घरेलू चुदाई समारोह compleet

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Re: घरेलू चुदाई समारोह

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मनीषा के चेहरे पर रंगत वापस आ गयी। उसे कोमल का प्लान समझ में आ गया- “हम्म्म्म… तब सुनील बहुत ही अजीब सी हालत में होगा… उसे हमारे बारे में कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं होगी… है न…”

“एकदम सही…” कोमल ने एक विषैली मुसकराहट से कहा- “अब जाओ और जैसा मैंने कहा है… वैसा करो। हम यहाँ छुपते हैं, तुम जाकर उसके लण्ड को अपनी चूत में घुसवाओ…” ऐसा कहकर कोमल ने मनीषा की नंगी गाण्ड पर प्यार भरी एक चपत लगाई।

कोमल ने एक झिरी सी रखकर कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। इसमें से वो बाहर चल रहे प्रोग्राम को देख-सुन सकती थी। उसने सुनील के गोल्फ के सामान की आवाज़ सुनी। कुछ ही देर में उसने मनीषा को अतिथि कक्ष के सामने से सुनील को अपने शयन कक्ष में हाथ पकड़कर जाते हुए देखा।

उसने मनीषा की बात सुनी- “मैंने सोचा था कि आज सुबह की चुदाई से तुम्हारा दिल भर गया होगा… तुम्हें कोमल के घर में रहते हुए यहाँ आने में कोई खतरा नहीं महसूस हुआ…”

“मेरे ख्याल से उसने राकेश को मुझे छोड़ते हुए नहीं देखा… पर अब इस बात की चिंता करने से कुछ नहीं होगा। मैं अगले हफ्ते काफी व्यस्त हूँ। इसलिए आज कुछ समय तुम्हारे साथ बिता लेता हूँ। सारे समय मैं गोल्फ की जगह तुम्हारे बारे में सोचता रहा…”

कोमल ने ये सुना तो उसे अपने पति पर गुस्सा आ गया और अब वो उस वक्त का इंतज़ार करने लगी जब वह उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ेगी। उसने सजल की और मुखातिब होकर कहा- “देखना जब हम तुम्हारे पापा को पकड़ेंगे… वो हर बात जो हम कहेंगे, उसे मानेंगे…”

कुछ देर सुनील और मनीषा की चुदाई शुरू होने के बाद वो बोली- “अब और नहीं ठहरा जा रहा। चलो हम हमला बोलते हैं…”

जब कोमल ने मनीषा के शयनकक्ष में झाँका तो कुछ समय के लिए वो सामने का मंजर देखकर ठिठक गयी। उसने सजल को अपने पास खींचा जिससे कि वो भी देख सके। उसके मन में एक बार ईर्ष्या आ गयी।

“वाह… अपनी चूत को मेरे लण्ड पर और जोर से दबाओ… मनीषा…” सुनील कह रहा था। उसका मोटा लण्ड मनीषा की चूत में गड़ा हुआ था। मनीषा के सैंडल युक्त पाँव आसमान की ओर थे और सुनील उसे पुराने तरीके से ही ऊपर चढ़कर चोद रहा था। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।

“मुझे जोर से चोदो सुनील… और जोर से…” मनीषा अब सब भूलकर अपनी चूत का भुर्ता बनवाने में मशगूल थी। उसी समय उसकी नज़र दरवाज़े पर पड़ी और उसके मुँह पर एक शैतानी मुश्कान आ गयी।

वहाँ सजल और कोमल उनका ये चुदाई का खेल देख रहे थे।
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Re: घरेलू चुदाई समारोह

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उसने उन दोनों का थोड़ा मनोरंजन करने की ठानी- “जोर से चोदो मुझे सुनील… बिल्कुल रहम मत करो… फाड़ दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से…” ये कहकर मनीषा ने सुनील की गाण्ड भींचते हुए उसकी गाण्ड में एक अँगुली घुसा दी।

“हरामजादी…” सुनील के मुँह से गाली निकली- “अगर ऐसा किया तो मैं झड़ जाऊँगा…”

कोमल के संयम का बांध टूट गया। हालांकि देखने में बहुत मज़ा आने लगा था, पर वो अपने हाँफते और काँपते पति को रंगे हाथों पकड़ने का मौका नहीं छोड़ना चाहती थी।

“क्या हुआ सुनील… घर पर मेरी चूत चोदकर मन नहीं भरता क्या…” कोमल ने अंदर घुसकर बिस्तर की ओर कदम बढ़ाते हुए सवाल किया। उसकी आवाज़ माहौल के विपरीत काफी शाँत स्वर में थी।

कोमल की आवाज़ सुनकर, सुनील को काटो तो खून नहीं। उसका जिश्म जैसे जड़ हो गया और धक्के बंद हो गये। उसका मुँह खुला का खुला रह गया जब उसने अपनी पत्नी और बेटे, दोनों को वहाँ नंगा खड़ा देखा। उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। शायद ये कोई सपना ही था।

“तुम्हें शायद मुझे देखकर आश्चर्य हो रहा है… प्रिय पति महाराज…” कोमल मुश्कुराई और बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गयी।

सजल को अपने पापा से डर लग रहा था और वो अपनी मम्मी के दो-तीन फीट पीछे ही खड़ा रहा।

“पर आश्चर्य तो मुझे होना चाहिये… है न… ये देखकर कि तुम मेरी पीठ पीछे क्या गुल खिला रहे हो…”

सुनील ने मनीषा की चूत से अपना तना हुआ लौड़ा बाहर खींच लिया। उसने बिस्तर पर बैठकर कुछ समय सोचकर अपनी आवाज़ को पाया- “पर तुम यहाँ पर क्या कर रही हो कोमल… और वो भी सजल के साथ… और फिर तुम दोनों नंगे क्यों हो…” वो अपनी आवाज़ में कठोरता पैदा करने की असफल कोशिश कर रहा था।

“मेरे साथ ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो…” कोमल उसे ऐसे नहीं बख्शने वाली थी, न वो अपने ऊपर कोई बात लेने वाली थी। सुनील उस समय उसी परिस्थिति में था जैसा वो उसे चाहती थी- “वो तुम हो जो गलत चूत में अपने लण्ड के साथ पकड़े गये हो… मैं नहीं…”

“ठीक है कि मैं पकड़ा गया हूँ और मेरे पास कोई सफाई भी नहीं है। पर सजल तुम्हारे साथ यहाँ क्यों आया है और तुम दोनों नंगे क्यों हो…” सुनील ने अपने नंगे बेटे की ओर देखते हुए पूछा।
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Re: घरेलू चुदाई समारोह

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सजल का लण्ड इस समय खड़ा था।

“ये मत समझो कि सजल ये सब देखने समझने के लिये बड़ा नादान है… सजल, इधर आओ…”

जब सजल अपनी जगह से हिला भी नहीं तो कोमल ने दोबारा कहा- “सजल, इधर आओ… तुम्हारे पापा तुम्हें छुयेंगे भी नहीं, ये मेरा वादा है…”

सजल धीमे कदमों से अपनी मम्मी के साथ आकर खड़ा हो गया पर उसकी सहमी नज़र अपने पापा के चेहरे पर ही रही। कोमल ने मनीषा की ओर आश्वासन के लिये देखा। उसकी नई सहेली ने गर्दन हिलाकर अपना समर्थन दिया।

“तुम्हें याद है सुनील… जब तुमने मुझे अपनी मम्मी को चोदने की इच्छा के बारे में मुझे बताया था…” कोमल ने सँयत शब्दों में भूमिका बाँधी।

“कोमल…” सुनील चिल्लाया- “तुम ऐसे समय वो बात यहाँ कैसे कर सकती हो… मैंने तुम्हें वो बात दुनिया को बताने के लिये थोड़े ही बताई थी…”

कोमल ने अपना हाथ उठाकर उसे शाँत रहने का इशारा किया। उसने सजल की ओर अपना हाथ बढ़ाया और उसे अपनी ओर खींचा।

“मैं सिर्फ तुम्हें उस समय की याद दिला रही थी जब तुम सजल की उम्र के थे। इससे तुम्हें वो समझने में आसानी होगी जो मैं तुम्हें बताने वाली हूँ…” कोमल ने एक गहरी साँस भरी और अपने स्वर को संयत किया- “मैं सजल से उसकी छुट्टियों के कुछ समय पहले से चुदवा रही हूँ…”

कमरे में एक शाँती छा गयी। अगर सुंई भी गिरती तो आवाज़ आती।

फिर सुनील ने हिकारत भरे स्वर में कहा- “कितनी घृणा की बात है ये… तुम अपने बेटे से कैसे…”

मनीषा, कोमल का साथ देने के लिये, सुनील की बात काटते हुए बोली- “अब ऐसे मर्यादा वाले मत बनो तुम सुनील। तुम भी कोई बड़े भले मानस नहीं हो। अगर कोमल को तुम घर में उसके मन मुताबिक चोदते रहते तो वो क्यों सजल की ओर जाती… हो सकता है कि शायद वो फिर भी सजल से चुदवाती ही, कौन कह सकता है… अगर मेरा सजल जैसा लड़का होता तो मैं तो उसको जरूर चोदती…”

“पर मुझे यह मंजूर नहीं…” सुनील बोला।

“बकवास…” मनीषा ने जवाब दिया- “तुम्हारे पास कोई विकल्प भी नहीं है सुनील… कोमल क्षमा नहीं माँग रही है… वो तुम्हें बता रही है कि या तो तुम इसे स्वीकार करो या…” मनीषा ने अपने शब्द अधूरे छोड़कर अर्थ साफ कर दिया।

“अरे ये सब बेकार की बातें छोड़ो… हम सब चुदासे हैं और एक दूसरे की चुदाई क्या गलत, क्या सही की बातें चोदने में लगे हैं… इधर आओ सुनील और मुझे चोदो, जो तुम कह रहे थे… अपने लौड़े को देखो, ये अब पहले से भी ज्यादा तना हुआ है। मैंने इतना सख्त पहले इसे नहीं देखा…” ये कहते हुए मनीषा ने अपने हाथों से सुनील का विशाल मोटा लण्ड हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी।

“इसे यूँ ही चलने दो सुनील… कोमल और मेरे पास तुम्हारे लिये बहुत कुछ विशेष है…” ये कहकर मनीषा ने सुनील का हलब्बी लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
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Re: घरेलू चुदाई समारोह

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कोमल ने भी अपना तीर फेंका। उसने बिस्तर पर झुकते हुए अपनी बांहें उसकी गर्दन में डाल दीं। उसके विशाल मम्मे अब सुनील के चेहरे के पास थे। बोली- “बोलो मत सुनील… मेरे मम्मों को चूसो… मनीषा को अपना लण्ड चूसने दो। हम दोनों को तुम्हें चोदने चाटने दो… मेरी जान, अब चीज़ें दूसरे नज़रिये से देखो। अब तुम्हें छुपकर अपने पड़ोस में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम्हारी जब इच्छा हो, हम दोनों तुमसे चुदवाने के लिये तैयार रहेंगी…”

सुनील अपने दोनों ओर फैले हुए नंगे गर्म जिस्मों में खो गया। कोमल ने अपने मम्मों को उसके मुँह में डाल दिया। सुनील इतना ताकतवर था कि इन दोनों औरतों को परे धकेल सकता था, पर उसने ऐसा किया नहीं। उसे दोगुने आनंद की प्राप्ति हो रही थी।

“ठीक है… मैं हार मानता हूँ…” सुनील ने अपना मुँह कोमल के मम्मों से हटाते हुए कहा- “हम बाद में बात करेंगे… पर मुझे अभी भी सजल और तुम्हारे बीच का…”

“अपना मुँह बंद रखो, सुनील, अगर खोलना है तो मेरे मम्मों को चूसने के लिये… हाँ अब ठीक है… जोर से चूसो…”

“अब ये सब बहुत हो चुका…” मनीषा सुनील के लण्ड की चुसाई रोकती हुई बोली- “अब मुझे इस मोटे लण्ड से अपनी चूत चुदवानी है। इस पूरे सीन से मेरी चुदास बेइंतहा बढ़ गयी है। अरे सुनील तुम्हारा लण्ड तो जबर्दस्त फूल गया है। हम्म्म… अब ये मत कहना कि तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा…” ये कहकर मनीषा ने पूरा लौड़ा एक ही झटके में अपनी चूत में पेल डाला।

अब चूंकि सुनील का लण्ड एक समय में एक ही चूत चोद सकता था, कोमल को अपनी प्यासी चूत के लिये कोई दूसरा इंतज़ाम करना लाज़मी हो गया। वो बिस्तर से खड़ी हो गई और अपने बेटे से बोली- “ज़मीन पर लेटो सजल… मैं तुम्हें वैसे ही चोदना चाहती हूँ, जैसे मनीषा तुम्हारे पापा को चोद रही है…”

सजल की हिम्मत अब धीरे-धीरे वापिस आ रही थी। अब जब उसने अपने पापा को चुसाई और चुदाई में मशगूल देखा तो वो जाकर ज़मीन पर चौड़ा होकर अपनी पीठ के बल लेट गया और अपनी चुदासी मम्मी का अपने तन्नाये लौड़े की सवारी के लिये इंतज़ार करने लगा।

सुनील स्तब्ध होकर अपनी पत्नी को अपने बेटे के तनतनाये हुए लण्ड पर सवार होते हुए देख रहा था। उसने कोमल को सजल से चुदवाने से रोकने के लिये एक शब्द भी नहीं कहा। इस समय वो इतना रोमाँचित था कि उसके लिये ऐसा करना संभव ही नहीं था। नाराज़गी की जगह उसके मन में विस्मय अधिक था।

“ये मेरे लिये ही खड़ा है न, बेटे…” कोमल ने अपनी गर्म प्यासी चूत को सजल के लण्ड पर सरकाते हुए सरगोशी की। उसने सजल के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत को उसपर आहिस्ता से उतार दिया- “मुझे तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में फुदकता हुआ लग रहा है। मेरे लाडले बेटे…”

सजल ने अपने हाथ बढ़ाकर अपनी मम्मी के फुदकते हुए मम्मों को पकड़ लिया। कोमल की गर्म चूत अब उसके गर्माये हुए लण्ड पर नाच रही थी। उसने अपने पापा की ओर देखा तो वो इस नज़ारे से बहुत मज़ा लेते हुए लगे।

“है न देखने लायक सीन, सुनील…” मनीषा ने अपने विशाल मम्मों को पकड़कर सुनील के लण्ड पर अपनी चूत सरकाते हुए पूछा- “तुमने सोचा भी न था कि ये देखकर तुम्हें इतना मज़ा आयेगा…”

कोमल ने अपना सिर घुमाकर अपने पति की आँखों में देखा- “देखो, कितना बढ़िया है ये सब… अब तुम्हें ये बुरा नहीं लग रहा होगा… है न मेरी जान… ज़रा सोचो तो कि अब हम लोग क्या-क्या और कर सकते हैं… सजल को चोदते हुए देखो सुनील… देखो मैं अपने बेटे को कितना सुख दे रही हूँ…”

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“मेरे मम्मों को और जोर से दबाओ सजल। और मुझे जोर से नीचे से झटके मारकर चोदो…” उसकी चूत को अब तेज़ और दम्दार चुदाई की इच्छा थी।

सुनील मनीषा की गर्म चूत की भट्ठी में अपने लण्ड से पूरे जोर से चुदाई कर रहा था। उसने मनीषा की दोनों गोलाइयों को अपने हाथों से पकड़ रखा था और दबा रहा था। पर उसकी नज़रें पूरे समय अपनी पत्नी और बेटे की चुदाई पर टिकी हुई थीं। अब उसे कोई जलन नहीं थी। उसने उस उम्र को याद किया जब वो सजल की उम्र का था। उसके मन में भी अपनी माँ को चोदने की बड़ी इच्छा थी। आज वो अपनी उस हसरत को अपने बेटे सजल के रूप में पूरी होते देख रहा था।

उसने मनीषा की चुदाई की रफ्तार बड़ाते हुए आवाज़ दी- “चोदो उसे कोमल…” ये कहकर उसने अपना रस मनीषा की प्यासी चूत में भर दिया।

कोमल ने अपने झड़ते हुए पति को शाबाशी दी- “भर दो उसकी चूत को सुनील। आज हम रात भर चुदाई करेंगे…”

कोमल और सजल को चोदते देखना ही मनीषा के लिये काफी था पर अपनी चूत में सुनील के रस के फुहारे से तो वो बेकाबू हो गई। बोली- “कोमल मुझे देखो… मैं तुम्हारे पति को चोद रही हूँ। मैं उसके साथ झड़ रही हूँ। आआआ… आआआआ… ईईईई… ईईईईईईई…”

सुनील और मनीषा थोड़ी देर के लिये शाँत हो गये और दोनों माँ बेटे का खेल देखने लगे।

“जल्दी करो तुम दोनों, सजल भर दे अपनी माँ की चूत…” मनीषा ने उन्हें बढ़ावा दिया।

सुनील को अपनी आवाज़ सुनकर आश्चर्य हुआ- “चोद उसकी चूत को जोर से, सजल…”

कोमल ने भी अपने पति की बात सुनी। उसे खुशी हुई कि सुनील ने सब कुछ स्वीकार कर लिया है। उसने सुनील की ओर मुश्कुराकर देखा और अपना ध्यान अपनी चुदाई की ओर वापिस लौटा लिया। वो भी अब झड़ने के करीब थी।

“मैं झड़ रही हूँ सजल… सुनील…” सजल के लंबे मोटे लौड़े पर उछलते हुए कोमल चींखी। अचानक वो ठहर गई। उसकी चूत में अजीब सा संवेदन हो रहा था।

सजल भी अब झड़ रहा था। वो भी चींखने लगा- “मम्मी… मैं भी… आआआह…” पर उसने अपने धक्कों की रफ्तार कम न की। कोमल को यही पसंद था। उसके झड़ने के बाद भी अपनी चूत में मोटे लण्ड से घिसाई- “चोद मेरे लाडले… वा…आआआआ…ह…”

मनीषा और सुनील दोनों देख रहे थे कि कैसे कोमल, सिर्फ ऊँची एंड़ी की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी, अपने बेटे के लण्ड पर उछलती हुई झड़ रही थी। मनीषा के मन में आया कि काश उसे भी वही सुख मिले जो अभी कोमल को मिल रहा था। सुनील को भी समझ में आया कि क्यों उसकी बीवी अपने बेटे से चुदवाने लगी थी। कोमल एक बार और झड़ी और निढाल हो गई।

“काश मैं तुम्हें समझा पाती मनीषा… जो मैं इस वक्त महसूस कर रही हूँ… इसमें इतना सुख है की मैं नहीं समझा सकती…”

“इस सुख को भोगो… बोलो मत…” मनीषा ने ठंडी साँस लेते हुए कहा।

थोड़ी देर बाद ही सजल और सुनील के लण्ड दोबारा तनकर खड़े हो गये। अब उन्हें फिर चुदाई की इच्छा हो रही थी। चूंकि वो अभी मनीषा को चोदकर हटा था तो सुनील ने कोमल की ओर अपना रुख किया। कोमल इस समय झुक कर मनीषा की चूत चाटने में व्यस्त थी। सुनील ने पीछे से जाकर एक ही झटके में अपना पूरा लौड़ा कोमल की चूत में पेल दिया।

“ऊँओंफ्ह…” कोमल के मुँह से अजीब सी चीत्कार निकली। कई साल बाद उसके पति ने उसे इतनी बेरहमी से चोदने की कोशिश की थी। उसने अपनी कमर हिलाते हुए सुनील को उत्साहित किया- “मुझे यूँ ही बेरहमी से चोदो सुनील… मुझे खुशी है कि तुम मुझे आज ऐसे चोद रहे हो… फाड़ दो मेरी चूत…”

मनीषा यूँ ही छोड़ने वालों में से तो थी नहीं। वो अपनी ऊँची एंड़ी की सैंडल में गाण्ड मटकाती सजल के पास आयी और बोली- “देख अपने मम्मी-पापा की चुदाई… और मेरी चूत का भोंसड़ा बना…”

सजल आगे बढ़ा और मनीषा के ऊपर चढ़ाई कर दी। अपने लण्ड को उसने मनीषा की गीली चूत में पेल दिया। उसने अपने पापा को देखा जो कोमल की ताबड़तोड़ चुदाई कर रहे थे। उसकी मम्मी उन्हें और बढ़ावा दे रही थी। सजल ने तेजी से मनीषा कि चुदाई की और कुछ ही समय में दोनों का पानी छूटने लगा। उधर सुनील और कोमल का भी खेल खत्म हो गया था और दोनों लण्ड अपनी चूतों को पानी पिलाकर शाँत हो गये थे। चारों थक भी गये थे।

मनीषा ने सबको खाना खिलाया और बीयर पिलायी और एक बार फिर सबने मिलकर चुदाई की। दोबारा फिर मिलने के वादे के साथ सिंह परिवार अपने घर चला गया।

कोमल सोने के पहले यही सोच रही थी कि अब उसके जीवन में एक नया अध्याय शुरू हो गया है।

ये सोचकर वो सुनील से चिपककर सो गयी।

.

END
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