मेरी बिगडेल जिद्दी बहन complete

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rangila
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन complete

Post by rangila »

अब तो मेरी भी समझ में आ गया था कि मिली के इरादे क्या हैं।
मेरे दिमाग में ये बात आते ही रोमाँच से मेरे रोंगटे खड़े हो गए और दिल की धड़कनें अचानक से बढ़ गई।
मेरे पकड़ने के बावजूद भी मिली मेरे लिंग को चूमती रही और साथ ही धीरे-धीरे मेरे लिंग को हाथ से भी सहलाती रही। मैंने भी मिली के सिर को पकड़ कर जोर से अपने लिंग पर दबा लिया, मगर मिली ने किसी तरह अपने आपको छुड़वा लिया और फिर से मेरे लिंग के चारों तरफ चूमने लगी।

इस बार मिली नीचे लिंग की जड़ से चूमते हुए धीरे-धीरे ऊपर सुपारे की तरफ बढ़ रही थीं।
मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था कि किसी के नर्म मुलायम होंठ मेरे लिंग को चूम रहे थे। अभी तक मैंने बस अपने कठोर हाथ से ही अपने लिंग को मुठियाया था.. मगर आज पहली बार मिली के नाजुक होंठों की छुवन को अपने लिंग पर मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।

उत्तेजना के आवेश में मैंने मिली के बालों को पकड़ने की कोशिश की.. मगर तब तक मिली के होंठ फिसल कर मेरे लिंग के ऊपरी छोर तक पहुँच गए, उन्होंने हाथ से मेरे सुपारे की चमड़ी को थोड़ा सा पीछे किया और अपने नर्म होंठों से मेरे सुपारे के अग्र भाग को चूम लिया जिससे मेरा पूरा शरीर झनझना गया और अनायास ही मेरे मुँह से एक ‘आह्ह..’ निकल गई।

मिली ने बस एक बार ही अपने कोमल होंठों से मेरे सुपारे को छुआ था। उसके बाद उन्होंने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और मेरे लिंग के नीचे की तरफ चूमने लगी।

मुझसे अब सहन करना मुश्किल हो रहा था.. इसलिए मैं मिली के सिर को पकड़कर जबरदस्ती उनके गालों व होंठों पर पर अपने लिंग को रगड़ने लगा।
मगर तभी ये क्या..!
मिली फिर से ऊपर की तरफ बढ़ने लगी और उसने अपना थोड़ा सा मुँह खोलकर मेरे लिंग के अग्र भाग को अपने होंठों के बीच दबा लिया।

मिली के नर्म मुलायम होंठों के बीच उनके मुँह की गर्मी अपने लिंग पर महसूस होते ही मैं मदहोश सा हो गया और मेरी कामुक आवाजें निकलने लगी ‘इईई.. श्श्शश.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्हहह..’

मैं उत्तेजना में जोर से चीख पड़ा और अपने आप ही मेरे कूल्हे हवा में उठ गए। मैंने मिली के सिर को अपने लिंग पर दबा लिया ताकि मेरा लिंग अधिक से अधिक मिली के मुँह में घुस जाए मगर मेरा लिंग मिली के दांतों से टकरा कर वहीं रह गया।
मिली मेरे सुपारे पर ही अपने होंठ रखे रही, वो जानबूझ कर मुझे तड़पा रही थीं।

मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था.. इसलिए मैं अपनी कमर को ऊपर-नीचे हिलाकर अपने लिंग को मिली के हाथ व होंठों के बीच रगड़ने लगा।

शायद अब मिली को भी मेरी हालत पर तरस आ गया था.. इसलिए उसने दूसरे हाथ से मेरी कमर को दबाकर मुझे रुकने का इशारा सा किया और धीरे-धीरे मेरे लिंग को अपने होंठों के बीच दबाकर घिसने लगी।

मेरे लिंग के पानी से मिली के होंठ चिकने हो गए थे.. इसलिए आसानी से मेरा लिंग मिली के होंठ के बीच फिसलने लगा। उत्तेजना के मारे मेरे मुँह से अब सिसकारियां निकलने लगी थीं।

फिर तभी मिली ने अपने दोनों होंठों को खोलकर मेरे सुपारे की चमड़ी को अपने दोनों होंठों के बीच फँसा सा लिया और धीरे-धीरे नीचे की तरफ दबाने लगी। इससे मेरे सुपारे की चमड़ी पीछे होने लगी और धीरे-धीरे मेरा लिंग मिली के मुँह में समाने लगा।
मिली ने अपने होंठों से ही मेरे सुपारे की चमड़ी को पूरा पीछे कर दिया। अब वो जहाँ तक मेरे लिंग को अपने मुँह में ले सकती थीं.. वहाँ तक अन्दर करके जोरों से चूस लिया।

एक बार फिर मैं मदमस्त हाथी की भाँति चिंघाड़ उठा ‘इईईई.. श्श्शशशशश.. अआआआ.. ह्ह्हहहहह..’
कामोत्तेजना की अधिकता से मैं जोरों से चीख पड़ा और अपने आप ही मेरे हाथ मिली के सिर पर जोरों से कस गए।
मिली इतने पर ही नहीं रूकीं.. उनकी गर्म जीभ भी अब मेरे सुपारे पर हरकत करने लगी थी। मिली अपनी लचीली जीभ को कभी मेरे सुपारे पर गोल-गोल घुमा देतीं.. तो कभी उसे चाटने लगतीं।

उत्तेजना से मेरी हालत अब बहुत खराब हो रही थी। मैं जोरों से सिसकारियां भरते हुए मिली के सिर को अपने लिंग पर दबाने लगा।
मिली ने भी अब मेरे लिंग को जोरों से चूसना शुरू कर दिया, साथ उनकी जीभ भी मेरे सुपारे पर जोरों से चलने लगी। ये कुछ इस तरह से समझा जा सकता है जैसे केले को मुँह में ले कर खाने की बजाए उसके सिरे को अपनी जीभ से चूसा जा रहा हो।
लड़कियाँ कभी केले को इस तरह से चूस कर मन में सोचें कि वे लिंग को चूस रही हों। मेरी गारंटी है कि ऐसा करने से उनकी योनियाँ रस से भर जाएंगी।

अब मिली की नर्म जीभ का स्पर्श व मुँह की गर्मी अपने लिंग पर पाकर मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था। मेरे लिंग के साथ-साथ मिली के मुँह से भी अब लार निकल रही थी.. जो कि मेरे लिंग के सहारे बह कर मेरी जाँघों पर फैलने लगा।

मेरे लिंग से निकले प्रेमरस ने मिली की लार से मिलकर एक नए ही द्रव्य का निर्माण कर लिया था.. जो कि बेहद चिकना था और इस द्रव्य से भीग कर मेरा पूरा लिंग बेहद चिकना हो गया था। साथ ही मिली के होंठ, जीभ व पूरा मुँह भी चिकने हो गए थे.. इसलिए अपने आप ही मेरा लिंग मिली के मुँह में फिसलने लगा।

मिली भी मेरे लिंग को अपने होंठों के बीच दबाकर कभी ऊपर-नीचे कर रही थीं तो कभी उसे जोरों से चूस रही थीं। मिली कभी सुपारे के ऊपर जीभ को गोल-गोल घुमा देतीं.. तो कभी-कभी वो पूरी जीभ निकाल कर मेरे लिंग को चाटने लगतीं।

मिली मेरे लिंग के साथ ऐसा खेल, खेल रही थीं.. जैसे कि कोई छोटा बच्चा चूसने के लिए लॉलीपॉप मिल जाने पर करता है।
मगर कुछ भी हो.. मिली के इस खेल से मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरे लिए ये एक अदभुत व अविश्वसनीय अहसास था।
मेरे हाथ मिली के सिर को पकड़े हुए थे जो कि अब मिली के सिर को सहलाने लगे थे। मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था.. इसलिए मिली के मुँह के साथ-साथ अपने आप ही मेरी कमर अब फिर से हरकत करने लगी। फिर कुछ ही देर में मैं चरम पर पहुँच गया।

मेरा सारा शरीर अब अकड़ने लगा था.. जिससे मिली समझ गई थीं कि मेरा काम-तमाम हो गया है, वो अपना मुँह मेरे लिंग पर से हटाना चाह रही थीं.. मगर उत्तेजना के वशीभूत होकर मैंने जोरों से मिली के सिर को अपने लिंग पर दबा लिया.. जिससे मेरा लिंग मिली के गले तक उतर गया।

मिली उऊऊ.. उऊगूँगू्ँगूँ.. उऊऊ.. उऊगूँगू्ँगूँ..’ की आवाज करने लगी मगर मुझे अब होश ही कहाँ था।
मैंने मिली के सिर को ऐसे ही दबाए रखा और मेरा लिंग अब मिली के मु्ँह में ही लावा उगलने लगा। मिली अपने आपको छुटाने के लिए जोर से छटपटाने भी लगी.. मगर मैंने उन्हें तब तक ऐसे ही दबाए रखा.. जब तक कि मेरे लिंग ने अपना सारा लावा उसके मुँह में ना उगल दिया।

मेरे वीर्य से मिली का मुँह भर गया और उनके मुँह से निकल कर मेरे लिंग के चारों तरफ भी बह निकला।
मेरा ज्वार जब शाँत हुआ.. तो मिली के सिर पर मेरी पकड़ कुछ कमजोर हो गई। मिली ने भी तुरन्त मेरे लिंग को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोरों से खाँसते हुए जल्दी से बिस्तर के किनारे जाकर थूकने लगी।

मिली ने थूक कर सारा वीर्य मुँह से बाहर निकाल दिया और अपने नाइटी से ही मुँह पोंछने लगी। अपना मुँह पोछते हुए मिली ने मेरी जाँघों पर जोरों से एक चपत लगाई और कहा- क्या करते हो?

मैं मिली को कुछ नहीं बोल सका.. बस चुपचाप अपनी फूली हुई साँसों को काबू में करने की कोशिश करता रहा।
अपना मुँह साफ करके मिली मेरी बगल में लेट गई। मैं तो बिल्कुल नंगा ही था.. मिली ने भी अपने कपड़े सही नहीं किए और ऐसे ही मेरी बगल में लेट गई।

कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर मिली ने करवट बदल कर मेरी तरफ मुँह कर लिया और अपना एक पैर भी मेरे घुटनों पर रख लिया जिससे मिली का कोमल शरीर मुझसे स्पर्श करने लगा।

मिली के उभार जो कि अभी भी नंगे ही थे.. मेरी बाजू को स्पर्श कर रहे थे। मिली ने घुटना मोड़कर अपना पैर मेरे घुटनों पर रखा हुआ था.. जिससे उसकी नाइटी भी थोड़ा ऊपर हो गई थी और उनकी नंगी जाँघें मेरे घुटनों को छू रही थीं।

मिली का शरीर काफी गर्म लग रहा था.. शायद मेरा रस स्खलित कराते-कराते मिली दोबारा से उत्तेजित हो गई थीं।
मिली मुझसे चिपकती जा रही थीं और साथ ही धीरे-धीरे अपनी नंगी जाँघ को भी मेरी जाँघों पर घिसते हुए ऊपर मेरे लिंग की तरफ बढ़ा रही थीं।

मगर फिर मिली ने ‘छीह्ह.. गन्दे.. इसे साफ तो कर लो..!’ कह कर तुरंत वहाँ से अपनी जाँघ हटा ली।

अभी-अभी मिली ने मुझे जो सुख दिया था.. उसका कामरस व मिली की लार से मेरी जाँघों के पास काफी गीला हो रहा था। साथ ही मेरा लिंग जो कि अभी तक मूर्छित अवस्था में था.. मगर अभी भी उसमें से वीर्य की कुछ बूँदें रिस रही थीं। जिस कारण मेरा लिंग भी काफी गीला था।

मिली की बात को अनसुना करके मैं ऐसे ही लेटा रहा। जब मैंने कुछ नहीं किया तो मिली लेटे-लेटे ही अपनी नाइटी से मेरी जाँघों व लिंग को पोंछने लगी। इससे मिली की नाइटी भी ऊपर को हो गई और उसकी नंगी योनि मेरे कूल्हों को छूने लगी।

मिली के कोमल हाथों के स्पर्श से मेरे लिंग में भी फिर से चेतना सी आने लगी। यह देखकर मिली ने मेरे गाल को प्यार से चूम लिया। शायद यह मेरा इनाम था।

मेरे लिंग को साफ करने के बाद भी मिली ने उसे छोड़ा नहीं बल्कि ऐसे ही धीरे-धीरे लिंग को सहलाती रही। मिली ने मेरा हाथ जो कि मेरे व मिली के बीच था.. उसे सीधा करके अपने सिर के नीचे दबा लिया और अपने उभारों को मेरी बगल से चिपका दिया। मिली के चूचुक कठोर हो गए थे.. जो कि मुझे चुभते से महसूस हो रहे थे।
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन

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मिली ने फिर से अपनी नंगी जाँघ मेरी जाँघों पर घिसना शुरू कर दिया और साथ ही वो मेरे गालों पर भी हल्के-हल्के चूमने लगी थीं।

मेरे लिंग में अब कठोरता आने लगी थी, मैंने अपनी गर्दन घुमाकर मिली की तरफ चेहरा कर लिया.. जिससे मिली की गर्म साँसें मेरी साँसों में समाने लगी।

मिली के मुँह से अब भी मेरे वीर्य की हल्की गंध आ रही थी। मिली ने मेरे गालों की बजाए अब मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने करवट बदल कर मिली की तरफ मुँह कर लिया और मिली का साथ देने के लिए उनके होंठों को चूमने लगा।

मेरे करवट बदलने के कारण मिली ने मेरे लिंग को छोड़ दिया और मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे जोरों से अपनी बाँहों में भींच लिया। इससे मिली के उभार मेरे सीने से दब गए और मेरा उत्तेजित लिंग मिली की नंगी जाँघों के बीच लग गया।

मिली मेरे होंठों को चूमते हुए हल्की-हल्की सी ‘आहें..’ भरने लगी थीं.. साथ ही उनका हाथ भी मेरे कूल्हों से लेकर मेरे सिर तक घूम रहा था।

मैं भी एक हाथ से मिली के भरे हुए मखमली नितम्बों व जाँघों सहलाने लगा। मेरा साथ मिलते ही मिली ने मुझे जोरों से भींच लिया था और जोरों से मेरे होंठों को चूमने-चाटने लगी.. जिससे मेरा दम सा घुटने लगा। मैं खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगा.. मगर मिली ने अपनी एक जाँघ मेरी जाँघों पर रख कर मुझे जोरों से दबा लिया।

मिली के मेरी जाँघ पर जाँघ रखने से उनकी दोनों जाँघें अलग हो गई और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक मिली की योनि पर लग गया।
मैंने भी मिली की जाँघ को पकड़ कर अपनी कमर तक चढ़ा लिया और पीछे से उनके नितम्बों के बीच से हाथ डालकर मिली की योनि को सहलाने लगा। मिली की योनि कामरस से भीग कर तर हो गई थी।

मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था इसलिए मैं अपने लिंग को पकड़ कर धीरे से मिली की योनि में डालने की कोशिश करने लगा.. मगर कामयाब नहीं हो सका क्योंकि मिली की योनि इतनी गीली हो गई थी कि मेरा लिंग योनि की दोनों फांकों के बीच बार-बार फिसल रहा था।

इसी कोशिश में मैं अपना लिंग मिली की योनि पर रगड़ रहा था कि तभी मिली मेरे गालों को चूमने के लिए थोड़ा सा ऊपर हुईं.. और जैसे ही वो ऊपर हो कर नीचे होने लगी.. उसी पल मेरे लिंग का सुपारा ठीक योनिद्वार के होंठों के बीच फँस सा गया। लिंग का सुपारा मिली की योनि की फांकों में फंसा ही था कि मिली ने ‘इईईई.. श्श्शशश..’ करके जोरों से मेरे कूल्हों को भींच लिया।
मगर अगले ही पल फिर से मेरा लिंग योनिद्वार से निकल गया। मैंने भी हार नहीं मानी। मैं फिर से अपनी कोशिश में जुट गया.. मगर कामयाब नहीं हो सका।

इस दौरान एक-दो बार फिर से मेरा लिंग योनिद्वर पर लगा भी.. मगर चिकनाई की वजह से वो बार-बार फिसल रहा था।
जब मैं कामयाब नहीं हो सका तो मिली ने करवट बदल कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी जाँघें फैलाकर मुझे अपनी दोनों जाँघों के बीच भींच में दबा लिया।

मिली का मखमली नंगा शरीर अब मेरे नीचे था, उनके दोनों उभार मेरी छाती से दबे हुए थे और मेरा लिंग ठीक मिली की योनि पर था।
मगर, अब भी मेरा लिंग सही से योनिद्वार में नहीं जा रहा था और मैं ऐसे ही योनि की दोनों फांकों के बीच लिंग को घिस रहा था। तभी मिली ने मेरे लिंग को पकड़ कर योनिद्वार के होंठों से लगा लिया और मेरे हमले का इन्तजार करने लगी।

बाहर से ही मैं अपने लिंग पर उनकी योनि की तपिश महसूस कर रहा था। मैंने भी अब देरी नहीं की और एक जोर को धक्का लगा दिया।

मिली का योनिद्वार कामरस से भीग कर चिकना था और मिली भी इसके लिए तैयार थीं.. जिससे एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लिंग मिली की योनि में समा गया।

मिली के मुँह से ‘इईईई.. श्श्शशश.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अआहह..’ की आवाज निकल गई। मिली ने अपने पैरों व हाथों को समेटकर मेरे शरीर को जोरों से भींच लिया और बड़े ही प्यार से मेरे गालों को चूम लिया जैसे कि मैंने बहुत बड़ा और गर्व का काम किया हो।

एक बार मैंने अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर खींचा। मैंने फिर से एक धक्का और लगा दिया.. इस बार लगभग मेरा पूरा लिंग मिली की योनि की गहराई में उतर गया।

फिर से मिली के मुँह से ‘इईईई.. श्श्श्श्शशश.. अआहह..’ की आवाज निकल गई।
मिली ने फिर मेरे गालों को चूम लिया और दोनों हाथों से मुझे अपनी बाँहों में भरकर जोरों से भींच लिया जिससे मिली के उरोज मेरी छाती तले पिस से गए।

अब लगभग मेरा पूरा लिंग मिली की योनि में था और मैं अपने लिंग पर योनि की गर्माहट को महसूस कर रहा था।
यह दूसरा अवसर था.. जब मेरा लिंग मिली की योनि में था। इस अहसास को मैं बयान नहीं कर सकता कि मुझे कैसा मस्त लग रहा था।

मैं भी अब रुका नहीं बल्कि मैंने धीरे-धीरे अपने शरीर को आगे-पीछे करके धक्के लगाने शुरू कर दिए। मेरा लिंग मिली की योनि में अन्दर-बाहर होने लगा और साथ ही मेरी छाती से दबे मिली के दोनों उरोज भी चटनी की तरह मसले जाने लगे। मेरे प्रत्येक धक्के के साथ मिली ‘अआआह.. अआआह..’ की आवाज करने लगी।

मिली ने अब अपने पैरों को मेरी जाँघों के ऊपर किया और फिर अपने पैरों को मेरे पैरों में इस तरह से फँसा लिया कि अब मैं चाह कर भी मिली के ऊपर से उठ नहीं सकता था।

मिली ने मुझे जोरों से भींच लिया था और मेरी गर्दन व गालों को चूमने लगी। मिली का साथ देने के लिए मैंने भी उनके होंठों को मुँह में भर लिया और धीरे-धीरे उन्हें चूसने लगा।

मिली ने अब मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया, उन्होंने पहले की तरह ही अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे पूरे मुँह में अपनी जीभ घुमाने लगी। मैं उनकी जीभ को होंठों के बीच दबाकर जोरों से चूसने लगा मगर इस बार मैंने अपनी जीभ मिली के मुँह में डालने की गलती नहीं की.. बस मिली की ही जीभ को चूसता रहा।

जब मैंने अपनी जीभ मिली के मुँह में नहीं दी.. तो मिली ने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया और बुरी तरह से मेरे होंठों को चूसने लगी। मुझे तो वो अब चूमने का मौका ही नहीं दे रही थीं.. बल्कि खुद ही मुझे चूम-चाट रही थीं।

उत्तेजना के वश धीरे-धीरे अपने आप ही मेरे धक्कों की गति बढ़ गई.. जिससे मिली के मुँह से फिर सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई। मिली का मुँह मेरे होंठों से बन्द था.. मगर फिर भी वो मेरे होंठों को चूसते हुए ‘हुहुह.. हूहूहूहहह.. हुहुह..’ की आवाज करने लगी।

मिली के दोनों पैर अब मेरे कूल्हों पर आ गए और वो अपनी एड़ियों से मेरे कूल्हों को दबाकर धक्का लगाने लगी.. साथ ही उनके दोनों हाथ भी मेरी पीठ को पकड़ कर मुझे आगे-पीछे करने लगे।

मुझमें भी अब जोश आ गया और मैंने अपनी गति बढ़ा दी। मिली भी अब जोरों से मेरे कूल्हों व पीठ को दबाकर मुझे आगे-पीछे करने लगी.. इसी के साथ अब उनके नितम्ब भी ऊपर-नीचे होने लगे थे।

मिली बहुत अधिक उत्तेजित हो गई थीं, मिली जोरों से सिसकारियां भरते हुए पागलों की तरह मेरे होंठों को चूमने चाटने लगी। वो मेरे होंठों के साथ-साथ अब मेरे गालों को भी जोरों से नोंचने की हद तक चूमते हुए काटने सी लगी.. जैसे कि मेरे होंठों व गालों को खा ही जाएंगी। मिली के काटने से बचने के लिए मैं मिली के उरोजों पर से उठ गया।

मैंने अपने हाथों के सहारे अपनी छाती व मुँह को ऊपर उठा लिया। बस मेरे पेट के नीचे का ही भाग अब मिली के ऊपर उनकी योनि में धक्के लगाने के लिए था। नीचे की तरफ से भी मैं अब अपने घुटनों पर हो गया.. जिससे कि मुझे तेजी से धक्के मारने में आसानी हो गई।

मैं किसी पहलवान की तरह दण्ड पेलने की मुद्रा में मिली की योनि में तेजी से धक्के लगाने लगा। मिली का मुँह अब आजाद हो गया था इसलिए वो अब जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी।

मिली के पैर अब मेरी कमर पर आ गए और हाथ मेरे कूल्हों पर पहुँच गए, वो मेरे कूल्हों को पकड़कर मुझे जोरों से दबाने लगी।
मैं अब अपनी पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था। मेरा पूरा लिंग मिली की योनि के बाहर आता और फिर मेरी पूरी ताकत के साथ योनि की गहराई में उतर जाता.. जिससे मिली जोरों से ‘इईईई.. श्श्श्श्शशश.. अआआ.. ह्ह्हह.. इईईई.. श्श्श्शश.. अआआ.. ह्ह्ह..’ कर रही थीं।

मेरा व मिली के शरीर पसीने लथपथ हो गए थे और हमारी साँसें भी उखड़ने लगी थीं।
फिर अचानक से मिली की योनि में सँकुचन सा हुआ और वो ‘इईई.. श्श्श्श्शशश.. अआहहह..’ करके मुझसे लिपट गई।

मिली के हाथ मेरी पीठ पर और दोनों पैर मेरी कमर पर कस गए। मिली ने एक और लम्बी ‘आह..’ भरते हुए मुझे जोरों से भींच लिया और उनकी योनि ने मेरे लिंग को योनिरस से नहला दिया।

मिली अपने चरम को पा चुकी थीं.. मगर मैं अब भी प्यासा ही था.. इसलिए मैं धक्के लगाता रहा। योनिरस से भीगकर मेरा लिंग और भी आसानी से योनि के अन्दर-बाहर होने लगा।

कुछ देर तो मिली ऐसे ही मुझसे लिपटी रही.. मगर फिर वो मुझे रोकने लगी। शायद उन्हें दिक्कत हो रही थी मगर मैं रूका नहीं और धक्के लगाता रहा क्योंकि मैं भी अपनी मँजिल के करीब ही था।

मिली को भी शायद अहसास हो गया था कि इस हालत में मेरा रुकना मुमकिन नहीं होगा.. इसलिए उन्होंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और मुझे अपने मुकाम पर पहुँचाने के लिए मेरी कमर को सहलाने लगी।

कुछ ही देर में मैं चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गया, मैंने तीन-चार जोरदार धक्के लगाए और फिर मिली के शरीर से लिपट गया। मिली से लिपट कर मैं हल्के-हल्के धक्कों के साथ उनकी योनि को अपने वीर्य से सींचने लगा।

मिली ने भी मुझे जोरों से भींचकर मेरा साथ दिया। उस रात को चार बार इस खेल का दौर चला और रात भर मैंने मिली को जगाए रखा।
अब तो रोजाना ही मेरे व मिली के बीच ये खेल चलने लगा



दो साल बाद मिली की शादी हो गई मिली बहुत रोई क्योंकि वो मुझसे अलग नही होना चाहती थी लेकिन हम साथ भी नही रह सकते थे मैने उसे अच्छे से समझाया तो मान गई

अब जब भी वो अपने ससुराल से वापस आती है हम कोई भी मौका नही छोड़ते है चुदाई का...
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भाइयो कहानी समाप्त हो चुकी है आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना
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समाप्त.......
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VKG
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन complete

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लगे रहो ब्रो
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shubhs
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन complete

Post by shubhs »

बिंदास
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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