"मेरा अनुभव- पहली कहानी"

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Saileshdiaries
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"मेरा अनुभव- पहली कहानी"

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दोस्तों सबसे पहले एडमिन को धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने इस वेबसाइट का निर्माण किया और साथ ही मुझे साइट को जॉइन करने की मंजूरी दी, मैं इस साइट का नियमित पाठक हूँ और आप सभी के लेख पड़ता हूँ आप सभी की लेखन कला अद्बुद्ध है जिसे पड़ के अत्यधिक आनंद प्राप्त होता है. आप सभी के लेखों को पड़ के मुझे भी लिखने की इच्छा हुई तो सोचा मैं भी कोशिश करके देखता हूँ बस आप लोगों के साथ और सहयोग मिल जाये तो शायद कुछ अच्छा कर सकूं. जैसा कि दोस्तों मैं अभी सीख रहा हूँ तो आप लोगों से अनुरोध है कि कृपया मेरा मार्गदर्शन करते रहियेगा..

अब मैं आपको अपना परिचय भी दे देता हूँ मेरा नाम शैलेश है और में नोएडा में एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हूँ और कहानियां पड़ना मुझे बहुत पसंद है दिखने में एवरेज हूँ जैसा कि एक आम आदमी होता है..

दोस्तों परिचय तो हो गया अब कहानी पे आते हैं आपको एक बात बता दूं ये कहानी मेरी काल्पनिक रचना है जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नही है कहानी का उद्देश्य मात्र आपका मनोरंजन करना है..

"मेरा अनुभव- पहली कहानी"

सुबह के आठ बज रहे थे और में हमेशा की तरह अपने ऑफिस को तैयार हो रहा था और साढ़े आठ बजे मुझे ऑफिस के लिए निकलना था मेरा ऑफिस 9 बजे का था और ऑफिस में लेट होना मुझे कतई मंजूर नही था मैं सेक्टर 15 में एक किराये के फ्लैट में रहता था जो तीन मंजिला था और हर मंजिल में दो-दो रूम थे नीचे के दोनों कमरों में मकान मालिक और उसका परिवार रहता था और दूसरे माले के एक रूम में मैं रहता था और मेरे सामने वाले रूम में भी एक लौंडा रहता था जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था तीसरे माले पे एक शादीशुदा जोड़ा रहता था और उनके सामने वाला रूम खाली पड़ा था..

मेरी ऑफिस की टॉइमिंग सुबह 9 बजे से शाम के 6 बजे तक की होती थी और शनिवार संडे को मेरा ऑफ होता था मैं अपनी कम्पनी में टीम लीडर था और जैसा कि आप जानते ही हैं टीम लीडर का काम ही टीम मेंबर्स के साथ मिल के काम करवाना होता है मेरी टीम का काम डेटा बनाना, क्लाइंट से इशू या क्वेरी डिस्कस करना होता था इस लिए मेरी टीम में 4 लड़के और 6 लड़कियाँ थीं क्यों कि मैं टीम लीडर था तो उनके काम की रिपोर्ट्स मैं बनाता था और उस रिपोर्ट्स के आधार में उन्हें पॉइंट्स देता था जिससे उनका इंसेंटिव भी बनता था इसलिए टीम मेंबर्स के बीच मेरी काफी अहमियत थी हालांकि मैंने कभी इस बात का घमंड नही किया और ना ही गलत फायदा उठाया बल्कि मेरा व्यहार मेरी टीम के साथ बहुत अच्छा था इसलिए मेरी टीम भी मेरे से बहुत खुश रहती थी और हर बार मेरी टीम के परिणाम बाकी टीमों की तुलना में काफी अच्छे आते थे और हमारी टीम का मैनेजर भी मेरे और मेरी टीम के काम से बहुत खुश था और उसने हमारे डिपार्टमेंट हेड से मेरी प्रमोशन की इच्छा जाहिर की और हेड ने कहा इस अप्रेसल में मुझे असिस्टेंट मैनेजर बना दिया जाएगा जिससे में और मेरी टीम बहुत खुश थी..

तो दोस्तों ऑफिस लाइफ तो अच्छी चल रही थी बस कमी पर्सनल में थी दरअसल में कैरियर बनाने में इतना मशगूल हो गया था कि प्यार मोहबत के चक्कर में पड़ ही नही पाया हालांकि मेरी टीम मेंबर्स में से कुछ मुझे पसंद भी करती थीं मगर मैं ही इस विषय में गभीर नही था इसलिए वो भी कुछ नही कर पाती ऊपर से मैं उनका टीएल भी था तो बात नही बन पाती थी, दूसरे टीम की लड़कियों ने भी चांस मारे मगर मैंने ही रेस्पॉन्स नही दिया और सच बताऊं तो उनमें मुझे प्यार वाली फीलिंग भी नही आई जो कि किसी को दिल से पसंद करने पर आती है तो कुल मिला के आलम ये था मैं अकेले अपनी जिंदगी काट रहा था..

एक दिन शाम को घर से आया तो सामने वाले लौंडे का रूम खाली पड़ा था मुझे बड़ी हैरानी हुई पता नही अचानक कहा चला गया मैंने नीचे जाकर मकान मालिक से पूछा तो उन्होंने बताया कि उसकी सरकारी नौकरी का परिणाम आ गया और वो पास हो गया था कुछ ही दिनों में उसका इंटरव्यू था और उसका सेंटर उसी के घर के पास पड़ा था इसलिए वो आज ही सारा हिसाब करके निकल गया. मैंने कहा चलो अच्छा है और फिर में अपने रूम में आ गया और खाना खा पी के सो गया अगले दिन सो के उठा फ्रेश होके रेडी हुआ और रूम से बाहर निकला और सामने वाले रूम की तरफ देखा जहाँ रोज वो लौंडा सुबह सुबह गुड़ मोर्निंग या हाई हेलो बोलता था, उस दिन मुझे लगा कि सच ही कहा है किसी ने कि जब कोई चला जाता है तब उसकी कमी का एहसास होता है और फिर में निकल पड़ा ऑफिस के लिए और ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया और उस रूम में कोई नही आया..

एक दिन शनिवार को मेरी छुट्टी थी और में लैपटॉप पे कोई मूवी देख रहा था कि मैंने अपने रूम के बाहर लड़कियों के हसने की आवाज सुनी मैंने सोचा यहां तो लड़कियां रहती नही हैं फिर कौन आया सोचा बाहर जाके देखूँ और जैसे ही बाहर जाके देखा तो देखता ही रह गया सामने वाले रूम के बाहर तीन बहुत ही खूबसूरत और मॉडर्न लड़कियां खड़ीं थी और रूम की जांच पड़ताल कर रही थीं शायद वो तीनों अपने लिए रूम देख रही थी और उनकी बातों और हँसी से लग रहा था जैसे उन्हें रूम पसंद आ गया है फिर वो नीचे चले गयीं और थोड़ी देर में अपने साथ एक ताला लेकर आयी और रूम लॉक करके चले गयीं..

आज के लिए इतना ही दोस्तों कहानी जारी रहेगी आपके राय और सुझाओं का इंतजार है..
बहुत छोटा सा है ये सफर जिंदगी का,
हर एक पल को दिल से जियो..!!
आपका दोस्त - शैलेश
:)
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Kamini
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"

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Welcome welcome
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Kamini
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"

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Dil se likho jo bhi likho
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rajaarkey
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"

Post by rajaarkey »

nayi kahani ke liye badhai ho dost
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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