सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी complete
- Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
‘एक बात बता पूजा, दुबारा बुलाऊंगा तो आएगी?’ सुभाष के धक्के अब मुझे अच्छे लग रहे थे, मेरी चुत से फच फच की आवाज़ आ रही थी।
‘अबे देख, कैसे गांड उठा उठा कर चुदवा रही है! बता न मादरचोद आएगी दुबारा?’ यह सुन कर मैं शर्म से पानी हो गई, सचमुच मैं सब कुछ भूलकर चुदाई का मजा लेने लगी थी।
‘हाँ आ जाऊँगी लेकिन इस तरह से खुले में बहुत रिस्क है।’ मैंने लंड मुँह से निकाल कर जवाब दिया।
ऑटो वाले के हाथों और मुँह में लंड के होने से चुत की चुदाई और भी मज़ेदार लग रही थी। वह बीच बीच में मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था।
अचानक मुझे सुभाष के धक्के बहुत ही तेज़ होते महसूस हुए। मेरी आँखें बंद थी और मेरी नाक में झाटों के बाल थे, इसलिए कुछ देख नहीं पा रही थी।
तभी सुभाष रुक गया, उसने अपना लंड मेरी चुत में जड़ तक घुसेड़ दिया और मुझे अहसास हुआ कि वह अपना पानी मेरी चुत में छोड़ रहा है। उसका गर्म गर्म लावा मैं अपनी चुत में महसूस कर रही थी।
मैं चिल्ला पड़ी- प्लीज़ अपना लंड निकाल लो। मेरे बच्चा रुक गया तो क्या होगा? प्लीज़ ऐसा मत करो। अन्दर पानी मत गिराओ यार…
लेकिन सुभाष ने अपना लंड निकालने की जगह मेरी चुत में और थोड़ा घुसा दिया।
दूसरा लड़का बोला- साली रांड, चुदने के लिए मर रही थी और अब बक रही है? जब तू रेस्टोरेंट में बैठी कॉफ़ी पी रही थी तब तेरे टिट्स दिख रहे थे। तब ही समझ गये थे कि तू चुदने के लिए निकली है।
जैसे ही सुभाष झड़ कर मेरी टांगों के बीच से उठा, मैंने टाँगें सिकोड़ना चाही- चल हट मुझे भी चोदने दे अब, ऐसी माल तो हज़ारों रुपये खर्च करके भी नहीं मिलेगी।
‘प्लीज जल्दी करो, कोई देख लेगा।’
‘कोई नहीं देखेगा, तू जवान खूबसूरत भूरी आँखों वाली हाउस वाइफ है। किस्मत से मिलता है ऐसा माल चोदने को।’ उसका दोस्त मेरी टांगों के बीच में आ गया, एक झटके में उसने मेरी टांगें उठा कर अपने कन्धों पर रख लीं और मेरी चुत को सहलाते हुए बोला- पूजा इस मुद्रा में लंड चुत में खूब गहरा जाता है। जब तेरी चुत में मैं अपना वीर्य छोड़ूंगा तो सीधे तेरी बच्चेदानी में जाएगा।
‘ठीक है लेकिन जल्दी चोद लो प्लीज, बहुत रात होने वाली है।’ फिर मैंने लंड को अपने एक हाथ से पकड़कर चुत के मुंह पर रखा और उसे धक्का देने का इशारा किया।
उसने एक दमदार धक्का दिया और लंड सरकता हुआ अंदर चला गया। तो मुझे बहुत ज़ोर से दर्द हुआ और मैं चिल्ला उठी- ऊईईईईई मां… थोड़ा धीरे अह्ह ह्ह प्लीज धीरे करो!
फिर उसने दूसरा झटका मारा तो आधा लंड मेरी चुत में चला गया और मैं ज़ोर से चिल्लाई- आईईईई प्लीज थोड़ा धीरे धीरे करो।
इससे पहले कि मैं कुछ भी कहती, उसने एक झटके में पूरा अपना लंड मेरी चुत में उतार दिया।
‘अह्हह्ह ह्हह्हह… आराम से… पत्नी हूँ किसी की, कोई रंडी नहीं हूँ। आह्ह…मर गई…’ मैं चिल्ला पड़ी तो ऑटो ड्राईवर ने मेरे खुले मुंह में अपना लंड घुसा कर मेरी आवाज़ बंद कर दी।
‘इतनी चुदक्कड़ होकर भी तू इतना डरती है। तू बोल तो हम दोनों तुझे रोज़ चोदने आ जाएँ, तेरे पति को कानो कान खबर तक नहीं होगी।’
एक बार फिर मेरी डबल चुदाई शुरू हो गई। मेरी टांगें अब करीब करीब मेरे सर तक पहुँच चुकी थी और मेरी चुत के पूरी गहराई में लंड जा रहा था।
दूसरे लड़के ने भी अपना पानी मेरी चुत में छोड़ दिया।
मैं अब तक थक चुकी थी, मुँह थक गया था, चुत दुःख रही थी और शरीर पसीने, मिट्टी और वीर्य से लथपथ था लेकिन अभी अंत कहाँ? अब ऑटो वाले की बारी थी।
‘मैडम झुकिए न थोड़ा… कुतिया बन जाइये!’ उसने मुझे उठा कर घुटने के बल झुकने को कहा।
‘चोद ले मादरचोद, तू भी अपनी प्यास बुझा ले एक शरीफ औरत को चोद कर!’ दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा था, न शरीर में दम था।मैं चुपचाप उसकी बात मान गई।
उसने कुतिया बना दिया, फिर उसने मेरे पीछे जाकर पीछे से मेरी चुत पर अपना काला मोटा बिहारी लंड सटाया, मैंने पीछे हाथ बढ़ा कर उसको चुत की पंखुड़ियों को खोलते हुए सेट किया- ‘अआह्हह… धीर धीरे डाल हरामी मादरचोद… तेरी रंडी बीवी नहीं हूँ मैं… अआक्क्क…’ मेरे दर्द का जैसे उस पर कोई असर नहीं हुआ, मेरे सर को उसने ज़मीन की तरफ किया और कुतिया बना कर मुझे जोर जोर से चोदने लगा।
मैंने देखा कि सुभाष और उसके दोस्त ने कपड़े पहनने शुरू कर दिए थे। कम से कम ये दोनों मुझे कई बार नहीं चोदेंगे। ऑटो वाले के हर झटके के साथ उसका पूरा लंड मेरी चुत में जाता और मुझे उसकी झाटें अपनी गांड पर महसूस होतीं।
घोड़ी बनाकर वह चोदते हुए मेरे मम्मे भी दबा रहा था।
मुझे अहसास हुआ कि मुझे मजा आ रहा था, मैं थक गई थी और दर्द हो रहा था, मेरे घुटने छिल गए थे लेकिन घोड़ी बन कर चुदना मेरी सबसे मनपसंद पोजीशन है।
‘बहुत गालियाँ दे रही थी न तू मुझे साली रांड… तेरी चुत का भोसड़ा न बना दिया तो भजन लाल मेरा नाम नहीं!’ वह पूरा जंगली बना मुझे चोद रहा था।
उसकी स्पीड बढ़ती ही जा रही थी, उसका काला मोटा लंड सच में मेरी चुत का भजिया बना रहा था।
‘आह्हह्ह ह्हह्हह… मेरा पानी निकल रहा है साली रंडी! तूने चुदाई करवा कर आत्मा तृप्त कर दी!’ अगले ही पल उसने मुझे मेरी कमर को पकड़ कर कस कर भींच लिया।
उसका गर्म बहता हुआ लावा मैं अपनी चुत में महसूस कर रही थी जो बहता हुआ बाहर मेरी जांघों तक आ रहा था।
ऑटो ड्राईवर ने भी अपना पानी मेरी चुत में छोड़ा और फिर अपना लंड निकाल लिया।
सुभाष और उसका दोस्त कपड़े पहन चुके थे, उन्होंने मेरी टी-शर्ट और जीन्स मेरी ओर उछालते हुए कहा- जल्दी से पहन लो, यहाँ से निकलते हैं।
‘नम्बर तो देकर जा यार?’
‘जल्दी नोट करो, बहुत देर से निकली हुई हूँ।’
पाँच मिनट बाद हम वापस उसी मेट्रो स्टेशन पहुँच गए। मेरा बैग मुझे पकड़ा कर सुभाष और उसका दोस्त किसी और ट्रेन में चढ़ गए, और ऑटो रिक्शा वाला चला गया।
मैं थोड़ी देर तक स्टेशन पर बैठ कर अपने टांगों के बीच में बहते चिपचिपे वीर्य, अपने मम्मों के ज़ख़्म और चुत के दर्द को महसूस करती रही।
मैं उन दोनों लड़कों और ऑटो वाले से पूरी रात चुदवाना चाहती थी लेकिन शादीशुदा औरत थी कोई रंडी नहीं, इसलिए मन मसोस कर चुपचाप वापस आ गई।
किसी से कुछ कह ही नहीं सकती थी।
घर आते वक्त जब अपनी गली में दाखिल होने लगी तो वहाँ मेरे कॉलेज का मेरा एक स्टूडेंट गोविंद बैठा था। हमारी गली की दूसरी तरफ़ रास्ता नहीं है, बंद गली है।
गोविंद पर जैसे ही मेरी नज़र पड़ी, उसने कहा- हाय मैडम हाऊ आर यू? मैडम मैं आपसे इंग्लिश की कोचिंग लेना चाहता हूँ।
‘ओह! ऐसा क्या? तो इतनी रात में यहाँ बाहर क्यों बैठे हो, अन्दर आकर बात करो।’
‘अभी आपके पति हैं। फिर कभी आऊंगा।’
‘ठीक है। तुम कल से आना शुरू कर दो।’ मैंने उसको ऊपर से नीचे तक देखते हुए जवाब दिया।
‘मैडम ये खाने के लाई हो या कुछ और…?’ मेरे हाथ में केलों के थैले की तरफ इशारा करते हुए पूछा।
मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ देखा- शैतान कहीं का…
‘उफ़्फ़ क्या कहूँ… उसका दूसरा हाथ तो उसकी पैंट पर था और वो लंड को पैंट पर से सहला रहा था। मैं थोड़ा सा शरमा गई लेकिन फिर हिम्मत करके हल्की सी मुस्कुराहट देकर आँख मार दी और घर पहुँच गई।
मेरी प्यासी जवानी को जल्द ही नया जवान स्टूडेंट का लंड मिलने वाला था। मुझे ख़ुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि मैं तो दिन भर जवान लंडों के बीच ही रहती हूँ फिर इतना तड़पना क्यों था अब तक!
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
ऑटो ड्राईवर और दो लड़कों से चुत चुदाई के बाद जब मैं घर पहुँची तो मेरा शौहर दोस्तों से मिलकर आ चुका था और लेट नाईट टीवी देखते हुए शराब पी रहा था।
मैंने भी कपड़े बदल कर गाउन पहना, फिर एक पैग बनाया और शौहर के साथ बैठ कर पीने लगी।
सारा बदन अभी भी दुःख रहा था।
मेरा शौहर सोच भी नहीं सकता था कि उसकी जोरू अभी आधे घंटे पहले तीन तीन मर्दों से रंडी बनी चुत चुदाई करवा रही थी।
‘कहाँ गईं थीं। इतनी शाम को शाज़िया?’ उन्होंने मेरी तरफ देखकर पूछा।
‘बाज़ार से सब्जी लेने गई थी।’
‘सब्जी लेने में इतना टाइम लगता है। अभी तेरा यह हाल है मेरे पीछे में तो तू क्या रंडीखाना मचाती होगी… खैर ठीक है, इसको थोड़ा ऊपर कर न…’ सवाल करते हुए चार-पाँच मिनट के बाद शौहर वसीम शराब पीते-पीते ही मेरी सफ़ेद गाउन के ऊपर से मेरे मम्मे दबाने लगा।
मैं दिल ही दिल में डर गई थी, मेरे घुटने छिले हुए थे चूचियों पर नोचने खसोटने के लाल ललितान थे।
‘थोड़ा सहलाओ इसको!’ और फिर उसने बरमूडा से अपनी लुल्ली बाहर निकाल कर मेरा हाथ उस पे रख दिया। मेरे एक हाथ में शराब का पैग था, एक हाथ से मैं उसे सहलाने लगी तो लुल्ली अकड़ कर करीब चार इंच की हो गई।
‘शाज़िया मुँह में ले इसको!’ फिर हमेशा की तरह उसने मुझे इशारे से उसे चूसने को कहा।
मैंने अपना शराब का गिलास खाली किया और सोफे से उतर कर नीचे बैठ गई। फिर झुक कर उसकी लुल्ली अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से चूस… तेरे लिप्स की रगड़ से मेरे लौड़े में आग सी लग जाती है।’
मुझे लगा कि आज मेरा शौहर मुझे रात भर जमकर रगड़ेगा लेकिन एक मिनट भी नहीं हुआ था कि उसकी लुल्ली ने अपना पानी फ़च्छ फ़च्छ करते हुए मेरे मुँह में छोड़ दिया।
वसीम हाँफ रहा था लेकिन मैं शायद आज ज्यादा बेचैन थी।
‘चोद न मादरचोद…’ उसका पानी गट गट हुए मैं सोच रही थी। मुझे उम्मीद तो नहीं थी पर फिर भी मैंने शौहर की तरफ इल्तज़ा भरी नज़रों से देखा।
‘चल जाकर सो जा!’ उसने मुझे झिड़क दिया।
‘नामर्द साला… वापस ही क्यों आया, वहीं मर जाता।’ मैंने दिल ही दिल में उसे गाली दी। होंठों को हाथ से ही साफ किया और अपने लिये दूसरा पैग बना कर अंदर दूसरे कमरे में चली गई।
मैं खिड़की के पास बैठी शराब की चुस्कियाँ लेने लगी तो मुझे वो ब्लू फिल्म याद आ गई। जो मुझे कॉलेज की प्रिंसपल मैडम डेलना ने दी थी।
मैंने तुरंत vcd on कर दी। अजीब से लंड थे उन गोरे लड़कों के उस फिल्म में जो एक पाकिस्तानी लड़की पोर्न स्टार नादिया अली को चोद रहे थे।
अचानक मेरा ज़हन लंड की बनावट पर गया जो मेरे शौहर से बिल्कुल अलग थी। उफ़्फ़… यह तो अजीब सा लंड था फिल्म में, जिस पर चमड़ी थी रोहित के लंड की तरह!
मेरी चुत बेहद गीली हो गई थी। मैं गाउन में हाथ डाले चुत को मसलती हुई वासना की आग में तड़पती हुई सो गई।
अगले दिन से मैंने कबीर को कोचिंग देना शुरू कर दी थी।
‘तुमको किसने बोला कि मैं कोचिंग पढ़ाती हूँ?’
‘मुझे रोहित ने बोला कि शाज़िया मैडम बहुत अच्छे से देती हैं।’
‘क्या?!!’ मैं उसका इशारा समझ रहीं थीं लेकिन वह मेरा स्टूडेंट था और रोहित से छोटा भी था।
‘म… मेरा मतलब रोहित बोला था कि शाज़िया मैडम बहुत अच्छे से कोचिंग देती हैं।’
‘हा हा हा… नॉटी।’ बरामदे में हम दोनों स्टडी टेबल पर अपनी अपनी कुर्सियों पर थे। वह मुझे चोदना चाहता था। मैं उस मासूम लड़के से चुदना चाहती थी तो हमारे बीच बहुत जल्दी सहमति बन गई।
‘मैडम आप उदास क्यों रहती हो, आपकी सेक्स लाइफ तो ठीक है न?’ उसने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर पूछा।
‘क्या बताऊँ तुमको कबीर… जब वो रात को बिस्तर में आते हैं तो मेरे सभी अंगों को मसल डालते हैं और उनका गुस्सा देखकर तो मैं डर जाती हूँ इसलिए मैं कई महीनों से ढंग से चुदी ही नहीं हूँ। ऐसा समझो कि इस उम्र में भी कुंवारी की कुंवारी ही हूँ।’ मैंने उससे झूट बोला जबकि एक दिन पहले ही मेरी ज़बरदस्त अंसल प्लाज़ा के पार्क में चुदाई हुई थी।
‘क्या कह रही हो मैडम?’
‘हाँ कबीर… मैं सच कह रही हूँ… उनका लंड आज तक मेरी चुत में ठीक से गहराई तक गया ही नहीं… उन्होंने पहली बार आते ही मुझे नंगी करके अपने लंड को सीधे मेरी गांड में घुसा दिया था… जिससे दर्द के मारे मैं रोने लगी थी।’
‘आपको गांड मरवाना पसंद नहीं है क्या?’
‘वह बात नहीं है कबीर, मैं भारतीय औरतों की तरह गांड मरवाने में झिझकती नहीं हूँ लेकिन उनसे जब कुछ नहीं होता है तो मेरी गांड में डिल्डो घुसाने लगते हैं। मैं दर्द से बिलबिलाती रही तब भी उन्हें दया नहीं आई और उन्होंने डिल्डो से करारा धक्का मारने के लिए प्रयास किया तो मैंने उन्हें जोर का धक्का मार कर पलंग के नीचे गिरा दिया था। गांड में डिल्डो लिए दूसरे कमरे में भाग गई थी। उसके बाद मैंने उनसे एक बार भी चुदाई नहीं कराई।’
‘मैडम जी यह तो गलत बात है… देखो शौहर बीवी में ये बातें तो होती ही रहती हैं… प्यार से चुदाई कराओ और मजा लेकर जिंदगी का लुत्फ़ उठाओ।’
‘नहीं कबीर, मेरे शौहर का लंड आप देखोगे तब आप को मालूम पड़ेगा कि ऐसी लुल्ली देखकर तो रंडी भी मना कर देगी।’
‘अच्छा! तब तो सच में एक बार देखना ही पड़ेगा… वैसे उनका हथियार कितना बड़ा और कितना ताकतवर है?’
‘बहुत… छोटा बच्चों की जैसा, एकदम नूनी लेकिन तू तो जवान है तेरी तो गर्लफ्रेंड तो खुश रहती होगी?’
‘नहीं मैडम। गर्लफ्रेंड होती तो आपको थोड़ी लाइन मारता? आपके बारे में एक बात सुनी है आप बुरा तो नहीं मानोगी?’
‘अरे! नहीं बोल न?’
‘आपके शौहर के ही दो दोस्तों ने आपको जमकर चोदा है।’
‘हाँ हा हा… शैतान… ज़रूर रोहित ने बोला होगा। दरअसल जब मेरे शौहर यहीं इंडिया में थे तो वह लोग घर पर आते थे इनके साथ शराब पीने को। यह तो दुबई चले गए वह लोग आते रहे। बस एक दिन मैंने भी बहुत पी रखी थी तो नशे में ‘भाभी प्लीज़… भाभी प्लीज़…’ करते करते उन्होंने पकड़ लिया तो मैं भी न नुकुर करते हुए पिघल गई थी।’
‘वाह मैडम, आप तो बहुत सेक्सी हो कॉलेज में सब आपको बहुत शरीफ औरत समझते हैं। तो क्या करते थे वो दोस्त आपके साथ?’
‘किसी के साथ सेक्स करने से मेरे शरीफ होने न होना का क्या ताल्लुक? यह मेरा निजी मामला है। हम भारतीय लोगों की सोच भी न…’
‘हा हा हा… सही बात, हम बचपन से ऐसे माहौल में रहते हैं कि पराये मर्द के साथ सेक्स को ग़लत मानने लगते हैं। भला किसी के साथ सहमति से सेक्स कर लेने से रिश्ते कैसे ख़राब हो सकते हैं। घटिया सोच है लोगों की।’
‘बिल्कुल सही, रिश्तों में नयापन लाने के लिए आजकल की नई पीढ़ी वाइफ स्वैपिंग काफी पसंद करती है। एक लड़का, एक लड़की एक छत के नीचे रहते हुए एक चुत के लिए तरस रहा है और एक लंड के लिए तड़पे… यह कैसी सोच है। विदेशो में बहन का पहला सेक्स पार्टनर उसका भाई ही होता है। और इससे परिवार में रिश्ते और गहरे होते हैं, प्यार बढ़ता है न कि घटता है।’
‘सही बात है, आखिर बहन बाहर भी तो किसी से चुदेगी ही फिर भाई क्यों नहीं? सुरक्षित भी और आसान भी!’
‘बिल्कुल, अगर बहन के साथ करने में झिझक है तो किसी दोस्त से खुलकर बात करो और सिस्टर स्वैपिंग कर लो।’
‘वाह मैडम, मान गए… आप तो अल्ट्रा मॉर्डन हो, घरेलू औरत शौहर के रहते हुए ग्रुप सेक्स करे, यह अभी अपने यहाँ बहुत आम नहीं हुआ है। वैसे आप लोग क्या पसंद करते हो लाइक वुमन ऑन टॉप?’
‘वैसे उनको तो बस मेरी गांड मारने में ही मजा आता है। कभी तो हम तीनों कई मिनट तक एक दूसरे का चूसते रहते हैं। मजा तो तब और दुगना हो जाता है… जब एक मेरे पीछे डाल कर चुदाई करता है, और एक आगे से! मैं दोनों के बीच फंसी रहती हूँ। लेकिन गांड मरवा कर कब तक गुज़ारा करूँ, चुत की आग सोने नहीं देती है।’
‘मैडम दर्द नहीं होता क्या? रोहित बता रहा था कि आपको गांड मरवाने में दर्द बहुत हो रहा था?’
‘उफ्फ उसने तुझे यह भी बता दिया। अरे यार, अचानक उसने वाशरूम में पकड़ लिया था। इसलिए खड़ी थी न, इसलिए होता है शुरू शुरू में… जब लंड जगह बना लेता है… तो चुत से ज्यादा मजा गांड मराने में मजा आता है। लेकिन चुत की चुदाई के बिना कैसा मजा?’
इस तरह की बातें करते करते मैं विचलित होने लगी, मुझे लगा कि ज्यादा और बातें हुई तो मैं झड़ने लगूंगी। अब मैंने कुर्सी पर बैठे हुए ही अपने पैर फैला दिए।
तभी उसने अपना हाथ आगे से खुले गाउन को खिसका दिया, अब वो मेरी गोरी जाँघों में अपने हाथ फेरने लगा।
मैं उसको मुस्कुराते हुए देख रही थी। धीरे धीरे उसने मेरी चड्डी को सरकाते हुए चुत के पास उंगली को लगा दिया और मेरी चुत को सहलाने लगा।
मैंने कुछ दिन पहले ही वीट से चुत की शेव की थी, चुत पर हल्के बाल थे।
उसने फिर उसने मुझे बांहों में भर लिया और मेरी दोनों चूचियों को दबा दिया। मैं उससे दिखावटी नाराज होने लगी। मैं अपनी कुर्सी सरकाकर उसके करीब आ गई थी।
वो बोला- मैडम बहुत मजा आएगा… मौसम भी साथ दे रहा है… मजा ले लो।
मैं चुप थी…
कबीर ने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड मुझे हाथ में पकड़ा दिया।
उसका लौड़ा पहले ढीला था… फिर धीरे धीरे एकदम से सख़्त हो गया।
मेरा मन उसका लंड लेने को हो गया… लेकिन मेरे शौहर कमरे में बैठे ड्रिंक कर रहे थे।
उसने मेरी ब्रा को पीछे से खोल दिया, अपने हाथ उसने मेरे गाउन में डाल कर मेरे चूचों को दबाने लगा।
मैं मादकता से सिसकार कर रह गई, मुझे अब अच्छा लगने लगा था, मैं चुदास के चलते उसके साथ सेक्स का खेल खेलने लगी थी।
मैंने उसकी पैन्ट को खोल दिया, अब उसका लंड एकदम तन गया था और मेरी चुत में घुसने को बेताब था।
‘आराम से आराम से… वे अन्दर ही हैं…’ उसने मेरा गाउन आगे से खोल कर मुझे नंगी कर दिया और मेरे तन बदन को चूमने लगा।
- Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
कुछ ही देर में मेरी नंगी चुत पानी छोड़ने लगी, मेरा मन उससे चुदवाने के लिए तैयार था।
‘आआहह्ह… अन्दर मेरे शौहर अल्ताफ हैं, यहाँ यह सब ठीक नहीं है।’ मैं कमरे की तरफ झांकते हुए सिसकार उठी।
‘मैडम आप बोलो तो बाहर किसी होटल में चलें?’ उसने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा।
‘बाहर कहाँ? होटल में किसी ने मुझे देख लिया तो? रेड पड़ गई तो रंडी कहलाऊँगी। वैसे भी मैं तुमसे बहुत बड़ी हूँ, क्या बोलूंगी होटल में कौन हो तुम मेरे?’
‘आप अपना लॉन्ग कोट पहन लेना, मैं हेलमेट लगा लूँगा, एक दोस्त है अकेला ही रहता है, उसके घर चलते हैं।’ कबीर का जवाब सुन कर मैं तैयार होने को बढ़ गई।
‘वसीम, मैं शॉपिंग के लिए जा रही हूँ। कबीर मुझे मर्केट तक छोड़ देगा, लेट हुई तो वहाँ से रिक्शा लेकर आ जाऊँगी। तुम्हारे लिए कुछ लाना है?’
‘बियर चाहिए जो तू नहीं ला पायेगी, जा अपना काम कर…’
‘मेरी बिना इन्सल्ट किये इस कुत्ते का दिल ही नहीं भरता!’ सोचते हुए मैं फटाफट तैयार होकर अपने स्टूडेंट कबीर के साथ निकल गई। मैंने लॉन्ग कोट के नीचे एक क्लब वियर टाइप रेड कलर की स्पघेटी (spaghetti) पहनी हुई थी।
कुछ ही देर में हम उसके एक दोस्त नदीम के घर में थे।
मैं अपने स्टूडेंट कबीर के साथ उसके एक दोस्त नदीम के घर में थी।
‘हाय नदीम? कैसा है?’
‘अच्छा हूँ तू बता? अचानक कैसे आ गया? अरे! यह तो अपनी इंग्लिश वाली टीचर शाज़िया मैडम हैं…? कैसी हो मैडम? अन्दर आइये न मैडम!’
‘आई एम फ़ाइन नदीम!’
मैं और कबीर अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गए, कबीर नदीम को एक तरफ लेकर गया और धीरे से उससे बात की- यार नदीम, मेरी एक हेल्प कर न?
‘हाँ बोल न। दोस्त के लिए जान भी हाज़िर है।’
‘यार तू कुछ देर के लिए फ्लैट से बाहर जा सकता है?’
‘अरे मैं दूसरे रूम में चला जाता हूँ। मौक़ा मिला है तो तू चोद ले, शाज़िया मैडम मस्त माल है यार! सुना है इसके शौहर के दोस्तों से चक्कर है। अभी इस उम्र में भी माल दिखती है। यार मुझे भी दिला न इसकी?’
‘बकवास मत कर, शाज़िया मैडम अब मेरी गर्लफ्रेंड है, कोई रांड नहीं है।’
‘ठीक है तू रूम के अन्दर चला जा मैं बाहर हूँ।’ नदीम ने रूम की तरफ इशारा करते हुए कहा।
इसके बाद कबीर मुझे लेकर रूम के अन्दर चला गया।
कबीर ओवरकोट को खुद और मुझको पूरी तरह से सर के ऊपर से ढकते हुए चिपट गया ताकि मेरा शरीर ओवरकोट से बाहर ना निकले। मैंने भी अपने शरीर को अपने स्टूडेंट से सटा दिया।
कबीर ने मुझसे कहा– मैडम, मैं एक बात तो तुझे बताना ही भूल गया।
मैं– कौन सी बात?
‘मैंने दोस्त नदीम को तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड बताया तब जा कर राज़ी हुआ।
‘लेकिन तूने ऐसा क्यों किया?’
‘ऐसा नहीं करता तो कमरा मिलना मुश्किल हो जाता। वह भी आपको चोदने की ज़िद कर रहा था।’
‘लेकिन मैं इतनी जवान थोड़े ही ना हूँ जो तेरी गर्लफ्रेंड दिखूंगी?’
‘अरे तू अभी भी एकदम जवान दिखती है।’
‘चल हट पगले… अच्छा अब जल्दी कर, मेरा शौहर बहुत शक्की है।’ मैंने कबीर हाथ पकड़ कर अपने कठोर भरे भरे मम्मों पर रख दिया, उसे करंट सा लगा।
मैं बोली- कबीर मेरी प्यास बुझा दो… मैं कब से तड़प रही हूँ।
इतना बोलते बोलते मैंने पैन्ट के ऊपर से ही कबीर के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। उसका हाथ भी मेरे मम्मों पर चल रहा था, मैं मुँह से अजीब-अजीब आवाज निकाल रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसका लंड भी अब पूरा तन चुका था, मैंने कहा- बाहर से दिखा यार… देखूं तो तू अपनी टीचर को संतुष्ट कर भी पायेगा?
कुछ समय के बाद मैं उठी और उसके घुटनों में बैठ गई, पैन्ट की चैन खोल कर उसका 7″ का लंड बाहर निकाला और एकदम से उस पर टूट पड़ी… जैसे कोई भूखा खाने पर टूटता है- वाह… कबीर तेरा तो बहुत मोटा है। अपनी प्यारी मैडम को इससे चोदेगा न?
‘हाँ मैडम आपका ही है यह!’
‘बोल कबीर क्या करूँ, आज मैं तेरी मैडम नहीं एक जवान औरत हूँ। अपनी रंडी बनाकर ट्रीट कर मुझे! बोल पहले ब्लो जॉब दूँ या पहले चोदेगा अपनी रंडी टीचर को?’
‘पहले ब्लो जॉब दो, मुँह में लेकर चूसो लंड को! आआहह्ह…’
ऐसा बोलते ही सेक्स के लिए पागल हो रही मैंने तुरंत झुककर उसका लंड अपने सुर्ख लिपिस्टिक लगे होंठों से चूसते हुए मुँह में ले लिया, मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैं उसके लंड को पूरा मुँह में ले कर चूसे जा रही थी।
‘आआहह्ह… अन्दर मेरे शौहर अल्ताफ हैं, यहाँ यह सब ठीक नहीं है।’ मैं कमरे की तरफ झांकते हुए सिसकार उठी।
‘मैडम आप बोलो तो बाहर किसी होटल में चलें?’ उसने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा।
‘बाहर कहाँ? होटल में किसी ने मुझे देख लिया तो? रेड पड़ गई तो रंडी कहलाऊँगी। वैसे भी मैं तुमसे बहुत बड़ी हूँ, क्या बोलूंगी होटल में कौन हो तुम मेरे?’
‘आप अपना लॉन्ग कोट पहन लेना, मैं हेलमेट लगा लूँगा, एक दोस्त है अकेला ही रहता है, उसके घर चलते हैं।’ कबीर का जवाब सुन कर मैं तैयार होने को बढ़ गई।
‘वसीम, मैं शॉपिंग के लिए जा रही हूँ। कबीर मुझे मर्केट तक छोड़ देगा, लेट हुई तो वहाँ से रिक्शा लेकर आ जाऊँगी। तुम्हारे लिए कुछ लाना है?’
‘बियर चाहिए जो तू नहीं ला पायेगी, जा अपना काम कर…’
‘मेरी बिना इन्सल्ट किये इस कुत्ते का दिल ही नहीं भरता!’ सोचते हुए मैं फटाफट तैयार होकर अपने स्टूडेंट कबीर के साथ निकल गई। मैंने लॉन्ग कोट के नीचे एक क्लब वियर टाइप रेड कलर की स्पघेटी (spaghetti) पहनी हुई थी।
कुछ ही देर में हम उसके एक दोस्त नदीम के घर में थे।
मैं अपने स्टूडेंट कबीर के साथ उसके एक दोस्त नदीम के घर में थी।
‘हाय नदीम? कैसा है?’
‘अच्छा हूँ तू बता? अचानक कैसे आ गया? अरे! यह तो अपनी इंग्लिश वाली टीचर शाज़िया मैडम हैं…? कैसी हो मैडम? अन्दर आइये न मैडम!’
‘आई एम फ़ाइन नदीम!’
मैं और कबीर अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गए, कबीर नदीम को एक तरफ लेकर गया और धीरे से उससे बात की- यार नदीम, मेरी एक हेल्प कर न?
‘हाँ बोल न। दोस्त के लिए जान भी हाज़िर है।’
‘यार तू कुछ देर के लिए फ्लैट से बाहर जा सकता है?’
‘अरे मैं दूसरे रूम में चला जाता हूँ। मौक़ा मिला है तो तू चोद ले, शाज़िया मैडम मस्त माल है यार! सुना है इसके शौहर के दोस्तों से चक्कर है। अभी इस उम्र में भी माल दिखती है। यार मुझे भी दिला न इसकी?’
‘बकवास मत कर, शाज़िया मैडम अब मेरी गर्लफ्रेंड है, कोई रांड नहीं है।’
‘ठीक है तू रूम के अन्दर चला जा मैं बाहर हूँ।’ नदीम ने रूम की तरफ इशारा करते हुए कहा।
इसके बाद कबीर मुझे लेकर रूम के अन्दर चला गया।
कबीर ओवरकोट को खुद और मुझको पूरी तरह से सर के ऊपर से ढकते हुए चिपट गया ताकि मेरा शरीर ओवरकोट से बाहर ना निकले। मैंने भी अपने शरीर को अपने स्टूडेंट से सटा दिया।
कबीर ने मुझसे कहा– मैडम, मैं एक बात तो तुझे बताना ही भूल गया।
मैं– कौन सी बात?
‘मैंने दोस्त नदीम को तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड बताया तब जा कर राज़ी हुआ।
‘लेकिन तूने ऐसा क्यों किया?’
‘ऐसा नहीं करता तो कमरा मिलना मुश्किल हो जाता। वह भी आपको चोदने की ज़िद कर रहा था।’
‘लेकिन मैं इतनी जवान थोड़े ही ना हूँ जो तेरी गर्लफ्रेंड दिखूंगी?’
‘अरे तू अभी भी एकदम जवान दिखती है।’
‘चल हट पगले… अच्छा अब जल्दी कर, मेरा शौहर बहुत शक्की है।’ मैंने कबीर हाथ पकड़ कर अपने कठोर भरे भरे मम्मों पर रख दिया, उसे करंट सा लगा।
मैं बोली- कबीर मेरी प्यास बुझा दो… मैं कब से तड़प रही हूँ।
इतना बोलते बोलते मैंने पैन्ट के ऊपर से ही कबीर के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। उसका हाथ भी मेरे मम्मों पर चल रहा था, मैं मुँह से अजीब-अजीब आवाज निकाल रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसका लंड भी अब पूरा तन चुका था, मैंने कहा- बाहर से दिखा यार… देखूं तो तू अपनी टीचर को संतुष्ट कर भी पायेगा?
कुछ समय के बाद मैं उठी और उसके घुटनों में बैठ गई, पैन्ट की चैन खोल कर उसका 7″ का लंड बाहर निकाला और एकदम से उस पर टूट पड़ी… जैसे कोई भूखा खाने पर टूटता है- वाह… कबीर तेरा तो बहुत मोटा है। अपनी प्यारी मैडम को इससे चोदेगा न?
‘हाँ मैडम आपका ही है यह!’
‘बोल कबीर क्या करूँ, आज मैं तेरी मैडम नहीं एक जवान औरत हूँ। अपनी रंडी बनाकर ट्रीट कर मुझे! बोल पहले ब्लो जॉब दूँ या पहले चोदेगा अपनी रंडी टीचर को?’
‘पहले ब्लो जॉब दो, मुँह में लेकर चूसो लंड को! आआहह्ह…’
ऐसा बोलते ही सेक्स के लिए पागल हो रही मैंने तुरंत झुककर उसका लंड अपने सुर्ख लिपिस्टिक लगे होंठों से चूसते हुए मुँह में ले लिया, मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैं उसके लंड को पूरा मुँह में ले कर चूसे जा रही थी।
- Rohit Kapoor
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
Nice update
Read my all stories
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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- Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
thanks sooooooooooooo much