दीदी और बीबी की टक्कर complete

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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by 007 »

Kamini wrote: 29 Jun 2017 07:35Superb mr 007
Rohit Kapoor wrote: 29 Jun 2017 11:52 वाकई काबिल-ए-तारीफ

अगली कड़ी की प्रतीक्षा में . .
thanks
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by 007 »

मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी तभी दीदी आई और उन्होने ने मुझे चाइ के साथ कुछ स्नॅक्स दिए. में आराम से बैठ हुआ था सोफे पे पैर सामने फैले हुए थे मसाज हो रहा था. मुझे लगा कि में कोई महाराजा हूँ और दो औरतें मेरी सेवा कर रही हैं. कुछ देर के बाद में उठा और फ्रेश होने के लिए चला गया बाथरूम में आया तो देखा कि वहाँ पे 2 सेट ब्रा और पैंटी सूख रहे थे.

में स्वेता की ब्रा पैंटी तो पहचान गया लेकिन दूसरी सेट मेने पहली बार देखी थी. में वॉश बेसिन पे झूका और मुँह पे पानी मारा. जब उठा तो शीशे में देखा कि दीदी पीछे खड़ी हुई थी. उन्होने मुझे साइड में होने को कहा और एक सेट ब्रा पैंटी उठा ली.और चुपचाप बाहर चली गयी. में मुँह धोने के बाद पैंट उतार कर अब आराम से अपने पैर धो रहा था.

मेने सिर्फ़ बनियान और अंडरवेर पहना हुआ था कि दीदी फिर से बाथरूम में आई. और बोली अर्रे ग़लती से मैं स्वेता की ब्रा पैंटी ले गयी. मेरी वाली तो यहीं है. स्वेता की ब्रा तो इतनी छोटी है कि में पहन लूँ तो साँस भी ना ले पाऊ.और अगर एक साँस ले भी लूँ तो ब्रा टूट जाए और उसकी पैंटी भी मेरी छुपाती कम दिखाती ज़्यादा है. अच्छा हुआ मेने जाके पहन के देख ली नही तो गड़बड़ हो जाती. रुक में अपनी ब्रा और पैंटी ले लूँ फिर तू आराम से नहा ले.

दीदी यह सब इतनी सहजता से बोल गयी जैसे में कोई लड़की हूँ. वो अपना काम कर के बाहर चली गयी. मेने देखा कि उनकी बात सुन के मेरे लंड ने गदर मचा दिया था. मेरी छड़ी आगे से फटी जा रही थी. में छुपा भी नही सकता था उस वैद्य की दवाई का यही साइड एफेक्ट था कि अगर एक बार लंड खड़ा हो जाए तो बिना झडे बैठता ही नही था अब तो प्राब्लम हो गयी.

अब तो मुझे मूठ मारनी ही थी. मेने सोचा कि स्वेता को बुला लेता हूँ फिर सोचा कि वो चिल्लाएगी तो सब मज़ा बिगड़ जाएगा. मेने बाथरूम का डोर बंद किया और लगा घिसने अपना लंड. थोड़ी देर में लंड ने पानी निकाल दिया. और अब में ठीक था. में बाहर आया और स्वेता और दीदी के साथ बैठ गया. माँ भी आ गयी माँ के आने से मुझे राहत मिली. नही तो मुझे डर लग रहा था कि दीदी कहीं फिर से ना शुरू हो जाएँ.नही तो लंड फिर से तबाही मचाने लगेगा.

हम सब बड़े प्यार से बैठे बातें कर रहे थे. किसी को किसी से कोई शिकायत नही थी. रात में खाना खाने के बाद में बाहर टीवी देख रहा था. और स्वेता अपने रूम में चली गयी. थोड़ी देर बाद माँ भी अपने रूम में चली गयी. में भी सोच ही रहा था कि जाउ अपने रूम में. तभी दीदी आई. टीवी वाले रूम में सिर्फ़ हम दो ही थे. उसने मुझे एक आयिल की बॉटल दी.

और कहा कि इसे यूज़ करना.नही तो तू सारी रात मज़े लेता रहेगा और तेरी बीवी हम लोगों को सोने नही देगी इतना चिल्लाएगी. लगा लेना ठीक से.खुद को भी और उसको भी.चल अब जा अंदर कब से तेरा वेट कर रही है. कह के दीदी ने मुझे सोफे से उठा के खड़ा कर दिया और मेरे रूम के डोर तक धकेल के ले आई. में अंदर आया तो देखा कि स्वेता बेड पे लेटी हुई है और उसने एक बहुत ही सेक्सी जाँघो तक का गाउन पहना हुआ है. मेने दूर बंद कर लिया.

राज- यह गाउन कहाँ से आया?

स्वेता-दीदी ने दिया. उन्ही का है.

राज-दीदी ऐसा गाउन तो कभी नही पहनती.

स्वेता -पता है उन्होने कहा कि जब वो अपने हनिमून पे गयी थी तो उनके हज़्बेंड ने खरीदा था. दीदी कितना सॅड थी आज कि वो हमारे लिए हनिमून अरेंज नही कर पाई इसलिए उन्होने मुझे यह गाउन दे दिया.

राज-इसमे तो तू कमाल लग रही है.मन कर रहा है अभी घुसेड दूं पूरा का पूरा.

स्वेता- आप फिर से शुरू हो गये. धीरे धीरे करो ना. इतना बड़ा तो हथियार है आपका और वो भी पूरा घुसा देते हो एक बार में.धीरे करो.में कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ.

राज-अर्रे भगेगी तो पीछे से पकड़ के पीछे से घुसा दूँगा.

स्वेता-पीछे से कहाँ घुसा दोगे जी?

राज-तेरी गान्ड में.

स्वेता-मेरी चूत में तो घुसता नही यह.मेरी गान्ड में तो कभी नही घुसेगा.

राज-तू आज बड़े मूड में है री.बड़ा चूत लंड गान्ड कर रही है.क्या बात है.

स्वेता-कुछ नही.बस मेने यह रीयलाइज़ किया कि में कितनी खुशनसीब हूँ जो मुझे इतना बड़ा हथियार मिला है. थोड़ा टाइम लगेगा लेकिन में इसे चलना सीख ही जाउन्गी. पलंग पोलो की एक्सपर्ट बन जाउन्गी में देख लेना मेरा माथा फिरसे ठनका.

दीदी ने यही बात मुझे मॉर्निंग में कही थी.और ठीक यही बात और यही वर्ड्स स्वेता ने मुझसे कहे कहीं दीदी स्वेता को चुदाई की ट्रैनिंग तो नही दे रही है फिर मेने सोचा कि यह सब बाद में देखा जाएगा अभी तो इसे बजा लूँ

राज- ओह्ह तो यह बात है.तो ठीक है चल तुझे हथियार चलाना सिखाता हूँ.

स्वेता- सुनो दीदी ने कुछ दिया क्या आपको यहाँ आते टाइम?

राज-हां क्यूँ तुझे कैसे पता?

स्वेता- उन्होने कहा था कि आपको कुछ देंगी आज रात में बताओ ना क्या दिया ?

राज- यह देख. आयिल की शीशी दी है.

स्वेता- हाए राम तभी दीदी कह रही थी कि आज में चाहे जितना चिल्ला लूँ वो तो नही आने वाली.

राज- चिंता मत कर आज तुझे मज़े ले ले के आराम से चोदुन्गा.

हम दोनो नंगे हो गये. मेने अपने लंड पे ढेर सारा आयिल लगा लिया और उसकी चूत में भी. में आज धीरे धीरे लंड उसके अंदर डाल रहा था. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और जो भी दर्द था उसे अच्छे से सह रही थी. मेरा लंड आधा गया तो उसने कहा कि आज के लिए इतना काफ़ी है इतने में धक्के मार के झड जाओ मेने उसकी बात मान ली.में कल रात जैसा नाटक नही खड़ा करना चाहता था.

तो मेने आधे लंड से ही उसे चोदा और करीब 15 मिनिट के बाद में झड गया. वो तो ना जाने कितनी बार झड चुकी थी.हमारी बेडशीट पूरी गीली हो चुकी थी आयिल से भी और हमारे सेक्स के जूस से भी. हम वही बाहों में बाहें डाल के सो गये. आज की रात अब तक की सबसे बढ़िया रात थी. मेने पूरा लंड तो नही डाला लेकिन उसने मेरा पूरा साथ दिया और मेने उसका.

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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by 007 »

ऐसे ही अगले कुछ दिन चलते रहे फिर कुछ दिनो के बाद स्वेता का छोटा भाई उसे घर लेके जाने के लिए आया. उसके यहाँ कोई रस्म थी और उसे करीब 10 दिनो के लिए अपने माइके जाना था. उसका भाई एक दिन रहा और फिर अगले दिन वो उसे ले गया. मेने अभी तक स्वेता की चूत में पूरा लंड डाल के चोदना शुरू नही किया था.

पहले दो दिनो के बाद से में उतना ही लंड डालता था जितना वो सह लेती थी. और फिर उतने से ही चोद चोद के झड जाता था. में पूरा सॅटिस्फाइड तो नही था लेकिन इस बात की खुशी थी कि मेरी बीवी मेरे लंड से दूर नही भागती थी बल्कि वो पूरी कोशिश कर रही थी कि मुझे पूरा सुख दे सके.

स्वेता के जाने से घर सूना सूना सा हो गया था. स्वेता के जाने के दूसरे दिन की बात है में ऑफीस से लौट के आया तो देखा कि माँ अपने कमरे में सो रही है. मेने दीदी से पूछा कि इस टाइम पे क्यू सो रही है माँ तो उसने कहा कि सेहत ठीक नही है. में सोफे पे बैठ गया और दीदी मेरे लिए कुछ स्नॅक्स ले आई हम बैठे टीवी देख रहे थे तभी दीदी ने कहा-
दीदी- तुझे स्वेता की बड़ी याद आती है ना?

राज- ऐसा क्यूँ बोल रही हो?

दीदी- जब से गयी है तू उदास सा हो गया है. ना कुछ बोलता है ना कुछ हँसी मज़ाक करता है.

राज-नही दीदी ऐसी बात नही है.काम का लोड ज़रा ज़्यादा है.

दीदी-हां और आजकल ओवरटाइम करने लगा है. तुझे पैसों की इतनी कमी है कि तुझे ओवरटाइम करना पड़ता है.में तो इतना कमा भी नही पाती कि तुझे एक सुखी जिंदगी दे सकूँ.

राज- ऐसी बात नही है दीदी. मुझे बस घर ज़रा सूना सूना सा लगता है इसलिए ऑफीस में ज़्यादा देर तक रहता हूँ.यहाँ आता हूँ तो स्वेता की कमी खलती है.

दीदी-हाए राम यह बात है तो तूने मुझे कहा क्यूँ नही. में भी कितनी पागल हूँ कि अपने भाई की फिकर ही नही करती ठीक से. चल अबसे में तुझे स्वेता की कमी बिल्कुल भी नही खलने दूँगी. तू घर से दूर मत रहा कर.

राज-नही दीदी.आप क्यूँ तकलीफ़ करोगी.में ठीक हो जाउन्गा. कुछ ही दिनो के बाद तो वो आ ही रही है.

दीदी- हाय रे. में इतनी भी बुरी नही हूँ कि मेरे भाई को दिखाई ही ना दूं. चल अब तू फ्रेश हो जा. और में पूरी प्लॅनिंग करती हूँ कि कैसे तेरा मन बहलाया जाए जब तक तेरी पलंग पोलो की पार्ट्नर नही आ जाती.

में उठ के अपने रूम में आया. कपड़े उतारे और बाथरूम में चला गया. घर में एक ही बाथरूम था. मेने जाते ही नोटीस किया कि वहाँ फिर से दीदी की पैंटी और ब्रा सूख रही थी.मेने इग्नोर किया और मुँह हाथ धोकर बाहर चला आया.माँ अभी भी सो रही थी. बाहर आया तो दीदी ने सोफे पे बैठने को कहा.

दीदी-चल अब बता मुझे तुझे स्वेता क्यूँ इतनी याद आती है.

राज- जाने दो ना दीदी.क्यूँ इसी बात पे अटकी हुई हो.

दीदी- नही तू बता मुझे. उसमे ऐसा क्या खास है जो तेरी दिल जीत लिया उसने.

राज- दीदी आप तो जानती हैं कि मेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नही रही और एक मर्द की लाइफ में औरत का तो बहुत बड़ा हाथ होता है.वो मेरी जिंदगी की पहली औरत है और मेरे लिए बेस्ट है.मेरा इतना ख्याल रखती है.

दीदी- हां वो तेरी जिंदगी की फर्स्ट औरत है लेकिन आख़िरी तो नही है ना. तू उसके अलावा सब को भूल जाएगा तो यह तो बुरा लगने वाली बात है ना.

राज- नही दीदी यह बात नही है आप और माँ तो मेरे लिए हमेशा भगवान के समान हो. पर बीवी तो बीवी होती है ना उसकी जगह तो कोई नही ले सकता. जैसे वो आपकी जगह नही ले सकती.

दीदी-हां सही कहा बीवी तो बीवी ही है मैं भी थी किसी की बीवी लेकिन उस भडवे ने तो मुझे ठीक से देखा भी नही कभी

मे-दीदी यह इतनी गालियाँ कहाँ से सीख ली?

दीदी-सुन सुन के सीख गयी रे ऑफीस में राह चलते ना जाने कितने लोग कितनी कितनी बातें सुना देते हैं. सब कुछ तो इग्नोर नही कर सकती.कुछ रह जाता है दिमाग़ में.तो बस कभी कभी बोल देती हूँ.मन की भडास निकल जाती है वरना किससे कहूँ कि मेरे अंदर क्या क्या तूफान चलते रहते हैं.

मे- दीदी आपने अपने आपको अकेला कर लिया है.में हूँ ना मेरे सामने आपको किसी प्रकार का कोई लिहाज नही करना चाहिए. जो आपके मन में आए वो बोलो.खुल के बोलो.में आपके इतना काम तो आ ही सकता हूँ.हम दोनो एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड्स बन सकते हैं

दीदी- हां भाई मुझे भी एक दोस्त की बहुत सख़्त ज़रूरत है. पता है मेरे ऑफिस में सभी लोग मेरे सामने तो ठीक से बात करते हैं लेकिन मेरी पीठ पीछे मुझे बहुत ही गंदा गंदा बोलते है मेरा वहाँ कोई दोस्त नही है मुझे वहाँ बिल्कुल भी अच्छा नही लगता.इसीलिए में जल्दी से जल्दी घर आने का रास्त ढूढ़ लेती हूँ.

मे-बस दीदी कुछ दिनो में मेरा काम चल निकलेगा और फिर आपकी काम करने की कभी ज़रूरत नही पड़ेगी.मेरी दिली तमन्ना है कि आपको और माँ को सब सुख दूं.

दीदी- और तेरी बीवी का क्या होगा? उसे कौन सुख देगा रे?

मे- क्या आप भी ना घुमा फिरा के मेरी बीवी पर ही आ जाती हो जानती हो कि मुझे इतनी याद आ रही है फिर भी.

दीदी- अरे मेरे देवदास में तो मज़ाक कर रही थी.

हम लोग काफ़ी देर तक बात करते रहे.फिर दीदी ने खाना बनाया. माँ भी उठ गयी थी लेकिन उसे बहुत वीकनेस थी तो दीदी ने उसे कुछ गोलियाँ दे दी वो खाना खा के सो गयी. में और दीदी कुछ देर तक टीवी देखते रहे और फिर अपने अपने रूम में चले गये. मैं बेड पे लेटा हुआ था लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी.मेरा लंड खड़ा हो के बीवी की चूत के लिए तड़प रहा था.फाइनाली मेने सोचा कि बिना मूठ मारे तो सारी रात नींद नही आएगी.

तो में धीरे से अपने रूम के बाहर आया और बाथरूम में चला गया. वहाँ फेर्श पे बैठ के मेने मज़े से मूठ मारी.करीब 15 मिनिट लगे होंगे. जब झडा तो लगा कि वाटेरफाल से पानी गिर रहा हो इतना रस निकाला मेरे लंड ने. में उठा हाथ धो कर जैसे ही बाथरूम का गेट खोला तो बाहर दीदी खड़ी थी.मुझे देख के ज़ोर से हंस दी. मेने सिर्फ़ अंडरवेर पहना हुआ था और कुछ भी ना और मेरा लंड अभी ठीक से बैठा भी नही
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

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