"मेरा अनुभव- पहली कहानी"
- mastram
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"
ho sakta hai Kavita ka uddhaar ho jaye
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"
कविता से बातें करते करते मुझे अंदाजा लग गया कि कविता ही मेरी पूजा तक पहुँचने वाली सीढ़ी है और में इस सीढ़ी पर बहुत जल्दी चढ़ना भी चाहता था. आज संडे था और छुट्टी का लास्ट दिन तो में आज के दिन का पूरा फायदा उठाना चाहता था क्यों कि इन तीनों का सिक्स डे वर्किंग होता था वो भी रेंडमली कभी मंडे, कभी वेडनेसडे और कभी फ्राइडे कविता अपनी जॉब से खुश नही थी और वो जॉब चेंज करना चाहती थी मैंने उसे बताया कि मेरी टीम में भी एक बंदे की आवश्यकता है वो चाहे तो मैं वहाँ उसका जुगाड़ करवा सकता हूँ यह सुनते ही कविता बहुत खुश हो गयी और बोली प्लीज़ यार मेरा अपनी कंपनी में करवा दो मैं बीपीओ में काम कर कर के परेशान हो गयी हूँ और मेरा बिल्कुल भी मन नही करता वहाँ काम करने का मैंने बोला ठीक है अपना रिज्यूम सेंड कर देना मैं बात कर लूंगा और उसे अपनी ईमेल आई डी देदी. कविता ने मेरे से मेरा कॉन्टैक्ट नम्बर मांगा तो मैंने कहा तुम अपना नम्बर दो मैं मिस कॉल करता हूं उसने अपना नंबर बताया और मैंने तुरंत उसका नम्बर सेव करके डायल कर दिया उसने भी मेरा नंबर सेव कर लिया फिर थोड़ी देर ऐसे ही बातचीत चलते रही और इसी बीच बीच मेरी नजर उसकी चुचियों और गाँड़ पे चली जाती और कविता मुस्कुराते रहती..
बातें करते करते 12 बज गए और फिर काफी देर से हाँ-हूं कर रही नेहा बोली कविता वो समान ढूंढना है और कपड़े भी तैयार करने है मंडे के लिए और उसने कविता को मुझसे छुपा के बातें बंद करने का इशारा किया जो कि मैंने देख लिया मैं समझ गया और मैंने खुद ही बोल दिया कि मुझे कुछ काम है और में वहाँ से उठा और कविता की ओर देखा तो उसके चेहरे पे भी नाराजगी के भाव थे शायद वो भी मुझसे और बात करना चाहती थी. मैंने दोनों को बाय बोला और अपने रूम में आ गया और वो तीनों अपने कमरे में चली गयी मैं भी खाली था तो सोचा थोड़ा आराम कर लूं और बिस्तर पर लेट गया और थोड़ी देर बाद मुझे नींद भी आ गयी. कुछ समय के बाद मेरी नींद खुली मैंने टाइम देखा तीन बज रहे थे और मुझे भूख भी लग आयी थी मैंने खिचड़ी बनानी शुरू कर दी और खिचड़ी कुकर में रख के में खिड़की पे आ गया और सामने वाले रूम की आवाज सुनने की कोशिश की मगर वहाँ से कोई मूवी चलने की आवाज आ रही थी मैं बोर हो रहा था फिर मुझे याद आया कि सुबह मैंने कविता का नंबर लिया था मैंने कविता के नंबर पे व्हाट्सअप किया- हाई मगर वहाँ से कोई रिप्लाई नही आया मुझे लगा शायद वो सो रही होगी या फिर मूवी में बिजी होगी और फिर मैंने दुबारा मेसेज नही किया और खिचड़ी बनने का इंतजार करने लगा और कुछ मिनटों बाद खिचड़ी बन गयी और में खिचड़ी खा के फिर बिस्तर पे लेट गया और जैसे ही फोन हाथ में लिया तो उसमें एक व्हाट्सएप्प नोटिफिकेशन था मैंने ओपेन किया तो कविता का रिप्लाई आया था-हेलो
मैं: क्या कर रही हो?
कविता: कुछ नही मूवी देख रही हूँ तुम क्या कर रहे हो?
मैं: मैं तो बोर हो रहा हूँ
कविता: अगर बोर रहे हो तो अपनी गर्ल फ्रेंड से बात कर लो
मैं: वो अभी सो रही है इसलिए बात नही कर सकती, मैंने उससे मजे लेने के लिए बोल दिया.
इस बार कविता का कोई रिप्लाई नही आया.
मैं: हेलो आर यु देर?
कविता: काफी देर बाद, अगर वो सोई है तो उसे कॉल करके जगा लो फिर बात कर लो.
कविता: मैंने तो पहले की कहा था कि तुम्हारी जरूर कोई गर्लफ्रेंड है तो फिर मुझसे झूट क्यों बोला?
उसकी बातों में साफ नाराजगी दिख रही थी जैसे वो मेरी बीवी हो.
मैं: ये लो हुजूर के भी अजीब अंदाज हैं खुद मेरी गर्लफ्रेंड बनाते रहते हैं तो कुछ नही मैंने बोल दिया तो इतना गुस्सा ये तो नाइंसाफी है
कविता: मैं भला क्यों गुस्सा होउंगी मैं तुम्हारी बीवी थोड़े ना हूँ
मैं: मैंने तीर फेंका और बोला गर्लफ्रेंड तो हो
कविता: क्या मतलब
मैं: हा हा हा- बस मजाक कर रहा था
कविता: ओके कोई नही
फिर ऐसे ही हमारी व्हाट्सअप पे बात होती रही और मैंने कविता को कुछ सॉफ्ट नॉनवेज जोक्स सेंड कर दिए मुझे लगा कही गुस्सा ना हो जाये मगर उसने भी मुझे वैसे ही जोक्स बदले में भेज दिए अब मुझे अपनी राह आसान होती दिख रही थी मैंने पूछा कि क्या उसका कोई बॉय फ्रेंड है?
वो बोली हा है उससे हा सुन के मुझे अपना मकसद खतरे में लगा मैंने पूछा कौन है? वो बोली तुम. मैं बोला क्या तो वो बोली मैं भी मजाक कर रही हूं अब हम दोनों गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड जैसी मजेदार बाते कर रहे थे.
मैंने पूछा क्या वो डिनर पे चलेगी मेरे साथ? तो वो बोली एक दिन की ही मुलाकात में डिनर पे ले जाना चाहते हो? मैंने भी फेंका मैं तो तुम्हें रोज डिनर पर ले जाना चाहता हूँ, इस जवाब पे उसने बहुत सारी स्माइल्स दी जैसे उसे मेरा ऑफर बहुत पसंद आया लेकिन लड़की तो लड़की होती है बोली आज नही फिर कभी. मैंने भी ओके कहा और बोला प्रॉमिस करो तो उसने बोला प्रॉमिस नही कर सकती तो मैंने प्लीज़ प्लीज़ करके उससे प्रॉमिस ले ही लिया मैंने पूछा कि उसका ऑफ कब है तो उसने बताया कि इस शनिवार को उसका ऑफ है यह सुनते ही मैं खुश हो गया क्यों कि मेरा तो शनिवार और रविवार दोनों ही दिन ऑफ था, थोड़ी देर और ऐसी ही बात करने के बाद उसे कुछ काम करना था तो उसने बाय बोला और मैं भी ऑफिस की मेल चेक करने लगा..
शाम के 7 बज रहे थे मैं खाना बनाने की तैयारी कर रहा था वो तीनों भी खाना बना रही थी और साथ मे और काम भी मेरा ध्यान तो बस जल्दी से जल्दी कविता को पटा के उसको चोदने की तैयारी में लगा था अब तो में बस उसकी चूची और गाँड़ के ख्यालों में खोया रहता था इन्ही ख्यालों में खोये खोये खाना भी गया और खाना खा के सोने चला गया नींद आती तो कैसे मेरा मन तो कविता की कविता सुनने के लिए उतावला हुआ जा रहा था..
बातें करते करते 12 बज गए और फिर काफी देर से हाँ-हूं कर रही नेहा बोली कविता वो समान ढूंढना है और कपड़े भी तैयार करने है मंडे के लिए और उसने कविता को मुझसे छुपा के बातें बंद करने का इशारा किया जो कि मैंने देख लिया मैं समझ गया और मैंने खुद ही बोल दिया कि मुझे कुछ काम है और में वहाँ से उठा और कविता की ओर देखा तो उसके चेहरे पे भी नाराजगी के भाव थे शायद वो भी मुझसे और बात करना चाहती थी. मैंने दोनों को बाय बोला और अपने रूम में आ गया और वो तीनों अपने कमरे में चली गयी मैं भी खाली था तो सोचा थोड़ा आराम कर लूं और बिस्तर पर लेट गया और थोड़ी देर बाद मुझे नींद भी आ गयी. कुछ समय के बाद मेरी नींद खुली मैंने टाइम देखा तीन बज रहे थे और मुझे भूख भी लग आयी थी मैंने खिचड़ी बनानी शुरू कर दी और खिचड़ी कुकर में रख के में खिड़की पे आ गया और सामने वाले रूम की आवाज सुनने की कोशिश की मगर वहाँ से कोई मूवी चलने की आवाज आ रही थी मैं बोर हो रहा था फिर मुझे याद आया कि सुबह मैंने कविता का नंबर लिया था मैंने कविता के नंबर पे व्हाट्सअप किया- हाई मगर वहाँ से कोई रिप्लाई नही आया मुझे लगा शायद वो सो रही होगी या फिर मूवी में बिजी होगी और फिर मैंने दुबारा मेसेज नही किया और खिचड़ी बनने का इंतजार करने लगा और कुछ मिनटों बाद खिचड़ी बन गयी और में खिचड़ी खा के फिर बिस्तर पे लेट गया और जैसे ही फोन हाथ में लिया तो उसमें एक व्हाट्सएप्प नोटिफिकेशन था मैंने ओपेन किया तो कविता का रिप्लाई आया था-हेलो
मैं: क्या कर रही हो?
कविता: कुछ नही मूवी देख रही हूँ तुम क्या कर रहे हो?
मैं: मैं तो बोर हो रहा हूँ
कविता: अगर बोर रहे हो तो अपनी गर्ल फ्रेंड से बात कर लो
मैं: वो अभी सो रही है इसलिए बात नही कर सकती, मैंने उससे मजे लेने के लिए बोल दिया.
इस बार कविता का कोई रिप्लाई नही आया.
मैं: हेलो आर यु देर?
कविता: काफी देर बाद, अगर वो सोई है तो उसे कॉल करके जगा लो फिर बात कर लो.
कविता: मैंने तो पहले की कहा था कि तुम्हारी जरूर कोई गर्लफ्रेंड है तो फिर मुझसे झूट क्यों बोला?
उसकी बातों में साफ नाराजगी दिख रही थी जैसे वो मेरी बीवी हो.
मैं: ये लो हुजूर के भी अजीब अंदाज हैं खुद मेरी गर्लफ्रेंड बनाते रहते हैं तो कुछ नही मैंने बोल दिया तो इतना गुस्सा ये तो नाइंसाफी है
कविता: मैं भला क्यों गुस्सा होउंगी मैं तुम्हारी बीवी थोड़े ना हूँ
मैं: मैंने तीर फेंका और बोला गर्लफ्रेंड तो हो
कविता: क्या मतलब
मैं: हा हा हा- बस मजाक कर रहा था
कविता: ओके कोई नही
फिर ऐसे ही हमारी व्हाट्सअप पे बात होती रही और मैंने कविता को कुछ सॉफ्ट नॉनवेज जोक्स सेंड कर दिए मुझे लगा कही गुस्सा ना हो जाये मगर उसने भी मुझे वैसे ही जोक्स बदले में भेज दिए अब मुझे अपनी राह आसान होती दिख रही थी मैंने पूछा कि क्या उसका कोई बॉय फ्रेंड है?
वो बोली हा है उससे हा सुन के मुझे अपना मकसद खतरे में लगा मैंने पूछा कौन है? वो बोली तुम. मैं बोला क्या तो वो बोली मैं भी मजाक कर रही हूं अब हम दोनों गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड जैसी मजेदार बाते कर रहे थे.
मैंने पूछा क्या वो डिनर पे चलेगी मेरे साथ? तो वो बोली एक दिन की ही मुलाकात में डिनर पे ले जाना चाहते हो? मैंने भी फेंका मैं तो तुम्हें रोज डिनर पर ले जाना चाहता हूँ, इस जवाब पे उसने बहुत सारी स्माइल्स दी जैसे उसे मेरा ऑफर बहुत पसंद आया लेकिन लड़की तो लड़की होती है बोली आज नही फिर कभी. मैंने भी ओके कहा और बोला प्रॉमिस करो तो उसने बोला प्रॉमिस नही कर सकती तो मैंने प्लीज़ प्लीज़ करके उससे प्रॉमिस ले ही लिया मैंने पूछा कि उसका ऑफ कब है तो उसने बताया कि इस शनिवार को उसका ऑफ है यह सुनते ही मैं खुश हो गया क्यों कि मेरा तो शनिवार और रविवार दोनों ही दिन ऑफ था, थोड़ी देर और ऐसी ही बात करने के बाद उसे कुछ काम करना था तो उसने बाय बोला और मैं भी ऑफिस की मेल चेक करने लगा..
शाम के 7 बज रहे थे मैं खाना बनाने की तैयारी कर रहा था वो तीनों भी खाना बना रही थी और साथ मे और काम भी मेरा ध्यान तो बस जल्दी से जल्दी कविता को पटा के उसको चोदने की तैयारी में लगा था अब तो में बस उसकी चूची और गाँड़ के ख्यालों में खोया रहता था इन्ही ख्यालों में खोये खोये खाना भी गया और खाना खा के सोने चला गया नींद आती तो कैसे मेरा मन तो कविता की कविता सुनने के लिए उतावला हुआ जा रहा था..
बहुत छोटा सा है ये सफर जिंदगी का,
हर एक पल को दिल से जियो..!!
आपका दोस्त - शैलेश :)
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- shubhs
- Novice User
- Posts: 1541
- Joined: 19 Feb 2016 06:23
Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"
आराम से
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- Ankit
- Expert Member
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- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"
superb update
- rajaarkey
- Super member
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- Joined: 10 Oct 2014 10:09
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Re: "मेरा अनुभव- पहली कहानी"
Dost kahani achhi hai isme koi shaq nahi par shuruwat men update thode bade hone chahiye jisse kahani padhne vale ki ruchi badhegi our readers jyada milenge . kyonki kahaani jab shuru hoti hai tab usme kai page to bhumika banaane men hi nikal jate hain .
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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