जीवन एक संघर्ष है complete

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shubhs
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Re: जीवन एक संघर्ष है

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अच्छा अपडेट
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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shubhs
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by shubhs »

एक साथ दो कहानी है क्या
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »

shubhs wrote: 12 Aug 2017 10:27 अच्छा अपडेट
Thanks mitr
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »

रात के 10 बजे,
रेखा अपने कमरे में गाँव जाने के लिए तैयार हो रही थी, आज रेखा ने नई बनारसी साडी पहनी थी, और आज लाए हुए गहने भी पहनती है, रेखा आज बहुत सुन्दर लग रही थी।तभी पूनम कमरे में आती है, अपनी माँ की सुंदरता देख कर हैरान रह जाती है।
पूनम-"वाह्ह्ह्ह् माँ आप तो महारानी लग रही हो" रेखा शरमाती हुई बोली ।
रेखा-"अच्छा,पूनम तू एक काम कर दे, एक बेग में मेरी नायटी रख दे,यदि रात में मुझे रुकना पड़ा तो कम से कम पहन कर तो सो जाउंगी,और ब्रा पेंटी भी"
पूनम-"ठीक है माँ,एक बेग में रख देती हूँ" पूनम एक बेग में नायटी और ब्रा पेंटी रख देती है।
रेखा-" बेटा मेरी दवाई भी रख देना" पूनम रेखा की सभी दवाई रख देती है, रेखा तैयार हो चुकी थी।
सूरज भी तैयार होकर नीचे आया,सूरज जैसे ही रेखा को देखता है तो चोंक जाता है,रेखा बहुत सुन्दर लग रही थी,बिलकुल बाहुबली की माहेष्मती जैसी, सूरज को इस तरह घूर कर देखने से रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"अब चलें सूरज" सूरज अपनी सोच से बाहर निकलता है।
सूरज-"हाँ माँ चलो" रेखा और सूरज गाडी में बैठ जाती है, पूनम और तनु बेग और जरुरत का सामन गाडी में रख देती हैं। रेखा सूरज के बगल बाली सीट पर बैठी थी, सूरज गाडी चलाता है। रात में हाईवे पर सूरज को बड़ा मजा आ रहा था गाडी चलाने में, सूरज शीशा लगा कर ए सी चला देता है। गाडी में लाइट जल रही थी ।
रेखा खामोशी से बैठी थी, सूरज एक दो बार रेखा के चेहरे को देखता, रेखा को पता थी की सूरज उसे देख रहा था,रेखा को आज बड़ा अच्छा भी लग रहा था सूरज भी आज अपनी माँ की सुंदरता में खो सा गया था, उसके मन में कोई गलत विचार नहीं था,अपनी माँ के प्रति,लेकिन आज दिन में मॉल में घटी घटना और पार्लर पर माँ के बूब्स का साइज़ बताना,उसके बाद नर्स के द्वारा अपनी माँ की मसाज बाली बात को सुनना उसे बड़ा अटपटा सा लगा, सूरज का ध्यान माँ के प्रति बढ़ गया था,सूरज हाईवे पर गाडी आराम आराम चला रहा था,तभी रेखा ख़ामोशी तोड़ती हुई बोली।
रेखा-"थेंक्स बेटा" सूरज रेखा की तरफ देखता है।
सूरज-"थेंक्स किस लिए माँ?"
रेखा-" तूने मेरी गाँव जाने की इच्छा पूरी की इसलिए"
सूरज-"माँ यह तो मेरा फर्ज है, अपनी माँ के लिए में कुछ भी कर सकता हूँ"
रेखा-" तूने जितना मेरे लिए किया है उतना तो कोई भी बेटा अपनी माँ के लिए नहीं कर सकता है"
सूरज-"अरे माँ मैंने क्या किया है"
रेखा-" मुझे मेरा सुहाग तूने लौटा दिया,इससे बड़ी ख़ुशी मेरे लिए क्या होगी,अब बस तेरे पापा घर आ जाए"
सूरज-"माँ आप फिकर मत करो,पापा अगर नहीं आएँगे तो में आपको अमेरिका लेकर जाऊँगा"
रेखा-"थेंक्स बेटा, और हाँ आज के लिए भी थेंक्स" सूरज रेखा की तरफ हैरानी से देखता है।
सूरज-"आज के लिए थेंक्स,आज मैंने ऐसा क्या किया"
रेखा-" मेरे साथ मार्केट गया,शॉपिंग करवाई,और ब्यूटी पार्लर लेकर गया,गहने भी दिलवाए,इतना कुछ तूने किया मेरे लिए"
सूरज-" अरे माँ आज जो ड्रेस खरीदी थी,वो आपने पहन कर देख ली क्या"
रेखा-"अभी नहीं"
सूरज-'ओह्ह माँ एक बार पहन कर तो देख लेती,छोटे और टाइट निकले तो बदल तो सकते हैं"
रेखा-"हाँ यह बात तो ठीक है,घर पहुँच कर पहन कर देखूंगी, ये मॉल बाले गड़बड़ी कर देते हैं,साइज़ बदल देते हैं" रेखा को ब्रा बाली बात याद आ जाती है,जो आज मॉल में 38 की जगह 36 दे दी थी,सूरज भी समझ जाता है यह बात।
सूरज-'हाँ माँ सही बात है,वैसे माँ आप वो ड्रेस पहनोगी तो बहुत मोर्डन लगोगी"
रेखा-"कौनसी ड्रेस जो तूने दिलवाई है वो कपडे"
सूरज-"हाँ माँ,आप पहनोगी तो बहुत खूबसूरत लगोगी"रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-" पर मुझे तो बड़ी शर्म आएगी,मैंने ऐसे कपडे आज तक नहीं पहने"
सूरज-"अरे माँ आप जब अमेरिका जाओगी उन कपड़ो को पहन कर तो आपको शर्म नहीं आएगी,क्योंकि वहां सभी औरते ऐसे ही कपडे पहनती है"
रेखा-" हाँ ये बात तो ठीक है,तेरे पापा तो कह रहे थे मुझसे फोन पर की अमेरिका में लोग बहुत शार्ट कपडे पहनते हैं"
सूरज-" माँ आप भी अमेरिका जाकर शार्ट कपडे पहनोगी" रेखा सोचने लगती है ।
रेखा-"अगर तेरे पापा लाएंगे शार्ट कपडे तो पहनने पड़ेंगे" सूरज यह सुनकर उछल जाता है,और कल्पना करने लगता है की माँ हॉट ड्रेस में कैसी लगेगी।
सूरज-" वाह्ह्ह्ह् माँ मेरी तो उत्सुकता बढ़ गई"
रेखा-"मतलब?"
सूरज-" में भी देखूंगा आपको उन कपड़ो में,आप कैसी लगोगी" रेखा यह सुनकर चोंक जाती है,और शरमा जाती है।
रेखा-" तेरे सामने नहीं पहन पाउंगी में ऐसे कपडे,मुझे खुद शर्म आएगी उन्हें पहनने में" रेखा शरमा कर बोली।
सूरज-"अरे माँ इसमें शर्म कैसी,आखिर वो कपडे ही तो हैं"
रेखा-" जिन कपड़ो में आधे से ज्यादा तन दिखाई दे,वो कपडे पहनना,न पहनने के बराबर ही होते हैं"
सूरज-"लेकिन माँ आज उन्ही कपड़ो का चलन है"
रेखा-" हाँ चलन तो है लेकिन में अब लड़की नहीं हूँ, 44 वर्ष की औरत हूँ, क्या मुझ पर ऐसे कपडे अच्छे लगेंगें"
सूरज-"अरे माँ आप औरत लगती ही कहाँ हो,ऐसा लग रहा है जैसे पूनम दीदी की बड़ी बहन हो,औरआज तो आप वैसे भी बहुत सुन्दर लग रही हो" रेखा खुद की तारीफ़ सुन कर शरमा जाती है।
रेखा-"झूठा कही का,मेरा दिल रखने के लिए बोल रहा है तू"
सूरज-"अरे सच में माँ,आज आप बहुत सुन्दर लग रही हो,ऐसा लग रहा है जैसे नए नवेली दुल्हन हो, नई नई शादी हुई हो आपकी" रेखा आँखे फाड़े सूरज को देखती है।
रेखा-"चुप कर,शहर में आकर बहुत बड़ी बड़ी बातें सीख गया है तू"
सूरज-" सच बोल रहा हूँ माँ,में तो सोच रहा था पापा आएँगे तो आपकी दुबारा शादी करवाऊंगा,बहुत बड़ी पार्टी होती घर में"
रेखा-"क्या शादी मेरी,ओह्ह्ह सूरज तू पागल है"
सूरज-"सच में माँ,पापा आते तो शादी करवाता दुबारा,फिर आप अमेरिका जाती तो ज्यादा अच्छा लगता"
रेखा-" अच्छा शादी करके अमेरिका क्यूँ?"
सूरज-" हनी......? सूरज बोलते हुए रुक जाता है,चूँकि अचानक गलती से ही बोल जाता है। रेखा समझ जाती है सूरज हनीमून बोलने बाला था।
रेखा-"क्या हनी... समझी नहीं में,साफ़ साफ़ बोल,रुक क्यूँ गया" रेखा अनजान बनती हुई बोली।
सूरज-"हनीमून" सूरज डरते हुए बोल ही देता है।
रेखा-"ओह्ह्ह सूरज, तू पागल है,कुछ भी बोल देता है" रेखा शर्म से पानी पानी हो रही थी।
सूरज-"सॉरी माँ"
रेखा-"चल कोई बात नहीं" रेखा हसते हुए बोली, रेखा को बहुत तेज पिसाब लगती है, लेकिन शर्म के कारण सूरज से बोल नहीं पाई थी,लेकिन अब ज्यादा तेज लगती है तो सूरज से गाडी रोकने के लिए बोलती है।
रेखा-"सूरज थोड़ी देर के लिए गाडी रोकना"
सूरज-'क्या हुआ माँ,कोई परेसानी है क्या"
रेखा-"मुझे पिसाब लगी है" सूरज गाडी रोकता है, रेखा गाडी के साइड में ही मूतने लगती है, एक तेज सिटी की आवाज़ आती है,सूरज के कान खड़े हो जाते हैं,सूरज खिड़की के साइड शीशे में देखता है तो उसे माँ बैठी हुई दिखाई देती है, सूरज अपनी नज़र घुमा लेता है । थोड़ी देर बाद रेखा आती है।
रेखा-"सूरज मुझे नींद आ रही है अब"
सूरज-'माँ आप पीछे बाली सीट पर जाकर सो जाओ" रेखा पीछे बाली सीट पर जाकर लेट जाती है, लेकिन नींद नहीं आती है,चूँकि बनारसी साडी पहनने के कारण चुभ सी रही थी,ऊपर से बहुत सारे गहने पहने हुए थी, रेखा सीट पर बैठ जाती है, सूरज फ्रंट शीशे से देखता है।
सूरज-" क्या हुआ माँ,आप लेटी नहीं"
रेखा-"इस साडी में नीद नहीं आ रही है"
सूरज-"कोई मेक्सी पहन लो,इस साडी को उतार कर रख दो,गाँव पहुँचने में 7 घंटे लगेंगे,तब तक आप सो जाओ" सूरज की बात रेखा को सही लगती है,लेकिन साडी उतार कर मेक्सी पहने कैसे,यही सोच रही थी, रेखा पीछे सीट से अपना बेग उठाती है,और अपनी मेक्सी निकालने लगती है,लेकिन मेक्सी की जगह उसे नायटी मिल जाती है जो आज सूरज ने दिलाई थी,रेखा बेग में फिर हाँथ डालकर देखती है तो नई बाली शार्ट ब्रा पेंटी निकल आती हैं,जो जालीदार ब्रा पेंटी थी,शायद पूनम ने धोखे से रख दी थी। सूरज फ्रंट शीशे से सब देख रहा था । सूरज की धड़कन बढ़ गई थी यह देख कर। इधर रेखा सोचती है की सूरज के सामने यह नायटी कैसे पहने।
सूरज-"क्या हुआ माँ,मेक्सी पहन लो" सूरज पीछे मुड़ कर देखता है, रेखा ब्रा पेंटी बेग में रख देती है।
रेखा-"पूनम ने धोखे से मेक्सी की जगह ये नायटी रख दी,अब इसको कैसे पहनू"
सूरज-'मेक्सी और नायटी में ज्यादा फर्क नही है माँ, आप पहन लो, में गाडी की लाइट बंद कर देता हूँ" सूरज लाइट बंद कर देता है, रेखा को सुकून मिलता है,रेखा साडी और गहने उतार कर पीछे बाली सीट पर रख देती है, अब रेखा ब्लाउज और पेटीकोट में थी,रेखा का ब्लाउज बहुत टाइट था इसलिए ब्लाउज उतारने लगती है,रेखा की नज़र सूरज की तरफ थी,लेकिन अँधेरे में उसे कुछ दिखाई नही दे रहा था। रेखा ब्लाउज उतार कर नायटी पहन लेती है,और फिर एक हाँथ कमर पर ले जाकर पेटीकोट भी उतार देती है । रेखा ने नायटी पहन तो ली थी लेकिन उसे खुद पता नहीं चल रहा था,की नायटी में वो कैसी लग रही है ।

रेखा ने चलती गाडी के अँधेरे में नायटी पहन तो ली,लेकिन नायटी पहन कर कैसी लगती है,यह इच्छा उसके मन में प्रवल हो रही थी, अँधेरे में ही रेखा अपने बदन पर हाँथ फिरा कर नायटी को महसूस कर रही थी, नायटी का कपडा बहुत कोमल और हल्का था,ऐसा लग रहा था जैसे उसका समूचा जिस्म नग्न हो,इतना आरामदायक कपडा पहने के बाद उसको बड़ा सुकून मिल रहा था, रेखा हाँथ से जिस्म को मुयायना करते करते दोनों जांघो के बीच हाँथ चला जाता है,चूत के ऊपर स्पर्श करते ही उसे याद आता है की आज उसे मालिस करनी थी,और टेबलेट भी खानी थी। लेकिन सूरज के होने के कारण मालिस कैसे करे यह चिंता का विषय उसके मन में प्रश्नवाचक की तरह चल रहा था, डॉक्टर के कहे अनुसार यदी योनी से पानी नहीं निकला तो गंभीर परिणाम का सामना उसे करना पड़ेगा,इसलिए यह इलाज जरूर करना है, तभी रेखा सोचती है की गाडी में इतना अँधेरा है,जब मुझे ही अपना बदन दिखाई नहीं दे रहा है तो भला सूरज कैसे देख सकता है मुझे।
रेखा निश्चय कर लेती है की कुछ भी हो जाए मालिस तो करनी पड़ेगी और उससे पहले दवाई खानी पड़ेगी। रेखा काफी सोच विचार करने के पश्चात फैसला ले पाती है, रेखा की पेंटी बहुत टाइट थी इसलिए रेखा पेंटी को उतार देती है ताकि आसानी से मालिस कर सके। रेखा को दुबारा पिसाब भी लग आई थी,रेखा सोचती है पहले पिसाब कर लू उसके बाद दवाई खाऊँगी और मालिस करुँगी । रेखा अपने मोबाइल में समय देखती है जिसमे 11:30 बज रहे थे । गाडी में मोबाइल के जलते ही रौशनी हो जाती है तो सूरज बोलता है ।
सूरज-" क्या हुआ माँ,नायटी पहन ली क्या,आपने बढ़ी देर लगा दी पहनने में"
रेखा-'नायटी तो बहुत पहले ही पहन चुकी में,बस तू थोड़ी देर के लिए गाडी रोक दे" सूरज समझ जाता है माँ के लिए पिसाब लगी है। सूरज गाडी रोकता है हाइवे की साइड पर ।
सूरज-"क्या हुआ माँ,फिर से पिसाब लगी है?" सूरज के मुह से पिसाब शब्द सुन कर रेखा के तनबदन में हलचल सी होती है, रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"हाँ" रेखा गाडी से उतर कर बाहर आती जाती गाड़ियों की लाइट में अपनी नायटी देखती है तो हैरान रह जाती है, नायटी उसके जिस्म से चुपकी हुई थी,उसके 38 के बूब्स और चौड़ी गांड का उभार बना हुआ था, रेखा अपने बूब्स की तरफ देखती है जो आधे से ज्यादा बूब्स फुले हुए नंगे दिखाई दे रहे थे,लाल ब्रा भी साफ़ दिखाई दे रही थी, और निचे देखती तो नायटी सिर्फ उसके घुटनो तक ही थी,जिसमे उसकी टाँगे और पिंडलियां साफ़ गोरी गोरी चमक रही थी, रेखा खुद में एक हॉट सेक्सी और कामुक औरत को देख रही थी, इधर सूरज जब साइड के शीशे से अपनी माँ को देखता है तो हैरान रह जाता है, सूरज का लंड आज अपनी ही माँ को देख कर झटके मारने लगता है,सूरज के साथ आज ऐसा पहली बार हुआ था उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था, सूरज अपनी सोच और हवस को धिक्कारने क प्रयास करता है और अपनी नज़रे साइड के शीशे से हटा लेता है, लेकिन उसका लंड सूरज के मन पर हावी हो जाता है,किसी ने सच ही कहा है लोग हवस में अंधे हो जाते हैं,आज सूरज का भी यही हाल था, सूरज की नज़रे फिर से शीशे से जस टकराई लेकिन इस बार सूरज को तेज झटका लगता है । रेखा अपनी नायटी ऊपर कर रही थी, सूरज को रेखा की भारी भरकम गांड दिखाई देते हैं, ऐसा लग रहा था जैसे दो मटके आपस में जुड़े हो, रेखा मूतने बैठ जाती है,जिससे रेखा की गांड उभर कर बाहर आ जाती है,और एक तेज सिटी आवाज़ खुले शांत वातावरण में गूंजने लगती है। रेखा खुद अपनी ही चूत से निकली सिटी की आवाज़ सुन कर शर्मसार हो जाती है, चूँकि उसे इतना तो यकीं हो जाता है की सिटी की तेज आवाज़ सूरज के कानो तक जरूर गई होगी।
इधर सूरज अपनी नज़रे शीशे से हटा कर गाडी की लाइट जला देता है,तभी फ्रंट शीशे में उसे पीछे की सीट पर अपनी माँ की पेंटी दिखाई दी, सूरज पीछे मुड़ कर पेंटी को देखने लगता है,सूरज को फिर से एक बार झटका लगता है की उसकी माँ नायटी के अंदर नंगी है,सूरज का मन कर रहा था एक बार पेंटी को उठाकर देखे,लेकिन सूरज की मर्यादा उसे ऐसा करने नहीं देती है। रेखा पिसाब करके आती है और पानी की बोतल से अपने हाँथ धोती है,रेखा जैसे ही सीट पर पड़ी अपनी पेंटी देखती है तो फिर से शर्मा जाती है,भुलवस् छोड़ जाने की गलती स्वीकार करते हुए तुरंत उठाकर बेग में रख देती है,रेखा को यकीन था इस पर सूरज की नज़र जरूर गई होगी,चूँकि गाडी में लाइट जल रही थी।
रेखा-"सूरज लाइट क्यूँ जलाई तूने,लाइट बंद कर दे"
सूरज गाडी दौडा देता है हाइवे पर लेकिन लाइट बंद नहीं करता है ।
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सूरज-' माँ यह तो बही नायटी है जो आज मॉल से खरीदी थी" पीछे मुड़ कर नायटी की ओर इशारा करता है ।
रेखा-"हाँ बही है सूरज"
सूरज-"बहुत अच्छी है'
रेखा-"क्या?"
सूरज-"नायटी बहुत अच्छी है,आप पर जम रही है"
रेखा-" अच्छा,लेकिन मुझे अच्छी नहीं लग रही है"
सूरज-'क्यूँ माँ?'
रेखा-"ये नायटी कमरे में पहनने के लिए होती है और में यहाँ तेरे सामने पहनी हूँ,मुझे तो बहुत शर्म आ रही है"
सूरज-"माँ आप गाडी के अंदर हो,और मुझसे कैसी शर्म"
रेखा-" अगर किसी ने तुझे और मुझे इस नायटी में देख लिया तो लोग क्या समझेंगे,एक माँ अपने बेटे के साथ कैसे कपडे पहने हुए बैठी है"

सूरज-'अरे माँ लोगो की चिंता क्यूँ करती हो,लोगो का तो काम ही है गलत सोचना,और वैसे भी गाडी के शीशे काले हैं,बाहर को कोई व्यक्ति आपको कैसे देख सकता है,और देख भी लेगा तो उसे क्या पता आप मेरी माँ हो" रेखा को झटका लगता है यह सुन कर।
रेखा-" मतलब में लगती नहीं हूँ तेरी माँ"
सूरज-" माँ इस नायटी को पहनने के बाद आपकी उम्र 30-35 की ही लग रही है,आप इस उम्र में भी लड़की लग रही हो" रेखा सुन कर शर्मा जाती है,इस दुनिया में एक तारीफ़ ही ऐसी चीज है जो सबको अच्छी लगती है। रेखा आज मन ही मन खुश थी अपनी तारीफ़ सुन कर।
रेखा-" आजकल तू बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लग गया है"
सूरज-"माँ अब में बड़ा हो गया हूँ"
रेखा-" अच्छा तो अब तेरी भी जल्दी ही शादी करबानी पड़ेगी मुझे" सूरज शरमा जाता है ।
सूरज-"मेरी शादी नहीं माँ,अभी तो आपकी शादी करबानी है मुझे पापा से" रेखा शर्मा जाती है ।
रेखा-"धत् पागल,मेरी तो पहले से ही शादी हो रखी है तेरे पापा से"
सूरज-"माँ 22 साल से आप पापा से अलग रही हो,अब दुबारा मिलन होगा आपका" रेखा मिलन की बात सुनकर शरमा जाती है,सूरज ऐसे प्रशन करेगा उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी ।
रेखा-"दुबारा मिलन? समझी नहीं?"
सूरज-"ओह्ह्ह माँ दोबारा मिलन का मतलब आप पापा से दोबारा मिलोगी, तो आपको कैसा लगेगा" रेखा गलत समझ बैठी थी,उसे लगा मिलन का आशय सम्भोग से है।
रेखा-" में बता नहीं सकती सूरज की मुझे कैसा लगेगा,में खुद उस पल का इंतज़ार कर रही हूँ,जब तेरे पापा मेरे सामने होंगे"
सूरज-" वाह्ह्ह्ह् माँ आप तो बहुत उत्सुक हो पापा से मिलने के लिए,आप चिंता न करे में आपका मिलन करबाउंगा"
रेखा-" हाँ मुझे पता है,तूने तो मेरी शादी और हनीमून तक की सोच रखी है"
सूरज-" माँ सही तो सोचा है"
रेखा-"अब ज्यादा बातें न बना,मुझे दवाई खानी है" रेखा टेबलेट निकाल कर पानी से खा लेती है।
सूरज-"माँ तुमने अभी तक टेबलेट खाई नहीं" सूरज को याद आता है की नर्स ने कहा था टेबलेट खाने के बाद उत्तेजना महसूस होगी,और मसाज भी करनी है। सूरज जैसे ही यह सोचता है उसका लंड पुनः झटके मारने लगता है । इधर रेखा भी गलती से टेबलेट की बोल देती है,उसे शर्म महसूस होती है क्योंकि सूरज को पता है,टेबलेट खाने के बाद मुझे मसाज भी करनी है । लेकिन अब कर भी क्या सकती है,टेबलेट तो वो खा चुकी थी, अब मजबूरन मसाज तो करनी ही पड़ेगी।
रेखा-" हाँ भूल गई थी, अब तू लाइट बंद कर दे,मुझे सोना है" सूरज लाइट बंद कर देता है गाडी में अँधेरा हो जाता है । रेखा पूरी सीट पर लेट जाती है, और टांगो को फोल्ड कर लेती है,क्योंकि रेखा की लंबाई अधिक थी,सीट की कम थी ।
सूरज अपने मन में सोचता है की माँ मसाज करेगी या न करेगी, हो सकता है मेरी बजह से माँ की हिम्मत न पड़े, सूरज बहुत उत्सुक था, इधर रेखा को टेबलेट खाकर नशा सा चढ़ने लगता है,रेखा अपने पैर आपस में रगड़ती है और जांघ सिकोड़ने लगती है, गाडी में अँधेरे का फायदा उठा कर रेखा उंगलियो पर जैल क्रीम निकाल कर नायटी के अंदर हाँथ डालकर चूत के आसपास लगा कर सहलाने लगती है, चूत के आसपास सहलाने से आज रेखा को अलग ही मजा आ रहा था,रेखा की चूत पर हलके हलके बाल उग आए थे,रेखा को बड़ा मजा आ रहा था,रेखा की उत्तेजना बढ़ती जस रही थी,तभी गाडी एक गड्ढे से गुज़रती है,एक हलकी धचकी के कारण रेखा की ऊँगली चूत की क्लिट से रगड़ जाती है,चूत और ऊँगली की रगड़ से रेखा को मजा आ जाता है, आज पहली बार उसे चूत पर ऊँगली रखने से करेंट सा लगा और उत्तेजना हवस बढ़ने लगती है, रेखा चूत में एक ऊँगली डालकर सहलाने लगती है, रेखा चूत में ऊँगली घुसाने का प्रयत्न करती है,ऊँगली थोड़ी ही घुस पाई थी तभी एक तेज धचकी लगती है और एक तेज सिसकी के साथ ऊँगली चूत में प्रवेश हो जाती है,सिसकी इतनी कामुक थी की सूरज के कानो तक आह्ह्ह्ह की आवाज़ पहुंची, सूरज के कान के साथ साथ लंड भी सतर हो जाता है, उसे समझने में देर नहीं लगती है की माँ हस्तमैथुन कर रही हैं। सूरज फ्रंट के शीशे से देखने का प्रयास करने लगता है, लेकिन गाडी में अँधेरा होने के कारण कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। इधर रेखा हवस में भूल जाती है सूरज गाडी चला रहा है,वो अपनी चूत को घिसे जा रही थी, एक ऊँगली चूत में आराम आराम अंदर बाहर हो रही थी।
सूरज कभी सामने देखता तो कभी फ्रंट शीशे में देखने का प्रयास करता और कभी कभी एक हाँथ से लंड को मसल देता, तभी एक गड्डा आता है और तेज धचकी के साथ रेखा की सिसकी की आवाज़ आती है, अब सूरज समझ चूका था माँ दवाई के कारण नशे में है, और उंगलिया चूत में हैं,जब धचकी लगती है तो सिसकी निकल जाती है, अब सूरज जानबूझ कर एक तेज धचकी लगता है इससे रेखा की चूत में उंगली तेजी से रगड़ती है,और सिसकियाँ निकलने लगती हैं, रेखा की उत्तेजना तेजी से बढ़ चुकी थी,अब रेखा स्वयं ही चूत में तेज तेज ऊँगली करने लगती है, उसकी साँसे उखाड़ने लगती हैं,सिसकियाँ तेज हो जाती हैं, रेखा गांड को उठा ऊँगली से रगड़ती है,तभी रेखा का जिस्म ऐंठने लगता है और एक तेज सिसकी के साथ उसकी चूत की बंद नशे खुल जाती हैं,एक तेज पिचकारी के साथ पानी की टंकी खुल जाती है, ऐसा लग रहा था जैसे पानी की बाढ़ सी आ गई हो, रेखा नशे में थी,उसे कोई होश ही नहीं था,वो सुकून से सो जाती है। इधर रेखा की कामुक सिसकियाँ सुन कर सूरज के लंड से भी पानी निकल जाता है ।

सूरज के लंड से बहुत सारा पानी निकला था जिसके कारण उसका कच्छा भीग चूका था, सूरज गीले कच्छे की बजह से बैठने में दिक्कत महसूस करता है, सूरज एक सुनसान जगह पर गाडी रोक कर अँधेरे में अपनी पेंट निकालता है, और उसके बाद कच्छा उतार कर अपने रुमाल से अपने लंड को साफ़ करता है, रेखा चैन की नींद सो रही थी, वर्षो बाद आज ऊँगली करने के बाद सम्भोग जैसा सुख प्राप्त हुआ था रेखा को, गाडी में अँधेरा होने का भरपूर फायदा उठाया था रेखा ने,इधर सूरज भी अँधेरे का फायदा उठा कर अपना गिला कच्छा उतार कर पेंट पहन लेता है और गाडी चलाने लगता है, सूरज का मन कर रहा था एक बार अपनी माँ को देखे,लेकिन एक भय उसके मन में था की कहीं माँ उसे देख न ले, और कही न कहीँ माँ प्रति अच्छी सोच भी रखता था, सूरज का गाडी जरूर चला रहा था लेकिन बार बार उसका ध्यान माँ अपनी माँ पर था,न चाहते हुए भी उसे बार बार याद आता है की माँ कैसे सिसकियाँ लेकर ऊँगली कर रही थी और अंतिम स्खलन के बाद कैसे सिसकारी मारते हुए झडी थी, सूरज ने अपनी आँखों से भले ही न देखा हो लेकिन उसने उन सिसकियों को अच्छे से सुना, तभी सुरज को याद आता है माँ यदि झड़ी है तो उसका पानी जरूर निकला होगा, डाक्टर के कहे अनुसार माँ का स्खलन और पानी निकलना बहुत जरुरी है, लेकिन बेचारा सूरज अपनी माँ की योनि कैसे देखे।
सूरज काफी देर सोचने के बाद निस्चय करता है की वो जरूर देखेगा, सूरज अपनी माँ को आवाज़ लगाता है,
सूरज-"माँ माँ...... माँ"लेकिन रेखा कोई आवाज़ नहीं देती है तो सूरज को यकीन हो जाता है की माँ गहरी नींद में सो रही है। सूरज लाइट जलाने की सोचता है उसे डर भी था की कहीं माँ जग न जाए,सूरज के हाँथ कॉंपने लगते हैं,सूरज कपकपाते हांथो से लाइट जला कर जैसे ही पीछे सीट पर अपनी माँ पर नज़र डालता है तो चोंक जाता है,रेखा की नायटी उसकी कमर पर थी और दोनों जांघें उसे नंगी दिखाई देती हैं, झांघे फोल्ड होने के कारण सूरज अपनी माँ की चूत नहीं देख पाता है, सूरज की धड़कन तेजी से धड़कने लगती है, सूरज डर के कारण लाइट बंद कर देता है, सूरज का ध्यान गाडी चलाने में नहीं था उसे बार बार अपनी माँ की भारी भरकम झांघे याद आने लगती हैं। सूरज अपने मन को काबू में करता है और गाडी तेजी से दौड़ाने लगता है, गाडी चलाते चालते सुबह के 5:30 बज चुके थे, तभी एक धचकी लगने के कारण रेखा की नींद खुलती है, रेखा जैसे ही अपने अधनंगे जिस्म को देखती है तो झटका सा लगता है, रेखा को याद आता है उसने टेबलेट खाने के बाद अपनी योनि में उंगली की थी,और पानी सा निकला था,हालांकि रेखा नशे में थी लेकिन थोडा बहुत उसे ध्यान था । रेखा अपनी नायटी को ठीक करते हुए बैठती है,रेखा की चूत से निकला कामरस सूख चूका था,लेकिन थोडा बहुत गाडी की सीट पर लगा हुआ था, रेखा बेग से अपनी पेंटी निकाल कर सीट साफ़ करती है।
रेखा का जिस्म हल्क़ा सा लगता है, रेखा इस बात से खुश थी की उसकी नशे खुल चुकी है,नसों में जमा पानी निकल गया,अब सेक्स करने में या हस्तमैथुन करने में कोई परेसानी नहीं आएगी, रेखा एक अंगड़ाई लेती है तभी सूरज को पता चल जाता है माँ जग गई है, इधर हलकी हलकी रौशनी भी होने लगी थी ।
सूरज-" माँ आप जग गई"
रेखा-"हाँ सूरज मेरी तो नींद पूरी हो गई"
सूरज-"माँ आज नींद कैसी आई"यह सुन कर रेखा चोंक जाती है। रेखा सोचने लगती है की कहीं सूरज को पता तो नहीं चल गया रात मैने ऊँगली की, या सूरज ने लाइट जला कर मुझे नग्न तो नहीं देख लिया।
रेखा-" बहुत अच्छी नींद आई, सूरज अब मुझे यह साड़ी पहननी है, 10 मिनट के लिए गाडी कहीं रोक दे" सूरज गादी रोक देता है, रेखा साडी उठाती है,लेकिन गाडी में खड़े होने की जगह नहीं थी,
रेखा पहले नायटी उतार कर पेटीकोट और ब्लाउज पहन लेती है ।
रेखा" में गाडी में साडी नहीं पहन पा रही हूँ"
सूरज-" गाडी से बाहर जाकर पहन लो माँ, अभी तो अँधेरा ही है,और रोड भी सुनसान है" रेखा तुरंत बाहर निकल कर साडी पहन लेती है।
चूँकि सुनसान रास्ता था, इस रोड पर लोग कम ही निकलते हैं, रेखा को फ्रेस भी होना था,इसलिए पानी की बोतल लेकर फ्रेस होने एक झांडिओ में चली जाती है, इधर सूरज को बहुत तेज पिसाब लगी थी, सूरज गाडी से निकल कर उसी जगह के सामने पिसाब करने लगता है जहाँ उसकी माँ बैठी थी, सूरज को नहीं पता था यहाँ माँ बैठी है,लेकिन रेखा सूरज को आते देख लेती है और घबरा जाती है,तभी सूरज अपनी पेंट की ज़िप खोल कर अपना मूसल बाहर निकालता है,पिसाब तेज आने की बजह से उसका लंड तना हुआ था, रेखा सूरज का लंड देख कर हैरान रह जाती है,इतना बड़ा लंड आज से पहले उसने नहीं देखा था, गोरा चिट्टा लाल सुपाडा लंड देख कर रेखा की धड़कन तेज हो गई,चूँकि 22 साल बाद आज उसने लंड देखा था वो भी अपने बेटे का, सूरज पिसाब करने लगता है,और रेखा सूरज को मूतते हुए देख रही थी, सूरज जब पिसाब कर लेता है तो उसका लंड झटके मार कर रही बची बुँदे त्यागता है, रेखा को बड़ी शर्म आती है और अपनी नज़रे घुमा लेती है, सूरज पिसाब करने के बाद,पास में लगे नल से हाँथ धोकर गाडी में बैठकर रेखा का इंतज़ार करने लगता है, इधर रेखा भी फ्रेस होकर नल पर मुह हाँथ धोकर आती है और गाडी में बैठ जाती है।
रेखा-"सूरज अभी कितना समय लगेगा गाँव पहुँचने में" रेखा अपने बेग से टोबेल निकाल कर मुह साफ़ करते हुए बोली।
सूरज-"बस एक घंटे में हम गाँव पहुँच जाएंगे"
रेखा अपने बेग से क्रीम लिपस्टिक निकाल कर लगाती है, और तैयार होकर बैठ जाती है।
गाँव के मोड़ पर आते ही सूरज बोलता है।
सूरज-"माँ घर की चाबी लाइ हो न"
रेखा-"हाँ सूरज चाबी लाइ हूँ, सीधे घर चलते हैं पहले" सूरज का घर रोड पर ही था, सूरज अपनी गाडी घर के बाहर खड़ी कर देता है, रेखा घर का दरबाजा खोलती है, और दोनों लोग अपने घर में प्रवेश करता है, सूरज और रेखा दोनों की यादें ताज़ी हो जाती हैं, अपने घर में आकर एक सुकून सा मिलता है, रेखा आँगन में देखती है,तभी उसे कुल्हाड़ी दिखाई देती है जिससे सूरज और रेखा लकड़ी काटने जाते थे,और उसी कुल्हाड़ी से चौधरी के आदमी हरिया के दो टुकड़े किए थे सूरज ने, उस कुल्हाड़ी पर अभी तक लाल खून लगा हुआ था जो सूख चूका था। सूरज और रेखा उस कुल्हाडी को देखते हैं।
सूरज-"क्या हुआ माँ,लकड़ी काटने चले क्या" सूरज मजाक के लहजे में बोला।
रेखा-" हाँ चलेंगे,लेकिन लकड़ी काटने नहीं,घूमने चलेंगे"
सूरज-"ठीक है माँ" रेखा कमरे का ताला खोल कर साफ़ सफाई करती है, सूरज चारपाई बिछा कर लेट जाता है,रात भर जागने के कारण सो जाता है, इधर रेखा साफ़ सफाई में जुटी हुई थी ।
इधर गाँव में जब सूरज और रेखा गाडी से उतरते हैं,तो गाँव का एक आदमी देख लेता है, वो आदमी सीधे चौधरी के घर जाकर बोलता है।
आदमी-" चौधरी साहब चौधरी साहब मैंने अभी सूरज को देखा है,उसके साथ कोई महारानी भी है साथ में" चौधरी यह सुन कर आग बबूला होते हुए उठता है।
चौधरी-"धनुआ,रमुआ,पपुआ सब आओ रे,जल्दी चलो,हरिया का कातिल सूरज आ गया है, बहुत दिनों से उसी की तलाश थी हमें,आज आया है ससुरा,काट के रख देंगे" चौधरी अपने पालतू आदमियो को आवाज़ मारता है और अपनी रायफल उठाकर अपने आदमियों के साथ चल देता है गाँव की तरफ। चौधरी को आग बबूला देख कर सभी गाँव बाले पुछते हैं क्या बात है?
चौधरी-"सुना है वो हरिया का कातिल सूरज गाँव में वापीस आ गया है,आज उससे बदला लेना है" पुरे गाँव में आग की तरह यह खबर पहुँच जाती है की सूरज वापिस गाँव में आ गया है। गाँव के सभी लोग एकत्रित होकर चौधरी के साथ सूरज के घर पहुंचते हैं, जैसे ही बाहर शोर की आवाज़ रेखा के कानो में पहुँचती है तो रेखा घबरा कर सूरज को जगाती है।
बाहर दरबाजे पर चौधरी लात मारता है तो दरबाजा बहुत तेज से आवाज़ करता है, सूरज घबरा कर उठता है और सीधे कुल्हाड़ी पकड़ता है।
सूरज कुल्हाड़ी लेकर दरबाजे की और भागता है।
जैसे ही दरबाजा खोल कर बाहर खड़े लोगों की भीड़ देखता है और साथ में चौधरी को तो समझ जाता है ये चौधरी की करतूत है, सूरज दहाड़ते हुए बोलता है ।
सूरज-"किसने दरबाजा पर इतनी तेज दस्तक दी? सूरज दहाड़ता हुआ बोला,गाँव के लोग सूरज को इतने अच्छे कपड़ो में देख कर चोंक जाते हैं, तभी चौधरी बोलता है ।
चौधरी-"देखो कैसे सीना ताने खड़ा है ये गाँव बालो,हरिया का कातिल है ये,अब इसकी लाश जाएगी यहाँ से" चौधरी के आदमी जैसे हो सूरज को पकड़ने आते हैं,सूरज कुल्हाड़ी लेकर तान देता है।
सूरज-'जिसको अपनी मौत से प्यार नहीं है वो मुझे मारने आ सकता है,भूल गए हरिया के दो टुकड़े,अबकी बार चार टुकड़े करूँगा,आओ आगे" हरिया के आदमी डर जाते हैं, तभी रेखा भागती हुई सूरज के पास आती है, रेखा को अच्छी साडी और गहनो में देख कर गाँव की सभी औरते और पुरुष चोंक जाते हैं,
रेखा-"सूरज रुक जा,किसी का खून मत बहा,चौधरी को क्या समस्या है,में बात करती हूँ इससे" रेखा गुस्से से चौधरी की और देखती है,तभी गाँव के सरपंच लोग आगे आते हैं।
सरपंच-"रेखा तुम्हारे पति ने चौधरी से 80हजार का कर्जा लिया था,तुमने मूल चूका दिया लेकिन उसकी ब्याज नहीं दी,और सूरज ने हरिया को जान से मार दिया,तुम दोनों चौधरी के दोषी हो" सरपंच की आवाज़ के साथ सब बोलने लगते हैं ।
रेखा-"मेरे पति ने चौधरी से मात्र 10हजार का कर्जा लिया था,और उन्होंने वो कर्जा चूका दिया,ये चौधरी अब तक झूठ बोल कर हमसे पैसे ऐंठता रहा"
चौधरी सच्चाई सुन कर हैरान रह जाता है ।
चौधरी-"क्या सबूत है इसके पास", सरपंच भी सबूत मांगते हैं ।
रेखा-"सबूत है मेरे पास,मेरे पति जिन्दा हैं,उन्हें कई बार मारने की कोसिस की चौधरी ने,और मेरा घर भी इसी ने बिगाड़ा है" सूरज अपने पिता को वीडियो कोल करता है, बीपी सिंह को देख कर चौधरी और गाँव बाले देख कर हैरान रह जाते हैं।
बीपी सिंह सारी सच्चाई बता देता है,चौधरी की पोल खुल चुकी थी,
सरपंच-'सूरज तुमने हरिया को क्यूँ मारा" रेखा बीच में बोल पड़ती है।
रेखा-" सरपंच जी हरिया को इस लिए मारा क्यूंकि उसने मेरे साथ और मेरी बेटियो के साथ बत्तमीजी की,पूरा गाँव जानता है हरिया कैसा आदमी था, गाँव की हर औरत को बुरी नज़र से देखता था,ऐसे आदमी को मार कर मेरे बेटे ने पुरे गाँव पर अहसान किया है' गाँव के सभी लोग इस बात से सहमत हो जाते हैं,चौधरी भागने लगता है खुद की पोल खुलने के कारण लेकिन सूरज उसे पकड़ लेता है ।
सूरज-"सरपंच जी अब गलती इस चौधरी की निकली है तो अब इसे आप कौनसी सजा दोगे, या आप भी चौधरी के टुकड़ो पर भोकने आए हो", सरपंच शर्मिंदा होते हुए सूरज से माफ़ी मांगता है,और पूरा गाँव भी सूरज के पक्ष में खड़ा हो जाता है ।
सरपंच-'इस चौधरी ने पुरे गाँव को ब्याज पर कर्जा देकर दुगने पैसे बसूले हैं,इसने पुरे गाँव का जीना हराम कर दिया है,इसे भी सजा सूरज ही देगा,सूरज तुम इसे कोई भी सजा दो,पूरा गाँव आपके साथ है"
सूरज चौधरी के गाल पर तमाचा मारता है,और कुल्हाड़ी उठा कर सूरज पर तान देता है तभी चौधरी की बेटी और पत्नी भागती हुई सूरज के पैरो में गिर जाते हैं। चौधरी की बेटी जैसे ही सूरज को देखती है तो हैरान रह जाती है, सूरज भी हैरान रह जाता है,
चौधरी की बेटी-" सूर्या जी आप?

सूरज को अपनी आँखों पर विस्वास नहीं हो रहा था,सूरज के हाँथ से कुल्हाड़ी गिर जाती है।
सूरज-"गीता तुम?" चौधरी की बेटी गीता जो शहर में MBA की पढाई करने के बाद सूर्या की कंपनी में नोकरी कर रही थी,गीता चौधरी की बेटी है यह बात वो नही जानता था,और गीता भी बचपन से होस्टल में रह कर शहर में पढ़ी लिखी है ।चौधरी और गाँव के सभी लोग हैरान रह जाते हैं की सूरज और गीता एक दूसरे को जानते हैं।
गीता-"ये चौधरी मेरे पिता हैं, इन्हें माफ़ कर दो" गीता हाँथ जोड़ कर बोली,सूरज का दिल पसीज जाता हैं,चूकीं गीता ने उसकी बहुत मदद की जब तान्या का एक्सिडेंट हुआ और कंपनी को आगे बढ़ाने में गीता ने सूरज के साथ दिन रात मेहनत की।
चौधरी-"तुम सूरज को कैसे जानती हो गीता"
गीता-"ये सूर्या इंडस्ट्रीज के मालिक हैं,में इनकी ही कंपनी में नोकरी करती हूँ" चौधरी और पूरा गाँव यह सुन कर हैरान रह जाते हैं।
चौधरी-"बेटा मुझे माफ़ कर दे,आज के बाद में कोई गलत काम नहीं करूँगा"
रेखा-"बेटा माफ़ कर दे इसे" सूरज चौधरी को छोड़ देता है, चौधरी का घमंड टूट चूका था।
सरपंच-"बेटा गाँव में अशिक्षा के कारण लोग मुर्ख बनते आए हैं, लेकिन तुमने चौधरी जैसे व्यक्ति का चेहरा उजाकर कर दिया,हम सब तुम्हारे बहुत आभारी हैं"
सूरज-"आज के बाद इस गाँव में कोई अशिक्षित नहीं रहेगा,में इस गांव में एक स्कूल बनबाऊंगा"
गाँव के लोग बहुत खुश होते हैं।
गाँव का एक व्यक्ति-" बेटा हम लोगों के पास पैसे नहीं हैं तो अपने बच्चे को पढ़ाएंगे कैसे"
सूरज-" में इस गाँव में कंपनी की शाखा खोलूंगा,सबको रोजगार दूंगा" गाँव के सभी लोग खुश हो जाते हैं,गाँव के सभी लोग सूरज और रेखा की आवभगत करते हैं, गाँव केलोग सूरज और रेखा को अपने घर खाना भी खिलाते हैं। सुबह से शाम तक सूरज और रेखा गाँव के सभी लोगो से मिलते हैं, सूरज और रेखा थक चुके थे,इसलिए दोनों लोग घर पर आ जाते हैं, सूरज और रेखा के साथ गीता भी थी, गीता सूरज को अकेले में बुला कर पूछती है।
गीता-"सूर्या जी मुझे अभी तक यह समझ नहीं आ रहा है की आप तो सूर्या हैं,फिर आपको सूरज कह कर क्यूँ बुला रहें हैं,और आपकी माँ तो संध्या हैं" सूरज गीता को पूरी कहानी सुनाता है की उसके पिता ने दो शादी की हैं,दोनों उसकी माँ है ।
काफी समय बाद गीता अपने घर चली जाती है,अब सूरज और रेखा घर में बैठे हुए थे।
रेखा-" सूरज आज में बहुत खुश हूँ,जिस गाँव के लोग मेरी गरीबी का मजाक उड़ाया करते थे,आज बही लोग मेरी सेवा कर रहे थे"
सूरज-" हाँ माँ,इस देश में गरीब होना अभिशाप जैसा है,जब हम गरीब थे तब ऐसा लगता है हमारा हमदर्द कोई नहीं है इस गाँव में,आज पूरा गाँव हमें अपना सा लगता है"
रेखा-"बेटा तूने बहुत अच्छा सोचा है इस गाँव में स्कूल खुल जाएगा तो इस गाँव की तरक्की हो जाएगी,और कंपनी खुलने के बाद इस गाँव के गरीबो को रोजगार मिल जाएगा" काफी देर बात चीत के बाद रेखा गाँव के उसी जंगल में घुमने के लिए सूरज को बोलती है, सूरज और रेखा अपनी गाड़ी से घूमने निकल जाते हैं जहाँ वो दोनों कभी अपनी आजीविका चलाने के लिए लकड़ी काटने जाया करते थे ।
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