बाप के रंग में रंग गई बेटी complete

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Kamini
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

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जयसिंह के लिए तो ये एक जबरदस्त मज़ा था , इस मज़े से उसकी हालत खराब होती जा रही थी , पूरे जिस्म में गर्मी सी महसूस होने लगी थी , उसके लंड का तनाव पल पल बढ़ता ही जा रहा था ,


जैसे जैसे लंड का आकार बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे मनिका की जीभ की स्पीड बढती जा रही थी , लंड का कठोर रूप अब उसके सामने था और वो रूप उसके तन बदन में आग लगा रहा था , उसके पूरे बदन में होने वाली झुरझुरी उसकी हवस को बयां कर रही थी , उसका अंग अंग फड़कने लगा था

उसके नुकीले निप्पल कड़े होकर उसकी झीनी सी टी शर्ट के ऊपर से अपना एहसास देने लगे थे, और ये साफ महसूस हो रहा था कि उसने टीशर्ट के नीचे कुछ नही पहना, धीरे धीरे उसकी चूत में रस बहना चालू हो चूका था , वो अपने आप पर काबू खोती जा रही थी , उसकी सांसें गहरी होती जा रही थी और उसका सीना उसकी साँसों के साथ तेज़ी से ऊपर निचे हो रहा था , बदन में कम्कम्पी सी दौड़ रही थी ,

इधर जयसिंह का लंड पूरा कड़क हो चूका था, अब मनिका ने और बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था और उसने अगले ही पल झट से जयसिंह के लंड के सुपाडे को अपने रसीले होंठों में भर लिया और अपनी जीभ उस पर रगडते हुए उसे जोर जोर से चूसने लगी ,जयसिंह के आनंद में कई गुना बढ़ोतरी हो गई थी, अपने पापा के मुख से निकलती ‘अह्ह्ह्ह- अह्ह्ह्ह’ ‘उफ़’ ने मनिका को और भी उतेजित कर दिया , धीरे धीरे उसके होंठ लंड के ऊपर की और जाने लगे , जैसे जैसे मनिका के होंठ ऊपर को बढ़ रहे थे, दोनों बाप बेटी की साँसे और सिसकियाँ गहरी होती जा रही थीं ,
मनिका के होंठ अब सुपाड़े के नीचे वाले हिस्से की भी सवारी करना शुरू कर चुके थे,
अगले ही पल वो हुआ जिसकी आशा में जयसिंह और मनिका दोनों का बदन कांप रहा था, बुखार की तरह तप रहा था , मनिका के होंठ अपने पापा के लंड के चारों और बुरी तरह कस गए , और जयसिंह के लंड का आधे से ज्यादा हिस्सा मनिका की गले की गहराइयों में ओझल हो चुका था,


जयसिंह को लगा शायद वो गिर जाएगा और उसके बदन ने एक ज़ोरदार झटका खाया ,


“आहह्ह्ह... म..उफफ्फ्फ्फ़” जयसिंह सुपाड़े की अति संवेदनशील त्वचा पर अपनी बेटी की खुरदरी जीभ की रगड़ से कराहने लगा , उसके हाथ ऊपर उठे और अपनी बेटी के सर पर कस गए ,

मनिका तो जैसे पूरे जोश में आ गई , उसने होंठ कस कर अपनी जीभ तेज़ी से चलानी शुरू कर दी , उसका एक हाथ अपने पापा की कमर पर चला गया और दुसरे से वो उनके अंडकोष सहलाने लगी ,

अब मनिका का मुंह भी लंड पर आगे पीछे होने लगा था , उसके गिले मुख में धीरे धीरे अन्दर बाहर होते लंड ने जयसिंह को जोश दिला दिया , वो अपनी बेटी के सर को थामे अपना लंड उसके मुंह में जोर जोर से आगे पीछे करने लगा , हर शॉट में अब उसका लंड मनिका के गले की गहराइयों को नाप रहा था, और अब जयसिंह तेज़ी से अपने लंड को आगे पीछे करते हुए गहराई तक अपनी बेटी का मुख चोदने लगा , जब जयसिंह का लंड मनिका के गले को टच करता तो उसके मुख से ‘गुन्न्न्न –गुन्न्नन्न’ की आवाज़ निकलती ,
उधर जयसिंह तो जैसे किसी और ही दुनिया में था , आँखें बंद किए वो अपनी बेटी के मुंह में अपना लंड घुसेड़ता जा रहा था ,
मनिका को हालाँकि लंड के इतने तेज़ तेज़ धक्कों से थोड़ी दिक्कत हो रही थी मगर वो हर संभव प्रयास कर रही थी अपने पापा के लंड की ज़बरदस्त चुसाई करने का , उसकी जीभ अन्दर बाहर हो रहे लंड के सुपाड़े को रगडती तो उसके होंठ सुपाड़े से लेकर लंड के मध्य भाग तक लंड को दबाते , लंड अन्दर जाते ही उसके गाल फूल जाते और बाहर आते ही वो पिचकने लगते ,

जल्द ही जयसिंह को अपने अंडकोष दवाब सा बनता महसूस होने लगा , उसे एहसास हो गया वो झड़ने के करीब है , उसने अब अपनी बेटी के मुख को और भी तीव्रता से चोदना शुरू कर दिया , उधर मनिका के लिए अब इस गति से अन्दर बाहर हो रहे लंड को चुसना संभव नही था , वो तो बस अपने होंठो और जीभ के इस्तेमाल से जितना हो सकता लंड को सहलाने की कोशिश कर रही थी ,

खुद वो अपनी टांगें आपस में रगड़ कर उस सनसनाहट को कम करने की कोशिश कर रही थी , जो उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी , चुत से रस निकल निकल कर उसकी पजामी और जांघें गीली कर चुका था ,

तकरीबन 10 मिनट की भीषण चुसाई के बाद अचानक जयसिंह को लगने लगा जैसे उसकी शक्ति का केंद्र बिंदु उसका लंड बन गया है , वो झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था , पर वो चाहता था कि उसके पानी की हर एक बूंद मनिका की गले की गहराइयों में उतार जाए, इसलिए अब उसके धक्के और भी ज्यादा आक्रामक होते जा रहे थे,

मनिका को भी ये अहसास होने लगा था था कि अब शायद उसके पापा झड़ने वाले हैं इसलिए उसने अपने आपको पूरी तरह उनके सुपुर्द कर दिया, जयसिंह मनिका के सिर को पकड़कर जोर जोर से अपना लंड उसके मुंह मे घुस रहा था


और फिर अगले ही पल जयसिंह के बदन में एक तेज़ लहार उठी और वो भलभला कर झड़ने लगा, उसके लंड से वीर्य की बौछार होने लगी जो मनिका के गले मे जाकर हसे तृप्त कर रही थी,

मनिका भी एक मझे हुए खिलाड़ी की तरह जयसिंह के पानी की आखिरी बून्द भी पी लेना चाहती थी, जब जयसिंह पूरी तरह झाड़कर शांत हो ज्ञाबतो मनिका उपज ने जीभ की नोंक से सुपाड़े के छेद से निकल रही आखिरी बूँद को भी चाट लिया,


“ .उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह मनिका उम्ह्ह्ह्ह्ह.” जयसिंह लगातार सिसकता ही जा रहा था ,

मनिका की जीभ आखिरी बार पूरे लंड पर घूमने लगी और वो उसे चाट कर साफ़ करने लगी , लंड पूरा साफ़ होने के बाद उसने सुपाड़े को अपने होंठो में एक बार फिर से भरकर चूसा और फिर अपने होंठ उसपे दबाकर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया,

दोनों बाप बेटी अब पूरी तरह शांत हो चुके थे, उनका खोया हुए होश अब वापस लौटने लगे था, मनिका ने खड़ी होकर अपने कपड़े ठीक किये और जयसिंह के गालों पर एक पप्पी देकर उन्हें थैंक्स बोलते हुए कमरे से बाहर चली गयी

जयसिंह ने भी अपने बिखरी सांसो को समेटा और लोअर को ऊपर किया, फिर जाकर बेड पर कनिका के साथ सो गया

जयसिंह बेसुध से सोया अपने खूबसूरत सपनो की दुनिया मे सैर कर रहा था, इसके लिए तो एक हाथ मे लड्डू था और एक मे बर्फी, मनिका ओर कनिका के रूप में ऐसा खजाना मिल गया था जिसकी कल्पना मात्र से ही उसके रोम रोम में आनंद की लहर उठ जाती थी, रात को कनिका को कली से फूल बना दिया और सुबह सुबह मनिका के प्यारे मुंह को अपने हलब्बी लंड से भरकर जयसिंग अब चैन की नींद सो रहा था
मनिका भी नीचे जाकर चुपचाप अपने रूम में सो गई, परन्तु एक चीज़ जिससे वो दोनों बेखबर थे, वो ये कि जब वो दोनों आराम से लंड चुसाई के खेल में लगे थे, दो खूबसूरत आंखे बड़ी कौतूहल से उनके इस खेल को निहार रही थी , जी हां ये कनिका थी, जो उनकी आहे सुनकर अपनी गहरी नींद से जग चुकी थी

जब जयसिंह मनिका के मुख को अपने लंड से भर रहा था और बुरी तरह उसके कोमल मुख को चोद रहा था तब मनिका की गन्न गन्न की आवाज़ से कनिका जग चुकी थी, और जब उसने अपनी आँखें खोली तो सामने का नज़ारा देख वो पूरी तरह आश्चर्य चकित रह गयी, जयसिंह मनिका अपने खेल में लगे थे और कनिका उधर अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी पर वो इस तरह नंगी उनके खेल को बिगाड़ने नही चाहती थी, वो ये तो जान चुकी थी कि उसके पापा और दीदी का ये खेल काफी समय से चल रहा है तभी तो उसकी दीदी इतनी सुबह सुबह आकर पापा कर लंड को इतनी तल्लीनता से चूस रही है, जल्द ही कनिका की चुत भी इस नज़ारे को देख टेसुए बहाने लगी, एक बार तो उसे लगा कि वो जाकर उनके खेल में शामिल हो जाये और जिस तरह मनिका पापा का लंड चूस रही है वो भी जी भरकर चूसे, परन्तु उसे लगा कि अब शायद उचित समय नही है, पर उसके शैतानी दिमाग मे एक योजना पनपने लगी जिसकी मदद से वो जल्द ही अपने पापा और दीदी के साथ खुलकर इस खेल का आनंद उठा सके,

तकरीबन 7 बजे पूरे घर मे चहल पहल होने लगी थी, सभी लोग उठकर अपने दैनिक क्रियाओं से निवृत हो रहे था, जयसिंह आज बड़ा खुश था, आखिर उसने अपनीं दोनों बेटियों को अपने लंड का गुलाम जो बना लिया था, बीच बीच मे वो नारे छुपाकर मनिका ओर कनिका को आंखों ही आंखों में सेक्सी इशारे भी कर रहा था,
कनिका को हालांकि जयसिंह और मनिका की सच्चाई पता सीगल चुकी थी पर वो कोई भी ऐसा काम नही करना चाहती थी जिससे उन दोनों को शक हो

दोपहर तक जयसिंह, मनिका और कनिका घर जाने को तैयार थे, हितेश मधु के साथ 2 दिन बाद आने वाला था, इसलिए जयसिंह ने मनिका और कनिका को साथ ले जाना ही सही समझा, करीब 1 बजे वो तीनो अपनी गाड़ी से घर की तरफ रवाना हो चुके थे

कार में तीनों लोग बिल्कुल नार्मल रहे, करीब 6 बजे तक वो तीनो घर पहुंच चुके थे,

जयसिंह ने कार पार्क की और फिर अपनी दोनों जवान बेटियों के साथ घर के अंदर आ गया, तीनो ने कुछ देर में ही अपने अपने कमरे में जाकर रेस्ट किया और फिर हल्का शावर लिया

नहाने केे बाद तीनो बड़े फ्रेश फील कर रहे थे, अभी वो हॉल में आकर बैठे ही थे कि बेल की आवाज़ सुनाई दी, मनिका ने जाकर गेट खोल तो सामने उसकी स्कूल की बेस्ट फ्रेंड काव्या खड़ी थी, काव्या को इस टाइम पर वहां देखकर पहले तो उसे सरप्राइज हुआ पर जल्द ही उसने काव्या को गले लगाया और उससे बातो में मशगूल हो गयी

काव्या - अच्छा सुन न मनिका, चल आज कहीं बाहर घूम के आते है, बाहर ही खाना भी कहा लेंगे, क्या बोलती है तू


मनिका भी इतने दिनों बाद काव्या से मिलकर बड़ी खुश थी इसलिए उसने भी मन नही किया, वो जल्दी से अपने रूम में गयी और तैयार होकर अपने पापा से बाहर जाने की परमिशन ली, जयसिंह ने भी मन नही किया और 10 बजे से पहले घर आने के लिए बोल दिया

मनिका और काव्या अपनी अपनी स्कूटी से घूमने के लिए निकल पड़े, इस समय तकरीबन 8 बज रहे थे

इधर कनिका को जब पता चला कि मनिका बाहर गयी है और 10 बजे तक वापस नही आएगी तो उसकी आँखों मे एक अजीब सी चमक आ गयी थी

वो सीधा भागकर अपने पापा के रूम में चली गयी, जयसिंह नहाने के बाद रेस्ट करने के लिए अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था, उसे पता था की अपनी दोनों बेटियों के साथ रहते वो किसी के साथ भी सेक्स नही कर सकता इसलिए वो आराम से अपने बेड पर लेट था, पर जब मनिका अपनी फ्रेंड के साथ बाहर जाने की परमिशन मांगने उसके रूम में आई थी तब उसके चेहरे पर भी मुस्कान फैल गयी थी, उसे भी यकीन हो गया था कि आज की रात सुखी नही निकलेगी

वो बस कुछ देर में कनिका के रूम की तरफ जाने ही वाला था पर उससे पहले ही उसे कनिका अपने रूम में दाखिल होती दिखाई दी, कनिक को देखकर तो उसके सोये लंड ने एक जोरदार अँगड़ाई ली मानो वो कह रहा हो कि बेटा खड़ा हो जा, अब काम करने का वक्त आ गया

जयसिंह के लंड का तनाव उसके पाजामे में अब उ हर बनाने लगा था जो कनिका की आंखों से भी छिपा नही था
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Kamini
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

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कनिका भी अपना ऐसा जोरदार स्वागत देखकर खुश हो गयी, और उसकी हवस में और भी इजाफा हो गया, वो तेज़ कदमो से आगे बढ़ते हुए जयसिंह के पास जा पहुंची, और इससे पहले की जयसिंह कुछ बोल पाता, कनिका उसके होंठों पर टूट पड़ी,ऐसा लग रहा था की वो पागल सी हो चुकी है,अपनी ब्रेस्ट को उसकी छाती पर रगड़ते हुए वो उसके बालों में उंगलियाँ फेराती हुई जयसिंह के होठों को बुरी तरह से चूस रही थी,

जयसिंह ने भी अब मौके पे चौके मारने का सोचा और कनिक को अपनी बाहों में भरकर अपने हाथों से उसकी गांड को सहलाना शुरू कर दिया, तब उसे पता चला की कनिका तो अपनी पेंटी भी उतार आई है,जयसिंह ने अपनी उंगलियाँ उसकी छोटी सी पजामी के अंदर दाखिल करते हुए उसकी गांड की दरार में उतार दी..

''आआआआअहहssssssssssssssssssssssssssssss .,,, उम्म्म्मममममम,''

उसकी सुलगती हुई सी आवाज़ ने जयसिंह के अरमानो को और भड़का डाला,और उसने कनिका को बेड पर पटक कर अपना मुँह सीधा उसके मुम्मों पर रख दिया और नाइट सूट के उपर से ही उसकी ब्रेस्ट पर लगे बटन को मुँह में लेकर चूसने लगा..

''ऊऊऊऊऊऊओह पापा .,,,,, माई डार्लिंग ,,,,,, उम्म्म्मममममममम,,''

और उसने खुद ही धीरे-2 अपनी कुरती की चैन को खोलकर अपनी नंगी ब्रेस्ट जयसिंह के मुँह में ठूस दी..

ये दूसरा मौका था जयसिंह के लिए,उसने जी भरकर उन प्यारी सी ब्रेस्ट को देखा और फिर धीरे-2 अपनी जीभ से उन्हे चाटने लगा
,

उसकी जीभ जैसे चुभ सी रही थी कनिका को,.उसने ज़बरदस्ती अपना एक मुम्मा उसके मुँह में ठूसा और ज़ोर से चिल्लाई .. : "बाईट करो पापा ,,,,,खा जाओ इनको ,,,,,''

जयसिंह तो ऐसी गर्म बेटी पाकर खुद को धन्य सा समझने लगा,उसने तो सोचा भी नही था की ऐसी चुप-चाप सी रहने वाली उसकी बेटी बेड पर इतनी गर्म दिखेगी,

जयसिंह ने धीरे-2 उसकी नाइट ड्रेस उतार कर साइड में फेंक दी,अब वो बिस्तर पर पूरी नंगी पड़ी थी, और जयसिंह खुद भी पलक झपकते ही नंगा हो गया

कनिका ने जयसिंह के लंड की तरफ देखा और शरमाते हुए अपनी नज़रें झुका ली,वो काफी बड़ा था

जयसिंह उसके पास पहुँचा और अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया,वो उसे उपर नीचे करने लगी..फिर जयसिंह ने उसके सिर पर दबाव डालकर उसे नीचे जाने के लिए कहा, जयसिंह ने कनिका के मुंह का निशाना साधकर अपना लंड सीधा इसके प्यारे से छोटे से मुंह मे डाल दिया, कनिका भी किसी मंझी हुई खिलाड़ी की तरह अपने पापा का लंड जोर जोर से चूसने लगी, जल्द ही जयसिंह का लंड अपनी पूरी औकात में आ गया, और वो पूरी तरह तनकर कनिका के गले की गहराइयों को नाप रहा था,

तकरीबन 10 मिनट तक जयसिंह अपना लंड चुसवाता रहा, अचानक उसे लगा कि वो झड़ने वाला है, पर वो ये नही चाहता था कि वो कनिका की चुदाई करने से पहले झड़े , इसलिए उसने तुरंत अपना लंड कनिका के मुंह से निकाल लिया, कनिका को ऐसा लगा जैसे उसका प्यारा सा खिलौना किसी ने छीन लिया हो, उसने हसरत भरी निगाहों से अपने पापा की ओर देखा, मानो वो पूछ रही हो कि आपने ऐसा क्यों किया


पर अगले ही पल उसे इसका जवाब मिल गया, जयसिंह ने कनिका को पकड़कर उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और फिर उसकी टांगे चौड़ी करके उनके बीच लेट गया..अब उसकी आँखो के सामने थी कनिका की प्यारी सी और सफाचट चूत .. जयसिंह ने धीरे से उसने अपनी जीभ को उसकी भाप छोड़ती चूत से टच करवाया..

जयसिंह को ऐसा लगा जैसे उसने किसी गर्म मलाई से भरे डिब्बे में मुँह डाल दिया है....गरमा गरम मलाई के साथ -2 गर्म हवा के भभके निकल रहे थे उसकी चूत में से.

जैसे-2 वो कनिका की चुत को चूस रहा था...वैसे -2 उसकी सिसकारियाँ और भी तेज होती जा रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे जयसिंह अपनी जीभ और दाँतों से उसके जिस्म पर कब्जा करता जा रहा है और कनिका अपने होशो हवस खोकर पागलों की तरह चिल्लाती जा रही थी.

''आआआआआआआहह..........माआआआआआअर डालोगे आप तो...................आआआआआआअहह एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स बैबी ...............सक्क मिईीईईईईईईईईईईईईई....और ज़ोर से....................उम्म्म्ममममममममममममम पापाआआआ''

और एक वक़्त तो ऐसा आया की कनिका उसके सिर को ज़ोर लगाकर दूर हटाने लगी...शायद उसकी चूत को चूसते हुए वो उसे झड़ने के उस मुकाम तक ले आया था जिसके बाद जरा सा टच भी दर्दनाक लगता है , और लास्ट में आकर जो सेंसेशन महसूस होता है, वो कनिका को होने लग गया था..

पर जयसिंह भी ठान कर बैठा था की आज वो उसकी चूत की गर्मी को पूरी तरह से दूर करके रहेगा, इसलिए वो भी डटा रहा...चूसता रहा उसकी गर्म चूत को...अपने होंठों के बीच उसके निचले लिप्स को दबाकर जोरों से स्मूच करता रहा ...और तब तक करता रहा जब तक कनिका की आँखे नही फिर गयी...वो बेहोशी जैसी अवस्था में पहुँच गयी ,अत्यधिक उत्तेजना के शिखर तक पहुँचकर ....और उसी बेहोशी में जब वो झड़ी तो उसके शरीर में ऐसे कंपन हुआ जैसे उसके शरीर पर कब्जा की हुई कोई आत्मा बाहर निकल गयी हो...और जोरदार तरीके से झड़ने के बाद वो निढाल सी होकर नीचे गिर पड़ी.

''आआआआआआआआहह .,,,,,, म्*म्म्मममममममममम ,, पापा ,,,,''

वो अपनी टांगो को पकडे जयसिंह को अपनी चूत में डुबकी लगाते हुए देखने लगी


जयसिंह ने अपने होंठ खोलकर उसकी चूत को पूरा अपने कब्ज़े में ले लिया और उसके साथ फ्रेंच किस्स करने लगा..इतना मज़ा मिल रहा था उसे, बड़ी भीनी-2 सी महक आ रही थी उसकी चूत से,जयसिंह ने अपनी जीभ को जितना हो सकता था बाहर निकाला और उसकी चूत की परतें खोलकर जीभ को अंदर धकेल दिया..

कनिका को लगा जैसे कोई खुरदरी नुकीली चीज़ उसके अंदर जा रही थी,वो सिसक उठी,और अपनी टांगे उसने जयसिंह की गर्दन में लपेट कर उसे बुरी तरह से जकड़ लिया,जैसे रेसलिंग चल रही हो दोनों के बीच,


जयसिंह ने अपना मुँह बाहर निकाला और बोला : "कैसा लग रहा है.,''

कनिका ने बेड की चादर को पकड़ा और चिल्लाई ''आआआआआआअहह पापा ,,,,,, उम्म्म्ममममममममममम ., बहुत अच्छा .,और करो.,,,''

जयसिंह फिर से उसकी चूत की खुदाई करने में जुट गया..

और कुछ ही देर में उसने अपने मुँह से उसकी चूत को पूरा सींच दिया,अब वो अगले कदम के लिए तैयार थी..

जयसिंह थोड़ा उपर उठा और घुटनो के बल बैठ गया, उसकी नज़रो के सामने कनिका की रसीली चुत पानी और थूक में लथपथ होकर चमक रही थी, जयसिंह से अब बर्दास्त करना मुश्किल था , इसलिए उसने अपने रॉड की तरह सख्त हो चुके लंड को पकड़ा और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा, कनिका को ये अहसास बहुत भाH रहा था, उसकी सांसे भारी होने लगी थी, इधर जयसिंह लगातार अपना लंड कनिका की कोमल चुत पर रगड़ रहा था, कनिका से अब बर्दास्त नही हुआ और वो खुद ही बोल पड़ी, पापाआआआ प्लीज़ अब डाल दीजिए आपका ये मूसल लंड मेरी चुत में , उड़ा दीजिये मेरी चुत की धज़्ज़िया, प्लीज़ पापाआआआ जल्दी कीजिये

जयसिंह ने भी अब उसे और तड़पाना ठीक नही समझा और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चुत के छोटे से छेद में फंसाया और हल्का सा धक्का मारकर अंदर दाखिल हो गया


''आआआआअहह उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ… करो प्लीज पापाआआआ,,''

कनिका के इतना कहने की देर थी की जयसिंह ने एक जोरदार झटका मारा,और उसका लंड कनिका की चूत के अंदर पूरी तरह दाखिल हो गया..

''आआआआआआययययययययययीीईईईईईईईईईईईई ,,, मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी ..,,,, अहह ,''

वो दर्द से बिलख उठी, हालांकि उसकी सील तो पहले ही टूट चुकी थी पर दर्द अब तक था

जयसिंह थोड़ा सा रुक गया,कनिका को सच में थोड़ा दर्द हो रहा था,..पर उसके नंगे जिस्म की खूबसूरती देखकर जयसिंह का लंड बागी सा हो गया..उसने सोच लिया की आज तो कम से कम 3 बार वो उसकी चुदाई करेगा,

जयसिंह अब कनिका की चुत में ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, हर धक्के में उसका हलब्बी लंड कनिका की चुत की जड़ तक पहुंच जाता, अपनी चुत की इस जबरदस्त कुटाई से कनिका के जिस्म में लगातार सिहरन सी पैदा हो रही थी, और उसकी चुत लगातार पानी बहा रही थी, कनिका की चुत से निकल रहे पानी की वजह से जयसिंह का लंड चिकना होकर सरपट कनिका की चुत की गहराइयों को नाप रहा था , दोनों एक दूसरे में पूरी तरह मगन होकर जोर जोर से आहे भर रहे थे, क्योंकि उन्हें पता था कि मनिका तो अपने दोस्त के यहां गयी है और उन्हें देखने वाला कोई नही है, इसलिए वो दोनों दुनिया से बेखबर होकर दमदार चुदाई में लगे पड़े थे

पर उनका ये सोचना शायद उनकी भूल थी, मनिका अपनी दोस्त से मिलकर जल्दी ही फ्री हो गयी थी, और उसने सोचा कि बाहर खाने की बजाय घर पर खाना ले जाती है ताकि सब लोग मिलकर खा सके, उसने एक अच्छे से रेस्टोरेंट से खाना पैक कराया और जल्द ही अपनी स्कूटी से घर की तरफ रवाना हो चुकी थी

घर पहुंचकर उसने स्कूटी खड़ी की और खाना के पैकेट्स निकालकर गेट की तरफ चल पड़ी, चूंकि उसके पास घर की डुप्लीकेट चाबी रहती थी इसलिए उसने बिना दरवाज़ा खटखटाये सीधे ही घर मे एंटर कर लिया,

घर मे घुसते ही वो सीधा किचन की तरफ गयी और खाना वही रख दिया , अब उसने कपड़े चेंज करने का सोचा, ये सोचकर वो सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगी पर तभी अचानक उसे अपने पापा के कमरे से हल्की आहों की आवाज़े सुनाई दी,

आहों की आवाज़ सुनकर मनिका को बड़ा आश्चर्य हुआ, पर उसे समझते देर न लगी कि ये जयसिंह की आहें है,

"शायद पापा कोई पोर्न मूवी देख रहे हैं, और साथ मे मुठ भी मर रहे है, तभी उनके मुंह से ऐसी आवाज़े निकल रही है, पर.......कनिका के घर मे होते हुए?.......कही कनिका ने उनकी आवाज़ सुन ली तो " ये सोचकर मनीका कनिका के रूम की तरफ बढ़ी, उसने सोचा कि शायद कनिका सो रही होगी तभी पापा ऐसा कर रहे है, वो तेज़ तेज़ कदमो से कनिका के रूम की तरफ बढ़ी जा रही थी, और फिर जैसे ही उसने कनिका के रूम का दरवाजा खोला, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई, रूम में कोई नही था,

" कहीं पापा कनिका के साथ तो........" उसके मन मे एक विचार कौंधा और अगले ही पल जैसे उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी, क्योंकि जयसिंह के रूम से लड़की के कराहने की आवाज़ भी आ रही थी, और अब तो मनिका को पूरा भरोसा हो गया था कि कमरे में पापा के साथ कनिका ही है, और उनके कराहने की आवाज़ से लगता है कि पापा इस समय कनिका की चुदाई कर रहे है


मनिका अब भारी कदमो से जयसिंह के रूम की ओर बढ़ने लगी थी , वो आखिरी बार ये पूरी तरह कन्फर्म कर लेना चाहती थी कि ये कनिका ही है या कोई और,

मनिका धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाये जा रही थी, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी, उसे कुछ समझ नही आ रहा था, अगर वो सचमुच कनिका हुई तो मैं क्या करूंगी, मनिका को कुछ पता नही चल रहा था वो बस आगे बढ़ी जा रही थी, और जल्द ही वो अपने पापा के रूम के दरवाजे के सामने खड़ी थी

उसने हल्के से दरवाज़े को अंदर की तरफ धकेला, और ये देखकर उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना रहा कि दरवाज़ा खुला हुआ ही है,
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shubhs
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

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ये क्या हुआ
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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pongapandit
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी

Post by pongapandit »

ओह्ह्ह्हह बहुत मस्त गरमा गर्म अपडेट
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