हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........complete
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........
औरतों के इस ब्यवहार को समझना बहुत मुश्किल है
- xyz
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........
nice update
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(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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- Ankit
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........
राहुल सलाद को काटने लगता है मगर वो कनखियों से बीच बीच में अपनी माँ को देखता रहता है | जिसकी रोटी पकाते हुए कमर कुछ ज्यादा ही हिल रही थी | साथ ही हिल रहे थे उसके चूतड़ | टाइट गोल मटोल चूतड़ जो बाहर को बेहद गोलाई में उभरे हुए थे | किसी जवान लड़की जैसी अपनी माँ की कसी करारी गांड को देखते हुए उसके मुंह में, नहीं उसके लंड में पानी आ गया था | उसने कुछ देर पहले जब अपना लंड उसकी गांड में चुभोआ था और खुद उसकी माँ ने भी अपनी गांड को वापिस उसके लंड पर दबाया था तो वो ऐसा ज़बरदस्त एहसास था, खुद उसने पेंट पहनी हुई थी और उसकी माँ ने उसका अंडरवियर पहना हुआ था मगर फिर भी वो सलोनी के नितम्बो की तपिश अपने लंड पर दोनों कपड़ों के अवरोध के बावजूद बखूवी महसूस कर सकता था, कैसी मुलायम सी, नर्म सी, कोमल सी गांड महसूस हुई थी |
‘हाएएएएए...... घोड़ी बनाकर मम्मी की मारने में कितना मज़ा आएगा.....’ राहुल अपनी सोच में गुम था |
“सलाद काटने की तरफ धयान दो बरखुरदार, अपनी नज़रें और दिमाग को अपने सामने सलाद पर रखो वरना ऊँगली कट जाएगी” सलोनी बेटे को चिताती है तो राहुल शर्मिंदा हो जाता है | मगर वो करे भी तो क्या? वो खुद ही उसकी ऐसी हालत के लिए जिम्मेदार थी | खैर राहुल अपनी नज़र कटाई बोर्ड पर जमाने का प्रयास कर सलाद काटता है और उधर सलोनी की रोटी पक चुकी थी |
“देखो तुमसे सलाद भी नहीं काटा गया और मैंने रोटी भी बना दी है, अगर एक दिन तुम्हे खाना बनाना पड़े, तुम तो पूरा दिन निकाल दोगे” सलोनी बेटे को छेडती है |
“मम्मी आप भी ना, मैं कौन सा खाना बनाने का काम करता हूँ, थोड़े दिन करूंगा फिर आप देखना कितना फ़ास्ट फ़ास्ट करता हूँ |
“अरे अगर नज़र सामने रखेगा तो ही काम करेगा ना, अगर मेरी कमर के बल गिनता रहेगा तो क्या काम करेगा!" सलोनी की छेड़ छाड़ और भी तीखी हो जाती है |
“वैसे मुझे मालूम है, शुरू-शुरू में आदमी को सिखाने में समय लगता है, लेकिन मैं देखूंगी कुछ दिनों के या......कुछ रातों के एक्सपीरियंस के बाद तू कितना फ़ास्ट फ़ास्ट काम कर सकता है.......” सलोनी का असल मतलब क्या था, राहुल बाखूबी समझता था शायद इसीलिए उसके गाल लाल हो रहे थे | वो अपनी मम्मी को क्या जवाब दे क्या नहीं, उसकी समझ नहीं आ रहा था और उसकी ऐसी हालत देख सलोनी को जैसे बहुत ख़ुशी मिल रही थी | वो उसे इस तरह परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती थी |
“अभी क्या बोलती बंद हो गई? अभी से डर लगने लगा कि यहाँ पे परफॉरमेंस भी चेक होगी, हुंह... टेंशन में आ गये लाट साहब? अब क्या करूँगा? कैसे करूँगा? यही सोच रहे हो ना” सलोनी इतनी बेरहम भी हो सकती थी, उसे खुद मालूम नहीं था |
“क्या मम्मी, अब बस भी करो ... आप अच्छे से जानती हैं, मैं कभी पीछे नहीं हटता, कभी घबराता नहीं हूँ, हमेशा अव्वल आता हूँ” राहुल अपने आत्मसम्मान की रक्षा करता है |
“ओह्ह्ह्ह.....देखो तो कभी पीछे नहीं हटता... कभी घबराता नहीं.... फिर टाँगे क्यों कांप रहे हैं तुम्हारी ...देखना कहीं गिर ना जाना” सलोनी कमर पर हाथ रखे चेहरे पर खुशक भाव लिए राहुल को कहती है | मगर उसे ना जाने कितनी कोशिश करनी पड़ रही थी अपनी हंसी रोकने के लिए |
“किसकी टाँगे कांप रही हैं.......कहाँ टांगें कांप रही हैं” राहुल खीझ उठता है |
“किसकी टांगें कांप रही हैं? तुम्हारी और किसकी... देखो अब कहीं डर के मारे पेंट ना गीली कर देना...... ओह यह क्या ... मुझे तो लगता है तुमने वाकिया में पेंट गीली कर दी है...” सलोनी हैरान होने का नाटक करती हुई राहुल की पेंट की और इशारा करती है | यहाँ ज़िपर की साइड में एक गीले धब्बे का निशान था हालाँकि वो बाखूबी जानती थी कि वो धब्बा उसकी गांड की करतूत का नतीजा था मगर राहुल को परेशान करने का मौका वो हाथ से कैसे जाने देती |
“मम्म्म्मम्मम्ममी........” राहुल खीझ कर लगभग चिल्ला ही पड़ता है | उसे यकीन नहीं हो रहा था उसकी माँ उसे इस हद्द तक परेशान कर सकती है | सलोनी मुंह घुमा लेती है | उसका बदन हिल रहा था अब उससे हंसी रोकना बहुत मुश्किल काम जान पड़ती था |
“ठीक है....... ठीक है, चिल्लाने की जरूरत नहीं है, मुझे तो चिंता हो रही थी कि कहीं दोपहर की तरह फिर से पेंट तो गीली नहीं कर दी क्योंकि अब मेरा दिल कपडे धोने को बिलकुल भी नहीं कर रहा”, सलोनी मुंह घुमाए किचन काउंटर से सामान समेटती अपनी हंसी छुपाने का प्रयत्न कर रही थी |
“मम्मी भगवान के लिए बस भी करो” राहुल हथियार डालता बोलता है | उसे मालूम था जुबानी जंग में माँ से जीतना उसके बस की बात नहीं थी |
“अरे भगवान को क्यों बीच में ला रहा है, तुम्हारी पेंट तुमने गीली की है, कोई भगवान ने थोडे की है” सलोनी प्लेट्स में सब्जी डालती बोलती है |
“ठीक है नहीं मानोगी तो ना सही, बोलो जो बोलना है, डैड आएँगे तो मैं उनसे आपकी शिकायत करूँगा कि आप मुझे किस तरह परेशान करते हो” राहुल अपनी माँ पर दवाब डालने की कोशिश करता है |
“ओह्ह्ह्ह.... डैड से शिकायत? सच में आने दो डैड को, मैं भी शिकायत करूंगी, तू मुझे किस किस तरह परेशान करता है, अपना वो मुझे कहाँ कहाँ चुभोता है, फिर बार बार पेंट गीली करके मेरे धोने के लिए छोड़ देता है, मैं भी सब बताउंगी, मगर तू खुद ही तो कहता था कि तु मुझे कंपनी देगा, तुझसे मेरा अकेलापन नहीं देखा जाता और अब इतनी जल्दी ऊब गया” सलोनी प्रहार पर प्रहार किये जा रही थी | हंसी से उसकी बुरी हालत थी |
“मैं ऊबा नहीं हूँ , आप ही मुझे मज....”
“सलाद की प्लेट्स मेज़ पर रखो”, सलोनी अचानक से राहुल की बात बीच में काटकर बोलती है, “फ्रीजर से थोडा ठंडा पानी निकाल लो, मैं रोटी, सब्जी और रायता रखती हूँ, जल्दी करो, बातों पे ध्यान कम दो और काम पे ज्यादा, कब से बातें किये जा रहे हो, बातें किये जा रहे हो, रुकते ही नहीं” राहुल आँखें गोल करके सलोनी को घूरता है और उसके माथे पर बल पड़ जाते हैं |
“और मुझे ऐसे घूरना बंद करो, मुझे बहुत भूख लगी है, तुम्हारा पेट तो बातों से भर जाता होगा, मगर मेरा नहीं भरता, कब से सुन रही हूँ, कानो में दर्द होने लगा, मगर तुम हो कि मानते ही नहीं” सलोनी कमर पर हाथ रखे राहुल को चिडाती है | राहुल कुछ बोलने के लिए मुंह खोलता है मगर फिर से चुप्प हो जाता है और अविश्वास से सर हिला सलाद की प्लेट उठाता है और खाने के मेज़ की तरफ बढ़ जाता है |
खाने के टेबल पर सलोनी और राहुल दोनों चुपचाप खाना खा रहे थे | खाना कितना मजेदार था, इस बात का पता इस बात से चलता था कि राहुल बहुत खीझा होने के बावजूद खाने को मज़े से खा रहा था | मगर फिर भी वो बीच बीच में ‘आहत’ भरी नज़र अपनी माँ पर जरूर डालता | जो उसकी तरफ खाना खाते हुए बिलकुल बेपरवाही से देख कंधे झटक देती है |
सलोनी पानी का गिलास उठा के घूँट भरती है, तभी राहुल फिर से उसकी और गुस्से भरी निगाह से देखता है | सलोनी इस बार कण्ट्रोल नहीं कर पाती और खिलखिला कर हंस पड़ती है | वो ज़ोरों से खुल कर हंसने लगती है | उसके हंसने से राहुल और भी खीझ उठता है | सलोनी ‘ओके... ओके’ बोलती खुद को रोकने की कोशिश करती है मगर वो चुप नहीं रह पाती | हर बार वो खिलखिला कर हंस पड़ती है |
राहुल शुरू से जानता था उसकी माँ उसे जानबूझकर चिढ़ा रही है मगर वो उसके इस तरह जोर से हंसने से खीझ उठा और खाना बंद कर दिया | उसका दिल किया वो वहां से उठ कर चला जाये | ‘सॉरी.......सॉरी..... प्लीज’ सलोनी उसे हाथ से इशारा करके खाना खाने को कहती है | राहुल जैसे ही चम्च मुंह की तरफ लेकर जाता है | कमरा फिर से सलोनी की हंसी से गूँज उठता है | अब बस.....और नहीं’ वो उठने से पहले एक नज़र अपनी माँ पर डालता है जो अपने मुंह पर हाथ रखे खुद को रोकने की कोशिश कर रही थी, अचानक राहुल भी ज़ोरों से हँसने लगता है | कमरे का माहोल बेहद्द ख़ुशनुमा हो उठता है | दोनों माँ बेटा खाना छोड़ काफी देर तक हँसते रहते हैं | अंत में दोनों थोड़े शान्त पड़ जाते हैं |
“उफ्फ्फ्फ़... हे भगवान......” सलोनी को खुद याद नहीं था वो इस तरह खुल कर पहले कभी हंसी थी | बल्कि उस घर में इस तरह पहले कभी ऐसी हंसी कब गूंजी थी | सलोनी अपनी जगह से उठती है और मुस्कराते हुए राहुल के पास जाती है | राहुल उसे सवालिया नज़रों से देखता है मगर सलोनी उसे कोई जवाब नहीं देती |
सलोनी राहुल के पास जाकर उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लेती है और बिना कुछ कहे अपने होंठ उसके होंठो पर रख देती है | सलोनी राहुल के होंठो पर एक ज़ोरदार चुम्बन लेती है | अपनी जिव्हा से उसके होंठो को चाटती है और फिर से एक मीठा सा चुम्बन लेकर अपना चेहरा उसके चेहरे से दूर हटा लेती है |
“थैंक यू बेटा, थैंक यू सो मच” सलोनी ने वो अलफ़ाज़ सिर्फ अपने मुंह से नहीं बोले थे बल्कि राहुल अपनी माँ की आँखों में उन लफ्जों की भावना भी देख सकता था कि उसकी माँ कितनी खुश थी और इसके लिए वो उसकी कितनी शुक्रगुज़ार थी |
वो चुम्बन एक प्यासी नारी का अपने बेटे से कामौत्तेजना में लिया चुम्बन नहीं था | हालाँकि वो एक माँ बेटे का चुम्बन भी नही कहा जा सकता था मगर उस चुम्बन में राहुल ने सिर्फ और सिर्फ अपनी माँ का प्यार ही अनुभव किया था, इसके सिवा कुछ नहीं, इसके सिवा कुछ भी नहीं |
‘हाएएएएए...... घोड़ी बनाकर मम्मी की मारने में कितना मज़ा आएगा.....’ राहुल अपनी सोच में गुम था |
“सलाद काटने की तरफ धयान दो बरखुरदार, अपनी नज़रें और दिमाग को अपने सामने सलाद पर रखो वरना ऊँगली कट जाएगी” सलोनी बेटे को चिताती है तो राहुल शर्मिंदा हो जाता है | मगर वो करे भी तो क्या? वो खुद ही उसकी ऐसी हालत के लिए जिम्मेदार थी | खैर राहुल अपनी नज़र कटाई बोर्ड पर जमाने का प्रयास कर सलाद काटता है और उधर सलोनी की रोटी पक चुकी थी |
“देखो तुमसे सलाद भी नहीं काटा गया और मैंने रोटी भी बना दी है, अगर एक दिन तुम्हे खाना बनाना पड़े, तुम तो पूरा दिन निकाल दोगे” सलोनी बेटे को छेडती है |
“मम्मी आप भी ना, मैं कौन सा खाना बनाने का काम करता हूँ, थोड़े दिन करूंगा फिर आप देखना कितना फ़ास्ट फ़ास्ट करता हूँ |
“अरे अगर नज़र सामने रखेगा तो ही काम करेगा ना, अगर मेरी कमर के बल गिनता रहेगा तो क्या काम करेगा!" सलोनी की छेड़ छाड़ और भी तीखी हो जाती है |
“वैसे मुझे मालूम है, शुरू-शुरू में आदमी को सिखाने में समय लगता है, लेकिन मैं देखूंगी कुछ दिनों के या......कुछ रातों के एक्सपीरियंस के बाद तू कितना फ़ास्ट फ़ास्ट काम कर सकता है.......” सलोनी का असल मतलब क्या था, राहुल बाखूबी समझता था शायद इसीलिए उसके गाल लाल हो रहे थे | वो अपनी मम्मी को क्या जवाब दे क्या नहीं, उसकी समझ नहीं आ रहा था और उसकी ऐसी हालत देख सलोनी को जैसे बहुत ख़ुशी मिल रही थी | वो उसे इस तरह परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती थी |
“अभी क्या बोलती बंद हो गई? अभी से डर लगने लगा कि यहाँ पे परफॉरमेंस भी चेक होगी, हुंह... टेंशन में आ गये लाट साहब? अब क्या करूँगा? कैसे करूँगा? यही सोच रहे हो ना” सलोनी इतनी बेरहम भी हो सकती थी, उसे खुद मालूम नहीं था |
“क्या मम्मी, अब बस भी करो ... आप अच्छे से जानती हैं, मैं कभी पीछे नहीं हटता, कभी घबराता नहीं हूँ, हमेशा अव्वल आता हूँ” राहुल अपने आत्मसम्मान की रक्षा करता है |
“ओह्ह्ह्ह.....देखो तो कभी पीछे नहीं हटता... कभी घबराता नहीं.... फिर टाँगे क्यों कांप रहे हैं तुम्हारी ...देखना कहीं गिर ना जाना” सलोनी कमर पर हाथ रखे चेहरे पर खुशक भाव लिए राहुल को कहती है | मगर उसे ना जाने कितनी कोशिश करनी पड़ रही थी अपनी हंसी रोकने के लिए |
“किसकी टाँगे कांप रही हैं.......कहाँ टांगें कांप रही हैं” राहुल खीझ उठता है |
“किसकी टांगें कांप रही हैं? तुम्हारी और किसकी... देखो अब कहीं डर के मारे पेंट ना गीली कर देना...... ओह यह क्या ... मुझे तो लगता है तुमने वाकिया में पेंट गीली कर दी है...” सलोनी हैरान होने का नाटक करती हुई राहुल की पेंट की और इशारा करती है | यहाँ ज़िपर की साइड में एक गीले धब्बे का निशान था हालाँकि वो बाखूबी जानती थी कि वो धब्बा उसकी गांड की करतूत का नतीजा था मगर राहुल को परेशान करने का मौका वो हाथ से कैसे जाने देती |
“मम्म्म्मम्मम्ममी........” राहुल खीझ कर लगभग चिल्ला ही पड़ता है | उसे यकीन नहीं हो रहा था उसकी माँ उसे इस हद्द तक परेशान कर सकती है | सलोनी मुंह घुमा लेती है | उसका बदन हिल रहा था अब उससे हंसी रोकना बहुत मुश्किल काम जान पड़ती था |
“ठीक है....... ठीक है, चिल्लाने की जरूरत नहीं है, मुझे तो चिंता हो रही थी कि कहीं दोपहर की तरह फिर से पेंट तो गीली नहीं कर दी क्योंकि अब मेरा दिल कपडे धोने को बिलकुल भी नहीं कर रहा”, सलोनी मुंह घुमाए किचन काउंटर से सामान समेटती अपनी हंसी छुपाने का प्रयत्न कर रही थी |
“मम्मी भगवान के लिए बस भी करो” राहुल हथियार डालता बोलता है | उसे मालूम था जुबानी जंग में माँ से जीतना उसके बस की बात नहीं थी |
“अरे भगवान को क्यों बीच में ला रहा है, तुम्हारी पेंट तुमने गीली की है, कोई भगवान ने थोडे की है” सलोनी प्लेट्स में सब्जी डालती बोलती है |
“ठीक है नहीं मानोगी तो ना सही, बोलो जो बोलना है, डैड आएँगे तो मैं उनसे आपकी शिकायत करूँगा कि आप मुझे किस तरह परेशान करते हो” राहुल अपनी माँ पर दवाब डालने की कोशिश करता है |
“ओह्ह्ह्ह.... डैड से शिकायत? सच में आने दो डैड को, मैं भी शिकायत करूंगी, तू मुझे किस किस तरह परेशान करता है, अपना वो मुझे कहाँ कहाँ चुभोता है, फिर बार बार पेंट गीली करके मेरे धोने के लिए छोड़ देता है, मैं भी सब बताउंगी, मगर तू खुद ही तो कहता था कि तु मुझे कंपनी देगा, तुझसे मेरा अकेलापन नहीं देखा जाता और अब इतनी जल्दी ऊब गया” सलोनी प्रहार पर प्रहार किये जा रही थी | हंसी से उसकी बुरी हालत थी |
“मैं ऊबा नहीं हूँ , आप ही मुझे मज....”
“सलाद की प्लेट्स मेज़ पर रखो”, सलोनी अचानक से राहुल की बात बीच में काटकर बोलती है, “फ्रीजर से थोडा ठंडा पानी निकाल लो, मैं रोटी, सब्जी और रायता रखती हूँ, जल्दी करो, बातों पे ध्यान कम दो और काम पे ज्यादा, कब से बातें किये जा रहे हो, बातें किये जा रहे हो, रुकते ही नहीं” राहुल आँखें गोल करके सलोनी को घूरता है और उसके माथे पर बल पड़ जाते हैं |
“और मुझे ऐसे घूरना बंद करो, मुझे बहुत भूख लगी है, तुम्हारा पेट तो बातों से भर जाता होगा, मगर मेरा नहीं भरता, कब से सुन रही हूँ, कानो में दर्द होने लगा, मगर तुम हो कि मानते ही नहीं” सलोनी कमर पर हाथ रखे राहुल को चिडाती है | राहुल कुछ बोलने के लिए मुंह खोलता है मगर फिर से चुप्प हो जाता है और अविश्वास से सर हिला सलाद की प्लेट उठाता है और खाने के मेज़ की तरफ बढ़ जाता है |
खाने के टेबल पर सलोनी और राहुल दोनों चुपचाप खाना खा रहे थे | खाना कितना मजेदार था, इस बात का पता इस बात से चलता था कि राहुल बहुत खीझा होने के बावजूद खाने को मज़े से खा रहा था | मगर फिर भी वो बीच बीच में ‘आहत’ भरी नज़र अपनी माँ पर जरूर डालता | जो उसकी तरफ खाना खाते हुए बिलकुल बेपरवाही से देख कंधे झटक देती है |
सलोनी पानी का गिलास उठा के घूँट भरती है, तभी राहुल फिर से उसकी और गुस्से भरी निगाह से देखता है | सलोनी इस बार कण्ट्रोल नहीं कर पाती और खिलखिला कर हंस पड़ती है | वो ज़ोरों से खुल कर हंसने लगती है | उसके हंसने से राहुल और भी खीझ उठता है | सलोनी ‘ओके... ओके’ बोलती खुद को रोकने की कोशिश करती है मगर वो चुप नहीं रह पाती | हर बार वो खिलखिला कर हंस पड़ती है |
राहुल शुरू से जानता था उसकी माँ उसे जानबूझकर चिढ़ा रही है मगर वो उसके इस तरह जोर से हंसने से खीझ उठा और खाना बंद कर दिया | उसका दिल किया वो वहां से उठ कर चला जाये | ‘सॉरी.......सॉरी..... प्लीज’ सलोनी उसे हाथ से इशारा करके खाना खाने को कहती है | राहुल जैसे ही चम्च मुंह की तरफ लेकर जाता है | कमरा फिर से सलोनी की हंसी से गूँज उठता है | अब बस.....और नहीं’ वो उठने से पहले एक नज़र अपनी माँ पर डालता है जो अपने मुंह पर हाथ रखे खुद को रोकने की कोशिश कर रही थी, अचानक राहुल भी ज़ोरों से हँसने लगता है | कमरे का माहोल बेहद्द ख़ुशनुमा हो उठता है | दोनों माँ बेटा खाना छोड़ काफी देर तक हँसते रहते हैं | अंत में दोनों थोड़े शान्त पड़ जाते हैं |
“उफ्फ्फ्फ़... हे भगवान......” सलोनी को खुद याद नहीं था वो इस तरह खुल कर पहले कभी हंसी थी | बल्कि उस घर में इस तरह पहले कभी ऐसी हंसी कब गूंजी थी | सलोनी अपनी जगह से उठती है और मुस्कराते हुए राहुल के पास जाती है | राहुल उसे सवालिया नज़रों से देखता है मगर सलोनी उसे कोई जवाब नहीं देती |
सलोनी राहुल के पास जाकर उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लेती है और बिना कुछ कहे अपने होंठ उसके होंठो पर रख देती है | सलोनी राहुल के होंठो पर एक ज़ोरदार चुम्बन लेती है | अपनी जिव्हा से उसके होंठो को चाटती है और फिर से एक मीठा सा चुम्बन लेकर अपना चेहरा उसके चेहरे से दूर हटा लेती है |
“थैंक यू बेटा, थैंक यू सो मच” सलोनी ने वो अलफ़ाज़ सिर्फ अपने मुंह से नहीं बोले थे बल्कि राहुल अपनी माँ की आँखों में उन लफ्जों की भावना भी देख सकता था कि उसकी माँ कितनी खुश थी और इसके लिए वो उसकी कितनी शुक्रगुज़ार थी |
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........
दोस्त कहानी मजेदार होती जा रही है बहुत अच्छा अपडेट दे रहे हो
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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