मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
फ्रेंड्स मैं आपका साथी रंगीला एक और कहानी पोस्ट कर रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ इस कहानी को भी आपका प्यार ज़रूर मिलेगा .
हाई दोस्तो ये स्टोरी है राजू और उसकी जुड़वा बहन मिली की वैसे तो यहाँ पर बहुत सी भाई बहन की स्टोरी आपने पढ़ी होंगी लेकिन ये स्टोरी उन सभी से हॅट कर है क्योंकि इसमे जो भी कुछ भाई बहन के बीच हुआ वो सब ज़िद्द की वजह से हुआ तो चलो स्टोरी की शुरुआत करते है राजू की ज़ुबानी......
मेरा नाम राजू है और मैं यूपी के एक शहर मे रहता हूँ मेरे परिवार मे मेरे मम्मी पापा मैं और मेरी जुड़वा बहन मिली है हमारा छोटा परिवार लेकिन सुखी परिवार है क्योंकि मम्मी पापा दोनो ही एक बॅंक मे अच्छी पोस्ट पर जॉब करते है इसलिए पैसो की कोई कमी नही है हर चीज़ हमारे पास है
मैं अभी 20 साल का हूँ और पिछले साल ही कॉलेज जाय्न किया है मैं अपने शहर मे ही पढ़ता हूँ लेकिन मेरी बहन शुरू से ही एक बोर्डिंग स्कूल मे पढ़ी है इसलिए वो बहुत ही ज़िद्दी हो गई है यही हमारे सुखी परिवार की एक मात्र चिंता थी कि वो कैसे लाइन पर आएगी वो जब भी घर आती हमेशा ही छोटी छोटी बतो पर किसी से भी नाराज़ हो जाती खास तौर पर मेरे साथ तो लगभग रोज की उसकी अनबन होती थी क्योंकि हम दोनो को एक ही रूम शेयर करना होता था लेकिन हम दोनो मे प्यार भी बहुत था तो बात जल्द ही आई गई भी हो जाती थी लेकिन इस बार शायद ऐसा नही होने वाला था क्योंकि अब उसका स्कूल ख़तम हो गया था और वो घर पर ही रहकर मेरे साथ मेरे कॉलेज मे ही पढ़ने वाली थी स्कूल मे बीमारी की वजह से उसका एक साल खराब हो गया था इसलिए वो अभी फर्स्ट एअर मे जाने वाली थी जब कि मैं सेकेंड एअर मे जा चुका था अभी गर्मियों की छुट्टिया चल रही थी और वो मौसी के घर गई थी लेकिन कल ही वो वापस आने वाली थी और फिर पता नही क्या होने वाला था.....
मेरी बिगडेल जिद्दी बहन complete
- rangila
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मेरी बिगडेल जिद्दी बहन complete
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- rangila
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
आख़िर वो दिन भी आ गया जब मेरी प्यारी(ज़िद्दी) बहन मिली घर आ गई . और आते ही पहला झगड़ा हुआ रूम के लिए वो मेरे साथ एक रूम मे रहने के लिए तैय्यार ही नही थी जब कि हमारे पास दूसरा ऐसा कोई रूम नही था जिसमे उसे रखा जा सके बात यहाँ तक बढ़ गई कि वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी तब पापा ने उसे समझाया और कहा कि वो कुछ महीने मेरे साथ एक रूम मे रह ले फिर छत पर रूम निकाल कर इस समस्या को ख़तम कर देंगे तब जाकर वो मानी
दूसरे दिन मैं उसे अपनी बाइक पर कॉलेज लेकर गया और उसका अडमिज़न करवा दिया लेकिन मेडम को मेरे साथ बाइक पर कॉलेज जाना पसंद नही था इसलिए उसने स्कूटी के लिए हंगामा मचा दिया दूसरे दिन ही खड़े पैर उसके लिए स्कूटी खरीदी गई तब जाकर मेडम शांत हुई
अब लाइफ फिर चलने लगी थी लेकिन हर दो तीन दिन मे मेरे साथ किसी ना किसी बात पर उसकी नोक झोंक होती ही रहती थी एक दिन मम्मी अपने ऑफीस जाते हुए उसे कुछ समान लाने के लिए बोल कर गई थोड़ी देर बाद वो मेरे कमरे मे आई और बोली 'राजू मम्मी ने बाजार जाकर समान लाने को कहा है जाकर ले आ'
मैं अभी अपने लॅपटॉप पर लगा हुआ था इसलिए मैने उसे मना कर दिया और कहा कि वो खुद ही जाकर समान ले आए मेरी बात सुनकर वो फिर से तुनक गई और बोली 'तुम लड़के लोग समझते क्या हो अपने आपको क्या समझते हो क्या मैं तुम्हे नौकर दिखाई देती हूँ सीधे से समान लेकर आ जाओ वरना मेरे से बुरा कोई नही होगा'
अब मैने भी अपना लॅपटॉप बंद कर दिया और उसे चिढ़ाने की सोची और बोला 'हम लड़के होते ही स्ट्रॉंग है और ये सब छोटे मोटे काम हम नही कर सकते ये सब तुम लड़कियो के करने के काम है इसलिए जाओ और समान ले आओ मुझे परेशान मत करो'
'अच्छा ऐसा कौनसा काम है जो हम लड़किया नही कर सकती बताना ज़रा' मिली गुस्से मे बोली
उसकी बात सुनकर मैं हंसा और मैने रूम मे पड़े बेड को एक तरफ खिसका दिया मुझे ऐसा करते देख वो भी मुस्कुराइ और उसने बेड को वापस अपनी जगह लगा दिया और मेरी तरफ देखा मैं कुछ बोला नही और घर के पिछवाड़े मे बनी दीवार फाँद कर दूसरी तरफ आ गया मुझे उम्मीद नही थी कि वो ऐसा कर पाएगी लेकिन पता नही कैसे वो भी दीवार फाँद कर मेरी तरफ आ गई अब तो मेरा गुस्सा बढ़ने लगा था मैं हॉल मे आ गया मेरे पीछे वो भी आ गई और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी मैं उचका और मैने छत पर लगे फॅन को अपने हाथो से घुमा दिया अब उसकी बारी थी वो भी उचकी लेकिन वो फॅन को टच नही कर पाई अब मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर थी और उसके चेहरे पर थी झुनझूलहाट उसकी ऐसी हालत देख कर मैने उसके गाल उमेठे और उससे कहा कि ये तुम्हारे बस का नही है चलो हार मान लो और समान ले आओ
लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी वो थोड़ा पीछे हटी और दौड़ कर एक जंप ली और फॅन को अपने हाथो से घुमा दिया अब तो मेरा पारा सातवे आसमान पर पहुच गया मुझे उससे ये उम्मीद नही थी अब मैं हर वो काम करने लगा जिससे मुझे उम्मीद थी कि मिली नही कर पाएगी लेकिन वो हर काम कर गई मेरी हालत बहुत खराब हो गई मुझे बहुत गुस्सा आरहा था अब यदि मैं अपने सिर को हाथ लगाता तो वो उसकी भी नकल करती मैं अपनी पीठ खुजलाता तो वो उसकी भी नकल उतार देती एक तो मेरे मन की खीझ और उस पर मिली की कुटिल मुस्कान दोनो ही मुझे कुछ सोचने नही दे रहे थे तभी इतनी देर की मेहनत और मस्ती की वजह से मुझे थोड़ी गर्मी लगी और मेरे हाथ अपनी शर्ट के बटन पर चले गये और मुझे एक गजब का आइडीया आया और मैने अपनी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और मुस्कुराते हुए मिली को देखने लगा...
दूसरे दिन मैं उसे अपनी बाइक पर कॉलेज लेकर गया और उसका अडमिज़न करवा दिया लेकिन मेडम को मेरे साथ बाइक पर कॉलेज जाना पसंद नही था इसलिए उसने स्कूटी के लिए हंगामा मचा दिया दूसरे दिन ही खड़े पैर उसके लिए स्कूटी खरीदी गई तब जाकर मेडम शांत हुई
अब लाइफ फिर चलने लगी थी लेकिन हर दो तीन दिन मे मेरे साथ किसी ना किसी बात पर उसकी नोक झोंक होती ही रहती थी एक दिन मम्मी अपने ऑफीस जाते हुए उसे कुछ समान लाने के लिए बोल कर गई थोड़ी देर बाद वो मेरे कमरे मे आई और बोली 'राजू मम्मी ने बाजार जाकर समान लाने को कहा है जाकर ले आ'
मैं अभी अपने लॅपटॉप पर लगा हुआ था इसलिए मैने उसे मना कर दिया और कहा कि वो खुद ही जाकर समान ले आए मेरी बात सुनकर वो फिर से तुनक गई और बोली 'तुम लड़के लोग समझते क्या हो अपने आपको क्या समझते हो क्या मैं तुम्हे नौकर दिखाई देती हूँ सीधे से समान लेकर आ जाओ वरना मेरे से बुरा कोई नही होगा'
अब मैने भी अपना लॅपटॉप बंद कर दिया और उसे चिढ़ाने की सोची और बोला 'हम लड़के होते ही स्ट्रॉंग है और ये सब छोटे मोटे काम हम नही कर सकते ये सब तुम लड़कियो के करने के काम है इसलिए जाओ और समान ले आओ मुझे परेशान मत करो'
'अच्छा ऐसा कौनसा काम है जो हम लड़किया नही कर सकती बताना ज़रा' मिली गुस्से मे बोली
उसकी बात सुनकर मैं हंसा और मैने रूम मे पड़े बेड को एक तरफ खिसका दिया मुझे ऐसा करते देख वो भी मुस्कुराइ और उसने बेड को वापस अपनी जगह लगा दिया और मेरी तरफ देखा मैं कुछ बोला नही और घर के पिछवाड़े मे बनी दीवार फाँद कर दूसरी तरफ आ गया मुझे उम्मीद नही थी कि वो ऐसा कर पाएगी लेकिन पता नही कैसे वो भी दीवार फाँद कर मेरी तरफ आ गई अब तो मेरा गुस्सा बढ़ने लगा था मैं हॉल मे आ गया मेरे पीछे वो भी आ गई और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी मैं उचका और मैने छत पर लगे फॅन को अपने हाथो से घुमा दिया अब उसकी बारी थी वो भी उचकी लेकिन वो फॅन को टच नही कर पाई अब मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर थी और उसके चेहरे पर थी झुनझूलहाट उसकी ऐसी हालत देख कर मैने उसके गाल उमेठे और उससे कहा कि ये तुम्हारे बस का नही है चलो हार मान लो और समान ले आओ
लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी वो थोड़ा पीछे हटी और दौड़ कर एक जंप ली और फॅन को अपने हाथो से घुमा दिया अब तो मेरा पारा सातवे आसमान पर पहुच गया मुझे उससे ये उम्मीद नही थी अब मैं हर वो काम करने लगा जिससे मुझे उम्मीद थी कि मिली नही कर पाएगी लेकिन वो हर काम कर गई मेरी हालत बहुत खराब हो गई मुझे बहुत गुस्सा आरहा था अब यदि मैं अपने सिर को हाथ लगाता तो वो उसकी भी नकल करती मैं अपनी पीठ खुजलाता तो वो उसकी भी नकल उतार देती एक तो मेरे मन की खीझ और उस पर मिली की कुटिल मुस्कान दोनो ही मुझे कुछ सोचने नही दे रहे थे तभी इतनी देर की मेहनत और मस्ती की वजह से मुझे थोड़ी गर्मी लगी और मेरे हाथ अपनी शर्ट के बटन पर चले गये और मुझे एक गजब का आइडीया आया और मैने अपनी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और मुस्कुराते हुए मिली को देखने लगा...
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- rangila
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
उम्मेड करता हूँ आपको कहानी की सुरुआत अच्छी लगी होगी
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
न्यू कहानी के लिए मुबारकबाद दोस्त
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
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