मेरी बिगडेल जिद्दी बहन complete
- kunal
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
Achhi kahani shuru ki hai mitr . Mast kahani banegi
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
- shubhs
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
आगे मित्र
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- rangila
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
Thanks to all
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- rangila
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मेरे हाथ मेरी शर्ट के बटन पर जाते ही मुझे एक गजब का आइडीया आया और मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई मुझे लगा कि अब मैं जीत सकता हूँ और मैने अपनी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और मिली को देखने लगा मिली ने कोई भी रिक्षन नही दिखाया और अपनी टॉप के बटन खोल कर मेरी तरफ देखने लगी पता नही कितनी ज़िद्दी लड़की थी वो लेकिन मैं भी नही मानने वाला था मैने अपनी शर्ट उतार कर फेंक दी लेकिन मिली भी पीछे नही रही और उसने भी अपना टॉप उतार दिया अब वो उपर से सिर्फ़ ब्रा मे मेरे सामने खड़ी थी उसे ऐसे देख मैं दंग रह गया लेकिन अभी बात हार जीत की थी तो मैने अपना लोवर निकाल दिया और अब मैं सिर्फ़ चड्डी बनियान पर था शायद मिली को हारना पसंद नही था उसने भी देर नही की और झट से अपना जींस निकाल दिया वा क्या दिलकश नज़ारा था आप लोग समझ सकते है लेकिन उस नज़ारे का मुझ पर कोई फरक नही पड़ रहा था मेरे दिमाग़ मे तो एक सनक चढ़ि हुई थी मैने अपनी बनियान भी उतार दी अब मिली कुछ देर तक चुप खड़ी रही उसे ऐसे चुप खड़े देख मेरे होंठो पर मुस्कान आ गई जिसका मिली पर उल्टा ही असर हुआ और उसने अपनी ब्रा उतार दी उसके मध्यम आकर के बूब्स खुली हवा मे सांस लेने लगे मेरी नज़रे उनसे हटने का नाम ही नही ले रही थी क्या मस्त बूब्स थे मेरी बहन के एकदम तने हुए और उन पर पिंक चुचिया बहुत अच्छी लग रही थी आज तक मैने किसी भी लड़की को ऐसे नही देखा था मेरे होंठ सुख चुके थे .
मैने अपनी जीभ होंठो पर फिराई तभी मिली ने हल्के से खांसा शायद वो समझ गई थी कि मैं भटक रहा हूँ इधर मेरा लंड भी खड़ा हो कर चड्डी के अंदर उछल रहा था जो कि मिली की नज़रो से छुपा भी नही था क्यों कि जब उसने खांसा उस समय उसकी नज़र मेरे लंड के उभार पर ही जमी थी मैं सोच मे पड़ गया कि अब मैं क्या करूँ अपनी चड्डी उतारू या नही लेकिन मिली के बूब्स देख कर मेरी नियत उस पर खराब हो गई थी मेरे मन मे उसे नंगी देखने की तीव्र इच्छा होने लगी अब अगर मैं अपना आख़िरी कपड़ा भी उतार देता हूँ तो इसमे मेरा ही फ़ायदा था यदि मिली ने भी अपनी पैंटी उतार दी तो मैं उसे नंगा देख सकता हूँ और अगर नही उतारी तो मैं जीत जाउन्गा ये आइडीया मुझे अच्छा लगा और मैने अपनी चड्डी भी उतार दी मेरा लंड फुफ्कार्ते हुए बाहर आ गया लंड के बाहर आते ही मिली की नज़रे उस पर जम गई शायद उसका गला सुख गया उसने ज़ोर से थूक गट्का और अपनी जीभ होंठो पर फिराने लगी जो हालत मिली की मेरे लंड को देख कर हो रही थी वही हालत मेरी उसके बूब्स को देख कर हो रही थी मैं उन्हे चूमना चाहता था मसलना चाहता था लेकिन मिली मेरी बहन थी यही बात मुझे रोक रही थी
मिली की नज़रे मेरे लंड से हटने का नाम ही नही ले रही थी इसलिए अबकी बार मुझे खांसना पड़ा मेरी तरफ से अब ज़िद्द जैसी कोई बात नही थी और हार जीत से भी अब मुझे कोई मतलब नही रह गया था लेकिन मिली नही मानी और अपनी ज़िद्द मे आकर उसने अपनी पैंटी भी उतार दी और अपनी आँखे बंद कर ली उसे पूरा नंगा देख कर मेरा मूह खुला का खुला ही रह गया
उसकी गुलाबी बगैर बालो की चिकनी फूली हुई चूत मुझे संसार मे सबसे खूबसूरत चीज़ लग रही थी अपने आप ही मेरे कदम मिली की तरफ बढ़ने लगे मैं उसके पास पहुचा और उसके बूब को हल्के से किस करते हुए मैने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी मे भर कर भींच दिया मिली मेरी इस हरकत से सिहर उठी लेकिन जैसी की तैसी खड़ी रही लेकिन अभी बी मेरे मन से ये बात जुदा नही हुई थी कि वो मेरी सग़ी जुड़वा बहन है इसलिए मैने इससे आगे कुछ नही किया और वापस लौट कर अपने कपड़े उठा कर पहनने लगा मेरे हटते ही मिली ने अपनी आँखे खोल दी थी और बड़ी ही अजीब निगाहो से मुझे देख रही थी मैने उसे ऐसे ही छोड़ा और समान लेने बाजार चल दिया....
मैं बाजार से समान लेकर आचुका था मिली भी अपने कपड़े पहन चुकी थी लेकिन पता नही क्यों अभी वो कुछ चुप चुप सी थी और वैसे भी थोड़ी देर पहले हमारे बीच जो हुआ था उसके बाद हम दोनो मे ही आपस मे बात करने की हिम्मत नही थी खास तौर पर मुझमे क्यों कि मैं अपनी बहन के बूब्स दबा चुका था और उसकी चूत भी अपनी मुट्ठी मे भींच चुका था मेरे मन मे बहुत डर था कि मिली किसी को बता ना दे लेकिन ये विश्वास भी था कि जो भी हुआ उसमे वो भी शामिल थी इसलिए वो किसी को बताने की हिम्मत नही करेगी
खैर जैसा मैं सोच रहा था वैसा कुछ भी नही हुआ और शाम को पापा मम्मी भी वापस आ गये फिर खाना खा कर सभी अपने अपने रूम मे चले गये पता नही आज मुझे मेरे रूम मे ही अच्छा नही लग रहा था मिली से आँख मिलाने की हिम्मत ही नही पढ़ रही थी वहीं मिली भी मुझसे नज़रे चुरा रही थी लेकिन पता नही क्यों मुझे लग रहा था कि उसके चेहरे पर एक अजीब सी हल्की हल्की मुस्कुराहट तैर रही थी
मैं रूम मे आते ही अपने कपड़े चेंज कर के अपने बेड पर लेट गया और मिली भी आते ही बाथ रूम मे घुस गई कपड़े चेंज करने को
मिली बाथ रूम से बाहर आई तो उसे देख कर मैं चौंक गया आज उसने एक झीनी सी नाइटी पहनी थी जो बड़ी मुश्किल से उसकी आधी जाँघो को भी नही ढँक पा रही थी
जिससे उसकी पतली लंबी छरहरी टाँगे और भारी मांसल जांघे जिन पर एक बाल नही था पूरी तरह से मेरी नज़रो के सामने थी उसकी पारदर्शी नाइटी से उसकी ब्रा और पैंटी सॉफ नज़र आरहे थे उसके भारी और बाहर को निकले हुए नितंबो की वजह से उसकी नाइटी पीछे से उठी हुई थी आज पहली बार मैं अपनी बहन को एक लड़के की नज़र से देख रहा था उसके 5'7 की हाइट वाले बदन पर लगभग 34 के बूब्स 28 की कमर और 38 के नितंब थे बाल भूरा पन लिए कंधो तक आरहे थे और रंग हल्का गुलाबी गोरा था ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सामने फिल्म आक्टर्स आसीन खड़ी हो ये बात तो पक्का थी कि मेरी बहन सच मे एक पटाखा माल थी जिसे ऐसे देख किसी भी लड़के का लंड खड़ा हो जाए और सच मे मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था और उसने मेरे बॉक्सर मे बड़ा सा टेंट भी बना दिया था जिस पर मिली की नज़र चली गई थी और उसे देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान भी आ गई थी
मैने कोशिश की कि मेरा टेंट छुप जाए लेकिन वो नही छुपा तो मैने अपनी जाँघो के बीच एक तकिया रख लिया अब मिली ने सोने की बजाए अपनी एक बुक निकाल ली और अपनी कमर मटकाते हुए रूम मे चहल कदमी करते हुए पढ़ने लगी जिससे उसके भारी नितंबो मे थिरकन सी होने लगी और उन्हे देख कर मेरा लंड फटने को होने लगा मेरा मन कर रहा था कि मैं उन खरबूजो को मसल डालु लेकिन मेरी मजबूरी थी मैं कुछ भी नही कर सकता था इसलिए मैने अपनी आँखे बंद कर ली लेकिन रूम मे जलती हुई लाइट की वजह से मुझे नींद नही आरहि थी इसलिए आख़िरकार मुझे मिली से बोलना ही पड़ा कि वो लाइट बंद कर दे .
मैने अपनी जीभ होंठो पर फिराई तभी मिली ने हल्के से खांसा शायद वो समझ गई थी कि मैं भटक रहा हूँ इधर मेरा लंड भी खड़ा हो कर चड्डी के अंदर उछल रहा था जो कि मिली की नज़रो से छुपा भी नही था क्यों कि जब उसने खांसा उस समय उसकी नज़र मेरे लंड के उभार पर ही जमी थी मैं सोच मे पड़ गया कि अब मैं क्या करूँ अपनी चड्डी उतारू या नही लेकिन मिली के बूब्स देख कर मेरी नियत उस पर खराब हो गई थी मेरे मन मे उसे नंगी देखने की तीव्र इच्छा होने लगी अब अगर मैं अपना आख़िरी कपड़ा भी उतार देता हूँ तो इसमे मेरा ही फ़ायदा था यदि मिली ने भी अपनी पैंटी उतार दी तो मैं उसे नंगा देख सकता हूँ और अगर नही उतारी तो मैं जीत जाउन्गा ये आइडीया मुझे अच्छा लगा और मैने अपनी चड्डी भी उतार दी मेरा लंड फुफ्कार्ते हुए बाहर आ गया लंड के बाहर आते ही मिली की नज़रे उस पर जम गई शायद उसका गला सुख गया उसने ज़ोर से थूक गट्का और अपनी जीभ होंठो पर फिराने लगी जो हालत मिली की मेरे लंड को देख कर हो रही थी वही हालत मेरी उसके बूब्स को देख कर हो रही थी मैं उन्हे चूमना चाहता था मसलना चाहता था लेकिन मिली मेरी बहन थी यही बात मुझे रोक रही थी
मिली की नज़रे मेरे लंड से हटने का नाम ही नही ले रही थी इसलिए अबकी बार मुझे खांसना पड़ा मेरी तरफ से अब ज़िद्द जैसी कोई बात नही थी और हार जीत से भी अब मुझे कोई मतलब नही रह गया था लेकिन मिली नही मानी और अपनी ज़िद्द मे आकर उसने अपनी पैंटी भी उतार दी और अपनी आँखे बंद कर ली उसे पूरा नंगा देख कर मेरा मूह खुला का खुला ही रह गया
उसकी गुलाबी बगैर बालो की चिकनी फूली हुई चूत मुझे संसार मे सबसे खूबसूरत चीज़ लग रही थी अपने आप ही मेरे कदम मिली की तरफ बढ़ने लगे मैं उसके पास पहुचा और उसके बूब को हल्के से किस करते हुए मैने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी मे भर कर भींच दिया मिली मेरी इस हरकत से सिहर उठी लेकिन जैसी की तैसी खड़ी रही लेकिन अभी बी मेरे मन से ये बात जुदा नही हुई थी कि वो मेरी सग़ी जुड़वा बहन है इसलिए मैने इससे आगे कुछ नही किया और वापस लौट कर अपने कपड़े उठा कर पहनने लगा मेरे हटते ही मिली ने अपनी आँखे खोल दी थी और बड़ी ही अजीब निगाहो से मुझे देख रही थी मैने उसे ऐसे ही छोड़ा और समान लेने बाजार चल दिया....
मैं बाजार से समान लेकर आचुका था मिली भी अपने कपड़े पहन चुकी थी लेकिन पता नही क्यों अभी वो कुछ चुप चुप सी थी और वैसे भी थोड़ी देर पहले हमारे बीच जो हुआ था उसके बाद हम दोनो मे ही आपस मे बात करने की हिम्मत नही थी खास तौर पर मुझमे क्यों कि मैं अपनी बहन के बूब्स दबा चुका था और उसकी चूत भी अपनी मुट्ठी मे भींच चुका था मेरे मन मे बहुत डर था कि मिली किसी को बता ना दे लेकिन ये विश्वास भी था कि जो भी हुआ उसमे वो भी शामिल थी इसलिए वो किसी को बताने की हिम्मत नही करेगी
खैर जैसा मैं सोच रहा था वैसा कुछ भी नही हुआ और शाम को पापा मम्मी भी वापस आ गये फिर खाना खा कर सभी अपने अपने रूम मे चले गये पता नही आज मुझे मेरे रूम मे ही अच्छा नही लग रहा था मिली से आँख मिलाने की हिम्मत ही नही पढ़ रही थी वहीं मिली भी मुझसे नज़रे चुरा रही थी लेकिन पता नही क्यों मुझे लग रहा था कि उसके चेहरे पर एक अजीब सी हल्की हल्की मुस्कुराहट तैर रही थी
मैं रूम मे आते ही अपने कपड़े चेंज कर के अपने बेड पर लेट गया और मिली भी आते ही बाथ रूम मे घुस गई कपड़े चेंज करने को
मिली बाथ रूम से बाहर आई तो उसे देख कर मैं चौंक गया आज उसने एक झीनी सी नाइटी पहनी थी जो बड़ी मुश्किल से उसकी आधी जाँघो को भी नही ढँक पा रही थी
जिससे उसकी पतली लंबी छरहरी टाँगे और भारी मांसल जांघे जिन पर एक बाल नही था पूरी तरह से मेरी नज़रो के सामने थी उसकी पारदर्शी नाइटी से उसकी ब्रा और पैंटी सॉफ नज़र आरहे थे उसके भारी और बाहर को निकले हुए नितंबो की वजह से उसकी नाइटी पीछे से उठी हुई थी आज पहली बार मैं अपनी बहन को एक लड़के की नज़र से देख रहा था उसके 5'7 की हाइट वाले बदन पर लगभग 34 के बूब्स 28 की कमर और 38 के नितंब थे बाल भूरा पन लिए कंधो तक आरहे थे और रंग हल्का गुलाबी गोरा था ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सामने फिल्म आक्टर्स आसीन खड़ी हो ये बात तो पक्का थी कि मेरी बहन सच मे एक पटाखा माल थी जिसे ऐसे देख किसी भी लड़के का लंड खड़ा हो जाए और सच मे मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था और उसने मेरे बॉक्सर मे बड़ा सा टेंट भी बना दिया था जिस पर मिली की नज़र चली गई थी और उसे देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान भी आ गई थी
मैने कोशिश की कि मेरा टेंट छुप जाए लेकिन वो नही छुपा तो मैने अपनी जाँघो के बीच एक तकिया रख लिया अब मिली ने सोने की बजाए अपनी एक बुक निकाल ली और अपनी कमर मटकाते हुए रूम मे चहल कदमी करते हुए पढ़ने लगी जिससे उसके भारी नितंबो मे थिरकन सी होने लगी और उन्हे देख कर मेरा लंड फटने को होने लगा मेरा मन कर रहा था कि मैं उन खरबूजो को मसल डालु लेकिन मेरी मजबूरी थी मैं कुछ भी नही कर सकता था इसलिए मैने अपनी आँखे बंद कर ली लेकिन रूम मे जलती हुई लाइट की वजह से मुझे नींद नही आरहि थी इसलिए आख़िरकार मुझे मिली से बोलना ही पड़ा कि वो लाइट बंद कर दे .
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
ये सुबह की घटना के बाद से पहली बात थी मेरी मिली से लेकिन उसने लाइट बंद नही की मैने फिर से कहा तो वो रूखे स्वर मे बोली कि यदि इतनी ही परेशानी हो रही है तो मूह ढँक कर सो जाओ मैं जानता था कि वो ज़िद्दी है इसलिए मैने बहस ना करते हुए एक तौलिया उठा कर अपने मूह पर डाल लिया और सोने की कोशिश करने लगा अभी 5 मिनिट भी नही हुए थे मुझे सोनेंकी कोशिश करते हुए कि मिली ने मेरे चेहरे से तौलिया खींच लिया और बोली "सुबह तो बहुत मस्ती कर रहे थे और अभी जब मुझे नींद नही आ रही है तो खुद सोने लगे"
"तुम भी सो जाओ मिली रात बहुत हो गई है" मैं बोला
अब एक बात तो क्लियर हो गई थी कि मिली मुझसे नाराज़ नही है मेरी बात सुनकर मिली बोली "नही अभी मुझे नींद नही आ रही है और मैं तुम्हे भी सोने नही दूँगी" और वो मुझे गुदगुदी करने लगी लेकिन मैने अपनी आँखे बंद ही रखी जिसे देख वो और भड़क गई और उठो उठो कहते हुए मेरे बाल खिचने लगी अब बात मेरे भी बर्दाश्त से बाहर होने लगी तो मैं बोला "देख मिली मान जा और मुझे सोने दे वरनाा..."
"वरना क्या कर लोगे तुम और तुम कुछ कर भी नही सकते अभी सुबह ही तो मैने तुम्हे हराया था बड़े आए वरना वाले" कह कर मिली मुझे फिर से झझोडने लगी
"तू ऐसे नही मानेगी" कह कर मैं उठा और उसे बेड पर लेटा दिया और उस पर ढेर हो गया अब उसके होंठ मेरे होंठो मे दबे थे और मेरा एक हाथ उसके सॉफ्ट बूब्स को मसल रहा था जबकि मेरा खड़ा लंड उसकी चूत के पास दस्तक दे रहा था जबकि मिली की आँखे बंद थी और वो अपने हाथो से मुझे पीछे धकेलने की कोशिश कर रही थी.....
मिली मुझे पीछे धकेलने की कोशिश तो कर रही थी लेकिन उसके विरोध मे दम नही था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो भी यही चाहती है मैं और भी ज़्यादा जोश मे आ गया था अब और जोरो से उसके बूब्स मसल रहा था और लगातार अपने लंड का प्रहार उसकी चूत के उपर कर रहा था अब शायद मिली भी अपने रंग मे आने लगी थी उसने मेरा सिर पकड़ कर अपने चेहरे पर दबा दिया और अपनी कमर उपर की ओर उठाने लगी उसके ऐसा करने से मेरा लंड लगातार फूलता ही जरहा था मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरा बॉक्सर छोटा हो गया है लगभग 10 मिनिट तक हम दोनो ऐसे ही मज़े करते रहे तभी मिली का बदन टेढ़ा होने लगा और उसकी सारी हरकते रुक गई ये देख कर मैं भी रुक गया और उठ कर बैठ गया मिली ने अपने दोनो हाथो से बेड शीट भिच ली थी तभी मेरी नज़र मिली की चूत के पर गई उसकी पैंटी चूत वाले हिस्से पर एकदम से गीली हो गई थी मैं समझ गया कि मिली का काम हो गया है
लगभा 5 मिनिट तक मिली ऐसे ही आँखे बंद किए पड़ी रही फिर वो उठी बगैर कुछ बोले अपने बेड पर गई और लाइट बंद कर के सो गई लेकिन मेरा काम अभी नही हुआ था इन सब से मैं इतना गरम हो गया था कि बगैर मूठ मारे मुझे नींद नही आने वाली थी मेरा मन किया कि यहाँ बेड पर ही मूठ मार लूँ लेकिन अभी मिली मुझसे इतनी ओपन नही हुई थी इसलिए मैं बाथ रूम जाकर मूठ मार आया सोते वक्त मैने मिली की तरफ देखा लेकिन उसकी आँखे बंद थी इसलिए मैं भी बगैर कुछ बोले सो गया
सुबह मेरी नींद खुली तो मिली रूम मे नही थी मैं भी उठा और फ्रेश हो कर हॉल मे आ गया वहाँ सभी लोग बैठे थे और बाते कर रहे थे मैं भी जाकर उनके पास बैठ गया था तभी पापा बोले "बेटा आज राज मिस्त्री से बात कर लेना उपर के कमरो का काम करवाना है"
मैने भी हां मे जवाब दे दिया लेकिन शायद मिली को अब ये मंजूर नही था इसलिए वो बोली "रहने दीजिए पापा मैं अड्जस्ट कर लूँगी राजू के ही रूम मे, क्यों राजू तुम्हे तो कोई परेशानी नही है"
"मुझे कोई परेशानी नही है परेशानी तो तुम्हे थी" मैं बोला
और उसके बाद पापा ने राहत की सांस ली और फिर मम्मी नाश्ता बनाने चली गई मिली और मुझमे नॉर्मल बाते शुरू हो गई थी रात मे जो हुआ शायद वो भूल गई थी या जान बुझ कर याद नही कर रही थी फिर मम्मी पापा अपने जॉब पर चले गये और हम दोनो भी अपने अपने काम से लग गये दिन भर साथ रहने के बाद भी हम दोनो मे रात की घटना के बारे मे कोई बात नही हुई और हम दोनो ने ही एकदम नॉर्मल बिहेव किया
"तुम भी सो जाओ मिली रात बहुत हो गई है" मैं बोला
अब एक बात तो क्लियर हो गई थी कि मिली मुझसे नाराज़ नही है मेरी बात सुनकर मिली बोली "नही अभी मुझे नींद नही आ रही है और मैं तुम्हे भी सोने नही दूँगी" और वो मुझे गुदगुदी करने लगी लेकिन मैने अपनी आँखे बंद ही रखी जिसे देख वो और भड़क गई और उठो उठो कहते हुए मेरे बाल खिचने लगी अब बात मेरे भी बर्दाश्त से बाहर होने लगी तो मैं बोला "देख मिली मान जा और मुझे सोने दे वरनाा..."
"वरना क्या कर लोगे तुम और तुम कुछ कर भी नही सकते अभी सुबह ही तो मैने तुम्हे हराया था बड़े आए वरना वाले" कह कर मिली मुझे फिर से झझोडने लगी
"तू ऐसे नही मानेगी" कह कर मैं उठा और उसे बेड पर लेटा दिया और उस पर ढेर हो गया अब उसके होंठ मेरे होंठो मे दबे थे और मेरा एक हाथ उसके सॉफ्ट बूब्स को मसल रहा था जबकि मेरा खड़ा लंड उसकी चूत के पास दस्तक दे रहा था जबकि मिली की आँखे बंद थी और वो अपने हाथो से मुझे पीछे धकेलने की कोशिश कर रही थी.....
मिली मुझे पीछे धकेलने की कोशिश तो कर रही थी लेकिन उसके विरोध मे दम नही था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो भी यही चाहती है मैं और भी ज़्यादा जोश मे आ गया था अब और जोरो से उसके बूब्स मसल रहा था और लगातार अपने लंड का प्रहार उसकी चूत के उपर कर रहा था अब शायद मिली भी अपने रंग मे आने लगी थी उसने मेरा सिर पकड़ कर अपने चेहरे पर दबा दिया और अपनी कमर उपर की ओर उठाने लगी उसके ऐसा करने से मेरा लंड लगातार फूलता ही जरहा था मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरा बॉक्सर छोटा हो गया है लगभग 10 मिनिट तक हम दोनो ऐसे ही मज़े करते रहे तभी मिली का बदन टेढ़ा होने लगा और उसकी सारी हरकते रुक गई ये देख कर मैं भी रुक गया और उठ कर बैठ गया मिली ने अपने दोनो हाथो से बेड शीट भिच ली थी तभी मेरी नज़र मिली की चूत के पर गई उसकी पैंटी चूत वाले हिस्से पर एकदम से गीली हो गई थी मैं समझ गया कि मिली का काम हो गया है
लगभा 5 मिनिट तक मिली ऐसे ही आँखे बंद किए पड़ी रही फिर वो उठी बगैर कुछ बोले अपने बेड पर गई और लाइट बंद कर के सो गई लेकिन मेरा काम अभी नही हुआ था इन सब से मैं इतना गरम हो गया था कि बगैर मूठ मारे मुझे नींद नही आने वाली थी मेरा मन किया कि यहाँ बेड पर ही मूठ मार लूँ लेकिन अभी मिली मुझसे इतनी ओपन नही हुई थी इसलिए मैं बाथ रूम जाकर मूठ मार आया सोते वक्त मैने मिली की तरफ देखा लेकिन उसकी आँखे बंद थी इसलिए मैं भी बगैर कुछ बोले सो गया
सुबह मेरी नींद खुली तो मिली रूम मे नही थी मैं भी उठा और फ्रेश हो कर हॉल मे आ गया वहाँ सभी लोग बैठे थे और बाते कर रहे थे मैं भी जाकर उनके पास बैठ गया था तभी पापा बोले "बेटा आज राज मिस्त्री से बात कर लेना उपर के कमरो का काम करवाना है"
मैने भी हां मे जवाब दे दिया लेकिन शायद मिली को अब ये मंजूर नही था इसलिए वो बोली "रहने दीजिए पापा मैं अड्जस्ट कर लूँगी राजू के ही रूम मे, क्यों राजू तुम्हे तो कोई परेशानी नही है"
"मुझे कोई परेशानी नही है परेशानी तो तुम्हे थी" मैं बोला
और उसके बाद पापा ने राहत की सांस ली और फिर मम्मी नाश्ता बनाने चली गई मिली और मुझमे नॉर्मल बाते शुरू हो गई थी रात मे जो हुआ शायद वो भूल गई थी या जान बुझ कर याद नही कर रही थी फिर मम्मी पापा अपने जॉब पर चले गये और हम दोनो भी अपने अपने काम से लग गये दिन भर साथ रहने के बाद भी हम दोनो मे रात की घटना के बारे मे कोई बात नही हुई और हम दोनो ने ही एकदम नॉर्मल बिहेव किया
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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