जीवन एक संघर्ष है complete

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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »


सूरज रूम में प्रवेश करते ही सूर्यप्रताप की फोटो देख कर सारा माजरा समझ गया लेकिन अभी भी बहुत से सवाल उसके जहन में गूंज रहे थे जिनके जवाब ढूंढना सूरज के मन की शान्ति के लिए अति आवश्यक थे ।
सूर्यप्रताप के जीवन की कहानी,
गुंडे उसके पीछे क्यूँ पड़े हैं?
अब कहाँ है ?
तान्या की नफ़रत सूर्या के लिए ।
सूरज के परिवार की हकीकत ।
इन्ही सवालो में सूरज खोया हुआ था ।
सूरज ने निश्चय किया की जब तक सूर्या के बारे में पता नहीं कर लेता तब तक स्वयं ही सूर्या बनकर माँ और इस परिवार की रक्षा करेगा । जिस दिन सूर्या मिल जाएगा उस दिन सबको सच बता देगा ।
इस परिवार की रक्षा करना मेरा धर्म है ।
संध्या की आँखों में उसने अपने लिए एक माँ का प्यार देखा है । गाँव में इतना संघर्ष किया है अब थोडा संघर्ष और सही ।
जब तक मुझे और मेरे परिबार को सहारा भी मिल जाएगा ।
तभी सूरज को अपनी माँ और बहनो की चिंता हुई जो मंदिर में उसका इंतज़ार कर रही हैं । सूरज जल्दी से रूम में अटेच बाथरूम में नहाया । पहली बार इतना सुन्दर घर देख कर सूरज भी आश्चर्यचकित था । उसने कभी नहीं सोचा था की इस प्रकार के सुन्दर बॉथरूम में नहाने का मौका मिलेगा । सारी फेसलेटी उस घर में मौजूद थी जिसको अब तक फिल्मो में देखते आया था ।सूरज नहा कर अपने आपको तरोताज़ा महसूस कर रहा था ।
बाथरूम से निकल कर रूम में बनी सुन्दर अलमारी खोली कपडे पहनने के लिए तो उसके तो होश ही उड़ गए ।
सुन्दर कोट पेंट और नई प्रकार की जीन्स की सेकड़ो जोड़ी कपडे उस अलमारी में टंगे हुए थे । उन्ही के नीचे जूते और सेंडल की सेकड़ो प्रकार की जोड़िया रखी हुई थी ।
सूरज उनमे से एक जोड़ी जीन्स और शर्ट निकाल कर पहनता है ।
सूरज आज किसी हीरो की तरह अपने आपको महसूस कर रहा था ।सूरज उस अलमारी के प्रत्येक वस्तु का मुयायना करता है तभी एक अलमारी में बहुत से रुपए की गड्डी की लाइन लगी हुई थी । सूरज ने
इतने पैसे कभी नहीं देखे । सूरज उन रुपए में एक गड्डी निकाल लेता है ।
तक़रीबन एक लाख रुपए की गड्डी लेकर उसने जेब में रखी । और निचे की ओर चल दिया ।
संध्या अभी भी सोफे पर लेटी थी जैसे ही सूरज को देखा मुस्करा गई ।
सूरज संध्या के पास आकर बैठ गया ।
संध्या-" बेटा एक महीने बाद तुझे आज देखा है । इस एक महीने में मुझे क्या तखलिफ् हुई में बता नहीं सकती हूँ ।
तू कहाँ चला गया था ?
क्या तुझे मेरी बिलकुल याद नहीं आई ।
इतना बड़ा कारोबार कौन देखेगा बेटा ?
कब तू इस घर की जिम्मेदारी समझेगा ?""

सूरज को समझ नहीं आ रहा था की इन सवालो का क्या जवाब दे । तभी रूम से तान्या निकल कर आई जो अभी भी मुझे गुस्से से देख रही थी ।मुझे तो देख कर ही डर लगता है तान्या से कहीं एक और तमाचा मेरे गाल पर न मार दे ।
तान्या-" ये क्या बोलेगा माँ इसको इस घर की कब फ़िक्र हुई है । इसको तो सिर्फ दोस्तों के साथ पार्टी और गुंडागर्दी ही पसंद है । इसको कुछ भी बोलना बेकार है बरना फिर से घर छोड़ कर भाग जाएगा ।
संध्या-" तान्या चुप जा बेटा! इतने दिन बाद घर आया है तूने देखा नहीं ये कुछ ढंग से बोला भी नहीं है इसके कपडे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे ये कहीं भाग कर आया है ।जरूर कुछ ऐसा हुआ है जिसके कारण ये चुप है? बोल सूर्या क्या बात है ?

सूरज बेचारा क्या बोले।अगर सच बोला तो इस घर से शायद उसे धक्के मार कर भगा दिया जाएगा । फिर इस घर को गुंडों से कौन बचाएगा । आज तो सूरज मंदिर पर अकस्मात मौजूद था इसलिए संध्या की जान बचा ली ।अगर इस घर से चला गया तो कौन रक्षा करेगा ।
सूरज-" माँ मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है ।
जब मुझे होश आया तो में सब कुछ भूल चुका था । शायद मेरे सर में चोट लगने के कारण ऐसा हुआ है माँ ।
मुझे बस इतना याद है की तुम मेरी माँ हो ।
माँ मुझे कुछ याद नहीं है" इतना बोलकर सूरज रोने लगा । सूरज ने यह झूठ जानबूझ कर बोला ताकि उसे सारी सच्चाई पता चले सूर्यप्रताप के जीवन के बारे में पता चले ।

सूरज के इतना बोलते ही संध्या सोफे से उठकर बैठ गई, और तान्या भी आँखे फाड़े सूरज को देख रही थी ।
तान्या मन ही मन सोच रही थी की क्या सच में सूर्या को कुछ याद नही क्या सच में इसकी यादास्त चली गई है ।
तभी उसे हॉस्पिटल में की घटना याद आई जब सूरज को तमाचा मारा तो सूर्या किसी अनजान की तरह उसे देख रहा था, जो सूर्या हमेसा उससे लड़ता रहता था, उसकी खामोशी आश्चर्य में डालने जैसी थी तान्या के लिए ।
संध्या-" ये तू क्या कह रहा है बेटा, तू फ़िक्र मत कर, में तुझे अच्छे से अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाऊंगी,
संध्या के चेहरे पर परेसानी साफ़ पता चल रही थी, जिसने सूर्या की ये हालात की है मन ही मन उसे बददुआ भी दे रही थी ।
एक तरफ सूर्या के घर लौटने की ख़ुशी थी तो दूसरी तरफ सूर्या की यादास्त चली जाने का दुःख भी था ।
तान्या-" क्या तुझे वास्तव में कुछ याद नहीं है? तू इतने दिन से कहाँ पर था?
सूरज-" दीदी में सच कह रहा हूँ मुझे कुछ याद नहीं । बस ऐसे ही भटक ही रहा हूँ ""
सूरज की बात सुनकर तान्या को यकीन हो गया था की वास्तव में सूर्या की यादास्त चली गई है ।
जब से तान्या ने होश सम्भाला है तब से आज तक सूर्या ने तान्या के लिए दीदी" शब्द का प्रयोग नहीं किया ।
सूर्या के मुह से अपने आपको दीदी का सम्बोधन सुनकर तान्या की नफ़रत सूर्या के लिए कुछ कम हुई,
संध्या-" परेसान मत हो हम इस देश के सबसे बड़े हॉस्पिटल में तेरा इलाज कराएंगे । तू अब घर पर ही आराम कर वैसे भी सारा कारोबार तो तान्या ने ही संभाल रखा है""
संध्या माँ की बातो से एक बात और समझ में आ रही थी की इनका कोई बहुत बड़ा कारोबार था । जिसको तान्या दीदी ने संभाल रखा था ।सूरज सब कुछ जानना चाहता था परंतु एक दम नहीं धीरे धीरे ।
सूरज को अपनी माँ की चिंता सता रही थी जो अभी भी मंदिर में मेरे आने का इंतज़ार कर रही थी ।
सूरज-" माँ में थोड़ी देर के लिए मंदिर जाना चाहता हूँ, जल्दी ही वापस आ जाऊँगा""
सूरज विनती करते हुए बोला, जिसे सुनकर संध्या और तान्या को हैरानी हुई जो सूर्या कभी ईश्वर में विस्वास नहीं करता था वह आज मंदिर जाने की बात कह रहा था ।
संध्या-" बेटा मंदिर जा सकते हो लेकिन अकेले नहीं गाडी से जाओ और दो नोकरो को साथ लेकर जाओ ताकि कोई परेसानी न हो"" संध्या को क्या पता था की सूरज अपनी असली माँ और बहनो से मिलने जा रहां था ताकि उन्हें एक घर किराए पर लेकर उन्हें महफूज कर सके ।
सूरज-" माँ में अकेले ही चला जाता हूँ, मुझे सुरक्षा की जरुरत नहीं है माँ, में अकेला ही काफी हूँ अपनी सुरक्षा के लिए""
संध्या-" ठीक है चले जाओ लेकिन गाडी लेकर जाओ बेटा""
सूरज जैसे ही कोठी से बहार निकलता है
तान्या ड्राइवर को आवाज़ लगाती है ।
तान्या-" ड्राइवर सूर्या के साथ मंदिर जाओ और सूर्या का ध्यान रखना ।
तान्या ने जीवन में पहली बार सूर्या की फ़िक्र महसूस हुई थी । इस बात को तान्या भी जानती थी की सूर्या से पहली उसने बात की है और उसकी बात का विस्वास किया है । सूर्या के चेहरे की मासूमियत आज पहली बार तान्या ने देखि जिसके कारण उसका पत्थर जैसा ह्रदय भी पिघल गया था ।
सूरज ड्राइवर को लेकर मंदिर की और निकल जाता है ।

सूरज कोठी से निकलते ही ड्राइवर से मंदिर के लिए बोलता है ।
ड्राइवर उसी दिशा में गाडी चलाने लगता है । सूरज इस हमशक्ल वाली घटना को लेकर बहुत उत्साहित होता है। उसे इतना तो पता थी की इस दुनिया में एक ही शक्ल के सात लोग होते हैं लेकिन अपनी हमशक्ल के कारण उसकी ज़िन्दगी में ऐसा मॉड आएगा पता नहीं था ।जीवन के इस अनोखे सफ़र में सूरज अपने आपको बहुत भाग्यशाली भी मानता था की जैसे जैसे मुश्किलें उसके सामने आती गई ईश्वर ने कोई न कोई रास्ता उसे दिखता गया, सूरज ने ऐसा कभी नहीं सोचा था की एक लकड़ी काटने वाला लकड़हारा जिसे दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है उसका हमशक्ल सूर्यप्रताप इस शहर का सबसे रहीश व्यक्ति है जिसे परिवार और रुपए की बिलकुल कद्र नहीं है । सूरज ने सूर्या की अलमारी से पैसे तो निकाले अच्छे कार्य के लिए फिर भी वह अपने आपको अपराधी महसूस कर रहा था
वह जानता था की पहले अपने परिवार को अच्छे से सेट्टल कर देता है तभी सूर्या के परिवार की मदद कर सकता है इसलिए उसने पैसे निकाले ।
ड्राइवर के तेजी से ब्रेक मारने पर सूरज एक दम चोंका सामने देखा तो मंदिर पर आ चुका था । सूरज ने ड्राइवर को खड़ा रहने को कहां और तुरंत अपनी माँ और बहनो को ढूंढने के लिए भागा, सूरज तुरंत मंदिर के उसी परिसर की ओर भागता हुआ गया ।उसने जैसे ही मंदिर के फर्स पर अपनी माँ और बहनो को बैठा देखा तो उसकी जान में जान आई । उसकी माँ और बहने ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी की उसके बेटा को कोई काम मिल जाए इसी उम्मीद में बहुत देर से उसके लौटने का इंतज़ार भी कर रही थी ।
दोनों बहनो की निगाहें आते जाते लोगों को की भीड़ को देख रही थी। उन आँखों में भाई के लौटने का इंतज़ार था। जैसे ही सूरज माँ और बहनो के पास पहुचा उसने आवाज़ दी
सूरज-"माँ देखो में आ गया"'
रेखा सूरज को इस नए रूप को पहचान नहीं पाई लेकिन जैसे ही पुनम और तनु में देखा तुरंत ही चिल्ला पड़ी
तनु-" सूरज तू आ गया, ये कपडे किसने दिए तुझे, में तो पहचान ही नहीं पाई तुझे,
क्या तुझे नोकरी मिल गई ? कितनी देर से हम लोग आस लगाए बैठे थे,
सूरज के नए कपडे देख कर माँ और दोनों दीदी हैरान थे, सुबह गया था तब फटे पुराने हरिया के खून से सने कपडे थे, एक दम से ये नई जीन्स और शर्ट देख कर सभी लोग हैरान थे, सूरज के नए रूप को लेकर हज़ारो सवाल रेखा और तनु पूनम के मन में उमड़ पड़े ।
सूरज-" माँ मुझे नोकारी मिल गई, अब हमे कोई परेसानी नहीं होगी, हम किराए के घर में रहेंगे माँ चलो अब यहां से"
सूरज को खुश देख कर रेखा को ख़ुशी हुई और ईश्वर को धन्यवाद देती है ।
रेखा-" चलो बेटा यहां से, लेकिन तुझे नोकारी किसकी मिली है तू यहां कौनसा काम करेगा,कोई गलत काम तो नहीं है बेटा, तेरा तो एकदम हुलिया ही बदल गया है।
सूरज-" माँ फिकर नहीं करो मुझे बहुत अच्छी नोकरी मिली है, जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।
पूनम-" सूरज अभी हम जा कहाँ रहे है, कोई घर मिल गया है क्या किराए पर?
सूरज-"दीदी घर तो नहीं मिला है किराए का एक दो दिन किसी होटल या लॉज में कमरा किराए पर लेलेंगे तब तक में किसी किराए के घर की व्यवस्था कर लूंगा"'
तनु-" लेकिन भैया होटल में तो बहुत महंगा रूम मिलेगा किराए पर इतने पैसे कहाँ है हम पर?
सूरज-" दीदी पैसे की चिंता नहीं जहां नोकारी मिली है वहां से मुझे नगद रुपए मिल गए हैं ।
तीनो यह बात सुनकर बहुत खुश हो गए हैं तीनो लोग जैसे ही मंदिर के बहार निकले ड्राइवर गाडी लेकर सूरज के सामने लगा देता है।
सूरज-" माँ दीदी गाडी में बैठ जाओ। ये गाडी मेरे मालिक की है ।
पूनम और तनु तो इतनी महंगी और खूबसूरत गाडी देख कर खुश हो जाती है और मन ही मन अपने भाई पर गर्व महसूस करती हैं यही हाल रेखा का भी था ।
तभी ड्राइवर गाडी से निकल कर सूरज के पास आता है ।
ड्राइवर-" मालिक बैठिए गाडी में" ड्राइवर जैसे ही सूरज को मालिक बोलता है तनु सुन लेती है ।रेखा और पूनम दूसरी तरफ होते है इसलिए वो नहीं सुन पाते हैं ।
तनु हैरान थी की इतनी बड़ी और महँगी गाडी चलाने वाला सूरज को मालिक बोल रहा था । तनु दिमाग से सोचने बाली लड़की थी उसे कुछ शक सा होता है । तनु मन ही मन सोचती है सूरज कुछ झूठ बोल रहां है कुछ ही घंटे में इतना बड़ा चमत्कार कैसे हो गया ।सूरज सबको गाडी में बैठा देता है ।
सूरज-" ड्राइवर इधर आओ, सूरज ड्राइवर को बहार बुला कर उससे रहने के लिए किसी सस्ती लॉज या होटल के बारे में जाना चाहता था ।
ड्राइवर-" जी मालिक बोलिए
सूरज-" ये लोग मेरे दोस्त की माँ बहने है।
में भी इनको अपनी माँ और बहन की तरह मानता हूँ, बहुत गरीब हैं ये लोग, इनके लिए एक किराए का घर चाहिए तुम्हारी नज़र में कोई घर हो तो बताओ?
या कोई सस्ती लॉज या होटल में रहने का इंतज़ाम करवाओ ।
सूरज ने सच जानबूझ कर नहीं बताया ताकि किसी अन्य को न पते चले वरना सूर्या के दुश्मन इन पर हमला न करें और वास्तविक सच्चाई संध्या माँ और तान्या दीदी को भी नहीं बताना चाहता था अभी
वक़्त आने पर पता चले ज्यादा ठीक रहेगा ।
ड्राइवर-" मालिक किराए का घर लेने की क्या जरुरत है आपको इस शहर में आपकी 5 पांच कोठियां है किसी एक में से ईनको ठहरने के लिए दे दो । सब की सब कोठी खाली पड़ी हैं, आप कहो तो में इनको शहर के बहार फ़ार्म हाउस वाली कोठी में रहने की व्यबस्था करवा देता हूँ" सूरज को यह सुनकर बड़ी ख़ुशी हुई की सूर्या की इस शहर में पांच कोठी और भी थी ।
सूरज-" चलो फिर फ़ार्म हॉउस वाली कोठी में ही चलो"
सूरज और ड्राइवर तुरंत गाड़ी में बैठ कर कोठी की तरफ चल देते हैं ।
रेखा और दोनों बहने गाडी में बैठकर अपने आपको बहुत अचम्भा महसूस कर रही थी दोनों बहने और माँ गाडी के शीशे से शहर की चकाचौन्ध देख रही थी ।
गाडी एक आलीसान कोठी के बहार पहुचती है । कोठी के बहार बैठा चोकीदार सूरज को देख कर सेल्यूट मारता है और कोठी का दरवाजा खोल देता है । ड्राइवर कोठी के अंदर मुख्य दरवाजे पर गाडी रोकता है ।
सभी लोग गाडी से बहार निकलते है तो सबकी आँखे फटी की फटी रह जाती है बिना पलक झपकाए कोठी की रौनक और उसकी भव्यता देख कर होश उड़ जाते हैं ।
रेखा-" बेटा ये तू कहाँ ले आया ये तो किसी बड़े आदमी की हवेली लगती है ।
पूनम और तनु तो कोठी के बहार गार्डन और उसकी सुंदरता देख रही थी ।ऐसा लग रहा था की मानो कोई सपना देख रही हो ।
ड्राइवर सबको कोठी के अंदर लेकर जाता है ।कोठी में कई कमरे थे ।जरुरत की सारी सुविधाएं मौजूद थी ।
हर कमरे में डबल बेड और टेलीविजन लगा हुआ था ।
पूनम तो कोठी के हर स्थान को बड़े गौर से देख रही थी ।
सूरज-" पूनम दीदी आज से हम लोग यही रहेंगे ।
तनु-" भैया इतनी बड़ी हवेली में सिर्फ हम चार लोग ही रहेंगे या और भी लोग हैं ।
सूरज-" दीदी सिर्फ हम लोग ही रहेंगे ।
हर कमरे में बॉथरूम है आप लोग नहा लीजिए जब तक में कुछ खाने की व्यवस्था करता हूँ ।
सूरज ड्राइवर के पास जाता है जो चोकीदार को समझा रहा था ।
सूरज-" यहां खाने की क्या व्यवस्था है?
चोकीदार-" मालिक खाना बनाने बाली नोकरानी आती है। सुबह शाम को ।
आप चिंता न करे किसी को कोई परेसानी नहीं आएगी । ड्राइवर साहब ने सब समझा दिया है मुझे ।
इस कोठी के बगल में नोकर और ड्राईवर सबके लिए अलग अलग रुम बने हुए थे ।
सुरक्षा की दृष्टि से बिलकुल सुरक्षित थी ।
परिंदा भी पर नहीं मार सकता था ।
इधर पूनम और तनु ने एक कमरा अपने लिए सिलेक्ट कर लिया था और बेड पर लेट कर गद्दे का आनंद ले रही थी ।
रेखा ने भी अपने लिए एक रुम खोल लिया था । नीचे टोटल चार रूम थे और ऊपर 4 ही रूम थे हर कमरे में बाथरूम अटेच था ।
किचेन में खाने के लिए हर प्रकार की सुबिधस थी ।
रेखा तो नरम गद्दे पर लेटते ही सो गई
पूनम और तनु इस कोठी के सामान के बारे में बात कर रही थी ।कोठी थी ही इतनी भव्य और आलिशान की जितनी तारीफ़ करो कम थी ।
सूरज अब अपने आपको हल्का महसूस कर रहा था । मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण चीजे रोटी कपडा और मकान होता है लेकिन सूरज के लिए तो सूर्या का जीवन अनमोल तोहफे के रुप में मिली थी ।
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007
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by 007 »

Congratulations Rohit bhai
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

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shubhs
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by shubhs »

देखते है क्या मोड़ लेती है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »

007 wrote: 13 Jul 2017 20:20 Congratulations Rohit bhai
shubhs wrote: 14 Jul 2017 04:51 देखते है क्या मोड़ लेती है
Thanks
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »

जीवन के इस नए मोड़ में सभी लोग उत्साहित तथा प्रशन्न थे । एक ही दिन में इतना बड़ा परिवर्तन गाँव से भागना और शहर की इस आलिशान जिंदगी को लेकर सभी लोग इस समय का भरपूर आनंद उठा रहे थे ।
नया घर और घर के अंदर सभी प्रकार की सुबिधायें के बारे में अपने अपने तरीके से उसका मूल्यांकन और विशेषता का अध्ययन कर रहे थे । गाँव में दो तीन लोगों के पास ही मोटर गाडी और टेलीविजन हैं, और जिनके पास हैं वह व्यक्ति अपने आपको सबसे अमीर समझता है ।
आज सूरज के इस नए घर में वो सारी सुबिधायें देख कर सभी लोग बड़े ही खुश थे । सूरज अपनी बहनो को खुश देख आज बहुत खुश था। मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था की मेरी दोनों दीदी और माँ ऐसे ही अब खुश रहें ।
जीवन भर लोगों की दलीले और गालियां सुनी है ।आज के बाद सभी परेसानी उनसे दूर रहें और जीवन की सभी खुशियाँ उन्हें मिले ।
सूरज पूनम और रेखा के कमरे में जाता है ।
दिनों बहने नए घर की भव्यता का वर्णन कर रही थी ।सूरज को देखते ही दोनों बहने बेड पर बैठ गई ।
पूनम-" सूरज आजा यहां बैठ, तुझसे कुछ पूंछना है?
सूरज" बोलो दीदी,
पूनम-" सूरज हम यहां कितने दिन तक रह सकते हैं??
सूरज-" जब तक में घर की व्यवस्था नहीं कर लेता तब तक हम यही रहेंगे।
तनु-"इस घर का किराया कितना होगा?
सूरज-" दीदी हमारे लिए फ्री है, आप परेसान मत हो आराम से रहिए। और सभी चीजो को इस्तेमाल कर सकती हो ।
पूनम-" सूरज तू काम क्या करेगा ये तो बता? क्या हम सबको भी काम करना है यहां पर?
सूरज-" नहीं दीदी सिर्फ मुझे ही काम करना है, आप लोग यहां सुकून से रहिए, में आपके पास आता जाता रहूँगा,
तनु-" सूरज तू रोज रही आया करेगा यहां पर। हम लोग अकेले तीनो लोग कैसे रहेंगे?
सूरज -" दीदी यहां चोकीदार और नोकरानी भी रहेगी, आप लोग अकेले कहाँ हो ।
पूनम-" बाकी सब तो ठीक हो गया बस पहनने के लिए हमारे पास कपडे नहीं है, फटे-पुराने कपडे ही हैं। तू अगले महीने की तनखा में से तीनो के लिए कपडे वनवा देना? बड़ी मासूमियत से दीदी ने बोला तो मुझे भी एक दम से याद आया की मेरे पास तो एक लाख से ज्यादा पैसे हैं जो सूर्या की अलमारी से निकाले है इन्ही पैसे से सबके लिए दो जोड़ी कपडे और जरुरत का सामन दिलबा देता हूँ ।
सूरज-" दीदी आप मेरे साथ अभी मार्केट चलो आपके लिए कपडे खरीद कर लाते हैं ।
मेरे पास कुछ पैसे हैं ।
हम तीनो लोग गाडी से चलते हैं ।
पूनम-" ओह्ह मेरे भाई तू सच में बहुत अच्छा है। कितना ख्याल रखता है हम सबका, हमारे लिए कितनी परेसानी सेहता है। इतनी सुबिधायें के लिए तुझे अकेले को ही मेहनत करनी है । अपने मालिक से कह कर मेरी भी नोकरी लगवा दे, थोडा बोझ हल्का हो जाएगा तेरा""
सूरज-" दीदी ये तुम्हारा भाई जब तक है तब तक आपको कोई परेसानी नहीं आने देगा।
इस घर की खुशियों के लिए में अपने जीवन का बलिदान देने को तैयार हूँ ।
पूनम-" नहीं भाई ऐसा मत बोल तेरे लिए कभी मेरी जान की जरुरत पड़ी तो हस्ते हस्ते दे दूंगी लेकिन तुझे इस घर के लिए अकेले बलिदान की भेंट नहीं चढ़ने दूंगी" पूनम की आँखे नम हो गई थी, तनु भी सूरज के गले लग कर रोने लगी थी, दोनों बहनो को अपने प्रति प्यार देख कर आंसू छलकने लगे, कई वर्षो के बाद उसने अपनी बहनो के पास बैठ कर बात की थी, गाँव में तो पुरे दिन लकड़ी काट कर थका हारा सो जाता था कभी बहनो से बात करने का समय ही न मिला ।
तीनो बहन भाई आपस में गले लग जाते हैं ।सूरज को बहुत सुकून मिलता है आज अपनी बहनो से बात करके, तीनो भाई बहन सुबक रहे थे तभी गेट पर माँ की रोने की आहाट सुनाई दी, रेखा भी बहुत देर से गेट पर खडी तीनो बच्चों को एक साथ रोते हुए खुद के आंसू रोक नहीं पाई।
सूरज रेखा के पास जाता है और माँ की आँखों से आंसू पोछता है, रेखा सूरज को गले लगा लेती है और चूमने लगती है। रेखा ने कई सालो बाद आज सूरज को गले लगाया था, दो वक़्त की रोटी के लिए जीवन भर काम की व्यस्तता के कारण वो कभी अपने बच्चों को प्यार ही नहीं कर पाई ।
सूरज भी आज पहली बार माँ की ममता को महसूस कर रहा था । दोनों दीदी भी आकर माँ और भाई के गले लग कर रोने लगती है।
रेखा और तीनो भाई बहन के लिए सबसे ज्यादा ख़ुशी का पल था।
सूरज-" बस माँ अब आज के बाद दुखो के दिन कट चुके हैं, अब हम लोग ख़ुशी से रहेंगे, एक साथ""'
रेखा-" हाँ बेटा हम सब लोग ख़ुशी से रहेंगे, पुरानी असहनीय बातों को भुला कर,गाँव की सभी बातों को भुलाना होगा,
पूनम-" हाँ माँ अब कोई पुरानी बातो को याद नही करेगा, अतीत में जो कष्ट झेले हैं उनको भुला कर वर्तमान में खुशी से जिएंगे।
सूरज अपनी माँ और बहनो से वादा करता है की आज के बाद कोई दुखी नहीं होगा पुरानी बातो को याद कर, नई ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिए दिन रात मेहनत करेगा।
सूरज-" दीदी अब मार्केट चलो कपडे लेकर आते हैं सब के लिए,
पूनम-" तनु को साथ ले जा, इसी के नाप के मेरे कपडे भी ले आना और माँ के लिए भी साडी बगेरहा ले आना, में जब तक घर की सभी चीजो का मुयायना कर लू, और रसोई में खाने की व्यवस्था कर लेती हूँ ।
तनु-" तो फिर माँ तुम चलो हमारे साथ आप भी अपने लिए कुछ कपडे ले आना"
रेखा-" बेटा में नहीं जाउंगी, तुम ही भाई के साथ चली जाओ"
सूरज-" तनु दीदी आप ही चलो जल्दी, मुझे आज शाम को मालिक के यहाँ नोकारी पर भी जाना है"
तनु-" चलो फिर हम दोनों ही चलते हैं"
पूनम-" तनु एक मिनट मेरी बात सुन" पूनम तनु को अकेले में कुछ बोलती है, शायद कपडे के लिए ही कुछ बोल रही थी
तनु मेरे पास आते ही चलने के लिए बोलती है ।
में और तनु ड्राइवर को लेकर मार्केट की ओर निकल जाते हैं। ड्राइवर एक अच्छी सी मार्केट पर गाडी रोकता है और हम दोनों को दूकान में जाने के लिए बोलता है ।
में और तनु एक बहुत अच्छे शोरूम में घुसते है, पहली बार किसी अच्छी दूकान देख कर हम दोनों बहन भाई वहां की सुंदरता देखकर ही दंग रह गए, ऐसी खुबसूरत मार्केट सिर्फ फिल्मो में ही देखि थी अब तक ।
शोरूम के अंदर सभी काउंटर पर लड़कियां बैठी थी ।तनु फ़टे पुराने कपडे में खड़ी थी उसे तो बहुत शर्म भी महसूस हो रही थी । सूरज तनु की मनोदशा समझ चुका था ।
सूरज तनु का हाथ पकड़ कर एक लेडीज काउंटर पर जाता है ।
लेडीज-" सर बताइए क्या दिखाऊं, लेडीज सेलर तनु को बार बार देख रही थी. उसके फटे कपडो से शायद सेलर समझ चुकी थी की ये लड़की गरीब है ।लेकिन सूरज बहुत स्मार्ट और हेंडसम लग रहां था ।
सूरज-' मेडम कपडे दिखाइए इनके साइज़ के" सूरज ने तनु की और इशारा करते हुए कहा
लेडीज सेलर तुरंत फेशनेवल कपडे लेकर आती है । जिसे देख कर तनु बड़ी खुश होती है ।
आज तक इतने कीमती और सुन्दर कपडे उसने पहने नहीं थे ।
सूरज चार जोड़ी कपडे सलेक्ट कर लेता है।
लेडीज-" सर मेडम के लिए जीन्स और टॉप दिखाऊं क्या??? जीन्स का नाम सुनते ही तनु के कान खड़े हो जाते है। उसका हमेसा से मन था की जीवन में एक बार जीन्स और टॉप पहने ।
सूरज-" जी हाँ दिखाइए" सेलर बहुत सी प्रकार की जीन्स और टॉप दिखाती है ।
सूरज एक जीन्स तनु को दिखाते हुए बोलता है।
सूरज-" दीदी आप ये वाली जीन्स पहन कर देखो बहुत अच्छी लगेगी।
तनु-" तनु शर्म से कुछ बोल नहीं पा रही थी फिर भी बस इतना ही बोल पाई" तुझे जो पसंद है वही ले ले"'
सूरज चार जीन्स पूनम और तनु के लिए ले लेता है । उनके साथ टॉप भी खरीद लेता है ।
लेडीज सेलर-" सर! मेडम चाहें तो ट्राई रूम में पहन कर देख सकती हैं ।सूरज तनु को वह जीन्स और टॉप देकर ट्राई रूम में पहनने के लिए बोलता है ।तनु बहुत शर्मा रही थी फिर भी वह कपडे लेकर ट्राई रूम में पहुँच जाती है ।
तनु अपने फटे पुराने सलवार सूट निकाल कर नंगी हो जाती है । ट्राई रूम में लगे शीसे में अपना जिस्म देख कर शर्मा जाती है । तनु बिना ब्रा और पेंटी के ही सलवार सूट पहनी थी । तनु ब्रा और पेंटी भी खरीदना चाहती थी लेकिन शर्म की बजह से सेलर से कह नहीं पा रही थी इधर उसका भाई सूरज भी इसके साथ था ।
पूनम ने भी मार्केट जाते समय ब्रा और पेंटी के लिए बोला था ।
तनु बिना ब्रा और पेंटी के ही जीन्स और टॉप पहन लेती है ।
और खुद को शीशे में देख कर हैरान रह जाती है। ऐसा लग रहा था की शहर की सबसे खूबसूरत लड़की हो । खुद को देख कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था ।तनु शर्माती हुई ट्राई रूम से बहार निकलती है।
सूरज तो देखते ही अचम्भा रह जाता है । इतनी खूबसूरत बहन को देख कर तुरंत
तनु से बोलता है ।
सूरज-" woww दीदी इस ड्रेस में आप तो बिलकुल हीरोइन लग रही हो""
तनु-" तनु शर्मा जाती है, में कपडे बदल कर आती हूँ"
सूरज-" नहीं दीदी यही कपडे पहने रहो, वो कपडे वहीं कूड़ेदान में डाल दो, फटे पुराने हैं ।
तनु सूरज के पास आकर लेडीज सेलर के पास आती है ।
तनु-" सूरज माँ के लिए एक साडी और ब्लाउज ले लो" लेडीज सेलर तुरंत सूरज को दूसरे काउंटर पर लेकर जाती है ।
सूरज चार साडी और पेटीकोट और ब्लॉउज ले लेता है ।
सारी शॉपिंग हो चुकी थी बस तनु को ब्रा पेंटी ही खरीदनी बची थी ।

भारतीय संस्कृती की और रिश्ते की बुनियादी जड़ हिंदुस्तान ही एक मात्र देश है
जहां रिस्तो की कद्र है । प्रत्येक व्यक्ति रिस्तो की मर्यादा को ध्यान में रख कर ही
अपनी मानसिक सोच को ढालता है ।जिसकी कुछ सीमाएं और मर्यादाएं जैसी शर्ते होती है। । इसी सोच को संस्कार कहा गया है । और इसका जीता जागता उदहारण तनु थी ।
कपडे के बड़े शोरुम में अपने लिए और
पूनम दीदी के लिए पेंटी और ब्रा लेने में झिझक रही थी। और ये जिझक जायज भी थी क्योंकि उसका भाई सूरज उसके साथ था ।
कपड़ो की खरीदारी हो चुकी थी । माँ और पूनम के लिए भी 3-4 जोड़ी कपडे ले लिए थे । सूरज ने तन ढकने वाले कपडे तो खरीद लिए थे लेकिन तन के भीतरी अंग ढकने वाले कपड़ो के बारे में उसका कोई ध्यान नहीं था ।पहली बार इतने आलिशान दूकान पर कपडे खरीदना का पहला अनुभव पा कर दोनों भाई बहन बहुत ही गोरवान्वित महसूस कर रहे थे । तनु अपने भाई के इस शहरी रूप को देख कर बहुत गर्व कर रही थी ।
शॉपिंग पूरी होते ही सूरज कपड़ो के भुगतान के लिए मुख्य काउंटर की तरफ जाता है ।
सूरज-" दीदी सबके लिए कपडे तो खरीद लिए कोई और ड्रेस आपको पसंद हो तो खरीद लीजिए ।
तनु असमंजस में पड गई थी की भाई से
कैसे कहे की उसे पेंटी और ब्रा भी खरीदनी है । तनु अकेली होती तो लेडीज सेलर से पेंटी ब्रा मांग लेती लेकिन सूरज तनु के साथ ही रहा । तनु अपनी सोच से बहार निकलते हुए ।
तनु-" नहीं सूरज ड्रेस तो बहुत सारी ले ली
और क्या खरीदूं ? कुछ याद आएगा तो बाद में खरीद लुंगी ।
सूरज-" ठीक है दीदी । में कपड़ो का भुगतान करके आता हूँ आप दो मिनट रुको""
सूरज तनु को वहीँ खड़ा करके भुगतान के लिए मुख्य काउंटर पर जाता है ।
सूरज जैसे ही मुख्य काउंटर पर जाता है तभी उसे भुगतान काउंटर के पास ब्रा और पेंटी की शॉप दिखाई दी जिस पर लड़कियो के फेसनेवल ब्रा और पेंटी के एड फ्लेक्स लगे हुए थे । सूरज तो फ्लेक्स में छपी लड़की जो ब्रा में थी उसकी फेन्सी ब्रा में कैद बूब्स और ब्रा को बड़े गोर से देख रहा था ।
सूरज भुगतान करने के लिए पेमेंट काउंटर पर जाता है और पेमेंट करने के लिए बोलता है । पेमेंट काउंटर वाली लड़की बहुत सुन्दर और फेसनेवल टॉप पहनी थी जिसमे उसकी ब्रा में कैद बूब्स दिखाई दे जाते हैं ।
सूरज उस लड़की से कपड़ो के बिल के लिए बोलता है ।
लड़की कंप्यूटर पर झुक कर पूरा हिसाब किताब लगाने लगती है । झुकने के कारन उसकी ब्रा में कैद बूब्स दिखने लगते है ।
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