दीदी और बीबी की टक्कर complete

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rajaarkey
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by rajaarkey »

गजब की थीम है दोस्त कहानी की और रफ़्तार भी बहुत अच्छी है सेक्स का कहना ही क्या
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Reich Pinto
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by Reich Pinto »

superb story . next update ?
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007
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by 007 »

Ankit wrote: 29 Jun 2017 14:35superb update
rajaarkey wrote: 29 Jun 2017 19:48 गजब की थीम है दोस्त कहानी की और रफ़्तार भी बहुत अच्छी है सेक्स का कहना ही क्या
Reich Pinto wrote: 29 Jun 2017 21:36 superb story . next update ?
mastram wrote: 30 Jun 2017 11:45 मस्ती की उँचाइयों को छूते हुए कहानी मस्त चल रही है मित्र .............. कहानी सुपरहिट है
Thanks dosto
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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007
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by 007 »

मेरा लंड अभी ठीक से बैठा भी नही था.दीदी को सामने देख कर में चौंक सा गया.

दीदी- क्या कर रहा था?

मे- कुछ नही बस

दीदी-चल जाने दे मुझे पता है क्या कर रहा था. अभी और करना है कि बस हो गया?

मे- नही बस अब में सोने जा रहा हूँ.

दीदी-ठीक है.बड़ी देर से तेरे निकलने का वेट कर रही हूँ अब तू जा सोने अब मेरी बारी है करने की.

मे- क्या कहा?

दीदी- तू सोने जा.

मे- नही तुम्हारी किस चीज़ की बारी है?

दीदी- तो इसमे इतना शॉक क्यूँ हो रहा है? तू कर सकता है तो में नही कर सकती क्या. चल अब टाइम मत वेस्ट कर मुझसे और रहा नही जा रहा मुझसे अब और रहा नही जा रहा बड़ा परेशान कर रही है आज यह.

मे- ठीक है.

मेरी कुछ समझ में नही आया मेने खुद को यह सोच के बहला लिया कि दीदी मूतने के बारे में कह रही होगी में यह नही आक्सेप्ट कर पाया कि दीदी अंदर बाथरूम में अपनी चूत में उंगली करने गयी है.में अपने रूम में आ गया लेकिन क्यूरीयासिटी के कारण फिर से बाहर आया और बाथरूम के डोर के पास खड़ा हो गया. अंदर से कोई आवाज़ नही आ रही थी.

में थोड़ी देर खड़ा रहा फिर डोर को धीरे से नॉक करके धीमे से कहा दीदी तुम हो क्या अंदर? अंदर से दीदी की धीमी सी आवाज़ आई हां मुझे थोड़ी देर लगेगी.डिस्टर्ब मत कर और फिर उसके बाद दीदी के मोन करने की आवाज़ आई आह आह सी सी ऐसी कुछ आवाज़ आई तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया मेने यकीन कर लिया कि दीदी अंदर चूत में उंगली कर रही है में बाहर ही खड़ा रहा मेरे लंड ने फिर से तूफान मचा दिया था मेरी अंडरवेर फटने को थी मेने धीरे से चड्डी में हाथ
डाला और मसलने लगा तभी दीदी ने बाथरूम का गेट खोला अब यह सीन तो और भी अजीब सा था

दीदी ने अब एक ब्रा पहनी हुई थी और नीचे पेटिकोट था जो कि कमर के काफ़ी नीचे था उनका गाउन उनके हाथ में था और दूसरे हाथ में उन्होने ने अपनी पैंटी पकड़ी हुई थी मीन्स दीदी पेटिकोट के नीचे नंगी थी और उसके सामने में खड़ा था सिर्फ़ अंडरवेर में और मेरा एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था दीदी को सामने देख के में पीछे मूड गया दीदी ने कुछ कहा नही फिर मेरे पास आई और बोली.
दीदी- फिर से जाना है क्या तुझे?

मे-नही.में तो सोने जा रहा था बस.

दीदी-जाना हो तो चला जा नही तो रात भर सो नही पाएगा मुझे भी अब अच्छी नींद आएगी तू अपना देख ले में तो चली सोने. दीदी ने कोई ऐसी बात नही की कि जैसे उन्हें कोई परेशानी हो वो पहले से यह आक्सेप्ट कर चुकी थी कि हम दोनो के बीच ऐसी बातें करना यूषुयल है और ठीक है. मेने सोचा कि अब मूठ नही मारूँगा सो में बेड पे आया और सो गया.


अगले दो दिन भी ऐसे ही बीते.दीदी बड़े आराम से मेरे अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहन के रहती थी. माँ तो बस अपने कमरे में ही रहती थी सारा टाइम तो दीदी को कोई रोकने वाला भी नही था. वो टाँग फैला के बैठती थी.पल्लू का ज़रा भी ख्याल नही करती थी. में भी उसकी जवानी देख देख के पागल हुआ जा रहा था लेकिन मुझे लगा कि अभी इनकी उम्र ही क्या है. और अकेली भी हैं. तो इन्हें यह सब करने से रोकना नही चाहिए. जैसे भी रहना चाहें रहने देना चाहिए.


और फिर एक दिन खबर आई कि स्वेता आज रात की गाड़ी से वापिस आ रही है. में ऑफीस से लौटा तो दीदी ने मुझे चाइ दी और जब हम बैठे टीवी देख रहे थे तब उन्होने ने मुझे यह खबर दी. मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी. इतने दिनो से अपनी बीवी की याद में मरा जा रहा था. आज वो वापिस आ रही है यह सुन के बहुत ही अच्छा लगा.

दीदी मुझे देख के अजीब ढंग से स्माइल कर रही थी.उसे भी पता था कि आज रात में तो जोरदार चुदाई होने वाली है मेरी बीवी की. हमने खाना खाया. स्वेता अभी तक आई नही थी. वो करीब 10 बजे आने वाली थी.अभी 2 घंटे बाकी थे. खाने के बाद में और दीदी टीवी देख रहे थे. मेने दीदी से कहा¡*

मे- वो उस दिन स्वेता को जो आयिल दिया था वो और है क्या?

दीदी- कौन सा आयिल?

मे- अर्रे वो दिया था ना उसे आयिल आपने?

दीदी- मुझे याद नही. कौन सा आयिल? किस काम के लिए दिया था?

मे-अर्रे समझो ना प्लीज़ दिया तो था आयिल.

दीदी-पागल मुझे नही याद आ रहा बता ना कौन सा आयिल था किस काम के लिए था?

मे- वो उसे श्वेता को उसमे प्राब्लम वो दिया तो था आपने उसे.

दीदी- अर्रे तुझे याद है तो ठीक से बता ना कौन सा आयिल था.मुझे सच में नही याद आ रहा है भगवान कसम.

मे-वो स्वेता को दर्द होता था ना तो आपने वो प्यार वाला आयिल दिया था.

दीदी- अच्छा अच्छा तेरे डंडे के दर्द वाला आयिल. अर्रे तो पागल ऐसे बोल ना कि पलग पोलो वाला आयिल. में तो सोच रही थी कि ना जाने किस आयिल की बात कर रहा है अच्छा आज स्वेता आने वाली है इसलिए चाहिए तुझे क्या इरादा है तेरा?

मे-क्या दीदी आप भी में तो ऐसे ही पूछ रहा था कि आयिल और है क्या?

दीदी- हां है ना लेकिन तुझे क्या करना?

मे-अर्रे वो स्वेता को ज़रूरत पड़ेगी ना तो इसलिए माँग रहा हूँ.

दीदी- लेकिन अभी तो आई भी नही जब आ जाएगी तो उससे कह देना मुझसे आके माँग लेगी. में कल दे दूँगी उसे.

मे-नही आज दे दो ना में माँग तो रहा हूँ. उसे शर्म आएगी आपसे माँगने में.

दीदी- और तुझे नही आएगी शर्म? चल अच्छा है तू मुझसे शरमाएगा तो मुझे भी अच्छा नही लगेगा में तुझे दे दूँगी कल शाम को ले लेना.

मे- नही आज दे दो ना प्लीज़

दीदी-अर्रे पगले वो इतनी दूर से सफ़र करके आ रही है एक दिन आराम तो करने दे आज ही चढ़ जाएगा क्या उसके उपर?

मे- क्या दीदी? आप तो कुछ भी बोल देती हो प्लीज़ दे दो ना आयिल.

दीदी- चल ठीक है दे देती हूँ लेकिन सुन तू ज़रा हमें सोने देना नही तो स्वेता सारी रात चिल्ला चिल्ला के हमारी नींद हराम कर देगी खूब सारा आयिल दे देती हूँ.

मे- पूरी बॉटले दे दो ना बार बार माँगने का झंझट ही ना हो.

दीदी- हां बाबा दे देती हूँ जा कि अभी से अपने उपर लगा ले. दीदी ने मुझे आयिल दे दिया. बड़े कातिल अंदाज में मुझे देख देख के दीदी मुस्करा रही थी. और मुझे अब सच कहूँ तो शर्म भी नही आ रही थी. मुझे बड़ा कंफ्ट था अब मेने सोचा दीदी ही तो है वो तो यह सब जानती है.
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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