बाप के रंग में रंग गई बेटी complete

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Kamini
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

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अब मनिका अपने पापा के इस सवाल का क्या जवाब देती, जबकि जयसिंह भी अच्छी तरह से जानता था कि उसका लंड किसमे घुसा है, फिर भी वो अनजान बनते हुए अपनी बेटी से सवाल पूछ रहा था, पर मनिका अभी भी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी कि अपने पापा को साफ साफ कह दें कि आपका लंड मेरी चुत में घुस गया है,

जब जयसिंह सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ था तो उसे भी अनजान बने रहने में क्या हर्ज था ,और वैसे भी अनजान बने रहने में ही ज्यादा मजा आ रहा था

इसलिए वह कांपते स्वर में बोली
"कककककक.... कुछ नहीं पापा .....पाव दर्द करने लगे हैं"

अपनी बेटी की बात सुनकर जयसिंह अनजान बनता हुआ बोला
"आराम से चलो बेटी कोई जल्दबाजी नहीं है ,वैसे भी अंधेरा इतना है कि कुछ देखा नहीं जा रहा है"

जयसिंह तो इसी इंतजार में था कि कब उसकी बेटी अगलीे सीढ़ी उतरे और वो अपना थोड़ा सा लंड और उसकी बुर में डाल सके,



मनिका भी समझ गयी थी कि अगली सीढ़ी उतरते समय उसके पापा का पूरा सुपाड़ा उसकी बुर में समा जाएगा, और यही सोचते हुए उसने सीढ़ी उतरने के लिए अपना कदम नीचे की ओर बढ़ाया ,

जयसिंह ने भी मौका देखते हुए अपनी बेटी को यूं ही बाहों में दबोचे हुए अपनी कमर को थोड़ा और नीचे ले जाकर हल्का सा धक्का लगाया ही था कि, मनिका अपने आप को संभाल नहीं पाई, उत्तेजना के कारण उसके पांव कांपने लगे और वो लड़खड़ाकर बाकी की बची दो सीढ़ियां उतर गई ,

जयसिंह के लंड का सुपाड़ा जितना घुसा था वो भी बाहर आ गया, दोनों गिरते-गिरते बचे थे ,जयसिंह का लंड डालने का मौका जा चुका था और मनिका का भी लंड डलवाने का मौका हाथ से निकल चुका था,
मनिका अपनी किस्मत को कोस रही थी कि अगर ऐन मौके पर उसका पैर ना फिसला होता तो अब तक उसके पापा का लंड उसकी बुर में थोड़ा सा तो समा गया होता


इधर जयसिंह भी खड़े लंड पर धोखा लगने से दुखी नजर आ रहा था, दोनों सीढ़ियां उतर चुके थे, पर अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत

जयसिंह ने अपनी बेटी से पूछा,
"क्या हुआ बेटी, तुम ऐसे लड़खड़ा क्यों गई?"


कुछ देर पहले लंड के एहसास से मनिका पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी, उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी, उत्तेजना उसके सर पर सवार थी ,ये नाकामी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी,

लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए वह बोली
"कुछ नहीं पापा ,एकाएक मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ और मुझे दर्द होने लगा इसलिए मैं अपने आप को संभाल नहीं पाई और गिरते गिरते बची, पर आपको तो चोट नही लगी ना"

"नहीं बेटी मुझे चोट नहीं लगी है, लेकिन यह बताओ क्या चुभ रहा था और किस जगह पर" जयसिंह अब पूरा खुल चुका था

मनिका ये बात अच्छी तरह से जानतीे थी कि जयसिंह भोला बनने की कोशिश कर रहा था ,वो सब कुछ जानता था, वरना यूं इतनी देर से उसका लंड खड़ा नहीं रहता, वैसे भी इस समय पहले वाली मनिका नहीं थी, ये मनिका बदल चुकी थी, गुस्सेल और सेक्स से दूर रहने वाली मनिका इस समय कहीं खो चुकी थी ,उसकी जगह वासनामयी मनिका ने ले ली थी, जिसके सर पर इस समय वासना सवार थी, वो इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि रिश्ते नाते सब कुछ भूल चुकी थी

अपने पापा के सवाल का जवाब देते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में बोली
"अब क्या बताऊं पापा कि क्या चुभ रहा था और कौन सी जगह चुभ रहा था , इतने अंधेरे में तो कुछ दिखाई भी नहीं दिया, चलो कोई बात नहीं पापा, हम दोनों काफी समय से भीग रहे हैं, अब हम दोनों को बाथरूम में चलकर अपने गीले कप्प......"

इतना कहते ही मनिका थोड़ा रुक कर बोली
"पापा जब आप मेरे बदन से चिपका हुए थे तो मुझे ऐसा एहसास हो रहा था कि आप बिल्कुल नंगे थे" मनिका ने अब खुलेपन से बोलना शुरू कर दिया था,

अपनी बेटी के इस बात पर जयसिंह हड़बड़ाते हुए बोला
"वो...वो...बेटी ....वो टॉवल.... ऊपर तेज हवा चल रही थी ,तो छत पर ही छूट गई और अंधेरे में कहां गिरी दिखाई नहीं दी..... लेकिन बेटी मुझे भी ऐसा लग रहा था कि नीचे से तुम भी पूरी तरह से नंगी थी"


"अरे हां, पापा वो उपर कितनी तेज बारिश गिर रही थी, वैसे भी मुझसे तो मेरी स्कर्ट भी नहीं संभाले जा रही थी, और शायद तेज बारिश की वजह से मेरी पैंटी.....सरक कर कब नीचे गिर गई, मुझे पता ही नहीं चला, वैसे भी आप तो देख ही रहे हो कि अंधेरा कितना घना है , हम दोनों एक दूसरे को भी ठीक से देख नहीं पा रहे है, तो वो क्या खाक दिखाई देती, इसलिए मैं भी बिना पैंटी पहने ही ईधर तक आ गई"

तभी मनिका धीमी आवाज में बोली " पापा, आपको कुछ दिख रहा है क्या?"

"नहीं बेटी कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा , अगर दिखाई देता तो सीढ़ियां झट से ना उतर गया होता, यूँ तुमसे चिपक कर क्यों उतरता"जयसिंह सकपका कर बोला


दोनों जानते थे कि दोनों एक दूसरे को झूठ बोल रहे थे ,दोनों की हालत एक दूसरे से छिपी नहीं थी, दोनों इस समय सीढ़ियों के नीचे नंगे ही खड़े थे, मनिका कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी थी और जयसिंह तो संपूर्ण नग्नावस्था में अंधेरे में खड़ा था

तभी मनिका बोली,
" चलो कोई बात नहीं पापा, बाथरूम में चलकर कपड़े बदल लेते हैं "

इतना कहते ही मनिका अंधेरे में अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने पापा का हाथ पकड़ना चाहती थी कि तभी वो हड़ बड़ाते हुए बोली..
"यययययय......ये.....ककककक.....क्कया....है"

मनिका ने अंधेरे में अपने पापा का हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया था, लेकिन उसके हाथ में उसके पापा का टनटनाया हुआ खड़ा लंड आ गया और एकाएक हाथ में आए मोटे लंड की वजह से मनिका एकदम से हड़बड़ा गई थी, मनिका को अपने पापा कां लंड हथेली में कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था, मनिका पुरी तरह से गनगना गई थी,

जब उसे यह एहसास हुआ कि उसके हाथ में जयसिंह के हाथ की जगह उसका लंड आ गया है तो वो एकदम से रोमांचित हो गई और उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पीचकने लगी, जयसिंह भी उत्तेजना के समंदर में गोते लगाने लगा, अपनी बेटी के हाथ में अपना लंड आते ही जयसिंह भी पुरी तरह से गनगना गया था,

मनिका ने तुरंत अपना हाथ लंड से हटा लिया पर उसकी चुत अब बुरी तरह से पनिया गयी थी, और उसके सब्र का बांध लगभग टूट से गया था, वो बस किसी भी कीमत पर अपने पापा का लंड अपनी चुत में लेने के लिए तड़प रही थी,

"पापाआआआ...... वो अब हमें टॉवल से गीले बदन पोंछ लेने चाहिए, वरना सर्दी लग जायेगी" मनिका ने जयसिंह से कहा

"हाँ.....बेटीईईई.....पर.....वो...." जयसिंह हकलाते हुए बोला

"पर क्या पापाआआआ" मनिका की आवाज़ से हवस साफ झलक रही थी

"वो मेरा टॉवल तो ऊपर ही रह गया, और मेरे पास तो दूसरा टॉवल भी नही" जयसिंह बोला


"तो क्या हुआ पापाआआआ..... आप मेरे कमरे में चलिए ना, मेरे पास 3-4 टॉवल हैं, आप उनमे से किसी को यूज़ कर सकते है" मनिका के मन मे आगे का प्लान पूरी तरह तैयार हो चुका था

"ठीकककककक .....है.....मनिका, जैसा तुम कहो" जयसिंह भी मनिका के टॉवल से खुद को पोंछने की बात सुनकर तड़प सा उठा

"मैं अभी किचन में गैस बंद करके आती हूँ, फिर हम ऊपर मेरे कमरे में चलते है" मनिका खुस होती हुई बोली

दोनों को ही अब पक्का यकीन हो गया था कि उनकी महीनों की प्यास आज जरूर बुझ जाएगी

मनिका ने फटाफट जाकर किचन में गैस बंद की और फिर बाहर आकर जयसिंह को अपने साथ अपने रूम में आने के लिए बोली

दोनों बाप बेटी हाथों में हाथ डाले मनिका के रूम की तरफ बढ़ने लगे, अभी भी दोनों नंगे बदन ही थे

जल्द ही वो दोनों मनिका के रूम के अंदर पहुंच चुके थे, अंधेरा इतना ज्यादा था कि वो एक दूसरे को देख भी नही पा रहे थे,

मनिका ने बड़ी मुश्किल से अपनी अलमारी में से दो टॉवल निकाले और उनमें से एक अपने पापा को पकड़ा दिया

अब जयसिंह मनिका के छोटे से टॉवल से अपना बदन पोंछने में व्यस्त हो गया

"पापाआआआ....."अचानक मनिका ने जयसिंघ को पुकारा

"हां.... मनिका...."जयसिंह ने उससे पूछा

"वो ....मैं अपनी गीली टीशर्ट उत्तर रही हूं....आपको कुछ दिख तो नही रह ना" मनिका ने कांपते होंठो से पूछा जबकि उसे भी ये बात अच्छी तरह से पता थी कि बीच बीच मे बिजली की चमक से कमरे में रोशनी हो जाएगी और जयसिंह उसके नंगे बदन का भरपूर दर्शन कर लेगा

"नहीहीहीही...तो मनिकाकककका" मुझे तो कुछ भी नही दिख रहा , वैसे भी तुमने नीचे कुछ भी नही पहना तो अब ऊपर टीशर्ट हटाने से क्या फर्क पड़ेगा, तुम्म्म्म्म... बिल्कुल फिक्र मत करो....अंधेरा इतना ज्यादा है कि मैं तुम्हे नही देख पा रहा" जयसिंह की जबान लड़खड़ा गई थी क्योंकि उसे पता था कि अब उसकी बेटी उसके सामने मादरजात नंगी होने वाली है, उसके रोम रोम में वासना का संचार होने लगा, लंड तनकर और ज्यादा कड़ा हो गया,


अब मनीका ने अपने बदन को ढके उस आखिरी कपड़े को भी अलग कर दिया, वो ये सोचकर ही हवस से भर गई कि वो और उसके पापा एक ही कमरे में एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े है

अब दोनों जने टॉवल से अपने बदन को पोंछने में लगे थे, तभी इतनी जोर से बदल गरजा जैसे कहीं कोई बेम फट गया हो, इतनी तेज आवाज से मनिका बहुत ज्यादा डर गई, वो भागकर सीधे अपने पापा की बाहों में समा गई, उसकी सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी, मुँह पे डर की भावना साफ साफ दिखाई पड़ रही थी, जयसिंह को समझते देर न लगी कि शायद बादल गरजने की आवाज़ से मनिका डर गई है, उसने भी मनिका का डर कम करने के लिए अपने हाथों को मनिका की कमर पर और ज़ोर से कस लिया

थोड़ी देर वो दोनों ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में बिल्कुल नंगे खड़े रहे, जब मनिका को थोड़ा होश आया तो उसे अपनी जांघो पर कुछ चुभन सी महसूस हुई, अब उसे समझते देर न लगी कि ये जयसिंह का खड़ा हुआ लंड है जो उसकी जांघो में घुसने की कोशिश कर रहा है, मनिका के बदन में हज़ारों चींटिया रेंगने लगी, उसकी प्यासी चुत से पानी की बूंदे रिसने लगी, वो अब बिल्कुल बदहवास हो चुकी थी

गज़ब का नज़ारा बना हुआ था, बारिश अपना मधुर संगीत सुना रही थी और दोनों बाप बेटी एक दूसरे की बांहों में नंगे बदन चिपके हुए थे,

इधर जयसिंह की हालत भी बुरी होती जा रही थी, मनिका के खूबसूरत मम्मे उसकी चौड़ी छाती में धंसे जा रहे थे, मनिका के यौवन की मादक खुसबू उसके नथूनों में घुसकर उसे मदहोश किये जा रही थी, ऊपर से उसका लंड अब बुरी तरह फनफना रहा था और मनिका की जांघो पर सटा पड़ा था

इधर मनिका बुरी तरह मदहोश होकर अपने पापा के मोटे लंड को अपनी जांघो पर महसूस कर रही थी, उसके सर पर वासना का भूत सवार हो गया था, अब उससे रहा नहीं जा रहा था, उसने मन में ठान लिया था कि आज चाहे जो हो जाए अपने पापा के लंड को अपनी बुर में पूरा का पूरा डलवा कर रहेगी, दोनों इस समय एकदम चुदवासे हो चुके थे, पर मर्यादा और शर्म की पतली चादर जो कि तार तार हो चुकी थी, हटा नहीं पा रहे थे


मनिका अब इस घुप्प अंधेरे में भी अपने पापा के मोटे लंड को देखने की कोशिश करने लगी, उसने अपनी आंखों को धीरे-धीरे नीचे की तरफ घुमाया, अब मनिका की नजरें जयसिंह के लंड पर आ टिकी थी ,अंधेरे में भी मनिका एकटक अपने पापा के खड़े लंड को देखने की लगातार कोशिश कर रही थी,
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Kamini
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

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इधर जयसिंह तो इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि उसके लंड की नसें उभर चुकी थी , जिसे देखकर मनिका की बुर से कामरस की एक बूंद नीचे टपक पड़ी, मनिका ये सोचकर और भी उत्तेजित हुए जा रही थी कि जब ये उभरी हुई नसों वाला लंड ऊफ्फ्फ...... उसकी कसी हुई बुर में जाएगा तो कितना रगड़ता हुआ जाएगा, मनिका उसकी कल्पना करके ही चरम सुख का अनुभव कर रही थी,


अपने पापा का लंड हल्की सी रोशनी में देखकर अब मनिका से बर्दास्त करना लगभग नामुमकिन सा हो गया था, मनिका की हालत उस समय और भी ज्यादा खराब हो गई, जब जयसिंह ने जानबूझकर अपनी बेटी को उकसाने के लिए अपने हाथों से लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करते हुए हिलाना शुरू कर दिया, क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बेटी उसके लंड को ही देख रही थी और इस हरकत को देखते ही वो एकदम से चुदवासी हो जाएगी,
और हुआ भी यही, वासना के चरम बिंदु पर पहुंच कर अब मनिका के सब्र का बांध टूट गया, उससे रहा नहीं गया और उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे अपने पापा के खड़े लंड को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में भींच लिया, मुठ्ठी में भींचते ही लंड की गर्माहट से मनिका की आह निकल गई, जयसिंह भी अपने लंड को अपनी बेटी की हथेली में महसूस कर उत्तेजना के साथ मदहोश होने लगा, मनिका का तो गला ही सूखने लगा था ,उससे रहा नहीं जा रहा था, महीनों के बाद उसके बदन की दबी हुई प्यास बुझने के आसार नजर आ रहे थे, मनिका के लिए तो इस समय उसके पापा मीठे पानी का कुआं थे और वो खुद बरसों से प्यासीे थी, और अपनी प्यास बुझाने के लिए प्यासे को कुएं के पास जाना ही पड़ता है


जयसिंह अपने खड़े लंड को अपनी बेटी की नरम नरम गरम हथेलियों के आगोश में पाकर गनगना गया था, उसका बदन अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए कसमसा रहा था, मनिका तो मुंह खोले आश्चर्य के साथ अपने पापा का लंड पकड़े हुए हल्की सी रोशनी में लंड के गोल सुपाड़े को ही घूरे जा रही थी, दोनों की सांसे तीव्र गति से चल रही थी, बाहर बरसात अभी भी जारी थी, बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक रह रह कर अपने होने का अंदेशा दे रही थी, मनिका अंदर ही अंदर बरसात को धन्यवाद कर रही थी क्योंकि इस समय जो भी हो रहा था वो इस तूफानी बारिश का ही नतीजा था वरना अब तक तो ना जाने कब की अपनी बूर को हथेली से रगड़ते हुए सो गई होती,

मनिका का गला उत्तेजना के मारे इतना ज्यादा सूख चुका था कि गले से थूक निकलना भी मुश्किल हुए जा रहा था, जयसिंह उसी तरह से खड़ा था, काफी देर से दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हो पा रही थी ,बस दोनों कामुकता के आकर्षण में बंध कर अपना आपा खो बैठे थे
,

आखिरकार मनिका ने ताबूत में आखिरी कील ठोकने का फैसला किया, मनिका को पता था कि अब उसे खुलना ही पड़ेगा , शर्म का पर्दा त्याग कर बेशर्म बनना पड़ेगा तभी वो उस परम सुख को भोग सकती है जिसकी कल्पना में वो रात दिन लगी हुई थी, आज वो बेशर्म बनकर चुदाई के सारे सुखों को भोग लेना चाहती थी , इसलिए वो अपने अब अपने पापाके लंड को मुट्ठी में भरकर धीरे धीरे मुट्ठीयाते हुए बोली
"बाप रे.......बाप रे इतना तगड़ा लंड, ये तो पहले से भी बड़ा लग रहा है पापाआआआ......"

अपनी बेटी के मुख से लंड शब्द सुनकर जयसिंह का दिमाग भन्ना गया,
जयसिंह के मुंह से शब्द ही नही निकल पा रहे थे ,वो बस जड़वत खड़ा था और उसकी बेटी उसके लंड को अपनी मुट्ठी में कैद किये ऊपर नीचे कर रही थी,

"सच पापा, आपका ये हथियार तो बहुत ज्यादा मोटा, लंबा और तगड़ा है, अब तो ये पहले से भी ज्यादा बड़ा लग रहा है" इतना कहते हुए मनिका धीरे-धीरे अपने पापा के लंड को हिला रही थी ,जिससे जयसिंह को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी,

लंड को हिलाते हुए मनिका फिर बोली
" पापाआआआ...... अब मुझे समझ आया कि सीढ़ियों में मुझे क्या चुभ रहा था, आपका ये मोटा लंड सच मे कितना बड़ा है पापाआआआ.....तभी तो मुझे ये इतना ज्यादा चुभ रहा था, आपको पता तो होगा ना कि कहां चुभ रहा था"

जयसिंह तो अपनी बेटी का ये रूप देख कर और उसके मुंह से इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर आवाक सा रह गया था, आश्चर्य से अपना मुंह खोले वो अपनी बेटी की इन हरकतों को देख भी रहा था और उसका आनंद भी उठा रहा था,

पर वो अपनी बेटी के चुभने वाले सवाल का जवाब दे भी तो क्या, इतना तो वो अच्छी तरह जानता था कि उसका लंड उसकी बेटी के किस अंग पर चुभ रहा था, लेकिन ये बात अपने मुंह से कैसे कहें, इसलिए उसने ना में सिर हिला दिया

अपने पापा का ना में सिर हिलता हुआ देखकर वो मुस्कुराते हुए बोली
" आप बड़े भोले है पापाआआआ..... आप इतना भी नहीं जानते कि आपका ये हथियार मेरे किस अंग पर चुभ रहा था..... रुको मैं आपको खुद ही दिखाती हूं "

अपनी बेटी के मुंह से उसकी चुत दिखाने वाली बात सुनते ही उत्तेजना के मारे जयसिंह का लंड ठुमकी मारने लगा, जिसका एहसास मनिका को साफ तौर पर अपनी हथेली में हो रहा था, मनिका ठुमकी लेते हुए लंड के कारण उत्तेजित हो रही थी

अचानक मनिका ने जयसिंह के लंड को छोड़ दिया और दूसरी तरफ रखी टेबल की तरफ जाने लगी, जयसिंह समझ नही पाया कि अचानक क्या हो गया पर उसकी उलझन जल्द ही खत्म हो गयी, कमरे में हल्की दूधिया रोशनी फैल चुकी थी, मनिका ने मेज पर रखी एमरजेंसी लाइट जला दी थी, अब दोनों बाप बेटी कमरे में हुई हल्की दूधिया रोशनी में एक दूसरे के नंगे बदन को ताड रहे थे, उनकी उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी

अब मनिका धीरे से बोली
"रुकिये पापा, मैं आपको अच्छी तरह से दिखाती हूं कि आपका ये हथियार कहाँ चुभ रहा था"


इतना कहते हुए अपने बेड पर आकर बैठ गई ,जयसिंह आंख फाड़े अपनी बेटी के नंगे बदन को ऊपर से नीचे तक देख रहा था, मनिका ने जयसिंह के लंड को दोबारा अपने हाथों में पकड़ा और खींचकर बेड के पास ले आयी,

मनिका अपने पापा को तड़पाते हुए एक बार दोबारा उनसे बोली
"क्या आप सच मे देखना चाहतें हैं कि कहां चुभ रहा था आपका ये हथियार"

अपनी बेटी की गंदी बातें सुनकर जयसिंह का मन मस्तिष्क मस्ती से हिलोरे मार रहा था, अपनी बेटी की बातों को सुनकर उसको मजा आने लगा था, उसने भी हामी भरते हुए सिर हिला दिया,
मनिका तो तड़प रही थी अपने पापा को अपना वो बेशक़ीमती अंग दिखाने के लिए, जिसकी तपन में तपकर वो बदहवास हो चुकी थी,

मनिका ने जयसिंह के लंड को अपने हाथों की पकड़ से आज़ाद किया और अब वो धीरे धीरे अपने पैरों को चौड़ा करने लगी

जब उसकी नजर उसकी बेटी की बुर पर पड़ी तो उसकी तो जैसे सांस ही अटक गई, मनिका की बुर एकदम चिकनी थी, बस हल्के हल्के रोए ही नजर आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि तीन चार दिन पहले ही क्रीम लगाकर साफ की गई है, जयसिंह तो देखता ही रह गया,उसकी सालों की तड़प पूरी जो हो रही थी,उत्तेजना के मारे मनिका की चुत रोटी की तरह फूल गई थी, जयसिंह भारी सांसो के साथ अपनी बेटी की फुली हुई बुर को देख रहा था, उसकी बेटी भी बड़े अरमानों से अपने पापा को अपनी चुत के दर्शन करा रही थी, अब मनिका जयसिंह को और ज्यादा उकसाते हुए अपनी हथेली को धीरे से अपनी बुर पर रखकर हल्के से मसलने लगी,


अपनी बेटी की ये हरकत को देखकर जयसिंह अत्यधिक उत्तेजना महसूस करने लगा और उत्तेजनावश उसका हाथ अपने आप उस के तने हुए लंड पर आ गया और उसने अपने लंड को मुट्ठी में भींच लिया, जयसिंह की हालत को देख कर मनिका समझ गई थी की जयसिंह एकदम से चुदवासा हो चुका है , मनिका ने सोचा कि अब लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है, और अब चोट मारने का बिल्कुल सही टाइम आ गया है,


इसलिए वो जयसिंह को और गर्म करने के लिए बोली,
" देखलो पापा ,ठीक से देख लो, ये ही वो जगह है जिस पर आपका ये हथियार ( लंड की तरफ इशारा करते हुए ) चुभ रहा था , मुझे बड़ी परेशानी हो रही थी, वैसे आप चाहो तो इसे छू कर भी देख सकते हो, अभी भी बिल्कुल गरम है"
अपनी बेटी की बात सुन कर जयसिंह हक्का-बक्का रह गया, उसकी बेटी उसे अपनी चुत छूने के लिए उकसा रही थी, जबकि जयसिंह तो खुद ही उसकी चुत छुने के लिए तड़प रहा था, अपनी बेटी के इस आमंत्रण से वो पूरी तरह से गनगना गया था, वो अच्छी तरह से जान चुका था कि वासना की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है,

जयसिंह ने अपनी बेटी की चुत को स्पर्श करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया लेकिन उत्तेजना की मारे उसका हाथ कांप रहा था, ये देखकर मनिका मुस्कुराने लगी, और अब उसने अपने पापा का डर दूर करने के लिए खुद ही जयसिंह का हाथ पकड लिया और उनकी हथेली को अपनी गरम चुत के सुलगते होठों पर लगा दिया

अपनी बेटी की बुर पर हथेली रखते ही जयसिंह के मुंह से आह निकल गई,उन्हें ऐसा लग रहा था कि उन्होंने किसी गरम तवे पर अपना हाथ रख दिया हो , उन्होंने धीरे से मनिका की चुत को मसल दिया

जब उत्तेजना के कारण जयसिंह ने अपनी बेटी की बुर को अपनी हथेली में दबोचा तो मनिका की सिसकारी फुट पड़ी,
"स्स्स्स्स्हहहहहहह.......आहहहहहहहहहह.....पापाआआआ"

अब जयसिंह अपनी बेटी की चुत को अपनी हथेली में दबोचे हुए उसके बिल्कुल करीब आ गया, दोनों उत्तेजना में सरोबोर हो चुके थे, जयसिंह अपनी हथेली से अपनी बेटी की चुत को धीरे-धीरे रगड़ने लगा, मनिका के चेहरे का रंग सुर्ख लाल होता जा रहा था ,जयसिंह अपनी बेटी के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था और जैसे ही जयसिंह के होठ मनिका के होंठों के बिल्कुल करीब पहुंचे ,जयसिंह से रहा नहीं गया, वो अपनी बेटी के गुलाबी होंठों को चूसने का लालच दबा नहीं पाया और तुरन्त अपने होंठों को अपनी बेटी के होठों से सटा दिया
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

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होंठ से होंठ सटते ही जेसे दोनों बरसों के प्यासे एक दूसरे पर टूट पड़े, जयसिंह अपनी बेटी के होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा ,उसकी बेटी भी अपने पापा के होंठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, दोनों बारी बारी से एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर एक दूसरे के थुक तक को चाट जा रहे थे, दोनों पागल हो चुके थे, वासना के नशे में अंधे हो चुके थे ,अपने बदन की प्यास के आगे उन दोनों को अब रिश्ते नाते कुछ दिखाई नहीं दे रहे थे ,

जयसिंह तो अपनी बेटी की बुर को अपनी हथेली से रगड़ते हुए मस्त हुआ जा रहा था , जयसिंह के करीब आने की वजह से जयसिंह का तना हुआ लंड मनिका के पेट पर रगड़ खाने लगा, जिससे मनिका की उत्तेजना में और ज्यादा बढ़ोतरी हो रही थी, उसने तुरन्त पेट पर रगड़ खा रहे अपने पापा के लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और धीरे-धीरे मुठीयाने लगी,

अपनी बेटी की इस हरकत पर जयसिंह से रहा नहीं गया और उसने चुत को मसलते मसलते अपनी एक उंगली को धीरे से चुत में प्रवेश करा दिया, महीनों से प्यासी मनिका की बुर में जैसे ही उसके पापा की उंगली घुसी, मनिका तो एकदम से मचल उठी, उत्तेजना और मदहोशी के कारण उसके पैर कांपने लगे
,
जयसिंह अपनी बेटी के होठों को चूसते हुए धीरे-धीरे अपनी ऊंगली को बुर के अंदर बाहर करने लगा, इससे मनिका का चुदासपन पल पल बढ़ता जा रहा था, वो अपने पापा के बदन से और ज्यादा चिपक गई, जयसिंह लगातार अपनी उंगली से अपनी बेटी की बुर चोद रहा था, मनिका की गरम सिसकारियों से पूरा कमरा गुंजने लगा था,

मनिका सिसकारी लेते हुए बोली,
"आहहहहहहहहह......स्सहहहहहहहहहहहह.... पापा मुझे कुछ हो रहा है, ऊफ्पफ्फ....... मुझ से रहा नहीं जा रहा है पापा"

जयसिंह अपनी बेटी की गर्दन को चूमते हुए एक हाथ से उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को दबाते हुए बोला,
"क्या हो रहा है बेटी?"


मनिका अपने पापा के लंड को हिलाते हुए बोली "पता नहीं पापा मुझे क्या हो रहा हैैं ,मुझसे रहा नही जा रहा है, ऐसा लग रहा है कि मेरी बुर में सैंकड़ो चींटिया रेंग रहीे हैं , मुझे बुर में खुजली हो रही है पापाआआआ"

जयसिंह का लंड मनिका के बुर के इर्द-गिर्द ही रगड़ खा रहा था, जिससे मनिका की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगी थी, जयसिंह ने अब अपना मुंह मनिका की मदमस्त चुचियों पर सटा दिया, वो इतनी जोर जोर से उसकी चुचियाँ चूस रहा था मानो आज वो अपनी बेटी की दोनों चूचियों को खा ही जाएगा,

अपने पापा को इस तरह से अपनी चूचियों पर टूटता हुआ देखकर मनिका एक दम मस्त हो गई, उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी, मनिका सिसकारी भरते हुए एक हाथ से अपनी बुर को मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपने पापा के लंड को मुट्ठीयाये जा रही थी,

दोनों गर्म हो चुके थे, जयसिंह अपने लंड को हिलाते हुए अपनी बेटी की बुर पर रगड़ने लगा, बुर पर लंड का सुपाड़ा रगड़ खाते ही मनिका कामोत्तेजना में मदहोश होने लगी, वो लगातार सिसकारी लिए जा रही थी, उससे लंड के सुपाड़े की रगड़ अपनी बुर पर बर्दाश्त नहीं हो रही थी


पर जयसिंह दोबारा अपनी बेटी के होठों का रसपान करने लगा,और उसे कसकर अपनी बाहों में दबोच लिया, जयसिंह के दोनों हाथ उसकी बेटी की नंगी पीठ से होते हुए कमर और कमर से नीचे उभरे हुए नितंब पर फिरने लगे , जयसिंह अपनी बेटी के चिकने बदन से और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था, वो अपनी बेटी की गांड को दोनों हथेलियों में भर भर कर दबा रहा था, अपनी बेटी की गांड को दबाते हुए वो इतना ज्यादा उत्तेजित हो रहा था कि मनिका को प्रतीत होने लगा कि आज उसके पापा उसकी गांड को खा ही ना जाए

जयसिंह और मनिका दोनों बाप बेटी एक दूसरे को बेतहासा चुमे चाटे जा रहे थे, जयसिंह रह रह कर अपनी बेटी की गुदाज गांड को दोनों हथेलियों से दबाता, जिससे उसे तो मजा आ ही रहा था पर साथ ही साथ मनिका भी एक दम मस्त हो जा रही थी, एक हाथ से मनिका अपने पापा का लंड पकड़ कर धीरे धीरे मुठीयाये जा रही थी,

मनिका के बदन में चुदवाने की ललक बढ़ती जा रही थी, मनिका भी एक हाथ अपने पापा के पीठ पर ले जाकर उसे अपनी बाहों में भरने लगी ,जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां जयसिंह के सीने पर धंसने लगी, उत्तेजना के मारे उसके चुचियों की निप्पल इतनी ज्यादा कड़क हो चुकी थी की जयसिंह के सीने में वो सुइयों की तरह चुभ रही थी,

दोनों की सांसे इतनी तीव्र गति से चल रही थी कि कमरे में उन दोनों की सांसों की आवाज तक साफ साफ सुनाई दे रही थी, अब बेड पर मनिका नीचे और जयसिंह उसके उपर था, जयसिंह ने तुरन्त अपनी बेटी के दोनों पके हुए आमों को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसकी नजर अपनी बेटी की नजरों से टकराई ,अपनी बेटी की आंखों में शुरुर से झांकते हुए उसने
अपने होठों पर अपनी जीभ फीराई और फिर कसकर मनिका की चुचियों को दबाने लगा,



जैसे ही जयसिंह ने अपनी बेटी की चुचियों को दबाया उसकी बेटी के मुंह से हल्की सी सिसकारी भरी चीख निकल गई,
"स्ससहहहहहहहह....पापाआआआ.... ये आप क्या कर रहे है , मुझे ना जाने क्या हो रहा है उफ्फफ्फ..... मुझसे रहा नहीं जा रहा है"

उत्तेजना के मारे मनिका के मुंह से आवाज अटक अटक के निकल रही थी, जयसिंह को तो खेलने के लिए जैसे खिलौना मिल गया था वो जोर-जोर से मनिका की गोलाईयों को दबा दबा कर मजा ले रहा था, इस चूची मर्दन में मनिका को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी, ऐसा आनंद कि जिसके बारे में शायद बयान कर पाना बड़ा मुश्किल था

थोड़ी ही देर में चूची मर्दन की वजह से उसकी चूचीयो का रंग कश्मीरी सेब की तरह लाल हो गया, मनिका अपने पापा के इस चुची मर्दन से बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी

शर्म और मर्यादा की दीवार टूट चुकी थी इस समय जयसिंह अपनी बेटी के ऊपर लेटा हुआ था और उसकी बड़ी बड़ी तनी हुई गोल चूचियों को दबाने का सुख प्राप्त कर रहा था, जयसिंह का तना हुआ लंड मनिका की जांघो के बीच रगड़ खाते हुए उसकी चुत के अंदर गदर मचाए हुए था, मनिका की चुत अंदर से पसीज पसीज कर पानी पानी हो रही थी,मनिका सिसक रही थी, उसके मुंह से लगातार सिसकारी फूट रही थी ,वो उत्तेजना के मारे अपने सिर को इधर उधर पटक रही थी,

"स्स्स्स्स्हहहहहहहह......आहहहहहहहहह...... पापा गजब कर रहे है आप .....,मेरे बदन मे चीटिया रेंग रही है पापाआआआ......"

अपनी बेटी की गरम सिस्कारियों को सुनकर जयसिंह अच्छी तरह से जानता था कि वो एकदम गरम हो चुकी है ,
वो इन गरम सिसकारीयों से वाकिफ था, वो अच्छी तरह से जानता था कि ऐसी सिस्कारियों के बाद चुदवाने की इच्छा प्रबल हो जाती है, जयसिंह ये समझ गया था कि उसकी बेटी भी अब उसके लंड को अपनी चुत में डलवाने के लिए तड़प रही है, लेकिन जयसिंह अभी अपने लंड को अपनी बेटी की चुत में डालकर चोदने वाला नहीं था,
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by Saileshdiaries »

Milan kab hoga.?
बहुत छोटा सा है ये सफर जिंदगी का,
हर एक पल को दिल से जियो..!!
आपका दोस्त - शैलेश
:)
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Kamini
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by Kamini »

Saileshdiaries wrote: 15 Sep 2017 19:49 Milan kab hoga.?

jald hi hoga thoda intzar ka maza lijiye huzoor
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