लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

दुकानदार ने एक बार मेरी ओर देखा, और बोला – अब बहनजी ऐसे अंदाज़े से तो कैसे पता लगेगा.. आप अपना नंबर तो बताइए..

ये पुरानी तो 34 की है… और इसके उपर 36 की ही आती अब वो अगर ढीली, टाइट हुई तो…?

चाची – नही होगी वोही दे दो आप… , एक बार उसने चाची के पल्लू से ढके पपीतों पर नज़र डालते हुए बोला – ठीक है, मुझे क्या है.. मे दे देता हूँ 36 नंबर की ब्रा..

फिर वो दो टाइप की ब्रा निकाल के लाया… एक जो बड़े कप वाली, जिससे चुचियों का अधिकतर हिस्सा ढक सके, और एक ऐसी जिसमें से चुचकों के साथ-साथ उनका निचला हिस्सा ही ढक पाता…

चाची ने बड़े कप वाली ब्रा सेलेक्ट कर ली… जब वो दुकानदार पेंटी लेने अंदर गया.. तो मेने चाची के कान में फुसफुसा कर कहा…

चाची ये दूसरी वाली ब्रा आपको ज़्यादा अच्छी लगेगी… चाची ने मुझे गहरी नज़र से घूरा.. और स्माइल करते हुए बोली – च्चिि.. लल्ला ! इसमें तो कुच्छ ढकेगा ही नही.. उल्टा दिखेगा ज़्यादा..

मे – अरे चाची ! थोड़ा मॉर्डन बनके चाचा के सामने जाओंगी तो उन्हें ज़्यादा अच्छा लगेगा और आपको ज़्यादा प्यार करेंगे ना!

चाची – अरे लल्ला ! उन्हें तो मे बिना कपड़ों के भी…… इतना फ्लो में बोल तो दिया.. फिर शर्मा कर चुप हो गयी.., फिर ना जाने क्या सोच कर उन्होने एक छोटे कप वाली ब्रा भी ले ली…

अबतक दुकानदार दो-तीन तरह की पैंटी लेकर आया, और मेरे इशारे पर उन्होने एक माइक्रो पेंटी भी लेली…

लौटते में चाची ने मुझसे पुछा – लल्ला तुमने किसी को पहले ऐसी कच्छी और अंगिया पहने देखा है..?

चाची का सवाल सुनकर मुझे झटका सा लगा--- मेने हड़बड़ा कर कहा..न.न.नही तो चाची.. मेने तो किसी को नही देखा..

वो – तो फिर तुम्हें कैसे पता कि वो मुझपर अच्छी लगेगी…?

मे –व.वऊू..तो बस ऐसे ही कहा था… छोटे कपड़ों में शरीर ज़्यादा सेक्सी लगता ही है…

उन्होने मेरी पीठ पर हौले से एक थप्पड़ लगाया.. और शायद हँसते हुए… हूंम्म.. करके चुप हो गयी..

मेने उन्हें उनके घर उतारा…जब मे चलने लगा तो वो बोली – लल्ला ! थोड़ा रूको.. कुच्छ खा-पीक चले जाना…

मे – अरे नही चाची.. मे अब घर जाके खाना ही खा लूँगा.. !

वो – हां भाई ! अब घर में इतनी लाड करने वाली भाभी हो तो चाची के हाथ का खाना क्यों अच्छा लगेगा…

मे – ऐसी बात नही है चाची… अच्छा ठीक है, आप चलो.. मे कपड़े चेंज करके 10 मिनिट में आता हूँ, फिर देखता हूँ आप क्या खिलाती हैं.. मुझे..

वो हँसते हुए अपने घर के अंदर चली गयी, और मे अपने घर की तरफ…

घर आकर मेने अपने कपड़े चेंज किए और एक हल्की से टीशर्ट और बिना अंडरवेर के एक हल्का सा होजेरी का लोवर पहन लिया, जिससे गर्मियों की चिप-चिप में थोड़ा कंफर्टबल फील हो..

टाइट जीन्स में सुबह से ही मेरा घोड़ा जो कयि बार टाइट हुआ था उसको भी राहत हुई, और वो अब खुला-खुला फील कर रहा था.

भाभी ने खाने के लिए बोला, क्योंकि अभी लंच का समय था.. मेने कहा मे चाची के यहाँ जा रहा हूँ, उन्होने खाने के लिए बुलाया है.. अब देखते हैं क्या खिलाती हैं..?

भाभी ने मुझे गहरी नज़र से देखा.. लेकिन मेरे चेहरे से उन्हें ऐसा-वैसा कुच्छ नज़र नही आया.. तो फिर हँसती हुई बोली..ठ.हीककक…है, जाओ… आज अपनी चाची का लाड भी देख लो…

मे उनको एक स्माइल देकर घर से निकल आया और चाची के यहाँ पहुँचा…!

चाचा भी स्कूल से आ गये थे, और खाना खा रहे थे, चाची ने मुझे भी बिताया और खाना दे दिया.. हम दोनो ने साथ-साथ खाना खाया..

कुच्छ देर इधर-उधर की बातें हुई.. फिर चाचा अपने खेतों की ओर चले गये..
SUNITASBS
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

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update plz
😪
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

चाचा भी स्कूल से आ गये थे, और खाना खा रहे थे, चाची ने मुझे भी बिताया और खाना दे दिया.. हम दोनो ने साथ-साथ खाना खाया..

कुच्छ देर इधर-उधर की बातें हुई.. फिर चाचा अपने खेतों की ओर चले गये..


तब तक चाची भी खाना खा चुकी थी.. चाचा के जाने के बाद मेने भी चाची से कहा – चाची मे भी निकलता हूँ.. तो वो बोली –

तुम रूको तुमसे अभी एक ज़रूरी काम है…

मे फिर से उनके पलंग पर बैठ गया…और बोला- हां चाची बताइए, क्या काम है…?

वो मेरे पास बैठ गयी.. और कुच्छ देर मेरी ओर देखती रही…फिर उनकी नज़र नीचे को हो गयी और अपनी सारी के पल्लू को अपनी उंगली में लपेटे हुए बोली..

वो – लल्ला मे वो ना ! वो जो कपड़े तुमने पसंद किए थे ना ! उनके बारे में बात करनी थी तुमसे…

मे – उनके बारे में मुझसे क्या बात करनी है चाची..?

वो – अब ऐसे कपड़े मेने कभी लिए तो नही थे, ना जाने कैसे लगेंगे.. ?

मे – अरे तो इसमें क्या है, एक बार पहन कर देख लीजिए ना ! पता चल जाएगा..

वो – लेकिन मे खुद कैसे देख पाउन्गि..?

मे – पहन कर शीशे के सामने खड़ी होकर देख लेना और कैसे…

वो – इतना बड़ा शीशा होना भी तो चाहिए ना… और मेरे पास मोहिनी बहू जैसी वो क्या कहते हैं, हां वो.. दर.दर्शन्णन्न् टेबल तो है नही..

मे – ओह ! ड्रेसिंग टेबल….

वो – हां ! वही… ! तो अब कैसे देखूं..? क्या तुम मुझे देखकर बता दोगे..?

मे ? मे…मे कैसे देख सकता हूँ.. आपको उन कपड़ों में..? आप एक काम करिए, भाभी या रामा दीदी को दिखा दीजिए… वो आपको बता देंगी कैसे लगते हैं आप पर…

वो – कैसी बातें करते हो लल्ला… मे भला ऐसे कपड़ों को मोहिनी बहू या रामा बिटिया को कैसे दिखा सकती हूँ..?

वो क्या सोचेंगी मेरे बारे में..? की देखो चाची को इस उमर में ऐसे कपड़ों की क्या ज़रूरत पड़ गयी…

सच में तुमने तो मुझे फँसा दिया लल्ला…! अब तुम्हें ही देखकर बताना पड़ेगा हां ! और वैसे भी तुम हमारे घर में सबसे छोटे हो, उपर से तुमने एक दिन मुझे वैसी हालत में देख भी लिया था.. तो तुम्हारे सामने मुझे झिझक थोड़ी कम होगी….!

मे – ओह चाची ! तो आप चाचा को ही क्यों नही दिखा देती…

वो – वो तो देखते ही मारखाने बैल्ल की तरह भड़क उठेंगे, .. छूटते ही कहेंगे ये क्या रंडियों जैसे कपड़े ले आई हो..

फिर वो मेरे हाथ अपने हाथों में लेकर बोली – अब अगर तुम भी नही देखना चाहते तो कल उन कपड़ों को वापस कर देना, जब कॉलेज जाओ तब…

मे - ओह चाची ! अच्छा चलो अब !.. ठीक है आप पहनो मे देख लेता हूँ कि आप कैसी लगती हो उन कपड़ों में…

वो – तुम एक काम करो.. दो मिनिट बाहर चले जाओ, मे तब तक वो पहन लेती हूँ, फिर तुम्हें आवाज़ दे लूँगी..

मे उठकर बाहर उनके आँगन में चला गया… फिर कोई 10-15 मिनिट के बाद चाची ने मुझे आवाज़ देकर अंदर बुलाया…

वो गले तक एक चादर ओढ़े हुए पलंग के पास खड़ी थी.. मुझे देखते ही उन्होने नज़रें झुका ली.. मेने पुचछा – हां चाची वो कपड़े पहने या नही…दिखाओ..!

तो उन्होने झेन्प्ते हुए.. धीरे-2 अपने बदन से चादर अलग की और अपनी नज़रें नीची किए पैर के अंगूठे से फर्श को कुरेदने लगी….....

एक मिनी ब्रा और छोटी सी पेंटी में कसे उनके मादक गदराए.. गोरे बदन की सुंदरता में मे तो खो सा गया.. वो इन कपड़ों में मियाँ खलीफा को भी मात दे रही थी…

बड़े-बड़े पपीते जैसे उनके कठोरे वक्ष, जो अब भी अपनी कठोरता बरकरार रखे हुए थे, जिनका निपल से उपर का पूरा हिस्सा खुला हुआ था,

ब्रा के कप की चौड़ाई भी मात्र 3” से ज़्यादा नही थी, जिससे दोनो चुचियों की पुश्टता एकदम साफ-2 दिखाई दे रही थी.

30 की उमर में भी उनका पेट ज़रा भी बाहर नही निकला था, हां हल्की सी मासलता ज़रूर थी, जो उनके हुश्न में और चार चाँद लगा रही थी,

खूब गहरी नाभि, जो थोड़ी सी नीचे की तरफ झुकी हुई… उनकी सेक्स अपील को डरसा रही थी.

मांसल केले के तने जैसी जांघों के बीच, दुनिया का अनमोल खजाना.. माइक्रो बिकनी में सही से ढक भी नही रहा था, साइड से उनकी झान्टो के बाल निकल कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे, शायद महीने भर से साफ नही किए होंगे..

कसी हुई पेंटी में उनकी रसीली के होंठ अपनी पुश्टता दिखाने से बाज़ नही आए.. और उनका उठान, फिर उनके बीच की दरार साफ-साफ अपना इंप्रेशन दे रही थी.

जब बहुत देर तक मेने कुच्छ नही कहा, बस यूँ ही खड़ा उनके रूप लावण्य में खोया रहा, तो चाची ने अपनी नज़र उठाकर एक बार मेरी ओर देखा, और मुझे अपने बदन को निहारते पाकर, एक बार फिरसे उनकी नज़र शर्म से झुक गयी…

बताओ ना लल्ला..! कैसी लग रही हूँ मे इन कपड़ों में…?

आंनन्ज्ग…हां…! मे जैसे नींद से जागा… थोड़ा पलटना चाची… मे एक बार पीछे से भी तो देख लूँ.. तब बताउन्गा…!

वो जब पलटी तो….तो…उनके कुल्हों की पुश्टता देखकर मेरा मूह खुला का खुला रह गया…उनके 38” की गान्ड पर वो छोटी सी पेंटी की पट्टी सिर्फ़ उनकी दरार को ही ढक पा रही थी…

ढक भी नही पारही थी, बस उसमें फँसाने से अपने आप को किसी तरह बचाए हुए थी..

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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

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मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा था, मे ठीक उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया, मेरा लंड लोवर में एक दम सतर होकर नाग की तरह अपना फन फैलाए खड़ा हो गया…

लोवर का सॉफ्ट कपड़ा उसे संभालने में असमर्थ दिखाई दे रहा था…मेरे लंड और चाची की गान्ड की खाई के बीच मात्र 1” का ही फासला बचा था…

मेने अपना मूह थोड़ा आगे करके चाची के कान के पास लेजा कर कहा – चाची आप सच में बहुत सुंदर हो…

मेरी आवाज़ अचानक अपने इतने नज़दीक सुनकर वो हड़बड़ा गयी… इसी हड़बड़ाहट में वो और थोड़ा सा पीछे को हटी…. मेरा खड़ा लंड उनकी पतली सी पेंटी के उपर से उनकी गान्ड की दरार से अड़ गया….

चाची को इसका अंदाज़ा नही था… उनके मूह से सस्स्सिईईईईईईईईई….. करके एक मादक सिसकी निकल गयी… और वो झट से मेरी ओर पलट गयी…, मेरी आँखों में देखकर बोली…

तुम सच कह रहे हो लल्ला… मे सुंदर दिख रही हूँ ना इनमें…!चाची की आवाज़ में कंपन साफ-2 झलक रहा था…

मे थोड़ा और आगे बढ़ा और उनके कंधों पर अपने हाथ रख कर उनकी आँखों में देखते हुए बोला – स्वर्ग से उतरी हुई किसी अप्सरा जैसी…..!

चाची के होंठ थरथरा उठे…और कंम्पकपाते हुए बोली - ओह…लल्ला…. थॅंक यू… तुमने मेरी तारीफ़ की… इतना कह कर वो मेरे सीने से लग गयी…

अब तो ग़ज़ब ही होगया………. साला मुसलचंद उनकी ठीक चूत के उपर जा टिका…

चाची अपने पंजों पर खड़ी होकर उसे और अच्छे से अपनी मुनिया पर फील करना चाहती थी… कि मेरे दिमाग़ ने झटका खाया, फिर मेने उनसे अलग होकर कहा..

अब तो आप खुश हो ना ! मेने आपके कपड़े देख लिए, अब मे चलता हूँ… और ये बोलकर मे उनके कमरे से बाहर को चल दिया……

अभी मे उनके रूम के गेट पर ही पहुँचा था कि…

पीछे से चाची की रुआंसी सी आवाज़ आई - तुम्हें अपनी मोहिनी भाभी की सौगंध है लल्ला, जो यहाँ से कदम बाहर रखा तो…

मेरा एक पैर कमरे के दरवाजे से बाहर था, और दूसरा अभी कमरे में ही था…

भाभी मेरे लिए सब कुच्छ थी, माँ, दोस्त, महबूबा… सब कुच्छ.. जिसने मुझे हाथ पकड़ कर खड़ा किया था… वरना माँ के बाद मेरा क्या होता..? ईश्वर जाने.

भाभी की कसम सुनते ही मेरे पैर जहाँ के तहाँ जम गये.., मे मूक्वत वहीं खड़ा रह गया…

चाची दौड़ती हुई आई और मुझे पीछे से अपनी बाहों में कस लिया…

मुझे यूँ छोड़ कर ना जाओ छोटे लल्ला… मुझे तुम्हारी बाहों का सहारा चाहिए…उनकी मोटी-2 मुलायम लेकिन ठोस चुचियाँ मेरी पीठ पर दबी हुई थी, अपने गाल को मेरी गर्दन से सहलाती हुई वो बोली.

मे – चाची प्लीज़ छोड़िए मुझे… ये ठीक नही है… हमारे रिश्ते का तो ख्याल करिए…आप मेरी माँ समान हैं…

वो – तो क्या तुम अपनी माँ को दुखी देख सकते थे..?

मे – आपको क्या दुख है… सब कुच्छ तो दे रहे हैं चाचा आपको…

वो – औरत के लिए बांझ शब्द एक बहुत बड़ी गाली होती है… लल्ला, जब पीठ पीछे लोग मुझे बांझ बोलते हैं,

सोचो मेरे दिल पर क्या बीतती होगी… जबकि मे अच्छी तरह से जानती हूँ कि मे बांझ नही हूँ.

मुझे भाभी के कहे हुए शब्द याद आ गये… (समय निकाल कर चाची के पास चले जाया करो, उन्हें तुम्हारी ज़रूरत है..) इन शब्दों का मतलव अब मेरी समझ में आरहा था.. फिर भी मे थोड़ा सेफ होने के लिए बोला…

मे – लेकिन मे चाचा के साथ धोका नही कर सकता चाची…

चाची बिफर पड़ी.. और बोली – धोका…? जानते हो धोका किसे कहते हैं..?

एक नमार्द को मेरे गले में बाँध दिया.. धोका इसे कहते हैं.. अपने घर की इज़्ज़त की खातिर मे चुप बनी रही, और अपने आप को बहकने से रोकती रही…

और उससे बड़ा धोका, अब तुम मेरे साथ कर रहे हो… मुझे इस हालत में अकेला छोड़ कर…

कई मौके ऐसे आए जिनमें मुझे लगा कि तुम मेरी भावनाओं को समझने लगे हो.. लेकिन में ग़लत थी.. तुम्हें तो अपने चाचा ही दिखाई दिए..

उन्होने अपनी बाहों का बंधन मेरे शरीर से हटा लिया और सुबक्ते हुए बोली – जाओ लल्ला तुम भी जाओ, मे हूँ ही अभागी, तो इसमें तुम्हारा भी क्या दोष…

इतना बोल कर वो फफक-फफक कर रो पड़ी, और पलट कर पलंग पर पड़ी अपनी साड़ी पहनने के लिए उठा ली…

मेने पीछे से जाकर उनके हाथ पर अपना हाथ रख दिया, और बोला – मत पहनो ये कपड़े चाची… वरना मुझे फिरसे उतारने में समय बर्बाद करना पड़ेगा…

वो मेरी ओर पलटी और मेरे चेहरे पर नज़र गढ़ा कर बोली – सच ! तुम सच कह रहे..? या अभी भी मज़ाक तो नही कर रहे…

मे – नही ये एकदम सच है चाची… कोई मेरी चाची को बांझ होने की गाली दे, ये मुझसे बर्दास्त नही होगा…

ओह्ह्ह्ह…..मेरे लल्लाआअ… तुम कितने अच्छे हो.. और वो मेरे सीने से लिपट कर आँसू बहाने लगी..

मेने उनकी थोड़ी के नीचे उंगली लगा कर उनका चेहरा उपर किया और आँसू पोन्छ्ते हुए कहा…

प्लीज़ अब आप रोइए नही.. मे आपकी आँखों में आँसू नही देख सकता.., इतना कहा कर मेने अपने होठ उनके लरजते होठों पर रख दिए…

चाची मुझसे कसकर लिपट गयी… मेने उनके नितंबों को अपने हाथों में लेकर कस दिया.. तो वो और ज़ोर्से अपनी जांघों को मेरी जांघों से सटाने लगी…

मेरा लंड जो कुच्छ इस दौरान ढीला पड़ गया था.. वो फिरसे अकड़ने लगा और चाची की नाभि में अपना ठिकाना ढूँढने लगा…

चाची ने उसे अपनी मुट्ठी में कस लिया और उसे मसल्ते हुए बोली – लल्ला ये तुम्हारा मूसल ग़लत रास्ते को ढूंड रहा है.. इसे सम्भालो, नही तो मेरे पेट में ही घुस जाएगा…!

मे – ये अब आपके हवाले है, इसे सही रास्ता दिखना आपका काम है… फिर चाची ने मेरी टीशर्ट निकाल दी और मेरी मजबूत कसरती छाती, जिसपर बाल घने होते जा रहे थे, को सहलाते हुए बोली –

पूरे मर्द हो गये हो लल्ला.. क्या मजबूत बना लिया तुमने अपने शरीर को…

एक औरत को ऐसी ही मजबूत छाती चाहिए अपना सर रखने के लिए… बहुत खुश नसीब होगी वो, जिसे ब्याह कर लाओगे…

मे – अभी तो ये आपके लिए है.. और.. और इस सबकी ज़िम्मेदार मेरी भाभी हैं, उनकी मेहनत और लगन का नतीजा है, जो आज मे हूँ..

चाची – सच में बहुत समझदार और सुशील है हमारी मोहिनी बहू.. भगवान ऐसी बहू सबको दे…

ये कह कर चाची ने मेरे सीने को चूम लिया… फिर वो मेरे छोटे-2 निप्पलो को चूमने, चाटने लगी…

मेरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी… और मेने उनको अलग करके उनके दोनो खरबूजों को ज़ोर्से मसल दिया…

आअहह……लल्ला.एयाया… इतने ज़ोर्से नही रजीईई… हान्ं…प्यार से सहलाते रहो… उफफफफ्फ़…. सीईईईई…ऊहह… वो अपनी कमर को मेरे लंड के चारों ओर घूमने लगी…
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