बाप के रंग में रंग गई बेटी complete

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Kamini
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

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वो अभी किचन की तरफ जा ही रह था कि अचानक उसके मोबाइल पर मधु का फ़ोन आ गया

जयसिंह - हेलो
मधु - हाँ, हेलो, मैं मधु बोल रही हूं

जयसिंह को मधु की आवाज़ से लगा जैसे वो रो रही हो, वो थोड़ा घबरा गया

जयसिंह - अरे मधु, क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो??????
जयसिंह - अरे मधु, बताओ तो सही क्या हुआ, तुम इस तरह क्यों रो रही हो

अब जयसिंह को सचमुच काफी टेंसन होने लगी थी, पर मधु तो बस सुबके ही जा रही थी

जयसिंह - मधु, बोलो ना क्या बात हुई,

थोड़ी देर खुद को संभालने के बाद मधु ने जवाब दिया

मधु- सुनिए , पिताजी की तबियत बहुत खराब है, डॉक्टर बोल रहे है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है, उन्हें कम्पलीट रेस्ट पर रहने के लिए कहा गया है, पता नही कितने दिन तक मुझे यहां रुकना पड़ेगा, आप तो जानते ही है कि मां से भी इस उम्र में भाग दौड़ नही हो पाएगी, इसलिए मुझे ही यहां रुकना होगा, आप आकर बच्चो को ले जाइए, उनकी एग्जाम भी पास आ गई है, ऐसे में उनका यहां रुकना ज्यादा ठीक नही होगा

जयसिंह - पर तुम अकेली कैसे इतना कम कर पाओगी


मधु - वो सब आप चिंता मत कीजिये, मैं सम्भाल लूंगी, आप बस आकर बच्चो को ले जाइए,

जयसिंह - चलो ठीक है मै आज ही आता हूँ, दोपहर की गाड़ी से चलकर शाम तक वहां पहुंच जाऊंगा

मधु - और हां, मनिका को भी साथ ले आना, अपने नाना से मिल लेगी, फिर पता नही कब मिलना हो

जयसिंह - ठीक है, मैं उसे भी लेते आऊंगा, पर तुम ज्यादा चिंता मत करो, भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा

मधु - ठीक है बाय, सम्भलकर आना

जयसिंह - बाय

जयसिंह के लिए ये कोई झटके से कम नही था, उसने तो इन 2-3 दिनों को रंगीन बनाने के लिए पूरा मन बना लिया था, पर अब तो उसे अपना सपना मिट्टी में मिलता नज़र आ रहा था, वो भी गांव की मिट्टी में, पर जाना भी जरूरी था

अब जयसिंह के पास सिर्फ दोपहर तक का ही वक्त था, इसलिए उसने ठान लिया था कि जाने से पहले एक बार और वो मनिका की चुत का स्वाद जरूर चखेगा, अपने मकसद को कामयाब करने के लिए वो किचन की ओर चल पड़ा, जहां मनिका पहले ही पलकें बिछाए अपने पापा का इंतेज़ार कर रही थी,

जैसे ही जयसिंह किचन में दाखिल हुआ, मनिका को जयसिंह की आहट होते ही जाँघो के बीच सुरसुरी सी मचने लगी, उसे पता था कि जयसिंह की नजर उस पर ही टिकी होगी , लेकिन वो पीछे मुड़कर देखे बिना ही अपने काम मे मगन रही,

इधर उसकी सोच के मुताबिक ही जयसिंह की नजरें मनिका पर ही गड़ी थी, जयसिंह आश्चर्यचकित होकर अपनी बेटी को ही देख कर जा रहा था मनिका की पीठ जयसिंह की तरफ थी, अपनी बेटी को सिर्फ लहँगे और टीशर्ट में देख कर जयसिंह हैरान हो रहा था क्योंकि आज से पहले वो इस तरह लहँगे और टीशर्ट में कभी भी नजर नहीं आई थी

उसे अपनी बेटी को इस अवस्था में देखकर उत्तेजना का भी एहसास हो रहा था, जैसे जैसे मनिका के हाथ हिलते थे वैसे वैसे उसकी भरावदार कसी हुई गांड भी मटकती थी और अपनी बेटी की मटकती गांड को देख कर जयसिंह के लंड ने उसके पाजामे में खलबली मचानी शुरू कर दी थी,

अपनी बेटी की गांड का घेराव देखकर जयसिंह के लंड का तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा था ,पलपल उसकी ऊत्तेजना बढ़ती जा रही थी, जयसिंह अपनी बेटी के टीशर्ट को देखकर कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था, क्योंकि जयसिंह को मनीका की उस हल्की पारदर्शी टीशर्ट के अंदर से झांकती नंगी पीठ साफ साफ नजर आ रही थी, उसे साफ साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बेटी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी है, ये देख कर उसका लंड और ज्यादा उछाल मारने लगा,

इधर मनिका भी अपनी भरावदार गांड को और ज्यादा मटकाते हुए कसमसा रही थी ,उसे इस प्रकार से अपने पापा को उकसाते हुए अजीब से आनंद की अनुभूति हो रही थी, अब जयसिंह के पेंट में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था, जयसिंह का मन अपनी बेटी की स्थिति को देख कर एक बार फिर से उसे चोदने को करने लगा और मनिका भी तो ये ही चाहती थी ,बस दोनों एक दूसरे से सब कुछ हो जाने के बाद भी इस समय पहल करने से डर रहे थे,

जयसिंह ये अच्छी तरह से जानता था कि पारदर्शी टीशर्ट पहनने पर जब नंगी पीठ पूरी तरह से दिखाई दे रही है तो जरूर उसकी खूबसूरत चूचियां भी साफ साफ दिखाई दे रही होंगी, अब जयसिंह की इच्छा अपनी बेटी की चुचियों को देखने की थी, क्योंकि कल रात हल्की सी लाइट में वो मनिका की खूबसूरती को निहार नही पाया था,


*********
*


आखिर जयसिंह ने ही बातों का दौर आगे बढ़ाते हुए कहा- "क्या बात है मनिका , आज तुमने लहंगा क्यों पहना है, तुम्हारी नाईटी कहा गई"

मनिका ने अपनी लालसा को पूरी करने के लिए पहले से ही पूरी तरह से रुपरेखा तैयार कर चुकी थी, इसलिए अपने पापा को जवाब देने में कोई भी दिक्कत महसूस नहीं हुई वो पीछे मुड़े बिना ही शांत मन से बोली,


मनिका - वो पापा , वो रात में बारिश की वजह से नाइटी ज्यादा सुख नही पायी , बाकी कपड़े तो मैंने किसी तरह सुखाकर प्रेस कर दिए है, इसलिए ये लहंगा ही पहन लिया, क्यों अच्छा नही लगा क्या आपको

जयसिंह - अरे बेटी, ये लहंगा तो तुम्हारे गोरे रंग पर इतना अच्छा लग रहा है, मन करता है कि........(जयसिंह ने हल्के से होठों पर जीभ फिराते हुए कहा)

"क्या मन करता है, पापाआआआ....." मनिका की सांसे अब थोड़ी भारी होने लगी थी,

"वो...वो.......कुछ नही मनिकाआआ..
वो तो मैं बस ऐसे ही बोल गया" जयसिंह ने थोड़ा बात सम्भालने की कोशिश की


"प्लीज़ बताइये ना पापा , मेरे लहंगे को देखकर आपका क्या मन करता है" मनिका ने अभी भी अपनी पीठ जयसिंह की तरफ ही कर रखी थी, और धीरे धीरे सब्जी काटते हुए अपनी गुदाज़ गांड को मटका रही थी, जिससे जयसिंह के दिल पर हजारों छूरियाँ चली जा रही थी

"अमम्मम....तुम कही बुरा तो नही मैन जाओगी ना, वैसे भी हम इतने दिनों बाद दोस्त बन पाए है" जयसिंह ने कहा

"अरे पापा , आप बिलकुल भी फिक्र मत कीजिये, मैं आपकी किसी बात का बुरा नही मानूँगी, अब प्लीज़ बताइये ना, क्या मन करता है आपका मेरे लहंगे को देखकर" मनिका बोलते बोलते घूम गई, और उसकी पारदर्शी टीशर्ट में से उसके बड़े खुबसूरत मम्मे साफ दिखाई देने लगे, इस तरह अपनी आंखों के सामने मनिका के खूबसूरत चुचियों को दिन के उजाले में देख जयसिंह के शरीर मे एक तेज़ सिहरन हो गई, और साथ ही उसके लंड ने अकड़कर एक जोरदार ठुमकी ली,

जयसिंह के लंड का ये उभर मनिका की आंखों से छुप नही पाया, मनिका के होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई
"बताइये न पापाआआआ.......क्या मन करता है आपका" मनिका ने बड़े ही मादक अंदाज़ में जयसिंह से पूछा

"मनिका.....मेरा.....मेरा मन करता है कि तुम्हारे....पीछे आकर....तुम्हे मैं अपनी बाहों में जकड़ लूं....मनिका"
जयसिंह ने कांपते हुए स्वर में कहा

"तो....पकड़ लीजिये ना पापाआआआ..... मैने कब मना किया"
मनिका ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया

मनिका का जवाब सुनकर तो जयसिंह के लन्द में जैसे भूचाल ही आ गया, उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी, अब उसे बर्दास्त करना मुश्किल हुआ जा रहा था, वो तुरन्त आगे बढ़ने लगा,

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Kamini
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इधर जयसिंह को आगे बढ़ता देख मनिका भी दूसरी तरफ घूम गई जिससे उसकी गांड दोबारा जयसिंह की आंखों के सामने आकर उस पर कहर ढ़ने लगी

जयसिंह धीरे धीरे चलता हुआ मनिका के बिल्कुल पीछे आकर खड़ा हो गया, वो दोनों अब इतने करीब थे कि जयसिंह की गरम सांसे मनिका की अपनी गर्दन पर महसूस हो रही थी, जिसे महसूस कर मनिका के जिस्म में सिहरन सी दौड़ने लगी,

"मनिकककका.......मैं तुम्हे.....पकड़ लू क्याआआ..." जयसिंह धीरे से उसके कान में आकर बोला

"हाँ.... पापाआआआ......" मनिका ने भी मज़े के मारे अपनी आंखें बंद करते हुए कहा
जयसिंह धीरे से अपने हाथों को मनिका की कमर से रगड़ते हुए उसके पेट पर ले आया और अपने मुंह को मनिका के बालों में ले जाकर उसके बालो की मनमोहक खुसबू को सूंघने लगा,

मनिका अपने शरीर पर जयसिंह के हाथ का स्पर्श होते ही सिहर उठी, और हद तो तब हो गई जब जयसिंह ने अपनी एक उंगली मनिका की नाभि में ले जाकर उसे गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया, मानो वो नाभि में से कोई बहुमूल्य वस्तु निकलना चाह रहा हो

जयसिंह की इस हरकत से मनिका तो मज़े से पागल हो गई, उसकी वासना अब चरमोत्कर्ष पर पहुंचने लगी, जब उससे बर्दास्त करना मुश्किल हो गया तो उसने अपने एक हाथ को पीछे ले जाकर जयसिंह के बालों में लगा दिया जिससे जयसिंह का चेहरा मनिका के सिर से खिसककर उसकी गर्दन पर आ पहुंचा,

जयसिंह ने भी मौके का फायदा उठाते हुए तुरन्त अपने लबों को मनिका की गोरी गर्दन से चिपका दिया, और कहते है कि लड़की की गर्दन पर अगर कोई किस करे तो उसकी उत्तेजना कई गुना बढ़ जाती है, और यही मनिका के साथ भी हुआ

जयसिंह के होठों के स्पर्श अपनी गर्दन पर पाते ही मनिका अपने काबू से बाहर होने लगी और उसके मुंह से हल्की हल्की आहें भरनी शुरू हो गई
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस
ओह्हहहहहह पापाआआआ...किस माई नेक पापाआआआ...... ओह्ह"
मनिका की आहों की आवाज़ अब धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थी

इधर जयसिंह समझ गया था कि अब मनिका गरम होने लगी है, जयसिंह ने भी मौके का फायदा उठाते हुए मनिका की नाभि में फंसी अपनी उंगली निकाली और होले होले नीचे की तरह ले जाने लगा, मनिका को जैसे कोई होश ही नही था,

जयसिंह का हाथ मनिका के गोरे पेट से होते हुए अब उसके लहंगे की पट्टी पर आ पहुंचा था, जयसिंह अभी भी लगातार मनिका की गर्दन पर किस किये जा रहा था, अब जयसिंह ने धीरे से अपने हाथ की उंगलियों के इस्तेमाल कर लहंगे की इलास्टिक को हटाया और स्लो मोशन में अपना हाथ मनिका की सुलगती चुत की ओर बढ़ने लगा, जयसिंह के हाथ और मनिका की चुत में अब बेहद ही महीन पेंटी का कपड़ा था, जयसिंह अब अपनी उंगलियों को मनिका की चुत पर पैंटी के ऊपर से ही फेरने लगा,

इधर मनिका को अब बर्दास्त करना नामुमकिन हुए जा रहा था,उसने जयसिंह के बालों से अपना हाथ हटाया और धीरे धीरे जयसिंह के पाजामे की ओर बढ़ने लगी, मनिका ने अब तुरन्त ही जयसिंह का लंड उसके पाजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया, लंड के अहसास से ही मनिका बुरी तरह गनगना गई, उसकी सांसे भारी होती जा रही थी, अब उसने एक झटके में ही जयसिंह के पाजामे के अंदर हाथ डाल लिया और उसके तने हुए लंड को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया

अपने हाथों मे अपने पापा के लंड की अकड़न महसूस करते ही, मनिका का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, उसकी चूत की फाँकें बुरी तरह कुलबुलाने लगी, मनिका ने थोड़ी देर तक जयसिंह के लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर दबाया और फिर अचानक से उसने जयसिंह के लंड पर मुठ मारनी शुरू कर दी

अपने लंड पर अपनी बेटी की गर्म हथेलियों का स्पर्श पाकर जयसिंह को लगा जैसे उसका लंड इस गर्मी के अहसास से पिघल ही जायेगा, वासना का तूफान दोनों बाप बेटी के दिलो में आ चुका था,

इधर अब जयसिंह ने भी तुरंत मनीका की पैंटी के इलास्टिक को ऊपर उठकर अपनी उंगलिया सीधे उसके चुत से सटा दी, और उसकी चुत के दाने को मसलने लगा,


मनिका तो इस चौतरफा हमले से बुरी तरह आहें भरने लगी
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह, उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ…योर डिक पापा…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो बिग…...ओहहहहहह पापाआआआ
मसलो मेरी पुसी को....ओह यस..."
सससससहहहहहहह....पापा" इतना कहने के साथ ही जल बिन मछली की तरह मनिका अपनी भरावदार गांड को जयसिंह की तरफ ऊचकाते हुए तड़प ऊठी, जयसिंह की सांसे तेज हो चली, उससे अब रुक पाना बड़ा मुशकिल हुए जा रहा था, वो अब तुरंत अपनी बेटी की लहँगे को पकड़कर ऊपर की तरफ सरकाने लगा, मनिका की भी सांसे तीव्र गति से चलने लगी, धीरे धीरे करके जयसिंह ने अपनी बेटी की लहँगे को कमर तक उठा दिया, जयसिंह बहुत ही उतावला हुआ जा रहा था, लहँगे के कमर तक ऊठने पर मनिका ने खुद अपने दोनों हाथों से अपने लहँगे को थाम लिया और जयसिंह अपनी बेटी की पेंटि को दोनों हाथों की उंगलियों में फंसा कर धड़कते दिल से धीरे धीरे नीचे सरकाने लगा,

जैसे-जैसे पेंटी नीचे सरक रही थी, मनिका की गोरी गोरी भरावदार गांड दिन के उजाले में चमक रही थी, जयसिंह की तो हालत ही खराब होने लगीे थी , अपनी बेटी की गोरी गोरी गांड को देखकर उसका गला सूखने लगा था, उसका पूरा बदन उत्तेजना में सराबोर हो चुका था, जयसिंह ने धीरे धीरे पेंटी को भी पैरों के नीचे तक पहुंचा दिया, जहां से खुद मनिका ने ही पैरों का सहारा ले कर पैंटी को उतार फेंका,

ये नजारा देखकर जयसिंह से रुक पाना नामुमकिन सा हो गया था, और वो तुरन्त अपना पजामा भी उतारने लगा , जयसिंह को पजामा उतारता देख मनिका के बदन में गुदगुदी सी होने लगी और वो जयसिंह से बोली,
"पापाआआआ अगर कोई आ गया तो"


"कोई नही आएगा मनिका आह"
इतना कहने के साथ ही जयसिंह ने एक हाथ से उसकी टांग को पकड़ कर उठाते हुए किचन की पट्टी पर रख दिया और मनिका की पीठ पर दबाव बनाते हुए उसे आगे की तरफ झुका दिया, मनिका आश्चर्यचकित होते हुए जयसिंह के निर्देश का पालन कर रही थी,

जयसिंह ने अब बिना वक्त गंवाए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी चुत के गुलाबी छेद पर टीकाया और पूरी ताकत से एक करारा धक्का उसकी चुत में लगा दिया, इस धक्के की ताकत इतनी थी कि पूरा का पूरा लंड एक ही बार मे चुत के अंदर समा गया, मनिका के मुहं से हल्की सी आह निकल गई पर एक बार लंड के घुसने के बाद जयसिंह अब कहां रुकने वाला था,
वो बस धक्के पर धक्का लगाता रहा, मनिका की गरम सिसकारियां पुरे किचन को और भी ज्यादा गर्म कर रही थी, दोनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे, जयसिंह की कमर बड़ी तेजी से आगे पीछे हो रही थी, मनिका की भारी सांसे माहौल को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, सब कुछ बड़ी तेजी से हो रहा था ,जयसिंह जानता था कि उसके पास ज्यादा समय नही है क्योंकि उन्हें गांव भी जाना है, इसलिए जयसिंह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, बस अपनी बेटी की कमर को दोनों हाथों से थामे लंड को चुत के अंदर धकाधक डाले जा रहा था, जयसिंह मनिका की टीशर्ट के अंदर अपने हाथ ले जाकर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को लगातार मसले जा रहा था,

करीब 15 मिनट की घमासान चुदाई के बाद मनिका की सांसे और ज्यादा तीव्र गति से चलने लगी ,उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी, और एक जबरदस्त धक्के के साथ दोनों बुरी तरह भलभला कर झड़ गए, मनिका की चुत से उन दोनों के पानी का मिश्रण बाहर निकलकर उसके लहंगे को गिला कर रहा था,

जयसिंह ने मनिका को तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि उसके लंड की हर एक बुंद मनिका की चुत में ना उतर गई, जैसे ही जयसिंह पूरी तरह से झड़ गया उसने हांफते हुए अपने लंड को अपनी बेटी की चुत से बाहर खींचा, दोनों के कपड़े अस्तव्यस्त थे,

थोड़ी देर बाद जब उन दोनों के दिमाग से वासना का भूत उतरा तो उन्होंने अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए, अभी मनिका ने अपनी पैंटी पहनी ही थी कि जयसिंह बोल पड़ा
"मनिका तुम्हे बुरा तो नही लगा ना"

"नही पापाआआआ.... मुझे तो आपके साथ करके इतना सुख मिलता है जिसकी मैं कल्पना भी नही कर सकती , मन करता है कि दिन रात बस आपके डिक........ मेरा मतलब है कि आपके साथ ही रहूं" मनिका ने मादकता के साथ कहा

"मैं भी यही चाहता हूं कि दिन रात अपने इस मोटे लंड को तुम्हारी चुत में ही घुसाए रखूं और तुम्हे हर पल छोड़ता रहूं" जयसिंह अब पूरी बेशर्मी पर उतर आया था, वो मनिका को पूरी तरह से खोलना चाहता था

"इसस्ससस ....ये आप कैसी बाटे कर रहे है पापाआआआ......" मनिका शर्माती हुई बोली

"अरे इसमे शर्माना कैसा, मेरा बस चलता तो तुम्हे दिन रात अपनी बाहों में लेकर तुम्हारी चुत को चूसता, उससे प्यार करता, और अपने लंड से तुम्हारी चुत की जमकर कुटाई भी करता, तुम सच्ची सच्ची बताओ, क्या तुम्हारा मन नही करता ये सब करने को" जयसिंह ने कहा

"ओहहहहहह पापाआआआ.... आप भी ना, मेरा मन तो हमेशा करता है कि मै....." मनिका बोलते बोलते शर्मा गई

"बोलो न क्या मन करता है तुम्हारा " जयसिंह ने पूछा

"नहीं मैं नही बताती" मनिका ने शर्मा कर अपने चेहरे को हाथों से छुपाते हुए कहा

"प्लीज़ बताओ न मनिका ,क्या मन करता है तुम्हारा, तुम्हे मेरी कसम, बताओ मुझे" जयसिंह ने पूछा

"मेरा मन करता है, कि मैं हमेशा आपकी बाहों में रहूं, आप मुझे हमेशा प्यार करे, आप अपने उस बड़े से ......उससे...मेरा मतलब है कि अपने डि....क डिक से मेरी पुसी की चुद.......मेरा मतलब है कि वो सब करे जो अभी किया है" मनिका की सांसे अब उखड़ने लगी थी

"अरे तुम शर्मा क्यों रही हो, अब तो हम सब कुछ कर चुके है, अब शर्माना कैसा, और ये डिक डिक क्या लगा रखा है ,उसे लंड कहते है और तुम्हारी पुसी को चुत कहते है, जो हमने अभी किया उसे चुदाई कहते है, चलो अब तुम बोलो अभी हमने क्या किया" जयसिंह अब पूरे मूड में आ गया था, इन गर्म बातो से उसके लंड में दोबारा तनाव आना शुरू हो गया था

"रहने दो ना पापा मुझे शर्म आती है ऐसे बोलते हुए" मनिका बोली

"प्लीज़ मनिका, बोलो ना,मेरे खातिर, प्लीज़" जयसिंह ने कहा

"मेरा मन चाहता है कि आपके डिक नही नही आपके लंड..... को अपनी चुत .....में लेकर सदा आपसे चुदाई.... करवाती रहूं, अब खुश " मनिका शर्माते हुए बोली

"हां बिल्कुल खुश" जयसिंह ने बोलते हुए दोबारा मनिका को घुमाकर उसकी पैंटी उतार दी और उसे वही ज़मीन पर घोड़ी बना लिया, मनिका भी समझ गई थी कि जयसिंह क्या चाहता है, उसने भी तुरंत अपने लहंगे को उठाकर थम लिया

जयसिंह ने भी बिना वक्त गंवाए कपङे लंड को मनिका की चुत के मुहाने पर सेट किया और फिर दे दना दन धक्के मारने लगा, दोनों के मुहँ से अजीब अजीब आवाज़े निकल रही थी

उनका दूसरा राउंड करीब 30 मिनट तक चला, अब वो दोनों थककर चूर हो चुके थे, पर जयसिंह ने मनिका को अपनी गोद मे उठाया और उसे अपने बाथरूम में ले गया

बाथरूम में थोड़ी देर बाद जब दोनों के सर से वासना का भूत उतरा तो जयसिंह ने सोचा कि अब मनिका को गांव जाने वाली बात बता देनी चाहिए

"मनिका, सुनो " जयसिंह ने लगभग हाँफते हुए कहा

"हां पापाआआआ...." मनिका तो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी

"वो हमें अभी गांव जाना होगा" जयसिंह ने लगभग मनिका के सर पर बम फोड़ते हुए कहा

"क्या, पर क्यों" मनिका को तो जैसे विश्वास ही नही हो रहा था, उसने तो 2- 3 दिनों के लिए न जाने कैसे कैसे सपने संजोए थे, सोचा था इन दिनों में वो अपनी सारी कसर निकल लेगी पर यहां तो सब सपने धरे के धरे रह गए,

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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

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जयसिंह ने सारी बात मनिका को बता दी, हालांकि जयसिंह खुद भी दुखी था पर अब जाना तो पड़ेगा ही


"क्या पापाआआआ, आपको आज के लिए हां करने की क्या जरूरत थी, कल चले जाते, कम से कम हमे 1 दिन तो और मिल जाता" मनिका बेबाकी से सब बोल गई

"1 दिन मिल जाता , किसके लिए मिल जाता मनिका" जयसिंह अब मनिका को छेडने के मूड में था,

"क्या पापा, आपको सब पता है फिर भी आप मुझे परेशान करते है" मनिका ने नाक चढ़ाते हुए पूछा

"सच मे मुझे नही पता मनिका, प्लीज़ बताओ न एक दिन ओर मिलता तो तुम क्या करती" जयसिंह ने दुबारा मनिका के बाए मम्मे को अपने हाथों में भर लिया
मनिका को लगा कि शायद जयसिंह दोबारा गर्म हो रहे है, इसलिए अब उसने भी ठान लिया था कि अब शरम का पर्दा छोड़ देगी

"अभी बताती हूँ आपको कि मैं क्या करती" मनिका ने जयसिंह के थोड़े मुरझाए से लंड को दोबारा अपने हाथों में भर लिया और उसके सुपाडे की चमड़ी को पकड़कर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया

अब जयसिंह के लंड में हल्का हल्का तनाव आना शुरू हो गया था,

"मनिका, एक काम करोगी क्या" जयसिंह ने मनिका के मम्मे को जोर से मसलते हुए पूछा

"बोलिये पापाआआआ, आपके लिए तो मैं अब कुछ भी करूंगी" मनिका ने अपने हाथों की रफ्तार बढ़ दी


"एक बार इसे अपने मुंह मे ले लो ना प्लीज़" जयसिंह ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए पूछा

जयसिंह की बात सुनकर मनिका की आंखे पूरी खुल गयी
"पर पापा, मैं ये कैसे, मेरा मतलब है कि मैंने आज तक कभी इसे मुहँ में नही लिया, और आपका तो इतना बड़ा है , मैं कैसे ले पाऊंगी, प्लीज़ ये रहने दो न पापा, और चाहे आप कुछ भी कर लो" मनिका ने कहा

"बेटी तुम एक बार कोशिश करके तो देखो, अगर पसन्द न आये तो निकल देना, पर प्लीज़ एक बार" जयसिंह बोला

"पर.........चलो ठीक है .....मैं ले लेती हूं मुँह में.....पर सिर्फ थोड़ी देर के लिए......." मनिका ने क
हा


अब दृश्य कुछ इस प्रकार का था कि दोनों बाप बेटी बिल्कुल नंगी हालत में बाथरूम में खड़े थे, जयसिंह मनिका के मम्मे को मसले जा रहा था, और मनिका जयसिंह के लंड को अपने हाथों में पकड़े थी

अब मनिका जयसिंह के लंड को अपने मुहँ में लेने के लिए नीचे झुकने लगी, जैसे जैसे मनिका नीचे झुक रही थी जयसिंह आने वाले पल के बारे में सोचकर उत्तेजित हुए जा रहा था

उसके लिए तो ये किसी सपने से कम नही था कि उसका बड़ा सा लंड उसकी बेटी के कोमल होठों के बीच दबा हो और वो जोर लगाकर लंड को उसके गले तक उतार दे
अभी वो अपने ख्यालो में खोया हुआ था ही कि अगले ही पल जैसे उसे 440 वाल्ट का झटका लगा, मनिका ने जयसिंह के लाल सुपाडे को अपने गुलाबी होठों से छू लिया था,
इस स्पर्श मात्र से ही जयसिंह के तन बदन में सिहरन सी दौड़ गयी, उसके लन्द में खून दुगुनी रफ्तार से दौड़ने लगा , उसकी सांसो की रफ्तार बढ़ गयी,

इधर मनिका ने दोबारा अपने होटों को गोल किया और जयसिंह के लंड के सुपाडे को अपने होटों में भरने की कोशिश करने लगी, उसे जयसिंह का सुपाड़ा बहुत गर्म महसूस हो रहा था,

मनिका बस लंड पर चुप्पे ही लगाए जा रही थी, इससे एक बात तो जयसिंह को पता चल गई थी कि मनिका को लंड चूसना नही आता, इसलिए जयसिंह ने उसे सीखने की जिम्मेदारी खुद ही सम्भली

"बेटी, मेरे लंड को अपने मुंह मे भी लो ना थोड़ा सा" जयसिंह ने कहा

"जी पापाआआआ" मनिका किसी आज्ञा कारी शिष्य की तरह उनका आदेश में रही थी

मनिका ने अपने होठों को गोल गोल किया और इस बार जयसिंह का पूरा सुपाड़ा अपने मुहँ में भर लिया

"अब अपनी जीभ से मेरे लंड को अंदर ही अंदर कुरेदो और धीरे धीरे आगे पीछे भी करती रहो" जयसिंह ने कहा

मनिका ने भी अपनी जीभ से जयसिंह के लन्द के छेद को कुरेदा तो जयसिंह के बदन में सनसनी सी मच गई,

अब मनिका ने अपने मुंह को थोड़ा आगे पीछे भी करना शूरू कर दिया जिससे जयसिंह का लन्द उसके कोमल होटों से रगड़ खा रहा था
अब जयसिंह का लंड औकात में आना शुरू हो चुका था, धीरे धीरे लन्द का बढ़ता ही गया और पूरी तरह तनकर मनिका की आंखों के सामने खड़ा था, मनिका लंड के आकर को देखकर एक बार तो घबरा गई पर उसने अपना काम जारी रखा

इधर जयसिंह का धैर्य धीरे धीरे खत्म होता जा रहा था, और उसने बिना किसी चेतावनी के अपना लंड मनिका के मुंह मे घुसा दिया, जयसिंह का सिर्फ आधा लंड ही मनिका के मुंह मे आ पाया था पर ऐसा लग रहा था कि मनिका का मुंह पूरा का पूरा भर चुका हो, उसके मुंह से गूँ गूँ की आवाज़े आने लगी, उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी, पर वो किसी भी हालत में अपने पापा को खुश करन चाहती थी

इधर जयसिंह पर तो जैसे जैसे भूत ही सवार था , वो मनिका के मुंह मे दे दना दन धक्के लगाए जा रहा था

तकरीबन 10 मिनट तक मनिका के मुंह को चोदन के बाद जयसिंग के लंड में उबाल आने शुरू हो चुका था ,उसे पता लग गया कि उसका पानी निकलने वाला है, पर उसने मनिका को नही बताया और एक जोर का झटका देकर अपना लंड मनिका के गले तक उतार दिया और साथ ही साथ उसके लंड ने जोरदार ढंग से पिचकारी मार दी, जयसिंह के लंड से निकली आखिरी बून्द तक मनिका के गले से नीचे उतर गई, मनिका ने अपनी तरफ से जोर लगाया पर जयसिंह के बलिष्ठ शरीर के आगे उसकी थोड़ी सी ताक़त कहाँ टिकनी थी, हार मानकर उसे जयसिंह का सारा वीर्य गटकना पड़ा,
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shubhs
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by shubhs »

बढिया
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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