मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचरcomplete

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pongapandit
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मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचरcomplete

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मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

ये नेट ली गई है। मूल लेख़क को आभार। मैंने संकलित करके लिपि परिवर्तन किया है। उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आयागी।

धन्यवाद।


पात्र (किरदार) परिचय

01. मोनिका- मैं, उपनाम मोना, मेरी उम्र 21 साल है, उंचाई 5’4” फिगर 36-30-35, बहुत गोरी हूँ। मैं अपनी +2 पास कर चुकी हूँ, मेरा एक बायफ्रेंड है, जिसके साथ मैं कई बार सेक्स भी कर चुकी हूँ। मैं कभी-कभी ड्रिंक और स्मोक भी कर लेती हूँ।

02. शालिनी- मेरी मोम, उपनाम राखी; उम्र 40 साल, उंचाई 5’6”, बहुत गोरी, लंबे बालों के साथ फिगर 38-32-37, बहुत हाट और सेक्सी। भाई की बिजनेस में हेल्प करती हैं। पहले टीचर थीं।

03. समीर- मेरे डैड, उम्र 45 साल, अक्सर बिज़नेस के कारण बाहर रहते हैं। वैसे पैसे की कोई कमी नहीं है हमारे यहाँ, लग्ज़री लाइफ जीने के लिए। हमारी फेमिली एक माडर्न फेमिली है।

04. आदित्य- मेरा भाई, उपनाम आदी; उम्र 20 साल, मेरे डैड का बिज़नेस देखता है और मेरी मोम उसकी हेल्प करती हैं।

05. मोनिका की सहेलियां- शगुफ्ता, कामिनी, नेहा, पायल, आकांक्षा।

06. अकरम- बदनाम क्लब का मालिक, बदनाम गुन्डा,

07. अब्दुल- अकरम का नौकर,

08. रेहान- आदित्य का दोस्त,

09. पांच शेख- अल फैजन; हैदर; फहीम; कबीर; अल अयाज।

10. सौरव- चोदू।

11. जिगोलो- तुषार और अनुराग-

12. शालिनी की सहेलियां-
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pongapandit
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

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एक दिन मेरे मोम और डैड शहर से बाहर गये हुए थे। मैं सोकर उठी और तैयार होकर नाश्ता किया। तब मेरा भाई मेरे साथ था, वो थोड़ा परेशान था।

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ भाई?

भाई- “कुछ नहीं दीदी कुछ खास बात नहीं है…”

मैं- “तो तू इतना परेशान क्यों लग रहा है?”

भाई- “कुछ नहीं दीदी…”

मैं- “बताओ ना, मैं शायद तेरी कोई हेल्प कर पाऊँ…”

भाई- “नहीं दीदी, आप कोई हेल्प नहीं कर पाओगी…”

मैं- “बता तो शायद कोई हेल्प कर पाऊँ…”

भाई- “दीदी नई बस्ती में एक क्लब है, उसपर हमारा कोई 15 लाख रूपया बाकी है, और वो पेमेंट नहीं कर रहे। लास्ट टाइम मोम थीं तो वो ले आई थी समझा बुझाकर पता नहीं कैसे? वो गुंडे लोग हैं, कोई भी पेमेंट लेने जाता है तो उसे डरा धमका कर वापस भेज देते हैं। परसों एक पेमेंट करनी है और मोम डैड बाहर हैं। पता नहीं कैसे क्या करूँ? समझ में नहीं आ रहा…”

मैं- “बताओ अगर मैं कोई हेल्प कर सकती हूँ तो?”

भाई- “उसमें आप क्या हेल्प कर पाओगी?”

मैं- “क्या मैं कोशिश करूँ?”

भाई- “कैसी कोशिश दीदी?”

मैं- “कहो तो मैं पेमेंट लेने की कोशिश करूँ…”

भाई- “अगर डैड को पता चल गया तो?”

मैं- “कैसे पता चलेगा, अगर हम में से कोई बताएगा ही नहीं तो?”

भाई- “ओके थैंक्स दीदी…”

मैं- “कब जाना है?”

भाई- “उसका क्लब 12:00 बजे खुल जाता है और तब वहाँ काफी लोग हो जाते हैं, उससे पहले…”

मैं- “ओके। मैं तैयार होकर आती हूँ…”

भाई- “दीदी, वहाँ आप हमारी कलेक्सन एजेंट बनकर जाना और वैसी ही ड्रेस पहनना…”

मैं- “ओके भाई…”

भाई- “थैंक्स दीदी…”

मैं चेंज करने चली जाती हूँ और सोचती हूँ क्या पहनूं? मैं एक सफेद ब्रा पहनती हूँ साटिन का, साटिन की ही सफेद पैंटी और ऊपर से स्लिप और लोवर। मैं स्कर्ट जिसके सारे बटन आगे को होते हैं, और स्लिप के ऊपर एक जैकेट, स्कर्ट जो मेरे घुटनों तक होती है और मेकप करके बाहर आती हूँ।

मैं- “भाई, कैसी लग रही हूँ?”

भाई- “सच आ हाट गर्ल…”

मैं- “थैंक्स… अड्रेस और पेपर्स दो…”

भाई मुझे दो पेपर्स देता है- “इसमें सब डीटेल्स है…”

मैं- “ओके, अब मैं जाती हूँ…”

मैं अड्रेस पूछते हुए उस एरिया में पहुँचती हूँ और कार रोड पर पार्क कर देती हूँ और अड्रेस पूछते हुए गली में चली जाती हूँ। दो तीन गलियों के बाद उसका अड्रेस मिलता है। मैं अंदर जाती हूँ। वो जगह एक क्लब है, जहाँ लोग जुआ खेलने और दारू पीने आते हैं। गुण्डों का इलाका होने की वजह से वहां पोलिस भी जाने से डरती है।

मैं भी डरते-डरते अंदर जाती हूँ और पूछती हूँ- अकरम जी कहां मिलेंगे?

कोई 8-10 लोग वहां जुआ खेल रहे होते हैं, और दारू पी रहे होते हैं। एक मुझे इशारे से बताता है की वो है अकरम जी। वो कुछ खा रहे होते हैं। मैं उनके सामने चेयर पर जाकर बैठ जाती हूँ, और सिगरेट जलाती हूँ। पर वो मेरी ओर कोई ध्यान नहीं देते और उठकर अपने रूम की तरफ चले जाते हैं।

मैं उठती हूँ, अपनी सिगरेट बुझाती हूँ और गुस्से में वापस लौटने को होती हूँ। तभी अपने भाई के बारे में सोचती हूँ, और फिर रुक जाती हूँ। वो रूम के बाहर खड़ा होकर मेरा इंतेजार कर रहे होते हैं। मैं उनकी ओर चली जाती हूँ। वो गेट पर खड़े रहते हैं, और मैं उनको छूते हुए रूम में चली जाती हूँ।

अकरम अंदर आते हैं और पूछते हैं- “हाँ… अब बोल कौन है तू?”

मैं- “सर, मैं आदित्य ट्रेडिंग से आई हूँ। आपकी ओर कुछ पेमेंट है जो काफी लेट हो गई है, इसलिए मुझे मेरे बास ने आपके पास भेजा है…”

अकरम- “पहले तो कोई और आता था…”

मैं- “जी, इस बार मैंने अभी जाय्न किया है इसीलिए बास ने मुझे भेजा है…” और पेपर पर्स से निकालकर उसके हाथ में पकड़ा देती हूँ।

वो पेपर नहीं खोलता, पेपर फोल्ड करता है और मुझे खींचते हुए मेरी ब्रा में घुसा देता है, और पास पड़ी चेयर पर झटके से मुझे बैठा देता है। फिर मेरे माथे से उंगली फेरते हुए मेरे होंठों तक आता है, फिर मेरे पीछे आ जाता है और मेरा पर्स मेरे कंधे से उतारकर अलग कर देता है। फिर पीछे खड़ा होकर मेरी जैकेट का बटन खोलता है।

मैं उठने को होती हूँ तो मुझे धक्का देकर फिर बिठा देता है। मैं डरकर बैठ जाती हूँ, और वो मेरे हाथ पीछे करके चेयर से बाँध देता है, मुझे बहुत दर्द होता है पर मैं डर के कारण चुप हो जाती हूँ। फिर वो मेरी स्लिप में हाथ डालकर बहुत कसकर मेरी चूचियां दबाता है।

मुझे बहुत दर्द होता है और मैं चिल्ला पड़ती हूँ- “आअह्ह्ह…”

फिर वो आगे आता है और मेरी स्कर्ट के सारे बटन खोलता है।

मैं उससे बोलती हूँ- “प्लीज़्ज़ नहीं…”

पर अकरम नहीं सुनता और स्लिप ऊपर करके मेरी पैंटी भी झटके से उतार देता है। शर्म से मेरी आँखें बंद होने लगती हैं, और वो मेरी जांघों को सहलाता है तो मेरे अंदर एक करेंट सा दौड़ने लगता है।

थोड़ी देर बाद वो मुझसे दूर जाकर खड़ा हो जाता है और बोलता है- “जब तक अब तुम नहीं कहोगी, मैं तुम्हें अब हाथ भी नहीं लगाऊँगा…”

तब तक मैं थोड़ी गरम हो चुकी होती हूँ और अपनी आँखें बंद कर लेती हूँ। बंद आँखों में भी मुझे उसके मजबूत बदन का एहसास होता है। वो दरवाजे पर खड़ा होकर अपना लण्ड सहलाता है, पैंट में हाथ डालकर। मैं नहीं नहीं ही बड़बड़ाती रहती हूँ। पर सोचती हूँ की जब इतना कुछ हो गया है, तो कुछ भी करके भाई के लिए पेमेंट भी निकलवानी है।

मैं साइड में बनी खिड़की की ओर देखती हूँ, और सोचती हूँ कि इसे जो करना है कर ले पर प्लीज़्ज़… कोई देखे नहीं और मैं उसकी ओर देखकर कहती हूँ- “प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ चोदो मुझे… मैं तुमसे भीख मांग रही हूँ प्लीज़्ज़… चोदो मुझे… प्लीज़्ज़ चोदो मुझे…”

अकरम मेरे पास आता है और कुछ नहीं बोलता सिर्फ मेरी आँखों में देखता है।

अकरम को मेरी आँखों में सेक्स की भूख साफ नजर आती है। वो सीधे बिना कुछ बोले अपना लण्ड मेरी चूत पर रखता है और एक झटके से अंदर डाल देता है।

मुझे बहुत बुरी तरह दर्द होता है और कसकर चीख निकल जाती है- “आअह्ह्ह… मर्रर गई…”

अकरम रुक जाता है और बोलता है- “साली चीख मत… वरना सब खिड़की पर आकर हमारी लाइव चुदाई देखेंगे…”

अभी तक उसका आधा लण्ड भी अंदर नहीं गया था। मैं उससे बोलती हूँ- “प्लीज़्ज़… निकाल लो, मैं मर जाऊँगी…”

अकरम बोला- “मैंने कोई जबरदस्ती तो नहीं की ना? जब तू मुझसे चुदाने की भीख माँग रही थी तभी डाला मैंने, अब सजा भुगत…” और मेरे मुँह पर हाथ रखकर एक जोर का झटका मारता है।

फिर मेरी चीख ‘गूँ-गूँ-गूँ’ करके मेरे मुँह में ही रह जाती है, पर दर्द बहुत होता है। मैं अपनी टांगें उत्तेजना में फैलाकर चेयर पर आगे को हो जाती हूँ। फिर वो अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता है, और एक झटके में फिर से अंदर पेल देता है। मैं फिर चीख पड़ती हूँ, शायद बाहर तक आवाज जरूर गई होगी। फिर वो लगातार अंदर-बाहर करता है फुल स्पीड में।

मैं रोने जैसी हो जाती हूँ और चिल्लाती हूँ- “उउईई माँऽऽ मर गई…” अब उसकी स्पीड और बढ़ जाती है और मैं बुरी तरह से चीखती हूँ- “आआह्ह्ह… आआह्ह्ह… उफफ्फ़… उफफ्फ़… मर गईई माँऽऽ…” और 5-6 मिनट की चुदाई के बाद झड़ जाती हूँ। मेरी चूत स्लिपरी हो जाती है।

अकरम अपनी स्पीड और बढ़ा देता है। फिर अचानक वो धीरे हो जाता है। मैं थोड़ा रिलैक्स हो जाती हूँ। पर वो मुझे रिलैक्स होने का ज्यादा टाइम नहीं देता और फिर पूरा लण्ड बाहर निकालकर एक झटके से अंदर पेल देता है और वहीं रुक जाता है। फिर वहीं से अंदर की ओर छोटे-छोटे झटके देता है।
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

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उसका लण्ड अब मुझे अपनी बच्चेदानी से टकराता हुआ महसूस होता है। मैं अत्यधिक उत्तेजना में अपने पूरे नाखून उसकी पीठ पे गड़ाते हुए झड़ जाती हूँ। उसकी 18-20 मिनट की चुदाई में मैं 3 बार झड़ चुकी होती हूँ। फिर अचानक एक जोर का झटका देकर वो अंदर ही रुक जाता है, और उसका फौवारा मेरी चूत में चल जाता है। मेरी चूत पूरी तरह उसके माल से भर जाती है। फिर वो अपना लण्ड निकल लेता है। उसका माल मेरी जांघों पर बहने लगता है। मैं उठकर खड़ी होने को होती हूँ पर मेरे पैर लड़खड़ाने लगते हैं।

अकरम मुझे संभालता है और बेड पर लिटा देता है। फिर बाहर जाता है और मेरे लिए जूस लेकर आता है। मैं जूस पीती हूँ और रिलैक्स करती हूँ। अब हमारी बातें शुरू होती हैं।

अकरम- “अब बता अपने बारे में?”

मैं- “मैंने अभी कुछ दिन पहले ही आदित्य ग्रुप जाय्न किया है और पहली बार आपके यहां ही पेमेंट लेने आई हूँ। प्लीज़्ज़… आप दे दो, नहीं तो मेरी नौकरी चली जाएगी…”

अकरम- “पहले तो वहां से कोई और आता था…”

मैं- “सर, मुझे नहीं पता…”

अकरम- “कोई बात नहीं, मैं तुझे एक पार्ट दे देता हूँ पेमेंट का…”

मैं- “थैंक्स सर…”

अकरम मुझे 5 लाख का चेक देता है और बोलता है- “अपना नंबर दे दो, अगले पेमेंट के लिए तुम्हें काल कर दूँगा…”

मैं- “थैंक्स सर…” कहकर मैं अपने कपड़े ठीक करती हूँ और बाहर को निकल जाती हूँ।

बाहर सब लोग मुझे घूरकर देख रहे होते हैं। मैं लड़खड़ाती हुई अपनी कार तक आती हूँ। मेरे पैर काँप रहे होते हैं। किसी तरह मैं घर तक पहुँचती हूँ। मेरा भाई घर पर नहीं होता। मैं अपने रूम में सो जाती हूँ। सपने में मुझे सिर्फ अकरम ही अकरम दिखाई पड़ता है। मैं उसके लण्ड की पूरी तरह दीवानी हो चुकी होती हूँ।

शाम को 5:00 बजे आदित्य (मेरा भाई) लौट कर आता है और मुझे जगाता है। मैं उठती हूँ और लड़खड़ाते हुए बाथरूम तक जाती हूँ, और जब लौट कर आती हूँ।

तब, भाई पूछता है- “क्या हुआ दीदी?”

मैं- “कुछ नहीं…”

भाई- “फिर आप ऐसे क्यों चल रही हो? और क्या हुआ पेमेंट का?”

मैं- “मैं हील वाली सैंडल पहनकर गई थी वहां, स्लिप हो गई। उसी की वजह से दर्द है। और हाँ एक गुड न्यूज है की 5 लाख मिल गये हैं…”

भाई- “सच दीदी?”

मैं- “हाँ… और बाकी पेमेंट के लिए वो मुझे काल करेगा…”

भाई- “सच दीदी, मोम सुनेंगी तो खुश हो जाएंगी…”

मैं- “नहीं, उनको कुछ मत बोलना। वरना तुझे ही डांट पड़ेगी की मुझे वहां क्यों भेजा था?”

भाई- “ओके दीदी, चलो आज इसी खुशी में पार्टी करते हैं…”

मैं- “कहां?”

भाई- “चलो दीदी डिस्को चलते हैं…”

मैं- “ओके…”

भाई- “जाओ आप चेंज करके आ जाओ…”

मैं- “ओके… क्या पहनूं?”

भाई- “कुछ सेक्सी सा पहनो…”

मैं चेंज करने चली जाती हूँ, मैं एक ब्लैक मिनी पहनती हूँ और एक पिंक टैंक-टाप ऊपर जैकेट- “ओके भाई, मैं तैयार हो गई…”

भाई- “क्या बात है दीदी? आज आप बड़ी हाट लग रही हो…”

मैं- “चुप कर, कुछ शर्म कर अब चल…”

भाई- “ओके दीदी… पर दीदी कार तो मेरा दोस्त लेकर गया है वहीं डिस्को में मिलेगा…”

मैं- “ओके… नो प्राब्लम बाइक से चलते हैं…” और हम निकल पड़ते हैं। मैं उससे चिपक कर बैठती हूँ शायद उसे मजा आ रहा था, हम डिस्को पहुँच जाते हैं।

वहां उसके कुछ दोस्त मिलते हैं। वो मुझे मेरे भाई की गर्लफ्रेंड समझते हैं। हम ड्रिंक करके डान्स फ्लोर पर जाते हैं, और डान्स करते हैं। उसके दो दोस्त मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकने की कोशिश करते हैं। आदित्य कुछ ज्यादा ही ड्रिंक कर लेता है।

उसका दोस्त हमें हेल्प करके कार तक ले जाता है और कहता है- “चलो मैं तुम दोनों को घर ड्राप कर देता हूँ…” वो हमें घर छोड़ता है, आदित्य को उसके बेडरूम मैं लिटाता है, और मुझसे हाथ मिलाता है। मैं उसे थैंक्स बोलती हूँ और वो अचानक से मुझे गाल पर किस करता है और निकल जाता है।
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

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***** *****अगले दिन
भाई- “गुड मार्निंग दीदी…”

मैं गुस्से में- “गुड मार्निंग, इतनी क्यों पीते हो जो हजम नहीं होती?”

भाई- “सारी दीदी…”

मैं- “इट्स ओके…”

भाई- “मोम आ गई?”

मैं- “अभी नहीं…”

भाई- “आप तैयार हो जाओ मोम आती होंगी…”

तभी मोम आ जाती है- “हाय बच्चों…”

मैं- “हाय मोम, कैसे हो, कैसा रहा आपका टूर माँ?”

मोम- “बहुत अच्छा बेटा। बेटा, मैं नहाकर तैयार होकर आती हूँ, मुझे एक मीटिंग में जाना है…”

मैं- “ओके मोम…”

एक घंटा बाद मोम तैयार होकर बाहर आती है। लुक्स स्टनिंग इन सैंडो टाप आंड जीन्स, जिसमें उनकी ब्लैक ब्रा साफ-साफ दिखती है, और उन्होंने अच्छा खासा मेकप किया हुआ होता है और हमें बाइ करके निकल जाती हैं।

तभी मुझे अनजान नंबर से काल आती है।

मैं- “हेलो…”

अनजान- “कैसी हो जान?”

मैं- “आप कौन?”

अनजान- “नहीं पहचाना, अकरम…”

मैं- “ओह्ह्ह… हाय कैसे हैं आप?”

अकरम- “तू सुना कैसी है?”

मैं- “मैं ठीक हूँ, कैसे याद किया?”

अकरम- “हाँ… तेरे आफिस से कोई आ रहा है पेमेंट लेने…”

मैं- “ओह्ह्ह… ओके। पर प्लीज़्ज़… किसी को मत बताना की मैं आई थी आपके पास, और आप प्लीज़्ज़ मोबाइल में उसकी फोटो ले लेना, मैं भी तो देखूं कौन आया है?”

अकरम- “ओके, और सुन आ रही है आज रात को, तेरी बड़ी याद आ रही है…”

मैं- “पर?”

अकरम- “पर वर कुछ नहीं, तू आ रही है बस…”

मैं- “ओके, कोशिश करती हूँ…”

मोम शाम को थकी हुई आती हैं, और वो अपने रूम में चली जाती हैं।

मैं- “मोम आप काफी थकी हुई लग रही हो, आराम कर लो। मैं रात को अपनी दोस्त के यहां पार्टी में जाऊँगी और रात वहीं रुकूंगी…”

मोम- “ओके बेटा बाइ…”

मैं- “बाइ मोम…”
मैं तैयार होने अपने रूम में चली जाती हूँ और ड्रेस चेंज करती हूँ। मैं सफेद हाल्टर टाप पहनती हूँ और फिर मिनी और स्टाकिंग्स वित थांग्ज़ और स्ट्रैपलेश ब्रा और डार्क सा मेकप करके फिर मैं अकरम के पास जाने के लिये निकलती हूँ। जब मैं उसके क्लब के रोड पर पहुँचती हूँ तो वहां रोड पर काफी चहल-पहल होती है, पर उसकी गली में जाते ही एकदम सन्नाटा हो जाता है।

मुझे थोड़ा डर सा लगने लगता है। पर मेरे कदम खुद-ब-खुद उस ओर चले जा रहे होते हैं। मेरी हाई हील की खटर-पटर पूरी गली में गूँज रही होती है। मैं उसके गेट पर पहुँचकर उसे काल करने के लिए मोबाइल निकालती हूँ और उसे काल करती हूँ।

अकरम बोलता है- गेट खुला है सीधे अंदर आ जा।

मैं सीधे उसके रूम में चली जाती हूँ। वो गेट से थोड़ा अंदर ही खड़ा होता है और मुझे वहीं रोक लेता है और मेरा टाप और मिनी उतार देता है। अब मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी और स्टाकिंग में खड़ी होती हूँ। वो मुझे किस करने लगता है। तभी वो मेरा हाथ पीछे करके मुझे किसी का लण्ड पकड़ता है। मैं जैसे ही पीछे मुड़कर देखती हूँ तो कोई 18-19 साल का लड़का खड़ा होता है, पर मैं कुछ नहीं बोल पाती।

वो मुझे किस करता है फिर अकरम मुझे गोद में उठाकर बेड पर पटक देता है, और फिर दोनों मिलकर मुझे दबाने सहलाने लगते हैं। मैं बहुत उत्तेजित हो जाती हूँ और उनका पूरा साथ देती हूँ। अकरम मुझे किस करता है और वो लड़का मेरी चूचियां दबा रहा होता है। 5 मिनट बाद अकरम मुझे अपने लण्ड पर झुकाता है और चूसने को बोलता है।

मैं चूसने लगती हूँ पर उसकी मोटाई के कारण पूरा मुँह में नहीं ले पाती। थोड़ी देर की चुसाई के बाद अकरम मुझे सीधा लेटाता है, दूसरा लड़का मेरी चूचियां मसलता है, अकरम मेरी दोनों टाँगें फैलाता है और उस लड़के से पकड़ने को बोलता है, और मुझसे बोलता है- “तुम तैयार हो बेबी?”

मैं आँखें बंद कर लेती हूँ, पर कुछ नहीं बोलती। अकरम चूत के बाहर ही अपने लण्ड को घिसता रहता है, अंदर नहीं डालता। मैं तड़पने लगती हूँ उत्तेजना में, पर तब भी वो नहीं डालता और मैं पूरी कांपने लगती हूँ, थोड़ी सी आँखें खोलती हूँ। वो अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर ही रगड़कर मुझे पागल कर रहा होता है।

मैं आँखें फिर से बंद करके बोलती हूँ- “अब डालो ना क्यों तड़पा रहे हो? प्लीज…”

फिर अचानक से आकरम पूरा लण्ड एक ही झटके में अंदर डाल देता है, उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को चीरते हुए अंदर चला जाता है।

मैं बुरी तरह से चीख पड़ती हूँ- “मर गईई माँऽऽ…”

अकरम बोलता है- “आज चाहे तू जितना चिल्ला, यहां आज कोई तेरी आवाजें नहीं सुनने वाला…” और फिर पूरा लण्ड बाहर निकालकर फिर एक जोरदार शाट मारता है…

मेरे मुँह से लगातार चीखें निकलती है, जोरदार- “आआह्ह्ह… उफफ्फ़… इस्स्स्स… आअह्ह्ह… प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़…” और 3-4 मिनट में ही मैं झड़ जाती हूँ।

अब अकरम का लण्ड अंदर-बाहर होने लगता है, मुझे थोड़ी सी राहत मिलती है पर वो ज्यादा देर की नहीं थी। क्योंकी अभी भी उसका ¼ लण्ड अंदर नहीं गया था। फिर वो अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है।

मैं पूछती हूँ- क्या हुआ?

अकरम कुछ नहीं बोलता। वो इशारे से उस लड़के को कुछ लाने को कहता है। वो लड़का उठकर चला जाता है और जब लौटता है तो उसके हाथ में टिश्यू पेपर होते हैं। अकरम उस लड़के से मेरी चूत चाटकर साफ करने को बोलता है। वो लड़का मेरी चूत चाटने लगता है, एक कुत्ते की तरह।

मेरे मुँह से बस- “सस्स… सस्स… सस्स्स…” ही निकल पाता है।

फिर अकरम उसे हटाता है और एक-एक करके 5-6 टिश्यू पेपर से मेरी चूत को बहुत ज्यादा सूखी कर देता है, जिससे की चूत के अंदर पानी की एक बूँद भी ना रह जाए। फिर मुझसे बोलता है- “बेबी गीली चूत चोदने में मुझे मजा नहीं आता, और फिर से पूरा दम लगाकर लण्ड मेरी चूत में पेलता है।

मेरी चूत एकदम सूखी होने के कारण इस बार दर्द बहुत ज्यादा होता है और मैं चिल्लाती हूँ- “प्लीज़्ज़… बाहर निकाल लो, मैं मर जाऊँगी आआह्ह्ह…” पर उसे शायद मेरे दर्द में ज्यादा ही मजा आ रहा होता है और वो एक जोरदार शाट लगाता है। अबकी बार उसका लण्ड पूरा अंदर तक जाकर मेरी बच्चेदानी से टकराता है।

मैं पूरी कांपने लगती हूँ, और फिर जोर से चीख पड़ती हूँ- “आअह्ह्ह… माऽऽर डाला…” और उसकी स्पीड और बढ़ जाती है। लगातार उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से टकराता है और मैं फिर एक बार झड़ जाती हूँ और उफफ्फ़… उफफ्फ़… करती रहती हूँ। पता नहीं वो क्या खाता था, जो झड़ने का नाम नहीं ले रहा था, दर्द से मेरा बुरा हाल था। तभी मुझे अपनी चूत से कुछ बाहर टपकने का एहसास हुआ।

अकरम फिर रुक गया। मेरी आँखें अभी भी आनंद में, मजे में बंद थीं। अब वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था और मेरे मुँह से बस आंहें ही निकल पा रही थीं। थोड़ी देर में उसने अपना सारा माल मेरे अंदर भर दिया और मुझसे अलग होकर लेट गया। मुझे अब 30 मिनट की लगातार चुदाई के बाद आराम करने का मोका मिला था। 5 मिनट बाद जब मैंने आँखें खोली और उठकर बैठी तो डर गई, क्योंकी बेड पर थोड़ा खून फैला हुआ था। सही माने में मैं आज चुदी थी। आज मुझे एहसास हो रहा था की चुदाई क्या होती है?

तभी वो लड़का आया और उसने मेरी चूत से खून साफ किया।
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

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अकरम ने उस लड़के से कहा- “कुछ खाने और पीने के लिए लेकर आ…”

थोड़ी देर बाद वो लड़का पनीर और विस्की लेकर आया और हम तीनों ने ड्रिंक की और अकरम से बात करने लगी।

अकरम- “आज तेरे आफिस से कलेक्सन एजेंट आई थी…”

मैं- “कौन?”

अकरम- “वो पहले भी आई है यहां। पहले-पहले बहुत नखरे करती थी, पर अब वो हमारी रण्डी है…”

मैं- “मैं समझी नहीं?” तभी मेरी आँखें रूम में लगे कैमेरे पर गई। हर कोने पर एक सी॰सी॰कैमरा लगा हुआ था।

अकरम- “साली जब पहली बार आई थी तो केवल मुझे भी नहीं झेल पाती थी पर अब… …”

मैं- “पर अब क्या?”

अकरम- “अब तो 4-5 को भी आसानी से संभाल लेती है…”

मैं- “अच्छा जी…”

अकरम- “जी… दो-तीन बार तो वो बाहर क्लब की टेबल पर भी चुदवा चुकी है मेरे ग्राहकों से। आज भी आई थी, जम कर चुद कर गई है, चल भी नहीं पा रही थी साली…”

मैं- “कौन थी वो?”

अकरम लड़के को इशारा करते हुए- “जा सी॰डी॰ लेकर आ…”
और लड़का 5 मिनट बाद लौटता है तो उसके हाथ में एक सी॰डी॰ होती है।

अकरम- “ये ले, घर लेजाकर देख लेना उसकी और भी सी॰डी॰ हैं मेरे पास, इसे लौटा देना फिर और दूँगा…”

मैं- “ओके…”

फिर दोनों मेरे अगल बगल लेट जाते हैं, और मेरी चूचियां मसलने लगते हैं, कभी चाटते हैं, कभी काटते हैं। अकरम मुझे किस करने लगा। फिर अचानक पता नहीं क्या हुआ कि उस लड़के और अकरम की आँखें मिली तो दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। मैं चकित हो गई। थोड़ी देर बाद अकरम ने मुझे डागी स्टाइल में झुकने को बोला।

मैं बेड का कोने पकड़कर झुक गई। वो लड़का मेरे पीछे आया और मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दिया। चूत गीली होने के कारण वो अंदर चला गया। अभी उसने 4-5 धक्के ही लगाए होंगे की वो रुक गया।

तभी मुझे उस लड़के की आऽऽ का एहसास हुआ। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो अकरम उसकी गाण्ड में अपना लण्ड डाल रहा था।

थोड़ी देर में उस लड़के ने फिर से धक्के लगाने शुरू किए। पर जब अकरम उसे पेलता था तो वो पूरा मुझ पर आ जाता था। ये चुदाई 10-12 मिनट तक चली फिर हम तीनों सो गये। सुबह मैं 9:00 बजे उठी, तब वो लड़का वहां नहीं था, पर अकरम वहीं सो रहा था। मैं बहुत थक गई थी और सही से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। मैं बाथरूम गई, अपने कपड़े पहने और फ्रेश होकर बाहर आ गई और अकरम को जगाया।

तभी वो लड़का चाय लेकर आ गया।

अकरम- “गुड मार्निंग बेबी…”

मैं- “गुड मार्निंग…”

अकरम- “क्यों बेबी, रात मजा आया?”

मैं- “हाँ… सच कहूँ तो मैं आपकी दीवानी हो गई हूँ…”

अकरम- “सभी औरतें यहां आकर ऐसा ही बोलती हैं…”

मैं- “बोलती होंगी, पर मैं अभी औरत नहीं हूँ, लड़की हूँ…”

अकरम- “चिंता मत कर, बहुत जल्दी तुझे भी औरत बना दूँगा। वैसे भी तेरी दूसरी बार भी सील मैंने तोड़ ही दी है, अब औरत बनाने में बचा ही क्या है?”

मैं शर्माते हुए- “ये बात तो सच है कि ऐसा मजा मुझे कभी नहीं मिला…”

अकरम- “और हाँ सुन… दो-तीन दिन में दुबई से मेरे कुछ शेख दोस्त आ रहे हैं, उसे भी खुश करना है तुझे…”

मैं- “नहीं, मैं आपके अलावा किसी के साथ नहीं करूँगी…”

अकरम- “बेबी, मेरे लिए तू क्या इतना भी नहीं करेगी? अगर वो खुश हो गये तो मैं माला-माल हो जाऊँगा…”

मैं- “पर?”

अकरम- “पर वर कुछ नहीं…”

मैं कुछ नहीं बोलती और उठकर जाने को होती हूँ। तभी अकरम मेरे गले की गोल्ड चैन खींचकर उस लड़के को दे देता है- “बेबी, इतनी मेहनत की है इसने, इतना तो हक बनता है उसका…”

मैं कुछ नहीं बोलती और मुश्कुराते हुए वो सी॰डी॰ लेकर वहां से चली जाती हूँ। घर पहुँचती हूँ तो आदित्य और मोम नाश्ता कर रहे होते हैं।

मैं- “गुड मार्निंग…”

मोम- “गुड मार्निंग…”

आदित्य- “गुड मार्निंग दीदी…”

मोम- “क्या हुआ बेटा, बहुत थकी हुई लग रही हो?”

मैं- “नहीं मोम, वो जस्ट पार्टी और डान्स वान्स उसकी वजह से है…”

आदित्य आँख मारते हुए- “बस डान्स वान्स ही ना दीदी?”

मोम- “चुप कर, कुछ भी बोलता रहता है। और बेटा ये सी॰डी॰ कैसी है तेरे हाथ में?”

मैं- “मोम, कुछ नहीं बस मेरी दोस्त की शादी की सी॰डी॰ है…”

आदित्य- “दीदी, शादी की या उसकी सुहागरात की?”

मैं कुछ नहीं बोलती और अंदर चली जाती हूँ, और फिर नहाने के लिये बाथरूम में चली जाती हूँ। मैं एक-एक करके सारे कपड़े उतारती हूँ और शावर लेने लगती हूँ। तभी मुझे एहसास होता है की खिड़की से मुझे कोई देख रहा है। मैं कुछ नहीं बोलती, बस बाथरूम की लाइट बंद करके नहाती हूँ, और बाहर आ जाती हूँ। फिर जीन्स और टाप पहनकर नाश्ते की टेबल पर आ जाती हूँ।
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