लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

Post Reply
User avatar
Smoothdad
Novice User
Posts: 914
Joined: 14 Mar 2016 08:45

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Smoothdad »

Shaandaar updates aise hi likhte raho
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

मे मुँह फाडे उसे देखता ही रह गया…फिर मेने थोड़ा सम्भल कर कहा… लेकिन मे तो तुम्हें प्यार नही करता…! मेरी दोस्ती को तुमने प्यार समझ लिया…!

वो – तो करो ना मुझे प्यार… क्या कमी है मुझमें… यहाँ कॉलेज ही नही पूरे टाउन में कितने सारे लड़के हैं, जो मुझे पाना चाहते हैं…

मे किसी और से प्यार करता हूँ… और उसे ही जिंदगी भर करता रहूँगा.. सो प्लीज़ ये सब बातें यहीं ख़तम करो और मुझे पढ़ने दो….!

वो – तो मे कॉन्सा तुम्हें जीवन भर प्यार करने के लिए कह रही हूँ, बस एक बार मुझे जी भरके अपना प्यार दे दो, उसके बाद मे तुम्हें कभी परेशान नही करूँगी… प्रॉमिस !

मे – तो ये कहो ना कि तुम मेरे साथ सेक्स करना चाहती हो…

वो – हां ! प्लीज़ अंकुश बस एक बार … देखो मान जाओ…

मे – नही मे ये नही कर सकता, प्लीज़ तुम मेरा पीछा छोड़ो…

वो – मान जा ना यार ! क्यों ज़्यादा भाव खा रहा है…

मेने कहा – मे यहाँ सिर्फ़ पढ़ने आता हूँ, ना कि इश्क फरमाने, तू जाके किसी और का दामन पकड़..

वो – लगता है, तू ऐसे नही मानेगा, तेरी अकल ठिकाने पर लानी ही पड़ेगी, उस दिन अपने भाई से बचाकर मेने भूल करदी, अब देख मे तेरा क्या हाल करवाती हूँ…

मे - जा तुझे जो अच्छा लगे वो कर, और मेरा पीछा छोड़..

इतना कह कर मे वहाँ से उठ कर बाहर चला आया, और बाइक उठाकर सीधा अपने घर का रास्ता नाप लिया…
मे अपने रूटिन के हिसाब से सुबह-सुबह अपने आँगन में कसरत और एक्सर्साइज़ कर रहा था…

वैसे तो घर में इस वक़्त तक केवल मोहिनी भाभी ही जाग पाती थी..

लेकिन आज पता नही कामिनी भाभी कैसे जल्दी उठ गयी और वो अपने कमरे से बाहर आई.. मुझे कसरत करते देख.. वो वहाँ आकर खड़ी हो गयी..

मेरा कसरती बदन देख कर वो मानो सम्मोहित सी हो गयी.. और मेरे पास आकर मेरे नंगे बदन को दबा-दबा कर देखने लगी….!

कभी बाजुओं को तो कभी कंधों को, या कभी मेरे सीने को टटोलकर देख रही थी…

मेने हँसकर कहा… क्या देख रही हो भाभी..?

वो – बिना जिम के आपका शरीर कितना मस्त फिट है.. कैसे..?

मे – अपनी देसी जिम है ना इससे, देख रही हो ना.. जो मे कर रहा हूँ.., अब यहाँ जिम तो है नही….देसी डंड ही पेलने पड़ते है…!

कुछ देर और देख-दाख के वो चली गयी… मे फिरसे अपने एक्सर्साइज़ में जुट गया.

अगले दो-तीन दिन रागिनी मुझे कॉलेज में दिखाई नही दी…मुझे कुछ गड़बड़ी की आशंका हो रही थी…

चौथे दिन मे जैसे ही कॉलेज से घर जाने को निकला… रागिनी का भाई आपने गुंडे साथियों को लेकर आ धमका….

सोनू मेरे पीछे बैठा था.. उन्होने मेरी बुलेट रुकवाई.. और गाली गलौच करने लगा… सोनू ने बीच में बोलना चाहा.. तो मेने उसे चुप रहने को बोला…

मे मामले को ज़्यादा तूल नही देना चाहता था.. लेकिन वो मुझसे उलझने के इरादे से ही आया था.. तो थोड़े से वार्तालाप के बाद ही उसने मेरे साथ मार-पीट शुरू कर दी…

सोनू भाई..ने बीच बिचाव करने की कोशिश की तो उन्होने उसको भी दो-चार थप्पड़ जड़ दिए..

उन्होने मुझे बहुत मारा.. होककी स्टिक से मेरा सर भी फोड़े दिया… लेकिन मेने अपना हाथ नही उठाया… देखने वालों की भीड़ जमा हो गयी…

फिर प्रिन्सिपल ने आकर मुझे बचाया… और मेरा फर्स्ट एड करवा कर घर भेज दिया..

चौपाल पर ही बाबूजी ने जब मेरे सर पर पट्टियाँ देखी… मेरे मुँह पर भी चोटों के निशान थे.. तो वो घबरा गये.. और उन्होने पूछ-ताच्छ की..

सोनू भैया ने उन्हें सारी बात बता दी.. उन्हें बहुत गुस्सा आया… सारे परिवार के लोग जमा हो चुके थे…

बाबूजी ने गुस्से में आकर भाभी से कहा – बहू अभी के अभी तुम कृष्णा को फोन लगाओ… उस ठाकुर की इतनी हिम्मत बढ़ गयी.. कि किसी के साथ भी कुछ भी करेगा…

मेने बाबूजी को समझाया… कि खमोखा बात को बढ़ाने से कोई फ़ायदा नही है..
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

सब ठीक हो जाएगा… अगर आगे कुछ और बात बढ़ती है तब देखा जाएगा..

कुछ देर समझाने के बाद वो मेरी बात मान गये,.. जब में घर के अंदर पहुँचा.. तो भाभी ने मुझे आड़े हाथों लिया, और चटाक से एक चान्टा मेरे गाल पर जड़ दिया…

क्योंकि सोनू ने बता दिया था कि मेने अपना हाथ नही उठाया था, इतना सब होने के बाद भी.., ये सुन कर उन्हें बड़ा दुख हुआ, और वो मेरे ऊपर भड़क गयी…

वो गुस्से से बोली – मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी लल्ला… तुमने आज मेरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया..

मे – क्यों भाभी ? ऐसा क्यों कह रही हो..?

वो – मेने तुम्हें इसी दिन के लिए खिलाया-पिलाया था, … तुम्हारी देखभाल के.. कि तुम नामर्दों की तरह पिट-पिटा के घर लोटो…

मे जानती हूँ, अगर तुम चाहते तो उन हरामजादो को उनकी औकात दिखा सकते थे…लेकिन तुम तो खुद ही फूट-फाट कर चले आए…!

मे – मुझे माफ़ करदो भाभी…! आप ही ने तो मुझे शालीनता का पाठ पढ़ाया है, और आप ही मुझे मार-पीट करने को बोल रही हो..

वो – शालीनता का मतलव ये नही होता लल्ला… कि कोई तुम्हें मारता रहे.. और तुम चुप-चाप पिटते रहो… अपराध को सहन करना भी अपराध ही होता है… वादा करो.. आइन्दा ये नौबत नही आएगी.

मेने उन्हें वादा किया कि ऐसा से आगे कभी नही होगा… तो उन्होने मुझे लाड से अपने सीने से लगा लिया और मेरी तीमारदारी में जुट गयीं..

मे दो दिन कॉलेज नही गया… क्योंकि सर की चोट थोड़ा गहरी थी, बदन पर भी चोटों की वजह से दर्द सा था..

तीसरे दिन जब मे कॉलेज पहुँचा.. तो मुझे देखकर रागिनी मेरा मज़ाक उड़ाने लगी.. और मुझे सुना सुनकर अपनी सहेलिओं से कहने लगी…

क्यों री तुम लोग तो इसे हीरो समझ रही थी.. ये देखो इस चूहे की क्या गत बना दी मेरे भाई ने…

उसकी सहेलियों ने कुछ नही कहा.. वो चुप-चाप उसकी बकवास सुनती रही.. फिर वो आगे बोली –
कुछ लोगों को अपने ऊपर बड़ा गुमान हो जाता है.. और अपने आप को पता नही क्या समझने लगते हैं..!

मुझसे अब और बर्दास्त नही हुआ.. और उसके सामने खड़े होकर बोला – ये मेरी शालीनता की इंतेहा थी… जो अब ख़तम हो गयी…

अब तू अपने उस मवाली भाई से बोल देना, भूल से भी मेरे सामने ना पड़े.. वरना हॉस्पिटल में पड़ा अपनी हड्डियों की गिनती करता नज़र आएगा…!

और तू, साली छिनाल…, क्या कह रही थी, कि तेरे अलावा कोई और मुझसे प्यार करेगी उसका खून पी जाएगी..हां ! यही औकात है तुम लोगों की…दूसरों का खून पीना तुम लोगों की आदत जो है..

मेरी बातें सुनकर वहाँ खड़े सभी लोग अचंभे में पड़ गये… क्यों की उनको सच्चाई का अंदाज़ा ही नही था अब तक…!

रागिनी भुन-भुनाकर वहाँ से चली गयी अपने घर.., सब लोग आपस में ख़ुसर पुसर करने लगे.. उन्हें रागिनी से इतनी ओछि हरकत की उम्मीद नही थी.

लेकिन अब सबको लग रहा था.. कि आने वाले पलों में कोई बहुत बड़ा तूफान आने वाला है..

क्योंकि उन्हें उसके भाई के बारे में जो पता था, उसके हिसाब से अब वो मुझे छोड़ेगा नही…

मे वहाँ से अपनी क्लास में चला गया… और सारे पीरियड अटेंड किए…

कॉलेज के बाद जैसे ही मे स्टॅंड पर पहुँचा अपनी बाइक लेने, तभी एक लड़का भागता हुआ आया.. और बोला…

अंकुश, तू कही छुप जा.. रागिनी का भाई आया है अपने गुण्डों के साथ…

मेने कहा – कहाँ है…?

वो बोला – वो गेट पर खड़ा तेरा ही इंतेज़ार कर रहा है…

मे बिना बाइक लिए गेट की तरफ बढ़ गया… सोनू भाई ने मेरा बाजू पकड़ते हुए मुझे रोकने की कोशिश की..

मेने उसके हाथ से अपना बाजू छुड़ाया और बोला – भैया मुसीबत से छुटकारा पाना है तो उसका सामना करना पड़ता है, वरना वो और बढ़ जाती है..

आप चिंता मत करो.. मुझे कुछ नही होगा.. आप बस देखते जाओ…

मे गेट पर जैसे ही पहुँचा, वो गुटका रागिनी का भाई..मेरी ओर लपका और बोला- क्यों रे लौन्डे .. !

लगता है अभी ढंग से मरम्मत नही हो पाई है तेरी…, क्या बोल रहा था तू.. मेरी बेहन को..?

मे – तू ही बता दे क्या कह रहा था मे, तेरी उस छिनाल बेहन से…
Post Reply