दीदी और बीबी की टक्कर complete

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chusu
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by chusu »

badiya.................... waisi vedh ji ne pata ni bataya......... :roll: :lol: :lol: :lol:
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Kamini
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by Kamini »

waah ji waah ..
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shubhs
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by shubhs »

बेहतर
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007
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by 007 »

chusu wrote: 27 Jun 2017 18:45 badiya.................... waisi vedh ji ne pata ni bataya......... :roll: :lol: :lol: :lol:
Ankit wrote: 27 Jun 2017 13:25superb update
kunal wrote: 27 Jun 2017 15:37mast update
Kamini wrote: 27 Jun 2017 19:00 waah ji waah ..
shubhs wrote: 27 Jun 2017 21:59बेहतर
Thanks dosto
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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007
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Re: दीदी और बीबी की टक्कर

Post by 007 »

राज-अब रो क्यूँ रही है धीरे धीरे तो चोद रहा हूँ. वो बोली लेकिन फिर भी बहुत टाइट लग रहा है.बहुत दुख रहा है.मैने थोड़ा और आयिल लगाया और फिर से एक धक्का मारा इस बार तो उसकी हिम्मत टूट गयी और उसके मूह से एक जोरदार चीख निकली

मुझे गुस्सा आ गया मैने कहा क्या है चिल्ला मत घर मैं सब लोग हैं क्या सोचेंगे

मुझे गुस्से मे देख के वो थोड़ा सहम सी गयी लेकिन रोना नही बंद हुआ मैने फिर से अपना लंड उसकी चूत मे ठेला और इस बार तो पूरा घुसेड दिया वो लाख कोशिश कर के भी अपनी चीख नही रोक पाई और फिर से चिल्ला दी इस बार मुझे भी ज़्यादा गुस्सा आ गया और मैने बिना कुछ सोचे ही धक्के लगाने शुरू कर दिए हम लोगो ने जो भी प्लॅनिंग की थी सब हवा हो गयी

कल की रात जैसा ही हाल उसका फिर से होने लगा वो दर्द से बिलख रही थी और मैं हवस मे सब कुछ भूल के उसे पेले जा रहा था वो बहुत चिल्लाने लगी मैने सोचा कि जल्दी जल्दी चोद के झड जाता हूँ नही तो कोई जाग जाएगा घर मे
मैने धक्कों का फोर्स और बढ़ा दिया और उसने अपनी चीखें और तेज कर दी.मैने उसके मुँह पर हाथ रखा लेकिन उसने मुझे छुड़ा लिया. तभी मेरे रूम के डोर पे नॉक हुआ. बाहर दीदी थी.

दीदी-क्या हो रहा है क्या बात है?

राज-कुछ नही दीदी आप सो जाओ.

दीदी- स्वेता क्या हुआ री कोई प्राब्लम है क्या?

राज-कोई प्राब्लम नही है दीदी आप सो जाओ.

दीदी- पहले स्वेता से बोल बोलने को. स्वेता डर मत सच सच बता कोई प्राब्लम है क्या?

स्वेता- दीदी मुझे बचा लो प्ल्ज़.

राज-यह क्या बोल रही है चुप रह

दीदी-तू दरवाजा खोल भाई

राज-दीदी कोई प्राब्लम नही है.आप जाओ प्ल्ज़.यहाँ सब ठीक है.

स्वेता- नही दीदी.प्ल्ज़ बचा लो.यह तो मारे डाल रहे हैं

दीदी ने डोर पे ज़ोर से धक्का दिया. दरवाजा शायद ठीक से बंद नही था और डोर खुल गया अंदर का सीन देख के उसके होश उड़ गये. स्वेता बेड पे थी. पूरी नंगी. मैं उसके उपेर चढ़ा हुआ था मैं भी नंगा था और मेरा लंड उसकी चूत मे फसा हुआ था

मैने पीछे मूड के देखा तो पाया कि दीदी स्वेता की चूत को देख रही थी. उसे ऐसा सीन देख के बाहर चले जाना चाहिए था लेकिन वो बेड के पास आ गयी

दीदी-छोड़ इसे यह मेरे साथ जा रही है अब

राज-दीदी प्लीज़ जाओ यहाँ से हम दोनो नंगे हैं. तुम्हें शर्म नही आती है क्या

दीदी- शर्म तो तुझे नही है जो अपनी दीदी के सामने भी इस्पे चढ़ा हुआ है उतर इसके उपर से और जाने दे इसे. देख नही रहा उसे कितना दर्द हो रहा है

स्वेता-हां दीदी प्लीज़ बचा लो कल रात भी इन्होने ऐसे ही किया था.मुझे बहुत दुख रहा है

मेरा दिमाग़ खराब हो गया मैं स्वेता के उपेर से उठा और उसकी चूत से लंड निकाल लिया मेरा लंड जब बाहर आया तो दीदी ने देखा और हैरान रह गयी

दीदी-हे भगवान तूने यह डाला हुआ था इसके अंदर तू तो जानवर है पूरा ज़रा रहम है कि नही तेरा सीना है की पत्थर

राज- दीदी तुम हद से बाहर जा रही हो यह मेरी बीवी है यह मेरे और इसके बीच की बात है तुम जाओ यहाँ से

दीदी- चुप रह तू सुहागरात का मतलब यह नही होता कि बीवी की परवाह किए बिना तू उसे पेल दे अपने सुख के लिए अपना मूसल उसकी चूत मे डालने के पहले एक बार उसके बारे मे भी तो सोचा होता. देख कैसे रो रही है कितना दर्द है उसे अब यह सब नही चलेगा स्वेता तू उठ और चल मेरे साथ

मैं शॉक्ड था कि दीदी गुस्से मे कैसे वर्ड्स बोल रही है. स्वेता ने अभी भी कपड़े नही पहने थे.और मैं भी नंगा खड़ा था. दीदी बिना किसी झिझक के मेरे लंड को बार बार घूर रही थी और उसपे कमेंट कर रही थी

दीदी- अब यहाँ खड़ा क्या है. जा बाहर जा के सोफे पे सो जा. मैं यहाँ रहूंगी स्वेता के साथ. देख बेचारी की फूल जैसी चूत कैसी सूज गयी है. इसे तूने इतनी बेरहमी से पेला है कि ठीक से चल भी नही पा रही थी. अर्रे कभी किसी ने तुझे सिखाया नही क्या कि कैसे चुदाई करते हैं? लंड खड़ा कर के पेल देने भर से औरत खुश नही होती.

राज- दीदी बकवास बंद करो. तुम अपने भाई से बात कर रही हो. यह क्या अनाप शनाप बक रही हो.

दीदी- अब तुझे बुरा लग रहा है. एक औरत का दर्द एक औरत ही समझती है.तुझे तो बस इसकी चूत से मतलब है. लेकिन मैं ऐसा नही होने दूँगी. अब तू खुद चला जा यहाँ से नही तो मैं माँ को उठा दूँगी. और माँ को कहूँगी तो माँ तुझे कभी इसे नही चोदने देगी. समझा ना. अब मेरा दिमाग़ मत खराब कर. बाहर जा यहाँ से. और कपड़े पहेन ले अपने. अपनी दीदी के सामने लंड खड़ा कर के खड़ा है हरामखोर. भाग जा यहाँ से. मैं भी जिद्दी था मैने भी मना कर दिया कि मैं नही जाउन्गा बाहर .


कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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