"मेरा अनुभव- पहली कहानी"

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VKG
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"

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Update karo bhai
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Saileshdiaries
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"

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दोस्तों तबियत खराब होने के कारण अपडेट में हुई देरी के लिए माफी चाहता हूँ और अब कहानी में आगे चलते हैं..
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मुझे बिस्तर पर पड़े पढ़े नींद नही आ रही थी तो मैंने सोचा क्यों न कविता से ही मजे लिए जाएं और मैंने उसे हाई का मैसेज किया और उसके साथ आंख मारने वाला स्माइली भी सेंड कर दिया दो मिनट बाद कविता का भी हेलो आया और उसके साथ में उसने हँसने वाला स्माइली सेंड कर दिया, मैंने पूछा क्या कर रही हो तो उसने बताया खाना खा के सो रही थी तुम क्या कर रहे थे? मैंने बोला मैं तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था. वो बोली अच्छा मेरे बारे में क्या सोच रहे थे? मैंने कहा यार अब बताऊंगा तो तुम्हें यकीं नही आएगा और तुम फिर हँस पढ़ोगी वो बोली नही नही तुम बताओ तो, मैंने सोचा यही मौका है चांस मारने का मैंने बोल दिया यार मेरा मन सुबह से तुम्हारे ही ख्यालों में ही खोया है, दिल करता है हर समय तुम्हारे ही पास रहूँ और तुमसे ही बातें करता रहूँ मुझे लगा शायद कविता ऐसी बातों से पट जाएगी लेकिन कविता भी अनुभवी खिलाड़ी थी और उसे लड़कों के इस प्यार का अंजाम अच्छी तरह पता था तो उसने जवाब दिया अच्छा एक दिन में ही ऐसी हालत?
मैंने कहा प्यार में समय नही देखा जाता एहसास मायने रखते हैं और हँसने वाला स्माइली सेंड कर दिया. कविता बोली अच्छा चलो अब ज्यादा फ़्लर्ट मत करो और सो जाओ कल ऑफिस के लिए रेडी होना है और फिर उसने गुड नाईट बोल दिया मैंने भी गुड नाईट के साथ किश वाला स्माइली भेज दिया लेकिन उसके बाद कविता का कोई मैसेज नही आया शायद वो सो गयी थी मेरा भी आधा काम हो चुका था अब दिल्ली ज्यादा दूर नही थी जैसे तैसे करवट बदल के नींद आयी रात भर सपनों में कविता आते रही. सुबह मेरी नींद सात बजे खुली और जैसे ही मोबाइल ओपन किया तो कविता के मैसेज पड़े थे, गुड़ मोर्निंग जनाब उठे कि नही मैंने भी गुड मॉर्निंग बेबी के साथ फिर किस सेंड कर दिया मगर कविता का कोई रिप्लाई नही आया और में फ्रेश होने चला गया सामने से भी कोई आवाज नही आ रही थी तीनों शायद ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी. 7:30 हो रहे थे और क्यों कि मेरे पास ज्यादा कुछ करने को कुछ था नही और ऑफिस के लिए अभी काफी टाइम था तो मैं अपने रूम के बाहर आ गया और बाहर फिर मुझे पूजा उसी पोज में अपने बाल सुखाते दिख गयी मगर आज उसने जीन्स और टीशर्ट पहनी हुई थी और उसकी पीठ मेरी और थी उसकी टाइट गाँड़ देखते ही मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया वो बाल सुखाते रही और मैं उसे देखते हुए अपना लंड मसलता रहा और बाल सूखा के वो अंदर चले गयी और मैं आह भर के रह गया और मैं भी नाश्ता बनाने अंदर आ गया.

मैं नाश्ता बना ही रहा था कि तभी दरवाजे पे दस्तक हुई मैंने कहा अंदर आ जाओ और तभी मैं चौंक गया सामने कविता खड़ी थी और दरवाजे से ही बोली क्या आपके पास आई फोन का चार्जर है वो मेरा चार्जर काम नही कर रहा है, मैं तो पहले उसे देखता ही रह गया आज कविता तंग सूट पहन के आयी थी मैंने उसे अभी तक सिर्फ जीन्स और टीशर्ट में ही देखा था लेकिन आज सूट में तो कविता बिल्कुल पंजाबी कुड़ी लग रही थी मैं उसी को देख ही रहा था कि उसने फिर पूछ लिया क्या आपके पास आई फोन का चार्जर है? मैंने कहा हा हा क्यों नही आप अंदर आइये ना वो बोली नही फिर कभी अभी आफिस का टाइम होने वाला है, मैंने कहा ऐसा कैसे हो सकता है आप पहली बार आये हो और बिना दरवाजे से ही चले जाओगे प्लीज अंदर आ जाइये, घबराइए नही मेरा कोई क्रिमनल रिकॉर्ड नही है और यह सुन के कविता हँस पड़ी और मैंने पूछा क्या लेंगी आप चाय या पानी, माफ करना अभी तो बस ये दो चीज ही हैं मेनू में और वो फिर हंस पड़ी और बोली जो आप पिलाना चाहें मैंने बोला बस आप दो मिनट बैठो में अभी गर्मा-गर्म चाय बनाता हूँ और मैं चाय बनाने लगा और बनाते बनाते बातचीत शुरू कर दी..

चैट पे तो हम थोड़ा खुल के बात कर रहे थे मगर सामने बिल्कुल नार्मल जैसे हाल चाल, जॉब, काम वगैरह बातों बातों में चाय बन गयी और मैंने उसे चाय का कप दिया और बोला कविता चाय पी के बताओ कि पीने लायक बनी भी है कि नही, कविता ने पहला सीप लिया और बोली अरे वाह आप तो बहुत अच्छी चाय बनाते हो मैंने कहा जी आज पहली बार इतनी अच्छी चाय बनी है और वो फिर हंस पड़ी और बोली क्या आप हमेशा फ़्लर्ट के मूड में रहते हैं मैंने कहा नही बस आपके सामने और फिर हँसते हुए बोला जस्ट जोकिंग इसी तरह हँसी मजाक चलते रही मेरी नजरें तो बार बार उसकी मोटी गोल चुचियों पर चले जाती थी एक दो बार कविता की नजरों ने मेरी नजरों को पकड़ा भी मगर ऐसा दिखाया जैसे उसे पता ना हो थोड़ी देर मैं चाय खत्म हो गयी तो मैंने उसे चार्जर दे दिया और वो बोली मैं थोड़ी देर में चार्ज करके दे दूंगी मैंने कहा कोई बात नही आप आराम से देना मैंने देना शब्द थोड़ा जोर देकर कहा तो उसने भी मुस्कुरा के कहा ठीक है फिर आराम से ही दूंगी, उसने भी आराम शब्द को जोर देकर बोला जिससे मेरी हिम्मत और खुशी दोनों दुगनी हो गयी अब तो मुझे यकीन हो गया था कि मेरा चार्जर इसका फोन चार्ज करेगा और मैं इसको और फिर वो चार्जर ले के चले गयी.

उसके जाने के बाद मैं नहाने चला गया और नहाते नहाते कविता को इमेजिन करने लगा आज तो सूट में कहर ढा रही थी मैं खयालों में खो गया कि मैं उसके मोटी मोटी चुचियों को चूस रहा हूं उसकी भारी गाँड़ सहला रहा हूँ उसकी फूली हुई चूत चाट रहा हूँ और यही सोचते सोचते मेरा लंड तन के मेरे पेट से चिपकने लगा और मैंने मुठ मारना शुरू कर दिया और जब मेरा लावा बाहर निकला तब थोड़ा सकूं मिला मैं नहा के रेडी हुआ और बाहर आके देखा तो सामने वाला रूम लॉक था तीनों हसीनाएं आफिस के लिए निकल चुकी थी और में भी अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा..

दिन भर आफिस में काम करता रहा शाम को रूम पे आ गया सामने वाले रूम में अभी तक कोई नही आया था तभी नीचे से दो लोगों की बातचीत सुनाई दी मैंने देखा तो नेहा और उसके साथ एक लड़का दोनों ऊपर ही रहे थे और मुझे समझने में देर नही लगी कि ये नेहा का बॉयफ्रेंड है मैं तेजी से अपने रूम में चला गया और अपनी खिड़की पे खड़ा हो गया मैंने देखा उस लड़के ने नेहा की कमर में हाथ डाला और उसके साथ अंदर चला गया अंदर जाते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया मैं समझ गया कि अंदर क्या हो रहा है मैंने अपनी खिड़की से उनकी खिड़की पे नजर डाली जिससे कुछ दिख सके मगर खिड़की बंद थी और मुझे बस अनुमान ही लगाना पड़ा कि अंदर क्या हो रहा है लगभग एक घंटे उस रूम का दरवाजा खुला और नेहा का बॉयफ्रेंड बाहर निकला और चला गया और नेहा ने इधर उधर देखा और अपना दरवाजा बंद कर दिया..

दोस्तों आज के लिए इतना ही अगला पोस्ट जल्दी ही दूंगा आपके साथ और सहयोग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद..!!
बहुत छोटा सा है ये सफर जिंदगी का,
हर एक पल को दिल से जियो..!!
आपका दोस्त - शैलेश
:)
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VKG
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"

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मस्त है
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