बाप के रंग में रंग गई बेटी complete

Post Reply
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by Kamini »

अपनी बेटी की गरम सिस्कारियों को सुनकर जयसिंह अच्छी तरह से जानता था कि वो एकदम गरम हो चुकी है ,
वो इन गरम सिसकारीयों से वाकिफ था, वो अच्छी तरह से जानता था कि ऐसी सिस्कारियों के बाद चुदवाने की इच्छा प्रबल हो जाती है, जयसिंह ये समझ गया था कि उसकी बेटी भी अब उसके लंड को अपनी चुत में डलवाने के लिए तड़प रही है, लेकिन जयसिंह अभी अपने लंड को अपनी बेटी की चुत में डालकर चोदने वाला नहीं था,


वो तो इस रात को और ज्यादा मदहोश बनाने की सोच रहा था, वो आज रात अपनी बेटी को पूरी तरह से सन्तुष्ट करना चाहता था, उसे जी भर कर प्यार करना चाहता था ,इसलिए उसने दोनों हाथों से चूचियों को दबाते हुए झट से एक चूची को दोबारा अपने मुंह में घुस लिया और उसकी कड़क निप्पल को मुंह में भरकर पके हुए आम की तरह चूसना शुरू कर दिया,

अपने पापा को इस तरह से अपनी चूची पीते हुए देखकर मनिका मस्त हो गई और उसके मुंह से गर्म सिसकारियां निकलना शुरू हो गई, जयसिंह तो जैसे पागल सा हो गया था ,वो कभी इस चूची को पीता तो कभी दूसरी चुची को मुंह में लगाता ,जितना हो सकता था उतना मुंह में भर भर कर चूची को पीने का मजा लूट रहा था , बादलों की गड़गड़ाहट के साथ साथ उन दोनों के मुंह से भी गर्म सिस्कारियों की आवाज लगातार आ रही थी,


मनिका पूरी तरह से कामातुर हो चुकी थी, वो ये नहीं जानती थी कि उसके पापा इस तरह से उसकी चूचियों को पिएगा दबाएगा मसलेगा, ठंडे मौसम में भी उसके बदन से पसीना निकल रहा था, मनिका अपने दोनों हाथो को जयसिंह के सिर पर रख कर अपनी ऊंगलीयों को उसके बालों में उलझा रही थी, जयसिंह अपनी बेटी की उम्मीदों पर खरा उतर रहा था, मनिका की चुत अब लंड के लिए और ज्यादा तड़पने लगी थी,

इसीलिए मनिका ने एक हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर अपने पापा के लंड को पकड़ लिए और उसे अपनी चुत पर रगड़ते हुए उन्हें स्तनपान का मजा देने लगी,

अपनी बेटी के द्वारा लंड को इस तरह से अपनी चुत पर रगड़ना जयसिंह से भी बर्दाश्त नहीं हो रहे था, जयसिंह के बदन में और ज्यादा आग तब लग गई, जब उसकी बेटी ने लंड के सुपाड़े को अपनी चुत की दरार के बीचोबीच रख दिया,

जयसिंह के बदन में एकदम से झनझनाहट सी फैल गई, कामोत्तेजना की आग में दोनों पल पल जल रहे थे, दोनों के बदन पसीने में तर बतर हो चुके थे, मनिका अपनी कामुक बदन की कामुक हरकतों से जयसिंह को परेशान कर रही थी, और जयसिंह अपनी परेशानी का इलाज अपनी बेटी की चुचियों में ढूंढ रहा था ,वो लगातार अपनी बेटी की चुचीयो को मुंह में भर कर चूस रहा था,


जयसिंह के इस तरह के स्तन मर्दन करने से मनिका की चुचियाँ एकदम लाल लाल होकर उत्तेजित अवस्था में तन गई थी, दोनों को असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी ,बाहर बारिश जोरों पर अपना काम कर रही थी, मनिका का बदन रह-रहकर झटके खा रहे था और हर झटके के साथ उसकी चुत मदन रस फेंक रही थी,
"स्स्सहहहहहहहह.....पापा बहुत मजा आ रहा है, आहहहहहहहह......एेसे ही.......,हां........ बस चूसते रहो मेरी चूचियों को, निचोड़ डालो इसका सारा रस ओहहहहहह..पापाआआआ"



मनिका की आंखों पर वासना की पट्टी चढ़ चुकी थी, वो अपने पापा को ही उकसा रही थी अपने बदन से खेलने के लिए, और जयसिंह का क्या था वो तो पहले से ही तड़प रहा था अपनी बेटी के रसीले बदन का लुफ्त उठाने के लिए, मनिका से अपनी कामुकता बर्दाश्त नहीं हो रही थी ,वो बार-बार अपने पापा के लंड को अपनी चुत पर रगड़कर और ज्यादा गरम होती जा रही थी,
बिस्तर पर दोनों बाप बेटी संपूर्ण नग्नावस्था में एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए मजा लूट रहे थे, जयसिंह काफी देर से अपनी बेटी की चुचियों से खेल रहे था और मनिका थी कि अपने पापा के लंड को अपनी चुत पर रगड़ रगड़ कर जयसिंह को और ज्यादा गर्म कर रहीे थी ,

जयसिंह का लंड इतना ज्यादा सख्त और कड़क हो चुका था कि मनिका को अपने पापा का लंड अपनी जांघों के बीच चुभता सा महसूस हो रहा था, लंड की चुभन से ही मनिका को अंदाजा लग गया था कि उसकी चुत की आज जमकर कुटाई होने वाली है,

अब जयसिंह धीरे-धीरे चूचियों को दबाता हुआ नीचे की तरफ सरक रहा था, अपनी बेटी के बदन पर नीचे की तरफ सरकते हुए जयसिंह हर जगह चुम्मा-चाटी करते हुए धीरे-धीरे पेट तक पहुंच गया, जैसे-जैसे जयसिंह के होठ मनिका के बदन पर होते हुए नीचे की तरफ जा रहे था वैसे वैसे उसका बदन झनझना रहा था,

तभी जयसिंह के होठ मनिका की नाभि पर आकर अटक गए , जयसिंह के होठ मनिका की गहरी नाभि पर टिके हुए थे,
अपने पापा के होंठ का स्पर्श अपनी नाभि पर पाकर उत्तेजना के मारे मनिका की सांसे और तेज हो चुकी थी, जयसिंह को अपनी बेटी की नाभि में से आती मादक खुशबू और ज्यादा चुदवासा कर रही थी, जयसिंह अपने नथुनो से नाभी से आती मादक खुशबू को खींच कर अपने सीने के अंदर उतारने की कोशिश कर रहा था,

अचानक उसने अपनी जीभ को उस गहरी नाभि में उतार दिया, अपने पापा की इस हरकत पर मनिका तो एकदम से गनगना गई, जयसिंह जैसे जैसे अपनी जीभ को नाभि के अंदर गोल-गोल घुमाता वैसे-वैसे मनिका सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगती, मनिका के बदन में इतना ज्यादा उत्तेजना का संचार हो चुका था कि उसकी गरम चुत फूल पिचक रही थी, मनिका के बदन में उत्तेजना के कारण जिस तरह से कंपन हो रहा था उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे आज उसकी सुहागरात है


जयसिंह तो अपनी बेटी की नाभि को ही चुत समझ कर उसे चाटने का लुत्फ उठा रहा था और मनिका भी मदमस्त हुए जा रही थी, तभी जयसिंह ने नाभि के अंदर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमाते हुए एक हाथ से जैसे ही अपनी बेटी की चुत को मसला वैसे ही मनिका के मुंह से सिसकारी छूट गई,

"स्स्स्स्हहहहहहहहहह......आहहहहहहहहहहह.....पापाआआआ
ओहहहहहहहह......पापाआआ"


जयसिंह का हाथ अपनी चुत पर महसूस करते ही मनिका एकदम से चुदवासी हो गई और उत्तेजना के मारे अपना सिर दाएं बाएं पटकने लगी उससे अपनी उत्तेजना को दबाया नहीं जा रहे था इसलिए वो खुद ही अपनी चूचियों को अपने हाथ से ही दबाने लगी,


ये देखकर जयसिंह का जोश बढ़ गया,
अब वो धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा , जैसे जैसे वो नीचे बढ़ रहा था, मनिका के बदन में कंपकपी सी फैली जा रही थी, जयसिंह धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ जा रहा था ,


अब वो द्वार जिसमे हर इंसान को बेतहाशा मजा मिलता है बस दो चार अंगुल ही दूर रह गया था, उस द्वार के करीब पहुंचते-पहुंचते जयसिंह की दिल की धड़कन तेज हो गई ,उसकी सांसे चल नहीं बल्कि दौड़ रही थी और मनिका का भी यही हाल था ,

जैसे जैसे जयसिंह उसर्क चुत के नजदीक आता जा रहा था, वैसे-वैसे मनिका के बदन में उत्तेजना की लहर बढ़ती जा रही थी, कुछ ही पल में वो घड़ी भी आ गई जब जयसिंह कि नजरे ठीक उसकी बेटी की चुत के सामने थी, जयसिंह फटी आंखों से अपनी बेटी की चुत की तरफ देख रहा था,

वो तो चुत की खूबसूरती में खो सा गया था, उसका गला शुष्क होने लगा था ,लंड का तनाव एका एक दुगना हो गया था, इस तरफ से प्यासी नजरों से देखता हुआ पाकर मनिका शरमा गई, और शर्म के मारे दूसरी तरफ अपनी नजरों को फेर ली, दोनों की सांसे तेज चल रही थी , जयसिंह तो बस लार टपकाए चुत को देखे जा रहा था,
अब जयसिंह ने अपने कांपते हाथों की उंगलियों को अपनी बेटी की चुत पर रख दिया, जैसे ही मनिका को अपनी चुत पर अपने पापा की उंगली का स्पर्श महसूस हुआ वो अंदर तक सिहर उठी, जयसिंह अपनी उंगलियों को हल्के हल्के चुत की दरार के ईद गिर्द फिराने लगा ,अपने पापा की इस हरकत की वजह से मनिका का बदन कसमसाने लगा, तभी अचानक जयसिंह ने मनिका की चुत पर अपने होंठ रख दिए,

जयसिंह ने अपनी बेटी की चुत पर होठ रखने के साथ ही अपनी जीभ को भी उसकी दरार में प्रवेश करा दिया, और उसकी चुत के नमकीन रस को जीभ से चाटने लगा, मनिका कभी यकीन भी नहीं कर सकती थी थी कोई इस तरह से भी प्यार करता है , जयसिंह अपनी बेटी की चुत को लगातार जीभ से चाटे जा रहा था, और मनिका मदहोश हुए जा रही थी

अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए वो अपने होंठ को अपने दांत से ही काट रही थी, वो अपने पापा के सिर पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे जोर-जोर से अपनी चुत पर दबाने लगी,

"आहहहहहहहहहह......पापा.......ऊम्म्म्म्म्म्म्......स्स्स्हहहहहहहहहहहह......ओहहहहहहहहह.....पापा..... अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है...... मेरी चुत में आग लगी हुई है पापा ...... बुझा दो इस प्यास को पापाआआआ.
ठंडी कर दो मेरी चुत को अपना लंड डाल कर...... चोद डालो मुझे पापाआआआ ..... चोद डालो अपनी बेटी को ......बुझा दो मेरी प्यास को पापाआआआ...."


मनिका एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,वो इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे अब आपनी चुत मे लंड की जरूरत महसूस होने लगी थी, उसकी चुत में खुजली मच रही थी ,वो अपने पापा से मिन्नते कर रही थी चुदवाने के लिए, अपनी बेटी की गरम सिस्कारियों को सुनकर जयसिंह भी समझ गया था कि अब उसकी चुत में लंड डाल देना चाहिए,

*******************

जयसिंह अपनी बेटी की जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लिए जगह बनाने लगा, अपने पापा को इस तरह से जगह बनाते हुए देख मनिका की कामोत्तेजना बढ़ गई,

जयसिंह अपने टनटनाए हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसके सुपाड़े को अपनी बेटी की चुत पर रगड़ने लगा, उत्तेजना के मारे मनिका का गला सूख रहा था, चुत पहले से ही एकदम गीली थी जिसकी वजह से उस पर सुपाड़ा रगड़ने से सुपाड़ा भी पूरी तरह से गीला हो गया,

"जल्दी करो पापाआआआ......
उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह....उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ.....
मुझे चुत में खुजली हो रही पापाआआआ" मनिका जयसिंह से चोदने की मिन्नतें करने लगी


" रुको मैं अभी तुम्हारी खुजली मिटा देता हूँ बेटी" जयसिंह ने कहा और फिर वो अपनी बेटी की फूली हुई चुत के छोटे से सुराख पर अपने अपना लोहे की रोड की तरह सख़्त लंड के सुपाडे को धीरे धीरे रगड़ने लगा

जयसिंह के लंड का सुपाड़ा मनिका की चुत के पानी से पूरा तर बतर हो चुका था

" उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह ..उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ"
मनिका अपने पापा की मोटे सुपाडे को अपनी गरम फुद्दि पर रगड़ते हुए पा कर सिसक उठी

मनिका को अब अपने पापा के लंड की गर्माहट बेचैन कर रही थी, इतने दिनो से अपने पापा के जिस मोटे और बड़े लंड के सपने वो देख रखी थी, आज उस के पापा का वो ही सख़्त और कड़क लंड बड़े मज़े से उस की गरम फुद्दि के होंठो के ऊपर नीचे हो रहा था

अपने पापा के लंड की तपिश को अपनी चुत के होठों पर महसूस करते ही मनिका भी अपनी गान्ड को हिला हिला कर अपनी चूत लंड के सुपाडे से रगड़ने लगी, जिसकी वजह से मनिका की गुदाज और खूबसूरत छातियाँ उस जवान सीने पर आगे पीछे हिलने लगीं

मनिका की छाती पर उसकी हिलती हुई चुंचियों का ये नज़ारा जयसिंह के लिए बहुत ही दिलकश था

अब जयसिंह ने बुर के छेद पर लंड के सुपाड़े को टीकाकर धीरे से कमर को आगे की तरफ धक्का दिया, बुर की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा हल्का सा बुर में प्रवेश करने लगा, सुपाड़े के प्रवेश होते ही दर्द के मारे मनिका छटपटाने लगी और साथ ही उसकी सिसकारी भी छूटने लगी

जयसिंह ने अपने लंड को अपनी बेटी की चुत में और आगे बढ़ाने के लिए थोड़ा सा ज़ोर लगाया, मगर उस के लंड का सुपाड़ा मनिका की चूत के तंग सुराख में फँस कर रह गया

मनिका को तो इस लम्हे का पिछले कई महीनों से इंतज़ार था, आज उसके दिल की मुराद पूरी हो रही थी, क्योंकि उसके पापा का सख़्त और तना हुआ लंड किसी शेषनाग की तरह अपने फन को उठाए उस की चूत के बिल में घुसे से जा रहा था

पर वो जानती थी कि उस परम आनन्द को प्राप्त करने के लिए उसे दर्द की परीक्षा से गुजरना होगा, इसलिए उसने अपना जी कड़ा कर लिया, और अपने पापा की आंखों में झांककर बोली
"पापाआआआ….अब और मत तड़पाइये मुझे, बस अब एक ही बार मे पूरा डाल दीजिए, मेरे दर्द की परवाह मत करना पापाआआआ"

जयसिंह को भी लगा कि अब किला फतह करने का टाइम आ गया है, उसने अपनी सारी ताकत अपनी कमर में समेटी और एक जोरदार धक्के के साथ अपना तीन चौथाई लंड मनिका की चुत में घुसा दिया
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by Kamini »


लंड के घुसते ही मनिका के बदन में दर्द की एक तेज़ लहर उमड़ आयी, उसे बेतहाशा पीड़ा हो रही थी, उसकी चुत से थोड़ा खून निकलने लगा था, पर वो जानती थी कि अब आगे बस मज़ा ही मज़ा आने वाला है इसलिए वो अपने होठों को भींचकर अपने दर्द को सहने की कोशिश कर रही थी

इधर जयसिंह भी जानता था कि अभी कुछ देर तक मनिका को दर्द होगा इसलिए उसने मनिका के एक निप्पल को अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू किया, जयसिंह ने थोड़ी देर तक अपने लंड को रोका रखा, तो मनिका की फुद्दि को कुछ सुकून मिला और उसने अपने जिस्म और चुत को ढीला छोड़
दिया, जयसिंह लगातार उसके मम्मे चुस रहा था,

कुछ देर बाद जब जयसिंह को लगा कि उसकी बेटी का दर्द अब थोड़ा कम हो गया तो उसने अपनी कमर को थोड़ा पीछे खींचा, जिसकी वजह से उसका लंड मनिका की चुत से रगड़ खा गया,मनिका तो मजे से दोहरी ही हो गयी,

इधर जयसिंह ने लंड को पीछे खींचकर दोबारा एक जोरदार धक्का मारा, लंड पूरा का पूरा मनिका की चुत में घुसकर बच्चेदानी से जा टकराया, मनिका के शरीर मे दोबारा दर्द की लहर उठ गई, पर अब जयसिंह रुकने के मूड में बिल्कुल नही था,

उसने तुरंत लंड को बाहर खींच ओर फिर से एक जोरदार धक्का लगाया, अब तो जैसे जयसिंह पे कोई भूत सवार हो गया, वो मनिका की चीखों की परवाह न करते हुए उसकी चुत में जोरदार तरीके से अपना लंड पेले जा रहा था, थोड़ी देर बाद मनिका को भी मज़ा आने लगा, वो अब जयसिंह के हर धक्के का जवाब अपनी गांड उठाकर दे रही थी,

जयसिंह के इन ताबड़तोड़ धक्कों को मनिका ज्यादा देर श नही पायी और उसकी चुत ने जोरदार तरीके से पानी झोड़ दिया, वो भलभला कर झाड़ गयी , उसके शरीर कल असीम आंनद की प्राप्ति हो रही थी, उसे तो इस लग रहा था कि वो स्वर्ग में आ गयी है

पर जयसिंह ने धक्के लगा के बन्द नही किये थे, वो लगातार अपनी धुन में ही उसे पेले जा रहा था ,

थोड़ी देर बाद जयसिंह ने मनिका को पलटकर घोड़ी बना लिया और पीछे से घुप्प से अपने खड़े लंड को उसकी चुत में घुसा कर जड़ तक धक्के मारने लगा, हर धक्के के साथ मनिका आगे गिरने को होती पर जयसिंह उसकी चुचियों को पकड़कर उसे वापस खींच लेता,

30 मिनट की पलंगतोड़ चुदाई में मनिका 3 बार झाड़ चुकी थी, तभी अचानक जयसिंह के लंड में सुरसुराहट हुई,



"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह मनिका मैं जाने वाला हूँ, कहाँ निकालूं" जयसिंह ने धक्के तेज़ करते हुए कहा

"पापाआआआ मैं आपको मेरी चुत में महसूस करना चाहती हूँ, आप मेरी चुत में अपना गरम पानी निकाल दीजिये" मनिका ने हाँफते हुए कहा

10-15 जबरदस्त धक्कों के साथ ही जयसिंह का लावा उबल पड़ा, वो मनिका की चुत में ही ज़ोरदार तरीके से झड़ने लगा, कपनी चुत में गरम पानी के अहसास से मनिका भी चौथी बार झड़ने लगी, उन दोनों का ही इतना पानी आज तक नहीं निकला था, उनके पानी का मिश्रण मनिका की चुत से होता हुआ बेडशीट को गिला करने
लगा



जयसिंह अपनी बेटी की नारंगीयो पर ढह चुका था, झटके खा-खाकर उसके लंड से गर्म पानी निकल कर उसकी बेटी की गरम बुर को तर कर रहा था। मनिका भी अपने पापा को अपनी बाहों में भरकर गहरी गहरी सांसे छोड़ रही थी, वासना का तूफान अब शांत हो चुका था ,दोनों एक दूसरे की बाहों में खोए बिस्तर पर लेटे अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त कर रहे थे, मनिका के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ झलक रहे थे, उसके जीवन का यह अनमोल पल था, मनिका के गोरे चेहरे पर पसीने की बूंदें मोतियों की तरह चमक रही थी, बाप बेटी दोनों ने जमकर पसीना बहाया था , इस अद्भुत अदम्य पल की प्राप्ति के लिए

मनिका आंखों को मूंद कर इस अद्भुत पल का आनंद ले रही थी, वो अपनी बुर में अपने पापा के लंड से निकलती एक एक बूंद को बराबर महसुस कर रहीे थी, जयसिंह की खुशी का तो ठिकाना ही नही था, जयसिंह को ऐसा लग रहा था कि अपनी बेटी की चुदाई करके उसने जैसे किसी अमूल्य वस्तु को हासिल कर लिया हो, और वैसे भी मनिका की चुत तो वास्तव में अमूल्य ही थी, उसकी खूबसूरती उसके बदन की बनावट देख कर किसी के भी मुंह से आहहहह निकल जाए,

वो दोनों हांफकर वहीं गिर गये, जयसिंह ने अभी भी अपना लंड मनिका की चुत से नही निकाला था,

लगभग 30 मीनट के बाद जयसिंह का लंड दोबारा मनिका की चुत में फूलने लगा, जिसे मनिका ने महसूस कर लिया, वो भी अब दूसरे राउंड के लिए बिल्कुल तैयार थी

रात भर जयसिंह और मनिका का चुदाई कार्यक्रम चलता रहा, जयसिंह ने 3 बार मनिका को जबरदस्त तरीके से चोदा और फिर थक हारकर दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले सो गए

सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही मनिका की आंखे खुल गई, रात की घनघोर बारिश के बाद मौसम अब बिल्कुल साफ हो चुका था, पक्षियों की चहचहाहट साफ सुनी जा सकती थी,

मनिका खुद को अपने पापा के आगोश में पाकर एकदम से शर्मसार होने लगी, उसके गालों की लालिमा कश्मीरी सेब की याद दिला रहे थे, वो दोनो संपूर्ण नग्नावस्था में बिस्तर पर एक दूसरे की बाहों में सोए हुए थे,

मनिका ने उठने के लिए अपने बदन को थोड़ा आगे खिसकना चाहा पर अचानक उसके बदन में एक तेज़ सुरसुराहट दौड़ गयी क्योंकि जयसिंह का लंड अभी भी उसकी चुत की फांको के बीच में फसा हुआ था

अपने पापा के लंड का अहसास अपनी चुत के इर्द गिर्द होते ही मनिका के दिल की धड़कनें तेज़ होने लगी, वो बिस्तर से उठना तो चाहती थी लेकिन अपने पापा की लंड की गर्माहट उसे वही रुके रहने पर मजबूर कर रही थी


मनिका का मन एक बार फिर से मचलने लगा, वो अपनी भरावदार गांड को जयसिंह के लंड पर होले होले रगड़ने लगी जिससे उसके चुत की गुलाबी अधखुली पत्तियां जयसिंह के लंड पर दस्तक देने लगी,

मनिका की सांसे उसके बस में नहीं थी, एक बार तो उसका मन किया कि जयसिंह को जगा कर फिर से अपनी चुत की प्यास बुझा ले पर रात के अंधेरे में शर्म और हया का जो पर्दा तार तार हो चुका था, वो अब दोबारा उसे संस्कारो के बंधन की याद दिलाने लगा था

बारिश के पानी की तरह मनिका के वासना का भी पानी भी उतर चुका था, खिड़की से हल्की हल्की रोशनी कमरे में आ रही थी और रोशनी के साथ ही मनिका की बेशर्मी भी दूर होने लगी थी,
अपने नंगे बदन पर गौर करते ही मनिका ने शरम के मारे अपनी आंखों को बंद कर लिया, अब वो धीरे धीरे अपनी गांड को हिलाती हुई जयसिंह की बाहों के चंगुल से आज़ाद होने की कोशिश करने लगी, क्योंकि वो जयसिंह के जगने से पहले ही कमरे से चली जाना चाहती थी नहीं तो वो रात की हरकत के बाद अपने पापा से नजरें नहीं मिला पाती,
*****************


थोड़ी ही देर की कसमसाहट के बाद मनिका ने खुद को जयसिंह की बाहों से आज़ाद कर लिया, उसका नंगा खूबसूरत बदन और चुत की खुली फांके रात की कारस्तानी को चीख चीख कर बता रही थी ,

मनिका ने एक बार नज़रे अपने नंगे जिस्म पर घुमाई तो कल रात का मंज़र याद करके उसने अपने चेहरे को अपनी कोमल हथेलियों से छुपाने की नाकाम सी कोशिश की, अब उस कमरे में रुकना उसके लिए मुश्किल हुआ जा रहा था क्योंकि उसको डर था कि कहीं वो दोबारा हवस की शिकार होकर अपने पापा पर न टूट पड़े, इसलिए वो तेज़ तेज़ कदमो से चलती हुई कमरे से बाहर निकली और नीचे जाकर कनिका के रूम में बाथरूम में घुस गई,

उसने अपने बदन को पानी की फुंहारो से पोंछा, और अपनी चुत को भी रगड़ रगड़ कर साफ किया, अब उसकी चुत के अंदर से लालिमा की झलक उसे साफ दिखाई दे रही थी, जिसे देखकर उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई क्योंकि ये लालिमा उसके कली से फूल बनने की निशानी जो थी

लगभग आधे घण्टे में मनिका नहा धोकर बिल्कुल फ्रेश हो चुकी थी, अब उसके पेट मे चूहे कूदने लगे क्योंकि कल रात तो उन दोनों ने खाना खाया ही नही था, इसलिए वो फटाफट सुबह का नाश्ता तैयार करने के लिए किचन में घुस गई


किचन में काम करते हुए उuसका ध्यान बार-बार रात वाली घटना पर केंद्रित होनल रहा था, रह रह कर उसे अपने पापा का मोटा लंड याद आने लगा जिससे उसे अपनी चुत में मीठे-मीठे से दर्द का अहसास होने लगा,

रात भर जमकर चुदवाने के बाद उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसके पापा एक दमदार और तगडे लंड के मालिक है , उनके जबरदस्त धक्को को याद करके मनिका मन-ही-मन सिहर रही थी,


वो नाश्ता बनाते बनाते रात के ख्यालो में खो गई "कितना मोटा लंड है पापा का, मेरी चुत की कैसे धज्जियां उड़ा कर रख थी, क्या जबरदस्त स्टैमिना है उनका, हाय्य मन तो करता है कि अभी ऊपर जाकर उनके मोटे लंड को दोबारा अपनी चुत में घुसेड़ लूं, इसस्ससस कितने अच्छे से चोदते है ना पापा, मन करता है कि बस दिन रात उनके मोटे लंड को अपनी चुत में ही घुसाए रखूं"

लेकिन समस्या ये थी कि ये सब वो करे कैसे?
" रात को तो ना जाने उसे क्या हो गया था और थोड़ी बहुत मदद तो उसे बारिश से भी मिल चुकी थी , पर रात के अंधेरे में जो हिम्मत उसने दिखाई थी वो दिन के उजाले में कैसे दिखाए, वो ऐसा क्या करें कि उसके पापा खुद एक बार फिर अपने लंड को उसकी चुत में डालने को मजबूर हो जाये,
पर थोड़ी हिम्मत तो उसे दिखानी ही पड़ेगी वरना बना बनाया खेल बिगड़ने में वक्त नही लगेगा, वैसे भी रात को दो-तीन बार तो अपने पापा का लंड अपनी चुत में डलवा कर चुदवा ही चुकी थी तो अब शर्म कैसी ,
एक बार हो या बार बार , हो तो गया ही, और अब अगर उसे चुदवाना है तो रात की तरह अपने पापा को उकसाना ही होगा ताकि वो फिर से चुदाई करने के लिए मजबूर हो जाये"
मनिका इसी उधेड़बुन में लगी थी,

नहाने के बाद मनिका ने एक बेहद पतले कपड़े का लहंगा (घघरी या घेर) पहना था जो वो अक्सर दिल्ली में ही पहना करती थी, गहरे नीले चटकदार रंग के इस लहंगे के ऊपर उसने एक छोटी सी टीशर्ट डाली हुई थी, पर आज भी उसने अंदर ब्रा नही पहनी हुई थी,
लहंगे के अंदर नीले कलर की ही थोंग वाली पैंटी पहनी थी जो पीछे से उसकी बड़ी भरावदार गांड में कही ओझल सी हो गई थी, ध्यान से देखने पर उसके बड़ी सी गांड और उभरी हुई चुंचियों को साफ साफ महसूस किया जा सकता था,

†††††

दूसरी तरफ जयसिंह अब नींद से जग चुका था, उसने जब खुद को बिल्कुल नंगा मनिका के बिस्तर पर पाया, तो उसकी आँखों के सामने रात वाला मंज़र घूम गया और उसके होंठो पर एक गहरी मुस्कान आ गयी,

उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि आखिर उसने अपनी बेटी की फुलकुंवारी का रस चख लिया था, उसे कली से फूल बना दिया था, उसके लिए तो ये सब एक सपने की तरह प्रतीत हो रहा था, जल्दी ही रात की खुमारी को याद कर उसके लंड में जोश भरता चला गया, अपने लंड में आए तनाव को देखकर उसका मन बहकने लगा था, वो सोचने लगा कि कि अगर इस समय उसकी बेटी इधर होती तो, वो जरूर एक बार फिर से उसे चोद कर अपने आप को शांत कर लेता, एक बार फिर उसकी नाजुक चुत को अपने हलब्बी लंड से भर देता ,

लेकिन मनिका तो पहले ही नीचे जा चुकी थी इसलिए वो भी बस हाथ मसल कर रह गया, अब वो जल्दी जल्दी नीचे उतरकर सीधा अपने रूम की तरफ गया, मनिका अब भी किचन में ही काम कर रही थी, मनिका ने पहले ही जयसिंह के लिए एक लोअर(पजामा) और एक टीशर्ट निकालकर उसके रूम में रख दी थी ताकि जयसिंह नहाने के बाद उन्हें पहन सके, जयसिंह दबे पांव अपने रूम में आया और सीधा बाथरुम के अंदर चला गया, तकरीबन 30 मिनट में वो नहा धोकर बिल्कुल तैयार था, उसने वो लोअर और टीशर्ट पहनी ओर सीधा नाश्ता करने के लिए किचन कि तरफ चल पड़ा

वो अभी किचन की तरफ जा ही रह था कि अचानक उसके मोबाइल पर मधु का फ़ोन आ गया

जयसिंह - हेलो
मधु - हाँ, हेलो, मैं मधु बोल रही हूं

जयसिंह को मधु की आवाज़ से लगा जैसे वो रो रही हो, वो थोड़ा घबरा गया

जयसिंह - अरे मधु, क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो??????
Abhishekk gupta

Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by Abhishekk gupta »

Sab bahut acha bs sex conversation thodi jyada honi chahiye thi.. watever grt story.. continue plz as soon as possible n thanx for pleasure
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15829
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by rajsharma »

ओह्ह्ह बहुत मस्ती भरा अपडेट रहा ये
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by Kamini »

Abhishekk gupta wrote: 15 Sep 2017 21:50 Sab bahut acha bs sex conversation thodi jyada honi chahiye thi.. watever grt story.. continue plz as soon as possible n thanx for pleasure
rajsharma wrote: 16 Sep 2017 15:20 ओह्ह्ह बहुत मस्ती भरा अपडेट रहा ये
thanks you sooooooooooooooo much
Post Reply