घरेलू चुदाई समारोह compleet

Post Reply
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: घरेलू चुदाई समारोह

Post by 007 »



कुछ सन्नाटे के बाद मनीषा बेहताशा हँसने लगी- “तो ये बात है… तुम जल रही हो… तुम्हारी इतनी हिम्मत कि यहाँ आकर मुझे शिक्षा दो जबकि तुम खुद अपने बेटे को चोद रही हो… लोगों को क्या ज्यादा बुरा लगेगा… मेरा सजल को चोदना या तुम्हारा…”

“हम घर जा रहे हैं…” कोमल बोली।

“नहीं, तुम कहीं नहीं जा रही हो… जब तुम यहाँ आई हो तो मेरी भी सुनती जाओ… तुमने सालों से मुझे कचरे की तरह समझा है, जबसे मेरा पति मुझे छोड़कर चला गया। तुम्हें हमेशा यह डर रहा कि मैं तुम्हारे पति को न चोदूं। मैं तुम्हें एक अच्छी खबर देना चाहती हूँ… न सिर्फ मैंने सजल को चोदा है बल्कि मैं सुनील को भी चोद चुकी हूँ… क्या तुम्हें इस बारे में कुछ कहना है…”

“हरामजादी…” कोमल ने गुस्से से हाथ घुमाया, पर सजल ने अपनी फुर्ती दिखाई और उसे बीच में ही पकड़ लिया।

“अब इतनी भोली न बनो, कोमल…” मनीषा ने व्यंग्य किया- “तुम जो सजल को चोदती हो, और उस दिन तुम्हारे घर से सजल के कालेज का प्रिन्सिपल जो जा रहा था…”

“वो तो सजल से मिलने आया था, हमारे बीच में कुछ नहीं हुआ…”

पर सजल की शक भरी निगाहें उसे भेद रही थीं- “तुमने मुझे बताया नहीं कि कर्नल मान आए थे…” सजल ने पूछा।

“इसीलिये नहीं बताया क्योंकी इसने उसे चोदा था, सजल…” मनीषा ने मुश्कुराते हुए कहा- “मुझे पता है क्योंकी उस दिन ये परदे डालना भूल गई थी और मैंने पूरी चुदाई इन आंखों से देखी थी…”

कोमल को यह पता नहीं था कि मनीषा ने कुछ देखा नहीं था, पर अंधेरे में तीर मार रही थी। पर मनीषा ने बात कुछ इस अंदाज़ में कही थी जैसे कि वह सच ही बोल रही हो। मनीषा ने अब अपने वार को और तीखा करने की ठानी। उसने अपने नहाने वाले गाऊन का नाड़ा खोलकर उसे उतार फेंका और अब वो सिर्फ सैंडल पहने उसी अवस्था में आ गयी जिस अवस्था में थोड़ी देर पहले सजल ने उसे चोदा था। उसका नंगा तन चमकने लगा।

“मुझे आश्चर्य है कि सजल मुझे चोदने के लिये क्यों आया… क्या वो तुम्हें चोदने से ऊब गया है…” उसने अपने शरीर को सजल के जिश्म से रगड़ते हुए कहा।

वो दोनों मम्मी बेटे कुछ कहने की हालत में नहीं थे।

मनीषा ने कोमल को और छेड़ते हुए इठलाते हुए कहा- “अब तुम समझ सकती हो कि सजल और सुनील दोनों को मेरे पास आने की ज़रूरत क्यों पड़ी। मेरे पास वो सब कुछ है जिसकी उन्हें आस है। बड़े मम्मे और एक तंग गाण्ड… अब जब तुम यहीं हो सजल तो क्यों न हम उस काम को अंजाम दें जो हमने शुरू कर दिया है… मेरे ख्याल से तुम्हारी मम्मी यह जानने को उत्सुक होगी कि मैं कैसे चुदवाती हूँ…”
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: घरेलू चुदाई समारोह

Post by 007 »

सजल अपनी मम्मी से नाराज़ अवश्य था पर वह उसके अपमान में मनीषा का साथ देने को तैयार नहीं था। उसने मनीषा को दूर धकेलने की कोशिश की पर इतने में ही उसकी मम्मी की एक हरकत पर वह ठगा सा रह गया।

“तुम अपने आपको बड़ा गर्म और सेक्सी समझती हो न मनीषा… मैंने तुम्हें अपने शरीर की नुमाइश करते हुए कई बार देखा है। पर अब मैं तुम्हें बताती हूँ कि सजल और सुनील क्यों हमेशा मेरे पास ही वापस आएंगे…”
मनीषा को भी गहरा आश्चर्य हुआ जब उसकी पडोसन ने अपने कपड़े उतारने आरंभ किये। उसने भी यह माना कि कोमल के पास अत्यंत ही लुभावना और आकर्षक जिश्म था। कोमल ने नंगे होने में अधिक देर नहीं लगाई। वो सिर्फ अपनी बात सिद्ध करना चाहती, किसी पर विजय नहीं।

“किसका शरीर ज्यादा सुंदर है, सजल…” उसने मनीषा की तारीफ भरी नज़रों में नज़रें डालकर सजल से पूछा।

सजल को अपनी यह स्थिति पसंद नहीं आ रही थी। अपनी कम उम्र के बावजूद वह समझ गया था कि इन दोनों औरतों की लड़ाई बंद करानी होगी- “आप दोनों रुकिये। आप पर जो पागलपन सवार हो रहा है उसे रोकिये। आप लोग इतने सालों से पडोसी हैं पर एक दूसरे के बारे में आपके खयालात कितने गलत हैं…”

वो दोनों सजल की बात सुन रही थीं। उन्हें इस बात से थोड़ी संतुष्टि हुई कि सजल ने स्थिति पर काबू कर लिया था।

सजल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा- “मैं इस बात पे कोई वोट नहीं डालूंगा कि आप दोनों में से किसका जिश्म ज्यादा सुंदर है। जहाँ तक मेरा ताल्लुक है, मुझे इससे कोई सरोकार नहीं है। आप दोनों बेहद सेक्सी औरतें हैं। बस…” यह कहते-कहते सजल ने अपने लण्ड को खड़ा होते महसूस किया। उसकी दोनों विजय-पताकाओं के बीच में रहने से उसका झंडा बिना खड़ा हुए न रह सका। सजल ने अपनी बांह अपनी मम्मी की कमर में डाली, उसने मनीषा के साथ भी ऐसा ही किया।

“मैं हमेशा सोचा करता था कि दो औरतों को एक साथ चोदने में कैसा लगेगा। क्या आप दोनों अपनी लड़ाई छोड़कर मुझे यह बात समझायेंगी…” बिना उनके उत्तर का इंतज़ार किये, उसने अपने वस्त्र उतारने शुरू कर दिये। उसका हौसला इस बात से भी बढ़ा कि उन दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया। उनकी चुप्पी ने उसे यह समझा दिया कि वो उससे सहमत हैं।

“तुम्हें मनीषा आंटी से जलन नहीं होनी चाहिये मम्मी… अगर मैं इन्हें चोदता हूँ तो इसका यह अर्थ नहीं कि मैं आपको चोदना बंद कर दूँगा…” सजल एक हाथ से अपनी मम्मी और दूसरे हाथ से मनीषा के मम्मों को दबाते हुए बोला।

कोमल ने सजल को मनीषा के मोटे मम्मों से खेलते हुए देखा। उसे ईर्ष्या की जगह एक अभूतपूर्व रोमांच का एहसास हुआ।

सजल ने अपनी मम्मी से कहा- “मम्मी मैं आप दोनों को चोदना चाहता हूँ…” यह कहकर उसने अपनी मम्मी का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया। उसका दूसरा हाथ कोमल की गाण्ड दबाने लगा।

मनीषा जान गई कि आज की दोपहर निराली होगी। उसने अपने स्तन सजल की पीठ पर लगा दिये। उसने अपना हाथ मम्मी-बेटे के बीच से सजल के लण्ड पर पहुंचा दिया और उसे दबाने लगी।

कोमल उसके हाथ को हटाने की कोशिश करने लगी। पर फिर उसने अपने बेटे के शानदार लण्ड को इस औरत के साथ बांटने का निर्णय लिया।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: घरेलू चुदाई समारोह

Post by 007 »


सजल ने अपने आपको वहीं कारपेट पर लिटा लिया और अपनी मम्मी को अपने ऊपर इस तरह खींचा कि उसकी चूत उसके मुँह पर आ लगी। उसने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसेड़ दी। अब वह इस बात का इंतज़ार कर रहा था कि मनीषा उसका लण्ड चूसने लगेगी।

मनीषा के चेहरे पर मुश्कुराहट फैल गई। उसने झुककर उस झुलते हुए लण्ड को अपने हाथ में लिया और झट से मुँह में भर लिया। और बोली- “इसका लण्ड बहुत स्वादिष्ट है, कोमल…” उसने कोमल को हिम्मत देते हुए कहा।

इससे कोमल का यह डर कि वह उसके लड़के को काबू में ले लेगी शांत हो गया। कोमल ने भी देखा कि मनीषा सजल के लण्ड से जलपान कर रही थी। हालांकि वो इस दृश्य को देखना चाहती थी पर उसकी चूत में छाए तूफान पर उसका बस नहीं था।

“मुझे ज़रा मुड़ने दो सजल…” कहकर कोमल तेजी से घूम गई जिससे उसका मुँह मनीषा की ओर हो गया- “अब मेरी चूत चाटो सजल…”

उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया जिससे उसका सिर मनीषा के सिर से जा टकराया। कोमल भी उस लण्ड का स्वाद लेना चाहती थी। मनीषा ने भी दरियादिली दिखाई और अपने मुँह से उस चिपचिपाते लण्ड को निकालकर कोमल के मुँह की ओर कर दिया।

मनीषा- “इसका स्वाद लो कोमल, तब तक मैं इन टट्टों का स्वाद लेती हूँ…”

कोमल ने अपनी जीभ सजल के लण्ड के सुपाड़े पर फिराई और फिर धीरे से उसे अपने मुँह में भर लिया। इस समय उसे खाने और खिलाने का दोहरा मज़ा आ रहा था।

सजल उन दोनों सुंदरियों की जिह्वाओं के आघात से तड़प रहा था। उसकी तमन्ना पूरी हो गई थी। पर उसका अपने ऊपर काबू खत्म हो गया था। कुछ ही मिनटों की चुसाई और चटाई से उसके लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। कोमल ने अपने मुँह में छूटते हुए रस को पीना शुरू कर दिया। मनीषा ने कोमल को हटाने के उद्देश्य से उसके मम्मों को पकड़कर धक्का सा दिया। पर कोमल इसका कुछ और ही अर्थ समझी।

“और जोर से भींचो इन्हें मनीषा… और तुम मुझे खाओ सजल…” यह कहते समय उसे भी शिखर प्राप्ति हो गई।

मनीषा उन दोनों को झड़ते हुए बस देखती ही रह गई। पर उसे यकीन था कि इंतज़ार का फल मीठा होगा। पर उसको मम्मी-बेटे के प्यार की गहराई का अनुभव जरूर हो गया था।

जब कोमल झड़कर शांत हुई तो मनीषा उसकी ओर देखकर बोली- “मैं तुम्हारे मम्मों को तुमसे पूछे बिना नहीं दबाना चाहती थी। शायद तुम्हें ये पसंद न आया हो…”

“कोई बात नहीं, मनीषा, मुझे वाकई अच्छा लगा था। मैं हमेशा अचरज करती थी कि दूसरी औरत के साथ यह सब करना कैसा लगेगा…” उसने मनीषा के तने हुए मम्मों पर आंखें जमाते हुए जवाब दिया।

“हम दोनों भी नमूने हैं, कोमल… कुछ देर पहले हम एक दूसरे की जान लेने पर आमादा थे और अब प्रेमी बनने की बात कर रहे हैं…” दोनों औरतें साथ-साथ हँसने लगीं।

“शायद मैं तुमसे इसीलिये दूर रहना चाहती थी। मुझे डर था कि मैं कहीं तुम्हारे साथ सम्बंध ना बना लूँ…” कोमल बोली।

सजल का लण्ड सामने के दृश्य को देखकर फिर से तनतना गया था। उसने अपने सामने नाचती हुई अपनी मम्मी की गाण्ड देखी तो वो उसके पीछे झुका और अपना दुखता हुआ लौड़ा अपनी मम्मी की चूत में पेलने लगा।

“नहीं सजल…” कोमल ने अपनी चूत से उसका लण्ड बाहर निकालते हुए कहा- “मैं तुम्हें मनीषा को चोदते हुए देखना चाहती हूँ। उसके पीछे जाओ और उसे चोदो… जाओ…”

सजल का लण्ड इस समय इतना अधिक दुख रहा था कि उसे इस बात से कतई मतलब नहीं था कि उन दोनों में से किसे उसके मोटे लण्ड का आनंद मिलेगा। उसने मनीषा के चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना लम्बा लण्ड जड़ तक, एक ही धक्के में ठोंक दिया।

मनीषा की पनियाई हुई चूत ने भी आसानी से पूरे मूसल को अपने अंदर समा लिया। हालांकि मनीषा अभी ही झड़ के निपटी थी, पर वो एक बार फिर तैयार थी। बोली- “धन्यवाद, कोमल, जो तुमने मुझे इसे चोदने दिया। मुझे खुशी है कि अब तुम सारी बात को समझती हो। मैं इतनी अकेली थी, इतनी चुदासी… मुझे इसके लण्ड की सख्त जरूरत थी…”

कोमल की चूत में भी आग बदस्तूर लगी हुई थी। उसने अच्छे पड़ोसी का कर्तव्य तो निभा दिया था पर वो इंतज़ार कर रही थी कि सजल मनीषा को निपटाकर उसकी चूत की प्यास बुझाए। कुछ ही देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद सजल के झड़ने की बारी आखिर आ ही गई।

“मैं झड़ रहा हूँ, मम्मी…” सजल चीखा और अपना रस मनीषा की चूत में भरना शुरू कर दिया।
कोमल अपने सामने का दृश्य देखकर ही झड़ गई। मनीषा आखिर में झड़ी। मम्मी-बेटे के बीच में सैंडविच की तरह चुदने का आनंद अपरंपार था।

“मेरे साथ झड़ो, तुम दोनों… दोनों… सजल… कोमल… मैं तुम्हारी चूत के स्वाद से प्यार करती हूँ। मैं तुम्हारी घनघोर चुदाई से भी प्यार करती हूँ। सजल, चोदो मुझे… चो…दो… मैं झड़ी रे… हाय रे… मैं मरी…”

जब सब शांत हुए तो मनीषा को ऐसा महसूस हुआ जैसे कि वो भी सिंह परिवार का हिस्सा हो गई हो।

क्रमशः.....................................
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: घरेलू चुदाई समारोह

Post by 007 »

सुनील एक बड़ा खतरा उठाने के बारे में सोच रहा था। ये पागलपन था और ये उसे भी पता था, पर वो कुछ रोमांचक करने के मूड में था। उसने अपना गोल्फ का खेल खत्म ही किया था और उसका ग्राहक मित्र राकेश उसे घर छोड़ने जा रहा था। उसने अगली सीट पर बैठे हुए अपने शरीर को मोड़ा, जब उसने अपने लण्ड को खड़ा होते हुए महसूस किया। उसका लण्ड मनीषा को चोदने के ख्याल से सख्त हो रहा था। उस सुंदर चुदक्कड़ औरत को चोदने के बारे में सोचने के कारण आज उसका खेल बहुत बेकार रहा था।

राकेश की गाड़ी से उतरकर सीधा मनीषा के घर में घुसने में खतरा था और कोमल घर पर थी तो ये खतरा और भी बढ़ जाता था। वो अपने खेल का सामान मनीषा के घर ले जायेगा और वहाँ से अपने घर चला जायेगा और ऐसे दिखायेगा जैसे वो खेल कर लौटा है। सुनील ने ये सोचते हुए अपने दुखते हुए लण्ड को एडजस्ट किया और मनीषा की रसीली चूत में डालने का इंतज़ार करने लगा।

उधर कोमल, मनीषा और सजल ड्राईंग रूम में बैठकर बातें कर रहे थे। अब उनमें किसी तरह का मलाल नहीं था। हँसना और मज़ाक करना भी अब आसान था, चूंकि पिछले कुछ घंटों में वो काफी करीब आ चुके थे। तीनों नंगे ही बैठे थे।

“तुम दोनों रुक कर मेरे साथ खाना खाकर क्यों नहीं जाते। मेरे पास एक मोटा मुर्गा है जो मैं अकेले तो बिल्कुल नहीं खा पाऊँगी…” मनीषा बोली।

कोमल- “धन्यवाद… आज इतना कुछ होने के बाद मैं अब घर जाकर खाना बनाने के मूड में भी नहीं हूँ…”

“सुनील का क्या होगा… क्या हम उसे भी खाने के लिये आमंन्त्रित कर लें…” मनीषा ने एक नटखट मुश्कुराहट के साथ पूछा।

कोमल बोली- “मुझे ये समझ में नहीं आ रहा कि मैं सुनील को ये बदला हुआ माहौल कैसे समझा पाऊँगी… मेरी तो हँसी ही निकल जायेगी…”

“तुम क्या सोचती हो कोमल… क्या ये समझदारी होगी कि हम उसे बता दें कि तुम सजल से चुदवाती हो…” मनीषा ने पूछा- “उसके लिये शायद ये स्वीकार करना मुश्किल हो कि उसकी बीवी अपने ही बेटे से चुदवाती है…”

कोमल ने अपने एक मम्मे को खुजलाते हुए कहा- “इतना जो इन कुछ दिनों में हुआ है, उसे देखकर लगता है कि मैं सब कुछ संभाल सकती हूँ, चाहे वो एक बेहद नाराज़ पति क्यों न हो… और फिर उसके पास भी तुम्हें चोदने के बाद ज्यादा बात करने का मुँह नहीं है…”

“हाँ… पर मेरा क्या होगा, मम्मी…” सजल के चेहरे पर गहरी चिंता के भाव थे।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: घरेलू चुदाई समारोह

Post by 007 »



कोमल ने सजल के सिकुड़े हुए लण्ड को थपथपाते हुए कहा- “अपने पापा को संभालने का काम तुम मुझ पर ही छोड़ दो तो बेहतर है… मैं अब पीछे हटने वाली नहीं हूँ… उसे या तो सब स्वीकार करना होगा… या चाहे तो वो तलाक ले सकता है…”

“मम्मी…” सजल अपने मम्मी-बाप के अलग होने की बात से आहत हो गया- “तुम्हारे ख्याल से ऐसा नहीं होगा। है न… मैं आप दोनों के बीच में नहीं आना चाहता…”

“नहीं… मेरे ख्याल से ऐसी नौबत नहीं आयेगी। कम से कम तुमसे चुदवाने से तो नहीं। इससे हमारी शादी में और दृढ़ता आयेगी। तुम्हें सोचकर आश्चर्य होगा पर तुम्हारे पापा ने मुझे एक बार कहा था कि बचपन में उनकी अपनी मम्मी को चोदने की बड़ी हसरत थी…”

“दादी को… पर वो तो…” सजल चौंक गया।

कोमल ने उसे झिड़कते हुए कहा- “अरे… वो अब बूढ़ी हुई हैं… पर अपने दिनों में वो बेहद हसीन थी… उस बात को छोड़ो… मेरा मतलब है कि ये कोई नई बात नहीं है कि कोई लड़का अपनी मम्मी को चोदने की इच्छा रखता हो। शायद पापा ये बात तुमसे ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं और इस बात का मुझे विश्वास है…”

उसी समय सामने के दरवाज़े की घंटी बजी। मनीषा घबरा गयी- “इस समय कौन हो सकता है…”

“हम तुम्हारे अतिथि शयन कक्ष में रहेंगे जब तक कि तुम इस आगंतुक को नहीं निपटा देतीं। सजल… अपने कपड़े उठाओ और मेरे साथ आओ…” कोमल ने कहा।

कोमल और सजल को उस कमरे में गये अभी कुछ ही क्षण हुए थे कि मनीषा घबराई हुई अपने ऊँची एंड़ी के सैंडल खटकाती अंदर आयी।

मनीषा- “अरे बाहर तो सुनील है… अब मैं क्या करूँ…”

“रूको…” कोमल ने कहा। उसका दिमाग तेज़ी से एक नतीज़े पर आया। फिर बोली- “उसे पता नहीं कि सजल और मैं यहाँ हैं। उसे अंदर आने दो और अपने शयनकक्ष में ले जाओ। शायद सब कुछ ठीक हो रहा है। अगर तुम उसे अपने शयनकक्ष में लेजाकर चोदने में सफल हो जाती हो तो हम बीच में आकर तुम्हें रंगे हाथों पकड़ लेंगे… उसके बाद… समझीं…”
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
Post Reply