लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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Kamini
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Kamini »

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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

आज हमारे घर पर भाभी के माता-पिता और राजेश सहित सभी लोग मौजूद थे, इसी मौके पर बाबूजी ने जिकर चलाते हुए कहा….

समधी जी… अंकुश के आने के बाद हमने उससे शादी की बात चलाई थी, तो उसने कहा था.. कि निशा का भाई जब तक अपनी बेहन को विदा नही करेगा वो शादी नही करेगा…

अब राजेश को जैल से बाहर निकाल कर उसने तो अपना वादा पूरा कर दिया है,.. तो अब क्यों ना हम भी अपना वादा पूरा करदें..!

निशा के पापा – समधी साब ! इसके लिए हमें पूछ कर आप शर्मिंदा मत करिए…

निशा अब आपकी बेटी, बहू जो भी आप समझें आपकी अमानत है… आप जब, जिस तरह से आदेश देंगे हम दोनो उसका कन्यादान कर देंगे…!

बाबूजी – तो फिर शुभ काम में देरी नही करनी चाहिए… क्यों ना आज ही पंडितजी को बुलाकर शुभ मुहूर्त निकलवा लिया जाए…

वो –बहुत ही नेक विचार है आपका…!

तभी भाभी ने निशा की तरफ देखते हुए कहा, लेकिन बाबूजी, इसकी शक्ल देख कर तो लगता नही कि ये इस शादी से खुश है…!

भाभी के मुँह से ये शब्द सुनते ही, वो तुरंत बोल पड़ी, नही.. नही दीदी, मे बहुत खुश हूँ…, उसकी बात सुनते ही सभी ठहाके लगाकर हँसने लगे…

वो बेचारी बुरी तरह झेंप गयी, और भागकर कमरे में चली गयी…

मुस्कराते हुए भाभी ने मुझे इशारा किया, तो मे वहाँ से उठाकर उसके पीछे-2 चला गया, वो दरवाजे की तरफ पीठ कर के खड़ी थर-थर काँप रही थी,

मेने पीछे से उसे बाहों में भर लिया, वो और ज़्यादा काँपने लगी, फिर मेने जैसे ही अपने तपते होंठ उसकी गर्दन पर रखे…

वो बुरी तरह से सिहरकर पलटी और मेरे शरीर से लिपट गयी, उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया…!

मेने बड़े प्यार से उसके चेहरे को उठाया, वो पलकें झुकाए खड़ी रही..

जब मेने उसके कान की लौ को चूमते हुए हौले से कहा – निशा क्या तुम सच में इस शादी से खुश नही हो…!

उसने झट से अपनी पलकें खोल दी, और मेरे होंठों को चूम लिया, फिर मेरी आँखों में झाँक कर बोली – क्या आप मुझे अपने काबिल समझते हैं..?

मेने शरारत से कहा – अगर तुम खुश हो तो मे भी काम चला लूँगा.., वैसे इतनी शर्मीली लड़की को झेलना थोड़ा मुश्किल तो होगा…

वो बुरी तरह से लिपट गयी, और मेरे चेहरे को अपने चुंबनों से भर दिया और उसी एग्ज़ाइट्मेंट में बोली – थॅंक यू जानू, आप बहुत अच्छे हैं,

अब किसी ने आपको मुझसे छीनने की कोशिश भी की तो मे उसका खून कर दूँगी..

मे – अच्छा ! सबके सामने तो भीगी बिल्ली बन जाती हो, और यहाँ बड़ी शेरनी बन रही हो…

अब चलो बाहर सबके साथ बैठते हैं, देखें तो सही क्या बातें हो रही हैं, ये कहकर हम बाहर आ गये…

मुझे देखते ही बाबूजी ने पंडित जी को बुलाने के लिए कहा … मे खुश होता हुआ पंडित जी के घर पहुँचा… वो मुझे अपने घर के बाहर ही मिल गये…

मेने उन्हें बाबूजी के पास भेजा और खुद उनके घर के अंदर चला गया…

अंदर उनकी बहू अपने बच्चे के साथ खेल रही थी, जो अब बड़ा हो गया था..

मुझे देखते ही वो मेरे गले से लिपट गयी… और अपने बेटे से बोली – पिंटू.. बेटा देख तेरे पापा आए हैं… चल इनके पाँव छुकर आशीर्वाद ले…

बच्चा बड़ा अग्यकारी था, उसने फ़ौरन मेरे पैर छुये.. मेने उसे गोद में उठा लिया.. और उसके गाल पर किस कर के प्यार करने लगा…

मे – कितना प्यारा बच्चा है आपका भौजी… बड़ा होकर एकदम हीरो लगेगा…

वो – खून तो आपका ही है ना.. ! गौर से देखो… बिल्कुल आपका दूसरा रूप लगता है…

मेने उसका माथा चूमकर कहा – कोई शक़ तो नही करता.. कि ये ऐसा क्यों दिखता है…

वो – करने दो मुझे किसी का डर नही है… इसके दादा- दादी और वो सो कॉल्ड बाप तो घर में बच्चे के होने से ही खुश हैं… बाहरवालों की परवाह कॉन करता है…!

आप सूनाओ, बड़े दिनो बाद दिखाई दिए हो.. कहाँ थे अब तक.. फिर मेने उसे सारी बातें कही… और बोला – मेरी शादी हो रही है.. आओगी ना !

वो खुश होते हुए बोली… अच्छा ! कब..? किसके साथ..?

मे – मेरी भाभी की बेहन निशा के साथ… पंडित जी को इसलिए बुलाया है बाबूजी ने, तारीख पक्का करने के लिए…!

वो – ये तो बड़ी खुशी की बात बताई है आपने, सच में निशा बहुत खुश किस्मत है, जिसे आप जैसा पूर्ण पुरुष जीवन साथी के रूप में मिल रहा है..

चाहे कोई कुछ भी कहे मे तो आपकी शादी में खूब नाचूंगी… लेकिन देवर जी.. मुझे आपकी बहुत याद आती है… क्या आपको कभी मेरी याद नही आई..?

मे – आती तो है भौजी… पर पढ़ाई भी तो ज़रूरी थी.. अब शायद मे यहीं रहूँगा.. तो कभी-2 चान्स मिल सकता है…

वो – अभी मारलो ना चान्स… जल्दी से वैसे इसकी दादी पड़ोस में ही गयी है.. आती ही होगी.. तब तक…??

मे – नही ऐसे नही.. कभी फ़ुर्सत से…चिंता मत करो.. मौका मिलेगा.. और उसके होंठों को चूमकर मे वहाँ से निकल आया.. वाहहन से सीधा छोटी चाची के घर पहुँचा….!

चाची किसी काम में लगी थी… उनका बेटा वहीं आँगन में खेल रहा था… मेने उसे कहा.. अरे अंश बेटा.. मम्मी कहाँ हैं…?

वो मुझे देखते ही चिल्लाया… मम्मी … देखो कोई आया है….!

उसकी आवाज़ सुनकर चाची बाहर आई.. और मुझे देखते ही दौड़ कर मेरे सीने से लिपट गयी…

फिर अपने बेटे से बोली.. अंश बेटा इनके पाँव तो छुओ.. ये तुम्हारे बड़े भाई हैं… रूचि के पापा की तरह…

उसने भी मेरे पैर छुये… मेने उसे गोद में उठा लिया और गाल चूम कर उसे प्यार करने लगा… फिर चाची के कान में कहा… सिर्फ़ भाई…!

वो शरमा कर बोली – पापा भी… लेकिन इसको नही बता सकती ना ! फिर मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोली -

लल्ला ! बहुत याद आती है तुम्हारी… कितनी ही रातें तुम्हें याद कर-कर के काटी हैं मेने… इस शरीर को तो जैसे तुम्हारी ही आदत लग गयी थी…..

मे – अब क्या करूँ चाची… मुझे भी तो अपना भविश्य बनाना था…!

वो – हां ! सच कहा तुमने, यहाँ देखो क्या मुसीबत आन पड़ी है.., बेचारे राम और मोहिनी अपने भाई को लेकर कितने परेशान हैं…

मे – अब सारी परेशानी दूर हो गयी चाची… राजेश घर आ गया है.. कभी बाहर निकल कर भी देख लिया करो…

वो – क्या कह रहे हो ! सच में..! कहाँ है.. वो ?

मे – हमारे घर पर ही हैं सब लोग… निशा के मम्मी-पापा भी आए हुए हैं..
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

फिर बातों – 2 में मेने अपनी और निशा की शादी की बात बताई तो वो एकदम से भड़क गयी.. और अपने बेटे और मुझे साथ लेकर हमारे घर की तरफ लपक ली…!

घर में घुसते ही चाची पैर पटकते हुए बोली – जेठ जी आपने हमें बिल्कुल ही पराया कर दिया…? इतनी बड़ी खुशी और हमें बताया तक नही…!

भैया – अरे चाची.. अभी खुशी के लिए बैठे ही हैं.. अभी कुछ तय नही हुया…

बहू तो आपने देखी ही है.. और बताइए आपकी क्या इच्छा है.. वो भी रख देते हैं इनके सामने…

चाची – बड़े लल्ला जी मेरी क्या इच्छा होगी,.. इस घर की खुशी से बढ़कर मेरी और कोई इच्छा नही है.. मे तो बस इतना कह रही थी.. कि हमें भी इस खुशी में शामिल कर लेते तो मुझे अच्छा लगता…

भाभी – सॉरी चाची… हम आपको खबर करने ही वाले थे.. लल्ला जी के आने के बाद उन्हें आपके पास ही भेजते.., पर वो देखो हमारे कहने से पहले ही आपको ले आए… अब बताइए क्या ग़लत हुआ…!

चाची चुप रह गयी.. फिर बाबूजी ने कहा.. अंकुश ! बेटा जा अपने दोनो चाचा – चाची को भी खबर कर्दे.. सब मिल बैठ कर बात करते हैं.. वरना रश्मि की तरह वो लोग भी नाराज़ होंगे..

चाची – जेठ जी ! मे तो बस… ऐसे ही…

बाबूजी – मे जानता हूँ रश्मि .. तुम हम लोगों से कितना हित रखती हो.. इसलिए तुमने अपना हक़ जताया है,…

हम सच में माफी माँगते हैं तुमसे कि हमने पहले तुम्हें नही बुलाया…

इतने में और लोग भी आ गये.. और सबके सामने मेरी शादी की बात तय हुई…

मेरे कहने पर शादी को बड़े सादगी ढंग से करने का निर्णय लिया गया.. कोई ज़्यादा शोर-शराबा या हंगामा नही करना था..
बस अपने घरवालों की मौजूदगी में ही सात फेरे लेने थे.. और सबका आशीर्वाद लेकर अपना घर संसार बसा लेना था..

वाकी लोगों की मनसा थी कि सारे रिस्ते-नातेदारो को बुलाया जाए.. लेकिन मेने मना कर दिया.. जिसे भैया और भाभी ने भी उचित ठहराया,…इसके पीछे मेरा आगे का मक़सद जुड़ा हुआ था…

किसी और सगे संबंधी को ना बुलाना पड़े, इस वजह से हमने रामा दीदी को भी खबर नही की, वरना चाचा की बेटियों को भी बुलाना पड़ता…

मे नही चाहता था कि मेरी शादी की बात ज़यादा लोगों को पता लगे…

और एक दिन सभी घर परिवार की मौजूदगी में हम दोनो एक हो गये.. हमने गाँव के अन्य लोगों को भी शामिल नही किया था…

आज निशा मेरी थी.. मे निशा का था…, दोनो ने बंधन में बँधने के बाद सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया…

भाभी के पैर लगते हुए मे उनके कान में फुसफुसाया…

भाभी , आख़िर तोता – मैना एक हो ही गये,… उन्होने मुस्करा कर आशीर्वाद देते हुए कहा…ये जोड़ी सदा यौंही बनी रहे.. एश्वर से बस यही प्रार्थना है मेरी..

आज मेरी तपस्या का फल मुझे मिल गया है,… फिर वो आँसुओं भरे चेहरे को ऊपर उठा कर बोली – माजी मेरी ज़िम्मेदारियों में कोई कमी रह गयी हो तो अपनी बेटी समझ कर मुझे माफ़ कर देना…

बाबूजी भी अपनी भावनाओं को काबू में नही रख पाए,.. रोते हुए उन्होने
भाभी को अपने गले से लगा लिया.. और रुँधे स्वर में बोले…

नही मेरी बच्ची… तूने अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी श्रद्धा और लगान से निभाईं हैं… शायद इतनी अच्छी तरह से विमला भी ना निभा पाती…!

ये देख कर वहाँ मौजूद सभी की आँखें भी नम हो गयी…… !

सारे रीति-रिवाजों को संपन्न करने के बाद, निशा के मम्मी पापा और भैया कुछ घंटे रुक कर दोपहर ढलते ही अपने घर लौट गये…

भाभी ने मुझे कहा… लल्ला जी आज तुम दोनो के मिलन की पहली रात है, तो सगुण के तौर पर निशा को ऐसा कुछ देना जो उसे पसंद आए…

मेने कहा – सब तरह के गहने-जेवर तो आपने उसे दे ही दिए हैं… अब मे ऐसा क्या दूँ.. आप ही कुछ बता दो…

भाभी – एक लड़की गहने-जेवर से बढ़कर अपने पति द्वारा प्यार से दिया हुआ तोहफा ज़्यादा पसंद करती है…, तो जो भी तुम्हें पसंद हो वो दे देना…

मे सोच में पड़ गया… मेने कभी अपनी पसंद-नापसंद के बारे में सोचा ही नही था… सारी इक्षाएँ तो भाभी ही पूरा करती आईं थीं…तो ऐसा क्या दूँ, जो उसे भी पसंद आए…

क्या इसके बारे में निशा को ही पूछा जाए…? लेकिन वो तो कहेगी कि उसे और कुछ नही चाहिए… तो फिर क्या दिया जाए…?

फिर मेरे दिमाग़ में आया… क्यों ना उसे ऐसा कुछ दिया जाए… जिसकी वजह से वो हर समय मेरे करीब ही रहे…तो मेरे दिमाग़ ने कहा “मोबाइल” .

हां यही ठीक रहेगा, एक स्मार्ट फोन उसे देता हूँ, जिससे हम चाहे पास हों या दूर, जब मन करे, एकदुसरे से बात कर के करीब ही रह सकते हैं…

ये सोच कर मेने गाड़ी उठाई और शहर की तरफ चल दिया…
शहर जाकर मेने एक अच्छी सी कंपनी का स्मार्ट फोन खरीदा और चल पड़ा अपने घर की ओर… अपने प्रथम मिलन की कल्पना करते हुए…

अभी मे शहर से कोई 10 किमी ही निकला था कि, बीच रास्ते में मुझे एक जीप खड़ी दिखाई दी…

सिंगल रोड होने के कारण उसके साइड से बचा कर बयके निकलने के लिए मुझे अपनी स्पीड कुछ ज़्यादा ही कम करनी पड़ी…

मे अभी उस जीप के बगल से निकल ही रहा था कि, जीप में बैठे लोगों मे से एक ने मेरे ऊपर हॉकी से वार किया…

हॉकी के वार को तो में झुकाई देकर बचा गया, लेकिन मेरा बॅलेन्स बिगड़ गया और मे बाइक समेत रोड के साइड को लुढ़कता चला गया…

मेरा बदन कयि जगह से छिल गया, जिसमें से तेज टीस सी उठने लगी…

ख़तरे का आभास होते ही मेरी सभी इंद्रिया सजग हो उठी…मे अपने दर्द की परवाह किए वगैर उठ खड़ा हुआ…

लेकिन इससे पहले कि मे ठीक से खड़ा हो पता, उनमें से दो लोगों ने मुझे दोनो तरफ से मेरे बाजुओं से जकड लिया…!
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rajsharma
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by rajsharma »

बहुत ही अच्छा अपडेट है दोस्त
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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