के साथ तो हफ़्ते में एक बार हो ही जाता है। और मैं सामान लेने हर महीने मुंबई जाता हूँ और कम से कम दो रात वहाँ होटेल में गुज़ारता हूँ। वहाँ मेरी सेटिंग है रात में २०/२२ साल की एक लौड़िया आ जाती है पूरी रात साली के साथ चिपका रहता हूँ। पूरे पैसे वसूल करता हूँ।

राज: वाह भाई , तुम तो छिपे रूसतम निकले। वैसे यहाँ भी तो होटलों में लौंडियाँ मिलती होंगी।

पटेल: यहाँ कोई भी जान पहचान का मिल सकता है, वहाँ कौन अपने को जानता है भला?

राज: हाँ ये तो रिस्क है यहाँ करने में ।

पटेल: यार तू दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेता।

राज: अरे अभी तो मेरे बेटे की शादी हुई है अब इस उम्र में मैं क्या शादी करूँगा यार।

पटेल: अरे अपने गाँव साइड में तो हमारी उम्र के बूढ़ों को भी मस्त जवान लौड़िया मिल जाती हैं शादी के लिए बस कुछ पैसा फेंकना पड़ता है और तूने पैसा तो बहुत कमाया है यार।

राज : चल छोड़ ये सब बातें। फिर वह वहाँ से वापस आ गया।

जब वह घर पहुँचा तो जय दुकान जा चुका था और डॉली एक नई नौकशशी से काम करवा रही थी। वह कोई ४० के आसपास की काली सी औरत थी और राज ने अपनी क़िस्मत को कोसा कि इस बार बहु ने ऐसी औरत चुनी है जिसे देखकर खड़ा लौड़ा भी मुरझा जाए।पर वह बोला: अरे बहु तुम तैयार नहीं हुई बाज़ार जाना था ना?

डॉली: बस पापा अभी ५ मिनट में तैयार होकर आती हूँ। ये नई बाई है कमला। इसे काम समझा रही थी। ये कहकर वह अपने कमरे में चली गयी और १० मिनट में तैयार होकर आइ। राज उसका इंतज़ार सोफ़े में बैठा टी वी देखकर कर रहा था। डॉली: पापा चलें ?

राज ने आँखें उठाईं और डॉली को देखता ही रह गया। गुलाबी सलवार सूट में वो बहुत प्यारी लग रही थी। ये कपड़े भी अब उसे थोड़े टाइट हो चले थे। पर उसने चुन्नी इस तरह से ली थी जिसमें उसकी छातियाँ पूरी ढकीं हुई थी।
सच में उसकी बहु नगीना याने हीरा थी ,वह सोचा।

फिर दोनों बाहर आए और कार में बैठकर सब्ज़ी बाज़ार की तरफ़ चल पड़े। रास्ते में राज उसे शहर के ख़ास बाज़ार और मुहल्लों के बारे में बताने लगा। वह बड़े ध्यान से सुन रही थी। तभी सब्ज़ी मार्केट आ गयी ।दोनों कार से उतरे और डॉली हाथ में थैला पकड़कर चल पड़ी। राज उसके पिच्छे चलने लगा। उसने ऊँची एड़ी का सेंडल पहनी थी और उसके चूतड़ सलवार में मस्त मटक रहे थे। राज का लौड़ा अकडने लगा। तभी वह एक सब्ज़ी वाले के यहाँ रुकी और झुक कर टमाटर पसंद करने लगी। अब उसकी चुन्नी ढलक गयी थी और उसकी मस्त छातियाँ सामने तनी हुए दिखाई दे रहीं थे। उसके चूतड़ भी पीछे से मस्त कशिश पैदा कर रहे थे। उफ़्फ़्फ़्ग्ग क्या मस्ती है इस लौड़िया में। तभी एक आदमी वहीं से गुज़रा और उसने झुकी हुई डॉली की गाँड़ पर हाथ फेरा और चला गया।

राज को ग़ुस्सा आया पर वह आदमी ग़ायब हो चुका था। डॉली एकदम से पलट कर देखी तब तक वह आदमी जा चुका था। राज उसके पीछे आकर खड़ा हुआ और बोला: बेटी, अब मैं यहाँ खड़ा हूँ तुम आराम से सब्ज़ी पसंद करो।

डॉली: ठीक है पापा जी। वह अब अपने काम में लग गयी।
राज अब अच्छी तरह से उसकी गाँड़ का जायज़ा ले रहा था और अपने लौड़े को adjust कर रहा था। तभी राज को एक साँड़ आता दिखा और वह राज के बिलकुल बग़ल में आ गया और उसे रास्ता देने के लिए उसे आगे को होना पड़ा तभी उसका पैंट के अंदर से उसका लौड़ा उसकी चूतरों पर टकराने लगा। डॉली सकपका कर उठने की कोशिश की और तभी वह साँड़ राज से टकराने लगा और राज आगे को हुआ और फिर डॉली उसकी ठोकर से आगे को गिरने लगी। तभी राज ने उसके कमर पर हाथ डाला और उसे अपने क़रीब खींच लिया और वह नीचे गिरने से बच गयी । राज का अगला हिस्सा अब डॉली के पिछवाड़े से पूरी तरह चिपक गया था। डॉली को भी उसके कड़े लौड़े का अहसास अपनी गाँड़ पर होने लगा था। राज का हाथ उसकी कमर पर चिपका हुआ था। डॉली पीछे को मुड़ी और उसने साँड़ को वहाँ से जाते देखा । वह समझ गयी कि क्या हुआ है। वह बोली: पापा जी साँड़ चला गया, अब मुझे छोड़ दीजिए।

राज झेंप कर पीछे को हुआ और अपने पैंट को अजस्ट करने लगा। डॉली की आँखें उसकी पैंट पर पड़ी और वह शर्म से दोहरी हो गयी। वो सोची – हे भगवान ! ये पापा को क्या हो गया? वो इतने उत्तेजित मुझे छू कर हो गए क्या? फिर उसने अपनी आँखें वहाँ से हटाई और पैसे देने लगी।

राज: बेटी, मैंने बोला था ना कि यहाँ बहुत भीड़ रहती है। चलो तुम्हारी सब्ज़ी हो गयी या अभी और लेना है।

डॉली: पापा जी अभी और लेनी है, चलिए उधर भीड़ नहीं है वहाँ से लेते हैं।

दिर उन्होंने सब्ज़ी ख़रीदी और वापस घर आए। डॉली थोड़ी सी हिल सी गयी थी कि पापा उसे छू कर इतने उत्तेजित क्यों हो गए। क्या वो उसे ग़लत निगाह से देखते है। उसे थोड़ा ध्यान से रहना होगा अगर पापा जी उसके बारे में कुछ ऐसा वैसा सोचते हैं तो । फिर उसने अपने आप को कोसा और सोची कि छि पापा के बारे में वो ऐसा कैसे सोच सकती है। अब वह आराम करने लगी।
राज अपने कमरे में आकर डॉली के स्पर्श को याद करके बुरी तरह उत्तेजित हो उठा और अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाने लगा। उफफफफ क्या मस्त लगा था जब उसका लौड़ा उसके चूतरों में रगड़ खा रहा था। वह उसकी अपनी बहू थी ये उसे और भी मस्त कर रहा था।
तभी बाहर से डॉली की आवाज़ आइ: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राज: हाँ लगाओ मैं आता हूँ। फिर दोनों खाना खाए। डॉली ने नोटिस किया कि आज राज की आँखें बार बार उसकी छाती पर जा रही हैं। जब वह पानी डालने को उठी तब वह उसके पिछवाड़े को ताड़ रहा था , यह उसने कनख़ियों से साफ़ साफ़ देखा। वह मन ही मन थोड़ी परेशान होने लगी थी। फिर जब वह बर्तन उठाकर किचन में रख रही थी तब भी वह उसे ताड़ें जा रहा था। और डॉली ने देखा कि वह अपनी लूँगी में अपना लौड़ा भी ऐडजस्ट किया। उसने सोचा की हे भगवान, ये पापा जी को आख़िर एकदम से क्या हो गया।

बाद में अपने कमरे ने आकर वह सोची कि क्या जय को सब बता देना चाहिए? मन ने कहा कि वह बेकार में परेशान होगा और वैसे भी उसके पास इस बात का कोई सबूत भी तो नहीं है।

उधर जैसे जैसे समय बीत रहा था राज की दीवानगी अपनी बहू के लिए बढ़ती ही जा रही थी। इसी तरह दिन बीत रहे थे। अब राज में एक परिवर्तन आ गया था कि वह अब खूल्लम ख़ूल्ला बहू को घूरता था और अपने लूँगी पर हाथ रख कर अपने लौड़े को मसल देता था। वह इस बात की भी परवाह नहीं करता था कि डॉली देख रही है या नहीं। डॉली की परेशानी का कोई अंत ही नहीं था। वह सब समझ रही थी , पर अनजान बनने का नाटक कर रही थी । शायद इसके अलावा उसके पास कोई उपाय भी नहीं था। वह जय से भी कुछ नहीं कह पा रही थी।
इधर जय की भूक़ भी सेक्स के लिए बढ़ती जा रही थी। वह घर आते ही डॉली को अपने कमरे में ले जाता और फिर उसको बिस्तर पर पटक देता था और पागलों की तरह उसका बदन चूमने लगता था। फिर वह उसकी चूचियों को दबाकर और चूस चूस कर लाल कर देता था । उसके निप्पल को रगड़कर डॉली को मस्त करना उसने सीख लिया था। फिर वह उसकी बुर में मुँह डालकर कम से कम १० मिनट चूसता था और फिर उसे कभी नीचे लिटा कर या कभी घोड़ी बनाकर या कभी उसको बग़ल में लिटा कर साइड के करवट से चोदता था। आधे घंटे की चुदाई में डॉली की चूत के साथ साथ आत्मा भी तृप्त हो जाती थी। बाद में डिनर के बाद तो वह जो उसके कपड़े उतारता था तो वह दोनों रात भर नंगे ही रहते थे। इस वक़्त डॉली और वो ६९ करते थे। डॉली ने भी लौड़ा चूसना सीख लिया था। उसे बड़ा अजीब लगता जब जय उसकी बुर चाटते हुए उसकी गाँड़ के छेद को भी चाट लेता। इस बार की चुदाई में डॉली को ऊपर रहना अच्छा लगता था। इस तरह से वो अपने मज़े को चरम सीमा में पहुँचाने की कला भी सीख ली थी। जय के हाथ उसकी हिलती चूचियों और चूतरों पर रहते थे और बीच बीच में वह उसकी गाँड़ में ऊँगली भी करता था। चरमसीमा पर पहुँच कर अब डॉली खुल कर चीख़ने भी लगी थी। जय उसको गंदी बातें बोलने के लिए उकसाता और वह भी मस्ती में गंदी बातें बोलने लगी थीं।

जैसे उस रात जब वो उसकी बुर चाट रहा था तो डॉली चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽह उइइइइइ

जय: जान , मज़ा आ रहा है?

डॉली: आऽऽऽऽँहह बहुत ।

जय: कहाँ मज़ा आ रहा है?
डॉली: हाऽऽऽऽऽय्य मेरीइइइइइइ बुर मेंएएएएएएए।

जय: अब क्या करूँ ?

डॉली: चोओओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽऽ प्लीज़। उग्फ़्फ़्ग्ग्ग्ग ।
इस तरह अब डॉली भी उसके रंग में रंग गयी थी।

उनकी रात की आख़री चुदाई रात के ११ बजे होती थी जो साइड के पोज़ में होती थी और जय के हाथ उसकी कमर, चूतरों और गाँड़ के छेद में होते थे। जय उसको मानसिक रूप से गाँड़ मरवाने के लिए भी तैयार कर रहा था ।वो क़रीब आख़री चुदाई के बाद १२ बजे सोते थे। डॉली अनुभव कर रही थी कि जय चुदाई में वेरायटि खोजता रहता है। वैसे दोनों अब अनुभवी चुदक्कड बन चुके थे। और अब वो गंदी और अश्लील बातें भी करने लगे थे।

जीवन इसी तरह बीत रहा था। डॉली पूरी तरह से एक तृप्त नारी थी और उधर उसका ससुर पूरी तरह से अतृप्त पुरुष !!!

इसी तरह कई दिन बीत गए। उस दिन क़रीब दोपहर के १ बजे थे। राज अपने कमरे ने टीवी देख रहा था और वह सोफ़े पर बैठी अपनी माँ से फ़ोन पर बातें कर रहीं थी। कमला काम करके जा चुकी थी। तभी घंटी बजी और वह उठी और दरवाजे के पास आकर बोली: कौन है?

बाहर से आवाज़ आइ: कूरीयर है मैडम।

डॉली ने दरवाज़ा खोला और बाहर दो आदमी खड़े थे । वो अंदर को झाँके और किसी को ना देखकर एक बोला: लगता है आप अकेली है अभी?

दूसरे ने पूछा: आपके पति तो काम पर गए हैं ना? कूरीयर में कौन साइन करेगा?

डॉली: हाँ वह दुकान में हैं , लायिए मैं साइन कर देता हूँ।

उन दोनों को यक़ीन हो गया कि वह शायद अकेली है घर पर । तभी वो दोनों एक झटके से अंदर आए और एक ने उसके मुँह पर अपना हाथ दबा दिया और दूसरे ने एक छुरी निकाल ली और उसे धमकाते हुए बोला: ख़बरदार आवाज़ निकाली तो काट दूँगा। डॉली घबरा गयी और बोलने की कोशिश की : आपको क्या चाहिए?

एक आदमी हँसते हुए उसकी चूचि दबा दिया और बोला: तू चाहिए और साथ में सोना रुपया जो भी मिल जाए। तभी दूसरे आदमी ने भी उसकी दूसरी चूचि दबा दी और बोला: साली मस्त माल है, चोदने में मज़ा आएगा। चल अंदर और तिजोरी खोल और माल निकाल। फिर तेरे से मज़ा करेंगे। ये कहते हुए उसकी चूचि ज़ोर से दबा दिया।

अब डॉली डर से काँपने लगी और अचानक ना जाने कहाँ से उसमें इतनी ताक़त आ गयी कि वह अपने मुँह में रखे हाथ को पूरी ताक़त से दाँत से काट दी और जैसे उसके मुँह से उस आदमी का हाथ हटा, वह ज़ोर से चिल्लाई: पापा जीइइइइइइइइ बचाओओओओओओओओ।

राज की टी वी देखते हुए शायद आँख लग गई थी और टी वी अभी भी चल रहा था, शायद इसलिए वह पहले की बातें नहीं सुन पाया था। पर डॉली की चीख़ उसने साफ़ साफ़ सुनी और वह बाहर की ओर आया। अब उसने डॉली को एक साथ दो आदमी के पकड़ से निकलने की कोशिश करते देखा तो वह समझ गया कि उसे क्या करना है। वह पीछे से तेज़ी से लपका और एक आदमी के पीठ में एक ज़ोरदार मुक्का मारा। वह आदमी दूसरे आदमी से टकराया और दोनों नीचे गिर गए। अब उसने दोनों की ज़बरदस्त धुनाई शुरू कर दी। राज एक बलिष्ठ पुरुष था और जल्दी ही वो दोनों उठ कर भागने में सफल हो गए।
राज उनके पीछे दौड़ा पर वो भाग गए।

जब वो वापस आया तब डॉली जो अब भी डर से काँप रही थी उससे पपाऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर लिपट गयी और रोने लगी। राज उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: अरे बहू, वो चले गए। अब क्यों रो रही हो?

डॉली के आँसू थम ही नहीं रहे थे और वह उससे और ज़ोर से चिपट गयी और वह रोए जा रही थी।
राज ने भी उसे अब अपनी बाहों में भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बस बेटी अब चुप हो जाओ। सब ठीक हो गया ना अब तो? अब वह उसकी बाँह भी सहलाने लगा और फिर उसके गाल से आँसू भी पोछा । अब जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो वह उसे सहारा देकर सोफ़े पर बैठा दिया और पानी लेकर आया। उसके बग़ल में बैठकर वह उसे पानी पिलाने लगा। डॉली की अभी भी हिचकियाँ बंधी हुई थीं। पाने पीने के बाद वो थोड़ा शांत हुई। अब राज ने उसके गाल से उसके आँसू पोंछे और बोला: बस बेटी, अब चुप हो जाओ। देखो सब ठीक है।

तभी फिर से घंटी बजी और डॉली एकदम से डर गयी और राज की गोद में बैठ गयी और अपना सिर उसके सीने में छुपा ली और बोली: पापा वो फिर आ गए। अब राज ने उसकी बाँह सहलाई और ज़ोर से पूछा: कौन है?

कोई बोला: साहब डोमिनो से आया हूँ पिज़्ज़ा लाया हूँ।

राज चिल्ला कर बोला: हमने नहीं मँगाया है। ग़लत ऐड्रेस होगा । अभी जाओ ।

उधर डॉली उसकी गोद में बैठी थर थर काँप रही थी। अब राज ने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बड़े प्यार से उसके गालों को चूमा और बोला: बेटी, पिज़्ज़ा बोय था, बेकार में मत डरो।

डॉली अभी भी उसकी गोद में बैठी थी और उसकी छाती राज की छाती से सटी हुई थी। राज को भी अब अपनी जवान बहू के कोमल स्पर्श का अहसास हुआ और उसका लौड़ा लूँगी में अपना सिर उठाने लगा। अब वह झुककर उसके गाल को चूमा और उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: वैसे बेटी ग़लती तो तुम्हारी है ही। तुमको दरवाज़ा खोलने के पहले डोर लैच लगाना चाहिए था। तुमने जाकर एकदम से दरवाज़ा खोल दिया। सोचो मैं ना होता घर पर तो क्या होता?

डॉली का बदन एक बार फिर डर से काँप उठा वह बोली: पापा जी वो तो मेरे साथ गंदे काम करने की बात कर रहे थे। सोना और पैसा भी माँग रहे थे।

राज ने अब उसके नंगे कंधे को सहलाया और बोला: बेटी उन्होंने तुम्हारे साथ कोई ग़लत हरकत तो नहीं किया?

डॉली थोड़ी सी शर्माकर: पापा जी वी बड़े कमीने थे उन्होंने मेरी छाती दबाई थी।

राज उसके ब्लाउस को छाती की जगह पर देखकर बोला: तभी यहाँ का कपड़ा बहुत मुड़ा सा दिख रहा है। क्या ज़ोर से दबाया था बेटी उन कमीनों ने?

डॉली: जी पापा जी बहुत दुखा था। वो रोने लगी।

अब राज ने उसके गाल चूमते हुए कहा : बेटी, अब चुप हो जाओ। तुम चाहो तो मैं वहाँ दवा लगा दूँ।

डॉली: नहीं पापा जी अब वहाँ ठीक है। पापा जी आज आप नहीं होते तो पता नहीं मेरा क्या होता। वो कमीने मेरा क्या हाल करते पता नहीं।

राज अपनी गोद में बैठी बहु को चूमा और बोला: बेटी, मेरे रहते तुमको कुछ नहीं हो सकता। पर आगे से दरवाज़ा ऐसे कभी नहीं खोलना ठीक है?

डॉली: जी पापा जी आगे से कभी ग़लती नहीं होगी।

तभी उसका मोबाइल बजा। डॉली: हाय जी।

जय: जान कैसी हो?

डॉली रोने लगी और बोली: आज तो पापा जी ने बचा लिया वरना मैं तो गयी थी काम से।

जय: क्या हुआ?
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