हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........complete

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Kamini
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by Kamini »

plz update
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rajaarkey
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by rajaarkey »

दोस्त अगले अपडेट का इंतजार है
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duttluka
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by duttluka »

nice story........

read upto 8
abpunjabi
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Joined: 21 Mar 2017 22:18

Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by abpunjabi »

"उउउफफफफफफफफफ्फ़...........राहहुउऊउल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल.........बेटाटत्त्ताआआ.........हहााययईईए.........." सलोनी कराह उठती है | राहुल को अपनी जिव्हा पर नितंबो की घाटी में बसी गर्माहट का एहसास होता है तो सलोनी बेटे की खुरदरी जिव्हा की गर्माहट अपने नितंबो की घाटी में महसूस करती है | राहुल बिना जीभ को दबाए पूरी दरार में उपर से नीचे तक चाटता रहता है | जब भी उसकी जिव्हा गांड के छेद के पास पहुँचती है यह मस्त कहानी आप राज्शार्मास्टोरीज डाट कॉम पे पड़ रहे हैं सलोनी और उँचे कराहने लगती है | तो नितम्बो के भरे होने और आपस में जुड़े होने के कारण उसकी जिव्हा गांड तक नही पहुँच रही थी | अगर राहुल अपनी जिव्हा को हल्का सा भी दबाता तो उसकी जिव्हा उसकी मम्मी की गांड को छू लेती मगर राहुल अपनी जिव्हा नही दबाता | वो बस जब तक उसका दिल करता है घाटी में अपनी जिव्हा को उपर नीचे कोमलता से घूमाता रहता है | आख़िरकार राहुल कुछ समय के पशचात रुक जाता है |

राहुल अपने घुटनो को थोड़ा सा पीछे करके सलोनी के दोनो नितंबो को कस कर दबोच लेता है और उन्हे विपरीत दिशा में फैलाता है | 'उउउननह.....' सलोनी सिसक पडती है जब उसे एहसास होता है कि उसकी गांड का छेद अब उसके बेटे की आँखो के सामने था, सिर्फ गांड ही नही उसकी चूत भी | राहुल का चेहरा नीचे होता है उसकी गरम साँसे अपनी मम्मी की गांड के छेद पर पड़ती हैं तो सलोनी फिर से सिसक पड़ती है | उसकी गांड और चूत में संकुचन बढ़ जाता है | उससे सहन नही हो रहा था, वो यह देखने के लिए बैचेन हो रही थी कि वो क्या करता है |

राहुल सलोनी को ज़्यादा नही तरसाता और अपने जलते हुए होंठ अपनी मम्मी की गांड के छेद पर रख देता है |

"आआहह......राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल....बेटा........" सलोनी कराह उठती है | राहुल के जलते होंठ पहली दफ़ा उसकी गांड से छुए थे | बल्कि पहली दफ़ा किसी मर्द ने उसकी गांड को चूमा था | उसकी उत्तेजना अपने चरम पर पहुँचने लगी थी | राहुल के होंठ गांड से नीचे होते हुए सलोनी की रस टपकाती चूत को चूमते हैं | चूत से रस टपक टपक कर बेड पर गिर रहा था | राहुल के होंठ फिर से गांड पर जाते हैं | वो अपने हाथों से सलोनी के नितम्बों को और भी चौड़ा करता है और अपनी जीभ बाहर निकाल गांड पर रगड़ता है |

"उउउन्न्ननगगगगगगह...........उनघ्ह्ह्हह...." सलोनी की गांड और भी ज़्यादा तेज़ी से संकुचित होने लगती है | पहली बार उसकी गांड पर किसी की जीभ ने दस्तक दी थी | गांड के नरम कोमल छेद पर राहुल की जिव्हा की रगड़ उससे बर्दाशत नही हो रही थी | उस लुत्फ़ को महसूस करती वो बुरी तरह सिसक रही थी | राहुल गांड के छेद को रगड़ता सलोनी के नितंबो को और भी फैला देता है | उसकी गांड का छेद हल्का सा खुल जाता है | राहुल जिव्हा को गोल करके उसकी गांड में घुसाता है | लेकिन सलोनी की गांड बेहद टाइट होने के कारण उसकी जिव्हा बहुत अंदर तक तो नही जा पाती मगर इतनी अंदर ज़रूर जाती है कि वो उसे अंदर बाहर करता उसकी गांड को चाटता हुआ चोद सकता था |

"आआआअहह..........बेटा.......बेटा.........हे भगवान...........उउन्न्नज्ग्घह........" सलोनी का जिसम झटके खा रहा था | वो झड़ने के बिल्कुल नज़दीक पहुँच चुकी थी | राहुल अपनी मम्मी के बदन में हो रहे कंपन को महसूस कर चुका था और अब तक उसे एहसास हो चुका था कि आगे क्या होने वाला है | वो गांड के उस छेद को अपने होंठो में भर उस पर कभी जीभ रगड़ता और कभी उसके अंदर जीभ घुसा हल्के हल्के चोदने लगता है |

"बेटा.......बे…टा...........आआहह...." सलोनी का बदन और भी तेज़ झटके खाने लगता है | अचानक राहुल उसके नितंब से अपना हाथ हटा कर अपना अंगूठा उसकी चूत पर बिलकुल उसके दाने पर रख कर सहलाता है | सलोनी और बर्दाशत नही कर पाती |

"हाए.......हहाययएए...................उउउन्न्ञनननननगगगगग............हहाअययईई..." सलोनी के मुँह से तेज़ चीख निकलती है और वो झड़ने लगती है | सलोनी का बदन इतने ज़ोरों से झटके मार रहा था कि राहुल को उसकी गांड पर मुँह जमाए रखने में दिक्कत हो रही थी | वो अपने हाथ उसकी जाँघो पर रख देता है और उन्हे दबोच कर अपनी जिव्हा से फिर से उसकी गांड चोदता रहता है | सलोनी का बदन धीरे धीरे मंद पड़ने लगता है और अंत में वो पूरी तरह शान्त पड़ जाती है | उसका बदन एकदम ढीला पड़ जाता है और वो बस गहरी साँस लेती आनंद के उस सागर में गोते खाने लगती है | राहुल अपनी माँ की गांड चटाई से खुद काफ़ी उत्तेजित हो गया था और अगर कोई कसर बाकी थी तो वो सलोनी की सिसकियों और आहों कराहों ने पूरी कर दी थी | मगर राहुल को देखकर लगता था जैसे उसके दिल पर कोई और ही धुन सवार थी |

वो अपने हाथ अपनी माँ के जाँघो के बीच रखता और उन्हे उसके पेट के नीचे की तरफ ले जाता है, सलोनी की नाभि के पास से वो अपने हाथ बाहर की तरफ निकलाता है और दोनो तरफ से उसकी कमर पर अपने हाथ लेजाकर उन्हे उसकी पीठ पर बाँध देता है | अब सलोनी की कमर राहुल की बाहों के शिकंजे में थी | राहुल अपनी बाहों को उपर उठाता है और साथ ही सलोनी की कमर भी हवा में उँची होने लगती है | सखलन के बाद सुस्त पड़ चुकी सलोनी में इतनी हिम्मत नही थी कि वो उसका साथ दे सकती | उसकी कमर बेटे की बाहों में झूल रही थी |

राहुल अपने कुल्हो के बल बैठ जाता है और अपनी टाँगे सामने को पसारता है | वो सलोनी की कमर को उँचा उठाता अपने पैर आगे को पसारता है तो उसके पैर सलोनी के मुम्मो के नीचे तक चले जाते है | राहुल के घुटने थोड़े मुड़े हुए थे और बेड से कुछ उँचे थे जिन पर वो अपनी बाहें रखकर अपनी मम्मी की कमर का वजन डालता है | अब हालत यह थी कि राहुल के जाँघो के अंदर से हाथ डाल कर उपर उठाने से सलोनी की टाँगे खुद बा खुद चौड़ी हो गयी थी और राहुल ने जिस तरह जाँघो के निचे से हाथ निकालकर उसकी कमर को अपनी बाहों के शिकंजे में लिया था वो अब हिल डुल नही सकती थी | वो अब पूरी तरह से राहुल की दया पर निर्भर थी और वैसे भी सलोनी का सखलन इतना ज़ोरदार था कि वो अब कुछ कर पाने की स्थिति में नही थी | एक बार जब राहुल ने सलोनी को अपनी ज़रूरत के हिसाब से सेट कर लिया तो उसने उसकी कमर को पीछे की और खिंचा | अब सलोनी की चूत राहुल के होंठो के पास थी | राहुल अपने होंठ आगे बढ़ाता है और सखलन के पशचात सलोनी की भीगी जाँघो को चाटने लगता है | दोनो जाँघो को खुल कर चाटने के बाद वो चूत के उपर अपनी जीभ रगड़ता है और उसे अंदर नही जाने देता |

"बेटा.......बेटा.......बेटा......." सलोनी फुसफुसा रही थी | सखलन का असर उस पर अभी तक छाया हुया था |

राहुल जब दिल भर कर चूत को बाहर से चाट लेता है तो वो अपनी जिभ की सिर्फ नोंक चूत की दरार में हल्की सी घुसाता है और उसे उपर से नीचे तक घूमाता है |

"उउम्म्म्मम.......राहुल...........राहुल......." सलोनी लगातार मदहोशी में पुकारती जा रही थी |

राहुल की जिव्हा अब चूत के अंदर तक गहराई में घुसने लगी थी | जीभ को गहराई तक घुसा कर वो चूत को खूब रगड़ता है और फिर उसकी जिव्हा अंदर बाहर होने लगती है | राहुल मम्मी की चूत को अपनी जीभ से चोदते हुए उसके रस को चाटने लगता है |

"आह बेटा....बे..... टा...." सलोनी की हल्की हल्की सिसकियाँ लगातार जारी थी | राहुल जीभ की गति बढ़ाता जाता है | वो सलोनी की कमर को अपने मुँह पर खींच कर अपनी जीभ जितना अंदर तक हो सकता था डालता है | सलोनी की चूत में फिर से संकुचन होने लगा था | राहुल अपनी बाहों में अपनी मम्मी के जिस्म में कसाव बढ़ता महसूस कर सकता था | वो अपनी जिव्हा चूत से निकाल गांड के छेद पर रगड़ता है | फिर से चूत के बाहर रगड़ता है | इस तरह वो बार बार गांड और चूत के उपर नरम कोमल त्वचा अपनी खुरदरी जीभ से रगड़ता उपर नीचे होता है | सलोनी का बदन अब फिर से हिलने डुलने लगा था | हालांकि उसके मुख से फूटती सिसकियाँ इस बार धीमी थी | राहुल ने इस बार जब गांड से जीभ हटाकर चूत पर रखी तो उसने उसकी चूत को उपर से नही रगड़ा बल्कि अपनी जीभ उसकी चूत में पेल देता है और उसके भंगूर को अपने होंठो में दबोच लेता है | जैसे ही राहुल सलोनी की चूत के दाने को अपने होंठो में दबाकर चूस्ता है वो भड़क उठती है और उसका जिस्म बेटे की मज़बूत पकड़ में छटपटाने लगता है | राहुल अपने पंजो से अपनी माँ के मुम्मो को दबाता है, उसके नाख़ून मुम्मो की कोमल त्वचा को और उसके निपल को कुरेदते हैं |

"नही...बेटा....नही ........मत करो..............प्लीस और नही सह सकती .........आआअहह....." मगर राहुल उसकी बिनती की और कोई ध्यान नही देता | चूत के दाने को चूस्ता वो कभी अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदता है तो कभी उसके दाने पे रगड़ता है | सलोनी की हालत पहले ही पतली हो चुकी थी | वो चूत के दाने की अतिसंवेदनशील त्वचा पर जीभ का खुरदारपन बर्दाशत नही कर पाती | वो काँपने लगती है | उसकी चूत से रस बाहर आने लगता है | राहुल दाने को और भी कस कर होंठो में दबाता उस पर अपनी जीभ का दबाब बढ़ाता उसे सहलाता है, रगड़ता है |

"नही राहुल.......रुक जाओ....रुक जाओ बेटा..........प्लीज़ राहुल.........." सलोनी का बदन झटके खा रहा था | राहुल के इस हमले को बर्दाशत करना उसके लिए हर पल मुश्किल हो रहा था और राहुल था जैसे उसने ठान रखी थी कि आज अपनी मम्मी की बिल्कुल नही सुनेगा | राहुल अगला हमला करता है और दाने को होंठो में दबाए वो उस पर अपने दाँत से बिल्कुल हल्के से काटता है | सलोनी इस हमले को झेल नही पाती |

"राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल,................ओह गॉ...ड...........आअहह..." इस बार सलोनी के मुँह से तीखी सिसकी निकली थी | उसका बदन अपने बेटे की बाहों में झटके खा रहा था और वो सिसकती हुई झड़ रही थी | सलोनी को आज ऐसा आनंद आया था जैसा उसने पहले कभी महसूस नही किया था | उसे यकीन नही हो रहा था कि वो इतने बड़े स्खलन के बाद फिर से कुछ ही मिंटो के अंतराल के बाद इतनी जल्दी दोबारा सखलित हो सकती थी वो भी मात्र चूत चुसाई से |

जब तक सलोनी बिल्कुल शान्त नही पड़ गयी राहुल उसे अपनी बाहों के सिकंजे में कसे उसकी चूत से बहते अमृत की एक एक बूँद को पीता रहा | सखलन के बाद भी जब तक उसने चूत को चूस चाट कर पूरी तरह सॉफ नही कर दिया उसने चूत से मुँह नही हटाया | सलोनी का जिस्म शान्त पड़ चुका था | वो बेटे की बाहों में एकदम बेहोश सी होकर गिर गयी थी | राहुल ने उसके पेट के नीचे से अपने पाँव निकाले और उसकी कमर को वापस बेड पर रखकर उसे अपनी क़ैद से आज़ाद कर दिया | सलोनी के बदन में कोई हरकत नही थी | राहुल उठकर अपनी मम्मी के सर के पास चला जाता है |

राहुल सलोनी के कंधे और कमर पर हाथ रखकर उसे धीरे धीरे करवट दिलाकर पीठ के बल कर देता है | सलोनी की आँखे बंद थी | उसके चेहरे पर जबर्दस्त शांति और संतुष्टि थी और उसका चेहरा इतना प्यारा लग रहा था कि राहुल अपना चेहरा उसके चेहरे पर झुका कर उसके चेहरे पर चुंबनो की बौछार करने लग जाता है | सलोनी धीरे से अपनी पलके खोलती है और अधमुंदी आँखो से बेटे को देखती है | वो कुछ बोलने के लिए होंठ खोलती है मगर उसके होंठो से लफ्ज़ निकल नही पाते | वो अपनी बाहें उपर को उठाती है | राहुल सलोनी की बाहें थाम लेता है और उसे उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता है | वो दीवानो की तरह अपनी माँ को बहुत ही कोमलता से चूमता रहता है | सलोनी की आशा के विपरीत इस बार वो अपने बदन में कुछ उर्जा महसूस करने लगी थी, शायद राहुल के चुम्बनों का कमाल था | आखिरकार जब वो अपनी बाहें उसके गले में डाल उसके चुंबनो का ज्वाब देने लगती है तब राहुल उसके मुँह में अपनी जीभ घुसा देता है | कुछ देर चुमाचाटी का यह दौर चलता रहता है | अचानक राहुल अपनी मम्मी को चूमना बंद कर देता है और बेड पर उठ कर खड़ा हो जाता है | वो अपना पयज़ामा नीचे करता है | उसका लोहे की तरह सख्त लंड हवा में सीधा तना खड़ा था और वाकई में बहुत भयानक जान पड़ता था |

उधर राहुल अपना पयज़ामा नीचे करता है उधर सलोनी बेड के सिरहने पड़े अपने पयज़ामे को उठाती है | राहुल एक टांग अपने पयज़ामे से निकाल चुका था जब वो देखता है कि उसकी मम्मी अपना पयज़ामा पहन रही है | राहुल एक पाँव पयज़ामे से निकलाता है जबकि सलोनी एक पाँव पयज़ामे में डाल चुकी थी | राहुल ज़माने भर की हैरत लिए अपनी मम्मी के चेहरे की और देखता है |

"हुन्न्नह......बहुत भूख लगी है..... सच में बहुत भूख लगी है... टाइम भी कितना हो चुका है... चलो कुछ खाते हैं और फिर बाज़ार भी जाना है... कुछ शॉपिंग करनी है...." सलोनी बेटे की स्वालिया नज़रो को पढ़ कर उसे ज्वाब देती है |

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