लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

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हल्के से साँवले रंग की 2 बच्चों की माँ सरला मामी, 36-32-38 का उनका कूर्वी गद्दार बदन बड़ा ही जान मारु था. कुछ-2 इस तरह का…

मे शाम को जब चाची के यहाँ पहुँचा तो मामी को उनके पास बैठा देख कर सर्प्राइज़ हो गया, मेने पहले उन्हें कभी देखा नही था.. सो चाची से पुच्छ लिया..

चाची ये कॉन हैं…? चाची ने बताया, कि ये मेरी छोटी भाभी हैं, तुम्हारी मामी…

मेने उन्हें नमस्ते किया, तो उन्होने अपनी कजरारी आँखें मेरे ऊपर गढ़ा दी, और बड़ी ही कामुक नज़र से देखते हुए मेरी नमस्ते का जबाब दिया…

चाची - भाभी, ये मेरे बड़े जेठ जी के सबसे छोटे लल्ला हैं, अंकुश नाम है इनका… कॉलेज में पढ़ते हैं…

मामी बोली – बड़े ही प्यारे लल्ला हैं दीदी आपके… ! इनसे तो मेल-जोल बढ़ाना पड़ेगा…

मे – क्यों नही मामी, आप जैसी नमकीन मामी से कॉन उल्लू का पट्ठा दूर रह सकता है.. मेरी बात पर वो दोनो खिल-खिलाकर हँसने लगी…

फिर चाची आँखें तिर्छि कर के बोली – हैं…लल्ला ! आते ही मामी पर लाइन मारने लगे…!

मामी – अरे दीदी ! हमारी ऐसी किस्मेत कहाँ ? इनके जैसा सुन्दर सजीला नौजवान, मुझ जैसी 2 बच्चों की माँ पर भला क्यों लाइन मारने लगा…

मेने ब्लश करते हुए कहा – अरे मामी, आप इशारा तो करिए… लाइन तो क्या.., और भी बहुत कुछ मिल जाएगा आपको…

और रही बात दो बच्चों की, तो उससे क्या फरक पड़ता है… ज़मीन उपजाऊ होगी तो फसल तो उगनी ही है…

मामी – हाए दैयाआ….दीदी ! ये लल्ला तो बड़ी पहुँची हुई चीज़ मालूम होते हैं… इनसे तो बचके रहना पड़ेगा…

चाची – अरे भाभी, अब मामी से मज़ाक नही करेंगे तो और किससे करेंगे.. वैसे मेने तो आज पहली बार इन्हें ऐसी मज़ाक करते देखा है…

ऐसी ही हसी मज़ाक के बाद चाची बोली – अरे भाभी, ज़रा लल्ला के लिए चाय तो बना दो, हम भी थोड़ी सी पी लेंगे…

जब वो चाय बनाने किचिन में चली गयी, तो चाची बोली – हाए लल्ला, मुझे नही पता था, कि तुम ऐसे भी खुलकर मज़ाक कर सकते हो…

मे – अरे चाची, जब वो ऐसी मज़ाक कर रही थी, तो मे क्यों पीछे रहता, और वैसे भी मामी के साथ तो खुलकर मज़ाक कर ही सकते हैं ना…

वो – हां सो तो है, खैर ये बताओ – कैसी लगी मामी…?

मे – क्या कड़क माल है चाची… सच में, देखना कहीं चाचा लाइन मारना शुरू ना करदें…

चाची – अरे लल्ला ! वो क्या लाइन मारेंगे, तुम अपनी कहो… मज़े करने हों तो जाओ कोशिश कर के देखलो, शायद हाथ रखने दे…

मे – क्या चाची आप भी, मे तो बस ऐसे ही मज़ाक कर रहा था…

चाची – जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, मे तो बस तुम्हें खुश देखना चाहती थी…

मे – ठीक है चाची, आप कहती हैं तो ट्राइ मारके देखता हूँ… ये कह कर मे चाची को किस कर के, उनके आमों को तोड़ा सहलाया, और किचन की तरफ बढ़ गया.

मामी स्लॅब के पास खड़ी होकर चाय बना रहीं थी… कसे हुए सारी के पल्लू की वजह से उनकी गान्ड के उभार किन्ही दो बड़े तरबूज जैसे बाहर को उठे हुए मुझे अपनी ओर खींचने लगे…

मे चुप चाप से मामी के एक दम पीछे जाकर खड़ा हो गया… और उनके कान के पास मुँह ले जाकर बोला – मामी, बन गयी चाय…?

अपने कान के इतने पास मेरी आवाज़ सुनकर मामी, एकदम से चोंक गयी, और पलटने के लिए जैसे ही वो पीछे को हटी, उनकी गान्ड मेरी जांघों से सट गयी….

आहह… क्या मखमली अहसास था उनकी गद्देदार गान्ड का, ऐसा लगा जैसे दो डनलॉप की गद्दियाँ मेरी जांघों पर आ टिकी हों…

इतने से ही मेरा बब्बर शेर अंगड़ाई लेने लगा…, फिर उन्होने जैसे ही पलट कर मेरी तरफ मुँह किया, उनके मस्त दो पके हुए हयदेराबादी बादाम आम, मेरे सीने से रगड़ गये…!
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

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उनकी आँखों में खुमारी सी उतरने लगी, अपनी पलकों को उठाकर मेरी तरफ देख कर बोली – बस बन ही गयी, अभी लाती हूँ, तुम चलो तब तक…!

मे – क्यों मेरा यहाँ आना आपको अच्छा नही लगा मामी…?

वो मेरे सीने से अपने दोनो आमों को रगड़ते हुए बोली – ऐसा तो नही कहा मेने… वो तो बस मे….

मेने भी उनकी आँखों में झँकते हुए अपने हाथ उनकी गद्देदार गान्ड पर रखकर अपने से और सटाते हुए कहा – वो बस क्या मामी… बोलो ना !

वो – हाए लल्ला जी, छोड़ो ना ! दीदी क्या सोचेंगी, तुम यहाँ ज़्यादा देर रहे तो ?

मे – चाची की चिंता मत करो, आप क्या सोच रही हैं, ये बताओ…? इसके साथ ही मेने उनकी गान्ड को ज़ोर से मसल दिया…

ससिईईईईईईईईईईईईईईई…………हइईईईई……लल्लाअ… मेरे सोचने से क्या होगा….? वो मादक सिसकी लेते हुए बोली…..

सब कुछ, जो आप चाहें…बस आप हां तो बोलिए…कहकर मेने उनकी गान्ड को और ज़ोर से मसल दिया…

मेरे गान्ड मसल्ते ही वो अपने पंजों पर खड़ी हो गयी… जिससे मेरे लंड का उभार ठीक उनकी रामप्यारी के दरवाजे पर दस्तक देने लगा…

मेरे लंड का उभार अपनी दुलारी के मुँह पर महसूस करते ही उन्होने उसको अपनी मुट्ठी भर लिया और कसकर मसल्ते हुए बोली –

इतने शानदार हथियार को भला कैसे मना कर सकती हूँ मे, …लेकिन अभी तो छोड़ो लल्ला जी, रात को मौका लग जाए तो देखेंगे...

मेने कहा – पहले मेरा हथियार तो छोड़ो…, वो खिल खिला कर हंस पड़ी, और मेरा लंड छोड़ दिया…

फिर वो जैसे ही स्लॅब की तरफ पलटी, मेने पीछे से उनके दोनो आमों को अपने हाथों में भर लिया, और उनकी गान्ड की दरार में अपना लंड फँसाकर बोला…

आज रात को बहुत मज़ा आने वाला है मामी.. मे अपनी इस पिस्टन से आपके सिलिंडर को अच्छे से रॅन्वा कर दूँगा…

मामी ने मेरे हाथ अपने आमों से अलग किए, और पलट कर मेरे होंठ चूम लिए..

फिर अपने होंठों पर कामुक हसी लाते हुए मेरे सीने पर हाथ रख कर किचन से बाहर धकेलते हुए बोली –

देखते हैं, कैसी सर्विस कर लेते हो ? अब जाओ यहाँ से…

मे मन ही मन मुस्करता हुआ चाची के पास आकर बैठ गया…!

मेरे बैठते ही चाची ने पूछा – बात बनी…?

मेने चाची के आमों को सहलाते हुए कहा – अरे चाची ! आपके लाड़ले को भला मामी मना कर सकती हैं…?

कुछ देर बाद मामी चाय ले आई, हम तीनो गप्पें मारते हुए चाय पीने लगे…

चाची ने कहा – लल्ला, आज खाना यहीं खा लेना, क्यों भाभी…आपको कोई प्राब्लम तो नही होगी ना…

मामी – कैसी बात करती हैं दीदी आप भी, भला मुझे क्या प्राब्लम होगी…!

चाची ने मुझे आँख मारते हुए कहा – तो ठीक है लल्ला, आज घर मना कर देना खाने के लिए, और हां जल्दी आ जाना…

मे उन्हें हां बोल कर अपने घर आ गया….

भाभी ! मेरे लिए खाना मत बनाना…जब मेने ये भाभी को बोला, तो भाभी मुझे अजीब सी नज़रों से घूरते हुए बोली …

क्यों ? कहीं स्पेशल दावत में जा रहे हो क्या…?

मे – नही ऐसी कोई दावत नही है, वो छोटी चाची ज़िद करने लगी कि आज हमारे साथ खाना, तो फिर मुझे भी हां करनी पड़ी…

वो – तो इसका मतलव, नयी मामी के हाथ का खाना खाओगे… हुउंम्म…ठीक है भाई, अब तरह – 2 के पकवान खाने की आदत जो पड़ गयी है जनाब को, …ये कह कर वो मंद -2 मुस्कराने लगी…

मेने भाभी की द्विअर्थि बातों को सुनते ही मन ही मन कहा, सच में ये बहुत तेज हैं, इनसे कोई बात च्छुपाना बहुत मुश्किल है…लेकिन फिर भी मे बोला…

ऐसा कुछ नही है भाभी, आप तो जानती ही हैं, सबसे ज़्यादा अच्छा खाना तो मुझे आपके ही हाथ का लगता है…

पर उन्होने ज़िद कर के कहा, तो फिर मे भी मना नही कर सका……

वो – हां तो ठीक है, चले जाना खाना खाने उसमें क्या है, वो भी तो अपना ही घर है… लेकिन सोने तो आओगे, या फिर सोना भी…..और अपनी बात अधूरी छोड़ कर वो मुस्कारने लगी..

मे भी मुस्करा दिया और बोला – देखता हूँ, ज़्यादा कोई काम नही हुआ तो आ जाउन्गा..

वो हंसा कर बोली – पूरी रात का काम है वहाँ ….?

फिर वो मेरे एकदम करीब आकर बोली – लगता है, देवर जी को नयी मामी पसंद आ गयीं… क्यों ?

मेने बिना कोई जबाब दिए नज़रें झुका ली, तो भाभी मेरे गाल चूमते हुए बोली – मामी भी क्या करे बेचारी, नज़र मिलते ही लट्तू हो गयी होगी अपने हीरो पर…

मे बिना कोई जबाब दिए मुस्करता हुआ चाची के घर की तरफ चला आया.. वरना भाभी और भी टाँग खींचने लगती..
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

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मे जब चाची के घर खाना खाने पहुँचा, तब मामी खाना बना रहीं थी, और चाचा खाने बैठे थे…

चाची ने चाचा से कहा – सुनो जी, आज आप जेठ जी के साथ बैठक में सो जाना, मे और भाभी, एक कमरे में सो जाएँगे, और लल्ला भी यहीं सो जाएँगे..

चाचा ने अपनी मंडी हिलाकर हामी भर दी, और खाना खा कर कुछ देर बैठे, बात-चीत की, और फिर बैठक में सोने चले गये…

उसके बाद हम तीनों ने मिलकर खाना खाया, मेने मामी के खाने की जम कर तारीफ की, जिससे वो खुश हो गयी…

खाना खाकर मे यौंही चाची के बगल में ही लेट गया, उनकी तरफ मुँह कर के, और उनसे बातें करने लगा…

मामी किचन का काम निपटाकर हमारे पास आ गयी, इस समय वो एक सिल्क की टाइट फिटिंग मेक्सी पहने थी, जिसमें से उनके कूर्वी बदन का सारा इतिहास-भूगोल पता चल रहा था…

डेलिवरी के पहले पेट की मालिस करवाने से मांसपेशियाँ सॉफ्ट रहती हैं, जिससे नॉर्मल डेलिवरी में कोई कॉंप्लिकसी नही होती…

सो मामी तेल गरम कर के चाची की मालिस के लिए लाई थी, और वो हम दोनो के पैरों की तरफ बैठ कर पहले उनके पैरों के तलवों और पिंडलियों की मालिश करने लगी…

मामी का शरीर हिलने से मेरे पैर उनके मांसल कुल्हों से टच हो रहे थे, जिससे मेरे शरीर में झंझनाहट सी होने लगी…

फिर वो हम दोनों के बीच आकर चाची के पेट की हल्के हल्के हाथों से मालिश करने लगी…

जब वो चाची के पेट को दूसरी साइड तक मालिश करती तो उनकी गजभर चौड़ी गान्ड ऊपर को उठ जाती…

मेने मज़ा लेने के लिए जैसे ही उनकी गान्ड हवा में उठी, मे और थोड़ा उनकी तरफ खिसक गया…, अब उनकी गान्ड जैसे ही नीचे आती, तो मेरे खड़े हो चुके लौडे से ज़रूर रगड़ती…

हुआ भी ऐसा ही…, जैसे ही उनकी गान्ड नीचे आई, वो मेरे लौडे से रगड़ गयी…

मामी ने थोड़ा ठहर कर स्थिति को समझा, और मन ही मन मुस्करा दी…

अगली बार जैसे ही उनकी गान्ड हवा में उठी, मेने फटाफट हाथ डालकर अपना लंड अंडरवेर को नीचे कर के बाहर निकाल लिया, अब केवल पाजामे का हल्का सा कपड़ा ही बीच में था…

लंड पूरा अकड़ चुका ही था, अब वो पाजामे के हल्के से कपड़े को आगे से उठाए हुए एकदम सीधे खड़ा था…
मामी ने भी इसबार जान बूझकर नीचे की तरफ लाते हुए अपनी गान्ड को और ज़्यादा पीछे की तरफ लहरा दिया…..

नतीजा… मेरा लंड उनकी गान्ड की दरार में फिट होकर उसके छेद पर अटक गया…

उईई….माआ…., मामी के मुँह से ना चाहते हुए भी एक हल्की सी सिसकी निकल पड़ी, जिसे चाची ने सुन लिया और अपनी आँखें खोलकर बोली - क्या हुआ भाभी…?

मामी – दीदी ! ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पीछे कुछ चुबा हो…?

चाची बात को समझते हुए मन ही मन मुस्कराते हुए बोली – लल्ला ! ज़रा देखो तो क्या चुभ रहा है भाभी के पीछे…?

मेने अपने लंड को और थोडा पुश करते हुए कहा – मुझे तो कुछ दिखाई नही दे रहा चाची यहाँ…?

मामी ने भी अपनी गान्ड का दबाब मेरे लंड पर डालते हुए कहा – रहने दो मुझे ऐसे ही कुछ लगा होगा… और वो फिर से मालिश करने में लग गयी…

बार-बार लंड की ठोकर, अपनी गान्ड के छेद पर महसूस कर के मामी की आखों में लाल लाल डोरे तैरने लगे, चाची सब समझ रहीं थी, सो कुछ देर में ही खर्राटे लेने का नाटक करने लगी…

मेने मामी की गान्ड को सहला कर कहा – चाची सो गयीं मामी, अब तुम भी आ जाओ सोते हैं…

वो बोली – तुम भी यहीं सोने वाले हो क्या…?

मेने कहा – तो क्या हुआ ! आ जाओ, एक साथ सोते हैं…

वो – नही नही ! भला दीदी क्या सोचेंगी… ?

मे दूसरे पलंग पर चला गया, और मामी को भी अपने पलंग पर खींचते हुए बोला – तुम बहुत डरती हो मामी,

इतना कहकर मेने उनकी कमर में अपने हाथ लपेट कर उन्हें अपने बाजू में लिटा लिया…

वो मेरी ओर पीठ कर के लेट गयीं.. हम दोनो का मुँह चाची की तरफ ही था..

मेने अपना सर उठाकर उनके होंठों को चूम लिया, फिर गान्ड मसल्ते हुए मेने कहा – आअहह…. मामी क्या सेक्सी माल हो आप..?

वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर बोली – इतनी भी सेक्सी नही हूँ…

मेने उनकी इकलौती मेक्सी भी निकलवादी, उनके शरीर की बनावट देख कर मेरा लंड ठुमके मारने लगा…



मेने अपने लंड को मामी की गान्ड की दरार में फंसकर एक जोरदार रगड़ा लगाते हुए उनके गले को चूम लिया….

सस्सिईईईईईईईईई….आआअहह…..मेरे राजा… कितना गरम और मोटा मूसल है तुम्हारा…

मे – आहह…क्या मस्त गान्ड और चुचियाँ हैं आपकी… जी करता है…खा जाउ इन्हें…

वो सिसकते हुए बोली – सीईईईई… तो खाओ ना… मना किसने किया है…तुम्हारे लिए ही तो आई हूँ यहाँ…

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