हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........complete

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abpunjabi
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

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सलोनी की उंगली इस समय आधी से ज़्यादा राहुल की गांड में जा चुकी थी | वो अपनी उंगली को वहीं रोक कर उसे आगे पीछे करने लगती है | मगर गांड बहुत तंग होने के कारण वो बहुत ज़्यादा आगे पीछे नही हो रही थी | मगर जितना भी राहुल की तंग गांड उंगली को अंदर बाहर होने दे सकती थी, सलोनी कर रही थी | उधर जब सलोनी ने राहुल की गांड अपनी उंगली से चोदनी शुरू की तो उसकी उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच गयी | सलोनी की गरम चूत जो फिर से पूरी तरह बहक चुकी थी उसके बेटे के लंड को कस कर चूम चाट रही थी, उसे सहला रही थी | राहुल से रहा नही गया और वो अपनी मम्मी के होंठ को काटता हुया अपनी कमर हिलना शुरू कर देता है |

माँ अपने बेटे की गांड अपनी उंगली से चोद रही थी और बेटा उंगली से ताल मिलाते हुए अपनी माँ को चोद रहा था | जैसे जैसे माँ की उंगली रफ़्तार पकड़ती वैसे वैसे बेटा अपनी कमर की रफ़्तार तेज़ कर रहा था | अपनी माँ की सिल्की भीगी चूत में लंड पेलने से बड़ा आनंद उसे कहाँ मिलने वाला था |

इस बार जब दोनो के होंठ जुदा होते हैं तो दोनो की हालत पहले से भी बुरी थी | खुले मुँह से साँस संभालते सलोनी अपनी उंगली को तेज़ तेज़ राहुल की गांड में आगे पीछे करने लगी |

"ओह......मम्म्ममी ..........मम्म्ममममी....." राहुल सिसक रहा था | राहुल की गांड के पट्ठे अब कुछ ढीले पढ़ने लगे थे जिससे सलोनी को उसकी गांड में उंगली आगे पीछे करने में आसानी होने लगी थी |

सलोनी अपनी टाँगे बेटे की कमर पर लपेट उन्हे कस देती है | वो अपने चेहरे से राहुल के हाथ हटा उन्हे अपने मुम्मो पर रखते हुए बोलती है |

"मेरे मुम्मे पकड़ो........हाए.......मेरे मुम्मे मस्ल मसल कर चोदो मुझे|" कहते हुए सलोनी फिर से राहुल के होंठो को अपने होंठो में दबोच लेती है |
राहुल अपनी मम्मी के मुम्मो को हाथों में समेटता अपनी कमर उछालनी शुरू कर देता है | मुम्मो को दबाते दबाते वो कुछ ज़्यादा ही जोश में आ जाता है और खींच खींच कर ज़ोरदार धक्के मारने शुरू कर देता है |

"आआईईईईईईई.........आाईईईईए........धीरे......धीरे.........उउफफफफफ्फ़....." सलोनी अकस्मात के ज़ोरदार हमले को झेल नही पाती और हर धक्के पर चीखती है | मगर राहुल सलोनी के चीखने चिल्लाने की कोई परवाह नही करता और अपने धक्के जारी रखता है बलकि और भी ज़ोर से अपनी माँ की चूत में लंड पेलने लगता है |

"उउउक्चकचह..........ऊउक्ककचह.....रूको......धीरे....बेटाआआ..... हायययययईई....." सलोनी चिल्लाती हुई अपनी टाँगे राहुल की कमर से नीचे उसकी जाँघो पर कस्ती चली जाती है | राहुल की स्पीड कम होती होती खुद बा खुद रुक जाती है | सलोनी ने अपनी जांघें कस कर उसकी जाँघो पर जैसे लॉक लगा दिया था और वो अपनी कमर पीछे नही खींच सकता था, इसलिए धक्का भी नही मार सकता था | राहुल ज़ोर लगाकर अपनी कमर पीछे को खींचने की कोशिश करता है मगर उसके हाथ निराशा ही लगती है | अपनी माँ की जाँघो की ताक़त देखकर वो आश्च्र्यचकित हो गया था |

"हाययइईई.......हाअयययययईए.........." सलोनी अभी भी सिसक रही थी | "क्या कर रहा है?.....क्यों इतनी ज़ोर ज़ोर से ठोक रहा है......उउफफ़फ़गगग......जान निकाल कर रख दी मेरी....... बेटा अभी मेरी चूत तुम्हारे मोटे लंड के लिए इतनी ज़्यादा नही खुली है.....तुम इतने ज़ोर ज़ोर से पेलोगे तो जानते हो मेरा क्या हाल होगा....." सलोनी राहुल को झिड़कती है जो अभी भी चाहता था कि उसकी मम्मी अपनी जांघें ढीली छोड़ दे ताकि वो खुल कर उसकी चूत चोद सके |

"हाए मम्मी कितना मज़ा आ रहा था.....प्लीज़ मम्मी करने दीजिए ना... ज़ोर ज़ोर से" राहुल मिन्नत के अंदाज़ में बोलता है |
सलोनी बेटे की बात के ज्वाब में अपनी एक उंगली जो उसकी गांड में थी बाहर निकाल कर उसमे अपना अंगूठा दबाती है | अंगूठा अंदर नही जा पाता क्योंकि उंगली से काफ़ी मोटा था | सलोनी खूब ज़ोर से अंगूठे को अंदर को धकेलती है तो धीरे धीरे गांड का छल्ला चोडा करता उसका अंगूठा उसके बेटे की गांड में घुसता चला जाता है |

"मम्म्मममममी.... यू..उ...मम्म...ऊऊउ...म्म्म्ममी.....निकालो....निकालो.....प्लीज़ मम्मय्यययी......उउउफफफफफ्फ़.....बहुत दर्द हो रहा है...." राहुल का बदन झटके खा रहा था | मगर सलोनी कुछ पलों तक अंगूठे को उसकी गांड में डाले रखती है | राहुल अपनी कमर ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था ताकि वो अंगूठा उसकी गांड से निकल सके मगर सलोनी पूरी ताक़त से उसकी जाँघो को अपनी जाँघो में कस कर उसे रोके हुए थी | आख़िरकार सलोनी उसकी गांड से अपना अंगूठा बाहर निकाल लेती है|
"उउफफफफफफ्फ़......ऊओह गॉड!" राहुल चैन की गहरी साँस लेता है | "आप मेरी मम्मी नही मेरी दुश्मन हो, कोई अपने बेटे को इस तरह से तकलीफ़ देता है क्या?" राहुल रुआंसे स्वर में बोला |

"अब पता चला कितनी तकलीफ़ होती है जब कुछ अंदर घुसता है तो? ........ मम्मी कितना मज़ा आ रहा था तेज़ तेज़ करने में.... अब मालूम चला ....... अरे तुझसे यह अंगूठा बर्दाश्त नही हुआ और तूने मेरी चूत में पूरा मूसल घुसेड़ा हुआ है.....” सलोनी बेटे से नाराज़गी जाहिर करती है | वो अपनी टाँगे ढीली छोड़ देती है | मगर राहुल उसे चोदना शुरू नही करता | बल्कि उसका तो मुँह लटका हुआ था | नज़र झुकी हुई थी | चेहरे पर शर्मिंदगी थी |

सलोनी बेटे के चेहरे को अपने हाथों में थाम लेती है और उसके होंठो पर प्यार के कई मीठे और कोमल चुंबन अंकित करती है |

"जानते हो तुम्हारा लौड़ा कितना लंबा मोटा है... खास कर तुम्हारे पिता की तुलना में...... और मेरी इस चूत में तुम्हारे पिता के अलावा और किसी का लौड़ा नही घुसा, इसलिए अब जब तुम इतना लंबा मोटा मेरी नाज़ुक सी चूत में घुसाओगे तो मुझे तकलीफ़ होगी ना और उपर से तुम ताबड़तोड़ धक्के मारने चालू कर देते हो" सलोनी बेटे को समझाने के अंदाज़ में बोल रही थी और राहुल समझ भी रहा था, मगर बेचारा करता भी तो क्या| सलोनी की जालिम ज्वानी तो बड़े बड़ों के होश उड़ा सकती थी तो उसका बेटा कैसे बच सकता था | बहरहाल बेटे के चेहरे पर पछतावे और शर्मिंदगी के भाव देख सलोनी को उस पर बेहद प्यार आता है | वो फिर से उसके कोमल होंठो पर कई चुंबन अंकित करती है |

"मेरे लाल मैं तेरे पास हूँ....... बस एक बार मेरी टाइट चूत को थोडा सा खुल जाने दे फिर चाहे पूरी रात अपनी मम्मी पर चढ़े रहना और जैसा तेरा दिल में आए मेरी चूत मारना .......... " सलोनी की बात पर राहुल हल्का सा सर हिलाकर सहमति प्रकट करता है | वो तो इतने से ही खुश था कि उसे अपनी मम्मी चोदने को मिल रही थी |

"तो चलो अब शुरू हो जायो..... लेकिन आराम आराम से ...... बिल्कुल प्यार प्यार से ....... मैं चाहती हूँ तू खूब लंबे समय तक मेरी चुदाई करे ....... आआअहह ......... और ..... और ऐसा तभी होगा ..... जब तू धीरे धीरे छोड़ेगा ..... ऊऊहह .......... हाए तू नही जानता कितने दिनों से तरस रही हूँ चुदवाने के लिए ........... आआहह ............ आज जाकर तूने जो मेरी चुदाई की तो कुछ राहत मिली है नही तो मेरी चूत तो भट्टी की तरह जल रही थी .......... उउफफफ़फ़गग बस ऐसे ही ........." सलोनी फिर से अपनी टाँगे राहुल की कमर पर लपेट कस देती है और उसका हाथ फिर से राहुल की गांड पर पहुँच जाता है | उसकी उंगली जल्द ही फिर से राहुल की गांड के अंदर घुस जाती है | वो जानती थी कि इससे राहुल की सनसनी और भी बढ़ेगी और उसे और भी अधिक मज़ा आएगा | सलोनी का सोचना बिल्कुल सही था, उंगली गांड में घुसते ही राहुल के मुँह से ‘आअहह’ करके एक तीखी सिसकी निकलती है और वो अपनी मम्मी के मुम्मो को कस कस कर मसलने लगता है |

"बस ऐसे ही .......... ऐसे ही बेटा ...... आआहह ..... आराम आराम से ......... आराम आराम से चोद मेरे लाल अपनी मम्मी को ......... हाए तेरी मम्मी की चूत .............. आहह ........... उउउफफफफ़फ्ग ........ बहुत नाज़ुक है ........ और ....... और तेरा लंड बहुत मोटा है ........ उफफफफफफफफ्फ़ ...... सच में बहुत मोटा है तेरा ...... देख कैसे फँस रहा है ......... देख कैसे तेरी मम्मी की चूत रगड़ रहा है ....... "

राहुल जितना खुद पर कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था, स्लोनी की भड़कायु बातें उसकी कामौत्तेजना को उतना ही बढ़ा देती थी | वो काई बार अपनी कमर को पीछे खींचता ताकि कस कर अपनी माँ की सिल्क सी मुलायम चूत में अपना लंड पेल सके मगर फिर वो किसी तरह खुद को काबू में करता | सलोनी भी यही चाहती थी | वो सॉफ तौर पर बेटे के चेहरे पर देख सकती थी कि खुद को काबू में रखना उसके लिए कितना मुश्किल था मगर वो जानती थी अगर वो इस परीक्षा में सफल हो गया और खुद को काबू में रखना सिख गया तो किसी भी औरत को चुदाई में संपूर्णतया शान्त करना उसके लिए बेहद आसान हो जाएगा | उसे इतनी पीड़ा नही हो रही थी जितना वो नाटक कर रही थी | शायद इसलिए कि उसकी चूत बेहद्द गीली थी और राहुल का लंड आराम से फिसल रहा था | मगर फिर भी जब राहुल स्पीड से धक्के लगाने लगता था तो उसे बेहद्द पीड़ा होती थी |

"मज़ा आ रहा है बेटा ......... अपनी मम्मी को चोदने में मज़ा आ रहा है ना मेरे लाल"

"आ रहा है मम्मी ........ हाए बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी ......... उफफफफफ़फ्ग कितनी नरम है आपकी ......... कितनी मुलायम ......... हाए बिल्कुल मक्खन की तरह ..... और कितनी टाइट है आपकी मम्मी ......... सच में बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी" राहुल उत्तेजना में सिसक सिसक कर बोलता है | सलोनी बेटे के मुँह से अपनी चूत की तारीफ सुन कर खुश हो जाती है |

"आआहह...... आराम से ..... तेज़ नही ........ आराम से ......... उउफफफफफफ्फ़ ............ हाए मुझे नही मालूम मेरी चूत इतनी टाइट है ........ उउउन्न्नज्ग्घह .......... मुझे तो लगता है तेरा लौड़ा ही इतना मोटा है कि मेरी चूत को पूरा भर दिया है .... "

"नही मम्मी आपकी चूत ...... आपकी चूत सच में बहुत टाइट है ......"

"हाए तो मज़े ले ले अपनी मम्मी की टाइट चूत के ........ लूट ले मज़े ......... उउफफफफफफ्फ़ .......... अराम से कम्बखत ........ मुझे अभी देर तक चुदवाना है ....... आआआहह धीरे धीरे चोद मेरे लाल अपनी मम्मी को ......... जितना देर तक चोद सकता है चोद ... ऐसे ही मेरे मुम्मे मसल मसल कर चोद मुझे ...... ऐसे ही पेलता रह अपना लौड़ा मेरी चूत में ....... तेरा लौड़ा सच में बहुत मज़ा दे रहा है ....... उउफफफफफफ्फ़ ........ हाए तूने मुझे पहले क्यों नही चोदा मेरे लाल" सलोनी बेटे की गांड में उंगली पेलती अपनी गांड हल्के हल्के उछाल कर बेटे के लंड को चूत में ले रही थी |

उस रात माँ-बेटे ने चुदाई में वो आनंद हासिल किया जो ज़िंदगी भर उन्हे नही मिला था | सलोनी राहुल को पूरी तरह अपने काबू में रखते हुए उससे चुद्वाती रही | पुरे दो घंटे ........ पुरे दो घंटे राहुल अपनी माँ के उपर चढ़ा उसकी चूत में अपना लंड पेलता रहा | इस बीच सलोनी तीन बार और झढ़ चुकी थी ......... मगर उसने राहुल को ना झड़ने दिया ......... जब भी वो स्खलन के करीब पहुँचता, सलोनी चुदाई को रोक देती और दोनो एक दूसरे को चूमने चूसने लगते | अंत उसे अपने बेटे पर रहम आया जो झड़ने के लिए बहुत बैचेन हो रहा था, कामौन्माद से उसका अंग अंग कांप रहा था | सलोनी ने आख़िर दो घंटे की चुदाई के बाद जब राहुल झड़ने के करीब आया | उसने उसे रोका नही ..... उसने उसे तब भी नही रोका जब राहुल की स्पीड बढ़ने लगी ......... तब भी नही जब वो पूरा पूरा लंड बाहर निकाल कर वापस उसकी चूत में ठोक रहा था .... तब भी नही जब वो झड़ते हुए उसके मुम्मो को मुँह में भर चूस्ते हुए उसके निप्पलों को काट रहा था ...... हालांकि राहुल के झड़ने के पुरे समय वो खुद उन्माद में शोर मचा रही थी, चीख रही थी मगर राहुल ने खुद को इस हद तक और इतने समय तक रोके रखा था कि उसे उस समय बिल्कुल भी होश नही था कि वो कितनी बेरहमी से अपनी मम्मी की ठोकते हुए उसकी बुरी गत बना रहा था |

माँ-बेटे उस आनंद में डूबे इतने थक चुके थे, दोनो इतने पस्त हो चुके थे कि झड़ने के फ़ौरन बाद ही दोनो को नींद आ गयी थी | दोनो पूरी दुनिया से बेख़बर एक दूसरे की बाहों में समाए किसी और ही दुनिया में विचर रहे थे |
abpunjabi
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

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सुबह आँखे मलते जब राहुल जागा तो उसे बेहद्द आनंदायक अनुभूति हो रही थी | वो धीरे से करवट लेता है और गद्दे पर अपनी बाँह फैलाता है मगर उसका हाथ जैसे वो उम्मीद कर रहा था अपनी मम्मी को नही ढूँढ पाता | वो आँखे खोल देता है | बेड पर वो अकेला लेटा हुआ था | मतलब सलोनी कब की जाग चुकी थी | वो या तो बाथरूम में होगी या फिर नीचे रसोई में, राहुल सोचता है | उसे थोड़ी निराशा होती है क्योंकि वो इतनी खूबसूरत सुबह में अपनी मम्मी के नंगे जिस्म से लिपटना चाहता था, उससे प्यार करना चाहता था, उसके अंग अंग को चूमना चाहता था, चूसना चाहता था | ठंढी आह भरता राहुल बेड से उठ जाता है और अपने बदन से चादर हटा देता है | ‘उफफफफफ्फ़’ उसका लौड़ा पूरा तना हुआ था, एकदम पत्थर के समान, जैसे वो चुदाई करने के लिए नही बल्कि तबाही के लिए ईजाद किया कोई भयानक हथियार था | राहुल अपने लंड को छूता है और रात की पूरी दास्तान उसकी आँखो के सामने से गुज़र जाती है | उसका यही लौड़ा उसकी मम्मी की चूत में था | उसने कल रात अपनी मम्मी की चूत मारी थी, एक बार नही बल्कि दो-दो बार | उसके मोटे मोटे मुम्मे चूसे थे, उन्हे मसला था....उूउउफफफफफफ्फ़ कहीं वो एक सपना तो नही था.......नही वो सपना नही था | बेड पर अस्त व्यसत चादर, और उसके उपर पढ़े दाग धब्बे, बंद कमरे में समाई एक खास खुशबु उस मस्तानी रात में माँ-बेटे की जबरदस्त चुदाई की चीख चीख कर हामी भर रहे थे | राहुल को रात की घटनाएँ याद आने लगती हैं तो ना चाहते हुए भी उसका हाथ अपने लौड़े पर चला जाता है | उसका लौड़ा उसके हाथ का स्पर्श पाते ही एक ज़ोरदार झटका मारता है | तभी रसोई से बर्तनो का शोर सुनाई देता है, जैसे कोई सींक में बर्तन डाल रहा था | 'तो इसका मतलब वो रसोई में है' राहुल सोचता है | यह जानकार कि उसकी मम्मी रसोई में है राहुल को लंड कुछ और सख्त होता महसूस हो रहा था | अब उसके लिए इंतज़ार करना मुश्किल होता जा रहा था | राहुल झटके से बेड से उतर जाता है | वो एकदम से अपनी मम्मी के लिए बेचैन हो उठा था जैसे कोई छोटा बच्चा माँ को ना देखने पर बेचैन हो जाता है | मगर उसे मम्मी के पास जाने से पहले बाथरूम जाना था, ब्रश करना था और अपनी हालत को सुधारना था |

पँद्रह मिनट बाद जब राहुल ने रसोई में कदम रखा तो सलोनी गैस पर सैंडविच बना रही थी | उसके एक हाथ में चाय का कप था | वो रात वाली नाइटी पहने हुए थी | राहुल अपनी माँ के नितम्बो पर कोई भी पेंटी नही देख पा रहा था | उसकी नाइटी उसके गोल मटोल नितम्बों को चूमते हुए सहला रही थी | 'अगर उसने पेंटी नही पहनी है तो हो सकता है उसने ब्रा भी ना पहनी हो' शायद वो नाइटी के अंदर पूरी नंगी थी |

"अभी वहीं खड़े घूरते रहोगे जा अंदर भी आओगे?" सलोनी की मधुर मादक आवाज़ राहुल की तन्द्रा भंग करती है | वो बिना राहुल की और देखे बोली थी | बिना दरवाजे को देखे उसे मालूम चल गया था कि राहुल वहाँ खड़ा उसकी गांड को अपनी आँखो से चूम रहा था | राहुल आगे बढ़ता है और काउंटर के पास चला जाता है |

"नींद कैसी आई. जब मैं जागी थी तब तो बहुत गहरी नींद में थे!" सलोनी अब भी उसकी और ना देखते हुए बोली |

"अच्छी आई मम्मी.... बहुत अच्छी आई" राहुल की आँख अभी भी अपनी मम्मी के नितम्बो पर जमी हुई थी जो उसकी नाइटी के अंदर उसके खाना बनाने के कारण दाएँ-बाएँ, आगे-पीछे हिल डुल कर एक बहुत दिलचस्प मंज़र पैदा कर रहे थे | राहुल अपना हाथ धीरे से अपनी मम्मी के दाएँ कूल्हे पर रख उसे दबाता है |

"उउउन्न्नह.......तू सुबह सुबह ही शुरू हो गया" सलोनी चिहुंक पड़ती है मगर राहुल अपना हाथ नही हटाता | बल्कि वो सलोनी के पीछे खड़ा होकर उसके दोनो नितम्बो को अपने दोनो हाथों से सहलाने दबाने लगता है | नाइटी के मुलायम कपड़े में सलोनी के नितंब और भी मुलायम प्रतीत हो रहे थे | सलोनी राहुल के हाथ झटकने के लिए अपनी गांड हिलाती है मगर राहुल उसके नितम्बो को हाथों में दबोचे उन पर अपनी पकड़ मजबूत कर देता है | ‘एक रात में इसकी हिम्मत कितनी बढ़ गयी है’ सलोनी सोचती है |

"आआहह...........क्या कर रहा है.......इतने ज़ोरों से क्यों दबा रहा है" सलोनी नखरा दिखाती बोलती है जबकि बेटे की मर्दाना शक्ति देख अंदर ही अंदर उसे खुशी महसूस होती है | राहुल आगे बढ़कर अपनी मम्मी की पीठ से चिपक जाता है और अपना लंड अपनी मम्मी की गांड की घाटी में धकेलेते हुए अपने हाथ आगे लेजाकर उसके सख्त मुम्मे पकड़ लेता है | मुम्मो को नाइटी के ऊपर से हाथ लगाते ही वो समझ जाता है कि उसकी मम्मी ने ब्रा नही पहनी है | वो अंदर से पूरी नंगी है!

"हाययययईएए........हाययइईई.........उउफफफफ़फ़गगग.....मा...र डाला जालिम.........उउफफफफफ्फ़........" सलोनी के हाथों चाय का मग गिरते गिरते बचा था | उसमे से कुछ चाय छलक कर काउंटर पर जा गिरी थी | राहुल ने पहली बार अपनी मम्मी के मुम्मे इतनी ज़ोर से मसले थे कि उसके मुँह से चीख निकल गयी थी और नीचे उसकी चूत सिसक पड़ी थी | बेटे का लंबा चौड़ा बम्बू अपने नितम्बों में घुसते पाकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था | बेटे के हाथों का स्पर्श पाते ही उसके मुम्मे तन गये थे, उसके निप्पल अकड़ गये थे | राहुल भी नरम मुलायम मुम्मो को दबाने पर उनकी अंदरूनी सख्ती देखकर स्तब्ध हो गया था | वो और भी ज़ोर से उसके मुम्मो को दबाता है और अपना लंड उसकी गरम गांड में दबाता है |

"आआईयईईईईए.......आाआईईईईईई.....उखाड़ डालेगा क्या.........रुक ज़रा बताती हूँ तुझे" कहकर सलोनी गैस बंद कर देती है | सैंडविच तैयार हो चुके थे | वो राहुल के हाथों पर अपने हाथ रखकर उन्हे ज़ोर से हटाती है | राहुल हाथ नही हटाना चाहता था मगर जब सलोनी बलपूर्वक उसके हाथ मुम्मो से हटा देती है तो वो थोड़ा सा मायूस होकर पीछे हट जाता है |

“उधर बैठ कुर्सी पर अभी खबर लेती हूँ तेरी” सलोनी राहुल को कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुए थोडा गुस्से से बोलती है | राहुल डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ जाता है | सलोनी टेबल पर कुर्सी के पास सैंडविचस की प्लेट रखती है और एक ग्लास में चाय डालती है | फिर वो राहुल के बिल्कुल सामने खड़ी हो जाती है अपनी कमर पर हाथ रखे | राहुल कुछ पलों तक अपनी मम्मी की आँखो में झांकता है मगर फिर शर्म और घबराहट से अपनी नज़र नीची कर लेता है | उसे समझ नही आ रहा था रात को दो बार चुदवाने के बाद अब उसकी मम्मी क्यों उसे भाव नही दे रही थी |

“उठ कर खड़े हो जाओ” राहुल किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कुर्सी से उठ कर खड़ा हो जाता है. “इसे घुमाकर इधर मेरी तरफ करो” सलोनी राहुल को कुर्सी टेबल की वजाए बाहर की और करने के लिए बोलती है | राहुल कुर्सी को घुमा देता है | “अब अपनी शर्ट और पयज़ामा उतार दो” सलोनी अपने बेटे को नंगा होने के लिए ऐसे बोलती है जैसे उसे कोई आम सी बात बोल रही थी | राहुल अपनी माँ के चेहरे की तरफ देखता है | एक पल के लिए उसे लगा जैसे उसके दिल की मुराद पूरी होने वाली है मगर सलोनी का प्लेन चेहरा देख उसका मन आशंका से भर उठता है | वो नाज़ाने क्या करना चाह रही थी | राहुल कपड़े उतारने में हिचकिचाता है |

“तुमने सुना नही मैने क्या कहा?” सलोनी बिल्कुल आराम से मगर अपनी बात पर ज़ोर डालते हुए बोलती है | राहुल के पास अब कोई चारा नही था | वो नंगा हो जाता है | उसकी नज़र झुकी हुई थी और उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी | उसकी शर्मिंदगी उसके तने हुए लंड ने और बढ़ा दी थी जो ऐसे झटके मार रहा था जैसे सलोनी को प्रणाम कर रहा हो | सलोनी भरसक कोशिश कर रही थी कि उसकी हँसी ना निकल जाए मगर फिर भी होंठो पर मुस्कान आने से वो रोक ना पाई | गनीमत थी राहुल उसे नही देख रहा था | राहुल के चेहरे पर वो मासूमियत, शर्मिंदगी के वो भाव कि वो अपनी मम्मी के सामने नंगा खड़ा था सलोनी का दिल मोह लेते हैं |
“चलो कुर्सी पर बैठ जाओ” राहुल नज़र झुकाए आराम से कुर्सी पर बैठ जाता है | उसका लौड़ा अब 70 डिग्री के एंगल पर उपर को खड़ा था | “ज़रा अपनी टाँगे तो चौड़ी कर” सलोनी का नया हुकम आता है | राहुल अपनी टाँगे थोड़ी सी खोल देता है |

सलोनी राहुल से कुछ कदमों की दूरी पर खड़ी थी | राहुल की नज़र झुकी होने के कारण वो अपनी मम्मी को घुटनो तक देख रहा था | अचानक सलोनी घूम जाती है | एक दो पल बीतने के बाद उसे सलोनी की नाईटी का सिरा जो उसके घुटनो तक पहुँच रहा था हिलते दिखाई देता है | एक दो पल और बितते हैं और फिर राहुल की आँखो के सामने सलोनी की नाइटी गिर कर उसके पाँव के पास फर्श पर पड़ी होती दिखाई देती है | राहुल का दिल ज़ोरों से धड़क उठता है | नाइटी अगर फर्श पर थी तो इसका मतलब…………वो नंगी थी………….उसकी मम्मी नंगी थी……… |
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Kamini
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by Kamini »

mast update dear
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