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लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- Ankit
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- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
अब मेरा नंगा सुडौल 8” का गरमा-गरम किसी रोड जैसा कड़क लंड, बुआ की मुट्ठी में क़ैद था, जिसे वो धीरे – 2 उपर नीचे करके मुठियाने लगी…
वो नीचे को खिसकी, और उसने मेरे लंड का चुम्मा ले लिया, फिर धीरे से चाट कर अपनी चूत को रगड़ने लगी….
वासना बुआ के सर पर सवार हो चुकी थी, सो उसने अपनी पैंटी को निकाल फेंका,
मुझे कंधे से धक्का देकर सीधा किया और रज़ाई ओढ़े ही ओढ़े, अपनी चौड़ी गान्ड लेकर मेरे उपर सवार हो गयी…
मेरे दोनो ओर अपने घुटने टिकाए उसने अपनी गीली रस से सराबोर गरम चूत को मेरे लंड पर सेट किया और उसके ऊपर बैठती चली गयी…
मेरा लंड शायद बुआ की चूत के हिसाब से ज़्यादा मोटा था.., क्योंकि उसे अंदर करते हुए उसे दर्द का अहसास हुआ और उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…!
धीरे-2 कर के उसने मेरे पूरे लंड को उसकी चूत ने निगल लिया, और फिर मेरे ऊपर पसर कर हांपने लगी….!
उसकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे चौड़े चक्ले सीने से दब कर ब्लाउज को फाडे डाल रही थी…
नीम बेहोशी जैसी नींद की हालत में, मुझे ये सब सपने में होता प्रतीत हो रहा था…
लेकिन जब लंड पर चूत की गर्मी और गीलापन महसूस होते ही मेरी नींद खुल गयी.. और मेने अपनी आँखे खोल कर देखा…
शांति बुआ मेरे सीने में अपने बड़े-2 मुलायम चुचों को दबाए अपना मुँह मेरे कंधे से सटाये पड़ी हाँफ रही थी…
पहले तो मे उसको पहचान ही नही पाया…, इसलिए मेने उसके दोनो कंधे पकड़ कर जैसे ही उठाया वो सकपका गयी.. और उसने फिर से अपना मुँह मेरे कंधे में छुपा लिया…
मेने चोंक कर बुआ से कहा – शांति बुआ आप ! और आप ये क्या कर रही हो..? हटो मेरे ऊपर से.. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा…?
बुआ – प्लीज़ छोटू ! मुझे माफ़ कर्दे…, यार ! तेरे इस लंड की गर्मी मेरे से सहन नही हुई… अब थोड़ी देर और रुक जा.. मेरा राजा बेटा…!
मे – पर बुआ ! क्या ये सही है..? आप मेरी माँ समान हो….!
बुआ – अब सही ग़लत सोचने का समय निकल चुका है.. बेटा.. अब अपनी बुआ को ठंडी हो लेने दे, वरना ये कम्बख़्त मेरी चूत मुझे सोने नही देगी…
मे चुप रह गया.., कुछ देर बाद बुआ ने अपना काम शुरू कर दिया और वो अपनी मस्त गद्देदार गान्ड को मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी..
वो अपनी गान्ड को ज़्यादा नही उछाल पा रही थी क्योंकि अगर ग़लती से भी कोई जाग गया, और रज़ाई के अंदर भूकंप आता देख लिया तो बुआ के साथ-2 मेरी भी पूरी तरह भॅड पिट जानी थी..!
बाबूजी अपनी बेहन की चुदाई कैसे बर्दास्त करते वो भी अपने बेटे से…., तो पता लगते ही, वो गान्ड कुटाई होनी थी… कि भगवान ही जाने….!
इसी डर के चलते, बुआ की लय थोड़ी मध्यम ही रही, मे तो कोई कोशिश कर ही नही सकता था…!
तो जैसे तैसे कर के बुआ ने अपना पानी निकाल ही लिया.. और चूत में मेरा लंड घुसाए हुए वो मेरे ऊपर लेट कर हाँफने लगी…
मे – अब क्या हुआ बुआ ? रुक क्यों गयी..?
अरे छोटू ! मेरा तो हो गया…वो फुसफुसा कर बोली…
ये सुनते ही मेरी झान्टे सुलग गयीं… इसकी माँ की चूत मारु…, भेन्चोद इसका हो गया तो ये खुश और मेरा क्या…?
भेन्चोद यहाँ लंड फटने की कगार पर है, और ये भोसड़ी की अपनी चूत झाड के फारिग हो गयी….!
सारा डर रखा ताक पर, लपक कर मेने उसे बाजू में लिटाया और उसको अपनी तरफ गान्ड घुमाने को कहा…
वो ना नुकुर करने लगी… मुझे गुस्सा आने लगा.. मेने कहा – बुआ अब ये ठीक नही होगा, चुप चाप उधर करवट ले लो वरना में सबको जगा के बताता हूँ..
उसकी गान्ड फट गयी, और झट से अपनी मोटी गुद गुदि गान्ड मेरी ओर करदी.. मेने थोड़ा सा अपना सर पीछे को किया, टाँगों को उसकी तरफ कर के उसकी ऊपर की टाँग को उसके पेट से लगाया..
मेरे और बुआ के सर के बीच अब 45 डिग्री का आंगल था, उसकी चूत मेरे लंड के ठीक सामने खुली पड़ी थी…
मेने घचक से पूरा लंड एक ही झटके में पेल दिया… उसके मुँह से एक दबी दबी सी कराह… निकल गयी..
बुआ की चुचियों को ब्लाउज के उपर से मसल्ते हुए मे ढका-धक धक्के मारने लगा…
मेरे धक्कों की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि उसकी हाल ही झड़ी चूत सूखने लग गयी.. और घर्षण से उसमें जलन होने लगी…
बुआ गिडगिडाते हुए बोली – छोटू धीरे कर बेटा… मेरी चूत में जलन हो रही है..
मे क्या करूँ तो.. आपने मेरे लॉड को क्यों जगाया.. अब झेलो…
थोड़ी देर बाद उसकी चूत फिर से पनियाने लग गयी और वो भी मज़े ले लेकर मेरे धक्कों पर अपनी गान्ड पीछे धकेल - धकेल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी…
आधे घंटे में बुआ दो बार पानी छोड़ गयी, तब जाकर मेने उसकी पोखर को अपने गाढ़े पानी से भरा…
मेने अपना लंड बुआ की चूत से निकाला, पच की आवाज़ के साथ वो बाहर आ गया, उसके पेटिकोट से अपने लंड को पोंच्छ कर करवट लेकर मे सो गया………………
अगली सुबह तोड़ा देर से उठा, आज नयी दुल्हन को अपने देवर को गोद में बिठाने की रसम थी… रामा दीदी ने ही मुझे झकझोर कर उठाया…
अलसाया सा मे अपनी आँखों को मिचमिचाते हुए उठा और झल्लाकर बोला – क्या है..? क्यों मुझे सोने नही देती…
वो- अरे सब तेरा इंतेजार कर रहे हैं… आज नयी भाभी तुझे अपनी गोद में बिठा कर लाड करने वाली हैं…
मेरी उठने की कतयि इच्छा नही थी, लेकिन नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही मेरे अंदर गुद गुदि सी पैदा हो गयी…,
मेरा सारा आलस्य भाग खड़ा हुआ, और झटपट उठके बाथरूम की तरफ भागा…
रामा दीदी खिल खिलाकर हँसते हुए बड़बड़ाई… देखो नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही कैसी नींद भाग गयी….हहेहहे…
मे 1 घंटे में नहा धोकर फ्रेश होकर एक लाल सुर्ख रंग की टाइट टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहन कर आँगन में पहुँचा…
वहाँ सब रसम के लिए मेरा इंतेज़ार कर रहे थे… सबकी नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, तो टिकी ही रह गयी…
निशा तो मानो किसी सम्मोहन से बँधी.. मुझे बड़ी ही प्यारी नज़रों से देखे जारही थी…
टाइट कसी हुई टीशर्ट में मेरी कसरती बॉडी के सारे कट्स दिखाई दे रहे थे.. सीना एकदम बाहर.. उसके नीचे के पॅक्स… बाजुओं की मछलिया…
मेने आज एक स्पेशल इंपोर्टेड पर्फ्यूम भी लगाया हुआ था… वैसे इन सब की मुझे कभी आदत नही थी…
आँगन में घर के बड़े लोगों को छोड़, वाकई सभी लोग मौजूद थे..
पूरे आँगन में एक कालीन का बिच्छवान डाला हुआ था.. सेंटर में दो मोटे-2 गद्दे जिन पर एक साफ-सुथरी चादर,
जिसके ऊपर कामिनी भाभी.. पालती मारे सुर्ख लाल जोड़े में अपनी नज़रें झुकाए बैठी थी…
वो नीचे को खिसकी, और उसने मेरे लंड का चुम्मा ले लिया, फिर धीरे से चाट कर अपनी चूत को रगड़ने लगी….
वासना बुआ के सर पर सवार हो चुकी थी, सो उसने अपनी पैंटी को निकाल फेंका,
मुझे कंधे से धक्का देकर सीधा किया और रज़ाई ओढ़े ही ओढ़े, अपनी चौड़ी गान्ड लेकर मेरे उपर सवार हो गयी…
मेरे दोनो ओर अपने घुटने टिकाए उसने अपनी गीली रस से सराबोर गरम चूत को मेरे लंड पर सेट किया और उसके ऊपर बैठती चली गयी…
मेरा लंड शायद बुआ की चूत के हिसाब से ज़्यादा मोटा था.., क्योंकि उसे अंदर करते हुए उसे दर्द का अहसास हुआ और उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…!
धीरे-2 कर के उसने मेरे पूरे लंड को उसकी चूत ने निगल लिया, और फिर मेरे ऊपर पसर कर हांपने लगी….!
उसकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे चौड़े चक्ले सीने से दब कर ब्लाउज को फाडे डाल रही थी…
नीम बेहोशी जैसी नींद की हालत में, मुझे ये सब सपने में होता प्रतीत हो रहा था…
लेकिन जब लंड पर चूत की गर्मी और गीलापन महसूस होते ही मेरी नींद खुल गयी.. और मेने अपनी आँखे खोल कर देखा…
शांति बुआ मेरे सीने में अपने बड़े-2 मुलायम चुचों को दबाए अपना मुँह मेरे कंधे से सटाये पड़ी हाँफ रही थी…
पहले तो मे उसको पहचान ही नही पाया…, इसलिए मेने उसके दोनो कंधे पकड़ कर जैसे ही उठाया वो सकपका गयी.. और उसने फिर से अपना मुँह मेरे कंधे में छुपा लिया…
मेने चोंक कर बुआ से कहा – शांति बुआ आप ! और आप ये क्या कर रही हो..? हटो मेरे ऊपर से.. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा…?
बुआ – प्लीज़ छोटू ! मुझे माफ़ कर्दे…, यार ! तेरे इस लंड की गर्मी मेरे से सहन नही हुई… अब थोड़ी देर और रुक जा.. मेरा राजा बेटा…!
मे – पर बुआ ! क्या ये सही है..? आप मेरी माँ समान हो….!
बुआ – अब सही ग़लत सोचने का समय निकल चुका है.. बेटा.. अब अपनी बुआ को ठंडी हो लेने दे, वरना ये कम्बख़्त मेरी चूत मुझे सोने नही देगी…
मे चुप रह गया.., कुछ देर बाद बुआ ने अपना काम शुरू कर दिया और वो अपनी मस्त गद्देदार गान्ड को मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी..
वो अपनी गान्ड को ज़्यादा नही उछाल पा रही थी क्योंकि अगर ग़लती से भी कोई जाग गया, और रज़ाई के अंदर भूकंप आता देख लिया तो बुआ के साथ-2 मेरी भी पूरी तरह भॅड पिट जानी थी..!
बाबूजी अपनी बेहन की चुदाई कैसे बर्दास्त करते वो भी अपने बेटे से…., तो पता लगते ही, वो गान्ड कुटाई होनी थी… कि भगवान ही जाने….!
इसी डर के चलते, बुआ की लय थोड़ी मध्यम ही रही, मे तो कोई कोशिश कर ही नही सकता था…!
तो जैसे तैसे कर के बुआ ने अपना पानी निकाल ही लिया.. और चूत में मेरा लंड घुसाए हुए वो मेरे ऊपर लेट कर हाँफने लगी…
मे – अब क्या हुआ बुआ ? रुक क्यों गयी..?
अरे छोटू ! मेरा तो हो गया…वो फुसफुसा कर बोली…
ये सुनते ही मेरी झान्टे सुलग गयीं… इसकी माँ की चूत मारु…, भेन्चोद इसका हो गया तो ये खुश और मेरा क्या…?
भेन्चोद यहाँ लंड फटने की कगार पर है, और ये भोसड़ी की अपनी चूत झाड के फारिग हो गयी….!
सारा डर रखा ताक पर, लपक कर मेने उसे बाजू में लिटाया और उसको अपनी तरफ गान्ड घुमाने को कहा…
वो ना नुकुर करने लगी… मुझे गुस्सा आने लगा.. मेने कहा – बुआ अब ये ठीक नही होगा, चुप चाप उधर करवट ले लो वरना में सबको जगा के बताता हूँ..
उसकी गान्ड फट गयी, और झट से अपनी मोटी गुद गुदि गान्ड मेरी ओर करदी.. मेने थोड़ा सा अपना सर पीछे को किया, टाँगों को उसकी तरफ कर के उसकी ऊपर की टाँग को उसके पेट से लगाया..
मेरे और बुआ के सर के बीच अब 45 डिग्री का आंगल था, उसकी चूत मेरे लंड के ठीक सामने खुली पड़ी थी…
मेने घचक से पूरा लंड एक ही झटके में पेल दिया… उसके मुँह से एक दबी दबी सी कराह… निकल गयी..
बुआ की चुचियों को ब्लाउज के उपर से मसल्ते हुए मे ढका-धक धक्के मारने लगा…
मेरे धक्कों की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि उसकी हाल ही झड़ी चूत सूखने लग गयी.. और घर्षण से उसमें जलन होने लगी…
बुआ गिडगिडाते हुए बोली – छोटू धीरे कर बेटा… मेरी चूत में जलन हो रही है..
मे क्या करूँ तो.. आपने मेरे लॉड को क्यों जगाया.. अब झेलो…
थोड़ी देर बाद उसकी चूत फिर से पनियाने लग गयी और वो भी मज़े ले लेकर मेरे धक्कों पर अपनी गान्ड पीछे धकेल - धकेल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी…
आधे घंटे में बुआ दो बार पानी छोड़ गयी, तब जाकर मेने उसकी पोखर को अपने गाढ़े पानी से भरा…
मेने अपना लंड बुआ की चूत से निकाला, पच की आवाज़ के साथ वो बाहर आ गया, उसके पेटिकोट से अपने लंड को पोंच्छ कर करवट लेकर मे सो गया………………
अगली सुबह तोड़ा देर से उठा, आज नयी दुल्हन को अपने देवर को गोद में बिठाने की रसम थी… रामा दीदी ने ही मुझे झकझोर कर उठाया…
अलसाया सा मे अपनी आँखों को मिचमिचाते हुए उठा और झल्लाकर बोला – क्या है..? क्यों मुझे सोने नही देती…
वो- अरे सब तेरा इंतेजार कर रहे हैं… आज नयी भाभी तुझे अपनी गोद में बिठा कर लाड करने वाली हैं…
मेरी उठने की कतयि इच्छा नही थी, लेकिन नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही मेरे अंदर गुद गुदि सी पैदा हो गयी…,
मेरा सारा आलस्य भाग खड़ा हुआ, और झटपट उठके बाथरूम की तरफ भागा…
रामा दीदी खिल खिलाकर हँसते हुए बड़बड़ाई… देखो नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही कैसी नींद भाग गयी….हहेहहे…
मे 1 घंटे में नहा धोकर फ्रेश होकर एक लाल सुर्ख रंग की टाइट टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहन कर आँगन में पहुँचा…
वहाँ सब रसम के लिए मेरा इंतेज़ार कर रहे थे… सबकी नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, तो टिकी ही रह गयी…
निशा तो मानो किसी सम्मोहन से बँधी.. मुझे बड़ी ही प्यारी नज़रों से देखे जारही थी…
टाइट कसी हुई टीशर्ट में मेरी कसरती बॉडी के सारे कट्स दिखाई दे रहे थे.. सीना एकदम बाहर.. उसके नीचे के पॅक्स… बाजुओं की मछलिया…
मेने आज एक स्पेशल इंपोर्टेड पर्फ्यूम भी लगाया हुआ था… वैसे इन सब की मुझे कभी आदत नही थी…
आँगन में घर के बड़े लोगों को छोड़, वाकई सभी लोग मौजूद थे..
पूरे आँगन में एक कालीन का बिच्छवान डाला हुआ था.. सेंटर में दो मोटे-2 गद्दे जिन पर एक साफ-सुथरी चादर,
जिसके ऊपर कामिनी भाभी.. पालती मारे सुर्ख लाल जोड़े में अपनी नज़रें झुकाए बैठी थी…
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
मुझे देखते ही सब खुश हो गये, मोहिनी भाभी मेरी टाँग खींचते हुए बोली…
लो जी.. आ गये देवर राजा.. बड़े आटिट्यूड वाले हैं.. भाभी बेचारी कब से इंतेज़ार में हैं.. कि उनके प्यारे, दुलारे, जगत से न्यारे देवर जी आएँ तो वो उन्हें लाड करें..
मेने हँसते हुए.. पीछे से उनके गले में बाहें डाल दी और बोला – क्या
भाभी.. मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी… आप मेरी ही टाँग खींचने लगी..
वो हँसते हुए बोली – अरे मेरे प्यारे देवर्जी.. यहाँ सब कब्से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे हैं… और तुम हो कि अभी तक सोए पड़े थे…
खैर चलो… आज आपकी छोटी भाभी का नंबर है लाड करने का.. बड़ी से तो बहुत लाड ले लिया.. जाओ जाकर उनकी गोद में बैठो..
फिर मेरे कान में फुसफुसा कर बोली – लल्ला नयी भाभी पर कोई रहम मत करना… पूरा वजन रख कर बैठना आराम से…
मे मुस्कराते हुए कामिनी भाभी के आगे अपने घुटने टेक कर बैठ गया… और उनके चिन को उठा कर फेस अपनी तरफ कर के बोला –
भाभी बिना देवर की ओर देखे ही लाड करोगी…?
उन्होने मुझे एक बार भरपूर नज़र डालकर देखा… एक सुर्ख लाल जोड़े में वो इस समय बहुत सुंदर लगा रही थी…कुछ – 2 इस तरह की छवि…..
एक दम चाँद का टुकड़ा… होंठों पर सुर्ख लिपीसटिक.. गोरे-2 गाल, हल्की सी लाली लिए..
लेकिन मेकप के बाद भी उनके एक गाल पर कुछ निशान सा था…
उन्होने अपनी प्यारी सी मीठी सी आवाज़ में कहा – देवर जी आइए ना मेरी गोद में बैठिए…
मे – आप मुझे झेल पाएँगी….…?
मेरी बात पर सभी हँसने लगे…और कामिनी भाभी ने शर्म से नज़र झुका ली…
मेने बुआ से पूछा – मेरी बात पर आप सभी लोग हंस क्यों रहे हो…?
बुआ – वो तेरे बड़े भाई को झेल चुकी है, तुझे झेलने में क्या तकलीफ़ होगी…इस बात पर बुआ समेत सभी ज़ोर-2 से हँसने लगे….!
मेने झेन्प्ते हुए कहा – अरे मे तो अपने वजन की बात कर रहा था….!
कामिनी भाभी – कोशिश करूँगी…, आप बैठिए..!
मे अपनी तशरीफ़ लेकर उनकी गोद में बैठने लगा.. मेने धीरे-2 कर के अपना सारा वजन उनकी जांघों पर डाल दिया….
उनकी मांसल जांघों का स्पर्श अपने कुल्हों पर फील होते ही मेरा पप्पू जीन्स में कुलबुलाने लगा..
उन्होने मेरे गालों पर हाथ फेर्कर प्यार से सहलाया और फिर अपने लिपीसटिक से पतले होंठ रख कर दोनो तरफ चूम लिया… लिपीसटिक के निशान मेरे दोनो गालों पर छप गये…
मेने उनके कान में फुसफुसा कर कहा… भाभी में भी आपके गालों पर किस करना चाहता हूँ…
वो मेरी बात सुनकर शरमा गयी.. मेने कहा.. बोलिए ना भाभी.. प्लीज़ एक बार बस…
वो – अपने भैया से पुच्छ लीजिए… ना..
मेने भैया से कहा – भैया.. मे भाभी को किस करना चाहता हूँ.. अगर आप इज़ाज़त दें तो..
वो बोले – अरे यार ! आज तुम भाभी देवर के बीच कोई कुछ नही बोलेगा… तुम दोनो आपस में ही डिसाइड करो भाई…
मेने भाभी की तरफ देखा.. उन्होने मौन स्वीकृति देदि… फिर मेने भाभी के दोनो गालों का चुंबन लिया और फुसफुसाया..
भाभी लगता है भैया ने आपको रात बहुत ज़ोर से काटा है.. निशान अभी तक है..
शर्म से उनकी गर्दन झुक गयी… मे अभी उनकी गोद से उठने की सोच ही रहा था कि चाची बोली पड़ी…
लल्ला ! भाभी की गोद से बिना नेग लिए मत उठना…
वाउ ! ये तो डबल धमाका हो गया… ! हां तो भाभी क्या देंगी.. अपने देवर को..?
वो – जो भी चाहिए माँग लो..!
मे – तो ठीक है… मुझे एक सॅमसंग का स्मार्ट फोन चाहिए… (जो उस समय नया लॉंच हुआ था मार्केट में)…
वो – ठीक है… जब आप गौने के लिए आओगे… आपका फोन आपको मिल जाएगा…
मेने एग्ज़ाइट्मेंट में भाभी के गालों को फिर से चूम लिया और उन्हें थॅंक्स बोलकर गोद से उठ गया……………!
दूसरे दिन शांति बुआ को अपने घर वापस जाना था, सुबह ही सुबह वो तैयार होने में लगी थी.. मे जब जाग के आया तब तक वो जाने के लिए तैयार खड़ी थी…
मेने बुआ को स्माइल किया… और उनके पैर छूते हुए कहा… क्यों बुआ ! कल रात मज़ा आया..
वो भी मुस्कराते हुए बोली – बहुत मस्त चोदता है तू… कभी आना मेरे घर.. तब देखूँगी.. तुझ में कितना दम खम है…
और हँसते हुए उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया…, बुआ के खरबूजों ने मेरे सोए हुए शेर पर फिर अटॅक कर दिया…
मेने उनके कान में कहा.. ज़रूर आउन्गा बुआ… आपका चॅलेंज मुझे मंजूर है… मेरी हॉट डार्लिंग बुआ…..
बीते एक हफ्ते में निशा ने मेरे दिल पर इस कदर कब्जा कर लिया था कि मुझे उठते-बैठते, सोते-जागते बस उसी के ख्याल आते रहते…
बुआ के जाते ही मे फिर उसके ख़यालों में खोने लगा…
भाभी मेरी हालत से अन्भिग्य नही थी, लेकिन घर की भीड़-भाड़ के चलते वो भी कुछ नही कर सकती थी…
धीरे-2 एक-एक कर के रिस्तेदार विदा होने लगे.. भाभी ने निशा को और कुछ दिनो के लिए रोक लिया था… उनका भाई राजेश अपने घर लौट गया था…
बड़ी बुआ भी जा चुकी थी.., एक हफ्ते बाद कामिनी भाभी भी पहली बार विदा होकर अपने घर चली गयी.. और दोनो भाई अपनी ड्यूटी पर लौट गये…
एक दिन मे छोटी चाची के यहाँ उनके आँगन में पड़ी चारपाई पर लेटा था, चाची सिरहने की तरफ पलटी लगाए बैठी थी, मेरा सर उनकी गोद में रखा हुआ था…
मेने चाची के खर्बूजों को दबा कर कहा – आअहह.. चाची ये तो और ज़्यादा फूल कर गुदगूदे होते जा रहे हैं…
वो – हां लल्ला.. अब इनमें दूध भी तो बनेगा ना… बच्चे के लिए.. जैसे-2 दिन नज़दीक आते जाएँगे वैसे-2 इनमें दूध आता जाएगा…
मेने एक चुचि को मसल्ते हुए कहा – तो अभी चूस कर देखूं क्या.. दूध निकलेगा इनमें से..?
वो – नही लल्ला, अभी नही, वो तो बच्चे के जन्म के बाद ही आएगा…! लेकिन लल्ला.. अब मेरा मान बहुत करता है वो करने का… प्लीज़ कुछ करो ना.. !
मे – मुझे कोई प्राब्लम नही है चाची.. आप कहो तो अभी अंदर चलते हैं…?
वो- नही अभी नही.. एक काम करना, कल कॉलेज से जल्दी सीधे यहीं आ जाना..
मेने हां बोलके एक बार और उनके चुचे मसल दिए… उनके मुँह से आहह..
निकल गयी… जबाब में उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर मरोड़ दिया….!
आययईीीई…क्या करती हो चाची… उखाड़ोगी क्या..? मेने सिसकते हुए कहा…
वो हँसते हुए बोली – जब तुमने मेरी चुचि मसली थी, तो कुछ नही, अब अपनी बारी आई तो चिल्लाने लगे…
अभी हम आगे कुछ और करते, कि दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई दी…
मे उनकी गोद से उठ कर बैठ गया.. सामने देखा तो निशा, रूचि को गोद में लिए खड़ी थी..
- Kamini
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
mast update
- mastram
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
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