सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी complete

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Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

Post by Kamini »


मैं अन्दर ही अन्दर जल रही थी, मैंने वहाँ से निकल कर फिल्म देखने का प्लान बनाया। मुझे सेंट्रल पार्क के पास वाले सिनेमा हाल में जाना था। मैंने एक ऑटो वाले को हाथ दिखाकर ऑटो को रोका- ऑटो वाला, सेंट्रल पार्क चलोगे?
‘नहीं उधर बहुत ट्राफिक रहता है।’
‘निकल मादरचोद यहाँ से, क्या अपनी माँ चुदाने निकला है।’ ऑटो वाला गुस्से से मेरा मुँह देखता हुआ वहाँ से बढ़ गया, कुछ बोला नहीं क्योंकि मैं औरत थी।

मैं वहाँ से मेट्रो के लिए बढ़ गई। कुछ ही देर में मैं मेट्रो के पुरुष बोगी में एक कोने में थी। शाम होने के कारण अन्दर बहुत भीड़ थी। औरत होने का यह फायदा है कि आप पुरुष डब्बे में चढ़ सकती हैं लेकिन पुरुष महिला डब्बे में नहीं चढ़ सकते।

अन्दर बिल्कुल भी जगह नहीं थी पर जगह बनाते हुए कई लोग अन्दर आ गए।
उनमें से एक की नज़र मुझ से मिली, और न जाने क्यों उसने मेरी तरफ बढ़ना शुरू कर दिया। भीड़ को चीरते हुए वह मेरी तरफ अन्दर आता रहा और मेरे पास आकर रुक गया।

मैं उसको पहचान गई थी, यह अभी कुछ देर पहले रेस्टोरेंट में बैठा मुझे घूर रहा था।
एक दूसरा लड़का भी उसके पीछे पीछे जगह बनता हुआ पास में आ गया। पहला लड़का ऊंचा और गोरा था, दूसरा लड़का साधारण ऊँचाई और रंग का था।

दोनों मेरे पास थोड़ी देर तक चुपचाप खड़े रहे। मेट्रो चलती रही और उसके तेज़ मोड़ बार-बार मुझे उस ऊंचे लड़के से टकराने पर मजबूर कर रहे थे।
शायद उस लड़के को मेरे मम्मों के उछाल से समझ में आ गया कि मैंने टी शर्ट के अन्दर ब्रा नहीं पहनी है, वह ध्यान से मेरे सीने की ओर देखने लगा और फिर थोड़ा और आगे बढ़ कर मेरे और करीब आ गया।

अब तो मेरी नाक उसकी छाती से टकरा रही थी। अगली बार जब ट्रेन का धक्का लगा, तो मैं करीब करीब उसके ऊपर गिर ही पड़ी। संभलने में मेरी मदद करते हुए उसने मेरे दोनों चूचियों को पूरी तरह जकड़ लिया।

इतनी भीड़ थी और हम इतने करीब थे कि मेरे सीने पर उसके हाथ और मेरी चूचियों का बेदर्दी से मसलना कोई और नहीं देख सकता था। मेरे सारे शरीर में करेंट दौड़ गया, अपनी चुत में मुझे अचानक तेज़ गर्मी महसूस होने लगी। इतना सुख महसूस हो रहा था कि दर्द होने के बावजूद मैंने उसे रोका नहीं।

भरे डब्बे में मैं अपनी चूचियां मसलवा रही थी, मुझे सुख की असीम अनुभूति हो रही थी, मेरी सिसकारियां अन्दर ही अन्दर घुट रहीं थीं।
बस फिर क्या था, उसकी समझ में आ गया कि मैं कुछ नहीं बोलूंगी। फिर तो वह और भी पास आ गया और मेरे मम्मे सहलाने लगा। मेरी चूचियाँ तन कर खड़ी हो गई थी, वह उनको मरोड़ता और सहलाता।

मेरी आँखें बंद होने लगी, मैं तो स्वर्ग में थी!

तभी मुझे एहसास हुआ कि पीछे से भी एक हाथ आ गया है जो मेरे मम्मे दबा रहा है। दूसरा लड़का मेरे पीछे आकर सट कर खड़ा हो गया था, उसका लंड खड़ा था और मेरी गांड से टकरा रहा था।

अब मैं उस दोनों के बीच में सैंडविच हो गई थी, दोनों बहुत ही करीब खड़े थे और मुझे घेर रखा था। इतने में पहले लड़के ने अपना हाथ नीचे से मेरी टी-शर्ट में डाल दिया। उसका हाथ मेरे नंगे बदन पर चलता हुआ मेरे मम्मों के तरफ बढ़ने लगा।

मेरी सांस रुकने लगी, मन कर रहा था कि खींच कर अपनी टीशर्ट उतार दूँ और उसके दोनों हाथ अपने नंगे सीने पर रख लूँ।
आखिर उसके हाथ मेरी नंगी चूचियों तक पहुँच ही गए। अब तो मेरी वासना बेकाबू हुए जा रही थी।

पीछे खड़े हुए लड़के ने भी अपना हाथ मेरी टीशर्ट के अन्दर डाल दिया। अब तो मैं सैंडविच बन कर खड़ी थी, मेरे एक मम्मे पर पीछे वाले का हाथ था, और दूसरे को आगे वाले ने दबोच रखा था।

तभी आगे वाले लड़के ने अपना मुँह मेरे कान के पास ला कर कहा- मजा आ रहा है न?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, मुँह में ज़ुबान ही नहीं थी।

उसने फुसफुसा के कहा- मैडम। थोड़ी टाँगें फैला दे तो और भी मजा दूंगा।

मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा लेकिन वासना की आग इतनी तेज़ जल चुकी थी कि अपने को रोक न पाई, बिना कुछ कहे मैंने अपने टाँगें थोड़ी फैला दी, उसने अपना एक हाथ मेरे मम्मे पर रखा और दूसरा मेरी जीन्स में घुसा दिया। उसकी उंगलियाँ मेरी कोमल नर्म चुत तक पहुँच गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

जैसे ही उसके हाथ मेरी चुत के हल्के बालों से टकराए, वह चौंक गया, फिर अपने दोस्त से फुसफुसा कर बोला- साली ने पेंटी भी नहीं पहनी है। यह तो चुदने के लिए मेल कम्पार्टमेंट में चढ़ी है।

फिर अपनी उंगलियों से मेरी चुत की फांकें अलग करके उसने एक उंगली मेरी गीली चुत में घुसानी चाही, लेकिन उसको रास्ता नहीं मिला।
अब वह दुबारा चौंका और मुझसे ऐसी आवाज़ में बोला कि बस मैं और उसका दोस्त ही सुन सकते थे- मैडम, इतनी बेताब हो चुदने के लिए लेकिन अभी यहाँ पॉसिबल नहीं होगा, चलो अगले स्टेशन पर उतर जाते हैं।
मैं कसमसाई लेकिन कुछ नहीं बोली।

‘अगर तुम चाहो तो हम तुम्हारी चुत को ठंडा कर देते हैं। उसके बाद तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते?’ उसके दोस्त ने मेरी चूची को नोच कर मेरे दूसरे कान में मदहोश करने वाले तरीके से फुसफुसा के कहा- छुआ छुई में जो मजा है, रानी, असली चुदाई में उससे कहीं ज्यादा मजा आएगा। और हम तुझे चोदेंगे भी बहुत प्यार से… तीनों मिल के मौज करेंगे और फिर तुझे हिफाज़त से छोड़ देंगे।
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Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

Post by Kamini »

rangila wrote: 27 Jul 2017 11:07sexi update
Ankit wrote: 27 Jul 2017 11:31superb update


thank you sooooooooooo much
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Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

Post by Kamini »

पता नहीं तब तक मेरी बुद्धि कहाँ जा चुकी थी, मेरी चुत से नदी बह रही थी, मम्मे और चूचियाँ बुरी तरह दुःख रहे थे लेकिन उनका मीठा मीठा दर्द मेरे शरीर में आग लगा रहा था, मैंने धीरे से पूछा- कहाँ और कैसे?

बस, फिर क्या था, दोनों की आँखों में चमक आ गई।

लम्बे कद वाला लड़का बोला- अंसल प्लाज़ा उतर जाते हैं। उसके पार्क में कोई नहीं आता। उसका कैम्पस बड़ा है, और वहाँ काफी जंगल है। मुझे एक दो जगह मालूम हैं, वहाँ कहीं अपना काम बन जाएगा।

अंसल प्लाजा तो अगला ही स्टॉप था!
सोचने या संभलने का मौका मिले, इससे पहले ही मैं उनके साथ मेट्रो से उतर चुकी थी।

जैसे ही मैं उन दोनों के साथ स्टेशन से बाहर निकली, मुझे थोड़ा होश आया। यह मैं क्या कर रही थी? पर तब तक लम्बा लड़का एक ऑटो रोक चुका था और हम तीनों उस ऑटो में सवार हो गए।
उसने ऑटो वाले को रास्ता बताया।

मेरी किस्मत खराब भी या पता नहीं अच्छी थी, यह वही ऑटो वाला था जिसकी मैंने कुछ देर पहले गालियाँ देते हुए माँ बहन एक की थी।
इतने में दूसरे लड़के ने मुझे बीच में बैठा कर मेरा बैग मेरे घुटनों पर रख दिया। इस तरह ऑटो वाले की निगाह बचा कर उसने फिर मेरे मम्मे और चूचियाँ मसलने शुरू कर दिए। मेरे बदन में फिर से गर्मी आने लगी।

पर तब तक डर भी लगने लगा था, मैं एक शादीशुदा जवान औरत एक नहीं, दो बिल्कुल अनजाने मर्दों से चुदने जा रही थी, मुझे तो यह भी पता नहीं था कि ये कंडोम इस्तेमाल करेंगे या नहीं।

ऑटो चले जा रहा था और रास्ता सुनसान हो गया था, सड़क पतली थी। आखिर हिम्मत जुटा कर मैंने लम्बे लड़के से फुसफुसा के कहा- आज नहीं करते, कभी और करवा लूँगी, आज जाने दो।

उसने बोला- ऐसा मत बोल रानी, आज बात बन रही है, इसे तोड़ मत, इतना आगे आकर पीछे मत हट। हम दोनों दोस्त मिलकर तुझे बहुत प्यार से चोदेंगे।
मैंने कहा- देखो मैंने पहले कभी नहीं किया है, मेरे साथ ऐसा मत करो, मुझे जाने दो, शादीशुदा औरत हूँ।

हमारी बातों से ऑटो ड्राईवर को शायद शक हो गया, अचानक ऑटो किनारे पर रोक कर बोला- तुम लोग इस मैडम को जानते हो?

मुझे आशा बंधी कि ऑटो ड्राईवर के होते ये लड़के मेरे साथ कुछ नहीं कर सकते, मैंने कहा- हम मेट्रो में मिले थे और ये मुझे बेवक़ूफ़ बना कर यहाँ लाये हैं। कृपया मुझे वापस ले चलिए।

‘अरे! आप तो वही मैडम हो, जो अभी कुछ देर पहले ही हमको ज़बरदस्त गरियाई थीं?’
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, आखें झुका लीं।

मैं अपनी गलती से फंस चुकी थीं। अब मुझे बस इतना लग रहा था कि इनको जो भी करना है फटाफट हो जाए ताकि मैं इस मुसीबत से निकलूं।

दूसरा लड़का बोला- चुप साली! मेट्रो में तो टांगें चौड़ी कर रही थी, मम्मे दबवा रही थी और चुदने को रजामंद होकर हमारे साथ यहाँ आई, और अब बात से फिरती है?

फिर ऑटो ड्राईवर से बोला- देख चुपचाप चला चल, इसकी चुत तो आज हम फाड़ेंगे ही, चाहे कुछ भी हो जाए। अगर तू बीच में पड़ेगा तो पिटेगा, अगर साथ देगा तो तू भी इसकी ले लेना।

‘तुम भैया फिकर मत करो, बहुत गालियाँ दे रही थी। मुझे शक था रंडी ही होगी। फिकर मत करो, ऐसी जगह ले चलेंगे कि पूरी रात भी इसको चोदोगे तो कोई नहीं आएगा वहाँ!’
इस पर वे दोनों जोर जोर से हंस पड़े।

ऑटो ड्राईवर बोला- साली बहुत गालियाँ दे रही थी, मुझे पहले ही शक था कि ये रंडी होगी, फिक्र ना करो, इसे ऐसी जगह ले चलेंगे कि पूरी रात इसकी चूत गांड चुदाई करेंगे और कोई नहीं आयेगा वहाँ!
इस पर वे दोनों जोर जोर से हंस पड़े।

उसने मेरा बैग हटा दिया और मेरी टी-शर्ट पूरी तरह ऊपर कर दी। दूसरे लड़के ने मेरी जीन्स का बटन खोलकर ज़िप खोल दी। मैं उन दोनों के बीच में थी, एक मेरी चुत को मसल रहा था और एक मेरी चूचियाँ चूस रहा था।
ऑटो ड्राईवर के भूखी निगाहें मेरे सीने पर गड़ गईं।

लम्बे लड़के ने उसके सामने मेरे मम्मे मसलने शुरू कर दिए। ऑटो ड्राईवर ने हाथ बढ़ा कर मेरे नंगे सीने को टटोला, मेरी चूचियाँ खींची और फिर दांत दिखा के बोला- क्या माल लाये हो! किराया भी मत देना।
‘भोसड़ी के, ऑटो चला पहले, एक्सीडेंट हो गया तो सबकी मां चुद जाएगी।’

ऑटो वाले ने खिसिया कर अंसल प्लाज़ा के पार्क में ऑटो घुसेड़ दिया। बस, फिर तो मैं समझ गई कि आज चुत खाली खुलेगी ही नहीं, चौड़ी भी होगी।

पार्क में कोई सिक्यूरिटी नहीं थी, ऑटो अन्दर चल पड़ा और थोड़ी देर में एक कच्चे रास्ते पर उतर गया।
थोड़ी देर के बाद ऑटो को रोक कर तीनों उतर गए और मुझे भी उतरने के लिए कहा।
मैं डर रही थी लेकिन चुदने का समय आता देख कर मेरे मन में रोमांच पैदा होने लगा।

‘प्लीज मुझे जाने दो, मैं एक शादीशुदा बच्चों वाली औरत हूँ।’ पर दिखावे के लिए मैंने उनको गिड़गिड़ाते हुए मना भी किया लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
लम्बा लड़का बोला- देख, खड़े लंड पर लात मत मार, चुपचाप चुदवा ले तो प्यार से चोदेंगे, खूब मजा देंगे तुझे!

दूसरा लड़का बोला- सुभाष, इसका उद्घाटन मैं करूंगा!
तो लम्बा लड़का बोला- नहीं रे, इस घरेलू हाउस वाइफ को पहले मैं चोदूंगा। मैंने इसे पटाया था, इसकी चुत की चुदाई मैं पहले करूँगा।’
यह कह कर सुभाष ने मेरी जीन्स खींच के उतार दी, मेरे चूतड़ मोटे हैं, जीन्स मेरी जांघ पर फंसी हुई थी, वो मेरे गोरे बड़े बड़े चूतड़ों को सहला रहे थे।

ऑटो ड्राईवर बोला- बाबा रे बाबा, पेंटी भी नहीं पहनी है। तुम लोग ठीक कह रहे थे, यह साली शरीफ घरेलू औरत बोलती है पर रंडी है।

फिर वे मुझे पेड़ों के बीच एक झुरमुट में ले गए- चल यहाँ सूखे पत्तों पर फटाफट लेट जा!
एक झटके में उन्होंने मुझे ज़मीन पर लिटा दिया।

तीनों अपने कपड़े उतारने लगे और मुझे पर टूट पड़े, मेरे मम्मों को नोचने लगे, अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में घुसाने लगे और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी चुत चाटने लगे।

‘साली तेरी चुत तो इतनी गीली है और बोल रही है कि चुदवाना नहीं चाहती। इसमें मेरा लंड ऐसा जायेगा जैसे मक्खन में छुरी! आज तो तुझे ऐसा चोदूँगा रांड कि तेरी सारी प्यास बुझ जायेगी।’

मुझे मजा आ रहा था, डर लग रहा था और सचमुच में आज कई महीनों के बाद मेरी सामूहिक चुदाई होगी, इस ख्याल से मेरे दिल में रोमांच भी हो रहा था।
एक साथ तीन मर्द मेरे शरीर को आज बेरहमी से इस्तेमाल करने वाले थे। मैंने कई बार उंगली चुत में घुसाने की कोशिश की थी, लेकिन इतना दर्द होता था कि आगे बढ़ नहीं पाती थी, अपने हाथ से चुत को ठंडा करना मुश्किल है, पर ये लड़के तो बिना घुसाए मानेंगें नहीं। आज तो यह होना ही था।

‘जीन्स पूरी निकाल दे डार्लिंग, जितना सपोर्ट करेगी उतना मजा लेगी। वैसे नाम क्या है तेरा?’ उसने मेरी जीन्स खींचते हुए पूछा।
‘जी पूजा!’ मैंने झूट बोला। मैं यही सब सोच रही थी कि जितनी जल्दी सब हो जाए उतनी जल्दी जान छूटे मेरी।

‘पूजा, पैर ऊपर करके खोल, डर मत बहुत आराम से डालूँगा।’

अचानक मैंने महसूस किया कि सुभाष ने अपने लंड का सुपारा मेरी चुत पर रख दिया और धीरे धीरे थूक लगाकर धक्का लगाना शुरू कर दिया था।
‘आआईईई ई…ई… अम्मा मेरी मैं तो मरी…आह्हह हह्हह…’

वह मेरे ऊपर लेटा हुआ था उसकालंड मेरी चुत में गहराई तक उतर गया था और मेरी टांगें जितनी फैल सकती थी, फैला रखी थी।
मैं अभी इस बात को समझ ही रही थी कि दूसरे लड़के ने अपना लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अन्दर बाहर करने लगा।
सुभाष ने लंड पर जोर डालना शुरू कर दिया था।

‘आहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… दर्द हो रहा है… प्लीज जाने दो न…’ मुझे दर्द होने लगा, जैसे कोई डण्डा अन्दर जा रहा हो मुंह में से लंड बाहर निकाल कर मैंने कहा।
‘कुछ नहीं होगा मेरी रानी, तू तो शादीशुदा है। इतनी सेक्सी बनकर निकलेगी तो कोई भी समझ जायेगा कि तू पति से खुश नहीं है।’
सुभाष हांफते हुए जोर डालता रहा और धीरे धीरे उसका लंड मेरी चुत के अन्दर जाने लगा। हर थोड़ी देर में वो कुछ सेकंड को रुक कर पीछे खींचता और फिर आगे दबाता।

ऐसा लगा जैसे यह अनंत काल तक चला हो… सुभाष का लंड अब मेरी चुत में जड़ तक घुस चुका था।
एक मिनट रुक के सुभाष ने धक्के लगाने शुरू कर दिए, अब भी दर्द से बुरा हाल था लेकिन उसके धक्के तेज़ होने लगे। मेरी चुत थोड़ी ढीली हुई तो सुभाष ने धक्के लम्बे कर दिए। उधर उसका दोस्त ताबड़तोड़ मेरे मुँह को चोद रहा था।
ऑटो वाला मेरे मम्मे और चूचियाँ मसलने में मस्त था।
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