मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचरcomplete

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Jemsbond
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by Jemsbond »

Wow awesome bro
Waiting for more....
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
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pongapandit
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by pongapandit »

Ankit wrote: 23 Aug 2017 20:50superb update
Kamini wrote: 23 Aug 2017 23:17Mast update
Rohit Kapoor wrote: 24 Aug 2017 18:49 बहुत मस्त कहनी है दोस्त अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा ?
Jemsbond wrote: 24 Aug 2017 20:25 Wow awesome bro
Waiting for more....
thanks to all friends update kal aayega
lboy
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by lboy »

Meri bhi ek story hai Bhai plz wo aap sunken likhoo
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pongapandit
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by pongapandit »

जब मैं सुबह सोकर उठती हूँ तो देखती हूँ की नंगी हूँ, और मेरा भाई मेरे बगल में ही नंगा सो रहा है। मुझे रात की सारी बातें याद आने लगती हैं।
मैं ड्रेसअप होकर रूम से बाहर निकलती हूँ तो मुझे बाहर मोम मिल जाती हैं।

मोम- “तू यहां क्या कर रही है?”

मैं- “मैं आदित्य को जगाने आई थी, कालेज़ जाने के लिए…”

मोम- “ओके…”

मैं वहां से अपने रूम में चली जाती हूँ। थोड़ी देर बाद जब आदित्य भाई उठकर नहीं आता तो मोम उसके रूम में जाती हैं। वो अभी भी नंगा सो रहा होता है। वो उसे इस हालत में देखकर वापस आ जाती हैं पर उसे कुछ नहीं बोलती।

मैं तैयार होकर नाश्ता करती हूँ।

तब तक आदित्य तैयार होकर आ जाता है, कहता है- “हाय दीदी…”

मैं- “हाय…”

भाई आँख मारते हुए- “रात मजा आया ना दीदी?”

मैं- “चुप कर… मोम सुन लेगी तो मैं और तू दोनों पिटेंगे?”

भाई- “ओके दीदी तैयार हो जाओ कालेज़ के लिए…”

मैं- “हाँ चल…”

मैं- “मोम, मैं जा रही हूँ बाइ…”

मोम- “बाइ बेटा…”

मैं आदित्य के साथ बाइक पर चिपक कर बैठी हूँ कालेज जाने के लिए, मैं वहां ब्रेक में कैंटीन में बैठी हुई होती हूँ तभी रेहान आता है।

रेहान- “हाय…”

मैं- “हाय…”

रेहान- “क्या बात है आजकल तुम मुझसे सीधे मुँह बात क्यों नहीं करती?”

मैं- “तुम्हें पता है, क्यों नहीं करती?”

रेहान- “मैंने क्या कर दिया ऐसा?”

मैं- “अब ज्यादा बनो मत? उस रात तुमने मेरी नंगी पिक निकाली और अपने सब दोस्तों को भेज दी…”

रेहान- “मैंने नहीं भेजी। मेरे एक दोस्त ने मेरा मोबाइल लिया था काल करने के लिए, उसी ने किया ये सब…”

मैं- “तब भी गलती तुम्हारी थी, क्यों ली थी तुमने मेरी नंगी पिक?”

रेहान- “सारी बेबी, गलती हो गई अब माफ भी कर दो…”

मैं दया दिखाते हुए- “यार अगर मेरे घरवालों को पता चल गया तो बड़ी प्रोब्लम हो जाएगी…”

रेहान- “कुछ नहीं होगा मैं सब सही कर दूँगा…”

मैं- “ओके, मैं अभी चलती हूँ…”

रेहान- “फिर कब मिल रही हो?”

मैं- “मैं बताती हूँ काल करके…”

***** *****
तभी अकरम की काल आती है- “हेलो…”

मैं- “हेलो…”

अकरम- “जान क्या बात है तुम तो हमें भूल ही गई…”

मैं- “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। जहां आपने भेजा था वहां से आने के बाद टाइम ही नहीं मिला…”

अकरम- “हाँ… उनकी काल आई थी वो बहुत खुश हैं तुम लोगों से…”

मैं- “जी, काफी अच्छे लोग हैं वो…”

अकरम- “तो कब आ रही हो इधर भी?”

मैं- “दो-तीन दिन में आती हूँ एग्जाम भी आने वाले हैं मेरे…”

अकरम- “ओके, जल्दी आना बाइ…”

मैं- “बाइ…” फिर मैं घर लौट आती हूँ,

मैं- “मोम खाना दे दो बहुत भूख लगी है…”

मोम- “ला रही हूँ…”

मोम खाना लगाती है- “मोना, आज तुम सुबह आदी के रूम में गई थी जगाने?”

मैं- “हाँ… मोम…”

मोम- “तुम जानती थी की वो पूरा नंगा सोया हुआ था…”

मैं- “नहीं मोम, मैं तो बस बाहर से आवाज लगाकर आ गई थी…”

मोम- “ध्यान रखा करो थोड़ा, अब वो जवान हो गया है…”

मैं- “जी मोम, और हाँ मोम आपने उस लेटर वाले नंबर पर काल की थी?”

मोम- “नहीं…”

मैं- “एक बार करके तो देखती की कौन है? कहीं वो हमारे बारे में जान तो नहीं गया ना?”

मोम- “ठीक है तुम ही बात कर लो…” मोम ने मुझे वो कार्ड देते हुए कहा।

मैं खाना खाने के बाद काल करती हूँ, दूसरी तरफ से कोई विशाल नाम का लड़का बोल रहा होता है।

मैं- “हेलो…”

वो लड़का- “हेलो, आप कौन?”

मैं- “वो कल होटेल में हमें कोई आपका कार्ड दे गया था…”

वो लड़का- “जी जी… मैं विशाल बोल रहा हूँ, मैं आप लोगों से एक बार मिलना चाहता था…”

मैं- “किस सिलसिले में?”

विशाल- “जी, इस तरह फोन पर बात नहीं हो सकती। प्लीज़्ज़… आप एक बार मिल लो, मैं मिलकर आसानी से समझा पाऊँगा…”

मैं- “ओके, कहाँ मिलना है?”

विशाल- “उसी होटेल में पूल साइड, कल डिनर पर मिलते हैं…”

मैं- “ओके, हम आते हैं कल…”

विशाल- “ओके बाइ…”

मैं- “मोम, कोई विशाल था। कह रहा था कोई जरूरी बात है। हमें कल डिनर पर बुलाया है…”

मोम- “कहां?”

मैं- “उसी होटेल में पूल साइड पे…”

मोम- “ओके, कल वहीं चलकर देखते हैं कि क्या सीन है?”

मैं- “ओके मोम, मैं सोने जा रही हूँ, गुड नाइट…”

मोम- “गुड नाइट…”

सुबह जब मैं उठकर तैयार होती हूँ, तो लोंग मिडी पहनती हूँ और स्लीवलेश टाप और स्टाल डाला, फिर मोम से पूछा- “मोम मोम, आदित्य कहां गया? मैं कालेज़ को लेट हो रही हूँ…”

मोम- “बेटा, वो तो जल्दी निकल गया था…”

मैं- “ओह्ह्ह… हो… बताना तो चाहिए था। मैं कालेज को लेट हो रही हूँ, मैं चलती हूँ बाइ…”

मैं चौराहे पर आकर आटो रोकती हूँ, पर कोई आटो खाली नहीं मिलता। फिर सोचती हूँ, लगता है बस से ही जाना पड़ेगा और बस का इंतेजार करने लगती हूँ। तभी एक बस आती दिखाई पड़ती है, पर उसमें काफी भीड़ होती है। मैं उसपर नहीं चढ़ती, थोड़ी देर बाद एक और बस आती है उसमें भी काफी भीड़ होती है तो मैं थोड़ा सोचती हूँ। फिर चढ़ जाती हूँ और किसी तरह धक्के खाते हुए अंदर आ जाती हूँ। वहां तो हिलने की भी जगह नहीं होती। वहां सबके बदन एक दूसरे से सटे हुए थे।

बस चल देती है थोड़ी देर बाद मुझे अपने चूतड़ों पर किसी के हाथ महसूस होते हैं तो मैं हल्का सा पीछे मुड़कर देखती हूँ। तो एक चीप टाइप रोमियो मुश्कुरा रहा होता है मुझे देखकर। मेरी समझ में नहीं आता क्या करूँ? तभी वो मेरे चूतड़ों को सहलाने लगता है। मैं थोड़ा सा हिलती हूँ तो मेरी चूचियां आगे खड़े लड़के की पीठ पर रगड़ जाती हैं तो वो मेरी तरफ देखता है।

और तभी पीछे वाले लड़के का हाथ मेरी चूत के पास सहलाने लगता है मिडी के ऊपर से ही।

मैं कसमसाहट में फिर आगे को होती हूँ तो मेरी चूचियां फिर आगे वाले को रगड़ जाती हैं, तो उसे लगता है की मैं जानबूझ कर रगड़ रही हूँ। फिर वो मेरी तरफ मुँह करके खड़ा हो जाता है और धीरे से मेरी कमर में हाथ डालकर सहलाने लगता है।
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pongapandit
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Re: मेरी माँ का और मेरा सेक्स एडवेंचर

Post by pongapandit »


मैंने उससे धीरे से कहा- ये क्या कर रहे हो?

तो वो मेरे कान में बोला- “आप ही तो जानबूझ कर अपनी बाडी मुझसे रगड़ रही थीं…”

मैं बोली- “नहीं, वो तो पीछे से धक्का आ रहा था…”

तभी उसने पीछे वाले लड़के को मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए देख लिया, और बोला- “अगर चिल्लाओगी तो तुम ही बदनाम होगी, हम तो कह देंगे की बस में भीड़ के कारण गलती से टच हो गया। इसलिए अच्छा है की चुप रहो और हमें थोड़ा मजा ले लेने दो…”

मुझे लगा की अगर मैं कुछ बोलूँगी भी तो फायदा क्या होगा? मैं चुप हो गई और वो लोग समझ गये की मेरी तरफ से हाँ है, और फिर आगे वाले लड़के ने मेरे स्टाल से मेरी चूचियों तो थोड़ा ढका दिया और नीचे से हाथ डालकर मेरी चूचियां ब्रा के ऊपर से दबाने लगा, और ब्रा के ऊपर से मेरे निप्पल्स को पिंच करने लगा। मेरे चेहरा के भाव बदलने लगे थे।

तभी पीछे वाले लड़का पीछे से मेरी मिडी को ऊपर की ओर उठाने लगा। मैंने उसे धीरे से मना किया- “ऐसा मत करो, कोई देख लेगा…”

वो बोला- “कोई नहीं, कोई नहीं देख पाएगा…” और उसने मेरी मिडी मेरी कमर तक उठा दी और पैंटी के ऊपर से चूत सहलाने लगा।

मैंने आँखें बंद कर ली और तभी वो मेरी पैंटी में हाथ डालकर मेरी चूत को सहलाने लगा। अभी आगे वाला लड़का मेरी ब्रा में हाथ डालकर मेरे निप्पल्स पिंच करने लगा। मैं बदनाम ना होने के डर से ये दर्द मुँह के अंदर ही बर्दास्त करने लगी। पर मेरा चेहरा देखकर कोई भी आइडिया लगा सकता था, क्योंकी मेरे चेहरे पर दर्द और उत्तेजना साफ-साफ झलक रही थी।

तभी पीछे वाले लड़का अपनी एक उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर-बाहर करने लगा, और वो आसानी से अपनी उंगली आगे-पीछे करने लगा। तभी उसने दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी तो मेरे मुँह से ‘आह्ह्ह… सस्सिईइ…’ की आवाज निकल गई। मेरे पैर बुरी तरह से काँपने लगे थे। और ऐसा ही वो 5-6 मिनट तक करता रहा। पिर मैं झड़ गई, मेरा पानी मेरी जांघों पर बहने लगा और मैंने हाथ नीचे करके अपनी ड्रेस सही की और उनके हाथ झटक कर आगे गेट पर आकर खड़ी हो गई।

तभी मेरा स्टाप आ गया, और मैं उतरकर कालेज चली गई। एक क्लास अटेंड करने के बाद मेरा पीरियड खाली होता है तो मैं कैंटीन में चली जाती हूँ। मैं काफी चुदासी महसूस कर रही थी।

तभी वहां रेहान भी आ जाता है- “क्या हो रहा है मोना?”

मैं- “कुछ नहीं, क्लास फ्री थी तो यहां आ गई…”

रेहान- “अरे कभी हमें भी टाइम दे दिया करो?”

मैं- क्यों कोई काम था क्या?”

रेहान- “जब तुम सामने हो तो काम लगने का ही तो मन होता है बस…”

मैं- “क्या?”

रेहान- “कुछ नहीं चलो छत पर चलकर टहलते हैं, काफी अच्छा मौसम है…”

मैं- “ओके…” फिर हम वहां से निकलकर छत पर चले जाते हैं।

रेहान- “मोना, तुमने तो मुझसे मिलना ही बंद कर दिया…”

मैं- “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है…”

रेहान- “मोना, सच मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ…”

मैं- “करती तो मैं भी हूँ, पर डर लगता है कि कहीं बदनाम ना हो जाऊँ कालेज में…”

रेहान- “सारी उस दिन की गलती के लिए…”

मैं- “ओके…”

रेहान मुझे अपने पास खींचता है और मुझे लिप-किस करने लगता है। मैं भी उसे पूरा सपोर्ट करती हूँ, 5 मिनट बाद वो मुझसे अलग होता है।

मैं- “प्लीज़्ज़… रेहान, यहां नहीं कोई देख लेगा हमें…”

रेहान- “ओके, वहां कोने पर स्टोर रूम है। वहां कोई नहीं आता, वहां चलते हैं…”

मैं- “पर रेहान?”

रेहान- “तुम चिंता मत करो, कोई नहीं आएगा वहां…”

मैं- “ओके…” और हम स्टोर रूम में जाते हैं, और वहां टूटी फूटी बेंचेस और चेयर्स पड़ी होती हैं।

वहां पहुँच कर वो फिर से मुझे किस करता है और मेरी चूचियां कपड़ों के ऊपर से दबाता है। कुछ मिनट बाद वो एक बेंच को सही करता है, मेरा टाप उतार देता है, और मुझे लिटा देता है। मैं बेंच पर पूरी नहीं आ पाती तो फिर वो मेरी मिडी में हाथ डालकर मेरी पैंटी उतार देता है और मेरी मिडी में मुँह डालकर चूत चाटने लगता है। 5 मिनट बाद मैं हाट महसूस करने लगती हूँ। तभी वो मिडी मेरी कमर तक उठा देता है और मेरे पैर फैलाकर अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ने लगता है, और दोनों हाथों से मेरी एक-एक चूचियां ब्रा के ऊपर से ही पकड़ता है और जोर का झटका मारता है।

मेरे मुँह से ‘आअह्ह्ह’ निकल जाती है। मुझे खिड़की मैं किसी की परछाई का एहसास होता है, पर मैं उसकी चुदाई में सब भूल जाती हूँ। वो बहुत तेज-तेज धक्के लगाने लगता है, और मैं बस ‘आआह्ह्ह… आआह्ह्ह…’ करके रह जाती हूँ और झड़ जाती हूँ।

तभी वो मुझे बेंच पकड़कर झुकने को बोलता है और अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाल देता है। झुकने से मेरी चूचियां लटकने लगती हैं, जिन्हें वो पकड़कर धक्के लगाने लगता है, और थोड़ी देर बाद झड़ जाता है। मैं अपनी ड्रेस ठीक करके क्लास अटेंड करने चली जाती हूँ।

तभी मुझे एहसास होता है की मैं अपनी पैंटी तो वहीं भूल गई। मैं वापस स्टोर रूम की तरफ जाती हूँ। तभी मुझे रास्ते में मेरा भाई मिल जाता है, और मुझसे घर चलने के लिए पूछता है। मैं उसके साथ घर लौट आती हूँ।

फिर 5:00 बजे मोम आती हैं और पूछती हैं- चलना है क्या?

मैं- “कहां?”

मोम- “तुमने ही तो काल पर किसी को बोला था की हमें किसी से मिलने जाना है…”

मैं- “ओह्ह्ह… हाँ मोम, भूल गई थी। आप तैयार हो जाओ, चलना है…”

मोम- “ओके, मैं तैयार होती हूँ तुम भी हो जाओ…”

मैं- “ओके…”

फिर हम तैयार होकर होटेल के लिए निकल जाते हैं। मैं उस लड़के को काल करती हूँ- “हेलो…”

वो लड़का (विशाल)- “हेलो…”

मैं- “हम निकल चुके हैं, थोड़ी देर में होटेल पहुँच जाएंगे…”

विशाल- “ठीक है, आप आ जाओ…”

हम लोग होटेल पहुँच कर पूल साइड जाकर एक टेबल पर बैठ जाते हैं।

तभी एक 20-21 साल का लड़का हमारे पास आता है, उसके साथ 4 सेक्योरिटी गार्ड होते हैं। और वो उन्हें वहां से इशारे से जाने को कहता है। विशाल- “हाय…”

तभी एक 20-21 साल का लड़का हमारे पास आता है, उसके साथ 4 सेक्योरिटी गार्ड होते हैं। और वो उन्हें वहां से इशारे से जाने को कहता है। विशाल- “हाय…”

मैं- “हाय…”

मोम- “क्यों मिलना चाहते थे तुम हमसे?”

विशाल- “पहले हम कुछ खाने पीने को मंगाते हैं फिर बात करते हैं…” फिर 3 ड्रिंक और पनीर टिक्का आ जाता है। अब विशाल कहता है- “हाँ… तो बात ये है की मेरा नाम विशाल है और मैं यहां के मिनिस्टर का बेटा हूँ…”

मोम- “हाँ… तो?”

विशाल- “सो बात ये है की सनडे को मेरा बर्थ-डे है और मैं चाहता हूँ की आप वहां आओ…”

मोम- “पर हम तुम्हारे बर्थ-डे में आकर क्या करेंगे?”

विशाल- “मैंने आप लोगों को उस दिन 3 आदमियों के साथ देखा था, तब से ही मैं फिदा हूँ आप पर। और मैं चाहता हूँ कि आप मेरी पार्टी में आओ और स्ट्रिप डान्स करो…”

मोम- “क्याऽऽऽ? हम नहीं कर सकते ऐसा…”

विशाल- “मैं आपको एक लाख रूपया दूँगा और प्रोमिस करता हूँ कि आपके साथ मेरा कोई दोस्त सेक्स नहीं करेगा।

मोम- “मैं समझी नहीं?”

विशाल- “वो आपको छुयेंगे पर आपके अंदर नहीं डालेगा कोई…” तभी विशाल का काल आ जाता है।

विशाल- “एक्सक्यूज मी, मैं आता हूँ…”

मैं मोम से- “क्या करना चाहिए मोम?”

मोम- “समझ में नहीं आ रहा। मैं मना भी नहीं करना चाहती, क्योंकी है भी ये मिनिस्टर का बेटा और हमारे बारे में काफी जान भी गया है…”

मैं- “हाँ… तो?”

मोम- “चलते हैं एक बार, फिर देखेंगे?”

तभी विशाल लौटकर आता है, विशाल- “तो क्या सोचा आप लोगों ने?”

मोम- “ठीक है, हम आएंगे…”

विशाल- “थैंक्स मेडम, मैं कार भेज दूँगा…” और इतना बोलकर निकल जाता है।

फिर हम घर लौट आते हैं, घर पर भाई- “दीदी, आज आपने क्लास नहीं अटेंड की क्या?”

मैं- “क्यों?”

भाई- “जस्ट ऐसे ही पूछ रहा हूँ…”

मैं- “तुम अपने काम से काम रखो…” और मैं गुस्से में अपने रूम में चली जाती हूँ,

तभी अकरम की काल आती है।

मैं- “हेलो…”

अकरम- “क्या बात है जान, तुम तो हमें भूल ही गई…”

मैं- “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है…”

अकरम- “अच्छा सुनो, कल मेरा भाई और उसके कुछ दोस्त आ रहे हैं, तुम आ जाना…”

मैं- “मैं अकेली?”

अकरम- “नहीं, मैं राखी, जिसके साथ तुम शेखों के यहां गई थी, उसे भी बुला लूँगा। साथ में और भी दो लड़कियां बुलाई है। सारी रात का जश्न होगा और कपड़े भी लेती आना, हो सकता है अगले दिन दोपहर तक जाना हो तुम लोगों का…”

मैं- “ठीक है, मैं आपको कैसे मना कर सकती हूँ…”

अकरम- “मैं राखी को भी काल करके बता देता हूँ…”

मैं- “ओके गुड नाइट…”

सुबह मोम मेरे रूम में चाय लेकर आती है- “उठो, चाय लाई हूँ…”

मैं उठकर चाय लेती हूँ।

मोम- “अकरम की काल आई थी रात को…”

मैं- “हाँ… मुझे भी आई थी…”

मोम- “वहां तो जाना ही पड़ेगा। समझ में नहीं आ रहा कि विशाल को क्या बोला जाए?”

मैं- “बोल दूँगी कि मेरी दोस्त की शादी है वहां जाना है…”

मोम- “ओके…”




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