सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी complete

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Kamini
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सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी complete

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सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी


फ्रेंड्स ये कहानी कई कहानियों को मिलाकर है वैसे मेन तो ये कहानी मेरी सहेली और उसकी मम्मी की मस्तियों की कहानी है पर थोड़ी सी मस्ती मेरी भी शामिल है चलिए कहानी की शुरुआत मेरी सहेली फ़ातिमा की मम्मी शाजिया के द्वारा शुरू करते हैं


जो मुझे नहीं जानते, उनको अपना छोटा सा परिचय दे दूँ, मेरा नाम शाज़िया है, मैं शादीशुदा औरत हूँ, उम्र 38 साल है, मैं एक प्राइवेट कॉलेज में इंग्लिश की टीचर हूँ, हमारे परिवार में मेरी बेटी फ़ातिमा जो कि अब होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी।

मेरे पुरखों का ताल्लुक उज्बेकिस्तान से रहा है इसलिए खुदा ने हम दोनों माँ बेटी को बेपनाह हुस्न से नवाजा है। मेरा रंग दूध की तरह गोरा है, हल्की भूरी आँखें, तीखे नयन नक्श और मेरा फिगर 36-सी की उभरी हुई चूचियाँ, 28 की मस्तानी कमर 36 की मचलती हुई बम्प यानि गांड!

मैं अक्सर सलवार कमीज़ पहन कर ही बाहर जाती हूँ लेकिन मेरे देसी कपड़े भी फैशनेबल टाइप और डिज़ाइनदार होते हैं। पति के दुबई में रहने के कारण मैंने अपनी प्यासी जवानी उनके दोस्त वसीम को सौंप दी थी। फिर एक दिन उन्होंने मुझे अपने एक दोस्त जय से भी शराब पिला कर चुदवाया था। पति के दूर रहने के कारण मुझे चुत चुदाई का चस्का लग गया था। धीरे धीरे मैं उनके कई दोस्तों से जमकर अपनी चुत चुदवाने लगी थी।

लेकिन एक दिन मुझे वसीम और जय के साथ मेरी मासूम बेटी फ़ातिमा ने भी देख लिया। दरअसल शराब के नशे में धुत्त मैं अपना लाल जालीदार गाउन सरकाए हुए वसीम के ऊपर नंगी पसरी हुई थी उसका लंड मेरी चुत में था, उसके कंधों को अपने हाथों से पकड़े हुए मैं खन खन चूड़ियाँ करती ऊपर नीचे हो रही थी ताकि उसका लंड मेरी चुत की जड़ तक पेवस्त हो सके,

मेरे ऊपर पीछे से जय था। वह मेरे भरे हुए मोटे चूतड़ों को खोलते हुए अपना लंड मेरी गुलाबी गांड में पेवस्त कर रहा था, उसका टोपा मेरी गांड में जाते ही मैं बिलबिला उठी, दर्द से मैं इतनी जोर से चीखी कि मेरी बेटी ने मेरी आवाज़ सुन ली, वह कमरे में आ गई।

अपनी अम्मी की एक साथ दो मर्दों से चुदाई कराती देख वह हक्की बक्की रह गई लेकिन हमारा राज़, राज़ ही बना रहे इस लिए मैंने जय और वसीम के कहने पर अपनी बेटी को भी इसमें शामिल कर लिया था, मेरे पति के दोस्त मिल कर मेरी और मेरी मासूम बेटी फ़ातिमा की जम कर चुदाई करने लगे।
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Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

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मैं ऐसी क्यों बनी इस घटना को जानने के लिए कुछ समय पहले जाना पड़ेगा ये घटना मेरी बेटी फ़ातिमा की ज़ुबानी शुरू होगी

मेरा नाम फ़ातिमा है.. मैं 18 साल की हूँ। यह बात उन दिनों की है.. जब मैं स्कूल में पढ़ती थी। मेरी अम्मी शाज़िया एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश की टीचर हैं और मेरे पापा दुबई की एक कंपनी में हैं। वह साल दो साल में इंडिया आया करते हैं और 25-30 दिनों के लिए ही आते हैं। जब वे घर आते थे.. तब अम्मी बहुत खुश रहती थीं.. लेकिन उनके जाने के बाद अम्मी बहुत उदास हो जाती थीं।

हमारा घर शहर की आबादी से दूर था, हम किराये के मकान में रहते थे, यह घर पापा के दोस्त राज अंकल का था। राज अंकल पापा के दोस्त थे। यही वजह थी कि वह हम लोगों से किराया नहीं लिया करते थे। राज अंकल हमारे घर अक्सर आया करते थे। उनके आने पर अम्मी बहुत खुश रहती थीं। उनके आने से अम्मी का अकेलापन दूर हो जाता था।

कभी-कभी हम लोग राज अंकल के साथ बाहर उनकी कार से आउटिंग पर भी जाते थे। धीरे-धीरे वह हमारे साथ बेहद घुल-मिल गए थे।

एक दिन मैं स्कूल से घर आई तो देखा कि मेरे पापा के दोस्त राज अंकल आए हुए हैं।

अम्मी दोपहर का खाना बना रही थीं। मैंने अपना स्कूल बैग कमरे में रखा और किचन की तरफ बढ़ गई.. लेकिन अन्दर का नज़ारा देख कर मेरे पाँव ठिठक गए थे।

मैंने चुपके से किचन में झांक कर देखा.. राज अंकल ने अम्मी को अपने आगोश में लिया हुआ था। वह अपने हाथों को अम्मी के बदन पर घुमा रहे थे। अम्मी अंकल की कमर पर हाथ फिरा रही थीं.. फिर गर्दन पर.. और फिर सर पर.. उधर अंकल अम्मी के होंठों को छोड़ कर उनके गालों को चूमने लगे और फिर गर्दन पर अपने होंठ फिराने लगे।

अम्मी लगातार उनका साथ दे रही थीं और अंकल भी उनके गुदाज स्तन लगातार दबा रहे थे। अंकल ने अम्मी का जालीदार सफ़ेद कुरता ऊपर उठा दिया था। अम्मी ने नीले रंग की ब्रा पहनी थी। राज अंकल अब अपने होंठों को उनकी गर्दन पर लेकर आए और फिर उनके कंधों पर चूमने लगे।

यह सब देख कर मैं पागल हुए जा रही थी, मैंने ऐसा पहली बार देखा था। मेरे जिस्म में आग सी लग गई थी। मैं यह समझ चुकी थी कि एक शादीशुदा औरत को पूरे-पूरे साल बिना शौहर के रहना बेहद मुश्किल होता है। पेट की भूख तो खाने से मिटाई जा सकती है.. लेकिन जिस्म की भूख का क्या?

यही वजह थी कि अम्मी ने अपना जिस्म राज अंकल को सौप दिया था।

वैसे भी मेरी अम्मी एक कॉलेज में टीचर थीं। वह खुले विचारों वाली महिला थीं। लेकिन मुझे फिर भी अपनी अम्मी से यह उम्मीद नहीं थी कि राज अंकल अम्मी को चोदेंगे।

किशोरावस्था में होने के कारण मेरी इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई थी, मैं न चाहते हुए भी उन दोनों को देखे जा रही थी।

अभी कॉलेज से आकर मैंने अपना ड्रेस भी नहीं बदला था। मैं अपनी चूचियों को शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगी। अंकल और अम्मी को बड़ा मजा आ रहा था।
अम्मी ने अंकल की पैंट में अपना हाथ डाला हुआ था। वह अंकल के लण्ड को सहलाने लगीं.. जिससे अंकल का लण्ड खड़ा होकर 6 इंच का हो चुका था।

अंकल ने अपना एक हाथ अम्मी की सलवार में डाल दिया.. शायद उनकी चूत गीली हो चुकी थी और थोड़ा-थोड़ा चिपचिपा पानी निकल रहा था।

अंकल ने अम्मी की सलवार का इज़ारबंद खोलना चाहा.. तो अम्मी ने हाथ पकड़ कर रोक दिया- अभी नहीं, फ़ातिमा आ गई है स्कूल से.. रात को..
अम्मी अपने कपड़े सम्हालते हुए किचन से बाहर आ गई थी। उन्होंने खाना लगाया और मुझे आवाज़ दी। हम तीनों ने मिलकर लंच किया।

फिर मैं टीवी देखने लगी अम्मी और अंकल आराम करने लगे। मैं यह समझ चुकी थी कि आज रात को मेरी अम्मी राज अंकल से चुदवायेंगी।
मैं यही सोच-सोच कर खुश हो रही थी कि आज मुझे अंकल-अम्मी की चुदाई देखने को मिलेगी।

फिर रात को राज अंकल अम्मी और मैं खाना खाकर रात साढ़े दस बजे सोने लगे, मुझे नींद तो आ नहीं रही थी।

तकरीबन दो घंटे ऐसे ही बीत गए। मेरी आँख हल्की सी लगने लगी थी। तकरीबन 15 मिनट बाद मेरे कानों में चूड़ियों के खनकने की आवाज सुनाई पड़ी। मेरी नींद खुल चुकी थी.. मैंने धीरे से अपने कमरे की खिड़की खोली.. जो कि अम्मी के कमरे की तरफ खुलती थी।

राज अंकल मेरी अम्मी के बदन पर अपना हाथ फेर रहे थे, वो शरमा रही थीं, अंकल ने उनका सफ़ेद दुपट्टा निकल कर अलग कर दिया था और उनके कन्धे पर हाथ रख दिया।
वो वहाँ से उठकर जाने लगीं.. अंकल ने अम्मी को पीछे से कस कर पकड़ कर अपने होंठ उनकी गर्दन पर रख दिए।

वो थोड़ा छूटने के लिए कसमसाईं.. उनके चहरे पर एक घबराहट सी थी- राज.. है तो यह गलत ना..
कुछ गलत नहीं है शाज़िया.. तुम्हारे शौहर मेरे दोस्त हैं.. और फिर तुम्हारी भी तो कुछ ज़रूरतें हैं।
राज अंकल ने अम्मी की गर्दन पर अपने होंठ फिराते हुए कहा।

अम्मी ने एक लम्बी सी सांस लेते हुए आँखें बंद कर ली थीं- मुझे डर लगता है.. किसी को मालूम पड़ गया तो?
अम्मी थोड़ा झिझक रही थीं.. लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका विरोध कम हो गया और अम्मी ने खुद को ढीला छोड़ दिया।
अंकल ने उन्हें अपने पास खींचा और अम्मी के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

वो थोड़ा ना-नुकर करते हुए बोलीं- तुम्हें नहीं लगता कि हम जो कर रहे हैं, ये सब गलत है.. मुझे अपने शौहर को धोखा नहीं देना चाहिए।
अंकल ने कहा- शाज़िया.. हम दोनों जो कर रहे हैं.. वो दो जिस्मों की जरुरत है.. तुम्हारे शौहर अल्ताफ मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं.. दुबई जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं आपका और आपकी बेटी फ़ातिमा का ख्याल रखूँ.. यदि तुम्हारा शौहर तुम्हारी इस जरूरत को पूरा करता है.. तो तुम बेशक जा सकती हो.. इस उम्र में ये सब सामान्य बात है। इसे धोखा नहीं कहते हैं.. यह तुम्हारी ज़रूरत है।

राज अंकल ने अपनी बात को जोर देते हुए अम्मी को समझाया था।

अम्मी मन ही मन में अंकल साथ देना चाहती थीं.. पर सीधा कह न सकीं। अंकल भी उसके मन की बात समझ गए और उसे चूमने लगा। धीरे-धीरे अम्मी ने खुद को समर्पित कर दिया था और अब उनका विरोध समाप्त हो चुका था।

मैं खिड़की से झांकते हुए अपनी अम्मी को अपने पापा के दोस्त से चुदते हुए देख रही थी।

उन दोनों ने तकरीबन दस मिनट तक किस किया। अब अम्मी की शर्म खत्म हो गई थी.. वह भी खुल गई थीं और अंकल का भरपूर साथ दे रही थीं।

अंकल उनके गाल के बाद उनके वक्ष स्थल पर चुम्बन करने लगे, इससे वो उत्तेजित हो गईं। वह उनके स्तनों को सहला रहे थे.. और उनके चूचुकों को अपनी उँगलियों से दबा कर मसल रहे थे.. अम्मी पूरी तरह गर्म हो गई थीं।

यह सब देख कर मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी। मेरा हाथ खिड़की पर खड़े हुए ही अपनी सलवार के अन्दर न चाहते हुए भी चला गया था।

उधर अंकल ने अपना हाथ अम्मी के पेट के ऊपर से सहलाते हुए उनकी सलवार में सरका दिया था.. शायद उनका हाथ अम्मी की चूत पर था।
‘आह्ह्ह.. राज..’

अम्मी मचल उठी थीं.. फिर अंकल अम्मी को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गए। उनको बिस्तर पर लेटा कर पीछे से उनकी कुर्ती की डोरियाँ खोलने लगे।
अम्मी ने फिर से थोड़ी ना-नुकुर की..
पर अंकल ने कहा- अब मुझे मत रोको.. जब भी मैं तुम्हारे जिस्म को मज़ा देता हूँ, हर बार तुम ऐसे करती हो कि जैसे मैं पहली बार तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा होऊँ? हर बार तुम ना नुकुर करती हो?
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

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प्यासी अम्मी की चूत पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी.. इसलिए राज अंकल को भी कोई दिक्कत नहीं हुई। पाँच मिनट बाद राज अंकल बिस्तर पर अम्मी के ऊपर जा पहुँचे और अम्मी के पीठ की चुम्मियाँ लेने लगे।

मैं यह सब देख रही थी.. लेकिन मैंने अपनी खिड़की अधखुली कर रखी थी इसलिए अम्मी.. अंकल को कोई शंका नहीं हुई।

राज अंकल धीरे अम्मी के दूध दबाने लगे.. अम्मी के मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गई थीं। राज अंकल ने धीरे से अम्मी की गुलाबी सलवार का इजारबंद खोल दिया और धीरे से कुर्ती भी ऊपर सरका दी। अम्मी अब अधनंगी हो चुकी थीं। उन्होंने अपनी कमर पर एक काली डोरी बांधी हुई थी। राज अंकल के द्वारा अम्मी की चुदाई को देख कर मैं पागल हो रही थी।

राज अंकल ने इतनी जोर से अम्मी के दूध दबाए और चूसे कि अम्मी ‘आ.. आहा.. अआ.. हह्हा..आआह्ह.. धीरे से..’ करने लगीं।

राज अंकल ने धीरे-धीरे अम्मी की सलवार घुटनों तक सरका दी और उनकी काली चड्डी के ऊपर से ही अम्मी के चूतड़ दबाने और चूमने लगे। अम्मी ने करवट बदली और खुद ही अपने जम्पर को उतार कर फेंक दिया। अम्मी अब ब्रा और पैंटी में थीं।

मैंने आज पहली बार अपनी अम्मी का गोरा जिस्म देखा था। ब्रा-पैंटी में वो मुझे उस समय बहुत ही कामुक.. सुन्दर और मासूम लग रही थीं, वे 34 साल की होने के बावजूद इस वक़्त जवान लड़की लग रही थीं।
अंकल अम्मी को अपनी बाँहों में लेकर.. उनके होंठों को चूसने लगे, अब वो भी अंकल का साथ दे रही थीं।

मेरे लिए यह अनुभव जन्नत से कम नहीं था। राज अंकल ने उठकर अम्मी के पाँव सहलाने शुरू कर दिए और उसमें गुदगुदी करने लगे। अम्मी अपना पाँव हटाने लगीं।
वह दोनों किसी प्रेमी जोड़े की तरह एक-दूसरे से खेल रहे थे, उनके अन्दर कोई जल्दबाजी नहीं थी, दोनों एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।


राज अंकल उनकी पायल को चूमने लगे और हाथ से पाँव पर मालिश करने लगे। राज अंकल धीरे से अम्मी की पैंटी की तरफ पहुँचे और उसे उतार कर किनारे रख दी।

उनका लण्ड जो इतना खड़ा हो चुका था कि चड्डी फाड़ रहा था। अंकल पूरे नंगे हुए और अम्मी की टांगें ऊपर करके अपना सात इंच का लण्ड अम्मी की फूली हुई चूत में डाल दिया।
अम्मी सिसकार उठीं- अअह आआ.. आआह.. अहह..हाहा आआहह्ह..हा राज धीरे-धीरे.. फ़ातिमा उठ जाएगी.. अहह्ह..सिइइइ..

अम्मी ने मेरे जाग जाने के डर से अपनी आवाजें बंद कर लीं। राज अंकल धीरे-धीरे चुदाई की गति तेज करने लगे। अम्मी की चूड़ियाँ खन-खन कर रहीं थीं।
अंकल उनको तेज-तेज चोदने लगे।

अम्मी भी अंकल के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थीं.. वैसे ही राज अंकल भी तेज स्पीड में उनकी चूत में धक्के लगा रहे थे। उनका सात इंच का लण्ड अम्मी की चूत में पूरा पेवस्त हो रहा था। अम्मी अपनी टांगें ऊपर किए हुए बिस्तर पर पड़ी लम्बी-लम्बी साँसें भर रहीं थीं।

तकरीबन आधे घंटे तक राज अंकल अम्मी को लण्ड डालकर चोदते रहे.. उसके बाद वे दोनों शांत हो गए। इसी के साथ उनकी पायलों की ‘छुन-छुन’ भी बंद हो गई थी। शायद राज अंकल झड़ चुके थे।

वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।

कुछ देर बाद उन्होंने अम्मी को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। अम्मी ने भी राज अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली ठोकर के सारे वीर्य साफ़ को किया।

राज अंकल अम्मी को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब राज अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने अम्मी को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने अम्मी को कुतिया बना दिया।

‘ऐसे पीछे नहीं राज…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. शाज़िया..’
राज अंकल ने अपना मूसल अम्मी की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी।
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

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मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी अम्मी आज पूरी रंडी बनी हुई थीं।
अम्मी समझ गईं कि अब ये थपकी देने का मतलब है कि उनकी गाण्ड में लौड़े की शंटिंग शुरू होने वाली है। उन्होंने खुद को गाण्ड मराने के लिए तैयार कर लिया था।

राज अंकल ने अम्मी की गाण्ड में शॉट मारा.. ‘आआह्ह्ह.. धीरे-धीरे राज..’
‘बस बस शाज़िया.. हो गया..’
अम्मी के हलक से एक घुटी सी चीख निकली.. राज अंकल का हाहाकारी लण्ड अम्मी की मुनिया की सहेली उनकी गाण्ड में पूरा घुस चुका था।

शाज़िया- प्लीज राज.. धीरे-धीरे दर्द हो रहा है..
अम्मी के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था।
‘क्यों.. क्या अल्ताफ तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता था?’
‘नहीं.. वह गाण्ड मारने के शौक़ीन नहीं हैं.. मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे नहीं मालूम था राज कि तुम्हारा लौड़ा इतना बड़ा है.. आह्ह.. चोदो मुझे और जोर से चोदो..’

राज अंकल अम्मी के ऊपर कुत्ते जैसे चढ़े थे.. अम्मी की गाण्ड पर जैसे ही चोट पड़ती.. उनके दोनों चूचे बड़ी तेजी से हिलते। राज अंकल ने उनके हिलते हुए दुद्धुओं को अपने हाथों से पकड़ लिया.. जैसे राज अंकल ने अम्मी की चूचियों का भुरता बनाने की ठान ली हो।

उनकी गाण्ड को करीब दस मिनट तक ठोकने के बाद वे अम्मी की पीठ से उतरे और फिर उन्होंने अम्मी को चित्त लेटा दिया। अब उन्होंने अम्मी की कमर के नीचे तकिया लगाया और उनके पैर फैला कर उनकी चूत में अपने मूसल जैसे लौड़े को घुसेड़ दिया।

अम्मी भी नीचे से अपनी कमर उठा कर थाप दे रही थीं, अम्मी के मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं थीं- चो..द.. राज.. और..ज्जोर.. स्से..धक्के.. मारर.. मेरेरेरे.. राज्ज्ज्ज..जा !
और फिर वो अचानक शिथिल पड़ गईं.. अम्मी झड़ चुकी थीं।

राज अंकल ने भी तूफानी गति से धक्के मारते हुए उनकी चूत में अपने लण्ड का लावा छोड़ दिया।

उन दोनों की चुदाई देखकर मेरी भी चूत गीली हो गई थी.. मैंने अपनी उंगली से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
मुझे मालूम था कि आज राज अंकल अम्मी को देर तक चोदेंगे.. मैंने महसूस किया था कि जब चुदाई होती है.. तो फिर उन दोनों को.. मेरी तो जैसे सुध ही नहीं रहती है।

राज अंकल का इंजन अभी अम्मी की चूत में शंटिंग कर रहा था। मेरी आँखें मुंदने लगी थीं.. कुछ देर बाद मैं सो गई।

अब तो अंकल और अम्मी के बीच के सभी परदे मेरे सामने खुल चुके थे.. अम्मी भी अपनी पूरी मस्ती से अपनी चूत कि चीथड़े उड़वाने में लग चुकी थीं।
राज अंकल अम्मी को जब चाहते तब चोदते थे। धीरे-धीरे वह दोनों मेरे सामने ही एक कमरे में चले जाते और कई-कई घंटे बाद निकलते थे। मैं भी हमेशा अम्मी और अंकल की चुदास लीला देखती थी रात को जाग जाग कर…

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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

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एक दिन मैं जब सुबह उठी.. तो देखा कि राज अंकल मेरे साथ ही लेटे थे। वह मुझे पूरी तरह से चिपटाए हुए थे।
मैंने अंकल से पूछा- अम्मी कहाँ हैं?
अंकल- वह तो अपने कॉलेज चली गईं।
‘ठीक है.. मैं आपके लिए चाय बना दूँ?’

अंकल ने सिगरेट सुलगाते हुए ‘हाँ’ में सिर हिला दिया था। थोड़ी देर बाद मैं चाय लेकर आ गई थी। अंकल में मुझे पास में बैठने के लिए इशारा किया।
मैं वहीं उनके पास बैठ गई।

‘कल रात को तुम सो रहीं थी या जाग रही थीं?’ अंकल ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए सवाल किया।

अचानक इस तरह के सवाल से मैं सकपका गई थी। अंकल को शायद ये मालूम पड़ गया था कि अम्मी और उनकी चुदाई का मैंने पूरा नजारा देखा है।

‘देखो फ़ातिमा.. मैं तुम्हारा अंकल हूँ.. तुम्हारी अम्मी का ख्याल रखना मेरा फ़र्ज़ है.. तुम बड़ी हो गई हो.. समझदार हो.. इस बात को समझ सकती हो।’
मैंने बिना कोई जवाब दिए अपना सिर शर्म से नीचे झुका लिया था।

‘वैसे कितने साल की हो गई हो तुम?’
‘पिछले महीने में 18 साल की..’ मैंने धीरे से शरमाते हुए जवाब दिया था।
अंकल ने मुझे अपने सीने से लगा लिया- बड़ी हो गई है मेरी बच्ची.. तू फ़िक्र मत कर.. तेरे लिए मैं तेरी अम्मी से बात करता हूँ..

अंकल ने मुझे गले लगाये हुए ही मेरी पीठ पर सहलाते हुए कहा था। मैं किसी मासूम बच्चे की तरह उनसे चिपकी हुई थी।
अंकल ने मुझे अपनी ओर खींचा और अपनी गोद में झटके से खींच लिया.. हम दोनों बिस्तर पर गिर गए।
मैं बुरी तरह घबरा गई.. मैं हल्की सी आवाज में बोली- अंकल प्लीज मुझे जाने दो..
‘कुछ नहीं होगा तुझे मेरी गुड़िया रानी..’

अंकल मेरे कंधों पर किस करने लगे.. मुझे अच्छा लग रहा था.. परन्तु शर्म भी आ रही थी.. क्यूंकि वे मेरे अंकल थे।
मैं छूटने की कोशिश करने लगी.. परन्तु अंकल ने मुझे पीछे से जकड़ रखा था।

अचानक उनका हाथ मुझे अपनी टांगों के बीच महसूस हुआ। अंकल मेरी नन्हीं सी मासूम योनि को मसल रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था.. परन्तु थोड़ा अजीब भी.. क्यूंकि यह सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था।


अंकल ने मुझे मुँह के बल बिस्तर पर लिटा लिया और मेरे ऊपर लेट कर मेरी पीली जालीदार कुर्ती की ज़िप खोल कर मेरी पीठ पर चुम्बन करने लगे। मैं चुपचाप सिसकारियाँ भर रही थी।

अंकल ने मेरे अधखिले उभार मसलने शुरू कर दिए.. मेरे पीछे उभारों पर मुझे उनके लौड़ा का दबाव साफ़ महसूस हो रहा था। नीचे मेरी योनि में कुलबुलाहट सी होने लगी थी। योनि को और साथ में भगांकुर को मसलवाने को मन कर रहा था।

फिर अंकल ने मेरी काली चूड़ीदार पजामी नीचे खिसका दी और मेरी गुलाबी रंग की चड्डी की एक झटके में नीचे खिसका लिया। मुझे शर्म सी महसूस हो रही थी परन्तु आनन्द भरी सनसनाहट में लिपटी.. मैं चुपचाप लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी। मुझे लग रहा था कि मेरी योनि कुछ रीतापन है.. उसे भरने के लिए मैं कुछ अन्दर लेने को मचल रही थी।

मुझे सीधा करके अंकल की अब उंगली आसानी से मेरी गुलाबी चूत में जा रही थी। मैं बहुत जोर से सिसकारियाँ ले रही थी ‘उन्नन्नह्हह.. आअह्हह.. ऊऊह्ह. आहन्न.. आहऊर चूसो..’

फिर राज अंकल ने मेरे छोटे-छोटे चूचों को चूसना छोड़ कर होंठों का किस लेना शुरू कर दिया- तू तो मेरी गुड़िया रही है फ़ातिमा.. मैं तो कब से तेरे पकने का इंतज़ार कर रहा था.. मूआआह्ह्ह..
अंकल ने मुझे चूमते हुए ख़ुशी ज़ाहिर की।
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