लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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Kamini
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Kamini »

Congratulations for 100000 vews

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rajsharma
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by rajsharma »

Kamini wrote: 18 Oct 2017 15:21 Congratulations for 100000 vews

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दीपावली की आप सभी दोस्तो को बहुत बहुत हार्दिक बधाई
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

kunal wrote: 17 Oct 2017 21:53Mast update
rajsharma wrote: 18 Oct 2017 15:41
Kamini wrote: 18 Oct 2017 15:21 Congratulations for 100000 vews

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दीपावली की आप सभी दोस्तो को बहुत बहुत हार्दिक बधाई
Kamini wrote: 18 Oct 2017 15:21 Congratulations for 100000 vews

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kunal wrote: 17 Oct 2017 21:53Mast update
thanks all
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

तब तक बुआ किचेन से उसका टिफेन बना कर ले आई,… और बोली – स्कूल छूटने के बाद भैया ही ले आएगा तुझे.. क्यों छोटू ! ले आएगा ना…!

मे – मुझे तो जाना था बुआ अभी… वो मे निशा को छोड़ने आया था, लौटते में सोचा आपसे भेंट करता चलूं…

बुआ – अरे तो शाम को चला जइयो.. अभी सुबह सुबह क्या करेगा… घर जाकर..
मेने कहा ठीक है, फिर चल विजेता.. तुझे स्कूल छोड़ देता हूँ..

दूसरे गाँव का रास्ता थोड़ा उबड़ खाबड़ था.. विजेता मेरे पीछे दोनो ओर को पैर कर के बैठी थी..

कभी ब्रेक लगाने पड़ते थे तो वो मेरे से सॅट जाती.. और उसके कच्चे अनार मेरी पीठ पर दब जाते…फिर जब गाड़ी उच्छलती तो वो रगड़ जाते…

मेरा लंड उसके स्पर्श से ही सर उठाने लगा था, …एक बार तो ज़ोर से ब्रेक लगते – 2 भी गाड़ी एक खड्डे मे चली ही गयी और ज़ोर से उच्छल गयी,

अब बुलेट पर पीछे कुछ ज़्यादा ही झटका लगता है..तो पहले तो वो मेरे ऊपर गिरी और फिर ऊपर को उछलि, जिसकी वजह से उसके अनार तो पीठ से रगडे ही…

साथ ही उसकी मुनिया भी मेरी कमर से रगड़ा खा गयी, और वो ज़ोर से सिसक पड़ी… शायद उसको भी मज़ा आया होगा…

मेने कहा – क्या हुआ विजेता…?

वो बोली – भैया धीरे – 2 चलाओ, ये रास्ता बहुत खराब है, साइकल से चलना भी मुश्किल हो जाता है…!

मे – हां वो तो मे देख ही रहा हूँ, पता नही लोगों का ध्यान इस तरफ क्यों नही जाता…

खैर जैसे तैसे कर के हम उसके स्कूल पहुँच ही गये, उसे स्कूल छोड़ कर मे बुआ के घर वापस आ गया…..

जब मे घर लौटा तो बुआ घर में झाड़ू लगा रही थी… वो एक लो कट गले की मेक्सी पहने हुए थी,

झुक कर झाड़ू लगाने से उनके बड़े-2 खरबूज जैसे स्तन लटक कर बाहर को झाँक रहे थे…

मे वहीं खड़ा होकर ये नज़ारा देख रहा था, कि इतने में उनकी नज़र पड़ गयी… और सीधी खड़े होते हुए हंस कर बोली – क्यों रे बदमाश, क्या देख रहा था…?

मेने भी हँसते हुए कहा – कुछ नही बुआ, तुम्हारा समान सामने आ गया तो देखने लगा…

वो – चल बैठ मे थोड़ी देर में झाड़ू मारकर फिर बैठती हूँ तेरे पास…

मेने बुआ से पूछा – बुआ वाकी लोग कहाँ गये…?

वो – तेरे फूफा इस समय खेतों में होते हैं… छोटी यहीं गाँव के स्कूल में है, उसका स्कूल जल्दी शुरू हो जाता है, दो घंटे में आ भी जाएगी…

इतना बोलकर वो फिरसे झुकर झाड़ू मारने लगी, टाइट मेक्सी में बुआ की चौड़ी गान्ड झुकने से और ज़्यादा बड़ी दिख रही थी…

शायद वो नीचे पेटिकोट और पेंटी भी नही पहने थी, जिस कारण से उसके दो पाटों के बीच की दरार किसी नाली की तरह सॉफ सॉफ दिखाई दे रही थी…

सोने पे सुहागा ये था, कि जब वो खड़ी हुई थी, तो मेक्सी का कपड़ा उसकी गान्ड की दरार में फँस गया था, जो अभी तक बेचारा निकलने के लिए फडफडा रहा था..

लेकिन दोनो पाटों का दबाब इतना ज़्यादा था, कि वो वहाँ से टस से मस नही हो पाया…

बुआ की गान्ड के नज़ारे ने मेरे लंड की ऐसी तैसी करदी, वो साला जीन्स के अंदर फडफडाने लगा…

मे चुपके से बुआ के पीछे गया, और उसकी गान्ड से जाकर चिपक गया,….

वो तो एकदम से हिल ही गयी, और अपनी गान्ड को मेरे लंड पर और ज़ोर से दबा दिया, तो मेने भी झुक कर बुआ के खरबूजों को पकड़ लिया…

वो झाड़ू छोड़कर खड़ी हो गयी, और अपनी गान्ड को मेरे लंड के आगे दबाते हुए बोली – निगोडे ! थोड़ा सा तो सबर करले,

मुझे पता है, तुझे मेरी गान्ड ने परेशान कर रखा है…ये हरामजादी दिनो दिन चौड़ी ही होती जा रही है…

मेने बुआ की चुचियों को मसल्ते हुए कहा – लगता है, फूफा जी, इस पर ज़्यादा ध्यान देते हैं.. तभी ये चौड़ी होती जा रही है…

वो – नाअ रे ! उन्हें गान्ड मारने का शौक नही है, पर वो ज़्यादा तर पीछे से ही करते हैं…

अब छोड़ मुझे झाड़ू मारने दे… फिर आराम से बैठते हैं…

मेने झुक कर बुआ की मेक्सी को उठाकर उनकी गान्ड को नंगा करते हुए कहा – इतना समय नही है बुआ… मेरा लंड अब और इंतेज़ार नही कर पाएगा…

इतना कह कर मेने अपनी जीन्स उतार दी, और फ्रेंची की साइड से लंड बाहर निकाल कर बुआ की गान्ड की दरार में फँसा कर ऊपर से नीचे रगड़ने लगा…

मेरे नंगे लंड का अहसास अपनी नंगी गान्ड पर होते ही बुआ सारी ना नुकुर भूल गयी, और अपनी आँखें बंद कर के उसने अपने हाथ सामने की दीवार पर टिका दिए…
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