जीवन एक संघर्ष है complete

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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

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सूरज-" मौसी ऐसी कौनसी चाबी है आपके पास, मुझे भी बह चाबी दे दो, आपके जाने के बाद में माँ को हमेसा खुश रखूँगा" जैसे ही मैंने थ बात बोली, माँ का चेहरा एक दम लाल हो गया शर्म से, लेकिन मौसी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान दौड़ गई ।
मधु-" सूरज तेरे पास तो ऐसी चाबी है जिससे दुनिया के हर ताले ख़ुशी से खुल जाएगें" मौसी मेरी और ललचाई नज़र से देखती हुई बोली, संध्या माँ ने इन बातों को विराम देने के लिए जल्दी से मेरे लिए नास्ता लेकर आई ।
संध्या-" बेटा नास्ता कर ले पहले, यह मधु तो पुरे दिन बोल बोल कर तुझे पकाती रहेगी"
मधु मौसी और में हँसने लगे, मैंने जल्दी से नास्ता किया तभी तान्या भी कंपनी जाने के लिए नीचे आई ।
माँ ने दीदी को नास्ता दिया ।
मधु-" तान्या बेटा कारोबार कैसा चल रहा है"
तान्या-" मौसी जी अभी तक तो ठीक है,कल टेंडर की मीटिंग है अगर ये टेंडर नहीं मिला तो कंपनी का काफी नुक्सान होगा, हमारी कंपनी में माल काफी स्टॉक है, समझ नहीं आ रहा है कैसे ये टेंडर मिले" तान्या परेसान होकर बोली ।सूरज भी यह बात सुनकर परेसान हो जाता है, सोचने लगता है की यह टेंडर कैसे मिले, चूँकि प्रत्येक कंपनी टेंडर को प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाती है ।
मधु-" बेटा ऊपर बाले पर विस्वास रखो, सब ठीक हो जाएगा"
सूरज-" कल इस टेंडर की मीटिंग में,मैं भी जाऊँगा, किसी भी हाल में यह टेंडर हांसिल करके रहूँगा" तान्या गुस्से से सूरज की ओर घूर कर देखने लगती है जैसे सूरज ने कोई विस्फोट कर दिया हो ।
तान्या-" माँ में इस टेंडर की मीटिंग में अकेली जाउंगी, किसी को मेरे साथ जाने की जरुरत नहीं है" इतना कह कर गुस्से में कंपनी चली गई ।
मधु-" संध्या क्या हुआ तान्या को,यह गुस्से में क्यूँ चली गई, सूर्या ने तो कुछ गलत भी नहीं बोला"" मधु हैरत में थी ।
संध्या-" ऐसा कुछ नहीं है मधु, कंपनी के काम के कारण थक जाती है जिससे थोड़ी चिड़चिड़ी हो गई है"
सूरज-" हाँ मौसी तान्या दीदी बाकई पूरी कंपनी अकेले ही संभालती है इसलिए परेसान रहती है" दोनों माँ बेटो ने बात को स्थगित किया ।
सूरज भी जल्दी से तैयार होकर कंपनी के लिए निकल जाता है, अभी सूरज हाइवे पर गाडी दौडा ही रहा था तभी उसने देखा की एक कार किसी ट्रक से टकरा के उल्टी पड़ी हुई है ।
कार के अंदर से किसी महिला और बच्चे के चीखने की आवाज़ सुनकर सूरज जल्दी से अपनी गाडी साइड से लगा कर उस क्षतिग्रस्त कार के पास पहुँच कर शीशे को तोड़ कर एक महिला को बहार निकालता है, उसके बाद उस कार में दो 7-8वर्ष के दो बच्चे और फंसे थे, सूरज आनन फानन में दोनों बच्चों को निकाल कर दूर खड़ी अपनी गाडी में बैठाता है तभी क्षतिग्रस्त कार में एक तेज धामखे के साथ जल जाती है ।जख्मी महिला जब अपनी कार को जलते हुए देखती है तो सिहर जाती है, और मन ही मन सूरज का शुक्रिया अदा करती है ।
सूरज जल्दी से सिटी के बड़े हॉस्पिटल में तीनो को भर्ती कराता है । किसी को ज्यादा चोट नहीं आई थी । एक घंटे बाद
सूरज डॉक्टर से बोलता है ।
सूरज-" डॉक्टर साहब तीनो की कैसी तबियत है?"
डॉक्टर-" तीनो लोग खतरे से बाहर हैं, जल्दी ही होश आ जाएगा, आप इनके घर बालो को फोन करके बुला लीजिए" सूरज असमंजस में पड जाता है की इनके घर बालो को कैसे सुचना दें, तभी सूरज को ध्यान आता है की दोनों बच्चे स्कूल ड्रेस में थे, और उनके गले में पहचान पत्र पड़ा हुआ है, उसमे जरूर फोन नम्बर होगा ।सूरज जल्दी से बच्चों के पास जाता है और पहचान पत्र में पड़े नम्बर पर फोन करता है।
फोन पर किसी लड़की ने बात की, सूरज ने पूरी बात बता दी । सूरज कंपनी के लिए देर हो रही थी इसलिए डाक्टर साहब से इजाजत लेकर कंपनी चला गया ।
कार में जख्मी औरत और बच्चे किसी ओर के नहीं शंकर डॉन के ही हैं ।
शंकर को को फोन से किसी ने बताया की उसकी कार का एक्सिडेंट हो गया है, कार पूरी तरह जल कर ख़ाक हो चुकी है, शंकर डर जाता है की कहीं उसके पत्नी और दोनों बच्चे तो नहीं जल गए । शंकर भागता हूँ गाडी के पास जाता है तब तक काफी पुलिस फ़ोर्स आ चूका था । शंकर पोलिस बालो से पूछता है ।
शंकर-" गाडी में मेरी बीबी और बच्चे कहाँ है इन्स्पेक्टर?"
इन्स्पेक्टर-' शंकर जी धीरज रखिए, आग इतनी भयंकर थी की सबकुछ जलकर राख हो चुका है, हम छानबीन कर रहें है,हो सकता है आपका परिवार इसी गाडी में जल गया हो" शंकर जैसे ही यह सुनता है दहाड़ कर रोने लगता है, आज एक पल में ही उसकी बनाई हुई दुनिया जैसे ख़ाक में मिल गई हो, बीबी और बच्चों में शंकर की जान बसती है ।
इधर शंकर की बहन शिवानी को जैसे ही हॉस्पिटल से सुचना मिलती है की उसकी भावी और दोनों बच्चे एक्सिसडेन्ट होने के कारण भर्ती है वह तुरंत अपने भाई शंकर को फोन करती है ।
शिवानी-" भैया हॉस्पिटल से किसी अनजान व्यक्ति का फोन आया उसने बताया की भावी और बच्चे हॉस्पिटल में भर्ती है, आप जल्दी से हॉस्पिटल आ जाओ, में निकल चुकी हूँ" शंकर जैसे ही यह सुनता है उसकी जान में जान आ गई, बचाने बाले व्यक्ति का शुक्रिया अदा करता है और अपने आदमियो के साथ हॉस्पिटल पहुँच कर अपनी बीबी और बच्चों से मिलता है, सभी को होश आ चूका था, शंकर की बीबी सारी बात बता देती है,जिस लडके ने जान बचाई उसके बारे में बताती है ।
शंकर की बीबी ने कभी सूर्या को नहीं देखा था ।
शंकर की बीबी-" एक फरिस्ते ने हमें बचा लिया बरना उस कार में ही हम तीनो जल जाते"
शिवानी-" वो फरिस्ता कहाँ है भावी?" डॉक्टर से पूछती है ।
डाक्टर-" वो किसी काम की बजह से जल्दी चला गया, बाकई में वो फरिस्ता ही था'
शंकर-" शिवानी पता लगाओ की वो फरिस्ता कौन था,जो हमपर उपकार कर गया,उस फरिस्ते से हम मिलना चाहते हैं"
शिवानी-" भैया उसका नम्बर है मेरे पास, में उनको फोन करके घर पर बुला लूँगी"
शंकर-" उनसे कहो की आज शाम को हमारे घर पर भोजन पर बुलाओ,उस फरिस्ते ने बहुत बड़ा उपकार किया है हम पर"
कोई नहीं जानता था की जिस फरिस्ते की बात कर रहें हैं वो सूर्या का हमसकल सूरज ही है । शिवानी फोन मिला देती है ।
शिवानी-' हेलो जी!
सूरज-" हेलो मेडम बोलिए क्या बात है, आपकी भावी और बच्चे ठीक तो हैं अब,माफ़ कीजिए में जल्दी में था इसलिए रुक न सका"
शिवानी-" सर हम आपका सुक्रिया अदा करना चाहते हैं,आपने भावी और बचचो की जान बचा कर बहुत बड़ा उपकार किया है हम पर, आप आज शाम को घर आ सकते हैं डिनर पर?
सूरज-" अरे मेडम जी यह तो मेरा फर्ज था, इंसान ही इंसान की मदद नहीं करेगा तो कौन करेगा, और हाँ में बच्चों से मिलने जरूर आऊँगा लेकिन आज नहीं कल"
शिवानी-" आप बाकई में फरिस्ते हैं,में कल आपका इंतज़ार करुँगी" फोन कट जाता है ।
शिवानी शंकर को बता देती है की वो फरिस्ता कल घर आएगा ।
डॉक्टर तीनो को छुट्टी दे देता है, तीनो लोग स्वस्थ थे । शंकर अपने परिवार को लेकर घर चला जाता है । शिवानी सूरज से बात करके बहुत आकर्षित हो चुकी थी, वो कल मिलना चाहती थी सूरज से ।
इधर कंपनी में सूरज कल टेंडर कैसे मिले इसी बात की चर्चा अपने सीनियर कर्मचारी से कर रहा था । सूरज किसी भी तरह यह टेंडर लेना चाहता था, काफी देर चर्चा और विचार करता है ।
तभी सूरज के मोबाइल पर तनु दीदी का फोन आता है,
तनु-" सूरज कैसा है तू, आज शाम को घर आजा,सब लोग बहुत याद कर रहें है तुझे"
सूरज-" दीदी कंपनी के काम में बहुत व्यस्त हूँ, एक दो दिन में फ्री होते ही आपके पास आ जाऊंगा कुछ दिन रहने के लिए"
तनु-" माँ और पूनम दीदी भी बहुत याद कर रहीं है तुझे"
सूरज-" दीदी आप माँ और पूनम दीदी का ख्याल रखना, बस कुछ दिन की परेसानी और है फिर आप लोगों के साथ ही समय बिताऊंगा"
तनु-"कोई नहीं सूरज,तू चिंता न कर"तनु फोन काट देती है ।
शाम होते ही सूरज घर की और निकल जाता है ।
मधु मौसी और संध्या माँ में बहुत घुट रही थी, जैसे ही घर पहुंचा मधु मेरी तरफ देख कर कामुक मुस्कान देती है ।
में अपने कमरे में जाकर फ्रेस होकर आराम करने लगता हूँ ।
थोड़ी देर बाद फिर से मोबाइल बजता है सूरज ने मोबाइल देखा तो शिवानी की कोल थी ।
शिवानी-" हेलो सर जी क्या में आपसे कुछ देर बात कर सकती हूँ"
सूरज-" हाँ जी बोलिए मेडम"
शिवानी-" सर जी आपका नाम पूछना भूल गई थी में"
सूरज-" ओह्ह्ह में तो अपना नाम बताना ही भूल गया था मेरा नाम सूरज है"(सूरज के मुह से सूरज ही नाम निकल गया जल्दबाजी में, जबकि वो अपना नाम सूर्या ही बताता है हर किसी को।
शिवानी-" बहुत प्यारा नाम है आपका, आपके विचार बहुत अच्छे हैं इसलिए आपसे बात करने का मन हुआ"
सूरज-" थेंक्स मेडम आप भी बहुत अच्छी हो इसलिए अच्छे विचार सुनना पसंद करती हो"
शिवानी-"यह तो आपका नजरिया है सूरज जी,इस फरेबी दुनिया में आप जैसे अच्छे व्यक्ति बहुत कम ही होते हैं"
सूरज-' मेडम ये जिंदगी चार दिन की है या तो ख़ुशी से काट लो या रो रो कर ये इंसान पर डिपेंड करता है, नजरिया अच्छा हो तो सामने बाला हर व्यक्ति अच्छा होता है"
शिवानी-" हाँ यह बात आपने बहुत अच्छी कही है" तभी सूरज के कमरे में मधु का आगमन होता है,
सूरज-" मेडम में कल बात करूँगा आपसे"यह कह कर फोन काट देता है ।
मधु को लगता है की सूर्या अपनी गर्ल फ्रेण्ड से बात कर रहा है ।
मधु-"अरे क्या हुआ सूर्या, फोन क्यूँ काट दिया, गर्ल फ्रेंड से बात कर रहे थे क्या?"
सूरज-"अरे नहीं मौसी गर्ल फ्रेंड मेरे नसीब में कहाँ हैं"
मधु-"क्या तेरी अभी तक कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है?"
सूरज-"नहीं मौसी अभी तक नहीं है' सूरज मासुमियात से बोलता है ।
मधु-' फिर तो बड़ी दिक्कत होती होगी तुझे"
सुरज-" कैसी दिक्कत मौसी?
मधु-" फिर तो तू भी अपने हाँथ से ही......"
अधूरी बात छोड़ देती है,लेकिन सूरज समझ जाता है मौसी मुठ मारने की कह रही हैं ।
सूरज-" हाँथ से क्या मौसी?"
मधु-"ओह्हो बड़ा भोला बन रहा है,बातें तो बड़ी बड़ी करता है, तू भी अपने हाँथ से हिलाता है क्या? मधु साफ़ साफ़ बोलती है ।
सूरज-" नहीं मौसी, हाँथ से नहीं करता हूँ'
मधु-" में सब जानती हूँ, खा मेरी कसम कभी नहीं हिलाया तूने" अब तो सूरज कसम के जाल में फंस गया था ।
सूरज-" हाँ मौसी किया है दो तीन बार ही बस'
मधु-" इसमें शर्माने की क्या बात है सब करते हैं, में भी करती हूँ"
सूरज-" मौसी क्या अभी भी वो डिडलो अंदर घुसा है" सूरज मधु की चूत की तरफ इशारा करता हुआ बोला, मधु लाल रंग की नायटी पहनी हुई थी जिसमे उसका जिस्म क़यामत लग रहा था ।
मधु-" अरे नहीं सूरज तुझे क्या लगता है पुरे दिन उसे घुसा कर रखती हूँ, वो तो जब ज्यादा मन चलता है सेक्स का तभी उस से आग शांत कर लेती हूँ"मधु कामुकता के साथ सूरज से खुलती जा रही थी,सूरज का लंड लोअर में खड़ा हो जाता है, मधु की नज़र खड़े लंड पर पड़ती है ।उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर जाती है ।
मधु-" मुझे लगता है तेरा शेर जाग गया, बाथरूम चला जा और इसे शांत कर ले, बरना रात भर नींद नहीं आएगी तुझे" हँसते हुए बोली ।
सूरज-" मौसी आपके पास तो डिडलो है जिससे आपको पुरुस के पेनिस जैसा अनुभव मिल जाता है, लड़को के लिए कोई चूत जैसा रबड़ का आयटम नहीं आता है क्या,मेरा भी काम चल जाता'" सूरज के मुह से चूत शब्द सुनकर मधु शर्मा जाती है उसकी चूत में खुजली मचने लगती है ।
मधु-'कोई लड़की पटा ले बेटा, जो मजा लड़की दे सकती है वो मजा रबड़ का खिलौना नहीं"
सूरज-" मौसी क्या डिडलो आपको पूरा मजा नहीं दे पाता है क्या" मधु कामुक हो चुकी थी मन कर रहा था की बस अब सूरज से चुदबा ले,इधर सूरज का मोटा और तगड़ा लंड जिसे महसूस करके ही चूत गीली हो रही थी ।
मधु-" अब तुझे क्या बताऊँ सूरज, जब जिस्म से जिस्म रगड़ता है उसकी बात ही कुछ ओर होती है,डिडलो तो बस कुछ देर के तूफ़ान को शांत कर देता है आग नहीं बुझा पाता है" मधु ने मेक्सी के ऊपर से ही चूत को मसलते हुए बोला। यह हरक़त सूरज देख लेता है उसका लंड झटके मारने लगता है ।
सूरज-" हाँ मौसी यह बात तो ठीक है आपकी, मौसी में लड़की को पटाना नहीं चाहता हूँ, मेरा पेनिस इतना बडा है की लड़की उसको झेल नहीं पाएगी,मेरे पेनिस को तो आप जैसी ही कोई भरे बदन की महिला झेल पाएगी'
मधु-'हाँ यह बात तो तेरी सही है तेरा पेनिस तो घोड़े जैसा है,नई लड़की की तो चूत फट जाएगी" दोनो लोग काफी खुल चुके थे,और दोनों ही तरफ आग भड़क चुकी थी ।
सूरज-" मौसी कोई आप जैसी महिला की चूत ही मेरे लंड की आग बुझा सकती है,कोई आप जैसी सुन्दर महिला से दोस्ती करबा दो मेरी,मधु की चूत से आग का सैलाब भड़क गया ।
मधु-"ओह्ह्ह्हो सूरज तेरी इन बातों को सुनकर अब मुझ पर रहा नहीं जा रहा है, में अभी ऊँगली करके आती हूँ" मधु चूत मसलती हुई बोली ।
सूरज-" मौसी ऊँगली कैसे करती हो यहीं कर लो मेरे सामने ही" सूरज ने जैसे ही बोला मधु की तो मन की मुराद ही पूरी हो गई हो ।
मधु-"एक शर्त पर ऊँगली करुँगी,अगर तू भी मेरे सामने मुठ मारे तो...."
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मधु और सूरज दोनों बेड पर एक दूसरे के सामने बैठ कर हस्तमैथुन क्रिया को अंजाम देने के लिए एक दूसरे को चुनोती दे रहे थे ।
जिस्म में जब आग भड़कती है तो अच्छा और बुरा भूल कर कामाग्नि को शांत करने के लिए किसी भी हद तक चुनौती स्वीकार कर सकते हैं । सूरज का लंड इस बात पर झटके मार रहा था की मधु मौसी मेरे सामने ही चूत में ऊँगली डालकर अपना पानी बहार निकालेगी,इधर मधु के दिमाग में भी सूर्या के मोटे लंड का दीदार करने की लालसा लगी हुई थी ।
मधु-" क्या सोच रहा है सूरज, मुठ मारेगा मेरे सामने तो में भी तेरे सामने ही अपनी चूत में ऊँगली डालूंगी, जल्दी बोल ज्यादा समय नहीं मेरे पास, एक तो मेरी चूत में आग लगी है और एक डर भी सता रहा है की कोई नीचे से ऊपर न आ जाए" मधु ने मेक्सी के ऊपर से ही अपनी चूत को मसलते हुवे बोला,यह देख कर सूरज का लंड लोअर के अंदर ही आजादी की जंग छेड़ देता है, लंड वस्त्रो से स्वतंत्र होने के लिए गुस्से से फटा जा रहा था ।
सूरज-" मौसी में तैयार हूँ आपके सामने मुठ मारने के लिए, मुझ पर भी अब रहा नहीं जा रहा है, देखो न मौसी मेरा लंड कैसे उत्तेजना के मारे फटा जा रहा है" लोअर में बने तम्बू को दिखाते हुए बोला।
मधु पर रहा नहीं गया उसने अपनी मेक्सी के अंदर हाथ डालकर अपनी चूत को मसलने लगी, मेक्सी के अंदर उसका हाथ बड़ी तेजी से चलने लगा, सूरज तो मौसी के चेहरे पर कामुकता भरे अंदाज़ को देख कर अपनी शहनशीलता खो देता है और लोअर में लंड निकाल कर बड़ी तेजी के साथ लंड को सहलाने लगता है, सूरज की नज़र मधु के हाथ पर थी जो मेक्सी के अंदर बड़ी तेजी से चल रहा था ।
मधु-" सूर्या तेरा लंड तो बाकई में गधे जैसा लंबा और मोटा है, जिस किसी चूत में घुसेगा तो चूत का भोसड़ा बना देगा" मधु सिसकती हुई बोली
सूरज-" हाँ मौसी आप मेक्सी को उतारो, मुझे आपकी रासिली चूत देखनी है, आप बड़ी चालाक हो मेरा लंड देख लिया लेकिन अपनी चूत नहीं दिखाई तुमने" मधु मेक्सी को उतार कर सूरज को चूत दिखाती हुई बोली ।
मधु-" ले बेटा सूरज देख अपनी मौसी की चूत, कितनी प्यासी है ये चूत,तेरा लंड देख कर बहुत पानी छोड़ रही है" मधु सूरज को अपनी चिकनी चूत दिखाते हुए बोली सूरज को, सूरज मधु की चूत को देख कर ललचा जाता है,उसका मन कर रहा था की चूत को चाट ले।
सूरज-" मौसी क्या में आपकी चूत को छूकर देखू, आप चाहो तो मेरा लंड पकड़ सकती हो'
मधु-" हाँ सूरज तेरे लंड को देखकर तो मेरे मुह में पानी आ रहा है' सूरज देर न करते हुए मधु की चूत पर ऊँगली फिराता है, मधु की सिसकियाँ फुटने लगती है, डिडलो से प्यास बुझाने बाली मधु सूरज को लंड को देखते ही लंड पर टूट पड़ती है जैसे कई दिनों की भूकी प्यासी हो ।
मधु 69 की पोजीसन में लेट कर सूरज के लंड को मुह में लेकर चूसने लगती है, सूरज पर भी रहा नहीं जाता है और वह भी मधु की चूत में जुव्ह डालकर चाटने लगता है।
मधु और सूरज भूके की तरह एक दूसरे की चूत का पानी चाटने में लगे हुए थे ।
मधु-"आअह्ह्ह्ह्ह सूर्या चाट मेरी चूत को, बहुत पानी छोड़ती है यह"
सूरज-" मौसी में चोदना चाहता हूँ तुम्हें, चौद कर तुम्हारी चूत की प्यास बुझाना चाहता हूँ"
मधु-" रोका किसने है बेटा चौद अपनी मौसी को, बुझा दे प्यास मेरी" इतना बोलते ही सूरज मधु को नीचे लेटा कर अपना लंड एक ही झटके में मधु की चूत में घुसेड़ देता है ।
मधु-" आआईईईई आह्ह्ह्ह्ह् उफ्फ्फ सूर्या ये क्या किया तूने दर्द हो रहा है,आराम से चोद अपनी मौसी को" सूरज लंड निकाल कर दुबारा मधु की चूत में डालता है और धक्के मारने लगता है, मधु की चुचिया किसी छोटी छोटी मटकियों की तरह हिल रही थी, सूरज मधु की चुचियो को मसलते हुए धक्के मारता है ।
मधु-"आअह्ह्ह सूरज तू नीचे लेट, में ऊपर से तुझे चौदूंगी," सूरज नीचे आ जाता है मधु लंड के ऊपर बैठ कर अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर नीचे करने लगती है ।
सूरज मधु की गदाराइ गांड को मसलता है, मधु तेज तेज लंड पर कूदने लगती है ।लंड पर कूदते समय मधु की चूचियाँ भी पुरे जोर से उछाल रही थी ।
10 मिनट चोदने के बाद सूरज मधु को घोड़ी बना कर चोदने लगता है ।
मधु-"आह्ह्ह तेरे लंड ने आज मुझे बहुत सुख दिया है सूरज,चौद अपनी मौसी को" सूरज तेजी से चोदते बोलता है ।
सूरज-"मौसी तुम्हारी चूत भी जन्नत से कम नहीं, तुम्हारी जैसी घोड़ियों ही मेरे लंड को झेल सकती है मौसी"
मधु-" एक घोड़ी और है बहुत प्यासी बेटा, उसकी चूत और गांड तो मेरे से भी अच्छी है, एक दम कुँवारी घोड़ी है मेरे पास,अगर चोदना हो तो बोल ?"
सूरज-" नेकी और पूछ पूछ मौसी, कौन है वो घोड़ी मौसी, बोलो में उसे भी चौद दूंगा" सूरज समझ गया था की मधु संध्या माँ की ही बात कर रही है, मधु तो अब तक चार बार झड़ चुकी थी, सूरज का ध्यान जैसे ही संध्या की कोमल चूत और मस्त गांड का ख्याल आता है तो बड़ी तेजी से चौदने लगता है, मधु की हालात ख़राब हो जाती है। सूरज तेज तेज धक्को के साथ ही मधु की चूत में झड़ जाता है और चौदने के बाद मधु के ऊपर ही लेट कर दोनों लोग साँसे लेने लगते है।
15 मिनट बाद संध्या आवाज़ लगाती है ।
संध्या-" अरे मधु कहाँ है जल्दी आ जा नीचे,सूर्या को भी ले आ,खाना तैयार है" मधु और सूरज जल्दी से कपडे पहन कर नीचे जाकर नास्ता करते हैं । सभी लोग खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले जाते हैं ।
आज संध्या की चूत में डिडलो लेने की जल्दी थी, कल चूत में डिडलो का जो आनंद मिला था वही आनंद आज लेने के लिए बड़ी बेसब्री का इंतज़ार कर रही थी ।
मधु और संध्या कमरे आते ही बेड पर दोनों चित हो गई ।
मधु की चूत की आग तो आज सूरज में ठंडी कर दी थी ।इसलिए वो आराम से सोना चाहती थी लेकिन संध्या की चूत में खुजली मच रही थी ।
संध्या अपनी चूत को बार बार मसलती है ।
इधर सूरज भी कमरे में आकर लेपटोप खोलता है और मधु को देखता है की कहीं मधु माँ को सब बता न दे की आज मैंने उसकी चुदाई की है ।
सूरज लेपटोप में देखता है की संध्या माँ अपनी चूत को मसल रही है मेक्सी के ऊपर से ही ।
संध्या-" मधु क्या हुआ, आज तू कुछ किए बिना ही लेट गई"
मधु-" क्या करू संध्या, तुझे कुछ चाहिए तो बोल"
संध्या-" हाँ मधु वो डिडलो मुझे चाहिए, पता नहीं क्यूँ बड़ा मन कर रहा है मेरा आज" संध्या अपनी चूत मसलती हुई बोलती है ।
मधु-" डिडलो को छोड़ ला तेरी चूत को चाट कर ही झाड़ दूँ संध्या" मधु संध्या की मेक्सी को उठाकर चूत में ऊँगली डालते हुए बोली, संध्या कसमसा गई । मधु ऊँगली को बड़ी तेजी से चलाती है, मधु ऊँगली निकाल कर संध्या की चूत में जिव्हा डालकर चाटने लगती है, मधु की चूत में भी खुजली मचती है, मधु संध्या 69 की पोजीसन में आकर चूत की चुसाई करने लगती है ।
मधु और सूरज की दमदार चुदाई के पश्चात मधु अपनी चूत जल्दबाजी में साफ़ नहीं कर पाई थी, सूरज के लंड का वीर्य अभी भी मधु की चूत में थोडा बहुत भरा पड़ा था, संध्या जैसे ही मधु की चूत में जीव्ह डालती है उसे आज मधु की चूत का पानी का स्वाद अलग सा लगता है, संध्या चूत में जीव्ह डालकर उस स्वादिष्ट पानी को चाटने लगती है तभी संध्या को झटका सा लगता है वो समझ जाती है की ये किसी आदमी का वीर्य है मधु की चूत में, संध्या मधु की चूत में ऊँगली डालकर सफ़ेद पानी को देखने लगती है, संध्या सफ़ेद पानी को देखते ही समझ जाती है की ये किसी आदमी का वीर्य है मधु की चूत में, संध्या हेरात में पड़ जाती है और सोचने लगती है की मधु किससे चुदवा कर आई है, कहीं मधु बहार किसी नोकर से तो नहीं चुदवा कर आई है, फिर उसे ध्यान आता है की मधु तो सूर्या के कमरे से आई है और वीर्य भी ताज़ा है कहीं ये मधु सूर्या से तो नहीं चुदवा कर आई है,
संध्या-" मधु एक बात बता तुझे मेरी कसम है तू सच बताएगी"
मधु-" हाँ बोल मेरी जान" संध्या की चूत चाटते हुए बोली
संध्या-" तू किससे चुदवा कर आई है,तेरी चूत पुरुष के वीर्य से भरी हुई है, कहीं तू सूर्या से तो चुद कर नहीं आई है?" मधु जैसे ही ये सुनती है उसकी साँसे अटक जाती है, मधु के क्रोधित और गुस्सा न हो जाए इस बात का डर था मधु को,सूरज भी जब ये बात सुनता है तो उसकी भी गांड फट जाती है की अब क्या बहाना बनाएगी मौसी।
मधु-" संध्या तुझे बहम हुआ है वो किसी पुरुस का वीर्य नहीं है मेरी चूत का ही पानी है" मधु यह बात डरते हुए बोलती है,लेकिन मधु का डर संध्या के सक को और मजबूत कर देता है ।
संध्या-" मुझे मत पढ़ा मधु, मैं चूत के पानी और लंड के पानी में अच्छी तरह से अंतर पहचानती हूँ, सच बता मधु तू आज शाम को सूर्या से ही चुद कर आई है न"
मधु बैठती हुई बोली ।
मधु-" मुझे माफ़ करना बहन, में बहक गई थी, हाँ सूर्या से ही अपनी प्यास बुझाई है मैंने, उसके मोटे लंड को देखकर में अपने आपको रोक नहीं पाई" जैसे ही संध्या ने यह बात सुनी उसके पैरो तले जमीन खिसक गई, अपने ही बेटे के लैंड का पानी चख चुकी थी संध्या, उसकी अंतरात्मा ग्लानि के भाव महसूस कर रहे थे, संध्या रोने लगती है,
सूरज भी यह सब देख कर बैचैन हो जाता है। सूरज डर जाता है की कहीं माँ अब मुझे घर से न निकाल दे, अगर ऐसा हुआ तो वो कहीं मुह दिखाने के लायक नहीं रहेगा, अपनी सगी माँ रेखा और पूनम और तनु दीदी को कहाँ लेकर जाएगा अब,गाँव तो वापिस जा नहीं सकता था ।
संध्या-" तुझे शर्म नहीं आई मधु, वो तेरे बेटे जैसा है, में कुछ उल्टा सीधा कहूँ उससे पहले तू इस घर से निकल जा,में तेरी सूरत भी देखना नहीं चाहती हूँ" मधु को तेज झटका लगता है,काफी देर तक माफ़ी मांगती है लेकिन संध्या एक नहीं सुनती है, मधु को लगता है की अब इस घर से निकलना ही ठीक है, मधु अपने कपडे पहन कर निकलने लगती है घर से,तभी संध्या ड्राइवर से मधु को उसके घर छोड़ने के लिए बोलती है, मधु के जाते ही संध्या कमरे में ऑस्कर फुट फूट कर रोने लगती है, सूरज बेचारा सिर्फ देखता रहता है लेकिन कुछ कर नहीं पाता है ।
सूरज बिस्तर पर लेट जाता है पूरी रात उसे नींद नहीं आती है, सुबह कब हो जाती है उसे पता नहीं चलता है ।
सूरज की आँख सुबह 8 बजे खुलती है,आज संध्या उसे जगाने नहीं आई थी ।
सूरज ही जल्दी से तैयार होकर नीचे पहुँचता है ।
संध्या माँ आज सुबह उठाने नहीं आई इससे साफ़ पता चल गया था की माँ बहुत नाराज है, माँ से कैसे नज़रे मिलाऊंगा, माँ की क्या प्रतिक्रिया होगी, कहीं माँ मुझे घर से न निकाल दे यही सब सोच कर मेरी गांड फट रही थी,
में जैसे ही नीचे गया तो देखा माँ किचेन में थी, में डायनिंग टेबल पर बैठ कर नास्ते का इंतज़ार करने लगा, लेकिन माँ ने मेरी तरफ मुड़ कर भी नहीं देखा और न ही गुड़ मॉर्निंग किया जबकि हर रौज माँ ही पहले करती थी।
में समझ गया की आज बहुत बड़ा पहाड़ टूट कर गिरने बाला है मेरे ऊपर, मेरा ह्रदय बडी तेजी से धड़क रहा था, काफी देर तक बैठने पर जब माँ ने मेरी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तो मैंने ही माँ को डरते हुए आवाज़ लगाईं ।
सूरज-" माँ गुड़ मॉर्निंग,क्या हुआ माँ आज आप मुझे उठाने नहीं आई,और हाँ मधु मौसी कहाँ है दिखाई नहीं दे रही हैं" मैंने डरते हुए और अनजान बनते हुए पूछा, जैसे ही माँ ने मेरे मुह से मधु मौसी का सुना माँ एक दम भड़कती हुई मेरी तरफ घुमी, जैसे ही मैंने माँ का चेहरा गुस्से से भरा हुआ देखा,मेरी घबराहट बढ गई,रात भर जागने के कारण माँ की आँखे लाल थी,और उन आँखों में आंसू, शायद माँ रात भर रोती रही है ।
संध्या-" क्या करेगा मधु का, बड़ी फ़िक्र हो रही है तुझे उसकी, तुझे ज़रा सी भी शर्म नहीं आई, क्यूँ किया तूने ऐसा" फुट फुट के रोते हुए बोली
मेरी तो सुनकर हवा ही निकल गई,
सूरज-" क्या हुआ माँ, ऐसा क्या किया मैंने" अनजान होते हुए बोला।
संध्या-" ये झूठ का पर्दा अपने चेहरे से हटा दे सूर्या, तूने घिनोना पाप किया है, अपनी माँ की उम्र की महिला के साथ तूने....छी मुझे बोलते हुए शर्म आ रही है, मैंने सोचा तेरी यादास्त चली गई है शायद अब तुझमे सुधार आ जाएगा लेकिन गलत थी तू कभी नहीं सुधर सकता,में तेरी शक्ल भी देखना नहीं चाहती सूर्या दूर हो जा मेरी नज़रो से" माँ रोटी हुई बोली, वास्तव में मुझे अपनी गलती का पछतावा हुआ, माँ को रोता देख मेरे आँख से भी आंसू बहने लगे,
मैंने माँ के पैर पकड़ लिए ।
सूरज-" माँ मुझे माफ़ कर दो, में अंधा हो गया था, सब इस उम्र और समय की गलती है, हालात ऐसे बन गए की मुझे सब कुछ करना पड़ा" मैंने रोते हुए बोला ।
माँ रोती हुई अपने कमरे में चली गई, में काफी देर तक माँ का इंतज़ार करता रहा,माँ ने दरबाजा नहीं खोला,जब काफी देर हो गई माँ बहार निकल कर नहीं आई तो में माँ बहार से ही बोला
सूरज-" माँ मुझे सज़ा दो, मेरी पिटाई लगाओ लेकिन प्लीज़ मुझसे नाराज़ मत हो,आपको मेरी शक्ल से नफरत है तो में यहां से चला जाऊँगा,माँ एक बार मुझसे बात तो करो" काफी देर इंतज़ार करने के बाद कोई आवाज़ नहीं आई तो में भी गाडी लेकर घर निकल गया और कंपनी चला गया, आज टेंडर की मीटिंग हमारी ही कंपनी के हॉल में थी, तान्या टेंडर को लेकर दुखी थी की कहीं ये टेंडर किसी और कंपनी न मिल जाए और में माँ की बजह से दुखी था ।
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007
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by 007 »

Masti ke parcham ko lahrata hua update hai dost
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

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shubhs
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by shubhs »

जल्दी से टेंडर दिलाओ
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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