लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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Kamini
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Kamini »

mast update dear
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

mastram wrote: 14 Oct 2017 19:51 मस्त कहानी है

अंकित भाई दूसरी कहानी पर भी ध्यान दो
bhai khichdee pak gai thoda time lagega
Kamini wrote: 15 Oct 2017 08:38 mast update dear
lovelyssingh wrote: 15 Oct 2017 10:09 Hot update
thanks mitro
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

नितंबों के बाद उसकी कमर, फिर उसकी पीठ चूमते चूमते मे ऊपर उठता चला गया, फिर मेरी उंगलियों ने उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिए…

उसकी पीठ से सट कर खड़ा होते हुए मेने उसके कान की लौ को चूमकर कहा-

जान ! तुम सचमुच सुंदरता की जीती-जागती मूरत हो… तुमने आज अपना ये संगेमरमर सा सुंदर बदन दिखाकर मुझे अपना दीवाना बना दिया है..

अब में तुम्हारे इंतेज़ार में कुछ वर्ष तो क्या.. सदिया गुज़ार सकता हूँ..

ये कहकर मेने उसके अनार जैसे उरोजो को अपनी मुट्ठी में भर लिया और सहलाने लगा..

निशा एकदम से पलट कर मेरे गले से लिपट गयी, उसके उरोज मेरे सीने में दब कर रह गये,…

वो दीवानावार मेरे चेहरे पर अनगिनत किस करते हुए बोली…

मेरे प्रियतम को ये दासी पसंद आ गयी… ये मेरे लिए किसी सौभाग्य से कम नही है… आइ लव यू जानम…

आइ लव यू टू प्रिय…! अब तुम अपने कपड़े पहन लो.., तुम्हारे रूप रस का पान कर के मे धन्य हो गया…

निशा ने फिर एक बार मुझे कसकर अपने गले लगाया और कपड़े पहन कर रूम से बाहर निकल गयी मेरे लिए दूध लेने….

मे खुद पर आश्चर्य चकित था, कि एक कमसिन बाला.. पूर्ण रूप से नग्न मेरे सामने थी और मेरे मन में एक बार भी उसे भोगने की इच्छा तक नही हुई…

क्या ये मेरा उसके लिए निश्चल प्रेम था ? जो शायद मेरी जिंदगी में पहली और आख़िरी बार हुआ था…

दूसरे दिन सुबह-सुबह मे निशा और उसके मम्मी पापा से विदा लेकर अपने घर वापस चल दिया… वो मुझे गाओं के बाहर तक छोड़ने आई…

विदा होते वक़्त स्वतः ही हम दोनो की आँखें छलक गयीं.. हम एकदुसरे को किस कर के अंतिम बार गले मिले..

फिर एकदुसरे को बाइ बोलकर अपने अपने घर को चल दिए…

रास्ते में ही शांति बुआ का घर पड़ता था, जो निशा के गाओं से ज़्यादा दूर नही था, तो सोचा बुआ का हाल चाल पूछते हुए ही निकलता हूँ…

कभी आया तो नही था पहले बुआ के यहाँ, तो लोगों से पुछ्ते-पाछ्ते पहुँचा.. उनके दरवाजे पर..

बुलेट की आवाज़ सुन कर एक लड़की घर के अंदर से भागती हुई आई…मे उस लड़की को देखता ही रह गया…

स्कूल यूनिफॉर्म में वो शायद स्कूल जाने के लिए तैयार ही हुई थी, सफेद रंग की शर्ट और स्लेटी लाल चौखाने की घुटनों तक की स्कर्ट में वो एक बहुत ही सुंदर गुड़िया जैसी लगी मुझे…

उसकी कसी हुई शर्ट में क़ैद 32-33” के उसके उसके चुचे बटन तोड़कर बाहर निकलने को आतुर हो रहे थे,

पतली सी कमर के नीचे थोड़ी उठी हुई गान्ड, देख कर मेरे अंदर कुछ – 2 होने लगा…

अपनी बड़ी -2 कजरारी आँखें मटका कर वो बोली – कॉन हो तुम… किससे मिलना है…?

मे – शांति बुआ का घर यही है…?

वो – हां ! लेकिन तुम कॉन हो जो मम्मी को बुआ बोल रहे हो…?

मे – ओह तो तुम उनकी बेटी हो, मेरा नाम अंकुश है, … अभी कुछ दिन पहले मेरे भैया की शादी थी, तुम उसमें शामिल नही हुई थी…

वो – ओह अंकुश भैया… नमस्ते ! सॉरी, मेने आपको पहचाना नही, आओ..आओ… फिर वो बुआ को आवाज़ देते हुए चिल्लाई… मम्मी…मम्मी…

अंदर से बुआ की आवाज़ आई… क्या है वीजू…देख नही रही.. तेरे लिए नाश्ता तैयार कर रही हूँ, स्कूल के लिए लेट हो रहा है…

तब तक मे बाइक स्टॅंड कर के उसके पीछे – 2 अंदर आया, उसके मटकते कूल्हे मुझे अपनी ओर लुभा रहे थे…

वो – मम्मी थोड़ा बाहर आकर देखो तो सही, कॉन आया है…

बुआ अपने माथे का पसीना अपने पल्लू से पोंछती हुई रसोई से बाहर आई…

और मुझे देखते ही…सी.छोतुउुुुउउ… चिल्लाते हुए दौड़कर मेरे सीने से लग गयी…!

उनकी ये हरकत देख कर पास खड़ी विजेता अपनी बड़ी – 2 आँखें फाडे उन्हें देखने लगी…

मेने बुआ से पूछा – बुआ ये आपकी बेटी है..?

वो – हां ! बड़ी वाली विजेता… तूने देखा तो है इसे कई बार गाओं गयी है मेरे साथ…

मे – ये वही विजेता है ना.. जिसकी नाक बहती रहती थी…

बुआ हँसते हुए बोली - हहहे… हां ! वही विजेता है, अब देख.. अब नही बहती इसकी नाक…!

विजेता गुस्सा होते हुए बोली – क्या मम्मी आप भी चिडाने लगी मुझे… फिर वो मेरी तरफ आँखें तरेर कर बोली…

आपने कब देखी मेरी नाक बहते हुए…? हां !

बुआ – अरे नही बेटा ! एक बार जब में तुझे लेकर गाओं गयी थी, तब तुझे सर्दी हो गयी थी… तो तबकि बात कर रहा है छोटू…

वैसे बड़े भाई की बात का क्या बुरा मानना…! बेटा तू बैठ पहले मे इसको स्कूल भेज दूं.. फिर बैठ कर बात करते हैं.. ठीक है,

और वो फिरसे रसोई में घुस गयीं… विजेता मुझे घूर-2 कर देख रही थी.. मेने कहा – माफ़ करना मेरी गुड़िया, मे तो ऐसे ही मज़ाक कर रहा था..

तुझे बुरा लगा तो सॉरी ! और मेने अपने कान पकड़ लिए तो वो खुश हो गयी.. और बोली – कोई बात नही भैया…

फिर वो बुआ को आवाज़ देकर बोली – मम्मी जल्दी करो मे लेट हो रही हूँ…
मेने कहा – कितना दूर है तेरा स्कूल…?

वो – अरे भैया.. दूसरे गाओं में है, यहाँ से 3 किमी दूर है और मुझे साइकल से जाना पड़ता है, फिर घड़ी की तरफ देख कर बोली –

ऑफ.ओ.. मे तो ऑलरेडी लेट हो गयी… अब पहला पीरियड तो मिलने वाला नही है…मम्मी…जल्दी…करो प्लीज़ !

बुआ – अभी लाई… बस दो मिनिट…

मे – तू कहे तो मे छोड़ दूं तुझे स्कूल…

वो – फिर उधर से कैसे आउन्गि…?
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