पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश complete

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Ankit
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Re: पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

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कोमल ने टीवी खोल दिया और अपनी सलवार मेरे सामने ही उतार दी कुरता घुटने तक आ रहा था। उसके बाद अपनी कुर्ती भी ऊपर करके उतार दी। उसने सफ़ेद पारदर्शी ब्रा और काली पैंटी पहन रखी थी।



मेरा लोड़ा उसकी कसी चूचियाँ और गदराई जांघें देखकर खड़ा हो गया। मैंने अपने लौड़े को दबाया जैसे सांत्वना दे रहा हूँ कि थोड़ी देर रुक जा।



मैं बोला- आप खुल कर बातें करेंगी या खोल कर?



अंगड़ाई लेती हुई कोमल ने अपनी ब्रा पीछे से खोल दी, उसकी गोल गोल गदराई हुई दोनों चूचियाँ बाहर निकल आईं।




कोमल बोली- आपकी संतरे खाने वाली इच्छा भी तो पूरी करनी है। सुंदर सामने को कसी हुई गुलाबी चूचियों और काली निप्पल ने मेरा लोड़ा खड़ा कर दिया था, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने आगे बढ़कर उसकी चूचियाँ दबाते हुए मुँह में भर लीं और चूसने लगा।




कोमल ने मुझे अपने से चिपका लिया।



वो बोली- राहुल जी, चुदने का बड़ा मन कर रहा है, आधे महीने से ज्यादा हो गया लंड डलवाए हुए।



अपना लंड मेरी भोंसड़ी में डालिए ना ! 100 से ज्यादा लंड खा चुकी निगोड़ी, अब बिना लंड के नहीं रहा जाता। कोमल ने मेरा नेकर उतार दिया था और वो मेरा 7 इंची लंड सहला रही थी।




कोमल बोली- राहुल जी, इसे देखकर तो और भी चुदने का मन कर रहा है। अब मन मत करिये।




उसने मेरा कुरता भी उतरवा दिया और अपनी पैंटी भी उतार दी। नंगी चूत पर नाम मात्र की झांटें थीं। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और बेकाबू सी होती हुई चूसने लगी।




थोड़ी देर बाद वो टांगें फ़ैला कर लेट गई और बोली- राहुल, फक मी ! चोदो अपनी कोमल रांड को चोदो ! अब नहीं रहा जा रहा है।




मैंने उठकर उसकी चूत पर अपना लंड फिराया और चूत के अंदर घुसेड़ दिया। उह आह से कोमल सिसकारी मारने लगी, उसने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर से बाँध लीं और चुदने में पूरा साथ देने लगी, टट्टे बार बार उसकी चूत के दरवाज़े से टकरा रहे थे, गरम साँसों के बीच दो युवा चुदाई में मग्न थे, होंट एक दूसरे से चिपके जा रहे थे। चुदाई की आह उह पूरे कमरे में गूँज रही थी।




कुछ देर बाद हम दोनों साथ साथ झड़ गए। इसके बाद कोमल आधा घंटा मुझसे चिपकी रही। रात का एक बज़ रहा था।



कोमल बोली- भूख लग रही है, आलू के परांठे खाएंगे? मैं भी भूखा था, मैंने हां कर दी।



कोमल ने उठकर कुरता पहन लिया और मुझे भी सिर्फ कुरता पहनने दिया हम दोनों के कुरते घुटने से नीचे तक आ रहे थ



कोमल परांठे बनाने लगी। कोमल ने 2-2 मोटे परांठे अपने और मेरे लिए बना लिए। परांठे खाकर हम लोग छत पर आ गए। मैंने और कोमल ने एक दूसरे की कमर में कुरते के अंदर से हाथ डाल रखा था।



चांदनी रात के 2 बज़ रहे थे हवा अच्छी चल रही थी। एक दूसरे के नंगे चूतड़ों पर हमारे हाथ फिसल रहे थे, बड़ा अच्छा लग रहा था। हम दोनों छत की मुँडेर पर बैठ गए।




कोमल बोली- मैंने अपने माँ बाप को शादी के लिए बोल दिया है। 2-3 महीने में शादी हो जानी चाहिए। बिना चुदे मुझसे अब रहा नहीं जाता है। जब तक मेरी शादी नहीं हो रही, तब तक महीने में एक दो बार तुम मुझे चोद दिया करो ना। बाहर तो चुदवाने की मेरी हिम्मत अब है नहीं।



मेरे मन में लड्डू फूट पड़े, मैंने कहा- अँधा क्या चाहे दो आँखें ! तुम्हारी चुदाई से तो मुझे ख़ुशी ही मिलेगी।



मेरा तो अभी भी तुम्हे। एक बार और चोदने का मन कर रहा है।



हम लोग छत की मुंडेर पर बैठ कर ये बातें कर रहे थे।



कोमल उठी और उसने मुस्करा कर मुझे देखा और जमीन पर बैठते हुए मेरा कुरता ऊपर उठाकर लोड़ा मुँह में ले लिया और एकाग्रता से लोड़ा चूसने लगी।




कुछ देर बाद मैंने उसे हटा दिया और मुंडेर पर हाथ रखकर घोड़ी बना दिया। उसने टांगें फ़ैला ली थीं, चूत पीछे से चांदनी रात में साफ़ दिख रही थी। मैंने लोड़ा उसकी चूत के द्वार पर पीछे से लगा दिया, एक जोर का झटका देते हुए उसकी चूत में पेल दिया।



आराम से लोड़ा अंदर तक घुस गया, कोमल की चुदाई होने लगी। चुदने में वो वो पूरा सहयोग कर रही थी, अपनी गांड आगे पीछे हिलाते हुए चिल्ला रही थी- चोद हरामी चोद।



मैं भी उत्तेजित होकर एक कुतिया की तरह उसे पेल रहा था और बुदबुदा रहा था- रांडों की रांड ले खा ! याद रखेगी कि किसी चोदू ने तेरी चोदी थी। 10 मिनट तक इसी तरह वो चुदती रही।



उसके बाद बोली- थोड़ी गांड भी पेल दो! पता नहीं फिर कब चुदने का दिन आएगा। मैंने लंड बाहर निकाल लिया।



कोमल बोली- पहले तुम दो तीन उंगली कर रास्ता बना लो, फिर चोदना।



लेकिन गांड चुदवाना इतना आसान नहीं था।

मैं गांड में डालने को उतावला हो रहा था, रजनी फिर झुककर घोड़ी बन गई, दम लगाते हुए मैंने लोड़ा उसकी गांड में घुसाना शुरू कर दिया।



ओई उह ओइ ओह की तेज दबी सी आवाज़ निकली। उसकी गांड में अंदर तक लंड घुस चुका था। मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी शुरू कर दी। कोमल मीठे दर्द वाली सिसकारियां भरने लगी। उसकी चूचियों को दबाते हुए मैंने गांड में लंड की स्पीड बढ़ा दी, बड़ा मज़ा आ रहा था।

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कोमल की गांड की 5 मिनट तक चुदाई चालू रही, इसके बाद वो मेरे वीर्य से भर गई। हम दोनों नीचे आ गए और कोमल के कमरे में एक दूसरे से चिपक कर सो गए। कोमल और मैं सुबह सुबह 7 बजे उठे और एक दूसरे की बाहों में चिपक गए, मेरा लंड कोमल की फुद्दी में घुसने की कोशिश करने लग गया।



हम एक दूसरे के बदन को चुमने लगे मैंने लंड को सेट किया और कोमल की फ़ुद्दी मे घुसा दिया। कुछ देर तक हमने सुबह की चुदाई का मज़ा लिया, इसके बाद हम उठकर तैयार होने चले गए। सुबह 8 बजे कोमल ने नाश्ता बनाया और मैं खा पीकर ऑफिस चला गया।



दो दिन बाद चारु का लाइब्रेरी ऑफिसर के लिए इंटरव्यू था। चारु को भाभी के साथ इंटरव्यू देने जाना था, मैंने कहा- 2-3 फोटो रख लो। चारु अंदर गई, एक प्लास्टिक का बैग ले आई और अपनी फोटो निकालने लगी। तभी मेरी नज़र एक पोस्टकार्ड साइज़ फोटो पर गई।




फोटो को देखने पर कुछ जाना पहचान सा लगा, फोटो उल्टी पड़ी हुई थी। मैंने उसे सीधा किया तो हैरान रह गया, ये तो मेरा ही फोटो था। जो मैंने 3-4 साल पहले अपनी MBA की पढाई ख़त्म करने के बाद खिंचवाई थी।



मैंने उससे पूछा- यह कहाँ से आई तुम्हारे पास?



चारु सकपका गई और बोली- तुम्हारे कमरे से उठा ली थी।



और वो तेजी से अपनी फोटो निकाल कर वहां से चली गई।




मैंने सोचा कि मेरे पास तो यह फोटो यहाँ है नहीं, फिर? शायद कहीं मिल गयी होगी इसे। मैंने सर को झटका दिया और ऑफिस चला गया। भाभी की मदद से चारु इंटरव्यू दे आई और सेलेक्ट हो गई। 15 दिन बाद चारु को ज्वाइन करना था।




आकाश को जब यह बात पता चली तब आकाश ने दारु पीकर उसकी पिटाई कर दी। 15 दिन निकल गए। आकाश ने ने चारु को नौकरी नहीं करने दी। इस बीच कोमल की शादी तय हो गई और वो चली गई। आकाश जब भी चारु को पीटता था, मुझे बहुत गुस्सा आता था। लेकिन वो उसका पति था अगर मैं कुछ करता तो वो उसे गलत समझ कर और पिट देता।




दिन पर दिन दारु की लत से आकाश कमज़ोर होता जा रहा था। एक दिन उसकी 2-10 बजे की शिफ्ट थी रात को वो घर नहीं आया कोई नई बात नहीं थी, दारु के नशे में कई बार वो अड्डे पर ही सो जाता था। लेकिन अगले दिन भी 2 बजे तक नहीं आया। सुबह सुबह चारु मेरा दरवाजा पीटने लगी।




मैंने बाहर निकल कर उसे पूछा- क्या हुआ चारु?



चारु बोली- इन्हें गए हुए दो दिन हो गए है, अबतक कोई पता नहीं है।



सबको चिंता हुई पता किया तो पता चला दारु के अड्डे पर जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की तबियत खराब हो गई थी सब लोग अस्पताल में भरती हैं।



जब हम लोग अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि आकाश और 2 लोग मर चुके हैं, उसने ज्यादा ही शराब पी ली थी। चारु तो ये सुनकर ही बेहोश हो गई थी। उसके रिश्तेदारों को खबर की गयी। चारु के घर से कोई नहीं आया था, आकाश के एक मामा आए थे, सब काम 3 दिन में ख़त्म हो गया।



चारु की तबियत खराब रहने लगी। मेरा उससे मिलना भी बहुत कम हो गया। वो कभी कभी ही दिखाई देती थी। उसके घर में मेरी जाने की हिम्मत नहीं होती थी कि कहीं वो गलत न समझ ले। एक दिन जब में ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था। चारु मेरे पास आई।



उसने मुझसे रोते हुए कहा- मुझे लाइब्रेरी की नौकरी दिला दो। मैं जिंदगी भर आपका एहसान नहीं भूलूंगी। अपने मेरे लिए इतना किया है, भगवान क लिये इतना और कर दीजिये।




मैंने अपने पूरे प्रयास के बाद उसे वो नौकरी दिला दी। धीरे धीरे चारु की गाड़ी चल निकली। वो अब सारा दिन लाइब्रेरी में बिताती और शाम को वापस आती थी। तीन-चार महीने में वो सामान्य हो गई। उसने दुबारा सुबह बेफिक्र होकर नहाना शुरू कर दिया। मुझे फिर से वही चारु नज़र आने लगी।



मेरा उसके साथ संबंध काफी पहले ही टूट सा गया था। एक दिन फिर रात को वो मेरे लिए दूध लेकर आई जैसे पहले लाती थी। उसने मुझे दूध दिया और मेरे पैरो के पास बेठ गयी उसने अपना सिर मेरी गोद में रख दिया।




मैं बोला- चारु यहां ऊपर आकर बैठो न।



चारु बोली- क्यों क्या मैं यहां नहीं बैठ सकती। अब मैं बिल्कुल अकेली हो गयी हूँ। आकाश तो मुझे कभी बच्चा दे ही नही सकता था। काश उसके जीतेजी मैने आपसे एक बच्चा ले लिया होता। मैं उसी के सहारे आगे जी लेती।



मैंने उसे ऊपर उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। उसके होंठो को चूमने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। फिर मैं उसे बिस्तर पर ले गया। उसने मैक्सी पहनी हुई थी। उसे धीरे धीरे चूमते हुए मैं मैक्सी ऊपर करने लगा।




मैक्सी ऊपर ले जाकर मैने पूरी निकाल दी। वो अब ब्रा और पैंटी में थी सिर्फ। मैंने उसके निप्पल को चूमते हुए ब्रा भी निकाल दी। और उसके चुचो को चूसने लगा।




चारु भी गर्म हो रही थी, कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।

मैंने सोचा इस वक़्त कौन आ गया। जो भी हो अब अगर चारु को अंदर देख लिया, वो भी इस हालत में तो क्या होगा। अभी मैं यही सोच रहा था कि...किसी के सीढ़ियां उतरने की आवाज आई।



मैं थोड़ा निश्चिन्त हो गया, लेकिन वो था कौन। चारु भी उठकर अपने कमरे में चली गयी। तभी नीरा भाभी का फोन आया।



मैं बोला- हेल्लो भाभी, क्या हुआ।



भाभी बोली- कुछ नहीं, वो मैं ऊपर गयी थी। तो मुझे चारु नहीं दिखी। आपको पूछने के लिए आपका दरवाजा खटखटाया शायद आप सो चुके थे।



मैं बोला- नहीं चारु तो बाहर ही है, अभी छत से आई है। और आज थकने की वजह से नींद आ गयी थी।



मैंने उन्हें झूठ बोलकर चुप कर दिया। और वापस आकर सो गया।



रोज की तरह में सुबह सुबह ऑफिस के लिए तैयार हो गया था। तभी चारु अपना और मेरा दोनों का नाश्ता लेकर आई। उसने एक पिंक बोर्डर वाली व्हाइट साड़ी पहनी थी। वो उसमें एक दम 24 साल की कोई अविवाहित लड़की सी मालूम पद रही थी।




तब से वो आकाश की वजह से ऐसे रहती थी। लेकिन अब वो एक दम प्रोफेशनल की तरह रहती थी। आखिर जरूरत भी थी। आज के जमाने मे वक़्त के साथ चलना पड़ता है। वो नाश्ता मेज पर रखकर मेरे पास ही आकर बैठ गयी।हमने नास्ता किया।




और साथ ही निकल चले, मैं उसे उसकी लाइब्रेरी छोड़ते हुए ऑफिस पहुंचा।



और शाम को भी ऑफिस से आते हुए उसे लेते हुए आया। अब ये हमारा रोज का रूटीन बन गया था। वो मेरे साथ एक तरह से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही थी। और साथ ही वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी बन गयी थी।



इसी तरह से धीरे धीरे वक़्त बीत रहा था। धीरे धीरे एक साल बीत गया। एक साल बाद कम्पनी ने मेरा प्रमोशन किया और साथ ही ट्रांसफर भी पूना हो गया। शाम को ऑफिस से लौटते वक़्त मैं चारु को लेकर एक रेस्टॉरेंट में पहुंचा। मैंने उसे अपने प्रमोशन की खबर दी तो वो बहुत खुश हुई।

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Ankit
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Re: पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

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लेकिन जब मैने उसे अपने ट्रांसफर के बारे में बताया तो, उसका चेहरा उतर गया। हमने शेम्पेन ओर्डर की थी, उसने आते ही दो ग्लास बनाये और चीयर्स करते हुए पूरा पेक पी गयी।



उसने एक और पेक बनाया ओर वो भी पी गयी। वो लगातार 4 पेक पी गयी। उसने शायद पहले कभी पी नहीं थी। तो उसे ज्यादा चढ़ गयी। मैं उसे लेकर घर जाने लगा, लेकिन अब बाइक पर तो नहीं जा सकते थे। मैंने एक टैक्सी बुक की और चारु को लेकर घर पहुंच गया।




मैं चारु को अंदर लेकर जा रहा था। तभी भाभी बाहर आ गयी।




भाभी बोली- इसे क्या हुआ है।



मैं बोला- भाभी आज मुझे प्रमोशन मिला था तो हम पार्टी कर रहे थे, तो इसे कुछ ज्यादा ही चढ़ गयी है।



भाभी बोली- अभी इसे ले जाओ। मैं इससे कल बात करूंगी।



मैं चारु को लेकर ऊपर आ गया। उसे उसके रूम में बेड पर लिटा दिया, फिर जैसे ही मैं बाहर को चला उसने मुझे बाहों में भर लिया। वो नशे मे थी लेकिन उसे हालात का एहसास था।



वो बोली- नहीं तुम मुझे छोड़ कर नहीं जा सकते। मेरी एक गलती की इतनी बड़ी सज़ा मत दो मुझे। अब सिर्फ तुम ही इस दिल में हो, सिर्फ तुम।



वो धीरे धीरे सब बड़बड़ा रही थी। और धीरे धीरे शांत हो गयी। शायद सो गयी। मैंने चारु के चेहरे की तरफ देखा, इतना मासूम ओर प्यारा चेहरा। हालात ने आज उसे कहाँ लाकर खड़ा कर दिया था।



मैं उससे अपने आपको छुड़ाकर अपने कमरे में आया। कपड़े बदले और सो गया। अगले दिन मेरी छुट्टी थी। दो दिन बाद मुझे जोइन करना था पूना में।



नीरा और चारु दोनों दुखी थे। चारु तो रो रही थी। लेकिन मुझे जाना था।



मैं पूना आ गया कम्पनी ने फ्लैट दे दिया था लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था। रोज़ रात को लगता कि चारु अभी आएगी और नंगी होकर मेरी गोद में बैठ जाएगी, सुबह 5 बजे ही आँख खुल जाती और मन चारु को नंगी नहाते देखने के लिए मचलने लगता।



इसके अलावा दो बातें और मेरे मन में घूम रही थीं, पहली यह कि चारु ने इतने आराम से मुझसे सम्बन्ध कैसे बना लिए जबकि भाभी ने बताया था कि थोड़ा सा छेड़ने पर ही पिछले किराएदार की उसने पिटाई कर दी थी, दूसरी यह कि मेरी 4 साल पुरानी फोटो उसके पास कहाँ से आई।




और जो उसने मुझसे उस रात कहा, कौनसी गलती की बात कर रही थी वो।

खैर अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा, ऑफिस का माहौल अच्छा था सभी ने बड़ी गर्मजोशी के साथ मेरा स्वागत किया। लेकिन एक बात थी यहां के स्टाफ में लड़कियां ज्यादा थी।




और मेरे डिपार्टमेंट में कुछ ज्यादा ही थीं, ज्यादा क्या 5 लड़कियों के बीच मैं ही एक अकेला लडका था। आखिर मेरा डिपार्टमेंट ही ऐसा था। आने वाले लोगों का ख्याल रखना, और इसके लिए आजकल लड़कियों का ही सहारा लिया जाता है।




मेरे ग्रुप की एक को छोड़कर सभी लड़कियां कुंवारी थी। तो सब बड़ी मस्तीबाज़ भी थीं। थोड़ी बोल्ड भी थीं, जोकि उनके जॉब की जरूरत थी। उनमें से एक लड़की जिसका नाम सीमा था, कुछ ज्यादा ही बोल्ड थी।



उसके नाम के बिल्कुल उलट उसका व्यहवार था। उसे अपनी कोई सीमा नहीं थी। वो सबसे मस्ती करती थी, ऑफिस में ज्यादातर से उसके सम्बन्ध रह चुके थे। ऑफिस के बॉस को भी हमेशा खुश रखती थी। इसीलिए उसे उसका भी पूरा सहयोग था।




ऑफिस में पहला दिन ठीक ठाक चारु की यादों के बीच गुज़र गया। रात को आकर फिर से वही चारु की चूत की याद आती। मेरा मन पूरी तरह से वहां पर नहीं लग रहा था।




आज मुझे पूरे 5 दिन ऑफिस जोइन किये हो गए थे। लन्च होने ही वाला था, और मेरा काम पूरा हो चुका था। तभी सीमा मेरे पास आकर बेठ गयी।




मैंने उसे हाय बोला। और उसने भी मुझे हाय किया। वो मेरे पास आकर बोली।




सीमा- क्या बात है...लगता है आपको आपकी किसी गर्लफ्रेंड की याद आ रही है।



मैं बोला- नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है। आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है।



वो बोली- इस ऑफिस में मैं करीब 7 साल से हूँ। यहां रहते रहते सब सीख चुकी हूँ कि कौनसा चेहरा क्या बता रहा है।



मैं बोला- वो जरा...मैं..



वो बोली- घबराये नहीं, आप अपनी बातें मेरे साथ शेयर कर सकते हैं। चलिए लन्च होने वाला है, बाहर चलते हैं।

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Re: पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

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मेरा भी ऑफिस में मन नहीं लग रहा था। मैंने भी हां कर दी, उसके पास कार थी हम लोग उसकी कार में चल दिए। हम लोग शहर से दूर निकल आये। वहां एक छोटा सा रेस्टॉरेंट था, हम लोग उसी रेस्टोरेंट में रुके।



खाना खाने के साथ ही मैने उसे अपने और चारु के बारे में बता दिया। खाना खाने के बाद जब मैंने चलने को कहा तो वो बोली।



सीमा- अभी रुकिये...चलते हैं कुछ देर में।



हम वहीं बैठकर बातें करने लगे। तो उसने अपने बारे में बताया। वो एक गरीब से परिवार की लड़की थी। बाप ने उसकी मा को छोड़कर दूसरी शादी कर ली थी, क्योंकि उसकी माँ ने 3 बेटियों को जन्म दिया था।



उसकी 2 बहनें हैं जो दिल्ली में हैं उसकी माँ के पास, वो वहीं पढ़ाई करती हैं। ये यहां से पैसे भेजती रहती है।




मैं बोला- तुम यहां तक कैसे पहुंच गयीं। और तुम्हारे घर वालों को इस बारे में पता है।



वो बोली- मेरे बारे में तुमने भी ऑफिस में जो सुना है, सब झूठ है मेरा किसीसे कोई संबंध नहीं है। हाँ बस बॉस के साथ है जोकि मेरी मजबूरी थी। और अब मेरी जरूरत है, मैं किसी और से सम्बन्ध बनाना नहीं चाहती। लेकिन अब जिस्म की जरूरत को भी पूरा करना है।



मैं कुछ बोल न सका। वो बाहर की तरफ देख रही थी, उसके चेहरे पर उसका दर्द झलक रहा था। तभी बारिश शुरू हो गयी।



मुम्बई और पूना में ज्यादा अंतर नहीं है। इसी वजह से मुम्बई की तरह ही यहां भी कभी कभी बेमौसम बरसात हो ही जाती है।



वो बाहर बारिश में आकर भीगने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे बहुत खुश हो। जब अपने मन की कोई बात किसी को बता दो तो ऐसा ही लगता है, क्योंकि मैं भी ये महसूस कर रहा था।




थोड़ी देर बाद हम चल दिए। बारिश अभी भी पड़ रही थी। बारिश में भीगने की वजह से उसे जुकाम हो गया था। गाड़ी में चला रहा था। हमें वहां रुकने की वजह से शाम हो गयी थी। और बारिश की वजह से शहर में घुसते घुसते और भी देर हो गयी। उसने बॉस को फोन कर दिया। अब हम घर की और चल दिए।




जाम बहुत ज्यादा लगा हुआ था। धीरे धीरे हम आगे बढ़ रहे थे, कि एक चौराहे पर पुलिस चेकपोस्ट लगा था। जिधर हम जा रहे थे वो उधर ही था। वो लोग सभी गाड़ियों को वापस लौटा रहे थे। किसी और रास्ते से जाने के लिए।



मैं वहां पहुँचा तो एक हवलदार ने बताया की आगे रोड पर तीन पेड़ टूटकर गिर गए हैं, और उनके साथ ही बिजली के तार भी टूट कर पड़े हैं। इसीलिए आप किसी और रोड से होकर चले जाइए।




मैंने गाड़ी अपने घर की और मौड़ दी। भीगने की वजह से सीमा की हालत खराब हो गयी थी। और इतनी देर से वो उन्ही भीगे कपड़ों में बैठी थी तो उसे ठंड भी लग रही थी। मैंने गाड़ी अपने घर लेजाकर रोक दी, और उसे अंदर चलने को कहा।



सीमा बोली- अरे नहीं मैं...चली जाऊँगी।



मैं बोला- ढंग से बोल भी तो नहीं पा रही हो। थोड़ी देर ही रुक लो। कपड़े बदलकर कॉफी पीकर चली जाना। वो मेरे साथ अंदर आ गयी। मैंने उसे अपनी एक शर्ट दे दी। वो अंदर बाथरूम में गयी। और शर्ट पहनकर बाहर आ गयी।


जब वो बाथरूम से बाहर आई, मैंने उसकी तरफ देखा वो बहुत हसीन लग रही थी।



फिगर तो उसका कातिल था ही वो अब और भी हसीन लग रही थी। वो आकर मेरे पास ही बैठ गयी। शर्ट उसके जांघो तक थी। बैठने की वजह से वो और ऊपर हो गयी। अंदर उसने कुछ नहीं पहना था।



मैंने उसे कोफ़ी दी। कोफ़ी लेकर वो पीने लगी, मेरा ध्यान बार बार उसकी चिकनी जांघो पर जा रहा था। जिसका शायद उसे भी अंदाजा हो गया। वो मुस्कुरा रही थी।



मैं झेंप गया। वो कुछ देर ऐसे ही बैठी रही। फिर मुझसे बोली। क्या सच में आपने मुझसे जो भी कहा वो सच था।



मैं बोला- किस बारे में।



वो बोली- चारु के बारे में।



मैं बोला- हां...ये बिल्कुल सच था।


फिर वो मेरे पास सरक आई, और बोली आज रात के लिए मैं ही आपकी चारु हूँ। इतना इशारा काफी था, मेरे लिए। मैंने उसे गोद मैं उठाया और बेडरूम में ले गया।


बिस्तर पर लिटाकर उसने उसे किस करना शुरू कर दिया।




वो दोनो एक दूसरे को किस करने में डूबे हुए थे। राहुल को तो सामने बस चारु ही नज़र आ रही थी। वो उसे किस करते करते नीचे पहुंचने लगा। उसने सीमा की शर्ट के बटन खोल दिए। उसके दोनों निप्पल बाहर आ गए।



वो उन्हें चूसने लगा। एक निप्पल को वो चूस रहा था और दूसरे को हाथों से मरोड़ रहा था। फिर दोनों का स्थान बदल दिया। अब दूसरे को वो चुसने लगा। सीमा एक दम मस्त हो गयी थी।



राहुल ने शर्ट को उतार दिया। अब वो अपने कपड़े उतारने लगा। तो सीमा ने उसकी शर्ट ही फाड़ डाली, उससे अब बर्दास्त नहीं हो रहा था। उसने उसका पैंट खोला और टूट पड़ी।



5 मिनट तक वो उसका लण्ड चूसती रही। उसके बाद राहुल ने उसे उठाकर 69 की पोजीशन में ले लिया। अब दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे। 10 मिनट के बाद राहुल झड़ा और सीमा भी।



दोनों बेड पर लेट कर हांफने लगे। कुछ देर बाद फिर से राहुल ने सीमा को पकड़ा और उसकी टांगो के बीच पहुंच गया। फिर एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी। थोड़ी देर तक वो उसकी मालिश करता रहा। उसने एक और उंगली अंदर डाल दी।




थोड़ी देर बाद उसने उंगली निकाल ली और उसे फिर से किस करने लगा।




अब उसका लण्ड उसकी चूत पर रगड़ रहा था। सीमा ने उसे अपने हाथ से पकड़ कर चूत पर सेट किया। राहुल ने देर ना करते हुए, उसे अंदर डालना चालू किया।



सीमा ने राहुल का एक हाथ अपने मुँह मे दबा लिया। धीरे धीरे लण्ड अंदर जाने लगा। कुछ देर तक राहुल हल्के धक्के लगाता रहा फिर सीमा भी कमर उठाकर रेसपोंस देने लगी। उसने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी।



आह उह सीसी सी की आवाज़ें गूंज रहीं थी। फच फच की आवाज से जैसे कमरे में कोई गाना चला दिया हो। सीमा मस्ती में डूबी यस यस चिल्ला रही थी। दोनो युवा चुदाई की इस लीला में ऐसे डूबे थे, कि जहां की कोई खबर नहीं थी।



चर्मसीमा पर पहुंचने के बाद सीमा ने राहुल को कस कर जकड़ लिया। उसकी योनि में एक कसावट आ गयी। और एक झटके के साथ वो झड़ गयी। चूत की गर्मी बढ़ गयी, जिससे राहुल भी तुरंत झड़ गया।



दोनों बिस्तर पर एक दूसरे से लिपटे पड़े थे। तभी राहुल बोला।



राहुल- चारु...आज तो मज़ा आ गया।
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एक महीने बाद 2 दिन के लिए मैं घर गया,



माँ बोली- अब शादी कर ले !



मैंने हँसते हुए कहा- माँ लगता है तुम राजश्री से मेरी शादी करवा के मानोगी।




राजश्री मेरी माँ की सहेली की बेटी थी। 4 साल पहले जब मैं MBA की पढ़ाई में 4 महीने के लिए विदेश गया था तब पिताजी की पोस्टिंग नासिक हो गई थी, राजश्री और उसकी माँ हमारी पड़ोसन थीं।




माँ के पैर की हड्डी टूट गई थी, सारा काम दोनों माँ बेटी ने संभाल लिया था। मेरे वापस आने से पहले ही मेरे पिताजी ने ट्रान्सफर वापस औरंगाबाद करा लिया था। राजश्री के मां बाप से एक बार मैं भी मिला था लेकिन राजश्री को मैंने कभी नहीं देखा था।



मैंने जब आज राजश्री की बात की तो माँ थोड़ा गंभीर हो गईं




माँ बोलीं- हमारी और रीता आंटी की बहुत इच्छा थी कि तेरी और राजश्री की शादी हो जाए। मैंने तेरी एक फोटो भी उन्हें भेजी थी। लेकिन राजश्री एक टपोरी लड़के के साथ भाग गई और उसने शादी कर ली।



भाईसाहब को हार्ट अटेक पड़ गया। रीता ने राजश्री से रिश्ता तोड़ लिया। रीता मन से उसकी याद नहीं निकाल पाई, उसकी याद मैं रीता अब बहुत बीमार रहने लगी है।



माँ आंसू पोंछती हुई बोली- बेटा समय बदल गया है, तुझे शादी अपने मन से करनी हो तो अपने मन से कर लेना, अगर हम लोगों को तेरी शादी करवानी हो तो हमें बता देना। हम तुझ पर शादी थोंपेंगे नहीं।




मैंने एक सीटी बजाई और बोला- माँ, तुम तो सेंटी होने लगीं, मैं बाहर घूम कर आता हूँ, फिलहाल शादी बाय बाय।



मैं वापस पूना आ गया लेकिन चारु की याद दिल से नहीं निकल पाई। एक दिन दिल कड़ा करके मैंने अपनी माँ को बता दिया कि एक लड़की से शादी करना चाहता हूँ, मैंने यह नहीं बताया कि चारु विधवा है माँ ने हाँ भर दी।



शाम को मैं गाडी से मुंबई पहुँच गया मुझे देखकर सब खुश हो गए।



चारु की आँखों में उदासी छा रही थी। मैंने आगे बढ़कर भाभी के सामने उसको बाँहों में जकड लिया और होंट चूस लिए, चारु सकपका गई।



मैंने भाभी को बता दिया कि मैं चारु से शादी कर रहा हूँ। 24 साल की चारु की आँखों से ख़ुशी के आंसू टपक पड़े लेकिन चारु शादी करने को राजी नहीं थी।




चारु बोली- मैं शादी तुमसे तभी करुँगी जब तुम्हारे माँ बाप राजी होंगे।




मैने कहा- ठीक है, औरंगाबाद चलो।




सुबह 7 बजे हम लोग मुंबई से निकले, बजे मैं घर पर था। मैंने सोच रखा था कि मैं माँ को ये नहीं बताऊँगा कि चारु विधवा है। 24 साल की चारु लड़की ही लगती थी।




मैंने घर की घंटी बजाई, माँ ने दरवाज़ा खोला, लेकिन यह क्या, चारु को देखते ही उन्हें चक्कर आ गया। चारु का भी चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया, चारु ने आगे बढ़कर उन्हें संभाला और बोली- आंटी, मुझे माफ़ कर दो।




अब दिमाग घुमने की बारी मेरी थी। माँ 5 मिनट बाद संभल गई और बोलीं- राजश्री तेरा मुझ पर बहुत एहसान है लेकिन मेरे घर मैं तू तब ही आना जब तेरी माँ तुझे अपने घर में घुसने दे।




अब यह सुन कर मेरा दिमाग 5 मिनट के लिए सुन्न हो गया। माँ ने हमें घर में नहीं बैठने दिया।




मुझे लगा कि यह कहानी चारु या राजश्री के घर जाने पर ही सुलझेगी। मैंने एक टैक्सी किराए पर ली और नासिक की तरफ निकल पड़ा। चारु बुरी तरह से रो रही थी।



चारु बोली- मैं तुमसे शादी नहीं करुँगी, मुझे घर नहीं जाना, मेरी माँ बोली थी कि कभी घर आई तो मुझे मार देगी या खुद मर जाएगी।




मैंने उससे कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा।




चारु से मैंने कुछ बातें पूछीं उसने बताया कि उसके घर का नाम राजश्री है और जब तुम्हारा रिश्ता आया तब तक उसके शारीरिक सम्बन्ध आकाश से बन गए थे, उसकी कुछ गलत आदतों का भी पता चल गया था।




तुम्हारे मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं, तुम भी फोटो में बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था आकाश को छोड़ दूँ लेकिन मन में यह बात बैठी थी कि जिससे सील खुलवा लो, वो ही पति होना चाहिए। मैं आकाश के साथ भाग गई लेकिन तुम्हें मन से नहीं निकाल पाई, तुम्हारी फोटो मेरे पास तभी से है और जब तुम किराएदार बनकर आए तो मैं अपने को नहीं रोक पाई और तुमसे सम्बन्ध बना बैठी।

बोलते बोलते चारु का पूरा आंचल आंसुओं से भीग गया था।



मैंने कहा- सील और शक्ल याद करके बने संबंध कुछ दिन के ही होते हैं, असली संबंध तो हम एक दूसरे से मानसिक रूप से कितना जुड़ते हैं, उससे होते हैं और न तुम आकाश को बदल पाईं न आकाश खुद को इसलिए यह संबंध तो स्थायी था ही नहीं।



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