लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- VKG
- Novice User
- Posts: 245
- Joined: 19 Jun 2017 21:39
-
- Novice User
- Posts: 683
- Joined: 20 Jun 2015 16:11
- Kamini
- Novice User
- Posts: 2112
- Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
mast update
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
thanks mitro
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
रास्ते में ही आशा दीदी मिल गयी जो अपने खेतों की तरफ जा रही थी, मेने पूछा कि कहाँ जा रही हो, तो उसने कहा – माँ-बापू को खाना देने जा रही हूँ..
तुम कहाँ जा रहे हो..
मेने कहा - रेखा दीदी ने बुलाया है किसी काम से.. मेरी बात सुनकर, वो अपनी बड़ी – 2 आँखें मटकाते हुए बोली – रेखा दीदी को तुमसे ऐसा क्या काम पड़ गया..?
मेने कहा – एक काम करो जल्दी लौट के आ जाओ, खुद ही देख लेना और ये कहकर मेने अपनी एक आँख दबा दी..
वो सब समझ गयी.. और बोली – बेस्ट ऑफ लक… लेकिन मेरे लिए थोड़ा बचा के रखना …अपना… परसाद… और हँसती हुई तेज तेज कदमों से खेतों की तरफ चली गयी…
उनके घर पहुँचने तक रेखा दीदी ने अपने बच्चे को दूध पिलाकर सुला दिया था,
अब वो उसे गाय या भैंस का ही दूध देती थी…अपना दूध पिलाना तो उसने कब का बंद कर दिया था..
मे जैसे ही उसके घर पहुँचा तो, झट से उसने दरवाजा बंद कर दिया.. और मुझे हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगी…
मेने कहा – दीदी तुम चलो कमरे में, मे टाय्लेट कर के बस एक मिनिट में आया..
उसके जाते ही मेने दवाजे की संकाल खोल दी और ऐसे ही उसे भिड़ा रहने दिया…
मे जब उसके कमरे में पहुँचा तो वो अपनी साड़ी उतार चुकी थी… खाली ब्लाउज और पेटिकोट में उसके कसे हुए पपीते जैसे गोल बड़े-बड़े चुचे आधे बाहर को उबले पड़ रहे थे…
मेने जाकर उसके उन दोनो पपीतों को पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया… उसके मुँह से अहह… निकल गयी….
वो नीचे ब्रा नही पहने थी, सो चुचियों को मसल्ते ही उसके निपल ब्लाउज के अंदर से ही खड़े होकर सल्यूट मारने लगे…
मेने उसके निप्प्लो को मसल्ते हुए उसके होंठों पर किस किया और बोला… दीदी !
तुम्हारे ये कलमी आम तो एक दम पक गये हैं… जी करता है चूस-चूस कर खा जाउ…
तो खा ना भेन्चोद… देखता क्या है… मे कब्से तुझे खिलाने के लिए कह रही हूँ…
पर तू तो कहीं और ही मुँह मारता फिरता है… सीईईईईईईईईई…. धीरे मरोड़.. ना..भोसड़ी के तोड़ेगा क्या मेरी घुंडीयों को…
मेने चटक-चटक कर के उसके ब्लाउज के सारे बटन तोड़ दिए.. और उसके नंगे कलमी आमों पर पिल पड़ा….
वो बुरी तरह से सीसीयाने लगी…. हाईए….. खाजा मेरे रजाआ… भेन्चोद… चुसले इनको…. आईईई… मदर्चोद…. काटता क्यो है… चुतिये…
उसके मुँह से गालियाँ सुन कर मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी… मेरा एक हाथ उसकी चूत को सहला रहा था…
उसने भी मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में ले रखा था, और वो उसे मसल और मरोड़ देती…
फिर मेने उसके पेटिकोट का नाडा भी खींचकर तोड़ दिया…
वो शिकायत भरे लहजे में बोली – तू मेरे कपड़े साबित नही छोड़ेगा लगता है..
उसकी पेंटी गीली हो गयी थी… और माल पुआ जैसी चूत पेंटी के ऊपर से ही फूली हुई दिख रही थी…
उसकी चौड़ी दरार देखते ही मेने उसकी माल पुआ जैसी चूत को अपनी मुट्ठी में भर कर ज़ोर से मसल दिया…
आईईईई…………आराम सीई…..भेन के लौडे… ये तेरी बेहन की चूत है… किसी रंडी की नही जो बुरी तरह से दबोचने में लगा है….
मेने कहा – दीदी… तू अगर अपनी पेंटी को बचाना चाहती है.. तो इसे जलादी से उतार दे…,
वो बोली – तू तो अभी सारे कपड़े पहना है.. और मुझे पूरा नंगा कर दिया..
ये कह कर उसने मेरी टीशर्ट निकाल दी, और लोवर को भी खींच दिया… अपनी पेंटी को उतार कर वो मेरे लंड को मुट्ठी में भरके बोली –
अहह…. क्या मोटा तगड़ा मस्त लंड है तेरा….
तेरे इस मस्त लंड से चुदने के लिए मेरी चूत कब्से फड़-फडा रही थी… अब इसको अपनी चूत में अंदर तक लूँगी….हुउऊंम्म…
आअहह….ये सोचकर ही मेरी चूत पनिया गयी रीई… देख तो कितना रस छोड़ रही है हाईए …ये कहकर वो मेरे लंड को मसल्ते हुए मूठ मारने लगी…
मेने एक हाथ से उसके एक पपीते को दबा दिया, दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ उसकी रसीली चूत में पेल दी, और अंदर-बाहर कर के उसे चोदने लगा…
वो हाए-2 कर के अपनी कमर चलाने लगी…
फिर मेने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत से बाहर निकाली और उसके मुँह में डाल दी… वो अपने ही चूतरस को चटकारे लेकर चाटने लगी…
तुम कहाँ जा रहे हो..
मेने कहा - रेखा दीदी ने बुलाया है किसी काम से.. मेरी बात सुनकर, वो अपनी बड़ी – 2 आँखें मटकाते हुए बोली – रेखा दीदी को तुमसे ऐसा क्या काम पड़ गया..?
मेने कहा – एक काम करो जल्दी लौट के आ जाओ, खुद ही देख लेना और ये कहकर मेने अपनी एक आँख दबा दी..
वो सब समझ गयी.. और बोली – बेस्ट ऑफ लक… लेकिन मेरे लिए थोड़ा बचा के रखना …अपना… परसाद… और हँसती हुई तेज तेज कदमों से खेतों की तरफ चली गयी…
उनके घर पहुँचने तक रेखा दीदी ने अपने बच्चे को दूध पिलाकर सुला दिया था,
अब वो उसे गाय या भैंस का ही दूध देती थी…अपना दूध पिलाना तो उसने कब का बंद कर दिया था..
मे जैसे ही उसके घर पहुँचा तो, झट से उसने दरवाजा बंद कर दिया.. और मुझे हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगी…
मेने कहा – दीदी तुम चलो कमरे में, मे टाय्लेट कर के बस एक मिनिट में आया..
उसके जाते ही मेने दवाजे की संकाल खोल दी और ऐसे ही उसे भिड़ा रहने दिया…
मे जब उसके कमरे में पहुँचा तो वो अपनी साड़ी उतार चुकी थी… खाली ब्लाउज और पेटिकोट में उसके कसे हुए पपीते जैसे गोल बड़े-बड़े चुचे आधे बाहर को उबले पड़ रहे थे…
मेने जाकर उसके उन दोनो पपीतों को पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया… उसके मुँह से अहह… निकल गयी….
वो नीचे ब्रा नही पहने थी, सो चुचियों को मसल्ते ही उसके निपल ब्लाउज के अंदर से ही खड़े होकर सल्यूट मारने लगे…
मेने उसके निप्प्लो को मसल्ते हुए उसके होंठों पर किस किया और बोला… दीदी !
तुम्हारे ये कलमी आम तो एक दम पक गये हैं… जी करता है चूस-चूस कर खा जाउ…
तो खा ना भेन्चोद… देखता क्या है… मे कब्से तुझे खिलाने के लिए कह रही हूँ…
पर तू तो कहीं और ही मुँह मारता फिरता है… सीईईईईईईईईई…. धीरे मरोड़.. ना..भोसड़ी के तोड़ेगा क्या मेरी घुंडीयों को…
मेने चटक-चटक कर के उसके ब्लाउज के सारे बटन तोड़ दिए.. और उसके नंगे कलमी आमों पर पिल पड़ा….
वो बुरी तरह से सीसीयाने लगी…. हाईए….. खाजा मेरे रजाआ… भेन्चोद… चुसले इनको…. आईईई… मदर्चोद…. काटता क्यो है… चुतिये…
उसके मुँह से गालियाँ सुन कर मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी… मेरा एक हाथ उसकी चूत को सहला रहा था…
उसने भी मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में ले रखा था, और वो उसे मसल और मरोड़ देती…
फिर मेने उसके पेटिकोट का नाडा भी खींचकर तोड़ दिया…
वो शिकायत भरे लहजे में बोली – तू मेरे कपड़े साबित नही छोड़ेगा लगता है..
उसकी पेंटी गीली हो गयी थी… और माल पुआ जैसी चूत पेंटी के ऊपर से ही फूली हुई दिख रही थी…
उसकी चौड़ी दरार देखते ही मेने उसकी माल पुआ जैसी चूत को अपनी मुट्ठी में भर कर ज़ोर से मसल दिया…
आईईईई…………आराम सीई…..भेन के लौडे… ये तेरी बेहन की चूत है… किसी रंडी की नही जो बुरी तरह से दबोचने में लगा है….
मेने कहा – दीदी… तू अगर अपनी पेंटी को बचाना चाहती है.. तो इसे जलादी से उतार दे…,
वो बोली – तू तो अभी सारे कपड़े पहना है.. और मुझे पूरा नंगा कर दिया..
ये कह कर उसने मेरी टीशर्ट निकाल दी, और लोवर को भी खींच दिया… अपनी पेंटी को उतार कर वो मेरे लंड को मुट्ठी में भरके बोली –
अहह…. क्या मोटा तगड़ा मस्त लंड है तेरा….
तेरे इस मस्त लंड से चुदने के लिए मेरी चूत कब्से फड़-फडा रही थी… अब इसको अपनी चूत में अंदर तक लूँगी….हुउऊंम्म…
आअहह….ये सोचकर ही मेरी चूत पनिया गयी रीई… देख तो कितना रस छोड़ रही है हाईए …ये कहकर वो मेरे लंड को मसल्ते हुए मूठ मारने लगी…
मेने एक हाथ से उसके एक पपीते को दबा दिया, दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ उसकी रसीली चूत में पेल दी, और अंदर-बाहर कर के उसे चोदने लगा…
वो हाए-2 कर के अपनी कमर चलाने लगी…
फिर मेने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत से बाहर निकाली और उसके मुँह में डाल दी… वो अपने ही चूतरस को चटकारे लेकर चाटने लगी…